हाय दोस्तों, मैं आपकी इशिका फिर से हाज़िर हूँ एक नये और मसालेदार वाकये के साथ। खूबसूरत मोटी गांड और मस्त लंड कभी ज़्यादा देर तक अलग नहीं रह सकते। ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ एक बार बस में सफर करते वक़्त। जो मुझे नहीं जानते, उनके लिए बता दूँ कि मैं 19 साल की दिल्ली की रहने वाली कॉलेज स्टूडेंट हूँ। मेरा फिगर 35B-27-37 है, हाइट 173 सेमी, वजन 62 किलो। काली आँखें, काले लंबे बाल, बड़ी-बड़ी आँखें, सुंदर सी नाक जो मेरा बेस्ट फीचर है, और पतले लेकिन क्यूट होंठ। मेरा रंग बहुत गोरा और बेदाग़ है। देरी के लिए माफ़ी चाहती हूँ।
तो बात तब की है जब मैं फर्स्ट ईयर में थी। कॉलेज की छुट्टियाँ ख़त्म होने के बाद मैं दुखी मन से घर से हॉस्टल वापस जा रही थी। मेरे परिवार ने मुझे बस स्टैंड तक ड्रॉप करने आए थे। पापा मेरे लिए वॉल्वो बस में सीट बुक करवा रहे थे, और मैं मम्मी और दीदी से बातें कर रही थी। मैंने मम्मी से कहा, “मम्मा, मुझे आपकी बहुत याद आएगी।” मम्मी ने प्यार से जवाब दिया, “ओह मेरा बच्चा, दो दिन और रुक जाती, इतने दिनों बाद तो आई थी।” दीदी ने मज़ाक में चुटकी ली, “अरे मैडम, सारा टाइम यहीं रुक जाओगी तो पढ़ाई कौन करेगा?” मैंने हँसते हुए कहा, “हाय दीदी, आप तो मुझसे प्यार ही नहीं करतीं, बस जल्दी भगाना चाहती हैं ताकि मम्मी का सारा प्यार आपको मिले।” दीदी ने मेरे गाल खींचते हुए कहा, “हम्म, यही बात है। मैं तुझसे प्यार नहीं करती, मेरी प्यारी गुड़िया।” मम्मी ने दीदी को टोका, “स्वीटी, मत कर, उसे लग रही होगी।” मैंने चिल्लाते हुए कहा, “ऊऊऊ… दीदी, बस, मैं जानती हूँ आप मुझसे बहुत प्यार करती हैं, और मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूँ।” तभी पापा ने कहा, “लो बेटा, तुम्हारा टिकट हो गया, जल्दी करो, बस जाने वाली है, और मुझे एक प्यारी सी झप्पी दे दो।” इस खुशी के माहौल में मैं बस में चढ़ी और अपनी सीट पर जाकर बैठ गई, जो आखिरी सीट थी।
बस पूरी भरी हुई थी, लेकिन आखिरी सीट पर कुछ गिरा हुआ था, जिससे वो गंदी हो गई थी। फिर भी, वहाँ दो लोग बैठ सकते थे। मुझे हॉस्टल वापस जाने का मन बिल्कुल नहीं था। मैं उदास होकर मुँह लटकाए फोन पर गाने सुनने लगी। मैंने ढीला-सा काला टॉप और टाइट व्हाइट जींस पहनी थी, मेरे बाल हल्के कर्ल्स में खुले हुए थे, जो मेरे कंधों पर लहरा रहे थे। मेरी गोरी त्वचा और टाइट जींस में मेरी मोटी गांड हर किसी का ध्यान खींच रही थी।
लगभग 10 मिनट बाद बस एक जगह रुकी, और एक 50 साल के आसपास के अंकल बस में चढ़े। उन्होंने इधर-उधर देखा और मुझे देखते ही मेरी तरफ बढ़ने लगे। मैंने झट से आँखें फेर लीं, सोच रही थी कि काश वो कहीं और बैठ जाएँ। लेकिन नहीं, वो सीधे मेरे पास आकर बैठ गए। अंकल ने मुस्कुराते हुए कहा, “हेलो यंग लेडी, आप कहाँ तक जा रही हैं?” मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए जवाब दिया, “हाय… दिल्ली।” अंकल ने खुद का परिचय दिया, “मैं अतुल, नाइस टू मीट यू।” मैंने भी कहा, “मैं इशिका, प्लेज्ड टू मीट यू टू।” अंकल ने पूछा, “मैंने आपको डिस्टर्ब तो नहीं किया, इशिका?” मैंने कहा, “नहीं, इट्स फाइन, वैसे भी मैं बोर हो रही थी।” अंकल ने मज़ाकिया लहजे में कहा, “तुम तो काफ़ी ब्राइट लग रही हो, लगता नहीं कि बोर हो। लेट मी गेस… स्टूडेंट! हॉस्टल वापस जा रही हो?” मैं हैरान होकर बोली, “अरे! आपको कैसे पता?” अंकल ने हँसते हुए कहा, “तुम जवान हो, स्टूडेंट के अलावा और कुछ हो ही नहीं सकती। और तुम्हारा भारी-भरकम बैग देखकर लगा कि तुम वापस जा रही हो।”
मैंने शरमाते हुए कहा, “वाह, मैं इम्प्रेस्ड हूँ।” अंकल ने मज़ाक में आँख मारी और बोले, “सच में?” मैं शरमा गई और बोली, “हाँ, एक तरह से।” अंकल काफ़ी जॉली नेचर के थे। थोड़ी ही देर में मेरी उदासी गायब हो गई, और उनकी बातों में मेरा इंटरेस्ट जागने लगा। उनके साथ बात करना इतना कंफर्टेबल लग रहा था कि कोई भी टॉपिक हो, वो बड़े मज़े से उसमें घुस जाते थे। मैंने नोटिस किया कि अंकल की हाइट थोड़ी कम थी, उनके सिर पर बाल नहीं थे, लेकिन उनका चेहरा काफ़ी सेक्सी और हैंडसम था। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मुझे बार-बार उनकी तरफ खींच रही थी।
शायद अंकल को भनक लग गई कि मैं उन्हें नोटिस कर रही हूँ। उन्होंने मुझसे पूछा, “क्या खो गई इशिका?” मैंने शरमाते हुए कहा, “नहीं, कुछ नहीं… यू लुक नाइस।” अंकल ने हँसते हुए जवाब दिया, “शुक्रिया मोहतरमा, तुम भी किसी परी से कम नहीं।” फिर मज़ाक में बोले, “मज़ाक तो नहीं कर रही ना?” मैंने कहा, “नहीं, सच में।” अंकल ने अपनी बॉडी दिखाते हुए कहा, “मैंने काफ़ी मेंटेन किया है। तुम जिम जाती हो?” मैंने कहा, “कभी-कभी।” अंकल बोले, “तुम भी काफ़ी शेप में हो।” उनकी बातों से मैं कुछ देर के लिए भूल ही गई कि वो मुझसे लगभग 30 साल बड़े हैं।
मैंने हँसते हुए पूछा, “थैंक यू, लेकिन आपको क्या लगता है, मैं और अच्छी कैसे दिख सकती हूँ?” अंकल ने सोचते हुए कहा, “हम्म… मुझे कुछ एक्सरसाइज़ पता हैं, लेकिन छोड़ो, तुम्हें अच्छा नहीं लगेगा।” मैंने ज़िद की, “प्लीज़, मुझे बुरा नहीं लगेगा, मैं श्योर हूँ।” अंकल ने पूछा, “क्यों?” मैंने शरारती अंदाज़ में कहा, “क्योंकि मैं बहुत फ्रैंक हूँ।” अंकल ने हँसते हुए कहा, “ओके, उम… तुम ड्राइवर के पास तक चलकर दिखाओ।” मैंने हैरानी से पूछा, “क्या? लेकिन क्यों?” अंकल बोले, “कम ऑन, मुझे देखना है तुम्हारा फिगर कैसा है।” मेरे चेहरे पर शैतानी स्माइल आ गई, और एक भौंह उठाते हुए मैंने कहा, “ओह्ह!”
अंकल ने हँसते हुए कहा, “अरे, तभी तो बता पाऊँगा कि कौन सी एक्सरसाइज़ करनी है।” मैं उठी और जानबूझकर अपनी मोटी गांड उनकी तरफ करते हुए निकलने लगी। निकलते वक़्त मेरी गांड उनकी पैंट पर रगड़ गई। शायद उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया था। मैं तो पहले ही एक्साइटेड थी, इसलिए अपनी गांड को नॉर्मल से ज़्यादा मटकाते हुए ड्राइवर के पास गई और पूछा, “लंच के लिए कब रुकेंगे?” ड्राइवर ने लापरवाही से जवाब दिया, “अभी तो बहुत टाइम है जी, तुसी आराम नाल सो जाओ, जदों पहुंचांगे, खबर कर देंगे।” मैंने कहा, “आहो जी, थैंक यू।”
वापस अंकल की तरफ आते वक़्त मैंने अपनी चाती को और फुलाकर चलना शुरू किया। मेरी साँसें तेज़ थीं, क्योंकि बस में सब मुझे ही घूर रहे थे। अंकल के पास अपनी विंडो सीट पर चुपचाप बैठ गई। जब मैं उनकी तरफ गांड करके निकल रही थी, इस बार अंकल ने सीट पर एडजस्ट होने के बहाने मेरे चूतड़ों के बीचोबीच अपने लंड से एक ज़ोरदार झटका मारा। मैं चौंककर बोली, “ऊऊऊ!” अंकल ने तुरंत कहा, “ओह सॉरी!” मैंने शरमाते हुए कहा, “इट्स ओके।” अंकल ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, “शो के लिए थैंक यू, मैंने अच्छे से देख लिया। अब मैं बता सकता हूँ कि तुम्हें कौन सी एक्सरसाइज़ करनी चाहिए।” मैंने उत्साह में कहा, “अच्छा, थैंक यू, बताइए।”
अंकल ने एक कागज़ और पेन निकाला और धीरे से कहा, “तुम बहुत सुंदर और सेक्सी फिगर वाली लड़की हो।” फिर उन्होंने उस कागज़ पर एक नंगी लड़की की तस्वीर बनाई—एक सामने से और एक पीछे से। मैं आँखें फाड़कर उनकी तरफ देखने लगी। अंकल ने कहा, “इशिका, तस्वीर की तरफ ध्यान दो।” मैंने हैरानी से कहा, “पर अंकल…” उन्होंने मुझे चुप कराते हुए कहा, “कोई सवाल मत पूछो। अगर तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारी मदद न करूँ, तो ठीक है, बताओ।” मैंने झट से कहा, “अरे नहीं, इट्स फाइन, प्लीज़ हेल्प करें।” अंकल ने फिर तस्वीर पर मेरा नाम लिखा और बोले, “ये तुम हो।” फिर उन्होंने तस्वीर के होंठ, बूब्स, गांड और कमर पर गोले बनाए।
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मैंने पूछा, “ये क्या है?” अंकल ने कहा, “ये वो जगहें हैं जहाँ तुम इम्प्रूव कर सकती हो।” मैं बड़े ध्यान से सुन रही थी। तभी अंकल ने इधर-उधर देखा, और जब उन्हें लगा कि कोई नहीं देख रहा, उन्होंने झट से अपनी ज़िप खोली और अपना लंड बाहर निकाल लिया। मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। मैं उनके मोटे, झुर्रियों वाले, आधे खड़े लंड को घूर रही थी। अंकल ने कहा, “क्या देख रही हो? तुम्हारी पहली एक्सरसाइज़ है अपने पतले होंठों को मोटा करना।” मैं चौंककर बोली, “क्या? आप पागल हो गए हैं?” अंकल ने शांत स्वर में कहा, “देख इशिका, मैं तो तुम्हारी मदद ही कर रहा हूँ। आजा, चूस ले मेरा लंड।”
मैंने कहा, “ये किस टाइप की मदद है?” अंकल ने कहा, “कम ऑन स्वीटहार्ट, मैं जानता हूँ तुम मुझे पसंद करती हो।” मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उनका लंड देखकर मेरे मुँह में पानी तो आ रहा था, लेकिन ये गलत भी लग रहा था। तभी अंकल ने मेरे होंठों पर हल्का सा स्मूच दे दिया। बस, उस स्मूच के बाद तो मैं उनकी दीवानी हो गई। मेरे अंदर की सारी हिचक गायब हो गई।
अंकल ने मेरे बालों को हल्के से पकड़ा और धीरे-धीरे दबाव बढ़ाते हुए मेरा मुँह अपने लंड की तरफ झुका दिया। मैंने भी अपना मुँह खोल लिया ताकि उस मोटे लौड़े का मज़ा ले सकूँ। मैंने अपने होंठों को दबाकर उनके लंड के सुपाड़े को चूसना शुरू किया। अंकल मेरे सिर को दबा रहे थे, और मैं अपना सिर ऊपर-नीचे करके उनके सुपाड़े को चूस रही थी। जब तक उनका लंड पूरी तरह खड़ा नहीं हुआ, सब ठीक था। लेकिन जैसे ही मेरा चूसना तेज़ हुआ, उनका लंड इतना बड़ा हो गया कि मेरा पूरा मुँह भर गया। मुझे लगा जैसे मेरे मुँह में कोई गर्मागर्म केक हो, जिसे मैं चबा नहीं सकती। अंकल हल्की-हल्की आवाज़ें निकाल रहे थे, “आह… आह…”
मैंने अपनी जींस का बटन खोला और उसे थोड़ा नीचे सरका दिया। अंकल ने मेरी काली पैंटी को बड़ी मुश्किल से मेरे गोरे-गोरे चूतड़ों के बीच से खींचकर नीचे जाँघों तक सरका दिया। अब वो मेरी चूत को अपनी उंगलियों से सहला रहे थे। उनकी मोटी, मर्दाना उंगलियाँ मेरी गांड की दरार में खलबली मचा रही थीं। मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं कुतिया की तरह झुककर उनका लंड चूसने लगी। तभी अंकल ने अचानक अपनी एक उंगली मेरी चूत में घुसा दी और उसे गोल-गोल घुमाने लगे। मैं मस्ती में डूब गई और उनके लंड को हर तरह से चूसने लगी।
मैंने इशारे से अंकल को बताया, “ज़ोर-ज़ोर से करो, मेरी चूत टपकने वाली है।” अंकल हँसने लगे और मेरी चूत में उंगली और तेज़ी से करने लगे। फिर वो झुककर मेरे चूतड़ों पर अपनी जीभ से चाटने लगे और थूक लगाने लगे। मेरा क्लाइमेक्स होने वाला था। मैं हल्के-हल्के मोअन करने लगी, लेकिन अंकल ने मुझे चुप रहने को कहा। उन्होंने मेरा हाथ अपने लंड पर रखा और मेरे हाथ को पकड़कर खुद मुठ मरवाने लगे। उधर मेरा पानी निकल गया, और मैं बहुत खुश थी। मैंने अंकल के होंठों पर किस किया।
अंकल ने गुस्से में कहा, “बहेनचोद साली, पकड़े जाते अभी, धीरे-धीरे मोअन किया कर।” मैंने माफ़ी माँगते हुए कहा, “सॉरी,” और उन्हें चूमने लगी। अंकल बोले, “रंडी साली, मेरा लंड कौन चूसेगा?” मैं फिर उनके मोटे, खड़े लंड पर ज़ोर-ज़ोर से मुँह चलाने लगी। जब अंकल का निकलने वाला था, उन्होंने एक हाथ से मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह को अपने लंड पर ऊपर-नीचे करने लगे और दूसरे हाथ से मेरे चूतड़ों को सहलाने लगे। जैसे ही उनका लंड झड़ने वाला था, उन्होंने मेरा मुँह और नीचे दबा दिया और मेरी गर्दन को कसकर पकड़ लिया। उनकी कमर तेज़-तेज़ हिलने लगी, और उसी वक़्त उन्होंने मेरी गांड के छेद में अपना अंगूठा डाल दिया। मुझे हल्का सा दर्द हुआ।
अंकल ने मेरे मुँह में ही अपनी पिचकारी मार दी, जिसे मुझे पीना पड़ा। पता नहीं कितने सालों से अंकल ने अपने टट्टों में इतना माल जमा किया था। कुछ माल मेरी नाक से टपकने लगा, जिसे देखकर अंकल की हँसी छूट पड़ी। मैंने जल्दी से उनकी शर्ट से अपनी नाक साफ़ की और सीधी होकर अपने कपड़े ठीक किए। अंकल ने गुस्से में कहा, “अरे, ये क्या किया तूने? मेरी शर्ट से ही नाक पोछ दी?” मैंने हँसते हुए कहा, “आपका ही है, खुद ही संभालो।”
अंकल ने मज़ाक में कहा, “अच्छा, तो पहली एक्सरसाइज़ आ गई तुम्हें?” मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ, अच्छे से।” फिर मैंने शरारती अंदाज़ में पूछा, “अच्छा, तो बाकी की एक्सरसाइज़ कब करवाओगे, अंकल?” अंकल ने गंदी स्माइल देते हुए कहा, “साली रंडी, बड़ी जल्दी है तुझे। तू कहे तो यहीं तेरी चूत का चूतिया काट दूँ।” उनकी गंदी बातें सुनकर मेरी चूत में एक सिहरन सी दौड़ गई, और मेरी चूत से कुछ बूँदें रिसने लगीं।
मैंने शरारत से कहा, “मुझे तो बहुत जल्दी है, आपको नहीं?” अंकल ने कहा, “ठीक है, तो आजा, चढ़ जा मेरे लंड पर।” मैं उठी और अपनी जींस और पैंटी को फिर से नीचे सरकाकर अंकल की गोद में झट से बैठ गई। मैं साइड में खिड़की की तरफ देख रही थी, जैसे मुझे कुछ पता ही न हो कि क्या हो रहा है। अंकल ने अपना लंड निकाला, जो अब मुरझाया हुआ था, और उसे मेरी गांड के छेद पर रगड़ने लगे, जैसे मेरी गांड को लंड की खुशबू सुंघा रहे हों। उनका लंड तुरंत ही बड़ा होने लगा, जैसे मेरी गांड की गंध ने उसे उकसा दिया हो।
अंकल मेरी गांड में लंड घुसाने की पूरी कोशिश करने लगे। मैंने कहा, “वहाँ नहीं!” अंकल ने गुस्से में कहा, “क्यों? चुपचाप बैठे रह। एक तो इतनी मोटी गांड लिए पागल बना रही है, ऊपर से मना कर रही है। इतनी चिकनी गांड है कि साला मक्खन भी शरमा जाए।” मैंने उनकी तारीफ़ सुनकर कहा, “हाय, मेरी गांड की इतनी तारीफ़? अच्छा, चलो, मार लो, लेकिन जान, प्यार से।” मैंने अपनी गांड को ढीला छोड़ दिया। अंकल ने अपने लंड को मेरी गांड पर ज़ोर से दबाया, और मैं एकदम से उछल पड़ी।
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अंकल ने गुस्से में कहा, “माँ की चूत, तेरी सीधी क्यों नहीं बैठती?” फिर उन्होंने मेरा टॉप नीचे खींचकर मेरे बूब्स को पकड़ लिया, शायद उन्हें लग रहा था कि मैं कहीं भाग न जाऊँ। मेरे बूब्स मसलते हुए वो मेरी नंगी पीठ पर किस करने लगे और अपने लंड से मेरी नाज़ुक, गुलाबी गांड पर दबाव बढ़ाने लगे। आख़िरकार उन्हें सफलता मिली, और उनका सुपाड़ा मेरी गांड में घुस गया। मेरी तो जान गले में अटक गई, या कह सकते हैं गांड में। पता नहीं कैसे, लेकिन मैं चिल्लाने से खुद को रोक पाई।
एक बार जब अंकल का लंड मेरी गांड में घुस गया, तो फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वो मेरी गांड को नीचे खींचते और अपने लंड को ऊपर धकेलते रहे, जब तक कि उनकी कांटों जैसी झांटें मेरे मुलायम चूतड़ों पर चुभने न लगीं। मेरी गांड लगातार लुप-लुप की आवाज़ कर रही थी, और मेरी आँखों में आँसू आ गए थे। अंकल ने मुझे अपने लंड पर कुछ मिनट तक बांधे रखा और मेरे बूब्स को आटे की तरह गूंथने लगे। फिर उन्होंने नीचे से मुझे झटके देना शुरू किया—एक झटका, फिर थोड़ी देर बाद एक और तगड़ा झटका, फिर थोड़ा गैप और फिर एक और ज़ोरदार हमला। इस तरह उन्होंने मेरी गांड का खूब मज़ा लिया।
फिर अचानक उन्होंने मुझे थोड़ा ऊपर उठाया और अपने लंड को ‘प्लप’ की आवाज़ के साथ बाहर निकाल लिया। मुझे लगा जैसे मेरी पॉटी निकलने वाली है, लेकिन नहीं, मुझे बहुत मज़ा आया जब उनकी मोटी लंड मेरी गांड से बाहर आई। मैंने अपनी गांड पर उंगली फेरकर देखा, तो हाय राम, इतना बड़ा छेद हो गया था! अंकल ने कहा, “चल रंडी, इस लंड को अब चूसकर चिकना कर दे।” मैंने घबराते हुए कहा, “ईव, ये तो गंदा हो गया है।” अंकल ने गुस्से में कहा, “बहेन की लोड़ी, नाटक मत कर। बिना चिकना किए गांड में लेगी तो दर्द ही होगा। कुछ नहीं होगा, ये सेक्स में नॉर्मल है।”
मैं मान गई और खूब थूक लगाकर उनका लंड चिकना कर दिया। फिर से उनकी गोद में धम से बैठ गई। इस बार अंकल ने अपने लंड को मेरी गांड की ओर तीर की तरह तान रखा था। जैसे ही मैं बैठी, उनका लंड मेरी गांड में चर्र करके घुस गया। अंकल ने मुझे थोड़ा आगे झुकाया और मेरी गांड का भूत उतारने लगे। उन्होंने लगभग दस मिनट तक मेरी गांड मारी, मेरी नानी याद आ गई। शायद एक-दो पैसेंजर्स को हम पर शक भी हो गया होगा, लेकिन जब तक अंकल का लंड मेरी गांड में था, मुझे किसी का डर नहीं था।
मुझसे अब रहा नहीं गया, और मैंने एक हाथ से अपनी चूत को हथेली से रगड़ना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में मैं दो बार झड़ गई। दोस्तों, गांड और चूत एक साथ मरवाने में कितना मज़ा आता है, इसका मुझे पूरा डेमो मिल गया था। अंकल कुछ देर बाद मेरी गांड में ही झड़ गए और मेरे ऊपर ही ढेर हो गए। उन्होंने कहा, “इशिका, आई लव यू। तुम मुझसे शादी करोगी?” मैंने हँसते हुए कहा, “क्या? सॉरी अंकल, लगता है आप सेंटी हो गए हैं।” अंकल ने कहा, “अरे पगली, आदमी ऑर्गेज्म के बाद ऐसे ही हो जाता है।” मैंने हँसते हुए कहा, “ओह, ऐसी बात है। और हम लड़कियाँ सोचती हैं कि आप सीरियस हैं।”
अंकल को मुझ पर बहुत प्यार आया, और वो मेरे बालों और बूब्स के साथ खेलने लगे। तभी कंडक्टर उठा और बोला, “बस रुकने वाली है। जिसे लंच करना है या फ्रेश होना है, यहाँ हो जाए, क्योंकि इसके बाद कोई स्टॉप नहीं है।” अंकल ने कहा, “चलो, कपड़े ठीक करो, बहुत भूख लगी है। आज तो खूब खाऊँगा।” मैंने शरारत से कहा, “अंकल, अगर मैं अपने चूतड़ों पर मसाला लगाकर परोसूँ तो कैसा लगेगा?” अंकल ने हँसते हुए कहा, “अब आई ना लाइन पर, लाइफ सफल हो जाएगी। तेरी गांड फ्राई, गांड का मुरब्बा, बटर गांड, और अनगिनत डिश!” उनकी मसालेदार बातों के साथ हम बस से उतरे और इधर-उधर घूमने लगे।
मैं पूरी कोशिश कर रही थी कि लंगड़ाकर न चलूँ। अंकल ने इतनी जोरदार ठुकाई की थी कि सीधे चलना मुश्किल था। मैं लेडीज़ वॉशरूम पहुँची, अपने कपड़े ठीक किए, मुँह-हाथ साफ किए। वैसे तो मुझे अंकल के लंड का स्वाद पसंद था, लेकिन फिर भी मैं अपने साथ टूथपेस्ट लाई थी ताकि मुँह एकदम फ्रेश कर सकूँ। तैयार होकर मैं जल्दी से टेबल पर पहुँची, जहाँ अंकल मेरा इंतज़ार कर रहे थे। हमने खाना ऑर्डर किया और इतनी मस्त चुदाई से खर्च हुई कैलोरीज़ की कमी को खूब खाकर पूरा किया। अंकल ने अपना और मैंने अपना पेमेंट किया।
फिर हम साथ में बस की ओर जाने लगे। मैंने इधर-उधर देखा तो पाया कि कई मर्दों की नज़रें हम पर टिकी थीं, जैसे कह रही हों, “बेवकूफ़ लड़की, इस बूढ़े के साथ क्या कर रही है?” हम दोनों बस में आ गए, दो मिंट की गोलियाँ खाईं, और बैठकर बातें करने लगे। अंकल ने अपने घर और परिवार के बारे में बताया। जब वो अपनी पत्नी के बारे में बता रहे थे, तो न जाने क्यों मुझे जलन होने लगी। उन्होंने बताया कि वो और उनकी पत्नी काफ़ी डर्टी सेक्स करते थे। मन तो किया कि अंकल को उनकी पत्नी से छीन लूँ, लेकिन अगले ही पल लगा कि ये क्या बचपना है, बस मज़े कर।
मैंने अंकल को जलाने के लिए कहा, “हाँ, मेरा कॉलेज में बॉयफ्रेंड है, और पहले भी पाँच रह चुके हैं।” अंकल ने कहा, “नो डाउट, तुम काफ़ी ब्यूटिफुल हो।” फिर पूछा, “वो सब दिखते कैसे हैं? मेरा मतलब, अगर तुम मुझ जैसे मिडिल-एज्ड आदमी से चुद सकती हो, तो लगता है वो खास नहीं दिखते होंगे।” मैंने हँसते हुए कहा, “नहीं, एक से एक हीरा था। मतलब, वो गुड लुकिंग थे।” अंकल ने पूछा, “तुम्हें मैं पसंद आया?” मैंने कहा, “हाँ, आप अच्छे लगते हैं, और आपके साथ मुझे काफ़ी कंफर्टेबल लग रहा है।” अंकल ने मुझे गले लगाया और कहा, “चल, अब एक और एक्सरसाइज़ बाकी है।”
मैं हँसने लगी। अंकल ने गंदी स्माइल के साथ कहा, “चुदरी साली, हँस मत, तेरी चूत फाड़नी है आज मुझे। चल, घोड़ी बन जा, जो थोड़ी सी जगह है इस में।” मैं सीट और आगे की सीट के बीच की जगह में घोड़ी बन गई। अंकल ने मेरी पैंट उतार दी और मेरी पैंटी को दाँतों से खींचकर निकाल दिया। अब उन्होंने मुझे घुटनों पर झुकाकर नीचे कर दिया, जिससे मेरे चूतड़ पीछे को हो गए और मेरा पेट मेरे घुटनों पर आ गया। मेरे हाथ मेरी छाती पर थे। अंकल ने मेरे पैरों को अपनी जाँघों के नीचे दबा दिया, जिससे मेरे चूतड़ उनके लंड पर रगड़ खाने लगे। अंकल सीट पर नॉर्मल पोज़ में बैठे थे, लेकिन मैं कुतिया पोज़ में और सिकुड़ गई थी।
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अंकल ने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा और धीरे से अंदर सरका दिया। उनका लंड साइड से लेने में बहुत अच्छा लग रहा था, लेकिन थोड़ा दर्द भी हो रहा था। थोड़ी देर बाद जब अंकल ने पिस्टन की तरह ऊपर-नीचे, बड़े ही सफाई और रिदम में कमर हिलाना शुरू किया, तो सारा दर्द मज़े में बदल गया। मैं अपनी गांड को कभी ऊपर-नीचे, कभी गोल-गोल घुमाकर उनके लंड से अपनी चूत को रगड़वा रही थी। एक बार मेरा सारा रस निकल चुका था, और वो मेरी जाँघों से होता हुआ अंकल की जाँघों के साइड में बह रहा था।
अंकल ने मेरे रस को अपनी उंगलियों से समेटा और ज़ोर-ज़ोर से सूँघने लगे। फिर उन्होंने मुझे भी चटाया। मैं अपने गोल-गोल गोरे चूतड़ हिलाकर अंकल को मज़ा दे रही थी और खुद भी खूब ले रही थी। लगभग आधे घंटे तक ऐसा करने के बाद अंकल के लंड से आखिरी बची बूँदें भी मेरी चूत ने चूस लीं। इस बीच मैं कई बार झड़ चुकी थी और बहुत थक गई थी। लेकिन अंकल मेरी चूत के पीछे ऐसे पड़ गए, जैसे आखिरी बार किसी की चूत मार रहे हों।
उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत में ही पड़ा रहने दिया और अपने बैग से एक गाजर या शायद मूली निकाली। मेरी गांड के छेद पर उससे गुदगुदी करने लगे। मैं अपने चूतड़ सिकोड़कर और झटके देकर गुदगुदी से बचने की कोशिश कर रही थी। अंकल ने उस गाजर को मेरी गांड में अंदर करने लगे और साथ ही अपने थूक से उसे चिकना करने के लिए मेरी गांड के छेद पर गिराने लगे। मुझे अंकल का ये गिफ्ट अच्छा लग रहा था। उन्होंने लगभग दो मिनट तक धीरे-धीरे करके उस लंबी गाजर को मेरी गांड में सरका दिया और अंदर-बाहर करने लगे। मेरी गांड अब फिर से टाइट हो गई थी, इसलिए गाजर पर उसकी पकड़ कस गई थी। मुझे गांड मरवाने में मज़ा आ रहा था।
इतने में अंकल का लंड मेरी चूत में पड़े रहने के बाद फिर से खड़ा होने लगा। शायद गाजर इस्तेमाल करने का यही फंडा था कि अंकल को जोश आ जाए और उनका लंड तनकर लोहा बन जाए। अंकल ने मुझे गाजर का ऊपरी हिस्सा पकड़कर उसे अंदर-बाहर करने को कहा और खुद मेरी चूत में लंड पेलने लगे। इस बार कुछ ही मिनट में वो मेरी चूत में झड़ गए। मैं भी कुछ सेकंड बाद एक और बार झड़ गई।
इस हसीन सफर का अब अंत होने वाला था। मैंने अपने कपड़े ठीक किए, अंकल से उनका नंबर लिया और उन्हें अपना गलत नंबर दे दिया। बस स्टैंड पर पहुँचकर मैं अपनी मंज़िल की ओर चल पड़ी। आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे बताएँ। गलती हुई हो तो अपनी इशिका को माफ़ कर देना। थैंक यू!