Indian bhabhi cheating sex story – Padosan bhabhi sex story: नमस्कार दोस्तों, आपने मेरी सारी कहानियाँ पढ़ी होंगी और खूब पसंद भी की होंगी, आज एक और बिल्कुल सच्ची घटना आपके सामने रख रहा हूँ।
हमारे घर के ठीक बगल में एक किराए का मकान था, वहाँ एक नया शादीशुदा जोड़ा आकर रहने लगा, भैया का नाम रतन था, एकदम काले रंग का मर्द, पर उनकी बीवी उर्मिला भाभी कमाल की माल थी, गोरी-चिट्टी, कद करीब 5 फुट 3 इंच, चूचियाँ 36 इंच की भारी-भरकम, कमर पतली 30 इंच और गांड चौड़ी 36 इंच की गोल-मटोल, चेहरा देखो तो लगे जैसे कोई फिल्मी हिरोइन पड़ोस में आ गई हो।
रतन भैया एक पेट्रोल पंप पर नौकरी करते थे, सुबह दस बजे से रात दस बजे तक की ड्यूटी, घर पर ज्यादा वक्त नहीं गुजार पाते थे, जल्दी ही हमारे परिवार से घुल-मिल गए, मैं भी उनके घर आता-जाता रहता था, रतन मेरे हमउम्र था, इसलिए हम अच्छे दोस्त बन गए।
रात को मैं ही बाइक लेकर उन्हें पंप से लाने जाता, वहाँ से निकलते ही रोजाना बार में दो-चार पैग हो ही जाते, कभी-कभी ज्यादा हो जाती, ग्यारह-बारह बजे तक घर पहुँचते, उर्मिला भाभी हर बार टोकतीं, “राजेश, तुम भी ना इनके साथ बिगड़ गए हो, रोज दारू पीकर आते हो।”
ऐसा करीब एक महीना चलता रहा।
फिर एक रात रतन के दोस्तों ने खूब पिलाई, भैया का तो कुछ होश ही नहीं रहा, मैंने उन्हें बाइक पर बिठाया, अपनी कमर से रस्सी की तरह दुपट्टा बाँधकर घर लाया, कमरे में ले जाकर पलंग पर लिटाया, भाभी ने देखा तो हँस पड़ीं।
मैंने पूछा, “भाभी, हँस क्यों रही हो?”
वो बोलीं, “रोज होश में आते थे, आज तो होश ही उड़ गए लगता है।”
मैंने कहा, “हो जाता है कभी-कभी, ज्यादा हो गई आज।”
भाभी ने पूछा, “अब ये खाना खाएँगे या नहीं?”
मैं बोला, “अब तो सुबह ही उठेंगे, अब कुछ नहीं खाएँगे।”
मैं जाने लगा तो भाभी ने रोक लिया, “सुनो राजेश, आज इतना ज्यादा पी लिया, कहीं तकलीफ न हो जाए, प्लीज आज तुम यहीं रुक जाओ ना।”
मैंने कहा, “ठीक है भाभी, आपको तकलीफ न हो तो मैं यहीं सो जाता हूँ।”
उन्होंने मेरे लिए नीचे फर्श पर चादर-तकिया बिछा दिया, खुद पलंग पर रतन भैया के पास लेट गईं, कमरा छोटा था, इसलिए भैया को दीवार से सटाकर भाभी मेरी तरफ मुंह करके सोईं।
लाइट जल रही थी, मुझे उजाले में नींद नहीं आती, मैं इधर-उधर करवट बदलता रहा, आधे घंटे बाद भाभी ने धीरे से पूछा, “नींद नहीं आ रही क्या?”
मैं बोला, “उजाले में नहीं आती भाभी।”
वो उठीं, लाइट बंद की और फिर लेट गईं।
अब भी नींद नहीं आ रही थी, दो-तीन घंटे ऐसे ही बीत गए, रतन भैया खर्राटे ले रहे थे, बगल के घर की लाइट से हल्की-सी रोशनी कमरे में आ रही थी, भाभी गहरी नींद में लग रही थीं, नींद में करवट ली तो उनका साड़ी का पल्लू सरककर मेरे ऊपर आ गिरा, ब्लाउज में कैद दोनों भारी चूचियाँ साफ दिखने लगीं।
उस नजारे ने मेरे लंड में आग लगा दी, लंड तुरंत खड़ा हो गया, सोचा रतन तो बेवड़ा सो रहा है, थोड़ा-सा मजा ले ही लूँ, मैं धीरे से उनकी तरफ पलटा, हाथ ऊपर पलंग पर रखा और कमर पर फेरते-फेरते ब्लाउज तक पहुँचा दिया, ब्लाउज के ऊपर से ही चूचियों को सहलाने लगा, दूसरा हाथ अपनी चड्डी में डालकर लंड मसलने लगा।
भाभी अभी भी सोई रहीं, मेरी हिम्मत बढ़ी, हाथ नंगे पेट पर फेरा, पेट एकदम चिकना और गर्म था, लंड अब लोहे जैसा तना हुआ था, मैंने ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किए, दो बटन खोलते-खोलते लगा कि भाभी जाग रही हैं और सब देख रही हैं, पर कुछ बोल नहीं रही, बस मजा ले रही हैं।
मैं समझ गया खेल क्या है, अब बेखौफ होकर सारे बटन खोल दिए, अंदर ब्रा नहीं थी, दोनों बड़े-बड़े दूध बाहर आ गए, गुलाबी निप्पल रोशनी में चमक रहे थे, भाभी अब भी सोने का नाटक कर रही थीं, मैंने झुककर एक निप्पल मुँह में लिया और चूसने लगा, “चुप्प… चुस्स… चम्मच… चम्मच…” की आवाजें आने लगी, दोनों हाथों से चूचियों को मसलता रहा।
भाभी की साँसें गरम होने लगीं, आहिस्ता से आँखें खोलीं और मेरे होंठों से खेलने लगीं, मैंने उन्हें नीचे अपने बिस्तर पर खींच लिया, गोद में बिठाया और गहरे-लंबे चुंबन करने लगा, जीभ एक-दूसरे के मुँह में डालकर चूसने लगे, “चुम्म… चुम्म्म… स्स्लप… स्लप्प…” की आवाजें कमरे में गूँजने लगीं।
पाँच मिनट भी नहीं बीते थे कि भाभी ने मेरी पैंट में हाथ डालकर लंड पकड़ लिया, मैंने भी फटाफट पैंट-चड्डी नीचे की और अपना मोटा सात इंच का लंड उनके हाथ में थमा दिया, भाभी ने उसे प्यार से सहलाया फिर मुँह में लेकर चूसने लगीं, “ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गों… गों… गोग… गोग…” की गहरी गले तक की आवाजें आने लगी, मैं उनकी चूचियाँ मसलता रहा।
मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट कमर तक ऊपर उठा दिया, सफेद पैंटी पर गीलेपन का बड़ा-सा धब्बा था, मैंने पैंटी साइड की और दो उँगलियाँ उनकी चूत में डाल दीं, चूत पूरी तरह भीगी हुई थी, उँगलियाँ “चचप… चचप…” करती घुस-निकल रही थीं, भाभी की सिसकियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… इह्ह… राजेश… और अंदर… हाँ…”
अब भाभी से रहा नहीं जा रहा था, उन्होंने इशारे से लंड चूत में डालने को कहा, मैंने भी वक्त की नजाकत समझी, भाभी खुद ही पीठ के बल लेटीं, दोनों टाँगें चौड़ी कीं और चूत को उँगलियों से फैलाकर मुझे अपनी ओर खींचने लगीं।
मैंने उनके दोनों पैर कंधों पर रखे, लंड का सुपाड़ा चूत के मुँह पर रगड़ा, एक जोरदार झटका मारा, पूरा लंड फचाक से जड़ तक अंदर समा गया, भाभी के मुँह से चीख निकल गई, “आअह्ह्ह… मर गयी… आह्ह्ह… बहुत मोटा है तेरा… धीरे…”
मैंने उनका मुँह हाथ से बंद कर दिया और धीरे-धीरे चोदना शुरू किया, दस-पंद्रह धक्कों में उनका दर्द मजे में बदल गया, वो अपनी गांड ऊपर उठाकर साथ देने लगीं, “आह… ह्ह… और जोर से… हाँ… आह्ह… पेल मुझे…”
मैंने स्पीड बढ़ाई, लंड चूत को चीरता हुआ गपागप… गपागप… अंदर-बाहर हो रहा था, कमरे में बस “फच-फच… फचाक… फचाक…” की आवाजें और भाभी की दबी हुई सिसकियाँ, “आह्ह… ह्हा… ऊईई… माँ… आह्ह्ह… राजेश… और तेज…”
मैंने उनकी चूचियाँ जोर-जोर से मसलता रहा, निप्पल चुटकियाँ ले-लेकर खींचता रहा, पंद्रह मिनट की जोरदार चुदाई के बाद भाभी ने मुझे कसकर जकड़ लिया, उनका पूरा बदन काँपने लगा, चूत ने लंड को जोर से जकड़ लिया, भाभी झड़ गईं, “आअह्ह्ह… ऊईईई… आ गया… आह्ह्ह…”
मैं रुका नहीं, और दो-तीन मिनट और तेज झटके मारता रहा, फिर मैंने भी सारी पिचकारियाँ उनकी चूत के अंदर छोड़ दीं, गर्म वीर्य की धारें चूत में भरता महसूस हुआ, हम दोनों पसीने से तर, एक-दूसरे से लिपटे रहे।
थोड़ी देर बाद कपड़े ठीक किए और अपनी-अपनी जगह लेट गए।
अगले दिन रतन भैया पंप चले गए, मैं भाभी के पास गया तो वो शरमाते हुए बोलीं, “रतन रोज दारू पीकर सो जाते हैं, मेरी प्यास अधूरी रह जाती है, तुमने कल उसे बुझा दिया, अब जब भी मौका मिले, मेरी चूत की आग बुझाया करो।”
उसके बाद जब भी रतन भैया बाहर होते, मैं उर्मिला भाभी को खूब चोदता, कभी किचन में झुकाकर, कभी छत पर घोड़ी बनाकर, उनकी चूत का पूरा रस निचोड़ लेता, आज उनके तीन बच्चे हैं, गाँव में अपना मकान बना लिया है, पर जब भी मैं गाँव जाता हूँ, उनके घर जरूर रुकता हूँ और घर खाली होते ही भाभी की चूत की प्यास बुझा देता हूँ।