दिल्ली स्कूल मैडम की चुदाई

Delhi school madam chudai मेरा नाम रचित है। मैं 28 साल का हूँ, दिल्ली में रहता हूँ और एक एमएनसी कंपनी में काम करता हूँ। मैं ज़िंदगी को हर पल जीने का शौकीन हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 11 इंच है, रंग गोरा, और बॉडी फिट, क्योंकि मैं जिम जाता हूँ। दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और सरीता विहार जैसे इलाकों में मैं अब तक लगभग 15 हाउसवाइफ्स के साथ चुदाई कर चुका हूँ। वो मेरी चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट रहती हैं, क्योंकि मेरे लिए चुदाई सिर्फ़ शारीरिक सुख नहीं, बल्कि पूरी तरह से मज़ा देना और संतुष्ट करना मेरा मकसद है। मैं 100% गोपनीयता रखता हूँ। अगर कोई बात करना चाहे, तो मुझे ईमेल कर सकता है। आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो बिल्कुल सच्ची है और मेरे दिल के बहुत करीब है।

बात तब की है, जब मैं बारहवीं क्लास में था। मेरी उम्र उस वक्त 18 साल थी। मैं साइंस में बहुत कमज़ोर था। मेरी टीचर थीं राधिका मैडम, जो हमें साइंस पढ़ाती थीं। राधिका मैडम की उम्र करीब 30 साल थी, शादीशुदा थीं, और उनकी खूबसूरती देखकर कोई भी पागल हो जाए। उनका फिगर 34-28-36 था, रंग गोरा, और आँखें इतनी गहरी कि उनमें डूब जाने का मन करता था। उनकी स्माइल में एक अजीब सी कशिश थी, और उनकी साड़ी में उनका फिगर और भी निखर कर सामने आता था। लेकिन मैं उनके सामने हमेशा थोड़ा घबराया रहता था, क्योंकि साइंस में मेरी हालत पतली थी।

एक दिन मैंने हिम्मत करके उनसे कहा, “मैडम, मैं साइंस में बहुत कमज़ोर हूँ। क्या आप मुझे होम ट्यूशन दे सकती हैं?” मेरे पापा के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी, तो मैंने सोचा कि शायद मैडम मान जाएँ। और वाकई, वो मान गईं। बोलीं, “ठीक है, रचित। मैं तुम्हें ट्यूशन दूँगी। लेकिन मेहनत करनी पड़ेगी।” मैंने झट से हाँ कर दी। इस तरह राधिका मैडम मेरे घर आने लगीं।

एक दिन की बात है, मैं घर पर अकेला था। मम्मी-पापा किसी रिश्तेदार के यहाँ गए थे। मैडम उस दिन साड़ी में थीं, नीली साड़ी, जो उनके बदन से चिपकी हुई थी। उनकी कमर का उभार और ब्लाउज़ से झाँकते उनके क्लीवेज को देखकर मैं थोड़ा बेचैन हो गया। लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया। मैडम ने किताब खोली और बोलीं, “रचित, आज हम रिप्रोडक्शन सिस्टम पढ़ेंगे।”

मैंने मासूमियत से पूछा, “मैडम, ये रिप्रोडक्शन सिस्टम क्या होता है?”

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वो मुस्कुराईं और बोलीं, “रचित, इसे जनन प्रणाली कहते हैं। इसमें मर्द और औरत के जनन अंग हिस्सा लेते हैं।”

मैंने फिर पूछा, “मैडम, ये जनन अंग क्या होते हैं?”

उन्होंने मेरी तरफ देखा, उनकी आँखों में एक चमक थी। बोलीं, “रचित, तुम्हारे शरीर के निचले हिस्से में तुम्हारा जनन अंग है, और मेरे शरीर के निचले हिस्से में मेरा जनन अंग। लड़कों के जनन अंग को लंड कहते हैं, और लड़कियों के जनन अंग को चूत।”

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मैं थोड़ा शरमाया, लेकिन उत्सुकता भी थी। मैंने कहा, “मैडम, ये तो वही है ना, जिससे मैं पेशाब करता हूँ?”

वो हँसीं और बोलीं, “हाँ, रचित। लेकिन वो सिर्फ़ पेशाब के लिए नहीं, बल्कि चुदाई के लिए भी है। चलो, मैं तुम्हें प्रैक्टिकल दिखाती हूँ। खड़े हो जाओ।”

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मैं खड़ा हो गया। उस दिन मैंने जीन्स पहनी थी। मैडम मेरे पास आईं, और मेरी जीन्स का हुक खोल दिया। मेरी साँसें तेज़ हो गईं। फिर उन्होंने ज़िपर नीचे की और जीन्स को मेरे घुटनों तक खींच दिया। मैं सिर्फ़ कच्छे में था। मेरी धड़कनें तेज़ थीं। मैडम ने कहा, “रचित, ये कच्छा भी उतार दो।”

मैंने हिचकिचाते हुए कहा, “मैडम, ये क्यों?”

वो बोलीं, “रचित, तुम्हारा लंड इसी कच्छे के अंदर है। दिखाओ, मैं देखूँ।”

मैंने शरमाते हुए कच्छा उतार दिया। मेरा लंड, जो पहले से ही थोड़ा खड़ा हो चुका था, उनके सामने था। वो बोलीं, “वाह, रचित! तेरा लंड तो बड़ा गोरा और टाइट है। देख, यही लंड औरत की चूत में जाता है, और चुदाई होती है। इससे बच्चा पैदा होता है।”

मैंने पूछा, “मैडम, लेकिन लंड से तो मुठ निकलता है। क्या उससे बच्चा पैदा होता है?”

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वो हँसीं और बोलीं, “रचित, तुम तो बड़ा भोला है। हाँ, वही मुठ औरत की चूत में जाता है, तभी बच्चा पैदा होता है।”

फिर मैडम ने अपनी साड़ी को थोड़ा ऊपर उठाया और अपनी सलवार की तरफ इशारा करते हुए कहा, “रचित, इसके अंदर मेरी चूत है। जब मेरी शादी नहीं हुई थी, तब इसे बुर कहते थे। लेकिन शादी के बाद, जब ये लंड से चुदने लगी, तो इसे चूत कहते हैं।”

वो खड़ी हुईं और एक झटके में अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया। सलवार उनकी कमर से नीचे सरक गई। नीचे उन्होंने लाल रंग की पैंटी पहनी थी, जो इतनी पतली थी कि उनके चूतड़ों का उभार साफ़ दिख रहा था। मैं देखता रह गया। मैडम ने कहा, “रचित, इधर आ, और इस पैंटी के अंदर अपना हाथ डाल।”

मैंने हिचकिचाते हुए अपना हाथ उनकी पैंटी में डाला। अंदर गर्मी और गीलापन था। मैंने झट से हाथ निकाल लिया और कहा, “मैडम, ये तो बहुत गर्म और गीला है! क्या आपने पेशाब कर दिया?”

वो ज़ोर से हँसीं और बोलीं, “नहीं रचित, ये चूत का पानी है। जब औरत को मज़ा आता है, तो चूत गीली हो जाती है।” फिर उन्होंने अपनी पैंटी भी उतार दी। उनकी चूत मेरे सामने थी। ऊपर हल्के काले बाल थे, जो उन्होंने शेव किए हुए थे। मैडम ने कहा, “देख, ये मेरी चूत है। इसमें गहराई है, और यहीं लंड जाता है।”

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मैंने कहा, “मैडम, ये तो नहर जैसी है। दोनों तरफ़ दीवारें और बीच में गहराई।”

वो बोलीं, “हाँ, रचित। यही चूत है। अब मैं तुम्हें प्रैक्टिकल दिखाती हूँ।” वो पढ़ाई की टेबल पर चढ़ गईं, अपनी साड़ी को कमर तक उठाया, और अपने पैर फैलाए। उनकी चूत मेरे सामने पूरी तरह खुली थी। वो बोलीं, “रचित, अपना लंड मेरी चूत के मुहाने पर रखो।”

मैंने डरते हुए कहा, “मैडम, अगर बच्चा पैदा हो गया तो?”

वो मुस्कुराईं और बोलीं, “कोई बात नहीं, मैं टीचर हूँ ना। मैं ऐसा नहीं होने दूँगी।”

मैंने फिर कहा, “मैडम, मेरा लंड तो टाइट है। अगर आपकी चूत फट गई तो?”

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वो हँसीं और बोलीं, “नहीं फटेगी। तू बस डाल, ये अंदर चला जाएगा।”

मैंने धीरे से अपना लंड उनकी चूत के मुहाने पर रखा। मेरा लंड करीब 6 इंच लंबा और मोटा था, और उस वक्त पूरी तरह टाइट था। जैसे ही मैंने हल्का सा धक्का दिया, मेरा लंड उनकी चूत में सरसराता हुआ अंदर चला गया। “आह्ह्ह…” मैडम के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली। वो बोलीं, “रचित, धीरे-धीरे डाल। तेरा लंड बहुत टाइट है। मेरी चूत फट जाएगी।”

मैंने डरते हुए कहा, “जी, मैडम।” मैंने धीरे से धक्का दिया, और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। उनकी चूत गीली और गर्म थी, और मेरा लंड उसमें फिसल रहा था। मैंने धीरे-धीरे लंड को बाहर खींचा और फिर अंदर डाला। “उम्म्म…” मैडम ने आँखें बंद कर लीं और सिसकारी भरी।

मैंने पूछा, “मैडम, कैसा लग रहा है?”

वो बोलीं, “रचित, इसे ही चोदना कहते हैं। जब लंड चूत में आगे-पीछे होता है, तो चूत से पानी रिसता है, और चुदाई का मज़ा आता है। और ज़ोर से डाल… थोड़ा और अंदर… आह्ह्ह… बहुत अच्छा चोद रहा है तू।”

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मैंने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। हर धक्के के साथ उनकी चूत और गीली होती जा रही थी। “स्स्स… आह्ह्ह…” मैडम की सिसकारियाँ तेज़ हो रही थीं। वो बोलीं, “रचित, थोड़ा दाएँ से मार… हाँ, ऐसे… और ज़ोर से… आह्ह्ह… मेरी चूत को पेल दे… तेरा लंड बहुत मस्त है।”

मुझे भी मज़ा आने लगा था। मेरा लंड और टाइट हो गया था, और मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी और कसावट थी। मैं बोला, “मैडम, आपकी चूत को मेरा लंड चोद रहा है। कैसा लग रहा है?”

वो बोलीं, “रचित, तेरा लंड मेरी चूत को पेल रहा है, और मेरी चूत तेरे लंड से चुद रही है। आह्ह्ह… और ज़ोर से… पेल दे इसे।”

फिर मैडम ने कहा, “रचित, रुक। मैं घोड़ी बनती हूँ। तू पीछे से पेल।” वो टेबल से उतरीं और ज़मीन पर अपने दोनों हाथों के बल घोड़ी बन गईं। उनकी साड़ी कमर तक चढ़ी हुई थी, और उनकी चूत पीछे से पूरी तरह खुली थी। मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुहाने पर रखा और धीरे से धक्का दिया। “आह्ह्ह…” मैडम ने ज़ोर से सिसकारी भरी।

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मैंने पीछे से पेलना शुरू किया। हर धक्के के साथ उनकी चूत और गीली हो रही थी। “स्स्स… आह्ह्ह… रचित, और ज़ोर से… चोद दे मेरी चूत को…” वो बार-बार सिसकार रही थीं। मैंने कहा, “मैडम, आपकी चूत बहुत मस्त है। लग रहा है, मैं कोई पिस्टन चला रहा हूँ।”

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वो हाँफते हुए बोलीं, “हाँ, रचित… मेरी चूत को भोसड़ा बना दे… और ज़ोर से पेल… आह्ह्ह… तेरा लंड वाकई जवां है।”

हमारी चुदाई का ये खेल करीब 20 मिनट तक चला। हर धक्के के साथ मेरा लंड उनकी चूत की गहराइयों को छू रहा था। उनकी सिसकारियाँ और मेरे धक्कों की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। “पच… पच… आह्ह्ह… उम्म्म…” मैंने कहा, “मैडम, आपकी चूत बहुत निराली है। इसे चोदने में मज़ा आ रहा है।”

वो बोलीं, “हाँ, रचित… मेरी निराली चूत को भोसड़ा बना दे… और ज़ोर से… आह्ह्ह… पेलते रहो… मेरी चूत की प्यास बुझा दो।”

अचानक मुझे लगा कि मेरा लंड कुछ छोड़ने वाला है। मैंने कहा, “मैडम, मेरे लंड से कुछ निकलने वाला है।”

वो बोलीं, “रचित, लंड बाहर निकाल।” मैंने जल्दी से लंड बाहर निकाला, और “फच्च… फच्च…” के साथ मेरे लंड से माल की धार निकलने लगी। मैडम ने झट से उसे अपने मुँह में लिया और अपनी जीभ से चाटकर साफ कर दिया। बोलीं, “रचित, ये वही माल है, जो अगर मेरी चूत में गिर जाता, तो बच्चा पैदा हो सकता था।”

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मैं हाँफते हुए बोला, “मैडम, आपने तो मुझे चुदाई का असली मज़ा सिखा दिया।”

वो मुस्कुराईं और बोलीं, “रचित, तू बहुत अच्छा चोदता है।” फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने। मैडम ने कहा, “रचित, तुझे रिप्रोडक्शन सिस्टम समझ आया?”

मैंने कहा, “हाँ, मैडम। पूरी तरह।”

वो बोलीं, “ठीक है, रचित। अब मैं चलती हूँ। कल तुम मेरे घर आना। मेरी एक बहन है, 18 साल की। मैं उसे भी चुदाई सिखाऊँगी, तेरे साथ।”

मैंने कहा, “जी, मैडम।”

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दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? ज़रूर बताना।

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