Train me Bhabhi ki chudai मैं, राधा, 32 साल की थी, गोरी, भरे हुए जिस्म वाली, और मेरी साड़ी मेरे कर्व्स को और उभार रही थी। मेरा देवर, रवि, 28 साल का जवान लड़का, लंबा, गठीला, और उसकी आँखों में हमेशा एक शरारती चमक रहती थी। हम दोनों मीटर गेज की ट्रेन में सफ़र कर रहे थे, जिसमें सिर्फ़ टू-टियर एयर कंडीशंड कम्पार्टमेंट था। कम्पार्टमेंट में चार बर्थ थीं। हमारे सामने एक 45 साल का मर्द, रमेश, भारी-भरकम कद-काठी, दाढ़ी वाला, और उसके साथ एक जवान लड़की, सुनैना, करीब 23 साल की, साड़ी में लिपटी, जिसके चेहरे पर मासूमियत और शरारत का मिश्रण था। बातचीत में पता चला कि वो ससुर और बहू थे।
दिन का सफ़र था, और मैं, रवि के साथ सामने की दो बर्थ पर थी। घंटों बैठे-बैठे मैं थक चुकी थी। मेरी साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, और मेरे ब्लाउज़ से मेरी छातियाँ उभरी हुई थीं। मैं नीचे की बर्थ पर लेट गई, आँखें हल्की-सी बंद करके आराम करने लगी। सामने सुनैना बार-बार हमें देख रही थी, फिर अपने ससुर रमेश की तरफ़ तिरछी नज़रों से ताक रही थी। मेरी आँखें बंद थीं, लेकिन मैं चुपके से सब देख रही थी। रवि, मेरे बगल में, ऊँघ रहा था, उसका सिर हल्का-सा झुका हुआ था।
अचानक मुझे लगा कि सामने रमेश कुछ हरकत कर रहा है। उसने धीरे से सुनैना की कमर के पीछे हाथ डाला और उसे सहलाने लगा। सुनैना की साँसें तेज हो गईं, वो बार-बार रमेश को देख रही थी, और धीरे-धीरे उसकी तरफ़ झुक रही थी। उसकी साड़ी का पल्लू सरक गया, और उसका ब्लाउज़ तन गया, जिससे उसकी छातियाँ और साफ़ दिखने लगीं। मुझे यकीन था कि उसे मज़ा आ रहा था। मैंने अपनी आँखें इस तरह बंद रखीं कि मैं सोई हुई लगूँ, लेकिन मैं सब देख रही थी।
कुछ देर बाद रमेश और खुल गया। उसने सुनैना की चूंची को धीरे से दबाया। सुनैना ने एक हल्की-सी सिसकारी भरी, और उसका हाथ रमेश की पैंट की तरफ़ बढ़ गया। उसने रमेश के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया। वो दोनों अब खुलकर एक-दूसरे को ताड़ रहे थे, मानो दुनिया में कोई और है ही नहीं। मेरे मन में भी हलचल होने लगी। मेरे जिस्म में एक गर्माहट सी फैलने लगी, और मेरी चूत में हल्की-सी सनसनी होने लगी। मैंने चुपके से रवि को कोहनी मारी। रवि ने नींद में ही सामने देखा, और एक पल में उसे सब समझ आ गया। उसकी आँखें चमक उठीं, और मैंने देखा कि उसकी पैंट में हल्का-सा उभार बनने लगा।
रवि ने धीरे से अपना हाथ मेरी जाँघ पर रखा, और फिर ऊपर की तरफ़ बढ़ाने लगा। उसका हाथ मेरी साड़ी के ऊपर से मेरी छातियों की तरफ़ रेंगने लगा। मेरी साँसें तेज हो गईं, लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा। रमेश ने हमें देख लिया, और वो और खुल गया। उसने सुनैना की साड़ी के अंदर हाथ डाल दिया, और उसकी चूंचियों को ब्लाउज़ के ऊपर से मसलने लगा। सुनैना लगभग उस पर गिर-सी पड़ी थी, उसकी आँखों में वासना साफ़ दिख रही थी। वो रमेश को देख रही थी, मानो कह रही हो, “अब बस चोद दो मुझे!”
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
रवि ने भी अब खुलकर मेरी चूंचियों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। उसका हाथ मेरे ब्लाउज़ के ऊपर से मेरी छातियों को दबा रहा था, और मेरी साड़ी का पल्लू पूरी तरह सरक चुका था। रमेश ने हमें देखकर मुस्कुराया, और फिर उसने सुनैना के ब्लाउज़ में हाथ डाल दिया। उसकी उंगलियाँ सुनैना की नंगी चूंचियों को मसल रही थीं, और सुनैना की सिसकारियाँ अब साफ़ सुनाई दे रही थीं। “आह… ससुरजी… धीरे…” उसने धीमी आवाज़ में कहा, लेकिन उसका चेहरा बता रहा था कि उसे मज़ा आ रहा था।
मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। मैं उठकर बैठ गई और रवि की पैंट की ज़िप खोल दी। उसका लंड, जो अब पूरी तरह तन चुका था, मेरे हाथ में आ गया। 7 इंच का मोटा, कड़क लंड, जिसकी नसें उभरी हुई थीं। मैंने उसे धीरे-से सहलाया, और रवि की सिसकारी निकल पड़ी, “भाभी… आह…” रमेश ने हमें देखा, और उसने भी सुनैना को बर्थ पर लिटा दिया। उसने अपनी पैंट की ज़िप खोली, और अपना 6 इंच का लंड निकाल लिया। सुनैना की साड़ी को ऊपर उठाकर उसने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया। सुनैना की सिसकारियाँ अब और तेज हो गईं, “उफ्फ… ससुरजी… डाल दो ना… आह…”
मैंने रवि को लिटाने की कोशिश की, लेकिन उसने इशारे से मना कर दिया। उधर रमेश ने सुनैना की चूत में अपना लंड पेल दिया। “आह… ऊऊ… ससुरजी… धीरे… आह…” सुनैना की सिसकारियाँ कम्पार्टमेंट में गूँज रही थीं। रमेश ने धक्के मारने शुरू कर दिए, और सुनैना की चूंचियाँ ब्लाउज़ से बाहर निकल आईं। वो दोनों पूरी तरह खो चुके थे। लेकिन रमेश जल्दी ही झड़ गया। उसने सुनैना की चूत में अपना माल छोड़ दिया और हाँफते हुए बगल में लेट गया।
रवि ने रमेश को इशारा किया, और रमेश ने मुस्कुराकर सहमति दे दी। रवि ने सुनैना की टाँगें उठाईं, और उसकी साड़ी को और ऊपर कर दिया। सुनैना की चूत, जो अभी भी गीली थी, अब पूरी तरह खुली थी। रवि ने अपना कड़क लंड निकाला और एक ही झटके में सुनैना की चूत में पेल दिया। “आह… ऊऊ… रवि… कितना बड़ा है… आह…” सुनैना की सिसकारियाँ फिर से शुरू हो गईं। मैं बगल में बैठकर ये सब देख रही थी, मेरी चूत में भी आग लग चुकी थी। रवि के धक्के तेज हो रहे थे, और सुनैना की सिसकारियाँ कम्पार्टमेंट में गूँज रही थीं, “आह… हाय… चोदो… और तेज… ऊऊ…”
कुछ देर बाद दोनों झड़ गए। सुनैना की चूत से रवि का माल टपक रहा था, और वो हाँफते हुए लेट गई। रवि ने उसकी चूंचियों को एक बार फिर दबाया और उसे चूम लिया। सुनैना उसे प्यार भरी नज़रों से देख रही थी। शाम ढल चुकी थी, और ट्रेन आगरा फोर्ट स्टेशन पर रुक गई। रवि ने हमारा सामान लिया, और हम स्टेशन से बाहर निकल आए। एक टेम्पो लेकर हम पास के एक होटल में पहुँच गए।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
रास्ते भर रवि मेरे जिस्म से छेड़खानी करता रहा। कभी मेरी कमर पर हाथ फेरता, तो कभी मेरी चूंचियों को हल्के से दबा देता। मेरी साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, और मैं जानबूझकर उसे ठीक नहीं कर रही थी। होटल के कमरे में पहुँचते ही मैंने अपनी साड़ी उतार फेंकी और सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज़ में बिस्तर पर लेट गई। मेरा जिस्म वासना से तप रहा था, मेरी छातियाँ ब्लाउज़ में कैद होने को बेकरार थीं। रवि मुझे भूखी नज़रों से देख रहा था। मेरी साँसें तेज थीं, और मेरी चूत में गीलापन बढ़ रहा था।
अचानक मेरी आँख खुली, और मैंने देखा कि रवि मेरे बगल में बैठा मेरी छातियों को घूर रहा था। मेरा ब्लाउज़ इतना टाइट था कि मेरी चूंचियाँ बाहर झाँक रही थीं, और दो बटन खुल चुके थे। मेरी गोरी, गोल चूंचियाँ ब्रा के साथ बाहर दिख रही थीं। मैंने जानबूझकर कुछ नहीं कहा और उठकर बैठ गई। रवि का हाथ मेरी छातियों की तरफ़ बढ़ा। जैसे ही उसने मेरे ब्लाउज़ को छुआ, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और तिरछी नज़रों से कहा, “देवर जी… ये क्या इरादा है? हाथ दूर रखो!”
रवि हड़बड़ा गया, “भाभी… मैं तो बस आपका बटन बंद करने जा रहा था!” लेकिन उसकी पैंट में उभार साफ़ बता रहा था कि वो मेरी चूंचियाँ मसलना चाहता था। मैंने तिरछी नज़रों से उसे देखा और कहा, “तो बटन लगा दो ना!” रवि ने मेरे ब्लाउज़ का बटन पकड़ा और मेरी चूंचियों को दबाते हुए बटन लगाने लगा। “भाभी… ये ब्लाउज़ तो बहुत टाइट है!” उसने शरारत से कहा।
“तो दबा कर लगा दे!” मैंने अपनी छातियाँ और उभारीं। रवि के दोनों हाथ मेरी चूंचियों पर कस गए, और उसने उन्हें जोर से मसल दिया। “हाय रे… देवर जी… ये ब्लाउज़ थोड़ा ही है… छोड़ो ना!” मैंने हल्का-सा धक्का देकर हँसते हुए कहा और बाथरूम में चली गई। नहाने के बाद मैं फ्रेश होकर बाहर आई, सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज़ में। रवि भी नहा चुका था और मुझे भूखी नज़रों से देख रहा था। उसके हाथ मेरे चूतड़ों पर बार-बार पड़ रहे थे, और वो किसी ना किसी बहाने मेरी छातियों को छू रहा था।
रात के नौ बजे हम होटल के बगीचे में टहलने गए। मेरा मन रवि पर अटक चुका था। मेरे जिस्म में आग लगी थी, और मैं मन ही मन रवि से चुदने की योजना बना रही थी। मैंने जानबूझकर पजामे के नीचे पैंटी और कुर्ती के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। टहलते-टहलते मैंने रवि के चूतड़ों पर हल्का-सा थप्पड़ मारा। मुझे एहसास हुआ कि उसने भी अंडरवियर नहीं पहना था। उसके नंगे चूतड़ों का स्पर्श मेरे जिस्म में और आग भर गया।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
“देवर जी… एक बात बताऊँ?” मैंने शरारत से कहा।
“हाँ, बताओ भाभी!” रवि ने उत्सुकता से पूछा।
“पहले आँखें बंद करो… फिर एक जादू दिखाती हूँ!” मैंने हँसते हुए कहा। मेरी चूत में गीलापन बढ़ रहा था, और मेरी वासना उबाल मार रही थी।
रवि ने आँखें बंद कर लीं। मैंने धीरे से उसकी पैंट के ऊपर से उसके लंड को छुआ। “देवर जी… आँखें बंद ही रखना… प्लीज़!” मैंने धीमी आवाज़ में कहा और उसके लंड पर हल्का-सा दबाव बढ़ाया।
“आह… भाभी… ये क्या…” रवि की सिसकारी निकल पड़ी।
“श्श्श… आँखें नहीं खोलना… मेरी कसम!” मैंने उसका लंड पजामे के ऊपर से सहलाना शुरू किया। उसका लंड और कड़क हो गया, और मैंने धीरे से पजामे में हाथ डालकर उसका नंगा लंड पकड़ लिया। 7 इंच का मोटा, गर्म लंड मेरे हाथ में था। मैंने उसे हल्के-हल्के मसलना शुरू किया। “सी… ऊऊ… भाभी… आह…” रवि की सिसकारियाँ तेज हो गईं।
अचानक मुझे कुछ आहट सुनाई दी। मैंने तुरंत हाथ बाहर खींच लिया। रवि ने आँखें खोल दीं, “भाभी… ये क्या था? सपना देख रहा था क्या?”
“चुप करो… सपने देखने वाला!” मैंने हँसते हुए कहा, “चलो, कमरे में चलते हैं!”
हम कमरे में वापस आए। डबल बेड वाला कमरा था। रवि मुझे भूखी नज़रों से देख रहा था, लेकिन मैंने बिस्तर पर लेटकर आँखें बंद कर लीं। रवि ने बत्ती बुझा दी। मैं इंतज़ार कर रही थी कि अब तो रवि कुछ ना कुछ करेगा। मेरी चूत में आग लगी थी, और मैं चुदने को बेताब थी। लेकिन रवि कुछ नहीं कर रहा था। मैंने अंधेरे में उसे देखा, वो चुपचाप लेटा था। मेरी कुलबुलाहट बढ़ रही थी। आखिरकार मैंने फैसला कर लिया कि आज चुदना ही है।
मैंने धीरे से अपनी साड़ी, पेटीकोट, और ब्लाउज़ उतार दिए। अब मैं पूरी तरह नंगी थी। मेरी चूंचियाँ हवा में तनी हुई थीं, और मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने रवि का पजामा धीरे से खींचा और उसका नाड़ा ढीला कर दिया। उसका लंड, जो पहले से ही तना हुआ था, मेरे सामने था। मैं धीरे से उसके ऊपर चढ़ गई और उसका लंड अपनी चूत पर सेट किया। “आह…” मेरी सिसकारी निकल पड़ी। मैंने धीरे से जोर लगाया, और उसका 7 इंच का मोटा लंड मेरी चूत में फक-से घुस गया।
रवि की आँखें खुल गईं, “अरे… भाभी… ये क्या… हाय रे…” उसकी आवाज़ में मज़ा और हैरानी थी। मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और उस पर लेट गई। मेरी चूत उसके लंड को पूरा निगल चुकी थी। “देवर जी… नींद बहुत आ रही है क्या? तेरी भाभी का क्या होगा?” मैंने वासना भरी आवाज़ में कहा।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
“भाभी… मैं तो समझा आप मज़ाक कर रही हैं…” रवि ने हाँफते हुए कहा।
“हाय रे… लंड और चूत में कैसी दोस्ती… लंड तो चूत को मारेगा ही!” मैंने हँसते हुए कहा और धीरे-धीरे अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी।
रवि ने बत्ती जला दी। मैंने अपनी पोजीशन बदली और उसके लंड पर सीधे बैठ गई। उसका लंड मेरी चूत की जड़ तक उतर गया। “आह… ऊऊ… रवि… कितना मोटा है… हाय…” मैं सिसकारियाँ भरने लगी। रवि के हाथ मेरी चूंचियों पर आए और उसने उन्हें जोर-जोर से मसलना शुरू किया। “भाभी… कितनी रसीली हैं ये… आह…” उसने कहा। मेरी 36D की चूंचियाँ उसके हाथों में मचल रही थीं।
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और सिसकारियाँ भरते हुए चुदने लगी। “आह… ऊऊ… रवि… और तेज… हाय…” मेरी चूत उसके लंड को चूस रही थी। रवि ने मुझे कसकर पकड़ लिया और एक झटके में ऊपर आ गया। अब वो मेरे ऊपर था। उसने मेरी टाँगें उठाईं और अपना लंड मेरी गाँड के छेद पर सेट किया। “भाभी… अब ये ट्राई करते हैं…” उसने शरारत से कहा।
मैंने अपनी गाँड हल्की-सी ऊँची की, और रवि ने धीरे से अपना लंड मेरी गाँड में पेल दिया। “आह… हाय… रवि… धीरे… ऊऊ…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। उसका लंड मेरी गाँड में पूरा उतर चुका था। वो मेरी आँखों में देखते हुए मुझे चोद रहा था। “भाभी… कितनी टाइट है तुम्हारी गाँड… आह…” उसने कहा।
उसके धक्के तेज हो गए। मेरी गाँड में गुदगुदी और मज़ा दोनों हो रहे थे। “आह… रवि… और तेज… हाय… चोदो…” मैं सिसकारियाँ भर रही थी। अचानक रवि ने अपना लंड मेरी गाँड से निकाला और फिर से मेरी चूत में पेल दिया। “आह… ऊऊ… भाभी… ये चूत तो स्वर्ग है…” उसने कहा। मेरी चूत अब रस छोड़ने लगी थी। “फच… फच…” चुदाई की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
मेरे जिस्म में सनसनाहट बढ़ रही थी। “आह… रवि… और तेज… हाय… मैं झड़ने वाली हूँ…” मैं चिल्लाई। रवि के धक्के और तेज हो गए। अचानक उसका लंड मेरी चूत में और कठोर हो गया, और गरम-गरम माल मेरी चूत में भरने लगा। “आह… भाभी… लो… मेरा माल…” रवि ने सिसकारी भरी। मेरी चूत ने भी जवाब दिया और मैंने अपना रस छोड़ दिया। “आह… ऊऊ… रवि…” मैं सिसकारियाँ भरते हुए झड़ गई।
हम दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे को कसकर पकड़े रहे। रवि ने मेरे चूतड़ों को दबाते हुए अपना सारा माल मेरी चूत में खाली कर दिया। मैंने करवट बदली और गहरी नींद में सो गई। सुबह देर से उठी, तो रवि पहले से जाग चुका था। मुझे देखते ही उसने मेरी टाँगें उठाईं और मेरी चूत को खोलकर एक गहरा चुम्बन दे दिया। “आह… रवि…” मैं सिसकारी।
“घर में भाभी का होना कितना ज़रूरी है, आज पता चला!” रवि ने प्यार से कहा।
“हाँ… लेकिन देवर ना हो तो भाभी किससे चुदेगी, बोलो?” मैंने हँसते हुए कहा। हम दोनों हँस पड़े और बाहर जाने की तैयारी करने लगे।
Waah!!!! Bhabhi ho to aisi