Xxx Delhi sex kahani सर्दियों की वो ठंडी शाम थी, दिल्ली की गलियों में हल्की सी धुंध छाई थी। मैं, सचिन यादव, हरियाणा का छोरा, दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था। साथ में कोचिंग भी चल रही थी, जहाँ दिन-रात किताबों और नोट्स के बीच जिंदगी कट रही थी। मेरा बदन गठीला था, चेहरा स्मार्ट, और बातों में वो हरियाणवी ठसक जो लड़कियों को अपनी ओर खींच लेती थी। मैं और मेरे कुछ दोस्त उस दिन रात को टाइम पास करने के लिए दिल्ली के उस इलाके में घूम रहे थे, जहाँ कोचिंग इंस्टीट्यूट्स की भरमार थी। वहाँ लड़के-लड़कियों की भीड़ थी, एक से बढ़कर एक। हर कोने पर हंसी-मजाक, चाय की टपरी, और जवानी की गर्मी का आलम था।
हम लोग यूं ही ठलुआई में इधर-उधर भटक रहे थे। तभी मेरा फोन बजा। मैं बात करने में मशगूल हो गया और दोस्त थोड़ा आगे निकल गए। बात खत्म करके मैंने फोन जेब में डाला और पीछे मुड़कर देखा। एक लड़की अपनी स्कूटी को किक मार-मारकर स्टार्ट करने की कोशिश में थी, लेकिन स्कूटी थी कि टस से मस नहीं हो रही थी। पास में एक औरत खड़ी थी, शायद उसकी मम्मी। मैंने सोचा, चलो भाई, मदद ही कर देते हैं। फोन काटते हुए मैं लड़की के पास पहुंचा और बोला, “लाइए, मैं देख लेता हूँ।”
उसकी मम्मी ने तुरंत कहा, “हाँ भैया, पता नहीं क्या हो गया इस स्कूटी को, जरा चेक करो तो!” मैंने दोनों को गौर से देखा। बहनचोद, क्या माल थीं दोनों! लड़की तो मानो जवान हुस्न का तूफान थी—लंबे बाल, काली लेगिंग्स में कसी हुई टांगें, और ऊपर एक टाइट क्रॉप टॉप, जो उसकी पतली कमर और नाभि को खुल्लम-खुल्ला दिखा रहा था। उसकी मम्मी भी कम नहीं थी। टाइट जींस में उनकी गांड ऐसी उभरी थी कि मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। दोनों को देखकर मन में लड्डू फूटने लगे। मैंने सोचा, यार, इनमें से कोई एक भी फंस जाए तो जिंदगी सेट है।
मैंने स्कूटी की किक मारी, लेकिन वो स्टार्ट नहीं हुई। लड़की मुझे घूर रही थी, और मैं उसकी लेगिंग्स के बीच की उस उभरी हुई चूत को ताड़ रहा था। उफ्फ, साली की चूत का पूरा शेप दिख रहा था, जैसे कोई नक्शा हो। उसकी मम्मी की जींस में उनकी गांड तो मेरे लंड को फाड़ने पर तुली थी। मैंने कई बार कोशिश की, पसीना छूट गया, लेकिन आखिरकार स्कूटी स्टार्ट हो गई। लड़की स्कूटी पर बैठी, और उसकी मम्मी ने मुझे थैंक्यू बोला, “बेटा, शुक्रिया। तुम कहाँ से हो?”
मैंने सोचा, आंटी तो बड़ी चालू है। पहले भैया बोला, अब बेटा। मैंने हँसते हुए अपने बारे में बताया—हरियाणा का हूँ, दिल्ली में पढ़ाई कर रहा हूँ, वगैरह-वगैरह। मन में ये भी था कि अगर बात बन जाए तो कुछ जुगत भिड़ाई जाए। मैंने तुरंत मौका देखकर कहा, “आंटी, मैं यहाँ नया हूँ। कोई फ्लैट हो तो बताइए, मुझे और मेरे दोस्त को चाहिए।” आंटी ने कहा, “बेटा, मेरी नजर में तो कोई नहीं है।” लेकिन लड़की ने तुरंत अपनी मम्मी की बात काटी और बोली, “मम्मी, मधु आंटी का एक कमरा तो खाली है न, उनके बराबर वाला?” आंटी ने हँसते हुए कहा, “हाँ, मैं तो भूल ही गई थी।”
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उन्होंने मेरा नंबर लिया और बोलीं, “कल कॉल करूँगी।” मैं मन ही मन खुश हो गया। लड़की मुझे घूर रही थी, और उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। मैं समझ गया कि ये साली लंड की भूखी है। फिर वो दोनों स्कूटी पर चली गईं। मैंने अपने दोस्तों को ढूंढा, लेकिन वो लोग अपने कमरों पर लौट चुके थे। मैं भी वापस आ गया।
अगले दिन सुबह आंटी का कॉल आया। “हैलो बेटा, मैं ऋतु बोल रही हूँ।” मैंने तुरंत समझ लिया कि आंटी का नाम ऋतु है। मैंने नमस्ते बोला। उन्होंने कहा, “मैंने फ्लैट की बात कर ली है। तुम चाहो तो आकर देख लो। कितने लोग रहोगे?” मैंने कहा, “आंटी, बस मैं और मेरा एक दोस्त।” वो बोलीं, “ठीक है, एक बार आकर देख लो।” मैं तैयार हुआ और उनके बताए पते पर पहुंच गया। वहाँ कॉल किया तो उनकी बेटी बाहर आई। यार, क्या माल लग रही थी वो! छोटी सी शॉर्ट्स और टाइट टी-शर्ट में उसका फिगर ऐसा था कि मेरे लंड के साथ झांटें भी अकड़ गईं। उसने हाथ मिलाया और बोली, “हाय, मैं नीतू!” मैंने भी हँसते हुए कहा, “हाय नीतू, लुकिंग हॉट यार!” वो मुस्कुराई और बोली, “थैंक्स!”
मैं समझ गया कि ये लड़की बिल्कुल खुली किताब है। उसने मुझे फ्लैट दिखाया। वहाँ मकान मालकिन विनीता आंटी भी थीं। नीतू बार-बार मेरे हाथों को छू रही थी, जैसे पुरानी जान-पहचान हो। मैं भी मौके का फायदा उठाकर उसके हाथ टच कर रहा था। मन में बस यही था कि ये लड़की तो लंड पर कूदने को तैयार है। कुछ दिनों बाद मैं और मेरा दोस्त उस फ्लैट में शिफ्ट हो गए। ऋतु आंटी और नीतू से अच्छी दोस्ती हो गई। आंटी को मैं बहुत प्यारा लगता था। नीतू से भी खुलकर बात होने लगी।
एक सुबह मैं बिना बताए ऋतु आंटी के घर चला गया। जान-पहचान अच्छी थी, तो मैं सीधे अंदर घुस जाता था। घर में सन्नाटा था। मैंने सोचा शायद आंटी बाहर गई होंगी। फिर सोचा, नीतू तो होगी। मैं उसके कमरे की ओर गया। तभी नीतू अचानक बाहर निकली। यार, वो पूरी नंगी थी! उसकी गोरी चमकती चूचियाँ, पतली कमर, और नीचे बिल्कुल क्लीन-शेव चूत। मेरा लंड तो तुरंत तन गया। वो मुझे देखकर हड़बड़ाई और कमरे में भाग गई। मैं भी हक्का-बक्का रह गया।
थोड़ी देर बाद वो हाफ नी-नाइटी डालकर बाहर आई। उसने गुस्सा नहीं किया, बल्कि हँसते हुए बोली, “यार, घर में कोई नहीं था, तो कपड़े नहीं पहने थे।” मैंने सॉरी बोला, “मुझे नॉक करना चाहिए था।” वो बोली, “अरे, इट्स ओके!” और मेरे पास आकर बैठ गई। मेरा लंड तो पहले से ही तनाव में था। वो इतने करीब थी कि उसकी नी-नाइटी से उसकी चूचियों का उभार साफ दिख रहा था। वो बार-बार मुझे देखकर स्माइल कर रही थी। ठंड का मौसम था, लेकिन मेरे अंदर वासना की आग भड़क रही थी।
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तभी उसने कहा, “मम्मी-पापा जयपुर गए हैं, मीटिंग में। कल आएंगे। तू आज यहीं रुक जा, कोई मूवी देखेंगे।” मैंने हँसते हुए कहा, “ओके!” वो मेरी आँखों में देखकर बोली, “चल, बेडरूम में लैपटॉप पर देखते हैं।” हम दोनों एक ही कम्बल में बैठ गए। मूवी शुरू हुई, लेकिन मेरा ध्यान उसकी चूचियों पर था, जो नी-नाइटी से साफ झलक रही थीं। उसका एक पैर मेरे लंड को बार-बार छू रहा था। मेरा लंड तो लोहे की रॉड बन चुका था।
मैंने धीरे से उसके पैरों को सहलाना शुरू किया। उसकी नी-नाइटी ऊपर सरक गई थी। वो कुछ नहीं बोली। मैंने हिम्मत करके हाथ ऊपर ले गया। उसकी चिकनी जांघों पर मेरा हाथ फिसल रहा था। तभी मेरा हाथ उसकी चूत से टकराया। उफ्फ, यार, वो चूत तो गीली थी, जैसे बरसात हो गई हो! बिल्कुल चिकनी, एक भी बाल नहीं। मैं उसकी चूत पर हाथ फेरते हुए उसे देखने लगा। वो भी मुझे देख रही थी। उसने आह भरी और अपनी चूत को मेरे हाथ पर दबा दिया। उसकी आँखें वासना से लाल थीं।
मैंने उसे सीधा किया और उसकी नी-नाइटी उतार फेंकी। उसकी गोरी चूचियाँ मेरे सामने थीं, गुलाबी निप्पल तने हुए। मैंने एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। वो चिल्लाई, “आह, बहनचोद, चूस भोसड़ी के!” मैं और जोश में आ गया। “हाँ, साली, आज तेरी चूत और गांड दोनों फाड़ दूँगा!” मैंने एक चूची को चूसते हुए दूसरी को जोर-जोर से दबाया। वो बस “उफ्फ, आह, हाँ बेबी, चूस ले, बहन के लंड!” कर रही थी।
मैं नीचे गया और उसकी चूत को देखा। बिल्कुल मक्खन जैसी, गीली और चिकनी। मैंने जैसे ही जीभ लगाई, उसने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा दिया। “आह, कुत्ते, चाट मेरी चूत!” वो चिल्ला रही थी। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसका रस मुँह में आ रहा था, नमकीन और गर्म। “साली, तेरी चूत में तो आग लगी है!” मैंने कहा और उसकी चूत को और जोर से चाटा। वो “आह, उफ्फ, चूस ले, बहनचोद!” कहकर अपनी गांड उठा-उठाकर मेरे मुँह में चूत रगड़ रही थी।
उसने मेरा हाथ पकड़ा और बोली, “कुत्ते, मुझे वाइल्ड चाहिए। साले, मैं तुझसे चुदने के लिए तड़प रही थी!” मैं हैरान था कि ये साली तो पहले से ही मेरे लंड की दीवानी थी। मैंने उसकी चूत को और जोर से चाटा। वो अकड़ने लगी और “आह, आह, उफ्फ!” करते हुए झड़ गई। मेरा मुँह उसकी चूत के रस से भीग गया।
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मैंने थोड़ा रुककर फिर से उसकी चूत चाटनी शुरू की। वो बोली, “साले, अब चोद ना, मेरी चूत भभक रही है!” उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मेरा 7 इंच का लंड देखकर वो बोली, “यस, यही चाहिए था! अब इसे मेरी चूत में डाल!” मैंने लंड को उसकी चूत के मुँह पर सैट किया और सुपारे को रगड़ने लगा। उसकी चूत लपर-लपर कर रही थी। मैंने एक जोरदार धक्का मारा। लंड पूरा अंदर चला गया। वो चीखी, “आह, मम्मी! फट गई मेरी बुर!”
उसे दर्द हुआ, लेकिन वो पहले से चुद चुकी थी, तो जल्दी ही मजे लेने लगी। मैं उसे दबाकर चोद रहा था। “पच-पच” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। वो अपनी गांड उठा-उठाकर लंड ले रही थी। “आह, उफ्फ, चोद दे कमीने, फाड़ दे मेरी चूत!” मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए कहा, “साली, आज तेरी चूत की सैर करवाऊँगा!”
उसने मेरे हाथ पकड़े और बोली, “थप्पड़ मार, और तेज चोद!” मैंने उसके गालों पर जोर-जोर से थप्पड़ मारे। “चटाक-चटाक” की आवाज के साथ उसके गाल लाल हो गए। वो चिल्ला रही थी, “हाँ, बेबी, फक मी! चोद दे मेरी चूत!” मैंने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से लंड डाल दिया। उसकी गांड हिल रही थी। मैंने उसके बाल पकड़े और जोर-जोर से धक्के मारे। “आह, उफ्फ, हाँ, मेरे कुत्ते, चोद!” वो चिल्ला रही थी।
फिर मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी टांगें अपने कंधों पर रखीं। उसकी चूत खुली थी, गीली और लाल। मैंने लंड डाला और तेज-तेज चोदने लगा। “पच-पच-पच” की आवाज और उसकी “आह, उफ्फ, हाँ, फास्ट!” की चीखें कमरे में गूँज रही थीं। वो बोली, “आह, मैं झड़ने वाली हूँ!” और तेज-तेज चिल्लाते हुए झड़ गई। मैं भी उसी वक्त झड़ गया और उसके ऊपर गिर गया।
वो मुझे चूम रही थी। मैंने थप्पड़ मारने के लिए सॉरी बोला। उसने कहा, “यार, मुझे ये पसंद है!” थोड़ी देर बाद हम उठे। उसने जूस बनाया। हम टेरेस पर गए, एक सिगरेट साझा की, और वहाँ मैंने उसे फिर से घोड़ी बनाकर चोदा। उसकी चूत का रस मेरे लंड पर चमक रहा था।
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नीतू के साथ और भी चुदाई की यादें हैं, जो बाद में सुनाऊँगा। उसकी मम्मी ऋतु भी मेरे लंड के नीचे आई थी, वो कहानी भी बताऊँगा। आपकी राय का इंतजार रहेगा।