छोटी बहन की जबरदस्त चुदाई

हेलो, मेरा नाम पप्पू यादव है। मैं एक साधारण सा लड़का हूँ, और आज मैं आपको अपनी जिंदगी का एक ऐसा अनुभव बताने जा रहा हूँ, जो शायद मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट था। मैं एक अच्छे खानदान से ताल्लुक रखता हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 10 इंच है, उम्र 23 साल, और रंग एकदम गोरा है। लोग कहते हैं कि मैं दिखने में काफी हैंडसम हूँ। मेरा लंड 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है, जो किसी भी लड़की को दीवाना बना सकता है। मेरे परिवार में मेरे मम्मी-पापा और मेरी एक छोटी बहन कंचन है। अब मैं आपको कंचन के बारे में बताता हूँ।

कंचन 18 साल की है, और कॉलेज में पढ़ती है। उसकी हाइट 5 फुट 2 इंच है, रंग इतना गोरा कि दूध सा चमकता है। उसकी आँखें हिरन जैसी गहरी और खूबसूरत हैं। उसका फिगर 28-24-32 है, जो उसे एकदम परफेक्ट बनाता है। कंचन इतनी सुंदर है कि उसे देखकर किसी का भी मन डोल जाए। गली के लड़के तो बस उसे घूरते रहते हैं, और शायद हर एक का सपना है उसे अपने बाहों में लेना। मैं भी अपनी छोटी बहन का दीवाना था, पर ये बात मैंने कभी किसी से नहीं कही। पहले मेरे मन में कंचन के लिए कोई गलत ख्याल नहीं था। वो मेरी छोटी बहन थी, और मैं उससे बहुत प्यार करता था।

लेकिन जवानी की उम्र में मेरा मन सेक्स के लिए बहुत मचलता था। मैं शर्मीला हूँ, इसलिए किसी लड़की से बात करने में हिचकता था। फिर मेरे दोस्तों ने मुझे कुछ सेक्स स्टोरीज के बारे में बताया। मैंने भाई-बहन की चुदाई वाली कहानियाँ पढ़ीं, और धीरे-धीरे मेरा मन कंचन की तरफ बदलने लगा। अब वो मुझे सिर्फ मेरी छोटी बहन नहीं, बल्कि एक हसीन लड़की नजर आने लगी थी। उसकी जवानी उसके बदन पर साफ झलकती थी। स्कूल यूनिफॉर्म में तो वो इतनी सेक्सी लगती थी कि मन करता था बस उसे बाहों में भर लूँ और उसके बूब्स का सारा रस पी जाऊँ। कंचन घर पर ज्यादातर टाइट जीन्स-टॉप या सूट-सैल्वर पहनती थी, और उसका सेक्सी बदन देखकर मैं लगभग रोज ही मुठ मारता था। मैं दिन-रात बस उसे चोदने के ख्यालों में डूबा रहता था।

एक दिन मुझे मौका मिल ही गया। मेरी मम्मी को ऑफिस के काम से 4 दिन के लिए बाहर जाना था, और पापा पहले से ही शहर से बाहर थे। कंचन के एग्जाम्स की वजह से हम दोनों उनके साथ नहीं जा सके। सुबह 9 बजे मम्मी चली गईं, और अब घर में सिर्फ मैं और कंचन थे। उस दिन कंचन ने व्हाइट शर्ट और टाइट जीन्स पहनी थी, जिसमें उसके बूब्स इतने सेक्सी लग रहे थे कि मेरा लंड बस उसी को देखकर खड़ा हो गया। हम दोनों नाश्ता करके पढ़ाई करने बैठ गए।

हम एक-दूसरे के बगल में बैठकर पढ़ रहे थे, लेकिन मेरा ध्यान तो बस कंचन के बूब्स पर था। आज मेरे पास उसे चोदने का सुनहरा मौका था, पर मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था, क्योंकि कंचन बहुत शरीफ और मासूम थी। तभी कंचन का मोबाइल बजा। उसने कहा, “भैया, देखो ना किसका फोन है, बोल दो मैं अभी बिजी हूँ।” मैंने फोन उठाया तो कोई लड़का कंचन के बारे में पूछ रहा था, पर मेरी आवाज सुनते ही उसने फोन काट दिया।

मैंने मौका देखकर कंचन से पूछा, “कंचन, एक बात सच-सच बता, तेरा कोई बॉयफ्रेंड है क्या?” कंचन चौंक गई और बोली, “भैया, आप अचानक ऐसा क्यों पूछ रहे हो?” मैंने कहा, “अभी किसी लड़के का फोन आया था, वो तेरे बारे में पूछ रहा था, और मेरी आवाज सुनते ही उसने फोन काट दिया।” कंचन घबरा गई और बोली, “प्लीज भैया, मम्मी को इसके बारे में मत बताना। मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है, लेकिन…” वो बोलते-बोलते चुप हो गई। मैंने कहा, “लेकिन क्या? बोल ना!”

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कंचन ने शर्माते हुए कहा, “छोड़ो ना भैया, रहने दो।” मैंने जिद की, “नहीं, बता! तुझे मुझ पर भरोसा नहीं है? मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा। बस दोस्ती की तरह पूछ रहा हूँ। अगर मम्मी को पता चला तो बुरा होगा।” कंचन रोते हुए बोली, “भैया, स्कूल में बहुत सारे लड़के मुझे छेड़ते हैं। मेरी क्लास का एक लड़का मुझसे दोस्ती करना चाहता है, शायद उसी का फोन था।” मैंने पूछा, “कंचन, तुझे कोई लड़का पसंद है?” वो बोली, “भैया, आप ये क्यों पूछ रहे हो?” मैंने कहा, “कंचन, मुझे अपना दोस्त समझकर बता। जैसे तू अपनी सहेलियों से बात करती है, वैसे ही मुझसे कर सकती है।”

कंचन शर्म से लाल हो गई और बोली, “नहीं भैया, मुझे कोई पसंद नहीं है। पर जब लड़के मुझे छेड़ते हैं, तो बहुत अजीब सा फील होता है।” उसका चेहरा शर्म से और लाल हो गया। मैंने पूछा, “कैसा फील होता है?” वो बोली, “मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरे सारे बदन में आग सी लग गई हो। मेरा शरीर काँपने लगता है। मैंने ये बात अपनी सहेलियों से पूछी, तो उन्होंने कहा कि इस उम्र में ऐसा होता है। इसका एक ही इलाज है कि किसी को बॉयफ्रेंड बनाओ और उसके साथ खूब एन्जॉय करो, जैसे वो सब करती हैं।” कंचन की ये बातें सुनकर मेरा लंड तन गया।

मैंने कहा, “कंचन, एक बात सच-सच बता, तू किसी लड़के के साथ एन्जॉय करना चाहती है या नहीं?” कंचन ने हैरानी से मुझे देखा और बोली, “भैया, ये आप क्या कह रहे हो?” मैंने कहा, “तू मुझे अपना दोस्त समझकर बता। मैं बस तेरी मदद करना चाहता हूँ।” कंचन ने शर्माते हुए कहा, “भैया, करना तो चाहती हूँ, पर मुझे डर लगता है।” मैंने कहा, “कोई अगर-मगर नहीं। मेरे पास इसका एक उपाय है। अगर तुझे ठीक लगे तो बता सकता हूँ।” कंचन उत्सुक होकर बोली, “भैया, जल्दी बताओ ना, वो आइडिया क्या है?”

मैंने कहा, “तुझे ऐसा लड़का चाहिए जो तेरे घर आए-जाए और कोई बुरा ना सोचे। ऐसा लड़का जिसके साथ तू एन्जॉय कर सके और किसी को शक भी ना हो।” कंचन ने पूछा, “लेकिन ऐसा लड़का कहाँ है?” मैंने कहा, “और कहाँ, तेरे सामने ही तो है!” ये सुनते ही कंचन चौंक गई और बोली, “भैया, आप तो मेरे सगे भाई हो!” मैंने कहा, “देख कंचन, तू मेरी छोटी बहन है, और मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ। लेकिन तू एक लड़की है, और मैं एक लड़का। हम एक-दूसरे की जरूरतें पूरी कर सकते हैं। इससे कोई प्रॉब्लम भी नहीं होगी, क्योंकि हम पर कोई शक नहीं करेगा। मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ और तेरे बिना जी नहीं सकता।”

मेरी बातें सुनकर कंचन कुछ देर खामोश रही। फिर बोली, “भैया, मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूँ। पर मुझे डर लगता था कि कहीं आप बुरा ना मान जाओ।” मैं समझ गया कि ये सही मौका है। मैंने धीरे से उसकी कमर पर हाथ रखा और सहलाने लगा। कंचन ने आँखें बंद कर लीं। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके रसीले गुलाबी होंठों को चूमने लगा। उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया, उसकी साँसें तेज होने लगीं, और उसका बदन काँपने लगा। मैं पहली बार किसी लड़की के साथ ऐसा कर रहा था। मेरे शरीर में जैसे 240 वोल्ट का करंट दौड़ रहा था। ये सोचकर कि मैं अपनी सगी छोटी बहन के बदन को चूम रहा हूँ, मेरा जोश और बढ़ गया।

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मैंने कंचन को अपनी बाहों में उठाया और बेड पर ले गया। उसके होंठों को चूसते हुए मैंने उसके बूब्स दबाने शुरू किए। वो “आह्ह… उई… भैया…” की सिसकारियाँ लेने लगी। मैंने धीरे-धीरे उसकी कमीज के अंदर हाथ डाला और उसके मुलायम, गोल बूब्स को दबाने लगा। मुझे इतना मजा आ रहा था कि बता नहीं सकता। फिर मैंने उसके होंठ चूसते हुए उसकी कमीज उतारने की कोशिश की। मेरे हाथ काँप रहे थे, क्योंकि कुछ ही देर में मैं अपनी सगी छोटी बहन की चूचियाँ देखने और चूमने वाला था। ये मेरे लिए एक सपना था, जो अब हकीकत में बदल रहा था।

मैंने कंचन की कमीज के सारे बटन खोल दिए। उसने अंदर व्हाइट ब्रा पहनी थी। अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा में थी, और इतनी खूबसूरत लग रही थी कि मैं पागल हो गया। मैंने उसके गले और गर्दन पर पागलों की तरह चूमना शुरू कर दिया। कंचन अब बेकाबू हो रही थी। वो सिसकारियाँ लेते हुए बोली, “भैया… आइ लव यू… प्लीज… और करो… स्स्स्स… भैया…” मैंने तुरंत उसके मम्मों पर हाथ रखा और उन्हें जोर-जोर से दबाने लगा। कंचन के मम्मे नींबू जैसे टाइट थे। मैं उन्हें निचोड़ने लगा। कंचन की जैसे जान निकल गई। वो सिर ऊपर करके सेक्सी आवाजें निकालने लगी, “आह्ह… भैया… उफ्फ… आराम से… ये आपके ही हैं…”

मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैंने उठकर अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए। कंचन की ब्रा के निप्पल को छूते हुए मैंने कहा, “कंचन, आज मैं इनका सारा दूध पी जाऊँगा।” ये सुनकर कंचन शर्मा गई और उसने अपनी नजरें नीचे कर लीं। मैंने उसे फ्रेंच किस करना शुरू किया और साथ ही उसकी ब्रा में हाथ डालकर उसके बूब्स का मजा लेने लगा। वो इतनी गर्म थी कि लग रहा था जैसे वो किसी आग में जल रही हो। कंचन मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने उसकी ब्रा उतार दी। वो अपने हाथों से अपने बूब्स छुपाने लगी। उसका गोरा बदन और समोसे जैसे छोटे-छोटे बूब्स मुझे मदहोश कर रहे थे।

मैं अब पूरी तरह नंगा था। कंचन मेरा 8 इंच का लंड देखकर शर्मा रही थी, और धीरे-धीरे उसे सहला भी रही थी। मैंने फ्रेंच किस करते हुए उसकी जीभ को चूसना शुरू किया। मेरा एक हाथ उसके निप्पल्स के साथ खेल रहा था। कंचन बुरी तरह मचल रही थी और “आह्ह… ओह्ह… भैया…” की आवाजें निकाल रही थी। फिर मैंने उसके निप्पल्स को मुँह में लिया और उनका रस चूसने लगा। कंचन की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “स्स्स… आह्ह… भैया… धीरे कीजिए…” मैंने 10 मिनट तक उसकी चूचियों को चूसा। फिर मेरा हाथ धीरे-धीरे उसके पेट से होता हुआ उसकी नाभि तक गया और उसे सहलाने लगा। कंचन और गर्म हो गई, और उसकी सिसकारियाँ और तेज हो गईं।

मैंने उसकी स्कर्ट का हुक खोला और उसे उतार दिया। उसने लाइट ब्लू पैंटी पहनी थी। मैं पहली बार किसी लड़की के साथ ऐसा कर रहा था। मैंने उसकी चिकनी जाँघों को चूमना शुरू किया। मैं पागलों की तरह उसकी जाँघों को अपने मुँह से सहला रहा था और चूम रहा था। फिर मैंने धीरे से उसकी पैंटी खींच दी। अब कंचन मेरे सामने पूरी नंगी थी। वाह, क्या छोटी सी फुद्दी थी मेरी प्यारी बहन की! उसकी चूत बिना बालों वाली, गुलाबी, और एकदम कसी हुई थी। मैं उसे देखता रह गया। उसकी चूत इतनी गर्म थी कि लग रहा था जैसे कोई गर्म कढ़ाई हो।

मैंने धीरे से उसकी चूत की फांकों को उंगलियों से अलग किया और उसे सहलाने लगा। कंचन “स्स्स… ह्ह्ह… उई… भैया…” करते हुए मचलने लगी। वो बोली, “भैया… आह्ह… यल्ला… आह्हा… उई… माँ…” मैंने उसकी चूत की फांकों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा। कंचन “आह्ह… आह्ह… भैया… हा… उई… आह्ह…” करते हुए तड़पने लगी, जैसे उसे करंट लग रहा हो। वो मजा लेते हुए पागल हो रही थी। “भैया… बस… बस… भैया… आह्ह… मैं मर गई…” और तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैंने सब इग्नोर किया और उसका रस पीता गया। मैं काफी देर तक उसकी 18 साल की छोटी सी चूत से चिपका रहा। इस बीच कंचन दो बार झड़ चुकी थी और बुरी तरह तड़प रही थी।

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फिर मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया। मैंने अपना लंड कंचन के हाथ में दे दिया। वो उसे देखकर बोली, “भैया, ये तो बहुत बड़ा है। मेरी चूत में नहीं जाएगा।” मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया रखा ताकि उसकी चूत थोड़ी ऊपर उठे और मुझे चोदने में आसानी हो। मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी गर्म चूत के छेद पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा आधा लंड उसकी मासूम चूत के पतले होंठों को चीरता हुआ अंदर चला गया। कंचन के मुँह से जोरदार चीख निकली, “आह्ह… उई… उई… मैं मर गई भैया…”

मैं थोड़ी देर रुका और उसकी चूचियाँ चूसने लगा। थोड़ी देर में वो फिर गर्म हो गई। मैंने मौका देखकर अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। कंचन बुरी तरह तड़प रही थी, और उसकी चूत से खून बह रहा था। मैं धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा। थोड़ी देर बाद कंचन को भी मजा आने लगा। वो चिल्ला रही थी, “आह्ह… ओह्ह… भैया… मैं मर गई…” उसकी चूत से खून बह रहा था, लेकिन अब मुझे मजा आने लगा। मैं उसका एक निप्पल चूस रहा था और धीरे-धीरे अपना लंड बाहर निकालकर फिर से घुसा रहा था। मैं अपनी प्यारी छोटी बहन को बड़े प्यार से चोद रहा था।

कंचन को अब मजा आने लगा था। वो “उनnh… आह्ह… हाय… भैया… आई… रे… भैया… ओह्ह…” करते हुए मजा लेने लगी। मैं भी उसकी टाइट चूत को चोदने का आनंद ले रहा था। कंचन दर्द सहते हुए भी धक्के दे-दे कर चुदाई का मजा ले रही थी। वो मेरे साथ मिलकर उछल-कूद कर चुदवाने लगी। तभी कंचन की चूत ने फिर पानी छोड़ दिया। वो “बस… बस… भैया… ह्ह्हा… आह्ह…” करते हुए तड़पने लगी। 15 मिनट बाद मैं भी झड़ गया और कंचन की चूत में अपने लंड का रस छोड़ दिया। इस दौरान वो 3 बार झड़ चुकी थी।

मैंने कंचन के मम्मों को सहलाते हुए पूछा, “कंचन, कैसा लगा अपने भैया का प्यार, मेरी जान?” कंचन ये सुनकर शर्मा गई। हम दोनों थोड़ी देर तक एक-दूसरे से लिपटे हुए लेटे रहे। जब कंचन उठी तो उसे चला भी नहीं जा रहा था। उसकी चूत खून से भरी थी। मैंने उठकर कॉटन ढूंढा और उसकी चूत साफ की। उस दिन मैंने अपनी कंचन को करीब 4 बार चोदा। वो दिन मेरी जिंदगी बदल गया। अब मेरी छोटी बहन ही मेरी गर्लफ्रेंड है।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसा अनुभव किया? कमेंट में जरूर बताएँ।

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