जयपुर की आंटी को चोदा

मेरा नाम विक्की है, मैं जयपुर शहर का रहने वाला हूँ। उम्र 27 साल, एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर की पोस्ट पर काम करता हूँ। मैं एक स्मार्ट, लंबा-चौड़ा, गठीला नौजवान हूँ, जिसे लोग अक्सर हैंडसम कहते हैं। मेरी हाइट 5 फीट 11 इंच है, और चेहरा ऐसा कि लड़कियाँ और औरतें बार-बार पलटकर देखती हैं। जयपुर में मेरा एक छोटा सा किराए का मकान था, लेकिन कुछ महीने पहले मकान मालिक ने उसे बेच दिया, और मुझे नया ठिकाना ढूंढना पड़ा। कई जगह देखने के बाद मुझे एक पुराना मकान मिला, जिसमें तीन बेडरूम थे। मकान का मालिक और उसकी पत्नी नीचे रहते थे, और ऊपरी मंजिल पर एक कमरा मुझे किराए पर मिल गया। मकान पुराना था, एक ही टॉयलेट और छोटा सा बाथरूम था। कपड़े धोने के लिए छत पर खुले आसमान के नीचे जगह थी, कोई छत नहीं थी।

मकान मालिक, जिन्हें मैं अंकल-जी कहता था, करीब 45 साल के थे। छोटा कद, पतले-दुबले, और बहुत ही सज्जन इंसान। उनकी दुकान नीचे थी, मिठाई की, जो दिनभर व्यस्त रहती थी। उनकी पत्नी, जिन्हें मैं आंटी-जी बुलाता था, करीब 32 साल की थीं। वो अंकल-जी से लंबी थीं, शायद 5 फीट 6 इंच, गोरी-चिट्टी, और शरीर से थोड़ी मोटी। उनका फिगर करीब 38-34-38 का होगा। बड़े-बड़े स्तन, भारी-भरकम नितंब, और चेहरा ऐसा कि पहली नजर में ही दिल धड़क जाए। वो हमेशा साड़ी या सलवार-कमीज पहनती थीं, जो उनके भरे हुए शरीर को और आकर्षक बनाती थी। उनके पास कोई संतान नहीं थी, इसलिए वो मुझे अपने बेटे की तरह मानते थे। कुछ ही दिनों में मैं उनके परिवार का हिस्सा बन गया।

एक दिन की बात है, मैं बाथरूम में नहा रहा था। पुराने मकान का बाथरूम ऐसा था कि दरवाजे में छोटी-छोटी दरारें थीं। नहाते वक्त मुझे लगा कि कोई मुझे देख रहा है। मैंने ध्यान से देखा तो आंटी-जी बाहर खड़ी थीं, चुपके से झाँक रही थीं। पहले तो मुझे शर्मिंदगी हुई, लेकिन फिर मेरे दिमाग में कुछ और ही ख्याल आने लगे। अगले दिन मैंने जानबूझकर बाथरूम का दरवाजा थोड़ा खुला छोड़ दिया। मैंने अपने कपड़े उतारे, और धीरे-धीरे अपने लंड को सहलाने लगा। मेरा 9 इंच का लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था। मैंने उसकी चमड़ी को आगे-पीछे किया, और जानबूझकर जोर-जोर से मुठ मारने लगा। मुझे पता था कि आंटी-जी मुझे देख रही हैं। उनकी आँखों में वासना की चमक थी, और मैंने उनके सामने ही झड़कर अपनी हवस को और भड़काया। नहाने के बाद जब मैं बाहर आया, तो आंटी-जी वहाँ नहीं थीं।

शनिवार का दिन था, दोपहर के करीब 12 बजे। मैं अपने कमरे की खिड़की से बाहर देख रहा था। आंटी-जी बाथरूम के बाहर, खुले आसमान के नीचे कपड़े धो रही थीं। उन्होंने सफेद ब्लाउज और सफेद पेटीकोट पहना था, जो पानी से भीगकर उनके शरीर से चिपक गया था। उनका ब्लाउज इतना गीला था कि उनके बड़े-बड़े स्तन साफ दिख रहे थे। 44D के उनके मम्मे ब्लाउज से बाहर झाँक रहे थे, और गहरे भूरे निप्पल साफ नजर आ रहे थे। मुझे पता था कि वो जानबूझकर ऐसा कर रही थीं। उन्होंने दो बटन और खोल दिए, और फिर से कपड़े धोने लगीं। मैं अखबार पढ़ रहा था, लेकिन मेरा ध्यान अब पूरी तरह आंटी-जी पर था। मैंने अपना कुर्ता और बनियान उतार दिया, और सिर्फ पायजामा पहने उनकी हरकतों को देखने लगा।

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वो गुनगुना रही थीं, बीच-बीच में मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थीं। फिर अचानक वो खड़ी हुईं, और अपने गीले बालों को जोर से निचोड़कर जूड़ा बनाया। मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उन्होंने अपना ब्लाउज पूरी तरह खोल दिया और उसे उतारकर साइड में रख दिया। उनके गोरे, भारी-भरकम मम्मे अब पूरी तरह नंगे थे। उनके निप्पल गहरे भूरे और सख्त हो चुके थे। वो फिर से बैठ गईं और नहाने लगीं। अपने मम्मों पर साबुन लगाने लगीं, धीरे-धीरे उन्हें मसलते हुए। वो बार-बार मेरी तरफ देख रही थीं, मेरे चेहरे के हाव-भाव पढ़ रही थीं। फिर उन्होंने अपना पेटीकोट भी खोल दिया। ओह माय गॉड! उनका शरीर किसी अप्सरा से कम नहीं था। बड़े-बड़े नितंब, भारी-भरकम जांघें, और उनकी चूत… एकदम फूली हुई, लेकिन घने बालों से ढकी हुई। उन्होंने अपनी चूत पर शैम्पू लगाया और उंगलियाँ अंदर-बाहर करने लगीं। उनकी सिसकारियाँ सुनकर मेरा लंड तन गया। मैंने अपने पायजामे के ऊपर से ही उसे सहलाना शुरू कर दिया।

वो मजे ले रही थीं, और मुझे तड़पा रही थीं। मैं खुद को रोक नहीं पाया। फिर अचानक उन्होंने तौलिया लपेटा और जोर से चिल्लाईं, “विक्की! एक मिनट इधर आ ना!” मैं सिर्फ पायजामे में बाहर गया और पूछा, “हाँ आंटी-जी, क्या हुआ?” वो मेरे पायजामे में बने तंबू को देख रही थीं, लेकिन बोलीं, “मेरी कमर में लचका आ गया है। जरा ये कपड़े सुखा दे, मैं ये बाल्टी नहीं उठा पाऊँगी।” मैंने कहा, “आप आराम करें, मैं कर देता हूँ।” कपड़े सुखाने के बाद मैं उनके कमरे में गया और पूछा, “अब दर्द कैसा है?” हम दोनों जानते थे कि ये सब नाटक था।

आंटी-जी: हाँ, दर्द तो बहुत है। जरा तेल की मालिश कर दे, तो आराम मिलेगा।
मैं: ठीक है आंटी-जी, तेल कहाँ रखा है?
आंटी-जी: रसोई में से ले आ। और सुन, जरा मेन दरवाजा बंद कर दे, कहीं कोई आ न जाए।

मैंने दरवाजा लॉक किया, रसोई से तेल लाया और पूछा, “कहाँ लगाऊँ?” उन्होंने कहा कि वो फर्श पर पेट के बल लेट जाएँगी। मैं फर्श पर बैठ गया, और उन्होंने अपना चेहरा मेरी गोद में रख दिया। उनका तौलिया अभी भी लपेटा हुआ था। उन्होंने मेरी कमर को अपनी बाहों में जकड़ लिया और बोलीं, “जरा मेरी पीठ पर तेल लगाओ।”

मैं: ऐसे कैसे लगाऊँ? तौलिया तो हटाना पड़ेगा।
आंटी-जी: तो थोड़ा सा नीचे कर दे।

मैंने तौलिया थोड़ा नीचे खिसकाया। उनकी गोरी, चिकनी पीठ मेरे सामने थी। मैंने तेल लगाना शुरू किया, और वो सिसकारियाँ भरने लगीं। उनकी ठोड़ी और नाक मेरे लंड को छू रही थीं, जो अब पायजामे में पूरी तरह खड़ा था। वो मेरे कूल्हों को सहला रही थीं। मैंने मजाक में कहा, “आंटी-जी, अगर आप सीधी लेट जाएँ तो मैं सामने भी तेल लगा दूँ?” वो मुस्कुराईं और पलट गईं।

मैं: आंटी-जी, ऐसे तो मेरा पायजामा गंदा हो जाएगा।
आंटी-जी: तो उतार दे ना, शरमाता क्यों है?

मैंने पायजामा उतार दिया, अब सिर्फ अंडरवेयर में था। मेरा लंड बाहर निकलने को बेताब था। वो हँसते हुए लेट गईं। मैंने उनके मम्मों पर तेल लगाना शुरू किया। उनके बड़े-बड़े मम्मे इतने भारी थे कि एक मम्मे को मसलने के लिए मुझे दोनों हाथों का इस्तेमाल करना पड़ रहा था। मैं धीरे-धीरे उनके निप्पलों को उंगलियों से दबा रहा था, और वो सिसकारियाँ भर रही थीं।

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आंटी-जी: उफ्फ… कितना मजा आ रहा है, विक्की। तुझे भी मजा आ रहा है ना?
मैं: हाँ आंटी-जी, इतने बड़े मम्मे तो मैंने पिक्चर में भी नहीं देखे।
आंटी-जी: तूने किसी लड़की को नंगा नहीं देखा क्या?
मैं: बस आज आपको ही पहली बार देखा।
आंटी-जी: तो तू मुझे चुपके-चुपके देखता है? अब जब देख ही लिया, तो ये तौलिया हटा दे और पूरे शरीर की मालिश कर।

मैंने तौलिया हटा दिया। उनकी नंगी चूत मेरे सामने थी, घने बालों से ढकी। मैंने उनके मम्मों और चूत पर तेल लगाना शुरू किया।

आंटी-जी: मेरी चूत कैसी लगी तुझे?
मैं: बहुत सेक्सी है, लेकिन बाल बहुत हैं।
आंटी-जी: तुझे पसंद नहीं तो साफ कर दे मेरी झांटें।

मैं अपने कमरे से शेविंग किट लाया और उनकी चूत के बाल साफ किए। उनकी चिकनी, फूली हुई चूत अब किसी 16 साल की लड़की जैसी लग रही थी।

आंटी-जी: अरे वाह! ऐसा लग रहा है जैसे मैं 16 साल की हो गई हूँ। विक्की, जरा अपना लंड तो दिखा।

मैंने अपना अंडरवेयर उतार दिया। मेरा 9 इंच का लंड पूरा तन गया था। वो उसे देखकर बोलीं, “कितना जवां लंड है तेरा। 9 इंच का तो होगा?”

मैं: हाँ, खड़ा होने के बाद 9 इंच का हो जाता है। अंकल-जी का भी इतना बड़ा होगा?
आंटी-जी: उस बूढ़े का तो छोटा सा है, पतला भी। उससे बड़ा तो रवि का है।

(रवि उनकी दुकान का नौकर था।)

मैं: तो क्या आपने रवि का देखा है?
आंटी-जी: हाँ, दो-चार बार उससे चुदवाया भी है। लेकिन तेरा लंड तो कमाल का है।
मैं: तो आप इसे चूसो ना?
आंटी-जी: क्या? लंड कोई चूसने की चीज है?
मैं: आपने कभी लंड नहीं चूसा?
आंटी-जी: 32 साल की हो गई हूँ, कभी सुना भी नहीं। हाँ, जानवरों को इधर-उधर मुँह मारते देखा है।
मैं: तो आपको 69 पोजीशन का भी पता नहीं? ब्लू फिल्म भी नहीं देखी?
आंटी-जी: वो क्या होता है?

मैंने उन्हें सिखाने के लिए उनके ऊपर लेट गया। मेरा चेहरा उनकी चूत पर था, और मेरा लंड उनके मुँह के पास। मैंने उनकी चूत की फांकों को उंगलियों से खोला, और जीभ से चाटना शुरू किया। उनकी चूत गीली और गर्म थी। मैंने उनकी क्लिट को चूसा, और जीभ को उनकी चूत के छेद में अंदर-बाहर किया। वो सिसकारियाँ भर रही थीं, “उफ्फ… आह्ह… कितना मजा आ रहा है।” मैंने कहा, “अगर आपको और मजा चाहिए, तो मेरा लंड चूसो।” पहले तो वो हिचकिचाईं, लेकिन फिर उन्होंने मेरे लंड को मुँह में लिया। हम 69 की पोजीशन में थे। उनकी चूत का रस मेरे मुँह में आ गया, और मैंने उसे पूरा चाट लिया। मैंने उन्हें चेतावनी दी कि मैं झड़ने वाला हूँ, लेकिन वो नहीं रुकीं। उन्होंने मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसा, और मैं उनके मुँह में ही झड़ गया। उन्होंने मेरा सारा रस पी लिया।

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मेरा लंड ढीला पड़ गया था। आंटी-जी ने पूछा, “रुक क्यों गया?” मैंने कहा, “अगर और मजा चाहिए, तो इसे फिर से खड़ा करो।” उन्होंने मेरे लंड की चमड़ी को पीछे खींचा, और धीरे-धीरे सहलाने लगीं। वो उसे चूस रही थीं, और कुछ ही मिनटों में मेरा लंड फिर से तन गया। मैंने उन्हें कहा, “अब आपके मम्मों के बीच में डालता हूँ।” मैंने अपना लंड उनके मम्मों के बीच रखा, और उन्होंने अपने मम्मों को जोर से दबाकर मेरे लंड को जकड़ लिया। मैं ऊपर-नीचे करने लगा। कभी-कभी मेरा लंड उनके मुँह तक पहुँच जाता, और वो उसे चूस लेती थीं।

आंटी-जी: कितना मजा आ रहा है, विक्की।
मैं: अब मैं आपकी चूत चोदना चाहता हूँ।
आंटी-जी: तो किसने रोका है? चोद दे मेरी चूत।

मैंने अपना लंड उनकी गीली, गर्म चूत में डाला। पहला ही धक्का पूरा अंदर तक गया। उनकी चूत ढीली थी, लेकिन गर्मी और गीलापन ऐसा था कि मजा दोगुना हो गया। मैंने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। “पच-पच… फच-फच…” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं।

आंटी-जी: आह्ह… जोर से जटके दे… और जोर से… उफ्फ… मेरी चूत को फाड़ दे… इसके चीथड़े उड़ा दे… आह्ह्ह… इतना मजा तो कभी नहीं आया… मेरे मम्मों को मसल दे… जोर से दबा… फाड़ दे इन्हें… उह्ह… तूने अपनी आंटी-जी को रंडी बना दिया… चोद… और जोर से चोद… मादरचोद, मुठ मत मार, बस मुझे चोद… मेरी फुद्दी में अपना लंड पेल… आह्ह्ह…

उनकी गंदी बातें सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने और जोर से धक्के मारने शुरू किए। मेरे लंड का हर धक्का उनकी चूत की गहराई में जा रहा था। कुछ देर बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाला और कहा, “अब आप मेरे ऊपर आओ।” मैं लेट गया, और वो मेरे ऊपर बैठ गईं। उन्होंने मेरा लंड अपनी चूत में सेट किया और ऊपर-नीचे कूदने लगीं। उनके बड़े-बड़े मम्मे उछल रहे थे। मैंने उनके नितंबों को पकड़ा और उनके मम्मों को चूसने लगा। “आह्ह… उह्ह… ओह्ह…” उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं। “पच-पच… फच-फच…” की आवाजें और तेज हो गई थीं। काफी देर बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। मेरे लंड और गोटियों पर हम दोनों का रस मिलकर गीला हो गया था।

ये जयपुर में मेरा दूसरा और शानदार अनुभव था। अब मैं जयपुर में ही सेटल हो गया हूँ। अगर जयपुर या आसपास की कोई लड़की या औरत मुझसे मिलना चाहे या अपनी बात शेयर करना चाहे, तो क्या आपको लगता है कि आंटी-जी और मेरे बीच का ये रिश्ता और गहरा होगा? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएँ।

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