अध्यक्ष ने मुझे जीजू के सामने चोदा

मेरा नाम स्वीटी चौधरी है। मैं हरियाणा के एक छोटे से गाँव से हूँ। उम्र 24 साल, रंग गोरा, और बदन ऐसा कि कबड्डी के मैदान में हर कोई मेरी तरफ देखता है। मेरे लंबे काले बाल, 34C के सुडौल चूचे, पतली कमर, और गोल-मटोल गांड हरियाणा के कबड्डी सर्कल में चर्चा का विषय हैं। मैं नेशनल लेवल की कबड्डी प्लेयर हूँ। मेरी मेहनत, जुनून, और जिद ने मुझे यहाँ तक पहुँचाया। मेरे अंदर एक आग है, जो मैदान के बाहर और बिस्तर पर और तेज जलती है। मैं खुली सोच वाली लड़की हूँ, जो अपनी इच्छाओं को दबाती नहीं। मेरे जीजू, रवि, 32 साल के हैं, पुराने कबड्डी प्लेयर, लंबे-चौड़े, मूंछों वाले, और गुस्सैल मिजाज के। वो मेरे गाइड रहे हैं, लेकिन उनकी सलाह कभी-कभी मुझे मुसीबत में डाल देती है। फिर है कुलदीप यादव, 65 साल का बाहुबली नेता, बी.के.एल. का प्रेजिडेंट। उसकी आँखों में भूख, चेहरे पर दबंगई, और बदन ऐसा कि उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल है। उसकी काली मूंछें, चौड़ा सीना, और भारी आवाज हर किसी को डराने के लिए काफी है, लेकिन मुझे उसकी दबंगई में एक अजीब सा आकर्षण दिखता था।

ये कहानी उस वक्त की है जब मैं भारत कबड्डी लीग में जाट लैंड जुलिएट्स के लिए खेल रही थी। कबड्डी में क्रिकेट जैसा पैसा नहीं, खासकर गर्ल्स कबड्डी में। डाइट, फिजियो, सप्लीमेंट्स का खर्चा इतना था कि मेरी जेब हमेशा खाली रहती। मैंने सोचा कि थोड़ा और पैसा कमाने के लिए एक एडवर्टाइजिंग फर्म के जरिए स्पॉन्सर कंपनी की जर्सी पहन लूँ। लेकिन ये बात मेरी फ्रेंचाइजी को पसंद नहीं आई। उन्होंने बी.के.एल. की गवर्निंग बॉडी में शिकायत कर दी, क्योंकि नियम था कि सिर्फ फ्रेंचाइजी की जर्सी ही पहननी थी। डिसिप्लिनरी कमिटी ने मुझे सस्पेंड कर दिया। मेरी दुनिया उजड़ गई। सारी मेहनत, सारे सपने एक पल में बिखर गए। मैं अपने कमरे में अकेले बैठकर रो रही थी। मेरे आँसुओं ने तकिया गीला कर दिया। मेरे गाँव की मिट्टी की मेहनत, वो रातें जो मैंने मैदान में पसीना बहाकर बिताईं, सब बेकार लग रहा था। तभी जीजू ने मुझे सलाह दी कि बी.के.एल. के प्रेजिडेंट कुलदीप यादव से मिलूँ।

मैं लखनऊ के एक फाइव स्टार होटल में कुलदीप से मिलने गई, जहाँ उसका परमानेंट सुइट बुक रहता था। मैंने काले रंग का टाइट टी-शर्ट और स्पोर्ट्स लेगिंग्स पहनी थी, जो मेरे बदन के हर कर्व को उभार रही थी। मेरे बाल खुले थे, और मैंने हल्का मेकअप किया था, ताकि प्रोफेशनल लगूँ। होटल का सुइट शाही था, बड़ा सा बेड, मखमली पर्दे, और हल्की रोशनी। कुलदीप सोफे पर बैठा था, उसकी काली मूंछें और भारी आवाज कमरे में दबदबा बनाए हुए थी। उसने मुझे देखते ही अपने होंठों पर जीभ फेरी, जैसे कोई भूखा शेर शिकार को देख रहा हो। उसकी नजर मेरे चूचों पर टिक गई। मेरे बदन में एक सिहरन दौड़ गई, लेकिन मेरे अंदर की आग भी जाग रही थी। मैंने अपनी बात रखी, सस्पेंशन की वजह बताई, और माफी मांगी। बोली, “सर, गलती हो गई। पैसे की तंगी में मैंने स्पॉन्सर की जर्सी पहन ली। प्लीज, मेरा करियर बचा लीजिए। मेरे परिवार की इज्जत दांव पर है।”

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कुलदीप ने अपनी भारी आवाज में कहा, “स्वीटी, एक्शन तो वापस लिया जा सकता है, लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा?” उसकी आँखें मेरे चूचों पर थीं, और उसकी मुस्कान में शरारत थी। मैं थोड़ा घबरा गई, लेकिन मेरे अंदर की भूख जाग रही थी। जीजू, जो मेरे साथ थे, ने मेरी पीठ पर हाथ रखा और हल्के से सहलाया। उनकी उंगलियाँ मेरी कमर पर रेंग रही थीं, और मुझे अजीब सा सुकून मिल रहा था। मैंने हिम्मत जुटाई और कहा, “सर, आप जो कहेंगे, मैं करने को तैयार हूँ।” मेरे लहजे में मासूमियत थी, लेकिन मेरी आँखों में वो चमक थी, जो बता रही थी कि मैं भी इस खेल में शामिल हूँ।

कुलदीप ने मुस्कुराते हुए कहा, “टी-शर्ट उतारो और मेरी गोद में आकर बैठो।” मेरे पास कोई चारा नहीं था, लेकिन सच कहूँ तो मेरे अंदर की आग और तेज हो रही थी। मैंने धीरे-धीरे अपना टी-शर्ट उतारा। मेरी काली स्पोर्ट्स ब्रा में मेरे चूचे तने हुए थे, जैसे दो रसीले आम लटक रहे हों। जीजू ने मेरा टी-शर्ट उठाकर किनारे रख दिया। मैं कुलदीप की गोद में जा बैठी। उसका मर्दाना बदन मेरे नाजुक जिस्म को छू रहा था। उसने मेरे चूचों को अपने कठोर हाथों से दबाना शुरू किया। उसकी पकड़ इतनी सख्त थी कि मेरे बदन में बिजली दौड़ गई। मैंने कई कोचों के साथ बिस्तर साझा किया था, लेकिन कुलदीप की ताकत और ग्रिप कुछ और ही थी। वो मेरे चूचों को ऐसे मसल रहा था, जैसे उनसे रस निचोड़ना चाहता हो। मेरे निप्पल्स कड़े हो गए, और मेरी साँसें तेज। मुझे दर्द के साथ-साथ एक अजीब सा मजा आ रहा था। मेरे बदन में गर्मी चढ़ रही थी, और मेरी चूत में गीलापन बढ़ रहा था। मैंने अपनी जांघें सिकोड़ीं, लेकिन वो आनंद रोक नहीं पा रही थी।

पाँच मिनट तक उसने मेरे चूचे दबाए, फिर मेरी ब्रा उतार दी। मेरे निप्पल्स हवा में तन गए, और वो उन्हें बारी-बारी से चूसने लगा। उसकी गर्म जीभ मेरे निप्पल्स पर घूम रही थी। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह… सर…” मेरी आवाज में भूख थी। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली थी, और मैं गर्म हो चुकी थी। कुलदीप की हरकतें मुझे और उकसा रही थीं। उसने जीजू को इशारा किया, और जीजू ने मेरी लेगिंग्स और पैंटी उतार दी। मैं पूरी नंगी थी। मेरी चिकनी चूत और गोल गांड हवा में चमक रही थी। कुलदीप ने भी अपने कपड़े उतार दिए। उसका लंड देखकर मेरी आँखें फटी रह गईं। काला, मोटा, और लटके हुए में ही 6 इंच का। उसकी झांटें साफ नहीं थीं, और एक तीखी गंध आ रही थी। उसने मुझे लंड चूसने को कहा। मैंने हल्का सा मुँह बनाया, लेकिन मेरे अंदर की भूख अब जाग चुकी थी। मैंने उसका लंड मुँह में ले लिया।

पहले उसकी झांटों की गंध मुझे अजीब लगी, लेकिन धीरे-धीरे वो गंध मुझे नशा देने लगी। मैं उसके लंड को चूस रही थी, मेरी जीभ उसके सुपारे पर घूम रही थी। वो मेरे मुँह में फूलकर 8 इंच का हो गया, इतना कड़ा कि लोहे की रॉड लग रहा था। मैंने उसकी नसों को चाटा, उसके टट्टों को सहलाया। कुलदीप की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। “हाँ, स्वीटी, और जोर से चूस…” वो गुर्राया। मैंने और तेजी से चूसा, मेरे होंठ उसके लंड पर लिपटे हुए थे। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली थी, और मुझे एक अजीब सा आनंद मिल रहा था। मैं अपने एक हाथ से अपनी चूत को सहलाने लगी। मेरी उंगलियाँ मेरे गीलेपन में डूब रही थीं, और हर बार जब मैं अपनी क्लिट को छूती, मेरे बदन में एक झटका लगता। मैं पूरी तरह खो चुकी थी, और वो आनंद मुझे और गहरा खींच रहा था।

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कुलदीप ने मुझे बेड के किनारे पर घोड़ी बनाया। मैंने अपनी गांड उचकाई, मेरी चूत और गांड पूरी तरह खुली थी। वो मेरी चूत में लंड डालने की कोशिश करने लगा, लेकिन मेरा थूक उसके लंड पर था, जिससे वो फिसलकर मेरी गांड की तरफ चला गया। उसका सुपारा मेरी गांड में घुसा, और मैं दर्द से चीख पड़ी। “आह… नहीं, सर, वहाँ नहीं!” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज में एक अजीब सा उत्साह भी था। कुलदीप ने जीजू को बुलाया और कहा, “रवि, इसका लंड पकड़कर चूत में डाल।” जीजू ने, जैसे गाँव में भैंस को भैंसे के पास ले जाते हैं, वैसे ही कुलदीप का लंड पकड़कर मेरी चूत में डाला। जैसे ही उसका लंड मेरी चूत में घुसा, मुझे लगा कोई गर्म रॉड मेरे अंदर उतर रही हो। मेरी चूत उसे निगल रही थी, और मैं आनंद से सिसकार रही थी।

कुलदीप ने धक्के लगाने शुरू किए। उसका हर धक्का मेरी बच्चेदानी को ठोक रहा था। मैं चीख रही थी, “आह… और जोर से… सर, मत रुको!” मेरी आवाज में भूख थी, और मैं हर धक्के में स्वर्ग का मजा ले रही थी। कुलदीप का स्टैमिना गजब का था। 65 साल की उम्र में वो ऐसा चोद रहा था, जैसे कोई जवान सांड। उसने मेरे चूचों को फिर से पकड़ा और उन्हें दूहने लगा। उसकी उंगलियाँ मेरे निप्पल्स को मसल रही थीं, और मैं आनंद के सागर में डूब रही थी। मेरे बदन में बार-बार झटके लग रहे थे, जैसे कोई करंट बार-बार दौड़ रहा हो। मैंने अपनी गांड और पीछे उछाली, ताकि उसका लंड मेरे और अंदर जाए। मेरी चूत बार-बार सिकुड़ रही थी, और मैं दो बार झड़ चुकी थी। हर बार जब मैं झड़ती, मेरे बदन में एक मीठा सा दर्द उठता, और मैं और जोर से चीखती। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं कोई जाटणी रानी हूँ, जिसे उसका राजा बिस्तर पर रगड़ रहा है।

वो मेरे बाल पकड़कर खींचने लगा, जैसे कोई घुड़सवार अपनी घोड़ी को कंट्रोल करता है। उसकी स्पीड बढ़ती गई, और मैं हर धक्के में चीख रही थी। “हाँ… सर… चोदो मुझे… और जोर से!” मेरी आवाज कमरे में गूँज रही थी। कुलदीप ने मुझे आधे घंटे तक अलग-अलग पोजीशन में पेला—घोड़ी बनाकर, मुझे सीधा लिटाकर, फिर मेरे पैर अपने कंधों पर रखकर। हर पोजीशन में मुझे ऐसा मजा आ रहा था कि मैं अपने आप को भूल चुकी थी। मेरी चूत बार-बार सिकुड़ रही थी, और हर बार जब मैं झड़ती, मुझे लगता कि मेरा बदन हवा में तैर रहा है। मैंने कभी इतना आनंद नहीं लिया था। कुलदीप की चुदाई में एक जादू था, जो मुझे बार-बार उसकी तरफ खींच रहा था।

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जब कुलदीप झड़ने वाला था, उसने मुझे सीधा लिटाया और बुलेट ट्रेन की स्पीड से चोदने लगा। उसकी साँसें सांड जैसी थीं, और वो गुर्रा रहा था। आखिरकार, उसने मेरे अंदर वीर्य की गाढ़ी धार छोड़ दी। इतना वीर्य था कि मेरी चूत लबालब भर गई, और कुछ बाहर रिसने लगा। मैंने महसूस किया कि मेरा बदन अभी भी काँप रहा था। मेरे चेहरे पर एक अजीब सी संतुष्टि थी, और मेरे दिल में एक सुकून था। मैं बिस्तर पर पड़ी थी, मेरी साँसें तेज थीं, और मेरे बदन में अभी भी वो गर्मी थी।

थोड़ी देर बाद कुलदीप ने जीजू से पूछा, “रवि, प्रोटीन शेक पिएगा?” जीजू ने सोचा शायद वो जिम से कोई शेक मंगवाएंगे, तो हाँ कह दिया। लेकिन कुलदीप ने हँसते हुए कहा, “ये ले, स्वीटी की चूत से निकल रहा मेरा माल चाट ले।” जीजू ने मना किया, लेकिन कुलदीप गुस्सा हो गया। मजबूरी में जीजू ने मेरी चूत से रिसता वीर्य चाटना शुरू किया। कुलदीप ने कहा, “अंदर तक जीभ डाल, सारा साफ कर।” जीजू ने वैसा ही किया। मुझे अजीब लगा, लेकिन मेरी चूत को जीजू की जीभ का स्पर्श फिर से गर्म कर रहा था। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और उस पल का मजा लिया। मेरे बदन में फिर से सिहरन दौड़ रही थी, और मैं चाह रही थी कि ये पल और लंबा चले।

जब हम होटल से निकले, जीजू गुस्से में थे। उन्होंने कहा, “स्वीटी, क्यों ना हम कुलदीप को सेक्स स्कैंडल में फंसा दें?” मुझे उसकी चुदाई इतनी अच्छी लगी थी कि मेरा मन नहीं था। मैं सोच रही थी कि कैसे कुलदीप ने मुझे वो आनंद दिया, जो मैंने पहले कभी नहीं लिया। लेकिन जीजू के दबाव में मैंने पुलिस में शिकायत कर दी। मेडिकल जांच में कुलदीप का वीर्य मेरी चूत में नहीं मिला, क्योंकि जीजू ने उसे चाट लिया था। नतीजा? मेरी बदनामी हुई, और मेरा करियर बर्बाद। अगर मैंने कुलदीप के साथ गद्दारी न की होती, तो शायद आज भी उसके नीचे झोटी की तरह चुद रही होती, और हर बार वैसा ही आनंद ले रही होती। लेकिन अब क्या, पछतावे के सिवा कुछ नहीं बचा।

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