हिंदू से चुदाई

दोस्तों, मैं राजेश हूँ। उम्र 25 साल, दिल्ली का रहने वाला, 6 फुट का कद, गठीला बदन, और थोड़ा शरारती स्वभाव। ये कहानी जो मैं लिख रहा हूँ, बिल्कुल सच्ची है। इसे मैं अपनी मुस्लिम चुदक्कड़ दोस्त आयशा के कहने पर बता रहा हूँ। आयशा और उसके घर की औरतों की चूत मैंने चोदी है, और ये कहानी मैं आयशा की ज़ुबानी लिख रहा हूँ। अगर कोई मुस्लिम चूत मुझसे चैट करना चाहे, तो मेरा ईमेल है – [email protected]

सबसे पहले हिंदू लंडों को मेरा इज़्ज़त भरा सलाम और मुस्लिम चूतों को मेरा प्यार भरा सलाम। मैं, आयशा बिन्ते जुनैद, 19 साल की, गोरी, 34D के भारी चूचे, मोटी गांड, और लंबी टाँगें, जो बुर्के में भी छुप नहीं पातीं। मेरी छोटी बहन ज़ैनब, 18 साल की, मेरी तरह गोरी, 34C के चूचे, और थोड़ी ज़्यादा शरमाती, लेकिन अंदर से उतनी ही चुदक्कड़। हमारा भाई वकार, 21 साल का, लंबा, गुस्सैल, और परिवार की इज़्ज़त का ठेकेदार। हमारे अब्बू जुनैद, 55 साल के, सख्त धार्मिक, दाढ़ी और टोपी वाले। अम्मी रज़िया, 43 साल की, अभी भी जवानी बरकरार, लेकिन घर में सख्ती का माहौल रखती हैं। हम दिल्ली की एक तंग बस्ती में रहते हैं, जहाँ हर गली में नज़रें और कान खुले रहते हैं।

ये कहानी तब की है जब मैं और ज़ैनब मदरसे में आलिमा का कोर्स कर रहे थे। हमें जल्द ही उस्तानी की सनद मिलने वाली थी। हमारे घर का माहौल बहुत सख्त था। अब्बू की एक नज़र ही हमें चुप करा देती थी, लेकिन हम बहनें अपनी शरारतें छुपाकर करती थीं।

एक सुबह, मैं और ज़ैनब बुर्का पहनकर मदरसे जा रहे थे। हमारा मदरसा दिल्ली की एक पुरानी गली में था, जहाँ पुरानी हवेलियाँ और तंग रास्ते थे। हर रोज़ की तरह हम मस्ती कर रहे थे, एक-दूसरे को छेड़ते हुए। हमें शौक था कि लड़के हमें देखें, छेड़ें, और गंदी-गंदी गालियाँ दें। इसीलिए हमने टाइट बुर्के पहने थे, जो हमारी 34D और 34C की चूचियों और भारी गांडों को साफ़ दिखाते थे। मेरी गांड 36 इंच की थी, और ज़ैनब की 34 इंच, जो चलते वक्त मटकती थी। हम जानबूझकर धीमे चलते, ताकि लोग हमें घूरें।

उस दिन, गली में कुछ लड़के हमारे पीछे पड़ गए। राजेश, 25 साल का, लंबा, गठीला, और शरारती मुस्कान वाला। ओमेश, 24 साल का, पतला लेकिन चालाक। और रामू, 26 साल का, काला, मज़ाकिया, और ड्राइवर। राजेश ने अपना फोन निकाला और हमारी गांड की तस्वीरें लेने लगा। मैंने ज़ैनब को आँख मारी, और हमने और ज़्यादा मटकना शुरू कर दिया। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और ज़ैनब की गांड हर कदम पर लहरा रही थी। “हाय भगवान, ये मुस्लिम माल क्या चीज़ हैं!” राजेश ने अपने दोस्तों से कहा। मैंने पीछे मुड़कर देखा और हल्के से मुस्कुराई।

वो धीरे-धीरे हमारे करीब आने लगे। हमने तेज़ चलना शुरू किया, लेकिन हमारी गांड को बुर्के से छुपाना मुश्किल था। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और ज़ैनब की साँसें तेज़ हो रही थीं। “बाजी, ये लोग तो पास आ रहे हैं,” ज़ैनब ने डरते हुए कहा। “चल, और मज़ा लेते हैं,” मैंने शरारती लहजे में जवाब दिया।

एक सुनसान गली में पहुँचते ही राजेश ने आगे बढ़कर मेरा नकाब खींच लिया। मेरा गोरा चेहरा सामने आया, और उसकी आँखें फटी रह गईं। “हाय भगवान! ये मुस्लिम लड़कियाँ क्या चीज़ होती हैं यार! अब तक जितनी चोदी, सारी कमाल थीं!” उसने कहा। मैं और ज़ैनब हँस पड़े। मेरी हँसी देखकर राजेश ने हिम्मत की और मेरी गांड पर हाथ रख दिया। “उफ्फ, अल्लाह!” मैंने धीमी आवाज़ में कहा, लेकिन मेरी चूत गीली होने लगी थी। उसने मेरे 36 इंच के चूतड़ को ज़ोर से पकड़ा और मेरे साथ चलने लगा। मेरी साँसें तेज़ हो गईं। मैंने आसपास देखा और तेज़ चलने लगी, डर था कि कोई देख न ले।

राजेश ने मेरी गांड पर एक ज़ोरदार थप्पड़ मारा। “उईईई!” मेरी चीख निकली। “भागती कहाँ है, मेरी मुस्लिम रंडी जान?” उसने हँसते हुए कहा। मैं मुस्कुराई और कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी वकार भाई वहाँ से गुज़रते हुए दिखे। उन्होंने मुझे राजेश के साथ देख लिया। “ये क्या हो रहा है?!” वो चिल्लाए और राजेश की तरफ दौड़े। लेकिन राजेश, ओमेश, और रामू तीनों थे। उन्होंने वकार को पकड़ लिया और मारना शुरू कर दिया। वकार ज़मीन पर गिर पड़ा, बेहोश।

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मैं और ज़ैनब घबरा गईं। “प्लीज़, हमारे भाई को छोड़ दो!” मैंने हाथ जोड़कर कहा। मेरी चूत गीली थी, लेकिन दिल में डर भी था। राजेश ने शरारती लहजे में कहा, “ठीक है, लेकिन एक शर्त है। कल तुम दोनों नंगी होकर, सिर्फ़ बुर्का पहनकर मदरसे जाओगी। तभी इसे छोड़ेंगे।” ज़ैनब का चेहरा शर्म से लाल हो गया। मैंने उसकी तरफ देखा, मेरी साँसें तेज़ थीं। “ठीक है,” मैंने धीरे से कहा। उन्होंने हमारे साथ तस्वीरें खींचीं, सबूत के तौर पर, और वकार को अस्पताल छोड़ आए।

अगली सुबह, मैं और ज़ैनब उठे। मैंने एक काला टाइट बुर्का चुना, जिससे मेरी चूचियाँ और गांड साफ़ दिखें। ज़ैनब ने नीला बुर्का पहना, लेकिन अंदर कुछ नहीं। उसकी गोरी टाँगें बुर्के के नीचे से झाँक रही थीं। “बाजी, ये ठीक है ना?” ज़ैनब ने डरते हुए पूछा। “शरमा मत, मेरी रंडी बहन। ये तो हमारी फितरत है,” मैंने हँसते हुए कहा।

हमने नाश्ता बनाया और अब्बू और वकार को परोसा। बुर्के के अंदर नंगी होने की वजह से मेरे बदन में एक अजीब-सी मस्ती थी। मैं चाहती थी कि बुर्का उतारकर नाश्ता दूँ, लेकिन खुद को रोका। वकार ने कहा, “रुक्को, मैं तुम्हें मदरसे छोड़ दूँगा।” हमारी साँस अटक गई। “कहीं हमारा जिस्म दिख तो नहीं रहा?” ज़ैनब ने डरते हुए कान में कहा। मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया।

वकार आगे-आगे चला, और हम पीछे। गली में कोई नहीं था। मैंने शरारत की और ज़ैनब का बुर्का पीछे से ऊपर उठा दिया। उसकी गोरी 34 इंच की गांड नंगी हो गई। “उईई!” वो हड़बड़ाई और बुर्का नीचे किया। मैं बिना आवाज़ हँसने लगी। ज़ैनब मुझे “कुत्ती, कमीनी” बोल रही थी, और मैं फख्र से सीना तानकर चल रही थी।

हम उस जगह पहुँचे जहाँ कल राजेश और उसके दोस्त थे। वो तीनों वहाँ खड़े थे। उनकी नज़रें हमारी गांड पर थीं। मैंने और ज़ैनब ने अपनापन दिखाते हुए हाथ जोड़कर माफी माँगी। उन्होंने इशारा किया कि बुर्का ऊपर उठाओ। हमारी शक्लें रोने जैसी हो गईं, लेकिन चूत में गुदगुदी हो रही थी। हमने ना का इशारा किया। वो हमारी तरफ भागे। “बाजी, अब क्या करें?” ज़ैनब ने डरते हुए कहा। मैंने कहा, “पीछे आओ, लेकिन दूर से। वकार को शक न हो।”

मदरसे का गेट करीब था। वकार अंदर चले गए। हमने पीछे मुड़कर देखा और शरारती अंदाज़ में बुर्के कमर तक उठाए। हमारी गोरी-गोरी गांडें सड़क पर नंगी थीं। राजेश, ओमेश, और रामू का मुँह खुला रह गया। उनके हाथ अपने लंड पर चले गए। हम हँसते हुए अंदर भागे, गांड खुली रखकर। उस्ताद जी को सलाम किया, तब तक हमारी गांड नंगी थी। जैसे ही उन्होंने वालेकुम सलाम कहा, हमने बुर्का नीचे किया।

मैंने दरवाज़ा बंद करना चाहा, तभी राजेश भागता हुआ आया। उसने अपनी पैंट से एक लिफाफा निकाला और मेरे हाथ में थमा दिया। फिर दरवाज़े के अंदर हाथ डालकर मेरे 34D के चूचे को ज़ोर से पकड़ा। “अपने हिंदू मालिक को अपनी चूत का दरवाज़ा दिखा, रंडी जान!” उसने कहा। मैंने देखा, वकार उस्ताद जी से बात कर रहे थे। मैंने शरारती अंदाज़ में बुर्का चूत तक उठाया। मेरी गीली चूत नज़र आई। राजेश ने वीडियो कैमरा ऑन किया। “उफ्फ, ये तो मदरसे की चूत है!” वो बोला। मैंने जूती सीधी करने के बहाने झुककर अपने चूचे दिखाए। ज़ैनब मुस्कुरा रही थी। फिर राजेश चला गया।

हमारा तिलावत का मन नहीं था। मैंने लिफाफा खोला। ज़ैनब उत्साहित थी। “क्या हुआ, मेरी शरीफ रंडी बहन?” मैंने छेड़ा। “बाजी, आप रंडी बन सकती हैं तो मैं क्यों नहीं?” वो हँसी। लिफाफे में लिखा था: “रंडी बनना है तो मदरसे के दूसरे कमरे में आओ। छत अभी नहीं बनी। नंगी होकर नकाब पहनकर आओ। कोई कपड़ा पहना तो वापस भेज देंगे। बुर्का हाथ में लाना।”

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मेरी और ज़ैनब की चूत पानी-पानी हो गई। मैं उठी। “नंगी कैसे?” ज़ैनब ने डरते हुए कहा। “तुझे नहीं आना तो मैं अकेली संभाल लूँगी,” मैंने शरारती अंदाज़ में कहा। वो तुरंत उठ खड़ी हुई। हमने उस्ताद जी से कहा, “दोस्त के घर कुरान ख्वानी है।” उन्होंने शाबाश दी। हम उनके पाँव छुए, हमारे चूचे उनके सामने आए। वो हैरान रह गए। हम चटियाँ उछालते बाहर निकले।

मदरसे के बाहर हमने बुर्के उतारे। ज़ैनब की जान निकल रही थी। हमने अपनी चूत और गांड नंगी की और बुर्का हाथ में लिया। भागते हुए मदरसे के पीछे गए, जहाँ कोई नहीं आता था। रास्ते में एक शख्स दिखा, सिर झुकाए। हम दीवार के पास छुप गए। वो गुज़र गया। हम फिर भागे।

वहाँ राजेश, ओमेश, और रामू थे। “आओ, मेरी मुस्लिम चिनालें!” राजेश ने कहा। हमने नकाब पहना, बदन नंगा। सलाम किया। राजेश ने मेरे बाल पकड़े और मेरा मुँह अपनी पैंट पर लंड वाली जगह ले गया। “उफ्फ!” मैं सिसकारी। उसने मेरी गांड पर हाथ फेरा। “आयशा रंड, तेरा हिजड़ा भाई कहाँ है?” उसने मेरी गांड में उंगली डाली। “आह्ह!” मेरी चीख निकली। मेरी गांड ने उंगली जकड़ ली। “वो उस्ताद जी के साथ है,” मैंने सिसकते हुए कहा।

ज़ैनब को ओमेश ने बालों से पकड़ा और किस किया। रामू उसकी गांड सहला रहा था। “उम्म्म… रामू… हाय!” ज़ैनब सिसकारी। ओमेश ने उसे कंधे पर बिठा लिया। वो नंगी थी, हिजाब भी नहीं। “प्लीज़, नीचे उतारो! लोग देख लेंगे!” ज़ैनब बिलबिलाई। “मैं वादा करती हूँ, बुलाओगे तो नंगी आऊँगी!” वो हँसे। रामू ने कहा, “राजेश, छोड़ दे।” ज़ैनब नीचे उतरी।

“तुम्हारा हिजड़ा भाई कहाँ है?” ओमेश ने पूछा। “मदरसे में,” ज़ैनब ने कहा। उनके चेहरे चमके। “रंडियों, मदरसे चलो!” राजेश ने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। “उईई!” मैं चिहुंकी। ज़ैनब ने पूछा, “बाजी, अब क्या करेंगे?” “हमारी चूतें और गांडें खुलेंगी,” मैंने हँसी। मदरसे में वकार ने कहा, “कहाँ थीं? तुम्हारी लिपस्टिक कैसे खराब हुई?” ज़ैनब घबरा गई। मैंने कहा, “अस्मा के घर गई थीं। गर्मी से लिपस्टिक खराब हो गई।” वो चला गया।

मैंने ज़ैनब को झंझोड़ा। “चिनाल बनना आसान नहीं,” मैंने कहा। “हिंदू मर्द खतरनाक काम करवाते हैं। मज़ा भी उसी में है।” ज़ैनब मुस्कुराई। “जब राजेश ने मुझे उठाया, डर लगा, लेकिन चाह थी कि कोई हिंदू सबके सामने मेरे साथ मनमानी करे।” हमारा मन नहीं लगा, तो बहाना बनाकर बाहर निकले।

बाहर एक कार रुकी। राजेश, ओमेश, और रामू थे। ओमेश ने हमें बिठाया। कार में राजेश ने मुझे गोद में लिया। “उम्म्म… राजेश…” मैं सिसकारी। उसने मेरा बुर्का ऊपर किया और मेरी चूत सहलाई। “आह्ह… कितनी गीली है!” वो बोला। उसने मेरी चूत में दो उंगलियाँ डाली। “उईईई!” मैं चिल्लाई। ज़ैनब ओमेश की गोद में थी। “हाय अल्लाह, ये लंड तो मूसल है!” वो हँसी। ओमेश ने उसका बुर्का उतारा और चूत में उंगली डाली। “उम्म्म… धीरे!” ज़ैनब सिसकारी।

रामू ने कार सुनसान जगह रोकी। “अब असली मज़ा!” उसने कहा। मैं और ज़ैनब नंगी थीं, सिर्फ़ नकाब पहने। राजेश ने मेरे 34D के चूचे पकड़े। “क्या माल है!” उसने मेरे निप्पल चूसे। “आह्ह… राजेश… उफ्फ!” मैं तड़प रही थी। उसने मेरी चूत पर जीभ फिराई। “उईईई… कितना मज़ा!” मेरी चूत टपक रही थी। उसने अपना 8 इंच का लंड निकाला, सख्त और गर्म। मेरी चूत पर रगड़ा। “प्लीज़… डाल दो!” मैं मिन्नत कर रही थी।

“थप!” उसने एक धक्का मारा। “आआआह्ह!” मेरी चीख निकली। उसका लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया। “उफ्फ… कितना मोटा है!” मैं सिसकारी। “थप-थप-थप!” धक्कों की आवाज़ गूँजी। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। “ज़ोर से, राजेश… फाड़ दो मेरी चूत!” मैं चिल्लाई। उसने रफ्तार बढ़ाई। “उम्म्म… आह्ह!” मेरी साँसें रुक रही थीं।

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ज़ैनब को ओमेश ने लिटाया। उसने उसकी चूत चाटी। “उईईई… ओमेश… हाय!” ज़ैनब तड़प रही थी। रामू ने अपना 9 इंच का लंड ज़ैनब की गांड पर सेट किया। “प्लीज़… धीरे!” वो डर रही थी। “थप!” रामू ने धक्का मारा। “आआआह्ह!” ज़ैनब चीखी। “अल्लाह… फट गई!” उसका आधा लंड अंदर था। “थप-थप!” उसने पूरा पेल दिया। “उईईई… रामू… आराम से!” ज़ैनब की सिसकारियाँ मज़े में बदल गईं। “ज़ोर से… और ज़ोर से!” वो चिल्लाई। ओमेश ने उसका मुँह अपने लंड से भरा। “ग्लक-ग्लक!” ज़ैनब चूस रही थी।

तभी वकार आया। “ये क्या?!” वो चिल्लाया। राजेश ने कहा, “भाई, मज़ा ले रहे हैं। तू भी आजा!” वकार की आँखें मेरी नंगी गांड पर थीं। “कहाँ से पकड़ीं ये चिनालें?” उसने पूछा। “तेरे मदरसे से,” रामू ने कहा। वकार शॉक्ड था। मैं राजेश का लंड चूस रही थी। “ग्लक-ग्लक!” मेरी आवाज़ गूँजी। ज़ैनब ओमेश का लंड गले तक ले रही थी।

रामू ने कहा, “वकार, मेरा लंड इसकी गांड में डाल दे!” वकार हिचकिचाया। “ये मुस्लिम लड़की है, मैं कैसे…?” राजेश ने कहा, “अरे, ये तेरी बहन थोड़ी है! मज़ा ले!” वकार ने रामू का लंड पकड़ा और ज़ैनब की गांड पर सेट किया। “किसी को मत बताना,” उसने कहा। “थप!” लंड आधा घुसा। “आआआह्ह!” ज़ैनब चीखी। “भाई… आराम से!” रामू ने एक और धक्का मारा। “उईईई… फट गई!” ज़ैनब बिलबिलाई। वकार ने उसकी गांड चाटी, लुब्रिकेट किया। “थप-थप!” रामू ने ज़ोर से पेला। “उम्म्म… और!” ज़ैनब चिल्लाई।

राजेश ने कहा, “वकार, इसे भाई बुला सकती हैं?” वकार हँसा। “हाँ, लेकिन सिर्फ़ चुदाई तक!” ओमेश ने ज़ैनब की गांड पर थप्पड़ मारा। “उईई!” वो चीखी। “बोल, भाई से लंड डलवाओ!” ज़ैनब बोली, “भाईईई… अपने हिंदू यार का लंड मेरी गांड में डाल दो… उफ्फ!” रामू ने ज़ोरदार धक्का मारा। “आआआह्ह!” ज़ैनब की चीख गूँजी। “अल्लाह… मर गई!” उसकी गांड लाल थी। “थप-थप-थप!” धक्कों की आवाज़ तेज़ थी। “ज़ोर से, रामू… फाड़ दो!” ज़ैनब मज़े ले रही थी।

वकार ने वीडियो कैमरा लिया। मेरी नंगी गांड रिकॉर्ड हो रही थी। मैं राजेश का लंड चूस रही थी। “ग्लक-ग्लक!” मेरी चूत टपक रही थी। ओमेश ने कहा, “वकार, इसे चोद!” वकार ने मेरी चूत पर लंड रगड़ा। “आह्ह… भाई… डाल दो!” मैंने मिन्नत की। “थप!” उसका 7 इंच का लंड मेरी चूत में घुसा। “उईईई… कितना मोटा है!” मैं चिल्लाई। “थप-थप!” वो ज़ोर-ज़ोर से पेल रहा था। “आह्ह… भाई… और ज़ोर से!” मेरी चूचियाँ उछल रही थीं।

रामू ने ज़ैनब की गांड में ज़ोरदार धक्के मारे। “उम्म्म… रामू… हाय!” वो झड़ रही थी। ओमेश ने उसके मुँह में झड़ दिया। “पी जा, रंडी!” ज़ैनब ने निगला। वकार ने मेरी चूत में माल छोड़ा। “आह्ह… भाई… कितना गर्म है!” मैं सिसकारी। राजेश ने मेरी गांड में लंड डाला। “उईईई… फट गई!” मैं चीखी। “थप-थप!” वो पेलता रहा। “आयशा… ले मेरा माल!” वो मेरी गांड में झड़ गया।

“भाई, मुझे आयशा समझकर चोदो!” मैंने कहा। ज़ैनब बोली, “मुझे भी अपनी बहन समझो!” सब हँसे। हमारी चुदाई की वीडियो बन रही थी। “उफ्फ… कितना मज़ा!” ज़ैनब सिसकारी।

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