झोपड़ी वाले बाबा से पेलवाया मेरी बीवी ने

Cuckold sex story – Biwi ki chudai –

दोस्तों, ये कहानी आज से दो महीने पहले की है, जब मैं और मेरी बीवी नीलम रायबरेली में एक शादी में जा रहे थे। मेरा नाम अमित है, 32 साल का, गोरा, औसत कद, पतला-दुबला लेकिन चेहरा ठीक-ठाक, ऐसा जो गाँव की गलियों में किसी का ध्यान खींच ले। नीलम, मेरी बीवी, 28 साल की, गेहुंआ रंग, भरा हुआ बदन, 34-28-36 का फिगर, जिसकी चूचियां और गांड किसी का भी लंड खड़ा कर दे। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें और होंठों पर हल्की मुस्कान उसे और भी हॉट बनाती है। उस दिन जो हुआ, वो हमारी जिंदगी का सबसे गर्म और रोमांचक अनुभव बन गया, जो आज भी मेरे दिमाग में ताजा है।

शादी में देर हो चुकी थी। शाम के चार बजे हम बाइक से निकले। नीलम मेरे पीछे बैठी थी, उसकी साड़ी का पल्लू हवा में उड़ रहा था, और उसका नरम बदन मेरी पीठ से चिपक रहा था। उसकी चूचियां मेरी पीठ पर दब रही थीं, और मैं हल्का-हल्का गरम हो रहा था। करीब 50 किलोमीटर चलने के बाद अचानक मौसम बिगड़ गया। काले बादल छा गए, और बारिश की बूंदें गिरने लगीं। देखते ही देखते बारिश इतनी तेज हो गई कि हम दोनों सर से पांव तक भीग गए। नीलम की साड़ी उसके बदन से चिपक गई थी, जिससे उसकी चूचियां और गांड का उभार साफ दिख रहा था। ठंड से मेरे दांत किटकिटा रहे थे, और नीलम की साँसें भी ठंड से भारी हो रही थीं।

मैंने बाइक रोककर नीलम से पूछा, “जान, कहीं रुक जाएं? ठंड बहुत लग रही है, और तू तो पूरी भीग गई है।” नीलम ने कांपते हुए, होंठों को हल्का सा काटते हुए कहा, “अमित, जैसा तुझे ठीक लगे। बस जल्दी कुछ कर, ये ठंड मुझे मार डालेगी।”

आसपास कुछ दिख नहीं रहा था। सड़क के दोनों तरफ सिर्फ खेत और जंगल थे, और बारिश का शोर चारों तरफ गूंज रहा था। थोड़ी दूर चलने पर एक आम का बगीचा दिखा, और उसमें एक छोटी-सी झोपड़ी थी, जिसकी छत पर टीन की चादर थी। बारिश की बूंदें टीन पर टप-टप की आवाज कर रही थीं। मैंने सोचा, यही रुकना ठीक है। बाइक को एक पेड़ के नीचे खड़ा किया, और नीलम का हाथ पकड़कर झोपड़ी की तरफ बढ़ गया। भीतर एक बूढ़ा बैठा था, उम्र करीब 65 साल, लंबी सफेद दाढ़ी, चौड़ा सीना, तगड़ा बदन, और आँखों में एक अजीब-सी चटक चमक। उसने हमें देखा और होंठों पर हल्की मुस्कान लाते हुए कहा, “आ जाओ, बेटा। बारिश से बचने आए हो ना?”

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मैंने कहा, “हाँ, बाबा। थोड़ी देर यहाँ रुक सकते हैं? हम पूरी तरह भीग गए हैं।” उसने गहरी आवाज में जवाब दिया, “हाँ, क्यों नहीं। बैठो, जगह तो है।” बाद में पता चला उसका नाम तजमुल था।

मुझे और नीलम को भूख लग रही थी। रास्ते में कुछ खाया नहीं था, और ठंड से हालत खराब थी। मैंने तजमुल से पूछा, “बाबा, कुछ खाने को मिलेगा? भूख से पेट में चूहे दौड़ रहे हैं।” तजमुल ने हँसते हुए कहा, “अभी तो कुछ तैयार नहीं है, बेटा। लेकिन रसोई में कुछ सामान रखा है। बिटिया से कह दो, बना ले।”

मैंने नीलम की तरफ देखा और कहा, “नीलम, कुछ खाना बना दे ना।” नीलम ने गीले कपड़ों में कांपते हुए, थोड़ा चिढ़कर कहा, “अमित, देख नहीं रहे, मैं पूरी भीग गई हूँ? ये गीली साड़ी चिपक रही है। कैसे बनाऊँ?”

तजमुल ने तुरंत कहा, “अरे, बिटिया, मेरे पास अंदर एक पुराना कुर्ता और लुंगी है। वो पहन लो, नहीं तो सर्दी लग जाएगी।” वो उठा और एक साफ लेकिन पुराना कुर्ता और लुंगी ले आया। नीलम ने लुंगी को हाथ में लिया, लेकिन उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया। उसने धीरे से कहा, “इन कपड़ों में कैसे पहनूँ? मुझे तो शर्म आ रही है।”

तजमुल ने हल्का सा हँसते हुए कहा, “बिटिया, झोपड़ी के पीछे चली जाओ। वहाँ कोई नहीं देखेगा।” मैंने भी नीलम को समझाया, “हाँ, पहन ले, नहीं तो बीमार पड़ जाएगी।”

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नीलम ने हिचकते हुए लुंगी और कुर्ता लिया और झोपड़ी के पीछे चली गई। मैंने गौर किया कि तजमुल की नजर बार-बार नीलम की तरफ जा रही थी। उसकी आँखों में एक भूख थी, जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देख रहा हो। मुझे असहज तो हुआ, लेकिन कहीं न कहीं मेरे मन में भी एक अजीब-सा रोमांच जाग रहा था। तजमुल ने अचानक मुझसे कहा, “बेटा, चल, बाहर आम गिरे होंगे। खाना चाहेगा?”

मैं समझ गया कि वो बहाना बना रहा है। मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ, बाबा, चलो।” हम दोनों बाहर निकले, बारिश अब हल्की हो रही थी, लेकिन हवा ठंडी थी। तजमुल की नजर उस तरफ थी, जहाँ नीलम कपड़े बदल रही थी। मैंने भी चुपके से देखा। नीलम ने अपनी गीली साड़ी उतार दी थी और अब वो सिर्फ गुलाबी ब्रा और काली पैंटी में खड़ी थी। बारिश की बूंदें उसके बदन पर चमक रही थीं। उसने ब्रा का हुक खोला, और उसकी भारी-भरकम चूचियां बाहर आ गईं—गोल, भारी, और निप्पल्स सख्त। फिर उसने पैंटी भी उतार दी, और अब वो पूरी तरह नंगी थी। उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, और उसका भरा हुआ बदन बारिश में और भी सेक्सी लग रहा था।

तजमुल की साँसें तेज हो गईं, और मैंने देखा कि उसकी लुंगी में उभार बढ़ रहा था। मैंने मजाक में पूछा, “बाबा, क्या देख रहे हो?” तजमुल ने हड़बड़ाते हुए कहा, “कुछ नहीं, बेटा। बस… ऐसे ही।”

मुझे मजा आ रहा था। मैंने उससे पूछा, “बाबा, मेरी बीवी कैसी लगी?” तजमुल ने मेरी तरफ देखा और बेशर्मी से बोला, “बेटा, तेरी बीवी तो एकदम रसीली माल है। ऐसी चूचियां और गांड तो कहीं नहीं देखी।”

मैंने हँसते हुए कहा, “तो चोदना चाहते हो?” तजमुल चौंक गया और बोला, “अरे, वो मुझ जैसे बूढ़े से क्यों चुदवाएगी?”

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मैंने उसकी लुंगी की तरफ इशारा किया और कहा, “बाबा, तुम्हारा लंड कितना बड़ा है?” तजमुल ने बिना हिचक अपनी लुंगी खोल दी। उसका लंड खड़ा था—9 इंच लंबा, 4 इंच मोटा, जैसे कोई काला सांप। मैंने अपने लंड की तरफ इशारा किया और कहा, “मेरा तो बस 6 इंच का है, 2 इंच मोटा। तुम्हारा तो गजब है।”

मैंने उससे कहा, “बाबा, नीलम को गरम कर दो। बस अपना लंड दिखाओ, वो खुद पिघल जाएगी।” तजमुल ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, बेटा। देखते हैं क्या होता है।”

हम झोपड़ी में वापस आए। नीलम ने लुंगी और कुर्ता पहन लिया था, लेकिन वो गीले बालों और चिपके हुए कपड़ों में और भी हॉट लग रही थी। लुंगी उसके कूल्हों पर चिपकी थी, और कुर्ता उसकी चूचियों को ढकने में नाकाम था। उसने चाय बनाई और हम तीनों को दी। मैंने तजमुल से कहा, “बाबा, तुम भी तो भीग गए हो। कपड़े बदल लो।”

तजमुल ने कहा, “बेटा, मेरे पास तो बस यही लुंगी थी, और वो तो बिटिया ने पहन ली।” नीलम ने हँसते हुए कहा, “हाँ, बाबा, सर्दी लग जाएगी। कुछ करो ना।”

मैंने जानबूझकर कहा, “अरे, बाबा, यहाँ कौन देख रहा है? लुंगी उतार दो।” तजमुल ने बिना हिचक अपनी लुंगी उतार दी। उसका तगड़ा बदन, लंबी दाढ़ी, और खड़ा लंड देखकर नीलम की आँखें चमक उठीं। वो चुपके से उसका लंड देख रही थी, और उसकी साँसें तेज हो रही थीं।

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रात के 8 बज चुके थे। नीलम ने खाना बनाया—सादी रोटी, आलू की सब्जी, और थोड़ी दाल। हम तीनों ने खाना खाया। तजमुल ने कुछ नहीं पहना था, क्योंकि उसकी लुंगी नीलम ने पहनी थी। झोपड़ी में सिर्फ मोमबत्ती की हल्की रोशनी थी, जो माहौल को और गर्म कर रही थी। नीलम की नजर बार-बार तजमुल के लंड पर जा रही थी, और वो बेचैन हो रही थी। खाने के बाद नीलम ने कहा, “मुझे बाथरूम जाना है।”

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मैंने कहा, “जा, बाहर कर ले।” नीलम ने डरते हुए कहा, “नहीं, बाहर अंधेरा है। मुझे डर लग रहा है।”

मैंने जानबूझकर तजमुल की तरफ देखा और कहा, “बाबा, तुम इसे ले जाओ।” तजमुल ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, बिटिया, चल।”

दोनों बाहर गए, और मैं चुपके से उनके पीछे गया। बारिश अब रुक चुकी थी, लेकिन हवा में ठंडक थी। नीलम ने लुंगी ऊपर की और बैठ गई। तजमुल ठीक उसके सामने बैठ गया, और उसकी नजर नीलम की चूत पर थी। नीलम ने शरमाते हुए, लेकिन हल्की मुस्कान के साथ कहा, “बाबा, क्या देख रहे हो?” तजमुल ने बेशर्मी से जवाब दिया, “बिटिया, तेरी चूत तो एकदम गुलाबी फूल जैसी है।”

नीलम ने हँसते हुए, थोड़ा शरमाते हुए कहा, “अच्छा? तो आज रात कुछ करना चाहते हो मेरे साथ?” तजमुल ने कहा, “बिटिया, मन तो बहुत देर से कर रहा है। बस तूने मौका नहीं दिया।” नीलम ने उसका लंड पकड़ लिया और बोली, “चल, झोपड़ी में। आज रात मैं तेरे इस मोटे लंड को अपनी चूत में लूंगी।”

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मैं वापस झोपड़ी में आकर लेट गया, आँखें बंद करके। नीलम और तजमुल अंदर आए। नीलम ने तजमुल का लंड पकड़ रखा था और धीरे-धीरे उसे सहला रही थी। उसकी उंगलियां तजमुल के लंड के आसपास नाच रही थीं, और वो उसे हल्के-हल्के मसल रही थी। तजमुल ने कहा, “अमित बेटा सो गया?” नीलम ने जवाब दिया, “हाँ, बाबा, सो गया। अब शुरू करो। तेरा ये लंड मुझे तड़पा रहा है। इतना बड़ा और मोटा लंड मैंने कभी नहीं देखा।”

तजमुल ने नीलम को अपनी बाहों में खींच लिया। उसने नीलम का कुर्ता ऊपर उठाया, और उसकी भारी चूचियां बाहर आ गईं। तजमुल ने दोनों चूचियों को जोर-जोर से दबाना शुरू किया। नीलम की सिसकारियां निकलने लगीं, “आह्ह… बाबा… और जोर से… मेरी चूचियां मसल दो… इन्हें चूसो…”

तजमुल ने नीलम की लुंगी भी उतार दी, और अब वो पूरी तरह नंगी थी। उसने नीलम को जमीन पर लिटाया और उसकी चूत पर अपनी जीभ रख दी। नीलम की चूत पहले से ही गीली थी, और तजमुल की जीभ जैसे ही उसकी चूत के दाने को छूती, नीलम की सिसकारियां और तेज हो जातीं, “उम्म… आह्ह… बाबा… चूसो इसे… मेरी चूत को खा जाओ…”

तजमुल ने अपनी जीभ को नीलम की चूत के अंदर-बाहर करना शुरू किया। उसकी लंबी दाढ़ी नीलम की जांघों को गुदगुदा रही थी, और नीलम का बदन सिहर रहा था। तजमुल ने नीलम की चूत के दाने को हल्के से दांतों से काटा, और नीलम चिल्ला उठी, “आह्ह… बाबा… ये क्या कर रहे हो… मेरी चूत में आग लग गई…” वो अपनी गांड हिलाने लगी, और तजमुल की जीभ को और गहराई में लेने की कोशिश करने लगी।

करीब 15 मिनट तक तजमुल ने नीलम की चूत चाटी। नीलम बार-बार सिसकारियां ले रही थी, “आह्ह… उम्म… बाबा… तू तो मेरी चूत का जादूगर है…” फिर तजमुल ने नीलम की चूचियों को फिर से पकड़ा और उन्हें चूसना शुरू किया। उसने एक निप्पल को मुँह में लिया और उसे चूसते हुए हल्के से काटा। नीलम की सिसकारियां और तेज हो गईं, “आह्ह… बाबा… मेरी चूचियां चूस डालो… और जोर से…”

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तजमुल ने अब नीलम को अपनी गोद में उठाया और उसे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया। उसने नीलम की एक टांग उठाई और अपनी जीभ फिर से उसकी चूत पर रख दी। नीलम दीवार से टिककर सिसकारियां ले रही थी, “उम्म… बाबा… मेरी चूत को ऐसे चाटो… मुझे पागल कर दो…” तजमुल ने अपनी उंगली नीलम की चूत में डाली और उसे अंदर-बाहर करने लगा, साथ ही उसकी जीभ नीलम के दाने को चूस रही थी। नीलम की साँसें रुक रही थीं, और वो चिल्ला रही थी, “आह्ह… बाबा… बस… अब लंड डाल दो… मेरी चूत तड़प रही है…”

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तजमुल ने अपना 9 इंच का लंड नीलम की चूत पर टिकाया। नीलम ने हल्की सी चीख मारी, “बाबा, धीरे… इतना बड़ा लंड मेरी चूत फाड़ देगा…” तजमुल ने हँसते हुए कहा, “बिटिया, आज रात तेरी चूत को रगड़-रगड़ कर चोदूंगा।” उसने धीरे-धीरे अपना लंड नीलम की चूत में डाला। नीलम की चूत टाइट थी, और उसका लंड जैसे ही अंदर गया, नीलम की सिसकारी निकल गई, “आह्ह… उफ्फ… बाबा… ये तो मेरी चूत को चीर देगा…”

तजमुल ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसका लंड नीलम की चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ नीलम की सिसकारियां बढ़ रही थीं, “आह्ह… उम्म… बाबा… और जोर से… मेरी चूत को चोद डालो…” तजमुल ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। उसका तगड़ा बदन नीलम के ऊपर हिल रहा था, और झोपड़ी में सिर्फ उनकी सिसकारियों और चुदाई की आवाजें गूंज रही थीं—थप-थप-थप

करीब 10 मिनट तक तजमुल ने नीलम को उसी पोजीशन में चोदा। फिर उसने नीलम को घोड़ी बनने को कहा। नीलम ने अपनी गांड ऊपर उठाई, और उसकी गीली चूत तजमुल के सामने थी। तजमुल ने नीलम की गांड पर हल्का-सा थप्पड़ मारा और बोला, “बिटिया, तेरी गांड तो एकदम मक्ख माल है।” नीलम ने हँसते हुए कहा, “बाबा, अब बस चोदो… मेरी चूत को ठंडा कर दो…”

तजमुल ने पीछे से अपना लंड नीलम की चूत में डाल दिया। नीलम की चूत अब पूरी तरह गीली थी, और तजमुल का लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। नीलम चिल्ला रही थी, “आह्ह… बाबा… और जोर से… मेरी चूत को रगड़ डालो… तेरा लंड तो मेरी जान ले लेगा…” तजमुल ने नीलम की कमर पकड़ी और जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। उसकी लंबी दाढ़ी हवा में हिल रही थी, और उसका तगड़ा लंड नीलम की चूत को रगड़ रहा था।

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थोड़ी देर बाद तजमुल ने नीलम को अपनी गोद में उठाया और उसे अपनी तरफ खींच लिया। उसने नीलम को अपनी गोद में बैठाया और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। नीलम ऊपर-नीचे हो रही थी, और उसकी चूचियां तजमुल के मुँह के सामने हिल रही थीं। तजमुल ने एक चूची को मुँह में लिया और उसे चूसने लगा, जबकि उसका लंड नीलम की चूत में गहरे तक जा रहा था। नीलम की सिसकारियां अब और तेज हो गई थीं, “आह्ह… उम्म… बाबा… तू तो मेरी चूत को फाड़ देगा… और जोर से चोद…”

करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद नीलम झड़ गई। उसकी सिसकारियां थम गईं, और वो हांफते हुए बोली, “बाबा… तूने तो मेरी चूत की आग बुझा दी…” तजमुल भी झड़ गया, और उसका गर्म माल नीलम की चूत में भर गया। दोनों एक-दूसरे की बाहों में लिपट गए। नीलम की साँसें अभी भी तेज थीं, और तजमुल का लंड अभी भी आधा खड़ा था। मैं चुपके से सब देख रहा था, और मेरे अंदर एक अजीब-सा रोमांच था। थोड़ी देर बाद तजमुल का लंड फिर से खड़ा हो गया, लेकिन मैं थक चुका था और सो गया। आगे क्या हुआ, ये अगले भाग में बताऊंगा।

आपको ये कहानी कैसी लगी? क्या आपने कभी ऐसी गर्म और चटपटी रात का अनुभव किया? नीचे कमेंट में जरूर बताएं!

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