फूफी ने फड़वाई मुझसे अपनी बिटिया की कुंवारी फुद्दी

मेरा नाम सफी है दोस्तो, मैं 22 साल का एक हट्टा-कट्टा नौजवान हूँ। मेरा कद 5 फुट 10 इंच का है और बदन एकदम कसरती, जैसे जिम में घंटों पसीना बहाकर तराशा गया हो। मैं ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं हूँ, लेकिन अपना छोटा-मोटा धंधा चलाता हूँ। मोहल्ले में मेरा कपड़ों का ठेला है, जहाँ मैं दिनभर ग्राहकों से मोलभाव करता हूँ और रात को थककर घर लौटता हूँ। मेरा कुनबा बड़ा है, लेकिन सब अपने-अपने घरों में अलग-अलग रहते हैं। फिर भी, हमारे मोहल्ले में सबके घर पास-पास ही हैं। हर दूसरे दिन कोई न कोई रिश्तेदार घर पर आ धमकता है, और हंसी-मजाक से घर गुलजार रहता है।

मेरी रहीमा फूफी जान हमारे कुनबे की सबसे हसीन और बिंदास औरत हैं। उनकी उम्र 42 साल की है, लेकिन उनका गोरा रंग, भरा हुआ बदन, और वो चुलबुला अंदाज देखकर कोई कह ही नहीं सकता कि वो इतनी उम्र की हैं। उनकी आँखों में एक चमक है, और होंठों पर हमेशा एक शरारती मुस्कान। फूफी की बातें इतनी खुली और बेबाक होती हैं कि सुनने वाला या तो शरमा जाए या फिर उनका दीवाना हो जाए। वो बिना किसी हिचक के गंदी-गंदी बातें करती हैं, और उनके मुँह से “लंड”, “चूत”, “भोसड़ा”, “मादरचोद”, “बहनचोद” जैसे शब्द ऐसे निकलते हैं जैसे कोई रोजमर्रा की बात हो। मुझे उनकी ये बेशर्मी बहुत पसंद थी। मैं अक्सर उनके पास सिर्फ उनकी इन गंदी बातों को सुनने के लिए चला जाता था। कभी वो मुझे चाय पिलातीं, तो कभी हल्का-फुल्का नाश्ता करवातीं, और फिर शुरू हो जाता उनका गंदा मजाक।

फूफी का फिगर तो ऐसा है कि बस देखते ही लंड तन जाए। उनके बड़े-बड़े मम्मे ब्लाउज में जैसे कैद होने को तड़पते हों, और उनकी मटकती गांड हर कदम पर लचकती थी। जब वो साड़ी पहनकर घर में इधर-उधर घूमती थीं, तो उनकी कमर का उभार और गांड की गोलाई देखकर मेरा मन उनके पीछे पड़ जाता था। मैं रातों को उनकी नंगी तस्वीर अपने दिमाग में बनाता और सोचता कि काश एक बार उन्हें नंगी देख लूँ, उनके मम्मों को दबा लूँ, और उनकी गांड को सहला लूँ। उनका बदन इतना रसीला था कि मेरा लंड हर बार उनकी सोच में तन जाता था।

एक दिन मैं फूफी के घर गया। उस दिन उनका घर कुछ खाली-खाली सा था। फूफा अपने काम पर गए थे, और मोहल्ले की औरतें अपनी-अपनी गपशप में व्यस्त थीं। जैसे ही मैं अंदर दाखिल हुआ, उनकी देवरानी रुखसाना मुझसे टकरा गई। रुखसाना मोहल्ले में अपनी चुलबुलेपन और शरारतों के लिए मशहूर थी। उसकी उम्र फूफी से थोड़ी कम, शायद 35-36 साल, लेकिन बदन उतना ही मस्त और रसीला। मेरे और रुखसाना के बीच पहले से ही थोड़ा-बहुत छेड़खानी का खेल चलता था। कभी वो मेरा लंड पकड़ लेती, तो कभी मैं उसकी चूचियों को दबा देता। उस दिन भी उसने बिना वक्त गंवाए मेरा लंड पकड़ लिया और हँसते हुए बोली, “सफी, तू जानता है ना, तेरी फूफी जान बड़ी चुदक्कड़ है? गैर मर्दों के लंड से अपनी चूत की प्यास बुझाती है। बड़ी चालू चीज है तेरी फूफी!”

मैंने बनावटी हैरानी दिखाते हुए कहा, “अरे, मुझे तो ये सब पता ही नहीं था!”
वो बोली, “सँभल के रहना, कहीं तेरा लंड भी न पकड़ ले वो भोसड़ी वाली!”
मैंने हँसते हुए जवाब दिया, “मैं तो यही चाहता हूँ कि वो जल्दी से मेरा लंड पकड़ ले।”
रुखसाना ने आँख मारते हुए कहा, “अच्छा, तो फिर मैं कुछ ऐसा इंतजाम करूँगी कि वो तुझे कल खुद बुलाए और तेरा लंड पकड़ ले। वैसे, तुझे बता दूँ, तेरी फूफी मेरे शौहर का लंड भी अपनी चूत में लेती है।”
मैंने पूछा, “तो तुम क्या करती हो?”
वो हँस पड़ी, “मैं भी उसके शौहर का लंड अपनी चूत में लेती हूँ!”

रुखसाना की बातों ने मेरे दिमाग में आग लगा दी। अब मुझे फूफी की सारी करतूतें समझ आने लगी थीं। मैं मन ही मन उनकी इस बेशर्मी का दीवाना हो गया। सोचने लगा कि अगर फूफी इतनी चुदक्कड़ हैं, तो एक दिन मैं भी उनका भोसड़ा जरूर चोदूँगा। रुखसाना ने जाते-जाते एक शरारती नजर मारी और कहा, “कल तू तैयार रहना, सफी। तेरी फूफी तुझे जरूर बुलाएगी।”

अगले दिन सुबह मैं मोहल्ले में टहल रहा था। सूरज अभी पूरी तरह निकला नहीं था, और हल्की-हल्की ठंड थी। अचानक एक कोने में फूफी की बेटी सबा अपनी सहेली के साथ बात करती दिखी। सबा 20 साल की थी, एकदम टनाटन जवान, गोरी, और इतनी खूबसूरत कि उसका चेहरा और फिगर देखकर किसी का भी लंड तन जाए। उसका बदन कसा हुआ था, चूचियाँ गोल और उभरी हुई, और गांड इतनी मस्त कि बस मन करता था उसे पकड़कर चोद डालूँ। मैंने सोचा, क्यों न उनकी बातें सुन लूँ। मैं चुपके से एक दीवार के पीछे छिप गया और उनकी बातें सुनने लगा।

सबा अपनी सहेली से कह रही थी, “यार, मेरी अम्मी जान बड़ी चुदक्कड़ औरत है। कल रात मैंने उसे नंगी होकर चाचू का लंड चूसते देखा। फिर चाचू ने जब उसका भोसड़ा चोदा, तो मेरी चूत गीली हो गई। मैंने एक बार पहले भी अम्मी को गैर मर्द से चुदवाते देखा है।”
उसकी सहेली बोली, “अरे यार सबा, ऐसा तो हर घर में होता है। सबकी अम्मियाँ रात को गैर मर्दों के लंड लेती हैं। मैं तो हर रोज रात को अपने घर में यही देखती हूँ। अब तो मैंने भी धीरे-धीरे कुनबे के लंड लेना शुरू कर दिया है। मैं दो लंड का मजा ले चुकी हूँ।”

उनकी बातों ने मेरे लंड में आग लगा दी। मैंने ठान लिया कि एक दिन मैं सबा की कुंवारी फुद्दी में लंड जरूर पेलूँगा। उसकी बातों से पता चला कि वो भी चुदाई के लिए तड़प रही है, बस उसे सही लंड की तलाश है।

उसी दिन दोपहर को फूफी ने मुझे फोन किया और कहा, “सफी, दोपहर दो बजे मेरे कमरे में आ जा। कुछ जरूरी बात करनी है।” मैं खुशी से पागल हो गया। दिल धक-धक करने लगा, और मैं सोचने लगा कि रुखसाना ने जो कहा था, वो सच होने वाला है। मैं जल्दी से नहा-धोकर, अपनी सबसे अच्छी कमीज और पजामा पहनकर फूफी के घर पहुँच गया।

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मुझे देखते ही फूफी ने हँसकर कहा, “अरे सफी, आ जा! तू मेरे घर आता है और बिना मुझसे मिले चला जाता है। मुझे पता ही नहीं चलता कब आया और कब गया। आज मैंने तुझे एक खास मकसद के लिए बुलाया है।”
मैंने कहा, “जी फूफी जान, बताओ मुझे क्यूँ बुलाया है?”
वो बोली, “अरे बरखुरदार, सुना है तू मर्द हो गया है?”
मैंने जवाब दिया, “हाँ फूफी जान, मर्द तो हो गया हूँ मैं!”
वो हँसते हुए बोली, “पर मुझे कैसे मालूम कि तू मर्द हो गया है, बेटा सफी?”
मैंने कहा, “मैं कह तो रहा हूँ कि मर्द हो गया हूँ। यकीन करो न फूफी जान!”

फूफी ने शरारती अंदाज में कहा, “मर्द होने की पहचान मर्द के लंड से होती है, बेटा सफी। जब तक मैं तेरा लंड पकड़कर देख न लूँ, तब तक मुझे यकीन नहीं होगा कि तू मर्द हो गया है। मैं मर्दों को उनके लंड से पहचानती हूँ। इसलिए तू मुझे खोलकर दिखा अपना लंड, मैं पकड़कर देखूँगी तेरा लंड!”

बिना मेरे जवाब का इंतजार किए, फूफी उठीं और मेरी कमीज उतार दी। फिर मेरे पजामे का नाड़ा खोलने लगीं। मैं थोड़ा शरमाया और बोला, “ऐसे तो मैं नंगा हो जाऊँगा, फूफी जान!”
वो बोली, “नंगा करूँगी तभी तो लंड पकड़ूँगी। नंगा करके तेरा लंड पकड़कर देखूँगी। मर्द कभी शरमाता नहीं, बेटा सफी। तू बहनचोद क्यूँ शरमा रहा है?”
मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “ऐसा है तो फिर तुम भी नंगी हो जाओ न फूफी जान। मैं भी तुम्हें नंगी देखना चाहता हूँ।”

फूफी हँस पड़ीं और बोली, “तू भोसड़ी का बड़ा चालाक है। अच्छा, ले देख ले मेरे बड़े-बड़े दूध।”

उन्होंने अपना ब्लाउज खोलकर फेंक दिया। उनकी मस्तानी चूचियाँ मेरी आँखों के सामने छलक पड़ीं। वो इतनी बड़ी और रसीली थीं कि मैं उन्हें देखता ही रह गया। मैंने फौरन उन्हें दबोच लिया, अपने दोनों हाथों से उनकी चूचियों को मसलने लगा। उनकी चूचियाँ मुलायम, लेकिन भारी थीं, और उनके निप्पल काले और सख्त हो चुके थे। मैंने उन्हें जोर-जोर से दबाया, और फूफी के मुँह से हल्की सिसकारी निकल पड़ी।

इतने में मेरा पजामा नीचे गिर पड़ा, और मेरा लंड तनकर उनके सामने खड़ा हो गया। मेरा लंड 7 इंच लंबा और मोटा था, जैसे कोई लोहे का रॉड। फूफी ने मेरा लंड पकड़ा और चिल्लाई, “हायल्ला… क्या मस्त लौड़ा है तेरा, मादरचोद! तू सच में मर्द हो गया है। चूत क्या, भोसड़ा चोदने वाला हो गया है तेरा लंड, बेटा सफी! सच बताऊँ, तेरे फूफा के लंड से बड़ा है तेरा लंड, उससे ज्यादा मोटा है। मुझे नहीं मालूम था कि इतना बढ़िया लंड मेरे घर में ही है।”

फूफी ने मेरे लंड को कई बार चूमा, उसका सुपारा अपनी जीभ से चाटा, और बोली, “यार सफी, मैं तेरे लंड की गुलाम हो गई हूँ।” मैंने उनके बाल पकड़े और उनका मुँह अपने लंड पर दबा दिया। वो मेरे लंड को ऐसे चूसने लगीं जैसे कोई भूखी शेरनी मांस नोच रही हो। उनकी जीभ मेरे लंड के हर इंच पर घूम रही थी, और वो मेरे पेल्हड़ों को भी सहला रही थीं। मैं सातवें आसमान पर था।

तब तक मैंने फूफी की साड़ी और पेटीकोट खोलकर फेंक दिया। अब वो मेरे सामने एकदम नंगी थी। उनकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, और वो गीली होकर चमक रही थी। 42 साल की उम्र में भी फूफी का बदन इतना हॉट और सेक्सी था कि मैं पागल हो गया। मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी।

मेरा लंड काबू से बाहर हो रहा था। मैंने उन्हें सामने पड़ी कुर्सी पर बैठाया और खुद उनके सामने खड़ा हो गया। मैंने कहा, “सबसे पहले मैं आपके बड़े-बड़े मम्मे चोदूँगा, फूफी जान!”

मैंने अपना लंड उनकी चूचियों के बीच पेल दिया। फूफी ने अपने हाथों से चूचियों को दबाकर एक टाइट सुरंग बना दी। मेरा लंड उस सुरंग में अंदर-बाहर होने लगा, जैसे किसी चूत को चोद रहा हो। जब मेरा लंड ऊपर जाता, तो फूफी उसका सुपारा अपनी जीभ से चाट लेती। उनका ये शरारती अंदाज मुझे और जोश दिला रहा था। मैं उनकी चूचियों को और तेजी से चोदने लगा। अंग्रेजी में इसे टिट फकिंग कहते हैं, और मुझे इसमें जन्नत का मजा आ रहा था।

फूफी बोली, “हायल्ला, बड़ा मजा आ रहा है, बेटा सफी। इस तरह तो मेरे दूध आज तक किसी ने नहीं चोदे। मुझे बड़ा मजा आ रहा है। और चोद, खूब चोद इन्हें। आज पहली बार लंड मिला है इन्हें। लौड़ा पूरा पेल-पेल के चोद। शाबाश बेटा, तेरे लंड में बड़ी ताकत है। तू सच में बड़ा जबरदस्त मर्द बन गया है।”

उनकी बातें सुनकर मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मेरा लंड फट पड़ा। मेरा वीर्य उनकी चूचियों पर छलक गया, और फूफी ने मेरा झड़ता हुआ लंड चाट लिया। मैंने कहा, “माफ करना, फूफी जान, मैं जल्दी झड़ गया।”
वो बोली, “पहली बार ऐसा ही होता है, बेटा। चिंता न कर, दूसरी पारी में मेरा भोसड़ा बड़ी देर तक चोदेगा तू!”

मैं बाथरूम गया, लंड साफ किया, और वापस आकर बिस्तर पर लेट गया। थोड़ी देर बाद फूफी की बेटी सबा घर आई। वो कुछ ज्यादा ही मूड में थी, जैसे कोई शरारत करने के लिए तैयार हो। उसे नहीं पता था कि मैं बिस्तर पर लेटा हूँ। आते ही वो अपनी अम्मी से उलझ पड़ी और बोली, “अम्मी जान, मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ।”
फूफी बोली, “हाँ बोल, क्या कहना चाहती है तू, बेटी सबा?”

सबा बोली, “देखो, अब मैं पूरी तरह जवान हो गई हूँ, अम्मी जान। मुझे भी चाहिए लंड, लंड और लंड! मेरे कॉलेज में सारी लड़कियाँ लंड की बातें करती हैं, और मैं चूतिया बनी सुनती रहती हूँ, कुछ बोल ही नहीं पाती। लड़कियाँ मुझ पर हँसती हैं, कहती हैं कि सबा तो अभी बच्ची है। इसे तो दूध पीना आता है, लंड पीना अभी आता ही नहीं। इस तरह कॉलेज में मेरी खूब खिल्ली उड़ती है। समझ में आया, भोसड़ी वाली अम्मी जान?”

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फूफी ने पूछा, “तो लड़कियाँ लंड के बारे में क्या बातें करती हैं कॉलेज में?”
सबा बोली, “लंड की बातें करती हैं और क्या? लंड के साइज की बातें करती हैं। कोई कहती है मेरे भाईजान का लंड बड़ा मोटा है, कोई कहती है मेरे जीजू का लंड लोहे की तरह सख्त है, कोई कहती है मेरे अब्बू का लंड 9 इंच का है, कोई कहती है मैं आज अपने खालू का लंड पीकर आई हूँ। कोई कहती है मैंने कल अपने चचा जान से रातभर चुदवाया। लेकिन मेरे मुँह से कुछ निकलता ही नहीं क्योंकि मैंने आज तक कोई लंड पकड़ा ही नहीं। जल्दी से मुझे लंड पकड़ाओ, अम्मी जान, वरना मैं कुछ कर बैठूँगी। मैं और ज्यादा दिन इंतजार नहीं कर सकती।”

मैं बिस्तर पर लेटा-लेटा सब सुन रहा था। सबा की बातों ने मेरे लंड को फिर से तमतमा दिया। मैं सोचने लगा कि ये तो मेरे लिए मौका है। अगर फूफी ने सबा को मेरे हवाले कर दिया, तो मैं उसकी कुंवारी फुद्दी की सील तोड़ दूँगा।

शाम को मैं उठा तो फूफी ने मुझे चाय और नाश्ता दिया। वो बोली, “सफी, आज रात तू यहीं रहना, मेरे साथ ही सोना।”
मैंने कहा, “ठीक है, फूफी जान, मगर मैं अभी अपने काम से जा रहा हूँ। रात को 10 बजे आ जाऊँगा।”

मैं अपने ठेले पर चला गया, लेकिन मेरा दिमाग फूफी और सबा की बातों में ही उलझा रहा। मैं सोच रहा था कि रात को क्या होने वाला है।

रात 9 बजे फूफी और सबा आमने-सामने बैठी थीं। फूफी ने सबा से पूछा, “ये बता, तू भोसड़ी वाली सबा, तूने सच में अभी तक कोई लंड नहीं पकड़ा?”
सबा बोली, “पकड़ा तो है, पर ठीक से नहीं पकड़ पाई कोई भी लंड! पड़ोसी अंकल का लंड पकड़ा तो पकड़ते ही आंटी आ गई, और अंकल भाग गया। फिर एक दिन खाला के बेटे का लंड पकड़ा, पर चुदवा नहीं पाई क्योंकि वो भोसड़ी का मेरे हाथ में ही झड़ गया। मैं वैसे ही सूखी-साखी रह गई।”

फूफी बोली, “इसका मतलब तेरी कुंवारी फुद्दी की सील अभी टूटी नहीं है।”
सबा बोली, “बिल्कुल नहीं टूटी। जानती हो, अम्मी जान, मैंने दो बार तेरा भोसड़ा चुदते देखा है। सच बताऊँ, मेरी बुरचोदी अम्मी जान, तुझे तो अपनी चूत की परवाह है, मेरी चूत की नहीं।”
फूफी ने कहा, “अगर तूने मुझे गैर मर्द से चुदवाते देखा, तो फौरन मेरे पास आई क्यूँ नहीं? मेरी चूत से लौड़ा निकालकर अपनी चूत में लिया क्यूँ नहीं?”

सबा बोली, “मुझे डर लग रहा था और शरम भी आ रही थी।”
फूफी ने समझाया, “डरेगी तो जवानी का मजा नहीं ले पाएगी। शरमाएगी तो बिना लंड के रह जाएगी, पगली। जवानी का मजा लेना है तो लौड़ा लपककर बड़ी बेशर्मी से पकड़ लेना चाहिए। बोल्ड बनो, बेशरम बनो, गंदी-गंदी बातें करो और लौड़ा रंडियों की तरह लपककर पकड़ो। पहले अपनी माँ चोदो, फिर दुनिया की माँ चोदो।”

ये बातें मुझे बाद में पता चलीं।

रात 10 बजे मैं फूफी के घर पहुँच गया। हम तीनों ने एक साथ खाना खाया और बिस्तर पर आ गए। कमरा छोटा था, लेकिन बिस्तर बड़ा था, जिसमें हम तीनों आसानी से लेट सकते थे। फूफी ने माहौल गर्म करने में देर नहीं की। वो बोली, “सफी, तू सबा को कितना जानता है?”
मैंने कहा, “सबा तो एक बहुत अच्छी लड़की है। बड़ी सीधी-सादी है।”

फूफी हँस पड़ी और बोली, “ये भोसड़ी की सीधी-सादी नहीं है, बड़ी हरामजादी है, बदचलन है। मेरी चुदाई छुप-छुपकर देखती है। सबा की माँ का भोसड़ा!”
सबा ने तुरंत पलटवार किया, “अरे भाईजान, तेरी फूफी जान तो बड़ी चुदक्कड़ औरत है। पराये मर्दों के लंड खाती है।”

बस, इतने में ही महफिल गर्म हो गई। फूफी ने सबा का हाथ पकड़ा और मेरे पजामे में डाल दिया। वो बोली, “बेटी सबा, अब तू निकालकर दिखा मुझे अपने भाईजान का लंड। तू लंड-लंड चिल्ला रही थी, अब लंड तेरे हाथ में है।”

सबा ने बिना हिचक मेरा लंड बाहर निकाल लिया। मेरा लंड पहले से ही खड़ा था, जैसे कोई सैनिक सलामी देने को तैयार हो। सबा ने उसे देखा और चिल्लाई, “बाप रे बाप, इतना बड़ा लंड? इतना मोटा लंड तो पड़ोसी का भी नहीं था। मजा आ गया, अम्मी जान, इतना बड़ा लंड पकड़कर!”

उसने मेरे लंड को खूब चूमा, उसका सुपारा अपनी जीभ से चाटा, और उसे प्यार से सहलाने लगी। फूफी ने मौका देखकर सबा के कपड़े उतार दिए। अब सबा पूरी तरह नंगी थी। उसकी गोरी चूचियाँ, पतली कमर, और गोल गांड देखकर मेरा लंड और तन गया। फूफी ने भी अपने कपड़े उतार फेंके और वो भी नंगी हो गई।

अब माँ-बेटी दोनों नंगी होकर मेरा लंड चाटने लगीं। मैं तो पहले से ही नंगा था। दोनों मेरे लंड को बारी-बारी से चूस रही थीं। फूफी लंड का सुपारा चाटती, तो सबा मेरे पेल्हड़ों को चूस लेती। फिर सबा लंड को मुँह में लेती, तो फूफी मेरे पेल्हड़ों को सहलाती। दोनों मेरे लंड को एक-दूसरे के मुँह में घुसा रही थीं, जैसे कोई खेल खेल रही हों। मुझे अपार आनंद आ रहा था। माँ-बेटी को एक साथ लंड चटाने का ये मेरा पहला मौका था। दोनों बड़े शिद्दत और प्यार से मेरा लंड चूस रही थीं।

फूफी बोली, “बेटी सबा, तू तो बुरचोदी बड़ी अच्छी तरह लंड चाट लेती है। कहाँ से सीखा लंड चाटना?”
सबा बोली, “तुम्हें लंड चाटते देखा था न, बस तुम्हीं से सीख लिया मैंने, मेरी चुदक्कड़ अम्मी जान!”

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मुझे सबा की चूत बड़ी प्यारी लग रही थी। वो गुलाबी, गीली, और एकदम टाइट थी। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत चाटने लगा। मेरी जीभ उसकी चूत के दाने को सहलाने लगी, और वो सिसकारियाँ लेने लगी। फूफी मेरे लंड को चूस रही थी, और सबा मेरी जीभ से चूत चटवाने में मस्त थी।

मेरा माँ-बेटी को एक साथ चोदने का पहला मौका था। मेरा लंड एकदम ताव पर था। मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित था। सबा ने मेरे लंड को इतनी देर तक चूसा और चाटा कि मैं पागल हो गया। वो उसे घुमा-घुमाकर प्यार से देख रही थी। तभी फूफी बोली, “बेटा सफी, अब पेल दे तू सबा की बुर में अपना लंड। इसकी बुर अभी कुंवारी है। तोड़ दे इसकी चूत की सील। इसकी चूत पकी हुई है। चोद डाल इसकी पकी हुई बुर। मेरे सामने फाड़ मेरी बिटिया की बुर!”

मैं तो इसी इंतजार में था। फूफी भी अपनी बेटी की चुदाई देखना चाहती थी। वो जोश में थी। फूफी ने मेरा लंड पकड़ा और सबा की चूत पर टिका दिया। फिर उन्होंने मेरे चूतड़ों को जोर से दबाया, और मेरा लंड गच्च से सबा की चूत में घुस गया।

सबा चिल्ला पड़ी, “उई माँ, मर गई मैं… फट गई मेरी चूत! बड़ा मोटा है भाई का लंड, अम्मी जान! बड़ा दर्द हो रहा है। बड़ा बेरहम है भाई तेरा लंड! एक ही बार में पूरा घुसा दिया लंड तूने।”

फूफी बोली, “अभी तो तू लंड-लंड चिल्ला रही थी। अब लंड मिला तो माँ चुदने लगी तेरी? गांड फटने लगी तेरी? अब मामूल हुआ कि लंड क्या चीज है?”

मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। सबा की चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड उसमें फंस सा रहा था। मैंने उसकी चूत को हल्के-हल्के सहलाया, और फिर 10-12 बार लंड अंदर-बाहर किया। अब उसे मजा आने लगा। वो बोली, “हाय, अब आ रहा है मजा। अब पूरा पेल दो लंड, भाईजान। जल्दी-जल्दी चोदो!”

सबा अपनी कमर हिला-हिलाकर चुदवाने लगी। उसके मुँह से निकला, “अम्मी जान, तू बहुत हरामजादी है। अपने सामने बिटिया चुदवा रही है।”
फूफी बोली, “बिटिया की माँ की चूत… तू भी तो नंगी होकर अपनी माँ के सामने बड़ी बेशर्मी से चुदवा रही है। तू तो मुझसे ज्यादा हरामजादी है, बुरचोदी सबा! मुझे तो सच में अपनी बेटी चुदाने में जन्नत का मजा आ रहा है।”

मैं अपना पूरा लंड पेल-पेलकर उसे चोदने लगा। सबा की चूत गीली हो चुकी थी, और मेरा लंड उसमें आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने उसकी चूचियों को दबाया, उसके निप्पल चूसे, और उसकी गांड को सहलाया। फूफी बीच-बीच में मेरा लंड सबा की चूत से निकालकर चाट लेती थी। वो मेरे लंड पर लगी सबा की चूत का रस चूस रही थी, और फिर उसे वापस सबा की चूत में डाल देती थी।

सबा का ये पहला मौका था। वो इतनी उत्तेजित थी कि जल्दी ही झड़ गई। उसकी चूत ने मेरा लंड जकड़ लिया, और वो सिसकारियाँ लेते हुए काँपने लगी। अब वो बड़ी बेशर्म और निर्लज्ज हो चुकी थी, एकदम रंडी बन गई थी। उसे फूफी की बात याद थी कि जवानी का पूरा मजा लेना है तो एकदम बेशर्म बन जा, गंदी-गंदी बातें कर, और निडर होकर सबके लंड का मजा ले।

फिर सबा ने मेरे लंड को अपनी चूत से निकाला और फूफी की चूत में पेल दिया। वो बोली, “अब मैं चोदूँगी तेरा भोसड़ा, अम्मी जान। तूने अपनी बेटी की बुर फड़वाई, अब मैं अपनी अम्मी का भोसड़ा फड़वाऊँगी।”

मैं फूफी का भोसड़ा घपाघप चोदने लगा। उनका भोसड़ा सबा की चूत से ज्यादा खुला हुआ था, लेकिन उतना ही रसीला। मेरा लंड उनके भोसड़े में पूरा समा रहा था। मैं पूरा लौड़ा पेल-पेलकर चोदने लगा। सबा मेरे पेल्हड़ सहलाती हुई अपनी माँ का भोसड़ा चुदवाने लगी। मैंने फूफी की चूचियों को मसला, उनके निप्पल काटे, और उनकी गांड पर थप्पड़ मारे। फूफी सिसकारियाँ ले रही थीं, “आह, सफी, चोद डाल मेरा भोसड़ा। पूरा लंड पेल दे, मादरचोद।”

मुझे फूफी की चूत चोदने में उतना ही मजा आ रहा था जितना सबा की कुंवारी फुद्दी चोदने में आया था। मैंने उनकी चूत को इतनी तेजी से चोदा कि उनका बदन काँपने लगा। वो भी जल्दी ही झड़ गईं, और उनकी चूत ने मेरा लंड भीगा दिया।

जब मैं झड़ने वाला था, तो मैंने अपना लंड निकाला। दोनों माँ-बेटी मेरे सामने घुटनों पर बैठ गईं। मैंने अपना वीर्य उनकी चूचियों और मुँह पर छोड़ दिया। दोनों ने मेरा झड़ता हुआ लंड बड़े प्यार से चाटा। फूफी ने मेरा वीर्य अपनी उंगलियों से उठाया और सबा के मुँह में डाल दिया। सबा ने उसे चूस लिया और हँस पड़ी।

सबा बोली, “अब मैं सबके लंड का मजा लूँगी और सबके लंड को मजा दूँगी।”
फूफी ने सबा के गाल थपथपाकर कहा, “तेरी माँ का भोसड़ा, बेटी सबा!”
सबा ने उसी लहजे में जवाब दिया, “तेरी बेटी की माँ की चूत, अम्मी जान!”

हम तीनों थककर बिस्तर पर लेट गए। रातभर हमने दो बार और चुदाई की। फूफी और सबा दोनों मेरे लंड की दीवानी हो गई थीं। अब जब भी मौका मिलता है, मैं फूफी के घर जाता हूँ, और हम तीनों मिलकर चुदाई का खेल खेलते हैं।

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