रंडी के जैसे चोदा कजिन दीदी को

हाय, मेरा नाम अरबाज है। मेरी उम्र 27 साल है, और मैं एक इंजीनियर हूँ। मेरा लंड औसत 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है, जो किसी भी औरत को पागल कर दे। ये कहानी मेरी और मेरी कजिन सिस्टर जस्मीन दीदी की चुदाई की सच्ची दास्तान है। जस्मीन दीदी, जो मुझसे 9 साल बड़ी है, 36 साल की है, दो बच्चों की माँ है, और उसका फिगर इतना सेक्सी है कि बूढ़े का भी लंड खड़ा हो जाए। उसकी 34 की चूचियाँ, 32 की कमर, और 36 की गोल-मटोल गांड देखकर मैं बचपन से ही उसका दीवाना था। ये कहानी बताती है कि कैसे मैंने अपनी तमन्ना पूरी की और जस्मीन दीदी को अपनी रंडी बनाकर चोदा, रात भर उसकी चूत और गांड की धुनाई की।

मैं बचपन से जस्मीन दीदी के साथ पला-बढ़ा। हमारा घर गाँव में था, जहाँ हम एक ही छत के नीचे रहते थे। दीदी की शादी 10 साल पहले हो गई थी, लेकिन उसका हुस्न आज भी वैसा ही था। मैं जब भी उससे मिलता, उसकी मटकती गांड और उभरी चूचियों को देखकर मेरा लंड तन जाता। बड़े होते वक्त मैंने ढेर सारी फैमिली सेक्स कहानियाँ पढ़ीं, और हर बार जस्मीन दीदी को सोचकर मूठ मारी। मैं सोचता था, काश एक दिन मुझे भी मौका मिले अपनी दीदी की चूत मारने का। और वो मौका आया, जब मेरी शादी की तैयारियाँ शुरू हुईं।

शादी को अभी एक हफ्ता बाकी था। गाँव का हमारा बड़ा-सा घर रिश्तेदारों से भरने वाला था। सबसे पहले जस्मीन दीदी अपने दो बच्चों के साथ आई। उस दिन वो लाल सलवार-कमीज में थी, और उसका दुपट्टा बार-बार सरक रहा था, जिससे उसकी चूचियों की गहरी खाई दिख रही थी। मैं उसे देखकर पागल हो गया। पहले दिन सब नॉर्मल था, सब तैयारियों में व्यस्त थे। लेकिन मेरा दिमाग बस दीदी की गांड और चूचियों पर अटका था। मैं बचपन से उससे खुला था, पर अब मेरे इरादे गंदे हो चुके थे।

अगले दिन से मैंने मौका ढूँढना शुरू किया। जब दीदी झाड़ू लगाती, तो मैं पास जाकर उसकी झुकी हुई गांड को ताड़ता। उसकी सलवार में उसकी गांड इतनी मस्त लगती कि मेरा लंड पजामे में उछलने लगता। मैं जानबूझकर उससे टकराता, कभी उसकी कमर को छूता, कभी अपनी जाँघ से उसकी गांड को रगड़ता। दीदी कुछ बोलती नहीं थी, बस मुस्कुरा देती। मुझे लगने लगा कि शायद वो भी मजे ले रही है। मैं दिन में तीन-चार बार बाथरूम में जाकर दीदी को सोचकर मूठ मारता, लेकिन मन नहीं भरा।

तीसरे दिन और मेहमान आए। घर में जगह कम पड़ गई। मैं अकेला अपने बेडरूम में सोता था, लेकिन अम्मी ने कहा कि जस्मीन दीदी और उसके बच्चे मेरे कमरे में सोएँगे। मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई। उस रात दीदी नीली सलवार-कमीज में थी, जो उसके जिस्म से चिपकी हुई थी। उसके बच्चे एक कोने में सो गए, और दीदी मेरे पास बिस्तर पर लेटी। मैं कम्बल में था, लेकिन नींद कहाँ आने वाली थी? दीदी की साँसों की गर्मी और उसकी चूचियों का उभार देखकर मेरा लंड पागल हो रहा था।

मैंने धीरे से अपना पजामा नीचे किया और लंड निकालकर हिलाने लगा। दीदी की तरफ देखते हुए मैंने जोर-जोर से मूठ मारी। मेरा पानी दो बार निकला, लेकिन मन नहीं भरा। मैं बस यही सोच रहा था कि काश दीदी को चोद पाऊँ। रात भर मैं उसे ताड़ता रहा, और कब आँख लग गई, पता ही नहीं चला।

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अगली सुबह दीदी किचन में थी। उसने गुलाबी कुर्ता पहना था, और उसकी चूचियाँ ब्रा में उभरी हुई थीं। मैं चाय लेने गया, तो उसने मुझे सेक्सी स्माइल दी। मैंने पूछा, “दीदी, रात में नींद कैसी आई?” वो हँसकर बोली, “मुझे तो अच्छी आई, पर तुझे तो नींद नहीं आई होगी मेरे होते हुए।” मैं चौंक गया। फिर उसने कहा, “मैं जानती हूँ, तू रात भर मुझे ताड़ रहा था और अपना लंड हिला रहा था। दो बार पानी निकाला, पर ऐसे मत हिलाया कर, शादी से पहले कमजोर हो जाएगा।”

मैंने हिम्मत करके कहा, “दीदी, तुम्हें देखकर कंट्रोल नहीं होता। लंड अपने आप तन जाता है।” वो पास आई, मेरे पजामे के ऊपर से मेरा लंड मसला, और बोली, “इतना बेकाबू था, तो डाल ही देता मेरी चूत में। अपनी रंडी दीदी को अपने पानी से भर देता।” मैंने कहा, “डर लगता था, कहीं तुम सबको बता न दो।” वो हँसी और बोली, “अगर हिम्मत करता, तो जन्नत का सुख मिलता।” फिर उसने मेरे लंड को और जोर से दबाया और कहा, “आज रात तैयार रह। मैं देखती हूँ तेरा लंड मुझे कितना चोदता है।” ये कहकर वो बाहर चली गई।

मेरा दिन भर बुरा हाल था। लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था। मैं बस रात का इंतजार कर रहा था। आखिरकार रात हुई। दीदी के बच्चे कोने में सुलाए गए, और वो मेरे पास कम्बल में आ गई। उसने काली सलवार-कमीज पहनी थी, जो उसके जिस्म को और सेक्सी बना रही थी। वो आते ही मुझे किस करने लगी। उसके गर्म होंठ मेरे होंठों पर थे, और उसकी जीभ मेरे मुँह में घूम रही थी। मैंने भी जवाब दिया, उसके होंठों को चूसा, उसकी जीभ को अपने मुँह में खींचा। वो पागलों की तरह बोली, “आह अरबाज, आज रात मैं तेरी रंडी बनकर चुदूँगी।”

मैंने उसके कुर्ते के ऊपर से उसकी चूचियों को जोर-जोर से दबाना शुरू किया। उसकी चूचियाँ इतनी मुलायम थीं कि मेरा लंड और सख्त हो गया। वो सिसकारियाँ लेने लगी, “आह अरबाज, ऐसे ही दबा। अपनी रंडी दीदी की चूचियों का दूध निकाल दे।” मैंने उसका कुर्ता उतारा। उसकी गुलाबी ब्रा में उसकी चूचियाँ मस्त लग रही थीं। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसके निप्पल चूसने शुरू किए। वो मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबाने लगी, “आह, और जोर से चूस, मेरी जान।”

मैंने उसकी ब्रा खोल दी। उसकी चूचियाँ आजाद होकर मेरे सामने थीं। गोल, मुलायम, और निप्पल एकदम काले और सख्त। मैंने एक चूची मुँह में ली और चूसने लगा, दूसरे को हाथ से मसलने लगा। दीदी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह अरबाज, तू तो मेरी चूचियों का दीवाना है। चूस ले, सारा दूध पी ले।” मैंने उसकी गर्दन को चूमा, उसके कानों को काटा, और फिर नीचे उसकी कमर को चाटने लगा। उसका पेट मुलायम था, और उसकी नाभि देखकर मेरा लंड और उछलने लगा।

अब दीदी ने मुझे नीचे किया। उसने मेरी शर्ट के बटन खोले और मेरे सीने को चूमना शुरू किया। उसकी गर्म जीभ मेरे निप्पल पर घूम रही थी। वो नीचे गई, मेरे पजामे के ऊपर से मेरे लंड को चाटने लगी। फिर उसने मेरी पैंट और अंडरवियर एक झटके में उतार दी। मेरा 8 इंच का लंड उसके मुँह के सामने था। वो उसे देखकर बोली, “अरबाज, तेरा लंड तो किसी जवान घोड़े जैसा है। आज ये मेरी चूत को फाड़ देगा।”

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उसने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। उसकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और वो पूरा लंड गले तक ले रही थी। मैं सिसकारियाँ ले रहा था, “आह दीदी, तू तो रंडी से भी बड़ी रंडी है। चूस ले, मेरा सारा पानी पी जा।” वो मेरे लंड को चूसती रही, और मेरे टट्टों को भी मुँह में लेकर चाटने लगी। मैंने उसके बाल पकड़े और उसके मुँह में लंड को और गहरा ठूँसा। कुछ देर बाद मेरा पानी निकलने वाला था। मैंने कहा, “दीदी, मेरा होने वाला है।” वो बोली, “मेरे मुँह में ही निकाल दे।” मैंने अपना सारा पानी उसके मुँह में छोड़ दिया, और उसने एक बूँद भी बर्बाद नहीं की।

अब मैंने दीदी को लिटाया। उसकी सलवार उतारी, तो उसकी काली पैंटी में उसकी चूत की शेप साफ दिख रही थी। मैंने पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को चाटा। उसकी चूत पहले से गीली थी, और उसकी खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने उसकी पैंटी उतारी। उसकी चूत पूरी शेव की हुई थी, और गुलाबी चूत की फाँकें देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मेरी जीभ उसकी चूत की फाँकों में घूम रही थी, और मैं उसके दाने को चूस रहा था। दीदी पागल हो रही थी, “आह अरबाज, तू तो मेरी चूत का रस पी जाएगा। चाट ले, अपनी रंडी दीदी को और गर्म कर।”

मैंने उसकी चूत में एक उंगली डाली और चाटता रहा। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगली आसानी से अंदर-बाहर हो रही थी। मैंने दूसरी उंगली भी डाली और जोर-जोर से हिलाने लगा। दीदी की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल रही थीं, “आह अरबाज, अब बस कर। तेरा लंड डाल दे, मेरी चूत को चोद दे।” मैंने उसकी टाँगें चौड़ी कीं और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। उसकी गीली चूत पर मेरा लंड फिसल रहा था। मैंने धीरे से लंड का टोपा उसकी चूत में डाला। दीदी की आह निकली, “आह, धीरे डाल, तेरा लंड बहुत मोटा है।”

मैंने धीरे-धीरे अपना आधा लंड उसकी चूत में डाला। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड दब रहा था। मैंने एक जोर का धक्का मारा, और मेरा पूरा 8 इंच का लंड उसकी चूत में जड़ तक घुस गया। दीदी की चीख निकली, “आह, मर गई! अरबाज, तू तो मेरी चूत फाड़ देगा।” मैंने उसके होंठों को चूमा और धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और हर धक्के के साथ उसकी चूचियाँ उछल रही थीं। मैंने उसकी चूचियों को मसलते हुए धक्के तेज किए। दीदी अब मजे ले रही थी, “आह अरबाज, चोद मुझे। अपनी रंडी दीदी की चूत को फाड़ दे।”

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कुछ देर बाद मैंने उसे घोड़ी बनाया। उसकी गोल गांड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गांड पर थप्पड़ मारे, और वो सिसकारी, “आह, मार और जोर से।” मैंने उसकी चूत में फिर से लंड डाला और पीछे से जोर-जोर से चोदने लगा। उसकी गांड हर धक्के के साथ हिल रही थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और पूरी ताकत से धक्के मारे। दीदी चिल्ला रही थी, “आह, और जोर से चोद। मेरी चूत को तेरा लंड चाहिए।”

15 मिनट की चुदाई के बाद दीदी झड़ गई। उसकी चूत से पानी बह रहा था, लेकिन मेरा अभी बाकी था। मैंने उसे फिर से लिटाया और उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। इस बार मैंने और तेज धक्के मारे। दीदी फिर से गर्म हो गई, “आह अरबाज, तू तो जवान बैल है। चोद मुझे, और चोद।” मैंने 10 मिनट और चोदा, और जब मेरा पानी निकलने वाला था, मैंने पूछा, “कहाँ निकालूँ?” वो बोली, “मेरी चूत में ही डाल दे।” मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। हम दोनों पसीने से लथपथ थे।

कुछ देर बाद दीदी ने मुझे फिर से किस किया। उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। अब मैंने उसकी गांड की बारी सोची। मैंने उसकी गांड पर तेल लगाया और उंगली डालकर ढीली की। दीदी बोली, “अरबाज, धीरे करना। मेरी गांड अभी टाइट है।” मैंने अपना लंड उसकी गांड के छेद पर सेट किया और धीरे से टोपा डाला। दीदी की आह निकली, “आह, दर्द हो रहा है।” मैंने धीरे-धीरे आधा लंड डाला, और फिर एक जोर का धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस गया। दीदी चिल्लाई, “आह, फट गई मेरी गांड!”

मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा और धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। उसकी गांड इतनी टाइट थी कि मेरा लंड दब रहा था। कुछ देर बाद दीदी को भी मजा आने लगा। वो बोली, “आह अरबाज, अब चोद। मेरी गांड को भी अपनी रंडी बना।” मैंने उसकी गांड को 20 मिनट तक चोदा, और आखिर में उसकी गांड में ही पानी छोड़ दिया।

हम दोनों थककर लेट गए। दीदी ने मुझे गले लगाया और बोली, “अरबाज, तूने तो मुझे रंडी से भी बड़ी रंडी बना दिया। अब हर रात मुझे चोदना।” मैंने कहा, “दीदी, अब तू मेरी रंडी है। जब मन करेगा, तेरी चूत और गांड मारूँगा।” उस रात हमने दो बार और चुदाई की। अगले दिन दीदी से चला भी नहीं जा रहा था, लेकिन वो हर रात मेरे पास आने लगी। शादी तक हमने हर रात चुदाई की, और अब भी जब मौका मिलता है, मैं अपनी रंडी जस्मीन दीदी को चोदता हूँ।

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