मेरा नाम राहुल है, और मैं हिसार, हरियाणा का रहने वाला हूँ। 22 साल की उम्र में, इंजीनियरिंग छोड़ने के बाद, मैं अब छोटे-मोटे काम करता हूँ। जिंदगी में कुछ कमी थी, एक ऐसी आग जो मेरे दिल को जलाए। मेरी लंबाई 5 फुट 10 इंच है, और मेरा लंड, जैसा मैं दावे से कह सकता हूँ, किसी भी औरत को संतुष्ट करने की ताकत रखता है। ये कहानी पांच महीने पुरानी है, जब मेरे पड़ोस में एक नया परिवार किराए पर रहने आया। परिवार में भैया, उनकी माँ, उनका तीन साल का बेटा, और उनकी पत्नी—प्रेमा भाभी थीं।
प्रेमा भाभी, जिनका नाम बाद में पता चला, 32 साल की थीं। उनका फिगर—34-30-36—एकदम कातिलाना था। सुबह जब वो पार्क में वॉक करने जातीं, उनकी टाइट लाइक्रा शॉर्ट्स और टी-शर्ट में उनकी मटकती गांड और उभरे हुए चूचे देखकर मेरा लंड तन जाता। उनकी गोरी, चिकनी जांघें, पतली कमर, और रसीले होंठ—हाय, मन करता था कि उन्हें पकड़कर उनकी गांड में लंड पेल दूँ और उनके चूचों को चूस-चूसकर लाल कर दूँ। मैं हर सुबह बालकनी में अखबार लिए बैठता, लेकिन मेरा ध्यान सिर्फ भाभी पर होता। कई बार, उनकी मटकती गांड और बड़े-बड़े चूचे देखकर जब मुझसे रहा न जाता, मैं अखबार के पीछे लंड निकालकर मुठ मार लेता। उनकी चूत की कल्पना करते हुए मेरा पानी निकल जाता, और मैं थोड़ी देर के लिए सुकून पाता।
हिसार की गर्म, धूल भरी गलियों में मेरा दिन-रात बस भाभी के खयालों में गुजरता। हमारा मोहल्ला टिपिकल था—तंग सीढ़ियां, पुराने मकान, और बाहर पार्क में बच्चों की चीख-पुकार। भाभी का घर मेरे फ्लैट के ठीक सामने था, और उनकी बालकनी से उनका हर काम दिखता। कभी वो कपड़े सुखातीं, तो उनकी कसी हुई कमर और उभरे चूचे मेरे दिल में आग लगा देते। कभी वो अपने बेटे को गोद में लेकर हँसतीं, तो उनकी मुस्कान मुझे बेकरार कर देती। मैं समझ गया था कि ये औरत मेरे सपनों को हकीकत में बदल सकती है।
धीरे-धीरे हमारी बातचीत शुरू हुई। मैं जब भी भाभी से आमने-सामने होता, बड़े अदब से नमस्ते करता। उनकी मुस्कान में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वो मेरी नजरों को पढ़ लेती हों। भैया, जो अपने कपड़ों के बिजनेस के सिलसिले में ज्यादातर बाहर रहते, हफ्ते में एक-दो बार ही घर आते। जब आते, तो पड़ोसी होने के नाते मेरे साथ बैठकर गप्पे मारते। मैंने एक-दो बार उनके साथ अपने घर पर बीयर पी, और हमारी दोस्ती पक्की हो गई। इस बहाने मेरा भाभी के घर आना-जाना बढ़ गया। मैंने गौर किया कि भैया के इतने बाहर रहने की वजह से भाभी की आँखों में एक तड़प थी। उनकी हँसी के पीछे एक अधूरी प्यास छिपी थी, जो मुझे और उकसाती।
एक दिन भैया ने भाभी को गिफ्ट देने के लिए एक नया लैपटॉप खरीदा। चूंकि मैं कंप्यूटर की अच्छी समझ रखता हूँ, उन्होंने मुझे उसमें विंडोज इंस्टॉल करने को कहा। मैंने इंस्टॉल करके दे दिया। कुछ दिन बाद, एक दोपहर करीब एक बजे, जब हिसार की गर्मी अपने चरम पर थी और मोहल्ला सन्नाटे में डूबा था, भाभी मेरे घर आईं। मैंने दरवाजा खोला तो उन्हें देखता रह गया। वो कॉटन की टाइट कैप्री और हल्की सी टी-शर्ट में थीं। कैप्री में उनकी गोल-गोल जांघें और गांड की शेप साफ उभर रही थी। उनके चूचे टी-शर्ट में ऐसे तने थे, जैसे अब फटकर बाहर आ जाएंगे। पसीने से उनकी टी-शर्ट उनके बदन से चिपकी थी, और उनकी नाभि का हल्का सा उभार दिख रहा था।
“राहुल, सब ठीक?” भाभी ने हल्के से मुस्कुराते हुए पूछा।
“हाँ, भाभी। आप बताओ, अचानक कैसे?” मैंने जवाब दिया, उनकी तरफ देखते हुए।
“थोड़ा काम था। मुझे एक ईमेल चेक करना है,” वो बोलीं, और उनकी आवाज में एक अजीब सी नरमी थी।
मैंने ड्रॉइंग रूम में रखे अपने लैपटॉप की तरफ इशारा किया और कहा, “लीजिए, कर लीजिए।” वो सोफे पर बैठ गईं और बोलीं, “राहुल, मुझे अभी इतना नहीं आता कि खुद सब कर लूँ। जरा मदद कर दो।” मैंने कहा, “ठीक है, भाभी। आप बैठो, मैं अभी आता हूँ।” मैं किचन में पानी लेने गया, और जब लौटा तो देखा भाभी सोफे पर बैठी थीं, उनकी कैप्री उनकी जांघों को और टाइट कर रही थी। मैं उनके बगल में बैठ गया, लैपटॉप ऑन किया, और उनका ईमेल चेक करने में मदद की। वो खुश होकर बोलीं, “राहुल, तुम तो बड़े काम के हो। वैसे, अगर तुम्हारे पास टाइम हो तो मुझे कभी-कभी इंटरनेट चलाना सिखा दिया करो।”
मैंने तुरंत कहा, “भाभी, जब मन करे, आ जाया करो।” वो हल्के से मुस्कुराईं और चली गईं। लेकिन उनकी वो मुस्कान मेरे दिमाग में अटक गई। उसमें कुछ ऐसा था, जैसे वो मुझे कोई इशारा दे रही हों।
अगले दिन शाम को करीब तीन बजे भाभी फिर आईं। इस बार वो एक ढीली कुर्ती और टाइट लेगिंग्स में थीं। लेगिंग्स इतनी टाइट थी कि उनकी गांड की दरार तक साफ दिख रही थी। उनके चूचे कुर्ती में हल्के-हल्के हिल रहे थे, और उनकी चाल में एक अजीब सी लय थी। “राहुल, अगर फ्री हो तो आज से इंटरनेट सीखना शुरू करें?” उन्होंने पूछा, और उनकी आँखों में एक चुलबुली चमक थी।
मैंने तुरंत हाँ कर दी। हम ड्रॉइंग रूम में सोफे पर बैठ गए। लैपटॉप ऑन किया, और मैं उन्हें नई ईमेल आईडी बनाना सिखाने लगा। बातों-बातों में मैंने पूछा, “भाभी, आप तो रोज वॉक करती हैं। इतनी फिट कैसे रहती हैं?” वो हँसकर बोलीं, “बस, थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है, राहुल। तुम भी तो जवान हो, कुछ करते क्यों नहीं?” उनकी आवाज में एक शरारत थी, जैसे वो मुझे छेड़ रही हों। मैंने हँसकर कहा, “भाभी, आप जैसी ट्रेनर मिले तो मैं भी फिट हो जाऊँ।” वो जोर से हँसीं, और उनकी हँसी में एक अजीब सी मिठास थी।
अचानक, जब भाभी ने जीमेल खोलने के लिए एंटर दबाया, मेरे लैपटॉप पर एक पॉप-अप में अडल्ट ऐड खुल गया। स्क्रीन पर एक न्यूड औरत की तस्वीर उभरी। भाभी का चेहरा शर्म से लाल हो गया, और मैं भी सकपका गया। मैंने जल्दी से माउस की तरफ हाथ बढ़ाया, लेकिन गलती से मेरा हाथ उनके बाएँ चूचे से रगड़ गया। ओह, क्या बताऊँ—वो नरम, गोल चूचा मेरे हाथ में जैसे पिघल गया। मेरे पूरे बदन में करंट दौड़ गया। ये वही चूचा था, जिसे मैंने सपनों में बार-बार दबाया था, जिसकी याद में मैंने अनगिनत बार मुठ मारी थी। लेकिन भाभी ने इसे इग्नोर किया और वापस ईमेल पर ध्यान देने की कोशिश की।
लेकिन अब मेरा लंड मेरी निक्कर में फुंफकारने लगा था। मैंने गौर किया कि भाभी की नजरें लैपटॉप की स्क्रीन से ज्यादा मेरी निक्कर की उभरी हुई शेप पर थीं। मुझे एक शरारत सूझी। मैं जानबूझकर सोफे पर भाभी की तरफ थोड़ा सरका और बोला, “भाभी, यहाँ से माउसपैड तक हाथ नहीं जा रहा।” इस बहाने मैंने अपनी कोहनी को उनके चूचे के साइड में हल्के से टच किया, जैसे गलती से हुआ हो। भाभी की सांसें तेज होने लगीं। मैं नॉर्मल बिहेव करते हुए बीच-बीच में अपनी कोहनी को उनके चूचे पर थोड़ा जोर से रगड़ देता। भाभी अब कुछ बोल नहीं रही थीं, बस उनकी सांसें तेज-तेज चल रही थीं। उनकी आँखों में एक चमक थी, जैसे वो इस पल का मजा ले रही हों।
मैंने देखा कि भाभी की सांसें और तेज हो रही थीं, और उनकी नजरें मेरे लंड पर टिकी थीं। मेरी हिम्मत बढ़ी। मैंने धीरे से अपना दायाँ हाथ मोड़कर उनके निप्पल पर एक उंगली फिरानी शुरू की। भाभी ने अपने निचले होंठ को दाँतों में चबाना शुरू कर दिया, जैसे वो खुद को रोक रही हों। मैंने धीरे-धीरे उनके चूचे को हाथ में पकड़ लिया और हल्के-हल्के दबाने लगा। हम दोनों अभी भी एक-दूसरे से नजरें नहीं मिला रहे थे, बस लैपटॉप की स्क्रीन देख रहे थे। लेकिन तभी मुझे अपने लंड पर भाभी का हाथ महसूस हुआ। मैंने नीचे देखा, और भाभी ने मेरी तरफ देखकर धीरे से कहा, “राहुल, बस मसलोगे ही, या कुछ और भी करोगे?”
ये सुनते ही मेरे अंदर का जंगली जानवर जाग गया। मैं भाभी पर टूट पड़ा। मैंने उन्हें सोफे पर लिटाया, उनकी टी-शर्ट ऊपर की, और उनके बड़े-बड़े, रुई जैसे नरम चूचों को जोर-जोर से रगड़ने लगा। उनके निप्पल सख्त हो चुके थे, और मैं उन्हें उंगलियों से मसल रहा था। भाभी भी मेरे लंड को आगे-पीछे करके मजे ले रही थीं। लेकिन मेरी निक्कर उन्हें परेशान कर रही थी। उन्होंने धीरे से मेरी निक्कर नीचे सरका दी, और मेरा लंड उनके हाथों में आ गया। वो उसे सहलाने लगीं, जैसे कोई कीमती रत्न हो। मैंने उनका एक चूचा मुँह में लिया और उसका रस चूसने लगा, जैसे कोई भूखा बच्चा दूध पी रहा हो। दूसरा चूचा मैं अपने हाथ से मसल रहा था, उसकी नरमाई मेरी उंगलियों में समा रही थी।
भाभी अब पागल हो रही थीं। वो सिसकारते हुए बोलीं, “राहुल, पी ले सारा दूध… आज मुझे पूरा खा जा!” उनकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं—हाय… स्स्स्स… ओह्ह राहुल… अब कंट्रोल नहीं हो रहा… चोद दे मुझे!” लेकिन मैंने सोचा, क्यों ना भाभी को और तड़पाया जाए? मैंने उनकी कैप्री खींचकर उतार दी। हैरानी की बात, उन्होंने नीचे पैंटी भी नहीं पहनी थी। मैंने उनकी दोनों टांगें फैलाईं, और पहली बार अपनी प्यारी भाभी की चूत के दर्शन किए।
क्या मस्त, क्लीन-शेव्ड चूत थी! उसकी फांकें हल्की-हल्की लटक रही थीं, और उसमें से पहले से ही पानी टपक रहा था। उसकी चूत की नमकीन खुशबू ने मेरे होश उड़ा दिए। मैंने उनकी चूत की फांकों को मसलना शुरू किया, और जैसे ही मैंने अपना मुँह उनकी चूत पर रखा, भाभी मछली की तरह तड़पने लगीं। उन्होंने मेरा सिर अपनी जांघों में जोर से दबा लिया, जैसे मुझे अपनी चूत में समा लेना चाहती हों। मैं उनकी चूत को चूसने लगा, मेरी जीभ उनकी फांकों के बीच नाच रही थी। उनकी चूत का रस मेरे होंठों पर लग रहा था, और उसका स्वाद मुझे जन्नत की सैर करा रहा था। पूरा कमरा उनकी सिसकारियों से भर गया—हाय… स्स्स्स… ओह्ह राहुल… अब सहन नहीं हो रहा… प्लीज, अपना लंड डाल दे!”
मैंने उनकी चूत से मुँह हटाया और बोला, “पहले मेरा लंड तो चूसो।” लेकिन वो मना करने लगीं, बोलीं, “गंदा है, मुझे उल्टी आ जाएगी।” मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया और उनकी टांगें फैलाकर अपना लंड उनकी चूत पर सेट किया। मैंने हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू किए, और मेरा लंड उनकी गीली, गर्म चूत में आसानी से समा गया। ओह, क्या फीलिंग थी! जैसे मेरा लंड किसी रसीले, गर्म जाल में फंस गया हो। भाभी अपनी गांड उठा-उठाकर चुदाई में साथ दे रही थीं, उनकी सिसकारियां और तेज हो रही थीं।
मैंने उनका निचला होंठ चूसना और काटना शुरू कर दिया, जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार को खा रहा हो। पूरा कमरा थप-थप… फच-फच की आवाजों से गूंज रहा था। मैं धक्के पे धक्के मार रहा था, आज वो चूत मिली थी, जिसकी मैंने महीनों तमन्ना की थी। कुछ देर बाद, मैंने भाभी को कुतिया बनाया और पीछे से उनकी चूत में लंड पेल दिया। उनकी मटकती गांड मेरे धक्कों से थरथरा रही थी। मैं उनकी कमर पकड़कर और जोर से धक्के मारने लगा, और उनकी सिसकारियां अब चीखों में बदल गई थीं—हाय… राहुल… और जोर से… फाड़ दे मेरी चूत!
8-10 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद, जब मुझे लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है, मैंने भाभी को कहा, “ऊपर आ जाओ।” वो मुझे सोफे पर लिटाकर मेरे लंड पर कूदने लगीं। उनके चूचे हवा में उछल रहे थे, जैसे दो रसीले खरबूजे लटक रहे हों। उनकी सिसकारियां, मेरे धक्के, और कमरे की गर्मी—सब कुछ मिलकर एक तूफान बन गया। थोड़ी देर में ही हम दोनों एक साथ झड़ गए। मेरे लंड ने उनकी चूत को अपने गर्म पानी से भर दिया, और भाभी की चूत ने मेरे लंड को अपने रस से नहला दिया।
चुदाई के बाद भाभी जल्दी से वॉशरूम गईं, अपने कपड़े पहने, और बिना कुछ बोले अपने घर चली गईं। मैं सोफे पर पड़ा रहा, मेरे दिमाग में उनकी चूत की गर्मी और उनकी सिसकारियां गूंज रही थीं। आगे मैंने उन्हें कैसे-कैसे और कहाँ-कहाँ चोदा, वो अगली कहानी में बताऊंगा।