सनी, 21 साल का, वडोदरा, गुजरात का रहने वाला एक नौजवान, जिसका चेहरा मासूम था लेकिन आँखों में शरारत भरी थी। उसका रंग गोरा, कद मध्यम, और शरीर फुर्तीला था, जैसे जवान लड़के होते हैं, जो जिंदगी के मजे लेने को बेताब रहते हैं। उसकी मामी, पद्मा, 39 साल की, दुबई में रहने वाली एक औरत, जिसका जिस्म भरा हुआ था। उसका फिगर 36-30-38, बड़े-बड़े बूब्स, मोटी गांड, और गदराया बदन जो किसी का भी लंड खड़ा कर दे। गोरी चमड़ी, लंबे काले बाल, और आँखों में एक चमक जो मर्दों को ललचाती थी। वो सलवार-कमीज में कयामत ढाती थी, और घर में टी-शर्ट, स्लेक्स या नाइटी में और भी हॉट लगती थी। उसका पति, सनी का मामा, दुबई में बिजनेस करता था, और पद्मा अकेली भारत आई थी, अपने नए फ्लैट की देखभाल के लिए।
कांजीभाई, 60 साल के, एक रिटायर्ड बिजनेसमैन, जिनका फ्लैट पद्मा ने खरीदा था। वो भारी-भरकम, गठीले बदन वाले, बाल सफेद, लेकिन जिस्म में अभी भी ताकत बाकी थी। उनकी गहरी आवाज और ठहाकों में एक रौब था, और वो पद्मा के साथ पहले भी दुबई में मिल चुके थे। दूसरा किरदार था प्रमुख, 45 साल का, बिल्डिंग का मैनेजर, काला, हट्टा-कट्टा, मूंछों वाला मर्द, जिसके चेहरे पर शातिर मुस्कान और आँखों में हवस भरी थी। उसका जिस्म तगड़ा था, जैसे जिम में घंटों पसीना बहाया हो।
ये कहानी छह साल पुरानी है, जब सनी 19 साल का था, और उसका कॉलेज का वेकेशन चल रहा था। पद्मा ने वडोदरा में अपने नए फ्लैट में कुछ दिन बिताने का प्लान बनाया था। सनी की माँ ने उसे पद्मा के साथ रहने को कहा, क्योंकि पद्मा अकेली थी। सनी को कोई दिक्कत नहीं थी; उसे पद्मा की कंपनी पसंद थी। पद्मा उसे चॉकलेट्स, स्नैक्स और ढेर सारा प्यार देती थी। सनी को उसका खुला मिजाज और हंसी-मजाक भरा अंदाज अच्छा लगता था।
एक दोपहर, सनी अपने कमरे में सो रहा था। रात को वो और पद्मा फिल्म देखने गए थे, जिसकी वजह से वो थक गया था। आमतौर पर सनी दोपहर को नहीं सोता, लेकिन उस दिन नींद ने उसे जकड़ लिया। अचानक उसकी आँख खुली, और उसने देखा कि पद्मा बेड पर नहीं थी। वो उसी बेड पर सोया था, क्योंकि फ्लैट छोटा था और सनी को पद्मा के साथ सोने में कोई झिझक नहीं थी। उसने कमरे से बाहर झांका तो दूसरे कमरे से कुछ आवाजें आईं। दरवाजा हल्का-सा खुला था, और सनी ने चुपके से झांककर देखा। जो नजारा उसने देखा, उसने उसकी सांसें रोक दीं।
पद्मा पूरी नंगी थी, बेड पर लेटी हुई, और कांजीभाई उसके ऊपर चढ़े हुए थे। उनका मोटा, 8 इंच का लंड पद्मा की चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। कमरे में थप-थप की आवाज गूंज रही थी। कांजीभाई जोर-जोर से धक्के मार रहे थे, और पद्मा की सिसकारियां “आह्ह्ह… ह्म्म्म… और जोर से… मारो… हायyy…” कमरे में तैर रही थीं। कांजीभाई का पसीना उनके माथे से टपक रहा था, और वो पद्मा के होंठों को चूस रहे थे, उनकी जीभ को अपने मुँह में खींचते हुए। पद्मा की गांड हवा में उठी हुई थी, और वो अपनी कमर हिलाकर कांजीभाई के धक्कों का जवाब दे रही थी। सनी की आँखें फटी की फटी रह गईं; उसने पहली बार लाइव चुदाई देखी थी, और उसका 6 इंच का लंड पजामे में तन गया।
करीब 20 मिनट तक ये सिलसिला चला। कांजीभाई ने अचानक अपना लंड बाहर निकाला और खड़े हो गए। पद्मा भी उठी और बेड पर घुटनों के बल बैठ गई। कांजीभाई ने अपना लंड उसके मुँह के पास लाकर रखा। पद्मा ने बिना देर किए उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगी। कांजीभाई ने उसके बाल पकड़कर मुँह में धक्के मारने शुरू किए। पद्मा के मुँह से थूक टपक रहा था, और “घप-घप” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। कांजीभाई “आह्ह्ह… हाँ… चूस… और जोर से…” कह रहे थे। पद्मा की आँखें आनंद से बंद थीं, और वो लंड को गले तक ले रही थी।
फिर कांजीभाई ने पद्मा को बेड पर झुकाया, उसकी मोटी गांड को हवा में उठाकर। उन्होंने अपने लंड को पद्मा की गांड पर थपथपाया, फिर धीरे से उसकी चूत में डाल दिया। पद्मा की चूत इतनी गीली थी कि लंड आसानी से अंदर चला गया। “जानू, क्यूँ तड़पा रहे हो? डाल दो ना…” पद्मा ने सिसकारी भरी। कांजीभाई ने हंसते हुए कहा, “तेरी ये मोटी गांड… इस पर थप्पड़ मारने में मजा आता है!” फिर उन्होंने जोर-जोर से धक्के शुरू किए। थप-थप-थप की आवाज के साथ पद्मा की सिसकारियां “आह्ह्ह… ह्म्म्म… चोदो… और जोर से…” गूंज रही थीं। कांजीभाई ने उसकी गांड पर थप्पड़ मारे, जिससे उसका गोरा जिस्म लाल हो गया। पद्मा अपनी गांड मटकाकर धक्कों का जवाब दे रही थी। सनी का लंड अब पजामे में दर्द करने लगा था, लेकिन वो हिल नहीं सका, डर था कि कहीं पकड़ा न जाए।
करीब 10 मिनट तक कांजीभाई ने पद्मा को उसी पोजीशन में चोदा। फिर उनके धक्के और तेज हो गए, जैसे वो झड़ने वाले हों। अचानक उन्होंने लंड बाहर निकाला, पद्मा को पलटकर उसके मुँह में डाल दिया। उन्होंने पद्मा का सिर पकड़कर जोर-जोर से मुँह चोदना शुरू किया। “आह्ह्ह… ले… सारा ले…” कांजीभाई चिल्लाए, और एक जोरदार धक्के के साथ उनका वीर्य पद्मा के मुँह में उतर गया। पद्मा ने सारा वीर्य निगल लिया, और कांजीभाई बेड पर ढेर हो गए, हांफते हुए। पद्मा उठी और बाथरूम चली गई।
दो-तीन मिनट बाद पद्मा वापस आई। उसने नाइटी नहीं पहनी थी, और उसका नंगा जिस्म चमक रहा था। वो कांजीभाई की छाती पर सिर रखकर लेट गई और उनके निप्पल चूसने लगी। उसकी जीभ कांजीभाई के पेट पर फिरी, उनकी नाभि में घुसी। कांजीभाई थक चुके थे, लेकिन जब पद्मा ने उनका लंड पकड़ा, वो फिर से “आह्ह्ह” करके उछल पड़े। पद्मा हंसते हुए बोली, “क्या बात है, कांजी जी! एक बार की चुदाई में ही ढीले पड़ गए? दुबई में तो अरबों के लंड कमाल के होते हैं, 2-3 बार तो आराम से चोद लेते हैं, और इतने बड़े कि नाभि तक अहसास करवाते हैं!” कांजीभाई ने हांफते हुए कहा, “रुक जा, पानी पीकर आता हूँ।”
कांजीभाई बाहर हॉल में चले गए और फोन पर किसी से बात करने लगे। सनी चुपके से अपने कमरे में लौट गया, लेकिन उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। थोड़ी देर बाद कांजीभाई वापस कमरे में आए। उन्होंने पद्मा को फिर से चूमना शुरू किया, उसके होंठों को चूसते हुए, उसकी जीभ को मुँह में खींचते हुए। फिर वो नीचे गए, पद्मा के बड़े-बड़े बूब्स को दबाया, चूसा, और उसकी पूरी बॉडी को चाटने लगे। पद्मा की जांघों के बीच मुँह डालकर वो उसकी चूत चाटने लगे। पद्मा “आह्ह्ह… ह्म्म्म… और चाटो…” कहकर सिसकार रही थी। उसकी चूत गीली थी, और कांजीभाई की जीभ हर कोने को चाट रही थी। तभी डोरबेल बजी।
पद्मा घबरा गई, “अरे, ये कौन आ गया?” कांजीभाई ने कहा, “रुक, मैं देखता हूँ।” सनी जल्दी से अपने कमरे में भाग गया। कांजीभाई ने दरवाजा खोला और बिल्डिंग के प्रमुख को अंदर ले आए। प्रमुख का लंड 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था। उसने बिना कुछ कहे अपना लंड निकाला और पद्मा के मुँह के सामने रख दिया। पद्मा की आँखों में चमक आ गई। उसने लंड को मुँह में लिया और चूसने लगी। प्रमुख ने उसके सिर को पकड़कर जोर-जोर से मुँह चोदना शुरू किया। “गप-गप” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं।
फिर प्रमुख ने अपने कपड़े उतारे और पद्मा को बेड पर लिटाया। उसकी गांड बेड के किनारे पर थी, और प्रमुख ने उसकी टांगें फैलाकर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। पद्मा की चीख निकल गई, “आह्ह्ह… मर गई… धीरे… उई माँ…” लेकिन प्रमुख ने रुकने का नाम नहीं लिया। वो खड़े-खड़े जोर-जोर से धक्के मारने लगा। थप-थप-थप की आवाजें गूंज रही थीं। उसने पद्मा की टांगें अपने कंधों पर रखीं और और तेजी से चोदने लगा। पद्मा “आह्ह्ह… चोदो… और जोर से…” चिल्ला रही थी।
करीब 15 मिनट तक ये चला, फिर प्रमुख ने पद्मा को अपनी गोद में उठा लिया। पद्मा ने अपनी टांगें उसकी कमर पर लपेट लीं, लेकिन उसका भारी जिस्म प्रमुख के लिए मुश्किल था। कुछ धक्कों के बाद उसने पद्मा को बेड पर पटक दिया और खुद लेट गया। अब पद्मा उसके ऊपर थी, उसका लंड उसकी चूत में था। पद्मा ने अपने हाथ प्रमुख की छाती पर रखे और उसके लंड पर उछलने लगी। उसका चेहरा बता रहा था कि लंड उसे अंदर तक महसूस हो रहा था। “आह्ह्ह… हाय… कितना गहरा…” वो सिसकार रही थी।
10 मिनट तक पद्मा उछलती रही, फिर प्रमुख ने नीचे से अपनी कमर हिलाकर धक्के मारने शुरू किए। उसकी सांसें तेज हो गईं, और अचानक वो “आह्ह्ह… ह्म्म्म…” करते हुए झड़ गया। उसका वीर्य पद्मा की चूत में पिचकारी की तरह छूटा, और पद्मा फड़फड़ाकर उसके ऊपर ढेर हो गई। 10 मिनट बाद प्रमुख उठा, कपड़े पहने, और चला गया। सनी अपने कमरे में लौट गया।
थोड़ी देर बाद सनी ने फिर से झांका। पद्मा बेड पर लेटी थी, अपनी चूत को फैलाकर उंगली से वीर्य निकाल रही थी। फिर वो बाथरूम चली गई। सनी अपने कमरे में जाकर सो गया, लेकिन उसका दिमाग उस नजारे को भूल नहीं पा रहा था।