मेरा नाम आँचल है। मैं 20 साल की हूँ, गाँव की रहने वाली, लेकिन अब शहर में रहती हूँ। मैं दिखने में खूबसूरत हूँ, गोरी रंगत, लंबे काले बाल जो मेरी कमर तक आते हैं, और मेरी चूचियाँ 34C की, टाइट और गोल, जो मेरे टॉप में हमेशा उभरी रहती हैं। मेरी गांड भारी और गोल है, जो चलते वक्त थोड़ा हिलती है, और मेरी कमर पतली, जो मेरे फिगर को और आकर्षक बनाती है। मैं हमेशा से थोड़ी शर्मीली रही, लेकिन मेरी हॉटनेस की वजह से गाँव में लड़के मुझे घूरते थे। फिर भी, मैं कभी किसी लड़के के चक्कर में नहीं पड़ी, न स्कूल में, न कॉलेज में। लेकिन मेरे फूफा जी, जिनका नाम राकेश है, उनकी बात ही अलग है। वो 38 साल के हैं, लंबे, गोरे, चौड़े कंधों वाले, और चेहरे पर एक ऐसी मुस्कान जो किसी को भी दीवाना बना दे। उनके बाल हल्के भूरे, और शरीर फिट, क्योंकि वो रोज जिम जाते हैं। मैं उनके प्यार में, या यूँ कहूँ, उनके जिस्म के प्यार में पूरी तरह पागल हो चुकी हूँ।
इसका कारण ये है कि फूफा जी ने मुझे इतने प्यार और धीमे-धीमे चोदा कि मैं उनकी दीवानी हो गई। उन्होंने कभी मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की। उनका चोदने का तरीका इतना शानदार है कि उनकी 7 इंच की मोटी लंड की एक बार चूत में लेने के बाद कोई लड़की उसे भूल नहीं सकती।
मैं गाँव से हूँ, और मेरे मम्मी-पापा के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो मुझे किसी अच्छे कॉलेज में पढ़ा सकें। फूफा जी और मेरी बुआ, जिनका नाम रीना है, एक बड़े शहर में रहते हैं। रीना बुआ 35 साल की हैं, साँवली, भरे हुए बदन की, लेकिन उनकी अपनी अलग हॉटनेस है। फूफा जी और बुआ की कोई संतान नहीं है, इसलिए फूफा जी ने मेरे ट्वेल्थ के बाद मुझे अपने पास बुला लिया। “आँचल, तू मेरे पास आ जा, मैं तेरी पढ़ाई का पूरा ख्याल रखूँगा,” उन्होंने फोन पर कहा था। मैं उनके पास आ गई। मुझे आए 10 महीने हो गए थे। मेरा कॉलेज में दाखिला हो गया, और मैं पढ़ाई में ध्यान देने लगी। लेकिन तभी बुआ प्रेग्नेंट हो गईं। उनका छठा महीना चल रहा था, और वो अपने मायके चली गईं ताकि उनकी देखभाल अच्छे से हो सके।
अब मैं और फूफा जी घर में अकेले थे। फूफा जी रंगीन मिजाज के हैं। वो मुझे बाहर घूमने ले जाने लगे। हम कार में साथ जाते, रात का खाना बाहर खाते, कभी कॉफी शॉप में कॉफी पीते, कभी मैकडॉनल्ड्स जाते, तो कभी मूवी देखने। वो हमेशा अच्छे कपड़े पहनते, शर्ट और जींस, और उनकी परफ्यूम की खुशबू मुझे पागल कर देती थी। मैं भी उनके साथ अच्छे कपड़े पहनती, टाइट टॉप और जींस, या कभी-कभी स्कर्ट। करीब 15 दिन तक ये सब चलता रहा। मैं उनकी बातों, उनके हँसने, उनके देखभाल करने के तरीके की फैन हो गई।
एक रात, करीब 12 बजे, मैं अपने कमरे में थी। मैंने एक हल्का कॉटन का टॉप पहना था, बिना ब्रा के, जिससे मेरी चूचियाँ साफ उभर रही थीं। मेरे निप्पल्स टॉप के कपड़े से रगड़ खा रहे थे। नीचे मैंने एक छोटी-सी पैंटी पहनी थी, जो मेरी गांड को मुश्किल से ढक रही थी। मैं बाथरूम जाने के लिए निकली, तभी देखा कि फूफा जी अपने कमरे में बेड पर लेटे हैं और अपना सिर दबा रहे हैं। मैंने पूछा, “फूफा जी, क्या हुआ? सिर दर्द कर रहा है?” उन्होंने थोड़ा कराहते हुए कहा, “हाँ, आँचल, थोड़ा दर्द है।” मैंने कहा, “मैं दबा दूँ?” वो बोले, “हाँ, ठीक है।”
मैं उनके बेड के पास बैठ गई और उनके सिर को दबाने लगी। मेरे हाथ उनके माथे पर चल रहे थे। मेरा टॉप थोड़ा ऊपर खिसक गया था, जिससे मेरी कमर और पेट का हिस्सा दिख रहा था। अचानक, फूफा जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं चौंक गई। उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। “फूफा जी…” मैंने शर्मिंदगी और डर के मारे धीरे से कहा, लेकिन मेरी आवाज में एक अजीब-सी उत्तेजना थी। वो मेरे होंठों को चूमते रहे। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। “आह्ह…” मैंने हल्की-सी सिसकारी भरी। मेरे शरीर में सिहरन दौड़ गई।
मैंने हल्के से मना किया, “फूफा जी, ये गलत है… बुआ…” लेकिन वो मेरे होंठों को चूमते हुए बोले, “आँचल, तू चिंता मत कर। ये हमारे बीच की बात है।” उनका आत्मविश्वास मुझे और उत्तेजित कर रहा था। उनके हाथ मेरे टॉप के ऊपर से मेरी चूचियों पर गए। “उम्म…” मैं सिसकारी। मेरे निप्पल्स टाइट हो गए। उन्होंने मेरा टॉप ऊपर उठाया और उसे मेरे सिर के ऊपर से निकाल दिया। मेरी चूचियाँ खुली थीं, गोल और टाइट। वो मेरी चूचियों को देखकर बोले, “आँचल, तू तो बहुत हॉट है।”
उन्होंने मेरी एक चूची को अपने मुँह में लिया और निप्पल को जीभ से चाटने लगे। “आह्ह… फूफा जी…” मैं सिसकार रही थी। मेरी आँखें बंद हो गईं। उनकी जीभ मेरे निप्पल्स पर गोल-गोल घूम रही थी। फिर उन्होंने हल्के से मेरे निप्पल को दाँतों से काटा। “उफ्फ… धीरे…” मैंने कराहते हुए कहा। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मेरी पैंटी में गीलापन साफ महसूस हो रहा था। उन्होंने मेरी पैंटी को नीचे खींचा। मैं अब पूरी तरह नंगी थी। मैंने शर्मिंदगी से अपनी टाँगें सिकोड़ने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मेरी टाँगें पकड़कर चौड़ी कर दीं।
“आँचल, तेरी चूत तो पूरी गीली है,” उन्होंने कहा और मेरी चूत पर अपनी जीभ रख दी। “आह्ह… उफ्फ…” मैं जोर से सिसकारी। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी। वो मेरी चूत को चूस रहे थे, जैसे कोई भूखा शहद चाट रहा हो। “उम्म… आह्ह…” मैं बार-बार सिसकार रही थी। मेरी चूत से गर्म-गर्म पानी निकल रहा था। वो उसे जीभ से चाट रहे थे। “फूफा जी… ये क्या कर रहे हो… आह्ह…” मैंने कराहते हुए कहा। मेरे पूरे शरीर में करंट-सा दौड़ रहा था। मैं अपनी गांड को हल्के-हल्के हिलाने लगी।
फिर उन्होंने अपनी जींस और अंडरवियर उतारा। उनका 7 इंच का मोटा लंड बाहर निकला, सख्त और गर्म। मैं उसे देखकर डर गई। “फूफा जी, ये तो बहुत बड़ा है…” मैंने डरते हुए कहा। वो हँसे और बोले, “डर मत, आँचल। तुझे बहुत मजा आएगा।” उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह के पास लाया। “इसे चूस,” उन्होंने कहा। मैंने हिचकते हुए उनके लंड को अपने मुँह में लिया। उसका नमकीन स्वाद मेरी जीभ पर फैल गया। मैंने उसे आइसक्रीम की तरह चाटना शुरू किया। “हाँ, आँचल… ऐसे ही…” वो मेरे बालों को सहलाते हुए बोले। मैं उनके लंड को चूस रही थी, और वो मेरे मुँह में धीरे-धीरे धक्के मार रहे थे। “उम्म… ग्लक… ग्लक…” मेरे मुँह से आवाजें निकल रही थीं।
फिर उन्होंने मुझे बेड पर लिटाया। मेरी टाँगें चौड़ी कीं और अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर सेट किया। “आँचल, तैयार है?” उन्होंने पूछा। मैंने डरते हुए हल्का-सा सिर हिलाया। उन्होंने धीरे से धक्का मारा। “आह्ह… फूफा जी… दर्द हो रहा है…” मैं चीख पड़ी। मेरी चूत बहुत टाइट थी। उनका मोटा लंड अंदर नहीं जा रहा था। “थोड़ा बर्दाश्त कर,” उन्होंने कहा और मेरी चूचियों को दबाते हुए फिर से धक्का मारा। “उफ्फ… आह्ह…” मैं दर्द से कराह रही थी। तीन-चार कोशिशों के बाद उनका लंड आधा मेरी चूत में घुस गया। “चप… चप…” उनकी जाँघें मेरी गांड से टकरा रही थीं।
वो मेरे होंठों को चूमते हुए धीरे-धीरे धक्के मारने लगे। “हाँ, आँचल… तू तो बहुत टाइट है…” वो बोले। मैं दर्द और मजा दोनों महसूस कर रही थी। “आह्ह… उफ्फ… धीरे, फूफा जी…” मैं सिसकार रही थी। पाँच मिनट बाद दर्द कम हुआ, और मैं रंग में आ गई। मैं अपनी गांड को गोल-गोल घुमाकर उनके लंड को अपनी चूत में ले रही थी। “हाँ… और जोर से… आह्ह…” मैंने कहा। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगे। “चप… चप… पचाक… पचाक…” हमारी चुदाई की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ हिल रही थीं। वो मेरी चूचियों को मसल रहे थे। “आह्ह… फूफा जी… मेरी चूचियाँ दबाओ… और जोर से…” मैं सिसकार रही थी।
फिर उन्होंने मुझे उल्टा लिटाया। मेरी कमर को पकड़कर खींचा। मैं घुटनों के बल थी, मेरा सिर बेड पर था। मेरी गांड और चूत उनके सामने थी। “आँचल, तेरी गांड तो कमाल की है,” उन्होंने कहा और अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर सेट किया। “पचाक!” एक जोरदार धक्के के साथ उनका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। “आह्ह… फूफा जी… बहुत दर्द हो रहा है…” मैं चीख पड़ी। लेकिन वो धीरे-धीरे मुझे चोदने लगे। “चप… चप… चप…” हर धक्के के साथ मेरा पूरा बदन हिल रहा था। “उम्म… आह्ह… हाँ… और गहरा…” मैं सिसकार रही थी।
जब मैं दर्द से कराहती, वो रुक जाते। “आँचल, ठीक है?” वो पूछते। लेकिन जैसे ही वो रुकते, मैं बेचैन हो जाती। “नहीं, फूफा जी… रुकिए मत… चोदिए मुझे… आह्ह…” मैं अपनी गांड को पीछे धकेलकर उनके लंड को ले रही थी। फिर वो नीचे लेट गए। मैं उनके ऊपर चढ़ गई। मैंने उनका मोटा लंड पकड़ा, अपनी चूत के छेद पर सेट किया और धीरे से बैठ गई। “आह्ह…” उनका पूरा 7 इंच का लंड मेरी चूत में समा गया। मैं उछल-उछलकर उनके लंड को अपनी चूत में ले रही थी। “उम्म… आह्ह… फूफा जी… कितना मोटा है…” मैं सिसकार रही थी। वो मेरी चूचियों को दबाते हुए बोले, “हाँ, आँचल… तू तो कमाल की चुदक्कड़ है…”
हमारी चुदाई करीब दो घंटे तक चली। “चप… चप… पचाक… पचाक…” हमारी आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। मैं बार-बार पानी छोड़ रही थी। मेरी चूत से गर्म-गर्म पानी निकल रहा था। “आह्ह… फूफा जी… मैं झड़ रही हूँ…” मैं चीखी। आखिरकार, वो भी झड़ गए। उनका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। “उफ्फ… आँचल…” वो कराहे। मैं थककर उनके सीने पर लेट गई।
अगले दिन सुबह मेरी चूत सूज गई थी। दर्द इतना था कि मैं चल नहीं पा रही थी। फूफा जी ने मेरी बहुत केयर की। उस दिन उन्होंने मुझे नहीं चोदा, बस मेरे होंठों को चूमा और मेरी चूचियों के साथ खेला। “आँचल, तू आराम कर,” वो बोले। लेकिन एक बार उन्होंने मेरी चूत में लंड डालने की कोशिश की। “आह्ह… फूफा जी… दर्द हो रहा है…” मैंने कहा। वो तुरंत रुक गए और मेरे माथे को चूम लिया।
लेकिन उसके बाद से फूफा जी मुझे हर दिन चोदते हैं। उनका मोटा लंड मेरी चूत में हर बार नया मजा देता है। वो मुझे अपनी पत्नी से ज्यादा प्यार करते हैं। मुझे किसी चीज की कमी नहीं होने देते। मैं आजकल खूब मजे कर रही हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि जब बुआ वापस आएँगी, तब भी फूफा जी मुझे ऐसे ही चोदते रहेंगे। मैं उनके बिना नहीं रह सकती। चाहे मुझे उनकी रखैल बनना पड़े, लेकिन उनके 7 इंच के लंड के बिना मैं जी नहीं सकती।
क्या आपको मेरी ये चुदाई की कहानी पसंद आई? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएँ।
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