कुंवारी चूत प्यार में पड़ कर चुद गई

सभी को नमस्कार, मेरा नाम अनुक्ति है, घर में सब मुझे अनु बुलाते हैं, मैं मध्य प्रदेश की रहने वाली हूँ। मेरे घर में सिर्फ मैं, पापा और मम्मी हैं, दोनों सरकारी नौकरी करते हैं। यह बात 2013 की है जब मैं गाँव से शहर के कॉलेज में पहली बार आई थी। मेरी उम्र उस वक्त 19 साल 19 साल से थोड़ी ज्यादा थी। मेरे साथ मेरी स्कूल की बेस्ट फ्रेंड छवि भी थी, हम दोनों एक ही हॉस्टल रूम में रहते थे।

कॉलेज शुरू हुआ तो बहुत जल्दी नए दोस्त बने, खासकर क्लास के लड़कों से मेरी अच्छी बनती थी। उनमें संजय सबसे खास था। लंबा, तगड़ा, जिम जाने वाला, 5 फुट 10 इंच का हैंडसम लड़का। उसके पापा फैक्ट्री मालिक थे, घर में पैसों की कोई कमी नहीं थी, पर संजय कभी घमंड नहीं करता था, दिल का बहुत साफ था। हम दोनों बहुत जल्दी अच्छे दोस्त बन गए। फोन पर घंटों मैसेज, कभी-कभी नॉनवेज बातें भी हो जाती थीं। छवि को सब पता था, उसने तो तीन महीने में ही अपना ब्वॉयफ्रेंड बना लिया था।

एक दिन वैलेंटाइन डे पर संजय ने मुझे गार्डन में प्रपोज किया, मैंने बिना सोचे हाँ कर दी। उसके बाद हमारा रोमांस तेजी से बढ़ने लगा। क्लास बंक करके गार्डन में बैठते, वो मुझे छूने की कोशिश करता, मैं मना नहीं करती थी। कभी मेरी गांड दबा देता, कभी चुपके से किस कर लेता। मौका मिलते ही मेरे बूब्स दबाता, कभी ब्रा के ऊपर से ही निप्पल चुटकी में पकड़ लेता। मुझे भी उसका स्पर्श अच्छा लगने लगा था।

एक रविवार को संजय बोला, “चलो कहीं घूमने चलते हैं।” मैं फटाक से तैयार हो गई। उसने बाइक पर मुझे पीछे बिठाया और शहर से बाहर एक बड़े तालाब की ओर ले गया। वहाँ चारों तरफ घना जंगल था, बहुत कम लोग थे, ज्यादातर कपल्स। हम भी पानी में मस्ती करने लगे। वो मुझे गीला कर देता, मैं उस पर पानी उछालती। थक कर हम एक बड़े पेड़ के नीचे बैठ गए। भीड़ धीरे-धीरे कम हो गई।

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संजय ने कहा, “चलो थोड़ा आगे घूम कर आते हैं।” हम पैदल जंगल में चले गए। थोड़ी दूर पर एक बड़ी चट्टान के पीछे झाड़ियों में एक कपल कपड़े पहन रहा था। हम रुक गए। जैसे ही वो गए, संजय मुझे वहीं ले गया। उसने मुझे पेड़ से सटा कर किस करना शुरू कर दिया। उसकी जीभ मेरे मुँह में, मेरी जीभ उसकी, गालों को चाट रही थी। उसने मेरे बूब्स जोर से दबाए, मैं सिसकारी लेने लगी, आह्ह्ह्ह संजयज्ज्ज।

फिर उसने आग्रह किया, “अनु प्लीज आज लंड चूस लो।” मैं पहले मना करती रही, पर उस दिन मान गई, बस शर्त रखी कि मुँह में नहीं झड़ेगा। उसने झट से जींस-अंडरवियर घुटनों तक उतार दिया और पत्थर पर टेक लेकर बैठ गया। मैं घुटनों पर बैठी, उसका 5.5 इंच का सख्त लंड हाथ में लिया। हल्का गुलाबी सुपारा चमक रहा था। मैंने डरते-डरते मुँह में लिया, ग्ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग गीगीगी गोंगों, वो आँखें बंद करके सिसकारियाँ लेने लगा, आह्ह्ह अनुुु क्या चूस रही हो। मैं कभी पूरा अंदर लेती, कभी जीभ से टोपा चाटती। कुछ देर बाद उसने मेरे सिर को पीछे धकेला और बाहर ही झड़ गया। गाढ़ा गर्म वीर्य जमीन पर गिरा। उसने कहा, “थोड़ा टेस्ट करो न।” मैंने जीभ से छुआ, नमकीन सा था। फिर मैंने उसके कहने पर लंड को जीभ से चाट कर साफ कर दिया।

अब उसकी बारी थी। उसने मेरी जींस-पैंटी एक साथ घुटनों तक खींच दी। मैंने टॉप और ब्रा ऊपर उठा दी। मेरे 32 के बूब्स और हल्के बालों वाली गुलाबी चूत पहली बार पूरी नंगी उसके सामने थी। वो मेरे बूब्स को पागलों की तरह चूसने लगा, निप्पल काटता, आह्ह्ह्ह्ह दर्द हो रहा है संजयज्ज्ज पर मजा भी आ रहा था। फिर उसने मुझे एक पैर पत्थर पर रखने को कहा और नीचे बैठ कर मेरी चूत चाटने लगा। उसकी खुरदुरी जीभ क्लिट पर फिर जाती तो मेरे मुँह से बेकाबू आवाजें निकलतीं, आअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह संजयय्य मत रोकनााा ऊउइइइ ऊईईईई। वो दो उंगलियाँ अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही मिनट में मेरी चूत ने झरना छोड़ दिया, वो सारा रस चाट गया।

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वापसी में बाइक पर उसने कहा, “अनु अब मुझे तुम्हारे साथ पूरा सेक्स करना है।” मैंने भी हाँ कर दी, बस सेफ जगह चाहिए थी। उसने अपने दोस्त का खाली फ्लैट फाइनल किया। मैंने साफ कह दिया, बिना कंडोम के नहीं। रास्ते में उसने कंडोम खरीद लिया।

फ्लैट पर पहुँचते ही उसने दरवाजा लॉक किया और मुझे दीवार से सटा कर लिपट गया। पहले मेरा टॉप उतारा, नाभि चाटी, फिर ब्रा ऊपर खिसकाकर बूब्स चूसने लगा। मुझे पलटा कर दीवार से टिकाया और ब्रा पीछे से खोल कर फेंक दी। खुद भी पूरी नंगा हो गया, उसका लंड तना हुआ था। मुझे गोद में उठा कर बेडरूम ले गया। जींस-पैंटी फटाक से उतार दी। अब मैं पूरी नंगी उसके सामने थी। वो मेरे बूब्स जोर-जोर से मसलने लगा, निप्पल काटता, मेरे कान, गला, गाल चूमता रहा था। मैं मदहोश हो रही थी, आह्ह्ह्ह संजयय और जोर से।

उसने मेरी टाँगें चौड़ी कीं और मुँह चूत पर रख दिया। जीभ अंदर तक, उंगलियाँ तेजी से, आह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह मेरी कमर अपने आप ऊपर उठने लगी। फिर हम 69 में आ गए। मैं उसका लंड ग्ग्ग्ग्ग गोंगों चूस रही थी, वो मेरी चूत को पागलों की तरह खा रहा था। मेरी चूत फिर से रस से तर हो गई।

उसने कंडोम पहनने को कहा। मैंने पैकेट फाड़ कर अपने हाथों से उसके लंड पर चढ़ाया। फिर उसने मुझे लिटाया, मेरे दोनों पैर अपने कंधों पर रखे और लंड को चूत के मुँह पर रगड़ने लगा। मैं बेकाबू हो गई, आह्ह्ह्ह डालो ना संजयय प्लीजज्ज। उसने कहा, “रेडी?” मैंने हाँ में सिर हिलाया। पहले झटके में आधा लंड अंदर गया, मेरी चीख निकल गई, आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह दर्ददद। उसने एक सेकंड रुका नहीं, पूरा जोर लगा कर पूरा लंड पेल दिया। मेरी आँखों से आंसू निकल आए, चूत फटने जैसा दर्द। उसने फिर दो-तीन तेज झटके मारे, मैं रोने लगी।

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फिर वो धीरे-धीरे हिलने लगा। पहले दर्द था, पर धीरे-धीरे मजा आने लगा। मैं भी कमर उचकाने लगी। वो स्पीड बढ़ाता गया, मेरे बूब्स मसलता, निप्पल काटता, आह्ह्ह्ह्ह संजयय और तेजज्ज चोदो मुझेे। कमरे में चपाचप चपाचप की आवाजें गूँज रही थीं। मैं पहले झड़ गई, आआआह्ह्ह्ह्ह ऊउउइइइईई संजयययय, मेरी चूत सिकुड़-सिकुड़ कर रस छोड़ रही थी। थोड़ी देर बाद वो भी झड़ा। कंडोम में सारा माल भर गया। वो मेरे ऊपर ही पड़ा रहा, लंड अंदर ही, मुझे किस करता रहा।

जब लंड छोटा हुआ तो उसने बाहर निकाला। मैंने उंगली डाली तो खून लग गया। मेरी सील टूट चुकी थी। संजय ने मेरी ब्लडी उंगली देखी और मुस्कुरा कर बोला, “अब तुम पूरी औरत बन गई हो।” मैंने ब्रा-पैंटी माँगी तो उसने कहा, “ये मैं रखूँगा, तुम्हारी चूत की खुशबू है इनमें।” मैं शर्मा गई।

वापस हॉस्टल आते वक्त मेरी चाल बदल चुकी थी। छवि ने देखते ही मुस्कुरा कर कहा, “अनु आज तो चुद कर आई है न?” मैंने उसे सारी बात बताई। वो बहुत खुश हुई और बोली, “अब तो चुदाई के असली मजे आने शुरू होंगे।”

दोस्तों, आपको मेरी पहली चुदाई की सच्ची कहानी कैसी लगी, जरूर बताइए।

कहानी का अगला भाग: सहेली ने चुदवा दिया दूसरे लड़के से- 1

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