Saheli Ka Pati se Jabardasti Chudai मेरा नाम कामिनी है। मैं 33 साल की हूँ, शादीशुदा हूँ, और मेरे पति शैलेश 35 साल के हैं। मेरी जिंदगी में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन एक बार मुझे काम के सिलसिले में कानपुर से बरेली जाना था। टिकट न मिलने की वजह से मैं बहुत परेशान थी। मैंने अपनी सहेली प्रियंका को ये बात बताई, जो मेरी बचपन की दोस्त है। प्रियंका 32 साल की है, खूबसूरत और हंसमुख, और उसका पति गोविन्द 38 साल का है, एक सज्जन और शांत स्वभाव का इंसान। प्रियंका ने बताया कि गोविन्द को भी बरेली जाना है, और वो कार से जा रहा है। उसने सुझाव दिया, “कामिनी, तू चाहे तो गोविन्द के साथ चली जा।”
मैंने शैलेश से बात की। वो तुरंत मान गए और बोले, “गोविन्द प्रियंका का पति है, कोई गैर थोड़े ही है। तुम चली जाओ, कोई दिक्कत नहीं।” उनकी बात से मुझे राहत मिली, और मैंने गोविन्द के साथ जाने का फैसला कर लिया। अगले दिन सुबह मैं और गोविन्द कार से बरेली के लिए निकल पड़े। गोविन्द ने काले रंग की शर्ट और जींस पहनी थी, और उसका चेहरा हमेशा की तरह शांत और सौम्य था। रास्ते में हमारी बातचीत चलती रही। वो सभ्य और समझदार तरीके से बात कर रहा था, ना तो उसने कोई गलत इशारा किया, ना ही मुझे असहज होने दिया। हमने मौसम, शहर की जिंदगी और कुछ पुरानी यादों के बारे में बात की।
दोपहर में हमने एक ढाबे पर रुककर लंच किया। खाना खाने के बाद हम फिर से निकल पड़े, लेकिन तभी कार ने दिक्कत शुरू कर दी। इंजन से अजीब सी आवाजें आने लगीं, और गाड़ी बार-बार रुक रही थी। शाम के करीब 5 बजे, जब हम बरेली पहुँचे, कार पूरी तरह बंद हो गई। हमने एक मकैनिक को बुलाया, जिसने गाड़ी देखी और बताया कि इसे ठीक होने में कम से कम 4 घंटे लगेंगे। गोविन्द ने मुझसे कहा, “भाभी, अब रात के 10 बजे चलना ठीक नहीं होगा। सड़क पर देर रात खतरा हो सकता है। अगर तुम्हें ठीक लगे, तो हम यहीं किसी होटल में रुक जाएँ और सुबह जल्दी निकल पड़ें?”
मैंने हालात को समझा। गोविन्द की बात में दम था, और वो शरीफ इंसान लग रहा था। मैंने हामी भर दी। हमने पास के एक होटल में कमरा लिया। होटल वाले को कमरा देने से पहले हमारा परिचय पूछा। गोविन्द ने थोड़ा झिझकते हुए हमें पति-पत्नी बताया, क्योंकि छोटे शहरों में अकेले पुरुष और स्त्री को साथ कमरा मिलना मुश्किल होता है। मैंने भी चुप रहकर उसका साथ दिया। कमरे में पहुँचते ही मैं थकान से चूर थी। मैंने तुरंत बाथरूम में जाकर नहाया और अपनी नीली नाइटी पहन ली। नाइटी हल्की और आरामदायक थी, जो मेरे बदन पर ढीली-ढाली फिट थी। मैं बिस्तर पर लेट गई और मोबाइल में कुछ देखने लगी।
गोविन्द ने मुझसे पूछा, “भाभी, अगर तुम्हें ऐतराज न हो तो मैं थोड़ा ड्रिंक मंगवा लूँ? थकान बहुत है।” मैं जानती थी कि प्रियंका ने मुझे बताया था कि गोविन्द को रात में ड्रिंक करने की आदत है। मैंने हल्का सा मुस्कुराकर हामी भर दी। वो बार से व्हिस्की और सोडा मंगवाने चला गया। मैं बिस्तर पर लेटी थी, और थकान की वजह से मुझे नींद आने लगी। धीरे-धीरे मेरी आँखें बंद हो गईं, और मैं गहरी नींद में चली गई।
नींद में मुझे एक बेहद खूबसूरत सपना दिखा। मैंने देखा कि मैं अपने घर पर हूँ, और शैलेश मेरे पास हैं। वो मेरे बदन को धीरे-धीरे सहला रहे हैं। उनकी उंगलियाँ मेरे गालों से होते हुए मेरे कंधों पर रुकीं, फिर धीरे-धीरे मेरी नाइटी के ऊपर से मेरे पेट को छूने लगीं। मुझे गुदगुदी सी हो रही थी, और मैं सपने में मुस्कुरा रही थी। धीरे-धीरे उनकी उंगलियाँ मेरी चूचियों तक पहुँचीं। मेरी साँसें तेज होने लगीं। उन्होंने मेरी नाइटी को धीरे से ऊपर उठाया और मेरे नंगे पेट को चूमने लगे। मेरी चूचियाँ उनकी हरकतों से और सख्त हो गई थीं। मैं सपने में पूरी तरह खो चुकी थी।
उनका एक हाथ मेरी नाइटी के अंदर गया और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाने लगा। “आह्ह…” मैंने हल्की सी सिसकारी भरी। फिर उन्होंने मेरी ब्रा को ऊपर खिसकाया और मेरे चुचूकों को अपनी उंगलियों से सहलाया। मेरी चूत में हल्की सी गीलापन महसूस होने लगा। सपने में मैं पूरी तरह उत्तेजित थी। उन्होंने मेरी नाइटी को पूरी तरह ऊपर उठा दिया और मेरी चूचियों को अपने मुँह में ले लिया। “उम्म… आह्ह…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। वो मेरे चुचूकों को चूस रहे थे, और उनकी जीभ मेरे निप्पलों को गोल-गोल चाट रही थी। मेरे पूरे बदन में सिहरन दौड़ रही थी।
उनका एक हाथ धीरे-धीरे मेरी पैंटी के पास पहुँचा। उन्होंने मेरी पैंटी को धीरे से नीचे खिसकाया और मेरी चूत को अपनी उंगलियों से छूना शुरू किया। मेरी चूत पहले से ही रस छोड़ रही थी। “आह्ह… शैलेश… और करो…” मैंने सपने में बड़बड़ाया। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत के होंठों को सहला रही थीं, और मैं पूरी तरह गीली हो चुकी थी। तभी उन्होंने मेरी टाँगें फैलाईं और अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रखा। उनका लंड गर्म और सख्त था। धीरे-धीरे वो उसे मेरी चूत में घुसाने लगे। “आह्ह… उफ्फ…” मैं सिसक रही थी। उनका लंड आधा अंदर गया, और मैं मजे से पागल हो रही थी।
तभी मेरी नींद अचानक टूटी। मेरी आँखें हल्की सी खुलीं, और मुझे लगा कि शैलेश मेरे ऊपर हैं। उनका लंड मेरी चूत में आधा घुसा हुआ था। मैंने राहत की साँस ली, लेकिन तभी मुझे याद आया कि मैं तो अपने घर पर नहीं, बल्कि बरेली के एक होटल में हूँ, और वो भी गोविन्द के साथ! मेरी आँखें पूरी तरह खुल गईं। मैंने देखा कि गोविन्द मेरे ऊपर था, उसका लंड मेरी चूत में था, और वो धीरे-धीरे धक्के मार रहा था। “हाय राम! ये क्या!” मैंने मन ही मन सोचा।
मेरी नाइटी कमर तक ऊपर थी, मेरी ब्रा ऊपर खिसकी हुई थी, और मेरी पैंटी घुटनों तक नीचे थी। गोविन्द ने मेरी गहरी नींद का फायदा उठाया था। उसका लंड, जो करीब 7 इंच लंबा और मोटा था, मेरी चूत में आधा घुसा हुआ था। मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या करूँ। अगर मैं चिल्लाती, तो आसपास के लोग जमा हो जाते। होटल वाला पूछता कि मैं अपने “पति” की शिकायत क्यों कर रही हूँ, क्योंकि रजिस्टर में तो हमने पति-पत्नी लिखवाया था। मैं असमंजस में थी। तभी गोविन्द ने एक और धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। “आह्ह… उफ्फ…” मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई।
मैंने सोचा, अब जब इतना हो चुका है, तो बाकी भी हो जाने दो। बाद में देखा जाएगा। मैंने अपनी आँखें हल्की खुली रखीं और चुपचाप पड़ी रही। गोविन्द अब जोर-जोर से धक्के मार रहा था। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था। “उम्म… आह्ह…” मेरी सिसकारियाँ बेकाबू हो रही थीं। उसने मेरी चूचियों को अपने हाथों में लिया और उन्हें जोर-जोर से मसलने लगा। “कामिनी, तेरी चूत कितनी टाइट है… उफ्फ… मजा आ रहा है,” उसने धीरे से कहा। मैं चुप रही, लेकिन मेरे बदन ने जवाब देना शुरू कर दिया। मैंने अपनी टाँगें और फैला दीं, ताकि उसे चोदने में आसानी हो।
गोविन्द ने अब अपनी रफ्तार बढ़ा दी। उसका लंड मेरी चूत में बार-बार अंदर-बाहर हो रहा था। “पच… पच…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। मेरी चूत पूरी तरह गीली थी, और हर धक्के के साथ मेरा बदन काँप रहा था। उसने मुझे पलटा और मुझे घोड़ी बनाया। “कामिनी, तेरी गांड कितनी मस्त है,” उसने कहा और मेरी गांड पर एक हल्का सा थप्पड़ मारा। फिर उसने अपना लंड पीछे से मेरी चूत में डाला और जोर-जोर से पेलने लगा। “आह्ह… गोविन्द… धीरे… उफ्फ…” मैं सिसक रही थी, लेकिन मुझे मजा भी आ रहा था।
उसने मेरी कमर पकड़ी और मुझे ताबड़तोड़ चोदने लगा। मेरी चूचियाँ हवा में लटक रही थीं, और वो उन्हें पकड़कर मसल रहा था। “तेरी चूत का रस तो जन्नत है,” उसने कहा और अपनी उंगलियों से मेरी चूत के दाने को सहलाया। मैं पागल हो रही थी। “आह्ह… उफ्फ… और जोर से…” मैंने बड़बड़ाया। वो और तेज हो गया। करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद उसने मुझे फिर से सीधा किया और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और अपना लंड मेरी चूत में गहरे तक डाला। “पच… पच… फच…” की आवाजें तेज हो गईं।
मैं अब पूरी तरह उत्तेजित थी। “गोविन्द… और तेज… मेरी चूत फाड़ दो…” मैंने बेकाबू होकर कहा। उसने मेरी चूचियों को चूसा और मेरे होंठों को चूमने लगा। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं भी उसे चूम रही थी। तभी मुझे लगा कि मेरा पानी छूटने वाला है। “आह्ह… उफ्फ… मैं झड़ रही हूँ…” मैंने सिसकते हुए कहा। मेरी चूत ने रस छोड़ दिया, और उसी वक्त गोविन्द का लंड भी फट पड़ा। उसका गर्म पानी मेरी चूत में भर गया। “उम्म… आह्ह…” हम दोनों एक साथ झड़ गए।
जैसे ही उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला, मैंने नींद खुलने का नाटक किया। “हाय राम! ये क्या! मैं नंगी कैसे हूँ? गोविन्द, तुमने मेरे साथ जबरदस्ती की?” मैंने गुस्से में कहा। गोविन्द घबरा गया और हाथ जोड़कर बोला, “भाभी, मुझे माफ कर दो। शराब के नशे में मैंने गलती कर दी। तुम्हारी खूबसूरती देखकर मैं खुद को रोक नहीं पाया। प्लीज, किसी को मत बताना, वरना मैं बर्बाद हो जाऊँगा।”
मैंने गुस्सा दिखाते हुए कहा, “तुमने मेरी इज्जत लूट ली, गोविन्द! मैं नींद में थी, और तुमने इसका फायदा उठाया!” मैं ये नहीं दिखा सकती थी कि मैंने भी इस चुदाई का मजा लिया था। मैंने तुरंत प्रियंका को फोन लगाया और सारी बात बताई। वो सुनकर आगबबूला हो गई। “गोविन्द को इसकी सजा मिलेगी, वरना मैं उसे तलाक दे दूँगी!” उसने गुस्से में कहा और फोन काट दिया।
थोड़ी देर बाद शैलेश का फोन आया। उसने बताया कि प्रियंका ने उसे बुलाया है। मैं सोच में पड़ गई कि अब क्या होगा। बरेली से वापस आने के बाद प्रियंका ने मुझे बताया कि उसने शैलेश को सब कुछ बता दिया था। उसने शैलेश से कहा, “गोविन्द को सजा मिलनी चाहिए। तुम मेरे साथ वही करो जो गोविन्द ने कामिनी के साथ किया। इससे हमारा बदला पूरा होगा।” शैलेश ने प्रियंका के साथ पूरी रात चुदाई की, और गोविन्द को उसकी गलती की सजा दी।
शैलेश ने मुझे दिलासा दिया कि इसमें मेरी कोई गलती नहीं थी, क्योंकि मैं तो नींद में थी। उन्होंने कहा कि अब गोविन्द से भी उनकी कोई शिकायत नहीं है। लेकिन प्रियंका का बदला अभी पूरा नहीं हुआ था। वो अक्सर हमारे घर आती और शैलेश के साथ चुदाई करती। मुझे भी अजीब सा सुकून मिलता था कि गोविन्द अब तक अपनी गलती की सजा भुगत रहा है।
क्या आपको लगता है कि प्रियंका का बदला सही था? क्या कामिनी को गोविन्द की गलती को माफ कर देना चाहिए था? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएँ।