गर्लफ्रेंड की वर्जिन फ्रेंड की चुदाई

हाय दोस्तों, मेरा नाम राजवीर है। मैं 22 साल का हूँ, बी.टेक. कर रहा हूँ और ग्वालियर में रहता हूँ। मेरा रंग गोरा है, कद 5 फीट 10 इंच, और शरीर फिट है क्योंकि मैं जिम जाता हूँ। आज मैं आपको अपनी दूसरी सेक्स स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे साथ एक ऐसी लड़की के साथ हुई, जिसने मेरे होश उड़ा दिए। मेरे घर के पास एक लड़की रहती थी, नाम था संध्या। वो 18 साल की थी, अभी-अभी जवान हुई थी। उसका फिगर 32-26-34 था, छोटे-छोटे बूब्स, पतली कमर और गोल-मटोल गांड, जो टाइट कपड़ों में और भी उभर कर सामने आती थी। उसका रंग हल्का सांवला था, बड़ी-बड़ी आँखें और होंठ जैसे गुलाब की पंखुड़ियाँ। मेरी एक गर्लफ्रेंड थी, कनिका, 20 साल की, 34-28-36 का फिगर, गोरी, लंबे बाल और हंसी ऐसी कि कोई भी पिघल जाए। संध्या और कनिका बहुत अच्छी सहेलियाँ थीं।

संध्या को मेरे और कनिका के रिश्ते के बारे में सब पता था। मैं जब भी कनिका से मिलने जाता, संध्या को खबर रहती थी क्योंकि मैं कनिका के घर फोन उसी से करता था। कनिका और संध्या आपस में सब बातें शेयर करती थीं। कनिका ने संध्या को हमारे बीच हुए सेक्स की सारी डिटेल्स बता रखी थीं। मुझे ये बात बाद में पता चली, जब कनिका ने मुझे बताया कि संध्या मेरे और उसके सेक्स की कहानियाँ सुनकर उत्सुक हो जाती थी। मुझे लगा, संध्या के मन में भी सेक्स की चाहत जाग रही थी। वो अक्सर मेरे घर आती और मुझसे पूछती, “राजवीर भैया, आपने कल कनिका के साथ क्या किया?” मैं हंसकर टाल देता, “तुझे क्या काम है इन बातों से?” वो शरमाकर चली जाती, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक होती थी।

एक दिन मैं अपने घर में कुछ कॉलेज का काम कर रहा था। मम्मी को मार्केट जाना था, तो उन्होंने कहा, “राजवीर, मैं थोड़ी देर में आती हूँ। अगर चाय पीनी हो तो संध्या को बोल देना, वो बना देगी।” मैंने कहा, “ठीक है, मम्मी।” मम्मी के जाते ही संध्या फिर से मेरे घर आ धमकी। वो मेरे पास बैठकर बकबक करने लगी। मैंने कहा, “संध्या, अभी जा, मुझे काम करना है। बाद में आना।” लेकिन वो नहीं मानी। मैंने उसे दो-तीन बार कहा, फिर वो चली गई। थोड़ी देर बाद वो फिर आ गई और मुझे तंग करने लगी। मैं अपने कमरे में नोट्स बना रहा था, तभी उसने मेरा पेन छीन लिया और हंसते हुए कमरे में भागने लगी। मैंने उसे पकड़ने के लिए दौड़ लगाई। जैसे ही मैंने उसे पीछे से पकड़ा, मेरे हाथ उसके नरम, छोटे-छोटे बूब्स पर चले गए। मेरा लंड उसकी गांड से टच हो गया, जो टाइट लेगिंग्स में और भी उभरी हुई थी। उस पल में मेरा 7 इंच का लंड तन गया। कुछ सेकंड तक मैंने उसे वैसे ही पकड़े रखा। फिर उसने मुझे पेन वापस दिया और मैंने उसे छोड़ दिया। मैंने कहा, “चाय बना दे।” वो बोली, “ठीक है, भैया,” और किचन में चली गई।

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मैं सोच में पड़ गया। उसकी नरम गांड और बूब्स का स्पर्श मुझे पागल कर रहा था। मुझसे रहा नहीं गया। मैं धीरे से किचन में गया और उसके पीछे खड़ा हो गया। वो चाय बना रही थी। मैंने कहा, “क्या, अभी तक चाय नहीं बनी?” वो हड़बड़ा गई और मेरी तरफ देखने लगी। मैंने उसके करीब जाकर उसकी कमर पर हल्के से हाथ रखा। वो पीछे हटी और बोली, “भैया, क्या कर रहे हो?” मैंने कहा, “कुछ नहीं, बस चाय का इंतज़ार कर रहा हूँ।” वो समझ गई थी कि कुछ गड़बड़ है। उसने चाय दी और बोली, “भैया, मैं घर जा रही हूँ।” मैंने कहा, “रुक ना, चाय तो पीने दे।” वो रुक गई, लेकिन उसकी सांसें तेज चल रही थीं। मैं उसे अपने कमरे में ले गया। वो एक कोने में चुपचाप खड़ी हो गई, जैसे डर रही हो।

मैंने सोचा, अब मौका है। मैंने जानबूझकर कनिका की बात छेड़ी। मैंने पूछा, “संध्या, तूने कनिका से कोई बात की?” वो बोली, “नहीं, भैया।” मैंने कहा, “उसे फोन करके यहाँ बुला ले।” वो चौंकी, “क्यों, भैया? यहाँ क्यों?” मैंने कहा, “मम्मी घर पर नहीं हैं ना, इसलिए।” वो बोली, “ठीक है, मैं फोन करके आती हूँ।” मैंने उसे रोका, “रुक, मेरे पास बैठ।” वो धीरे-धीरे मेरे पास आई और बेड पर बैठ गई। मैंने पूछा, “कनिका तुझे क्या-क्या बताती है?” वो शरमाते हुए बोली, “कुछ नहीं, भैया।” मैं समझ गया कि वो डर रही है। मैंने कहा, “संध्या, तुझे मेरे और कनिका के सेक्स के बारे में सब पता है ना?” वो घबरा गई, “नहीं, भैया, मुझे कुछ नहीं पता, कसम से।” उसकी आवाज़ कांप रही थी। मैंने कहा, “कोई बात नहीं। तुझे कुछ जानना हो तो मुझसे पूछ लिया कर, कनिका से मत पूछना।” वो बोली, “क्यों, भैया?” मैंने कहा, “कहीं कनिका ने तेरी मम्मी को बता दिया तो?” उसने धीरे से हाँ में सिर हिलाया।

मैंने उससे पूछा, “तुझे अभी कुछ जानना है?” उसने मना किया, लेकिन मैंने उसे कनिका के साथ हुए सेक्स की एक पूरी कहानी सुना दी। पहले तो वो ना-ना करती रही, फिर धीरे-धीरे सुनने लगी। उसकी आँखों में उत्सुकता दिख रही थी। कहानी खत्म होने पर उसने कहा, “भैया, कोई और दिन की बात सुनाओ ना।” मैंने हंसकर कहा, “अब सुनाने का मन नहीं, करने का मन है।” वो एकदम खड़ी हो गई। मैंने उसे आगे से पकड़ लिया और उसके होंठों पर किस करने लगा। वो छटपटाने लगी, “भैया, छोड़ो, मैं चिल्ला दूँगी।” मैंने कहा, “चिल्ला, लेकिन पहले ये तो ले।” मैंने उसे अपने हाथों में उठाया और बेड पर लिटा दिया। मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके हाथ पकड़ लिए। वो बार-बार मना कर रही थी, लेकिन मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए। उसका विरोध धीरे-धीरे कम हो रहा था। मैंने एक हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़े और दूसरे हाथ से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया। वो चिल्लाई, “नहीं, भैया, ये गलत है।” लेकिन मैंने उसकी सलवार में हाथ डालकर उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। उसकी चूत गीली हो रही थी। मैंने धीरे-धीरे उसकी कुर्ती और सलवार उतार दी। अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।

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मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से उसके छोटे-छोटे बूब्स को दबाना शुरू किया। वो सिसक रही थी, “आह्ह… भैया, मत करो…” लेकिन उसकी सांसें तेज हो रही थीं। मैंने उसकी ब्रा उतार दी। उसके छोटे, नरम बूब्स मेरे सामने थे। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। वो कराह रही थी, “उह्ह… भैया… आह्ह…” मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला और उसकी चूत को सहलाने लगा। उसकी चूत पूरी तरह गीली थी। मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी। मैंने उसे कहा, “संध्या, मैं कनिका के साथ भी यही करता हूँ।” उसने अपनी आँखें खोलीं और बोली, “उसके बाद क्या करते हो, भैया?” मैं समझ गया कि वो अब पूरी तरह गरम हो चुकी है।

मैंने अपने कपड़े उतारे और तेल की शीशी ले आया। मेरा 7 इंच का लंड पूरी तरह तन चुका था। मैंने अपने लंड पर तेल लगाया और उसकी चूत पर भी तेल मला। उसकी चूत छोटी और टाइट थी। मैंने पूछा, “संध्या, लंड डालूँ?” वो शरमाते हुए बोली, “हाँ, भैया, डाल दो।” जैसे ही मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी चूत में डाला, वो चीख पड़ी, “आह्ह… ऊऊ… भैया, निकालो… बहुत दर्द हो रहा है!” मैंने कहा, “थोड़ा दर्द होगा, संध्या।” मैंने फिर से धीरे से लंड डाला। वो फिर चीखी, “नहीं… आह्ह… भैया, धीरे…” मैंने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया और धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगा। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड फंस सा रहा था। थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ और वो कराहने लगी, “आह्ह… उह्ह… भैया… और करो…” मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। हर धक्के के साथ उसकी चूत से “पच-पच” की आवाज़ आ रही थी। उसकी चूत से खून निकलने लगा, क्योंकि वो वर्जिन थी। वो चिल्ला रही थी, “मम्मी… आह्ह… भैया… निकालो…” लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने उसे कसकर पकड़ा और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। उसकी चूत गीली और गरम थी, और हर धक्के के साथ वो सिसक रही थी, “आह्ह… उह्ह… भैया… हाय… और करो…”

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मैंने उसे अलग-अलग पोजीशन में चोदा। पहले मिशनरी, फिर उसे उल्टा करके उसकी गांड ऊपर की और उसकी चूत में पीछे से लंड डाला। उसकी गांड इतनी नरम थी कि हर धक्के के साथ हिल रही थी। वो चिल्ला रही थी, “भैया… आह्ह… बहुत मज़ा आ रहा है… और जोर से…” मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। “पच-पच-पच” की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी। करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मेरा माल निकलने वाला था। मैंने लंड बाहर निकाला और उसकी पेट पर माल छोड़ दिया। वो हांफ रही थी, उसका चेहरा लाल था और वो पसीने से भीग चुकी थी। मैं उसके ऊपर ही लेट गया। थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला। उसकी चूत से खून और मेरे माल की मिलीजुली गंध कमरे में फैल गई थी।

उसने कहा, “भैया, मैं अब कभी आपसे नहीं चुदवाऊँगी। बहुत दर्द हुआ।” मैंने हंसकर कहा, “संध्या, पहले-पहल तो दर्द होता ही है। खून साफ कर और कपड़े पहन ले।” मैंने अपने कपड़े पहने और अपने काम में लग गया। थोड़ी देर बाद वो कमरे से बाहर आई, कपड़े पहन चुकी थी। वो बोली, “भैया, मैं जा रही हूँ।” मैंने कहा, “ठीक है, फिर कब आएगी?” उसने कहा, “जब टाइम मिलेगा।” अब वो पढ़ने के लिए बाहर चली गई है और मेरी जॉब दिल्ली में लग गई है।

आपको ये कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी चुदाई का मज़ा लिया है? नीचे कमेंट करके बताइए!

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