डॉक्टर ने मुझे क्लिनिक में पेल दिया 2

Doctor ne choda, clinic mein group chudai – कहानी का पिछला भाग: डॉक्टर ने मुझे क्लिनिक में पेल दिया 1

हम दोनों नंगे ही बेड पर लेटे थे, मेरी साँसें अभी भी तेज़ थीं। तभी 10 मिनट बाद डोरबेल बजी। सोहेल ने जल्दी से लुंगी लपेटी और नीचे खाना लेने चले गए। मैं नंगी ही बेड पर लेटी रही, मेरी चूत और शरीर में अभी भी वो गर्मी थी, जो सोहेल के लंड ने जगाई थी। मेरी चूत से खून और पानी अब भी रिस रहा था, और मैं उस अजीब से सुकून और दर्द के मिश्रण में खोई हुई थी। थोड़ी देर बाद सोहेल वापस आए। खाने में मटन भुना हुआ, रुमाली रोटी, और चार गुलाब जामुन थे।

हमने बेड पर ही बैठकर खाना खाया। मैंने पानी की बोतल उठाई, तो सोहेल ने शरारती अंदाज़ में कहा, “आज पानी नहीं, रंडी, सिर्फ़ मेरे लंड का पानी पिएगी तू।” उनकी बात सुनकर मेरी चूत में फिर से खujली शुरू हो गई। मैं घुटनों पर बैठ गई और उनका लंड पकड़कर चूसने लगी। “उम्म… ग्लक… ग्लक…” मैं उनके लंड को कुल्फी की तरह चाट रही थी, और वो मेरे सिर को पकड़कर मेरे मुँह में धक्के मार रहे थे।

सोहेल ने गहरी आवाज़ में कहा, “चूस, मेरी चिनाल, मेरी रंडी! तेरी चूत को तो मैंने भोसड़ा बना दिया, अब तेरी गांड की बारी है। चल, साली, मेरे लंड को और चूस, कुल्फी की तरह चाट!”

मैंने उनका लंड और ज़ोर से चूसा, मेरी जीभ उनके टोपे पर गोल-गोल घूम रही थी। तभी सोहेल ने कहा, “चल, कुतिया बन जा, मादरचोद! तेरी चूत फिर से फटने को तैयार है।”

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मैंने तुरंत कुतिया की पोज़िशन ले ली, मेरी गांड हवा में थी, और मेरी चूत उनके लंड का इंतज़ार कर रही थी। सोहेल ने अपना मोटा लंड मेरी चूत के द्वार पर टिकाया और एक ज़ोरदार धक्का मारा। “आआआह्ह्ह… उईईई… मम्मी… मर गई!” मैं चीख पड़ी। दर्द इतना था कि मेरी आँखों में आँसू आ गए, लेकिन साथ ही मज़ा भी आ रहा था।

सोहेल ने हँसते हुए कहा, “मेरी रंडी, इसलिए तो तू यहाँ आई है ना?”

उनका लंड मेरी चूत में घपाघप अंदर-बाहर हो रहा था। कमरे में “पच-पच-पच” की आवाज़ गूंज रही थी। मेरी चूत गीली थी, और हर धक्के के साथ मेरी सिसकियाँ निकल रही थीं, “आह्ह… उह्ह… ओह्ह…” फिर सोहेल ने मुझे पीठ के बल लिटाया, मेरी दोनों टाँगें ऊपर उठाईं, और मेरी कमर के नीचे दो तकिए रख दिए। मेरी चूत अब पूरी तरह खुली थी। उन्होंने एक और ज़ोरदार धक्का मारा। “आआआह्ह्ह…!” मैं फिर चीखी।

मैंने कहा, “तुम बहुत ज़ालिम हो, मेरे मालिक, लेकिन फिर भी तुमसे चुदने में मज़ा आ रहा है।”

सोहेल ने जवाब दिया, “हाँ, मेरी रंडी, मैं ज़ालिम हूँ। अब तुझे मेरे लंड के सिवा कोई और लंड अच्छा नहीं लगेगा।”

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अचानक वो रुके, अपना लंड पूरा बाहर निकाला, और फिर एक ज़ोरदार धक्का मारा। “आआह्ह… मार दिया… चाचा!” मुझे लगा मेरी चूत के दो टुकड़े हो गए। उन्होंने फिर वही ज़ोरदार धक्का मारा, और मेरी आधी जान निकल गई। मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे, लेकिन मैं मज़े भी ले रही थी। मैं सचमुच उनकी रंडी बन चुकी थी।

दर्द अब कम हो रहा था, और चुदाई फिर से तेज़ हो गई। कमरे में सिर्फ़ मेरी सिसकियाँ, “आह्ह… उह्ह… ओह्ह… हाँ…” और “पच-पच-पच” की आवाज़ थी। आखिरकार, सोहेल ने एक आखिरी धक्का मारा और अपना गाढ़ा रस मेरी चूत में भर दिया। मैं निढाल हो गई। हमने थोड़ा आराम किया।

कुछ देर बाद सोहेल ने कहा, “रंडी, और मज़ा लेगी?”

मैंने कहा, “नहीं, मेरी चूत बहुत दर्द कर रही है।”

वो बोले, “ये आखिरी राउंड है।”

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मैंने हामी भरी। उन्होंने मेरे दोनों हाथ पीछे करके रस्सी से बाँध दिए। मैंने कहा, “सोहेल जी, आप करना क्या चाहते हैं?”

वो बोले, “रंडी, अब तुझे असली चुदाई दिखाऊँगा।”

उन्होंने मेरे मुँह पर टेप लगा दिया। मैं बोल नहीं पा रही थी, सिर्फ़ “गुह-गुह” की आवाज़ निकल रही थी। फिर सोहेल ने मोबाइल उठाया। मुझे लगा वो वीडियो बनाएँगे, लेकिन उन्होंने किसी को कॉल लगाया।

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वो बोले, “हैलो, भाई जान, एक नई उम्र की माल है। चोदेगा?”

दूसरी तरफ़ कौन था, मुझे नहीं पता। सोहेल ने कहा, “जल्दी आना।”

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फिर उन्होंने मुझे कुतिया बनाया और उस बॉक्स से एक वाइब्रेटर निकाला। वाइब्रेटर मेरी चूत में डालकर चालू कर दिया। “आह्ह… उम्म…” मेरी सिसकियाँ टेप के पीछे दब रही थीं। फिर उन्होंने बॉक्स से चमड़े का चाबुक निकाला और मेरे चूतड़ों पर चाबुक की बरसात कर दी। “टप-टप-टप…” हर चाबुक के साथ मैं दर्द से तड़प रही थी, लेकिन मेरे दर्द का उन पर कोई असर नहीं था।

तभी डोरबेल बजी। सोहेल ने लुंगी पहनी और मुझे कुतिया की पोज़िशन में बेड पर छोड़कर नीचे चले गए। जब वो वापस आए, तो उनके साथ एक और आदमी था। उसकी उम्र कोई 48-50 साल रही होगी। कद 5 फीट 9 इंच, गठीला बदन, और लंबी दाढ़ी। उसे देखते ही मैंने पहचान लिया—वो मेरी दोस्त के अब्बू थे। उनका नाम फवाद था, और मार्केट में उनकी कई मीट की दुकानें थीं।

फवाद ने मुझे देखकर कहा, “भाई सोहेल, ये तो हीना है, मेरी बेटी की दोस्त! ये तुझे कहाँ से मिली?”

सोहेल ने हँसते हुए कहा, “भाई, मेरा पुराना जुगाड़ है। चुदाई की टैबलेट से फँसाया है इसे। शाम 8 बजे से चोद रहा हूँ। अभी भी मन नहीं भरा। भाई जान, इसकी गांड की सील तुझे तोड़नी है।”

सोहेल ने मेरा मुँह खोल दिया और अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया। “ग्लक… ग्लक…” मैं उनका लंड चूस रही थी। इतने में फवाद भी पूरा नंगा हो गया। उसका लंड सोहेल से भी बड़ा और मोटा था, शायद 11 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा। फवाद बेड पर चढ़ गया और मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा।

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फवाद ने मेरे हाथ खोल दिए, लेकिन मेरे दोनों बूब्स को रस्सी से लट्टू की तरह बाँध दिया। मेरे बूब्स में इतना दर्द हो रहा था कि मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। मैं बोल नहीं पा रही थी, क्योंकि सोहेल का लंड मेरे मुँह में था। फवाद ने पीछे से मेरी चूत में एक गुलाब जामुन ठूंस दिया और “घप-घप” मेरी चूत चाटने लगा।

पांच मिनट तक मेरी चूत चाटने के बाद, सोहेल पीछे आए और फवाद आगे। अब फवाद का मोटा लंड मेरे मुँह में था। “उम्म… ग्लक… ग्लक…” मैं उनके लंड को चूस रही थी, और सोहेल ने मेरी चूत में उंगली डालकर हिलाना शुरू किया। फिर वो मेरी चूत को चोदने लगे। “पच-पच-पच…” उनकी चुदाई में मुझे अब मज़ा आने लगा था।

इधर फवाद मेरा मुँह चोद रहा था। फिर फवाद की बारी आई। उन्होंने मुझे पेट के बल लिटाया और मेरी कमर के नीचे दो तकिए रख दिए। मेरी गांड अब ऊपर थी। फवाद ने मेरे गांड के छेद पर थूक लगाया और अपना लंड टिकाया। उन्होंने एक गहरी साँस ली और धीरे-धीरे लंड घुसाने लगे। उनका टोपा ही अंदर गया, और मेरी चीख निकलने वाली थी।

मैंने अपने निचले होंठ को दाँतों से दबा लिया और चीखने से रोकने की कोशिश की। फवाद ने फिर थूक लगाया, लेकिन उनका लंड अंदर नहीं गया। तभी सोहेल ने राई के तेल की बोतल फवाद को दी। फवाद ने तेल लगाया और बोले, “कहते हैं, राई का तेल लगाकर पेलो, तो चींटी की गांड भी मार सकते हैं।”

दोनों हँसने लगे। मैं सोच रही थी कि आज मेरी गांड का भी भोसड़ा बन जाएगा। मैंने सोहेल का लंड चूस-चूसकर फिर से खड़ा कर दिया था। सोहेल ने मेरी तरफ़ देखा और बोले, “फवाद भला आदमी है, तेरी गांड अच्छे से मारेगा।”

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फवाद ने कहा, “वो तो है। मैं तेरी गांड को इतने बेदर्दी से फाड़ूँगा।”

फवाद ने फिर कहा, “रंडी, चल ले मेरा लंड अपनी गांड में!”

उन्होंने अपने लंड का टोपा मेरी गांड में घुसा दिया। मैं संभल भी नहीं पाई थी कि फवाद ने एक ज़ोरदार धक्का मारा। “आआआह्ह्ह…!” मैं चीख पड़ी। उनका आधा लंड मेरी कुंवारी गांड को चीरता हुआ अंदर चला गया। मैंने दर्द में सोहेल का लंड ज़ोर से दबा दिया। सोहेल ने मेरे गाल पर लगातार थप्पड़ मारे।

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फवाद रुके और बोले, “चूत और गांड दोनों नाज़ुक होती हैं। ये तो चीख पड़ी।”

सोहेल ने मेरा मुँह अपने लंड से बंद रखा था। फवाद मेरी गांड को कस-कसकर पेल रहे थे। “पच-पच… थप-थप…” मैं रो रही थी, क्योंकि इतना दर्द मुझे पहले कभी नहीं हुआ था। लेकिन धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा। मैं अपनी गांड उछाल-उछालकर मरवाने लगी और बोली, “पेलो, राजा, पेलो! तुम तो सोहेल से भी मस्त चोदते हो। हाँ, मालिक, मुझे अपनी गुलाम बना लो। मैं तुम्हारी रंडी बनकर रहना चाहती हूँ।”

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फवाद तेज़ी से पेल रहे थे, और मैं भी अपनी गांड उछाल रही थी। “आह्ह… उह्ह… ओह्ह…” मेरी सिसकियाँ कमरे में गूंज रही थीं। आखिरकार, फवाद ने अपनी गर्म धार मेरी गांड में छोड़ दी और बेड पर ढेर हो गए। वो बोले, “आज तो जवां गांड मारने का मज़ा आ गया।”

इधर, सोहेल ने मेरे मुँह में झड़ दिया। मैंने दोनों के लंड चाटकर साफ़ किए। फवाद ने कपड़े पहने और अपने घर चले गए। मैंने घड़ी देखी, सुबह के 3 बज रहे थे। मैं बहुत थक गई थी और अब सोना चाहती थी।

फवाद ने कहा, “एक राउंड और हो जाए?”

सोहेल ने भी हामी भरी। मैं क्या करती? फवाद ने अपना लंड मेरे होंठों के पास लाया। मैंने शरारत में उनके लंड पर थूक दिया। फवाद ने हल्के से मुस्कुराया और मेरे बूब्स पर थूककर अपना लंड रगड़ने लगा। मेरे बूब्स पर मेरा और उनका थूक लगा था।

फवाद मेरे बूब्स को अपने लंड से हल्के-हल्के मार रहा था। फिर उसने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरे मुँह के पास लाया। मैंने बिना हिचकिचाए उनका लंड अपने होंठों में लिया और मज़े से चूसने लगी। “उम्म… ग्लक… ग्लक…” फवाद ने मुझे नशीली नज़रों से देखा और बोले, “साली रंडी, चूस मेरा लंड।”

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सोहेल मेरे दोनों बूब्स के निप्पल्स को बारी-बारी चूस रहा था, उन्हें गीला कर रहा था। वो मेरी तरफ़ देखकर बोले, “लड़कियाँ चिनाल रंडी होती हैं। जब तक इनकी चूत में मुसलमानों का लंड नहीं जाता, तब तक ये शांत नहीं होतीं।”

सोहेल ने अपना मुँह मेरी चूत पर रखा और कहा, “बोल, रंडी, तेरी चूत को आज क्या चाहिए?”

मैंने उनकी आँखों में देखकर कहा, “आज अपना पानी मेरी जवां चूत में डालकर मेरी चूत की प्यास बुझा दो।”

सोहेल ने अपना मुँह मेरी चूत से हटाया और मेरे बूब्स पर रख दिया। वो बोले, “अब मैं तेरी चूत को लंड से चोदकर तेरी प्यास बुझाऊँगा, मेरी रंडी।”

मेरे पूरे बदन में आग लग रही थी। मैं जोश में बोली, “आज मैं अपनी पवित्र चूत को तुम दोनों के लंड से चुदवाकर ही साँस लूँगी।”

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फवाद ये सुनकर बेकाबू हो गया। वो पीठ के बल लेट गया और मेरी तरफ़ देखकर बोला, “बनेगी मेरे लंड की रंडी?”

उनका लंड देखकर मेरे मुँह में पानी आ रहा था। मेरी चूत जैसे खुलकर उनका लंड लेना चाहती थी। मैंने अपनी दोनों टाँगें फैलाते हुए कहा, “आज मेरी पवित्र चूत को चोद-चोदकर भोसड़ा बना दो और मेरे गोरे जवां बदन से अपने लंड को फूल की तरह खिला दो।”

फवाद का लंड मेरे हाथ में था, जैसे कोई फूल। मैंने उनकी तरफ़ देखकर उनके लंड को अपनी चूत के द्वार पर जमाया और बोली, “हीना की पवित्र चूत के दरवाज़े पर तुम्हारा नुकीला लंड तैयार है।”

फवाद ने मेरी आँखों में भूखे कुत्ते की तरह देखा और अपने लंड का टोपा मेरी चूत में घुसेड़ दिया। “आह्ह… उह्ह…” मैं उनकी आँखों में देख रही थी, और मेरी चूत उनके लंड को अंदर लेने के लिए बेताब थी। फवाद का लंड धीरे-धीरे मेरी इज़्ज़त को चोद रहा था। मैं उनके सीने पर लेट गई, अपने हाथों से उनके जिस्म को अपनी तरफ़ खींच रही थी।

उनका आधा लंड मेरी गोरी चूत में था। मैं उनके चेहरे की तरफ़ देख रही थी, और मेरे चेहरे से ज़ाहिर हो रहा था कि “और डालो, मेरे मालिक, मेरी चूत का भोसड़ा बना दो।” तभी फवाद को कुछ महसूस हुआ। उनका लंड रुक गया। उन्होंने मेरी आँखों में देखते हुए कहा, “चिनाल रंडी, आज मैं तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा।”

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फवाद ने मेरी कमर को ज़ोर से पकड़ा और एक गहरा धक्का मारा। उनका पूरा लंड मेरी चूत की गहराई तक पहुँच गया। “हाय अल्लाह… उफ्फ… मेरे मालिक!” मेरे मुँह से हिचकी निकली। फवाद ने मेरी आवाज़ में अपनी आवाज़ मिलाई, “साली रंडी, तेरी चूत में मेरा लंड है… आह्ह…”

उनका करारा धक्का मेरे जिस्म को जैसे पीस रहा था। मैं उनके जhatके से बेहाल थी। फवाद ने मेरी कमर से हाथ हटाए और मेरे हिप्स को पकड़कर कहा, “अभी कुछ देर ऐसे ही रहो।”

मैंने कहा, “ठीक है, मेरे मालिक।”

उनका नंगा बदन मेरे जवां, खूबसूरत नंगे बदन के नीचे था। मेरे छोटे-छोटे गोल कुंवारे बूब्स उनके सीने से दब रहे थे। फवाद ने अपनी जीभ निकाली और मेरे होंठों में दे दी। मैं उनके लंड को अपनी चूत में लिए हुए उनकी जीभ चूसने लगी। “उम्म… स्स्स…”

फवाद ने मुझे थोड़ा ऊपर उठाया। मैंने अपनी चूत में उनके लंड को देखा। उनका पूरा लंड मेरी चूत में था, और मैं ये देखकर हल्के से मुस्कुराई। तभी सोहेल ने पीछे से मेरी गांड में अचानक ज़ोरदार धक्का मारा। “आआआह्ह्ह…!” मुझे लगा मेरी जान निकल गई।

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सोहेल बोले, “क्यूँ, रंडी, कैसा लगा मेरा लंड?”

फवाद ने अपने लंड का ज़ोर बढ़ाया और कहा, “तेरी मस्त जवां चूत में मेरे लंड की ही जगह है, मेरी रंडी रानी।”

उन्होंने अपनी चूत से आधा लंड निकाला और फिर ज़ोर से अंदर किया। “पच-पच… घप-घप…” उनका मोटा, काला, मूसल जैसा लंड मेरी चूत के होंठों को खोलकर अंदर-बाहर हो रहा था। मैं मज़े से उनके लंड को अपनी चूत के पवित्र होंठों से चूस रही थी। “आह्ह… उह्ह… ओह्ह…”

फवाद और सोहेल के लगातार जhatके मेरी चूत और गांड की इज़्ज़त की धज्जियाँ बिखेर रहे थे। फवाद पूरे जोश में मेरे बूब्स चूस रहा था और लगातार धक्के मार रहा था। मैं अपनी सनसनाती चूत को उनके कड़क, नुकीले लंड के हवाले करके मज़े ले रही थी।

फवाद के मुँह से गालियाँ निकलने लगीं, “साली रंडी, ले मेरा लंड अपनी चूत में! और ले, साली चिनाल!”

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मैं भी चुदते हुए कह रही थी, “आह्ह… चोदो मेरी चूत और गांड को अपने लंड से! दोनों फाड़ डालो! चोदो मेरी जान, और अपने लंड का सारा पानी मेरी पवित्र चूत में डाल दो, मेरे मालिक!”

मेरी बातों से दोनों का जोश बढ़ता जा रहा था। वो मुझे बाज़ारू औरत की तरह चोद रहे थे। अचानक मुझे लगा कि मेरी चूत में कुछ अजीब हुआ। “हाय भगवान!” ये फवाद के लंड का पानी था। उन्होंने अपने होंठ मेरे गोल-गोल बूब्स से हटाए और मेरी आँखों में देखने लगे। गुस्से से धक्के मारते हुए उन्होंने अपनी धार मेरी चूत में छोड़ दी। मैंने उनके लंड का पानी अपनी कुंवारी चूत में ले लिया। मेरी चूत की प्यास जैसे फवाद ने बुझा दी।

सोहेल अभी भी मेरी गांड फाड़ रहा था। फिर उसने अपनी गांड से लंड निकाला और मेरे मुँह में दे दिया। “ग्लक… ग्लक…” थोड़ी देर में उसने अपना सारा पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया। मैंने दोनों के लंड चाटकर साफ़ किए। फवाद कपड़े पहनकर अपने घर चले गए।

मैंने घड़ी देखी, सुबह के 6 बज रहे थे। मैं और सोहेल सुबह 9 बजे तक नंगे ही सोते रहे।

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