Randi Maa ki chudai हाय दोस्तों, आज मैं जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरी माँ वंदना और हमारे मोहल्ले के सबसे बड़े गुंडे की है। मेरी माँ का नाम वंदना है, उनकी उम्र 44 साल है, रंग गोरा, कद 5 फीट 4 इंच, और फिगर 38-36-40 का है। उनकी भारी-भरकम गांड और बड़े-बड़े चूचे किसी का भी ध्यान खींच लेते हैं। मैं, रवि, उस वक्त 18 साल का था, 12वीं में पढ़ता था, और मुझे दारू पीने की बुरी लत लग चुकी थी। मेरे दोस्त ने एक दिन मुझे एक आदमी से मिलवाया और कहा, “इससे दोस्ती कर, ये तुझे खूब दारू पिलाएगा।” मैं खुश हो गया, लेकिन मुझे क्या पता था कि ये दोस्ती मेरी माँ की जिंदगी को इस कदर बदल देगी। उस आदमी का नाम था रघु यादव, मोहल्ले का कुख्यात गुंडा। 6 फीट लंबा, काला रंग, हट्टा-कट्टा, और गालियों से भरी जुबान। उसकी आँखों में एक खतरनाक चमक थी, जो किसी को भी डरा दे।
बात दो साल पुरानी है। रघु से मेरी दोस्ती हो गई। वो मुझे अपने ग्रुप में ले गया, जहाँ दारू की बोतलें खुलती थीं और रातें गुलजार होती थीं। मैं उसकी गैंग में शामिल हो गया। वहाँ मुझे इतनी दारू मिलती कि मैं अपने आप को भूल जाता। एक दिन रघु ने मुझे बुलाया और गुस्से में बोला, “साले, मैं तुझे इतनी दारू पिलाता हूँ, और तूने कभी मुझे खाना तक नहीं खिलाया!” मैंने हँसते हुए कहा, “अरे रघु भाई, आज रात मेरे घर आ जाओ, माँ के हाथ का खाना खा लेना।” मुझे नहीं पता था क्यों, लेकिन वो तुरंत मान गया।
जब मैंने घर जाकर माँ को बताया कि रघु यादव आज खाने पर आएगा, तो माँ घबरा गईं। उन्होंने चिंता भरे लहजे में कहा, “बेटा, तू उस गुंडे से दूर रह। उसका नाम मार-धाड़, अपहरण, सबमें आता है। कहीं तू फँस न जाए।” मैंने हल्के से कहा, “माँ, टेंशन मत लो, वो दिल का अच्छा आदमी है।” माँ चुप रही, लेकिन उनकी आँखों में डर साफ दिख रहा था। फिर भी, उन्होंने रात के लिए खाना तैयार किया। माँ ने काले रंग की नाइटी पहनी थी, जिसमें उनकी भारी चूचियाँ और गोल-मटोल गांड उभरकर दिख रही थी। वो सचमुच माल लग रही थीं।
रात 9 बजे घंटी बजी। माँ ने दरवाजा खोला, सामने रघु यादव खड़ा था। उसने माँ को नाइटी में देखा और उसकी आँखें ठहर गईं। वो माँ को ऊपर से नीचे तक घूर रहा था, जैसे कोई भूखा शिकारी। माँ ने हल्की सी मुस्कान दी और उसे अंदर बुलाया। मैंने रघु को माँ से मिलवाया। उसने तारीफों के पुल बाँधते हुए कहा, “वंदना जी, आप तो बहुत खूबसूरत हैं।” माँ ने शरमाते हुए हँस दिया। खाना टेबल पर लगा। माँ जब खाना परोसने के लिए झुकीं, तो उनकी नाइटी की गहरी गले की वजह से उनकी चूचियों की गहरी खाई साफ दिख रही थी। रघु की नजरें वहीं टिकी थीं। मैंने देखा, लेकिन कुछ बोल नहीं पाया। माँ को देखकर लग रहा था कि वो जानबूझकर अपनी चूचियाँ दिखा रही थीं।
खाने के बाद रघु ने माँ से कहा, “वंदना जी, अगर कोई परेशानी हो तो मुझे जरूर बताना।” माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, “जरूर, रघु जी।” फिर वो चला गया। लेकिन उस दिन के बाद रघु का हमारे घर आना-जाना बढ़ गया। कई बार वो तब भी आता जब मैं घर पर नहीं होता। मुझे लगने लगा कि कुछ गड़बड़ है।
एक दिन रघु का फोन मेरे पास रह गया। उसमें व्हाट्सएप पर मैसेज आ रहे थे। मैंने सोचा, देखूँ तो सही ये करता क्या है। फोन खोला तो मेरे होश उड़ गए। मैसेज मेरी माँ के नंबर से थे। मैंने चैट खोली तो देखा कि माँ और रघु रात-रात भर बात करते थे। रघु माँ को “डार्लिंग” कहता था, और दोनों एक-दूसरे को किस इमोजी भेजते थे। चैट में माँ की ब्रा और पैंटी वाली तस्वीरें थीं, और रघु ने अपने लंड की तस्वीरें भेजी थीं। उसका लंड तस्वीर में 8 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा दिख रहा था, काला और भयानक। मैं सन्न रह गया। अब समझ आया कि रघु मेरे घर क्यों आता था। वो मेरी माँ को चोद रहा था।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था। मैंने माँ का फोन चेक किया। उसमें रघु का मैसेज था, “कल तेरा बेटा कॉलेज जाएगा, मैं 11 बजे आऊँगा।” माँ ने जवाब दिया, “ठीक है, जान। कल मुझे कुछ काम में मदद भी चाहिए।” मैंने सोचा, ये मौका है सच्चाई देखने का। अगले दिन मैं सुबह तैयार होकर निकला, लेकिन कॉलेज नहीं गया। मैं मोहल्ले में ही छिप गया। ठीक 11 बजे रघु मेरे घर पहुँचा। माँ ने दरवाजा खोला। वो काले ब्लाउज और पेटीकोट में थी, जिसमें उनकी चूचियाँ और गांड साफ उभर रही थी। रघु ने माँ की चूचियों को ऊपर से दबाया और अंदर चला गया। मैं चुपके से घर के पीछे वाले रास्ते से अंदर घुस गया।
मैंने देखा, माँ रघु को लेकर किचन में गई। रघु बोला, “वंदना डार्लिंग, तू मेरी रंडी है। तुझे चोदने का मजा कहीं और नहीं।” माँ ने हँसते हुए कहा, “पहले मेरे काम में मदद कर दो, फिर जो करना है करो।” माँ ने कहा कि उन्हें ऊपर से सामान उतारना है। माँ टेबल पर चढ़ीं, और रघु ने उनकी टाँगें पकड़ लीं। माँ सामान उतारकर रघु को दे रही थीं। तभी रघु का हाथ धीरे-धीरे माँ की गांड पर चला गया। उसने माँ की भारी गांड को जोर से दबाया। माँ ने हल्के से कहा, “रघु, अभी बदमाशी मत कर।” रघु बोला, “क्या करूँ, तेरी गांड इतनी मस्त है कि रहा नहीं जाता।” उसने माँ की गांड पर अपने दाँत गड़ा दिए। माँ ने हँसते हुए कहा, “तू नहीं मानेगा, चल, जो करना है कर।”
रघु ने माँ को अपनी बाहों में खींच लिया और उनके होंठों पर होंठ रख दिए। माँ ने लाल लिपस्टिक लगाई थी, जिससे रघु के होंठ भी लाल हो गए। दोनों करीब 10 मिनट तक एक-दूसरे को चूमते रहे। रघु के हाथ माँ की गांड पर घूम रहे थे, और वो जोर-जोर से दबा रहा था। माँ हल्के-हल्के सिसकारियाँ ले रही थी, “उम्म… आह…” फिर रघु ने माँ का ब्लाउज खोल दिया। माँ ने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। उनकी 38 साइज की चूचियाँ बाहर निकल आईं, गोल, भारी, और निप्पल्स सख्त। मैं देखकर सन्न रह गया। रघु पागलों की तरह माँ की चूचियों पर टूट पड़ा। वो एक चूची को चूस रहा था, और दूसरे को जोर-जोर से दबा रहा था। माँ की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह… रघु… धीरे… उफ्फ…” रघु ने माँ के निप्पल्स को दाँतों से हल्का सा काटा, जिससे माँ की चीख निकल गई, “हाय… मत काट…”
रघु ने माँ के पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया। पेटीकोट नीचे गिर गया, और माँ पूरी नंगी थी। उनकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, और वो गीली चमक रही थी। रघु ने माँ को दीवार के सहारे खड़ा किया और उनकी चूत पर अपनी जीभ रख दी। वो जोर-जोर से चाटने लगा। माँ की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह… उफ्फ… रघु… हाय… और चाट…” रघु ने माँ की चूत के दाने को चूसा, और माँ का शरीर काँपने लगा। वो बार-बार सिसक रही थीं, “उम्म… आह… हाय…” करीब 10 मिनट तक रघु ने माँ की चूत चाटी। माँ की टाँगें काँप रही थीं, और वो रघु के सिर को अपनी चूत में दबा रही थीं।
फिर माँ ने रघु का पैंट उतारा। उसका 8 इंच का काला, मोटा लंड बाहर निकला। माँ ने उसे हाथ में लिया और चूसने लगी। वो लंड को पूरा मुँह में ले रही थीं, और उनकी जीभ उसके टोपे पर घूम रही थी। रघु की सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आह… वंदना… तू तो रंडी से भी बढ़कर चूसती है…” माँ ने लंड को 15 मिनट तक चूसा, कभी धीरे, कभी तेज। रघु का लंड लार से चमक रहा था। फिर रघु ने माँ को उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया। उसने माँ की टाँगें फैलाईं और अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ा। माँ सिसक रही थीं, “रघु… डाल दे… अब और मत तड़पा…” रघु ने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका पूरा लंड माँ की चूत में समा गया। माँ की चीख निकली, “आह… हाय… धीरे…” लेकिन रघु रुका नहीं। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ माँ की चूचियाँ उछल रही थीं। कमरे में चुदाई की आवाजें गूँज रही थीं, “थप… थप… थप…” माँ की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह… उफ्फ… रघु… और जोर से… चोद मुझे…” रघु बोला, “साली, तू तो पक्की रंडी है… ले मेरा लंड…”
करीब 20 मिनट तक रघु ने माँ को उसी पोजीशन में चोदा। फिर उसने माँ को अपनी गोद में उठा लिया और खड़े-खड़े चोदने लगा। माँ की गांड हवा में थी, और रघु का लंड उनकी चूत में बार-बार अंदर-बाहर हो रहा था। माँ चिल्ला रही थीं, “हाय… रघु… मार डाला… आह…” रघु ने माँ को बिस्तर पर पटक दिया और बोला, “आज तेरी गांड भी मारूँगा।” माँ घबरा गईं, “नहीं रघु, मैंने बहुत दिन से गांड नहीं मरवाई… दर्द होगा।” रघु गुस्से में बोला, “चुप साली, आज तेरी गांड फाड़ दूँगा।” माँ डर गईं, लेकिन फिर हँसते हुए बोलीं, “ठीक है, जान, लेकिन धीरे करना।”
रघु ने माँ को घोड़ी बनाया। उसने माँ की गांड पर थूक लगाया और अपनी जीभ से चाटने लगा। माँ सिसक रही थीं, “उफ्फ… रघु… ये क्या कर रहा है…” रघु ने माँ की गांड का छेद फैलाया और अपना लंड अंदर डालने की कोशिश की। माँ चिल्ला उठीं, “हाय… मर गई… निकाल… बहुत दर्द हो रहा है…” रघु ने माँ की कमर पकड़कर एक थप्पड़ मारा और बोला, “चुप, रंडी, अब तो पूरा जाएगा।” उसने धीरे-धीरे अपना लंड माँ की गांड में डाला। माँ दर्द से कराह रही थीं, “आह… उफ्फ… धीरे… मार डाला…” लेकिन कुछ देर बाद माँ की गांड ढीली हो गई, और वो भी मजे लेने लगीं। रघु जोर-जोर से माँ की गांड मार रहा था। कमरे में फिर से चुदाई की आवाजें गूँज रही थीं, “थप… थप… थप…” माँ की सिसकारियाँ अब मजे में बदल गई थीं, “आह… रघु… और मार… उफ्फ…” करीब 25 मिनट तक रघु ने माँ की गांड मारी, और फिर उनकी गांड में ही झड़ गया। दोनों पसीने से लथपथ थे।
रघु ने माँ को बाहों में लिया और बोला, “वंदना, तू तो माल है। तेरे जैसी औरत मैंने नहीं देखी।” माँ ने हँसते हुए कहा, “बस कर, अब मेरे काम में मदद कर।” दोनों कुछ देर तक बिस्तर पर पड़े रहे, फिर रघु ने माँ की मदद की और चला गया।
उस दिन के बाद रघु का आना-जाना और बढ़ गया। कई बार वो अपने दोस्तों को भी साथ लाता। वो लोग माँ को रंडी की तरह चोदते। कभी-कभी तो माँ की गैंगबैंग भी होती। माँ को अब इसकी आदत हो गई थी, और वो भी मजे लेने लगी थीं। ये सिलसिला आज तक चल रहा है।
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