दीदी को ब्लैकमेल करके चोदा

मेरा नाम प्रमोद है। हमारा घर छोटा सा है, लेकिन खुशहाल। घर में मैं, मेरी बड़ी बहन मुस्कान, और मेरे पापा रहते हैं। मम्मी पुलिस में हैं, और पापा गवर्नमेंट जॉब करते हैं। मैं 19 साल का हूँ, और मुस्कान मुझसे एक साल बड़ी, यानी 20 की। दीदी को देखकर कोई भी पागल हो जाए। वो इतनी गोरी और सुंदर है कि मोहल्ले के लड़के उसकी एक झलक पाने के लिए तरसते हैं। उसका फिगर—पतली कमर, टाइट बूब्स, और गोल-मटोल गांड—ऐसा कि साला, कोई भी उसका दीवाना हो जाए। वो टाइट-टाइट जींस और क्रॉप टॉप पहनती है, जिसमें उसका बदन और भी कातिल लगता है। उसकी चाल में एक अजीब सा नशा है, जैसे वो जानबूझकर सबको ललचाती हो। मैंने कई बार देखा है, मोहल्ले के लड़के उसे घूरते हैं, और मैं सोचता हूँ, “साले, ये सब दीदी के बारे में क्या-क्या सोच रहे होंगे?”

एक दिन मैंने दीदी को फोन पर चुपके-चुपके बात करते सुना। उसकी आवाज धीमी थी, जैसे कोई सीक्रेट बात हो। मैंने कान लगाकर सुना तो उसकी आवाज आई, “जानू, आज नहीं, कल करेंगे।” मैं समझा नहीं कि वो क्या बोल रही थी। मेरे दिमाग में ख्याल आया कि शायद कोई बॉयफ्रेंड होगा, लेकिन मैंने ज्यादा सोचा नहीं और इग्नोर कर दिया। पर कहीं न कहीं मेरे मन में शक सा बैठ गया। दीदी की हरकतें अब मुझे थोड़ी अजीब लगने लगी थीं। वो अक्सर देर रात तक फोन पर बात करती, और जब मैं पास जाता, तो फट से फोन काट देती।

एक दिन दीदी ने घर में हंगामा मचा दिया। बोली, “मेरी एक फ्रेंड की शादी है, मुझे वहाँ 4-7 दिन रहना होगा।” मम्मी-पापा ने साफ मना कर दिया, बोले, “नहीं, तू अकेली नहीं जा सकती।” दीदी ने ऐसा ड्रामा किया कि क्या बताऊँ! खाना-पीना छोड़ दिया, रोना-धोना शुरू कर दिया। गुस्से में चिल्लाई, “मुझे जाना ही है, तुम लोग मुझे जेल में रखोगे क्या?” आखिरकार मम्मी-पापा मान गए, लेकिन एक शर्त रख दी कि मैं भी दीदी के साथ जाऊँगा। दीदी ने फट से मना किया, “नहीं, प्रमोद वहाँ मेरे साथ क्या करेगा? मुझे अकेले जाने दो!” लेकिन पापा ने मुझे जबरदस्ती भेज दिया। दीदी गुस्से में थी, मुझे ताने मारते हुए बोली, “तू मेरे पीछे जासूस बनकर जाएगा क्या?” फिर भी, मजबूरी में वो मुझे साथ ले गई।

हम उस शादी में पहुँचे। वहाँ का माहौल बड़ा रंगीन था। ढेर सारे लोग, खाने-पीने की दावत, हंसी-मजाक, और रात को चट्ट पर सोने का इंतजाम। मैंने वहाँ कुछ नए दोस्त बनाए—राहुल, विक्की, और कुछ लोकल लड़के। हम दिन भर मस्ती करते, गलियों में घूमते, और शादी के फंक्शन में मजे लेते। दीदी अपनी फ्रेंड्स के साथ व्यस्त थी, लेकिन मैंने नोटिस किया कि वो बार-बार एक लड़के, अभिषेक, से बात कर रही थी। अभिषेक उसकी फ्रेंड का होने वाला पति था। वो दीदी को कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रहा था, और दीदी भी उससे हंस-हंसकर बात करती थी। मुझे थोड़ा शक हुआ, लेकिन मैंने सोचा, “शादी का माहौल है, शायद नॉर्मल है।”

रात हुई तो हम सब चट्ट पर बिस्तर लगाकर सोने की तैयारी करने लगे। दीदी और मैं पास-पास ही सोए। मैं थक गया था, तो जल जल्दी नींद आ गई। लेकिन आधी रात को मुझे कुछ फुसफुसाहट की आवाजें सुनाई दीं। मैंने धीरे से आँख खोली तो देखा कि अभिषेक दीदी के ऊपर झुका हुआ था। दीदी की साड़ी का पल्लू सरक गया था, और अभिषेक उसके गले पर चूम रहा था। दीदी की साँसें तेज थीं, और वो हल्के-हल्के सिसकारियाँ भर रही थी। मैंने गौर से देखा, अभिषेक ने दीदी का ब्लाउज ऊपर उठाया, और उसके गोरे, टाइट बूब्स बाहर आ गए। वो उन्हें धीरे-धीरे सहला रहा था, और दीदी की आँखें बंद थीं, जैसे वो उस पल में खो गई हो। मेरा दिमाग गर्म हो गया। मैंने सोचा, “ये क्या हो रहा है? मैं अभी उठकर इस साले को ठोकता हूँ!” लेकिन मैं चुप रहा। कहीं न कहीं ये सब देखकर मेरा लंड खड़ा हो रहा था।

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अभिषेक ने धीमे से कहा, “चलो बेबी, अब एक बार तो करने दो।” दीदी ने मना किया, “नहीं, कोई जाग गया तो हम दोनों की गांड फट जाएगी।” लेकिन अभिषेक नहीं माना। उसने दीदी के होंठों पर जोर से चूमा, और फिर दोनों आधे घंटे तक बस किस करते रहे। दीदी की लाल लिपस्टिक स्मज हो रही थी, और अभिषेक उसके होंठों को ऐसे चूस रहा था जैसे कोई भूखा शेर। दीदी की साँसें और तेज हो गई थीं, और वो अभिषेक के सीने पर हाथ फेर रही थी। मैं सोच रहा था, “साले, इतना किस करने से क्या मिल रहा है?” लेकिन दीदी अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी। उसका चेहरा लाल था, और वो अभिषेक की शर्ट खींच रही थी।

फिर अभिषेक ने दीदी को नीचे एक कमरे में ले गया। मैं चुपके-चुपके उनके पीछे गया। कमरा अंधेरा था, लेकिन चाँद की रोशनी में सब साफ दिख रहा था। दीदी पूरी नंगी थी। उसका गोरा बदन चमक रहा था, जैसे कोई मोम की मूर्ति। अभिषेक भी नंगा था, और उसका लंड खड़ा था। वो दीदी के बूब्स को चूस रहा था, और दीदी की सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं। अभिषेक ने अपनी जेब से एक लॉलीपॉप निकाला और उसे दीदी की चूत में धीरे-धीरे डाल दिया। दीदी की चूत गीली थी, और वो “आह… ओह…” की आवाजें निकाल रही थी। अभिषेक लॉलीपॉप को अंदर-बाहर करने लगा, जैसे दीदी की चुदाई कर रहा हो। फिर उसने लॉलीपॉप निकाला और उसे चूसने लगा, जैसे उसका स्वाद ले रहा हो। दीदी ने अभिषेक का लंड पकड़ा और उसे मुँह में लिया। वो उसे लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी, धीरे-धीरे, फिर तेज-तेज। अभिषेक के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं, और वो दीदी के बालों को सहला रहा था।

वो दोनों इतने खोए हुए थे कि उन्हें कुछ होश नहीं था। अभिषेक ने दीदी को दीवार के सहारे खड़ा किया और उसकी चूत पर अपनी जीभ फेरने लगा। दीदी की टांगें काँप रही थीं, और वो “अभिषेक… और करो… आह…” बोल रही थी। अभिषेक ने अपनी उंगलियाँ दीदी की चूत में डालीं और तेजी से अंदर-बाहर करने लगा। दीदी की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल रही थीं। उसका चेहरा लाल था, और वो अभिषेक को और करीब खींच रही थी। मैं ये सब देखकर पागल हो रहा था। मेरा लंड अब फटने को तैयार था। मैंने चुपके से अपनी पैंट में हाथ डाला और मुठ मारने लगा। तभी गलती से मेरे पास रखा एक ग्लास नीचे गिर गया। आवाज सुनते ही दोनों हड़बड़ा गए और बाहर आ गए।

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दीदी ने मुझे देखा और गुस्से में बोली, “तू यहाँ क्या कर रहा है?”

मैं डर गया, लेकिन हिम्मत करके बोला, “दीदी, तू यहाँ क्या कर रही है?”

वो हड़बड़ाई और बोली, “मैं तो पानी पीने आई हूँ।”

मैंने कहा, “दीदी, मैंने सब देख लिया है। अब मैं ये सब मम्मी-पापा को बता दूँगा, नहीं तो अभी मेरे साथ चल।”

अगले दिन हम घर वापस आ गए। दीदी को डर था कि मैं मम्मी-पापा को सब बता दूँगा। लेकिन मेरा मन अब कुछ और ही चाह रहा था। दीदी को देखकर मेरा लंड हर वक्त खड़ा रहने लगा था। उसकी वो नंगी तस्वीर मेरे दिमाग में बार-बार घूम रही थी। एक रात मैं दीदी के कमरे में नंगा ही चला गया। दीदी ने मुझे देखा और चौंककर बोली, “प्रमोद, तू अब बड़ा हो गया है। कपड़े क्यों नहीं पहने?”

मैंने बिंदास बोला, “दीदी, मैं आज तुझे चोदना चाहता हूँ।”

दीदी ने मना किया, “ये तू क्या बोल रहा है? ये सब गलत है।”

मैंने उसे ब्लैकमेल किया, “अगर तू नहीं मानी, तो मैं मम्मी-पापा को सब बता दूँगा।” दीदी डर गई। मैंने उसके हाथ पकड़े। उसकी साँसें तेज थीं, और उसका चेहरा लाल हो रहा था। मैंने उसे किस करना शुरू किया। दीदी के होंठ इतने नरम थे कि मैं पागल हो गया। उसकी लाल लिपस्टिक मेरे होंठों पर लग रही थी, और मैं उसे खाने लगा। हम दोनों करीब एक घंटे तक किस करते रहे। दीदी की साँसें तेज थीं, और वो हल्के-हल्के रो रही थी, लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने उसका टॉप उतारा और उसके बूब्स को देखकर दंग रह गया। वो इतने गोरे और टाइट थे कि मैंने फट से उन्हें मुँह में लिया। मैं जोर-जोर से चूसने लगा, और दीदी की सिसकारियाँ शुरू हो गईं। मैंने उसके निप्पल्स को हल्के से काटा, और वो “आह… प्रमोद…” बोलकर सिहर उठी। मैंने उसके बूब्स को इतना चूसा कि वो लाल हो गए, लेकिन उनमें से दूध नहीं निकला।

फिर मैंने दीदी की जींस उतारी। उसकी चूत एकदम चिकनी थी, जैसे कोई गुलाब की पंखुड़ी। मैंने उसे चाटना शुरू किया। दीदी की चूत का स्वाद ऐसा था कि मैं पागल हो गया। मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत के अंदर तक डाला, और वो “आह… ओह… रुक जा…” बोल रही थी। उसकी चूत गीली हो चुकी थी, और उसका रस मेरे मुँह में आ रहा था। मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में डालीं और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। दीदी की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल रही थीं। उसने मेरे बाल पकड़े और मुझे और करीब खींच लिया।

लेकिन तभी मैं इतना उत्तेजित हो गया कि झड़ गया। दीदी ने हंसते हुए कहा, “फट्टू, तेरी तो इतनी ही जान है?”

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मैंने गुस्से में कहा, “रुक, अभी दिखाता हूँ।”

मैं किचन से गुलाब जामुन की चाशनी लाया और अपने लंड पर लगाई। फिर दीदी से बोला, “इसे चूस।” दीदी ने पहले मना किया, लेकिन मेरी धमकी सुनकर मान गई। उसने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। उसका मुँह इतना गरम था कि मैं सातवें आसमान पर था। वो मेरे लंड को धीरे-धीरे चूस रही थी, फिर तेज-तेज। मैंने उसके बाल पकड़े और उसे और गहराई तक चूसने को कहा। दीदी की जीभ मेरे लंड पर ऐसे घूम रही थी जैसे वो कोई आइसक्रीम चाट रही हो। मैंने दीदी की चूत पर भी चाशनी लगाई और उसे चाटने लगा। उसकी चूत का स्वाद और चाशनी का मिठास मिलकर ऐसा मजा दे रहा था कि मैं बेकाबू हो गया। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धीरे-धीरे अंदर डाला। दीदी की चूत टाइट थी, लेकिन गीली होने की वजह से लंड आसानी से अंदर चला गया। मैं उसे जोर-जोर से चोदने लगा। दीदी की सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूंज रही थीं। वो “आह… प्रमोद… धीरे… आह…” बोल रही थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और और तेज धक्के मारने लगा। दीदी की चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और हर धक्के के साथ उसका बदन काँप रहा था।

लेकिन मैंने देखा कि दीदी की चूत से खून नहीं निकला। मैंने पूछा, “दीदी, ये खून क्यों नहीं निकल रहा?”

वो बोली, “मैं पाँच दिन पहले तेरे दोस्त पटेल से चुद चुकी हूँ।”

ये सुनकर मेरा खून खौल गया। मैंने गुस्से में कहा, “रंडी, तूने मेरे दोस्त तक को नहीं छोड़ा?”

मैंने गुस्से में तेल की बोतल उठाई और दीदी की गांड पर तेल लगाया। मैंने उसकी गांड को सहलाया, और फिर एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड उसकी टाइट गांड में घुस गया। दीदी को इतना दर्द हुआ कि वो चीख पड़ी और रोने लगी। वो “प्रमोद, रुक जा… दर्द हो रहा है…” बोल रही थी, लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और कुछ देर बाद दीदी की सिसकारियाँ फिर शुरू हो गईं। मैंने उसकी चूत पर अपना पानी निकाला और वहाँ से चला गया। उस दिन के बाद दीदी मुझसे नाराज हो गई और मुझसे बात करना बंद कर दिया। लेकिन मेरे दिमाग में उसकी वो नंगी तस्वीर बार-बार घूमती थी। मैं सोचता था कि काश वो फिर से मेरे साथ वो सब करे।

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