नंगी दीदी मेरे लंड पर बैठ गयी

एक बार की बात है। हमारे छोटे से गांव के घर में उस रात सन्नाटा पसरा हुआ था। दादाजी की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, तो मम्मी-पापा को गांव जाना पड़ा। उन्होंने मुझे और शिवानी दीदी को घर पर ही रहने को कहा और चले गए। घर में बस हम दो लोग थे, और मम्मी-पापा की गैरमौजूदगी में एक अजीब सी आजादी का एहसास हो रहा था। मैं, रॉबिन, और मेरी दीदी शिवानी, जो मुझसे दो साल बड़ी थी, हम दोनों का मन घर में अकेले कुछ लग नहीं रहा था। दीदी का चेहरा थोड़ा उदास था, शायद अपने बॉयफ्रेंड की याद में, और मैं भी बोर हो रहा था।
हमने सोचा कि टाइम पास करने के लिए टीवी देख लिया जाए। सोफे पर बैठकर हम चैनल बदलते रहे। बाहर बारिश की हल्की फुहार पड़ रही थी, और खिड़की से ठंडी हवा कमरे में आ रही थी। अचानक टीवी पर एक हॉलीवुड मूवी शुरू हुई, और उसमें एक बोल्ड सीन आ गया। नायक-नायिका एक दूसरे के इतने करीब थे कि उनके होंठ एक-दूसरे को छू रहे थे, और फिर जोरदार किसिंग सीन शुरू हो गया। मम्मी-पापा होते तो शायद रिमोट छीनकर चैनल बदल देते, लेकिन आज कोई रोक-टोक नहीं थी। मैंने दीदी की तरफ देखा, वो स्क्रीन पर टकटकी लगाए देख रही थीं। उनकी सांसें थोड़ी तेज हो रही थीं, और मैंने महसूस किया कि मेरा लंड भी हल्का सा तनने लगा था।
दीदी अचानक उठीं और बोलीं, “मैं बाहर जा रही हूँ, थोड़ा फोन पर बात कर लूँ।” मुझे पता था कि वो अपने बॉयफ्रेंड से बात करने जा रही थीं। मैं अकेले टीवी देखता रहा, लेकिन मेरा दिमाग उसी सीन में अटक गया था। रात के दस बज चुके थे, और दीदी अभी भी बाहर थीं। मैंने सोचा, शायद वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ कुछ हॉट बातें कर रही होंगी। आखिरकार, दीदी वापस आईं, और उनके चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी।
मैंने कहा, “दीदी, मैं सोने जा रहा हूँ।”दीदी ने हल्का सा सिर हिलाया और बोलीं, “हाँ, ठीक है।”मैंने फिर कहा, “आप भी चलो ना।”दीदी ने फोन स्क्रॉल करते हुए कहा, “रुक, मैं भी आ रही हूँ।”
हम दोनों ऊपर अपने कमरे में चले गए। कमरे में एक ही डबल बेड था, क्योंकि हमारा घर छोटा था, और बचपन से हम दोनों एक साथ सोते थे। मैं बिस्तर पर लेट गया, और दीदी अपने फोन में कुछ देख रही थीं। मैंने आँखें बंद कर लीं, लेकिन नींद कहाँ आने वाली थी। रात के करीब दो बजे मेरी आँख खुली, क्योंकि मुझे कुछ अजीब सी आवाज सुनाई दी। पहले तो लगा कि दीदी के फोन से कोई वीडियो चल रहा है, लेकिन फिर ध्यान से सुना तो समझ आया कि ये पोर्न मूवी की आवाज थी। “आह… आह…” की हल्की सी सिसकारियाँ, और फिर चप-चप की आवाज। मैं समझ गया कि दीदी अपनी चूत में उंगली कर रही थीं। उनकी गीली चूत की आवाज साफ सुनाई दे रही थी, जैसे वो पूरी तरह डूब चुकी थीं।
मेरा लंड अब फुंफकार मार रहा था। मैं चुपके से लेटा रहा, क्योंकि अगर मैं हिलता तो दीदी को पता चल जाता कि मैं जाग रहा हूँ। मेरी पीठ उनकी तरफ थी, तो मैं कुछ देख नहीं पा रहा था, लेकिन मेरे कान उनकी हर सिसकारी को पकड़ रहे थे। दीदी की सांसें तेज हो रही थीं, और उनकी उंगली की चप-चप की आवाज मेरे लंड को और सख्त कर रही थी। मैंने अपने लंड को लोवर के ऊपर से हल्का सा दबाया, लेकिन हिम्मत नहीं हुई कि कुछ और करूँ। काफी देर तक यही चलता रहा, और फिर कब मुझे नींद आ गई, पता ही नहीं चला।
सुबह जब मैं उठा, तो दीदी पहले ही उठ चुकी थीं। वो किचन में चाय बना रही थीं, और सब कुछ सामान्य लग रहा था। लेकिन मेरा दिमाग रात की उन आवाजों में अटक गया था। मेरा लंड सुबह-सुबह ही तन गया था, और मैं बाथरूम में भागा। वहाँ मैंने दीदी की गीली चूत की कल्पना की और जोर-जोर से मुट्ठी मारी। मेरा माल इतना निकला कि फर्श पर बिखर गया। मैं इतना डूबा हुआ था कि साफ करना भूल गया।
तभी दीदी ने बाहर से आवाज लगाई, “रॉबिन, चाय तैयार है!” मैं जल्दी से फ्रेश हुआ और बाहर चाय पीने बैठ गया। दीदी बाथरूम में नहाने चली गईं। थोड़ी देर बाद उनकी जोरदार आवाज आई, “रॉबिन, इधर आ!” मैं भागा तो देखा कि दीदी सिर्फ टॉवल लपेटे खड़ी थीं। उनकी गीली जांघें और टॉवल के नीचे से झांकती उनकी चूत की हल्की सी शेप मेरे लंड को फिर से खड़ा कर रही थी। लेकिन दीदी का चेहरा गुस्से से लाल था।
उन्होंने फर्श की तरफ इशारा करते हुए कहा, “ये क्या है?”मैंने देखा तो मेरी गांड फट गई। मेरा माल फर्श पर वैसा ही पड़ा था। मैं घबराते हुए बोला, “दीदी, ये… मैंने नाक साफ की थी।”दीदी ने गुस्से में कहा, “मुझसे झूठ मत बोल… मुझे नहीं दिख रहा कि ये क्या है?”मैं डर के मारे कांपने लगा, “प्लीज दीदी, पापा को मत बताना।”
तभी दीदी अचानक हंस पड़ीं। “अरे पागल, मैं मुट्ठी मारने की बात नहीं कर रही। कम से कम साफ तो कर देता, गधा!” वो जोर-जोर से हंसने लगीं। उनके मुँह से “मुट्ठी मारना” सुनकर मैं दंग रह गया। फिर वो बोलीं, “अच्छा, अभी मैं फिसल कर गिर जाती, पगले। आगे से साफ रखा कर। चल, मैं साफ कर देती हूँ।”
मैं हॉल में चला गया, लेकिन मेरे दिमाग में अब दीदी की वो हंसी और उनके शब्द गूंज रहे थे। ये मेरे लिए एक ग्रीन सिग्नल था। मैं अब दीदी को चोदने के लिए बेताब था। दीदी नहाकर बाहर आईं, और सब कुछ सामान्य लग रहा था। लेकिन मेरे दिमाग में बस उनकी गीली चूत और रात की सिसकारियाँ घूम रही थीं।
दिन भर मैं दीदी के साथ किचन में हेल्प करता रहा, लेकिन वो ऐसी बात कर रही थीं जैसे कुछ हुआ ही न हो। मैंने सेक्स की बात छेड़ने की कोशिश की, लेकिन दीदी कोई सिग्नल नहीं दे रही थीं। मैं बस रात का इंतजार कर रहा था, क्योंकि मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था।
रात को हमने खाना खाया और फिर टीवी देखने बैठ गए। आज रिमोट मेरे हाथ में था, और मैं जानबूझकर एक हॉलीवुड हॉरर मूवी लगाई, जिसमें ढेर सारे बोल्ड सीन थे। एक सीन में नायिका पूरी नंगी थी, और नायक उसकी चूत को चाट रहा था। मैंने दीदी की तरफ देखा, उनकी आँखें स्क्रीन पर टिकी थीं, और उनकी जांघें हल्की सी सिकुड़ रही थीं। थोड़ी देर बाद दीदी बाहर चली गईं, शायद अपने बॉयफ्रेंड से बात करने।
वो इस बार काफी देर तक बात करती रहीं। रात के ग्यारह बज गए थे। जब दीदी वापस आईं, तो उनके चेहरे पर वही चमक थी। वो बोलीं, “चल, सोते हैं, रात हो चुकी है।” हम दोनों ऊपर कमरे में गए। मैंने इस बार जानबूझकर दीदी की तरफ सिर करके लेट गया, ताकि सब देख सकूँ। लेकिन दीदी बस फोन में कुछ देख रही थीं, और कोई हरकत नहीं कर रही थीं। मैंने सोचा, शायद आज कुछ नहीं होगा। मुट्ठी मारने की वजह से मुझे नींद आ रही थी, और मैं सो गया।
आधी रात को मेरी नींद खुली, क्योंकि मुझे लगा कि कोई मेरे लोवर में हाथ डाल रहा है। मैंने आँखें हल्की सी खोलीं तो देखा कि दीदी मेरे लंड को धीरे-धीरे सहला रही थीं। मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। दीदी ने तेल की शीशी लाई और मेरे लोवर को नीचे सरकाया। उन्होंने मेरे लंड पर तेल की धार डाली और उसे चिकना करने लगीं। मेरा साढ़े छह इंच का लंड अब पूरा तन गया था, और उसकी मोटाई देखकर दीदी की आँखें चमक रही थीं।
वो धीरे-धीरे मेरे लंड को चूसने लगीं। उनकी गर्म जीभ मेरे सुपारे पर फिसल रही थी, और मैं स्वर्ग में था। दीदी ने एक हाथ अपनी चूत पर रखा और उसे रगड़ने लगीं। उनकी चूत इतनी गीली थी कि चप-चप की आवाज कमरे में गूंज रही थी। मैं बस लेटा रहा, क्योंकि अगर मैं हिलता तो दीदी को पता चल जाता। फिर दीदी ने अपनी सलवार और पैंटी उतारी और मेरे ऊपर आ गईं। उनकी गुलाबी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थी, और वो धीरे-धीरे उसे अंदर लेने की कोशिश कर रही थीं।
उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा मोटा लंड आसानी से नहीं जा रहा था। दीदी सुपारे को अपनी चूत पर रगड़ रही थीं, और उनकी सिसकारियाँ तेज हो रही थीं। “आह… रॉबिन… कितना मोटा है तेरा लंड,” वो धीरे से बड़बड़ा रही थीं। आखिरकार, उन्होंने पूरा लंड अंदर ले लिया और धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होने लगीं। उनकी चूत की गर्मी और गीलापन मेरे लंड को पागल कर रहा था।
मुझसे अब रहा नहीं गया। मैंने दीदी के हाथ पकड़े और एक झटके में उन्हें नीचे लिटा दिया। मैं उनके ऊपर चढ़ गया और बोला, “धीरे-धीरे कब तक चुदोगी दीदी, आओ मैं तुम्हें अपने रॉकेट से तारे दिखा लाऊं!”दीदी शर्म से लाल हो गईं और बोलीं, “हट… ये क्या कर रहा है पागल! कब जागा?”मैंने कहा, “मैं सोया ही कहाँ था दीदी… तब से जाग ही तो रहा हूँ… और अब काहे की शर्म। अब तो बस रोज ही चुदना है।”
मैंने दीदी को जोर-जोर से चोदना शुरू किया। उनकी चूत इतनी गीली थी कि चप-चप की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी। मैंने उनके टॉप को फाड़ दिया और उनकी चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगा। उनकी चूचियाँ गोल और सख्त थीं, और निप्पल इतने टाइट कि मेरे मुँह में पानी आ गया। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा, जबकि मेरा लंड उनकी चूत में धक्के मार रहा था।
दीदी सिसकार रही थीं, “आह… रॉबिन… और जोर से… फाड़ दे मेरी चूत!” मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से उनका गोल गांड देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारा और लंड को उनकी चूत में पूरा घुसा दिया। दीदी की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “हाय… रॉबिन… कितना मोटा है तेरा लंड… चोद दे मुझे!”
मैंने कई पोजीशन में दीदी को चोदा—घोड़ी बनाकर, उनकी टांगें उठाकर, और फिर उन्हें अपनी गोद में बिठाकर। हर धक्के के साथ उनकी चूत और गीली हो रही थी, और मेरा लंड उनकी चूत की गहराई में जा रहा था। आखिरकार, मैं झड़ने वाला था। मैंने कहा, “दीदी, मेरा माल निकलने वाला है!”दीदी बोलीं, “अंदर मत झड़ना, पागल… मेरे मुँह में दे!” मैंने लंड बाहर निकाला, और दीदी ने उसे मुँह में लेकर चूस लिया। मेरा गर्म माल उनके मुँह में गिरा, और वो उसे चाट गईं।
उस रात हम दोनों कई बार झड़े। अगले तीन दिन तक, जब मम्मी-पापा घर नहीं थे, हमने दिन-रात चुदाई की। कभी किचन में, कभी बाथरूम में, और कभी छत पर। दीदी की चूत और मेरे लंड का जैसे एक-दूसरे से रिश्ता बन गया था।
जब मम्मी-पापा वापस आए, तो हमने रात में चुपके से चुदाई जारी रखी। अब भी, जब शिवानी दीदी घर आती हैं, हम रात को जरूर चुदाई करते हैं। उनकी चूत की गर्मी और मेरे लंड की ताकत का मेल ऐसा है कि हम दोनों बस एक-दूसरे में खो जाते हैं।

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