Sexy Naukrani Dirty Sex Story मेरी पहली चुदाई की कहानी बहुत पुरानी है, पर आज भी वो पल मेरे दिमाग में ताज़ा हैं। उस वक्त मैं पुणे में रहता था, हाई स्कूल में था, उम्र होगी कोई 18 साल। शर्मीला, डरपोक, और थोड़ा नासमझ-सा लड़का था मैं, जिसे औरतों की दुनिया के बारे में कुछ खास पता नहीं था। रात को अकेले में अपनी चड्डी गंदी करना ही मेरी हद थी। फिर एक बार दोस्तों के साथ ब्लू फिल्म देखी थी। उसमें नंगे जिस्म, चूंचियों का उछलना, और वो चुदाई के सीन देखकर मेरा लंड इतना सख्त हुआ कि बस हाथ से दबाते ही उसमें से गाढ़ा, चिपचिपा, सफेद जूस निकल गया। उस दिन से मेरे अंदर कुछ बदल गया। औरतों की तरफ एक अजीब-सी कशिश होने लगी।
हमारा घर पुणे के एक छोटे-से मोहल्ले में था। दो मंजिला मकान, नीचे मकान मालिक रहते थे, और ऊपर हमारा परिवार। मम्मी-पापा, छोटी बहन, और बड़ा भाई, जो उस वक्त मुंबई में पढ़ाई कर रहा था। घर में एक नौकरानी थी, पूनम। उम्र करीब 30 साल, शादीशुदा, पर बच्चा नहीं था। पूनम का रंग सांवला था, लेकिन उसका फिगर ऐसा कि कोई भी जवान लड़का पागल हो जाए। उसकी चूंचियां 36 इंच की, भारी-भारी, जैसे हर वक्त ब्लाउज से बाहर निकलने को बेताब। कमर 30 इंच की, पतली, और गांड 38 इंच की, गोल-मटोल, चलते वक्त ऐसी मटकती थी कि लंड अपने आप सलामी देने लगे। उसकी आंखों में एक चमक थी, जैसे वो जानती हो कि वो मर्दों को कैसे बेकरार करती है।
पूनम हमारे घर में झाड़ू-पोंछा, बर्तन, और कपड़े धोने का काम करती थी। मैं उसे चोरी-छिपे देखता था। उसका ब्लाउज हमेशा थोड़ा टाइट होता, और जब वो झुकती, तो उसकी चूंचियां आधी बाहर झांकती थीं। मुझे लगता था, वो जानबूझकर ऐसा करती है। लेकिन मैं डरपोक था, बस दूर से देखता और रात को अपने लंड को सहलाता।
एक दिन स्कूल के दोस्तों ने मुझे पकड़ लिया। बोले, “संजू, एक पिक्चर लगी है, चल देखते हैं!” मैंने मना किया, लेकिन वो नहीं माने। बोले, “किसी को पता नहीं चलेगा, यार!” और मुझे ले गए एक सस्ते-से थिएटर में, जहां “तेरी बाहों में” नाम की फिल्म लगी थी। बाद में पता चला, ये ब्लू लगून की नकल थी। फिल्म में औरत-मर्द के नंगे सीन देखकर मेरा लंड पैंट में तंबू बना गया। मैंने उसे ऊपर से दबाया, मसला, और अचानक मेरी पैंट गीली हो गई। मेरा जूस निकल चुका था। शर्मिंदगी हुई, पर साथ ही एक अजीब-सा सुकून भी मिला। उस दिन से मेरे दिमाग में औरतों की चूंचियां, उनकी गांड, और वो चुदाई के सीन घूमने लगे।
हमारे मकान मालिक की एक बेटी थी, किरण। वो इंटर में पढ़ती थी, उम्र कोई 19 साल। गोरी, पतली, और उसकी चूंचियां भी कमाल की थीं। मैं उसे देखता, पर उसकी कहानी फिर कभी। अभी बात पूनम की।
एक बार पूनम ने मुझे रंगे हाथों पकड़ लिया। मैं उसे चोरी-छिपे देख रहा था, और वो हंसते हुए बोली, “क्या देख रहे हो, संजू बाबा?” मैं घबरा गया, बोला, “कुछ नहीं!” वो हंसी और बोली, “आजकल गंदी पिक्चर भी देखते हो, और पैंट खराब करते हो, हां?” मैं चुप रहा, डर गया कि कहीं मम्मी से न कह दे। फिर मैंने उसकी तरफ देखना ही बंद कर दिया।
कुछ दिन बाद पूनम दो दिन तक काम पर नहीं आई। मम्मी ने मुझे उसके घर भेजा पता करने। मैं उसके छोटे-से घर पहुंचा, घंटी बजाई। पूनम ने दरवाजा खोला, और मैं देखता ही रह गया। वो सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में थी। पेटीकोट पुराना, सामने से थोड़ा फटा हुआ, और उसकी झांटें साफ दिख रही थीं। उसने जल्दी से पेटीकोट ऊपर खींचा और मुझे अंदर बुलाया। मैं अंदर गया, पूछा, “तुम काम पर क्यों नहीं आ रही?” वो बोली, “मेरा पति आया था, आज चला गया। कल से आऊंगी।”
उसका ब्लाउज गीला था, और बिना ब्रा के उसके निप्पल साफ दिख रहे थे। मेरी नजरें उसकी चूंचियों पर टिक गईं। वो शरमा गई, अंदर गई, और साड़ी पहनकर लौटी। लेकिन मेरी आंखें उसकी चूंचियों से हट नहीं रही थीं। तभी मैंने बिना सोचे पूछ लिया, “तुम्हारी टांगों के बीच इतने बाल क्यों हैं?” वो हड़बड़ा गई, मुझे घूरा, और मैं डर के मारे बाहर भाग आया। सोचने लगा, कहीं मम्मी से न कह दे।
शाम को मैं फिर उसके घर गया। वो बोली, “क्या है?” मैंने कहा, “जो मैंने पूछा था, मम्मी से मत कहना।” वो हंसी, बोली, “डरो मत, नहीं कहूंगी।” फिर उसने मेरे गालों को चूमा और पूछा, “पिक्चर कैसी थी?” मैं चुप रहा। उसने मेरे चूतड़ पर थपकी दी और बोली, “बता तो, क्या देखा था?” मैंने कहा, “अच्छी थी, पर कुछ समझ नहीं आया। दोस्त बोल रहे थे, ब्लू फिल्म है।” वो हंस पड़ी, मेरे गाल नोचे, और बोली, “कोई बात नहीं, मेरे भोले राजा।”
अगले दिन मम्मी सुबह मौसी के यहां जाने की तैयारी कर रही थीं। बोलीं, “पूनम आए तो बर्तन साफ करा लेना, और खाना खा लेना।” छोटी बहन स्कूल चली गई, और भाई मुंबई में था। मैं किताब लेकर पढ़ने बैठा। हमारे घर के बाहर छोटा-सा बगीचा था, जहां मैंने फूलों के पौधे लगाए थे। अक्सर बकरियां उन्हें चरने आती थीं।
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तभी पूनम की आवाज आई, “संजू, जल्दी आ! मैंने बकरी पकड़ी है, गेट बंद कर!” मैं दौड़ा, गेट बंद किया। देखा, पूनम ने एक बकरी पकड़ रखी थी, जिसके थन नीचे लटक रहे थे। उसने बकरी को अंदर लाया, उसके मुंह पर कपड़ा बांधा, और बोली, “संजू, इधर आ!” फिर वो बर्तन साफ करने लगी। मैंने पूछा, “बकरी क्यों पकड़ी?” वो मुस्कुराई, बोली, “एक काम के लिए।”
मेरी नजर उसकी चूंचियों पर चली गई। उसका ब्लाउज बगल से फटा था, और उसका गोरा बदन दिख रहा था। उसने साड़ी थोड़ी खिसकाई, ताकि मुझे और साफ दिखे। मैं खड़ा रहा, मेरा लंड पैंट में तनने लगा। उसने काम खत्म किया, बकरी को पकड़कर कमरे में ले आई, और नीचे बैठ गई। बकरी के थन सहलाते हुए बोली, “दूध पियोगे?” मैंने कहा, “बकरी का?” वो हंसी, बोली, “नहीं तो क्या, मेरा?”
फिर उसने बकरी के थन चूसने शुरू किए और मुझे गोद में बिठाकर दूध पिलाने लगी। मेरे गाल चूमते हुए बोली, “मजा आया?” मैंने कहा, “हां!” मेरा लंड इतना सख्त हो गया कि पैंट में मुड़ गया। मुझे लगा, वो टूट जाएगा। वो बोली, “आ, बेडरूम चलें।”
कमरे में उसने साड़ी उतारी। सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी। उसका पेटीकोट फटा हुआ था, और उसकी चूत की झांटें साफ दिख रही थीं। मैं अपने लंड को दबाने लगा। उसने देखा, बोली, “क्या है? लाओ, मैं देखूं!” उसने मेरी पैंट उतारी, अंडरवियर से मेरा 7 इंच का लंड निकाला, और धीरे-धीरे सहलाने लगी। मेरे होश उड़ गए। फिर उसने मेरा लंड मुंह में लिया और चूसने लगी। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड के सुपारे पर घूम रही थी, और मैं सिहर उठा। मैंने पूछा, “ये क्या कर रही हो?” वो बोली, “पिक्चर समझा रही हूं, मेरे राजा!”
उसने मेरे लंड को कसकर दबाया, बोली, “तू तो औरतों को बहुत घूरता है। आज तेरी सारी इच्छाएं पूरी कर दूंगी।” उसने मेरा हाथ अपनी चूंचियों पर रखा। मैंने पहली बार किसी की चूंचियां छुईं। भारी, मुलायम, और गर्म। मैंने जोर से दबाया, वो चिल्लाई, “बस कर, टूट जाएंगी!” मैंने ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूंची चूसनी शुरू की। वो बोली, “ब्लाउज तो उतार!” मैंने एक-एक बटन खोला, और जैसे ही उसकी चूंचियां आजाद हुईं, मैं उनसे चिपक गया। मैं एक चूंची को चूस रहा था, दूसरी को मसल रहा था। उसका निप्पल मेरे मुंह में था, और मैं उसे जीभ से चाट रहा था। वो सिसकारियां भर रही थी, “आह्ह… संजू… चूस… और जोर से…”
मेरा लंड उसके पेटीकोट के अंदर उसकी चूत को छू रहा था। उसने मेरा हाथ अपनी चूंचियों पर कसकर दबाया, बोली, “लो, मेरा दूध पियो!” मैं आधे घंटे तक उसकी चूंचियां चूसता रहा, कभी बायां, कभी दायां। वो बोली, “बस कर, क्या खा ही जाएगा?” फिर उसने पेटीकोट उतारा, अपनी चूत दिखाई, और बोली, “कभी देखी है?” मैंने कहा, “नहीं!” वो बोली, “लो, इसे चाट!”
मैंने उसकी चूत पर जीभ रखी। उसकी झांटें मेरे मुंह में जा रही थीं। मैंने कहा, “इसे साफ तो कर!” उसने पापा का शेविंग बॉक्स लाने को कहा। मैंने कैंची से उसकी झांटें छोटी कीं, साबुन का झाग बनाया, और रेजर से सारी झांटें साफ कर दीं। उसकी चूत अब गुलाबी, चिकनी, और हल्की सांवली दिख रही थी। मैंने हाथ फेरा, वो सिसकारी, “आह्ह… संजू… छू…”
उसकी चूत से चिपचिपा पानी निकल रहा था। मैंने जीभ से चाटा, उसका स्वाद नमकीन और गर्म था। वो बोली, “साले, मेरी चूत चाट!” उसकी गाली सुनकर मैं हैरान हुआ, पर मजा आया। मैं उसकी चूत चाटता रहा, और उसने मुझे 69 की अवस्था में लिया। वो मेरा लंड चूस रही थी, और मैं उसकी चूत। 5 मिनट में मेरा जूस निकलने लगा। मैं डर गया, बोला, “पूनम, कुछ हो रहा है!” वो बोली, “होने दे, मेरे मुंह में निकाल!” मैंने उसकी चूंचियां पकड़ीं और बोला, “मुझे दूध पीना है!” वो बोली, “जब मन चाहे, पी ले!”
मेरा जूस उसके मुंह में पिचकारी की तरह निकला। उसने मेरा लंड चाटा, और बोली, “संजू, तू तो लंबी रेस का घोड़ा है!” मैं लेट गया, वो मेरे होंठ चूमने लगी। मैं उसकी चूंचियों तक पहुंचा, और एक निप्पल को दांतों से काट लिया। वो चिल्लाई, “आह्ह… मत कर!” फिर बोली, “चोदना चाहता है?” मैंने कहा, “ये कैसे होता है?” वो बोली, “सब सिखा दूंगी, मेरे राजा!”
उसने मुझे अपने ऊपर से हटाया, दो तकिए अपनी गांड के नीचे रखे, और पैर फैलाए। उसकी चूत अब ऊपर उठी थी, और उसका छोटा-सा छेद लाल दिख रहा था। उसने मेरे लंड को पकड़ा, अपनी चूत पर रगड़ा, और बोली, “बस, इसे अंदर डाल!” मैंने धक्का मारा, वो चिल्लाई, “आह्ह… शी… उफ्फ…” मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और धक्के मारने लगा। मेरा लंड उसकी चिकनी चूत में फिसलता हुआ अंदर जा रहा था। वो चीख रही थी, “आह्ह… संजू… मेरी चूत फाड़ दे… और जोर से… उफ्फ… गा… आ… आह्ह…”
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मैंने पूछा, “तेरा पति भी ऐसे चोदता है?” वो बोली, “नहीं, उसका लंड तो पतला और कमजोर है। तू बेरहमी से चोद, मेरी चूत को रेत डाल!” मैं उसकी चूंचियां मसल रहा था, और वो सिसकारियां भर रही थी, “आह्ह… चूस… मेरी चूंची… उफ्फ…” वो दो बार झड़ चुकी थी, उसकी चूत और गीली हो गई थी। 45 मिनट बाद मेरा लंड झड़ा, और मैंने सारा जूस उसकी चूत में डाल दिया। वो बोली, “मजा आ गया, संजू! तूने मेरी जवानी खिला दी!”
मैंने पूछा, “यही चुदाई है?” वो बोली, “हां, मेरे राजा! तूने मुझे चोद दिया!” फिर उसने मेरी चूंचियां चूसीं, और मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। इस बार उसने मुझे नीचे लिटाया, मेरे ऊपर चढ़ी, और अपने हाथ से मेरा लंड अपनी चूत में डाला। वो अपनी गांड ऊपर-नीचे करने लगी, और चीख रही थी, “आह्ह… मर गई… उफ्फ…” 20 मिनट बाद मैंने उसे नीचे लिया और फिर से पेलने लगा। वो मना कर रही थी, “दर्द हो रहा है!” पर मैं नहीं रुका। वो फिर दो बार झड़ी, और बोली, “तू तो बड़ा चोदू है!”
मैंने कहा, “मुझे पेशाब आई है।” उसने मेरा लंड मुंह में लिया, मेरा पेशाब पी लिया, और बोली, “अब तेरी गांड मारूं?” मैंने पूछा, “वो क्या होता है?” उसने अपनी गांड दिखाई, बोली, “इस छेद में लंड डालते हैं।” मैंने उसकी गांड पर लंड टिकाया, पर वो सख्त थी। उसकी चूत का जूस और मेरी मलाई से गांड गीली थी, पर फिर भी लंड नहीं गया। वो बोली, “तेल लाओ!”
वो नंगी ही तेल लेने गई। उसके चूतड़ मटक रहे थे। मैंने उसे आंगन में पकड़ा, कुतिया बनाया, तेल लिया, और उसके चूतड़ों पर और अपने लंड पर लगाया। फिर धक्का मारा। वो चीखी, “आह्ह… मर गई… निकाल!” मैंने नहीं माना। उसकी गांड से खून निकलने लगा, पर मैं धक्के मारता रहा। वो चिल्ला रही थी, “बस कर, मादरचोद… मेरी गांड फट गई…” मैंने उसकी चूत में उंगली डाली, और वो मजे लेने लगी। 15 मिनट बाद उसका दर्द कम हुआ, और वो गाना गाने लगी, “गांड मारे सैंया हमार!”
आधे घंटे बाद मेरा लंड झड़ा, और उसकी गांड में मलाई भर गई। उसकी गांड खुली रह गई, और मेरी मलाई बाहर निकल रही थी। हम बाथरूम गए, साफ किए, और नंगे ही सो गए। एक घंटे बाद वो उठी, बोली, “मम्मी आएंगी, चल!” मम्मी ने आकर बताया कि वो अगले दिन नासिक जा रही हैं। पूनम ने मुझे आंख मारी, बोली, “कल फिर मौका है।”
अगले दिन की चुदाई तो और घमासान थी। पूनम दो दिन बाद काम पर आई, और उसने अपनी फूली चूत दिखाकर कहा, “देख, तूने क्या हाल किया!” फिर भी मैंने उसे दो साल तक चोदा। आज उसका एक बच्चा है, जिसकी आंखें और नाक मुझसे मिलती हैं। वो अपने घर बुलाकर भी चुदवाती थी, उसकी दीदी के सामने भी चोदा। उसकी छोटी बहन शीला की सील भी मैंने तोड़ी।
ये सब बाद में। पहले आपके पत्रों का इंतज़ार है।