छोटे भाई से चुदवायी कुंवारी चूत – भाग 5

Bhai ne Bahen ki chut chati – कहानी का पिछला भाग: छोटे भाई से चुदवायी कुंवारी चूत – भाग 4

मैंने बबलू को शरारती स्माइल दी और पूछा, “तुझे भी मेरा जूस पीना है?” वो उत्साह से बोला, “हाँ!” मैंने पूछा, “किसका पिएगा?” उसने मासूमियत से कहा, “किसी का भी!” मैंने हँसते हुए कहा, “तो मेरा पिएगा?” वो बोला, “हाँ, दीदी!” मैंने शरारत भरे लहजे में कहा, “लेकिन तुझे मेरा जूस पीने के लिए अपना मुँह लगाना पड़ेगा।”

वो थोड़ा हिचकिचाया और बोला, “हाँ दीदी, चलेगा। लेकिन आपका जूस निकलता कहाँ से है?” मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी चूत पर रख दिया। मेरी चूत अभी भी गीली थी, और उसका स्पर्श मुझे और गर्म कर रहा था। वो हँसने लगा और बोला, “दीदी, यहाँ से कैसे जूस निकलेगा?” मैंने कहा, “यहीं से निकलता है। तू एक बार अपना मुँह लगाकर तो देख।”

वो मेरी चूत के पास अपना मुँह ले गया और बोला, “दीदी, आप अपना जूस निकालो, मैं पीता हूँ।” मैंने हँसते हुए कहा, “बबलू, ऐसे जूस नहीं निकलता। पहले तुझे इसे चाटना होगा, तब जूस निकलेगा।” वो नाक-भौं सिकोड़कर बोला, “छी दीदी, इतनी गंदी जगह को कौन चाटेगा?” मैंने सख्ती से कहा, “मेरी इस गंदी जगह को तुझे चाटना ही होगा, अगर तू मेरा जूस पीना चाहता है।”

वो बोला, “दीदी, इस पर इतने सारे बाल क्यों हैं?” मैंने हँसते हुए कहा, “जब तू बड़ा होगा, तेरे भी बाल आएँगे। तेरी नुन्नी पर तो हर जगह बाल होंगे।” वो हैरानी से बोला, “क्या दीदी?” थोड़े नखरे दिखाने के बाद आखिरकार वो मान गया। उसने मेरी चूत को धीरे-धीरे चाटना शुरू किया। उसके जीभ का पहला स्पर्श मेरे पूरे बदन में आग की तरह फैल गया। मेरे मुँह से “आह्ह… उह्ह…” की सिसकारियाँ निकलने लगीं।

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मैं मन ही मन सोच रही थी, “और जोर से चाट, मेरी चूत को चाट, अपनी बहन की चूत को अच्छे से चाट, साले बहनचोद, और तेज कर!” मैंने अपनी दोनों टाँगें उठाकर उसकी गर्दन पर रख दीं और उसे अपनी चूत पर कसकर दबा लिया। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक चली गई। मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं झूम उठी। ये मेरा पहला मौका था जब किसी ने मेरी चूत चाटी थी।

मैं मजे से सिसकार रही थी, “आह्ह… बबलू… और चाट…” मेरा पानी निकलने वाला था। मैंने कहा, “बबलू, मेरा जूस बाहर आने वाला है। तू सारा पी जाना। और जोर से चाट मेरी चूत को!” उसने और तेजी से चाटना शुरू किया। मेरी चूत ने फव्वारे की तरह पानी छोड़ दिया। बबलू ने मेरा सारा पानी पी लिया। मैंने अपनी टाँगें खोल दीं और उसे बेड पर पटक दिया।

मैं उसके ऊपर चढ़ गई और उसके होंठों को चूमने लगी। उसके होंठ इतने मुलायम थे कि मुझे चूमने में बहुत मजा आ रहा था। मैंने पूछा, “कैसा लगा मेरा जूस?” वो बोला, “दीदी, बहुत टेस्टी था। लेकिन ये जूस आता कहाँ से है?” मैंने हँसते हुए कहा, “खुद अंदर देख ले।” मैंने अपनी गांड के नीचे एक तकिया रखा और अपनी दोनों टाँगें हाथों से पकड़कर फैला दीं, ताकि उसे मेरी चूत अच्छे से दिखे।

वो मेरी टाँगों के बीच बैठ गया और अपनी उंगलियों से मेरी चूत को खोलकर देखने लगा। उसने कहा, “दीदी, इसमें तो कुछ भी नहीं दिख रहा।” मैंने कहा, “तुझे नीचे एक छेद दिख रहा है क्या?” वो बोला, “हाँ दीदी।” मैंने कहा, “वहीं से जूस आता है।” वो बोला, “वहाँ कहाँ से आता है?” मैंने कहा, “उसमें उंगली डालकर खोलकर देख, तुझे समझ आ जाएगा।”

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उसने अपनी दोनों उंगलियों से मेरी चूत को फैलाना शुरू किया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… बबलू, ऐसा नहीं करते, तू तो मेरी चूत ही फाड़ देगा!” वो डर गया और बोला, “सॉरी दीदी, मैं तो अंदर देखने की कोशिश कर रहा था।” मैंने कहा, “अपनी एक उंगली अंदर-बाहर कर, तुझे दिख जाएगा।”

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उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डालकर अंदर-बाहर करना शुरू किया। मैं फिर सिसकारने लगी, “आह्ह… बबलू…” मैंने कहा, “एक और उंगली डाल।” उसने दूसरी उंगली भी डाल दी और जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगा। मैं तीसरी बार झड़ने वाली थी। मैंने कहा, “बबलू, मेरा जूस फिर आ रहा है। अपना मुँह लगाकर मेरी चूत चाट।”

उसने उंगलियाँ निकालीं और अपनी जीभ मेरी चूत पर लगा दी। वो फिर से चाटने लगा। थोड़ी देर में मैं फिर झड़ गई, और उसने मेरा सारा पानी पी लिया। वो बोला, “दीदी, इस बार टेस्ट कुछ अलग था।” मैंने उसे गले लगाया, और वो मेरे ऊपर चढ़कर मुझे हग करने लगा। मैंने उसका सिर पकड़ा और फिर से उसके होंठ चूमने लगी। अब वो मुझसे काफी खुल गया था और मेरी हर बात मान रहा था।

मैंने शरारत से कहा, “बबलू, तू बहुत मतलबी है।” वो बोला, “क्यों दीदी, मैं कहाँ से मतलबी हूँ?” मैंने कहा, “तूने मेरा जूस दो बार पिया, और मुझे सिर्फ एक बार पिलाया।” वो बोला, “आपको मेरा जूस और पीना है क्या?” मैंने कहा, “हाँ, मेरा बहुत मन कर रहा है। बबलू, एक बार और पिला दे ना।”

वो मेरे बूब्स पर बैठ गया और अपना लंड मेरे मुँह में डालने लगा। वो मेरे ऊपर बैठा था, जिससे मेरे निप्पल्स उसकी गांड में चुभ रहे थे। उसने कहा, “दीदी, मुझे कुछ चुभ रहा है।” मैंने कहा, “शायद मेरे निप्पल्स होंगे।” वो उठकर देखने लगा और बोला, “दीदी, आपकी चेस्ट इतनी बड़ी क्यों है, और मेरी इतनी छोटी क्यों है?” मैंने हँसते हुए कहा, “लड़कियों की चेस्ट बड़ी होती है, और लड़कों की छोटी।”

वो बोला, “ऐसा क्यों होता है?” मैंने कहा, “लड़कियों की चेस्ट में दूध होता है।” वो हैरानी से बोला, “क्या, इसमें दूध होता है?” मैंने कहा, “हाँ।” वो बोला, “मुझे दूध पीना है।” मैंने कहा, “अभी मेरे अंदर नहीं है।” वो बोला, “क्यों, आपके अंदर क्यों नहीं है?” मैंने हँसते हुए कहा, “जब लड़की माँ बनती है, तभी उसकी चेस्ट में दूध आता है। चल, अब तू मुझे अपना जूस पिला। बाकी बातें मैं तुझे कल बताऊँगी।”

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वो बेड पर लेट गया, और मैं उसकी टाँगों के बीच में आकर उसका लंड चूसने लगी। मैं किसी रंडी की तरह उसके लंड को चूस रही थी। वो सिसकारियाँ ले रहा था, “आह्ह… दीदी…” उसे भी अब मजा आने लगा था। करीब 10 मिनट बाद वो झड़ने वाला था। उसने कहा, “दीदी, मेरा जूस आ रहा है, आप पी लो।” मैंने कहा, “बबलू, आने दे, तू रोक मत।”

वो बोला, “हाँ दीदी, पी लो… आह्ह…” और वो झड़ गया। मैंने उसका सारा माल पी लिया और उसके लंड को चूस-चूसकर साफ कर दिया। फिर मैं उसके ऊपर चढ़कर उसे चूमने लगी। हम दोनों थक गए थे और उसी हालत में सो गए।

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सुबह जब उसका अलार्म बजा, वो उठा और मुझे जगाते हुए बोला, “दीदी, आप कपड़े पहन लो, मैं नहाने जा रहा हूँ।” मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया और चूमने लगी। वो बोला, “प्लीज दीदी, बाद में करें। मुझे स्कूल के लिए देर हो जाएगी।” मैंने कहा, “कल रात जो मैंने तेरे साथ किया, उसके बारे में किसी को मत बताना।”

वो बोला, “नहीं दीदी, किसी को नहीं बताऊँगा।” मैंने कहा, “प्रॉमिस?” उसने कहा, “हाँ दीदी, पक्का प्रॉमिस।” मैंने कहा, “एक किस दे दे।” उसने मेरे होंठों पर किस की और जाने लगा। मैं भी उसके पीछे-पीछे बाथरूम में चली गई। हम दोनों ने साथ में नहाया, फिर साथ में नाश्ता किया। वो स्कूल चला गया, और मैं बहुत खुश थी। मेरा प्लान 100% सक्सेसफुल हो गया था।

अब मैं सुबह से ही रात का इंतजार करने लगी कि कब बबलू स्कूल से आए और कब मैं उससे चुदवाऊँ। मैंने दिन में अपनी चूत के सारे बाल साफ कर लिए, ताकि उसे चाटने में कोई दिक्कत न हो। देखते-देखते शाम के 5 बज गए, और बबलू स्कूल से लौट आया। वो आज कुछ उदास-सा लग रहा था।

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मैंने पूछा, “क्या हुआ बबलू?” उसने बताया कि उसके दोस्त के साथ किसी बात पर झगड़ा हो गया था, इसलिए उसका मूड ठीक नहीं था। मुझे अपने भाई का मूड ठीक करना था। मैंने उसे गुदगुदी करनी शुरू की। वो हँसने लगा और बोला, “दीदी, मुझे छोड़ो, मैं फ्रेश होकर आता हूँ।”

वो बाथरूम में चला गया। जैसे ही वो बाहर आया, मैंने शरारत से पूछा, “जूस पीना है मेरे भाई को?” उसने मना कर दिया और बोला, “नहीं दीदी, मुझे आपका दूध पीना है।” मैंने कहा, “मुझे तो दूध नहीं आता।” वो बोला, “नहीं, मुझे आपका दूध ही पीना है।” ये कहकर वो मुँह फुलाकर बैठ गया।

मैं ये मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहती थी। मैंने चुपके से अपनी शर्ट उतारी और उसके सामने खड़ी हो गई। वो खुश हो गया और पागलों की तरह मेरे बूब्स चूसने लगा। उसके दाँत मेरे निप्पल्स में चुभ रहे थे। मैंने कहा, “बबलू, आराम से कर, तेरे दाँत चुभ रहे हैं।” लेकिन वो मेरी नहीं सुन रहा था। उसे मजा आ रहा था, और मुझे भी। मैंने उसे और कुछ नहीं कहा और चूसने दिया।

वो किसी छोटे बच्चे की तरह मेरे बूब्स पी रहा था, जैसे मैं उसकी माँ हूँ। उसने करीब एक घंटे तक मेरे बूब्स चूसे। मेरे दोनों बूब्स लाल हो गए थे। मैंने कहा, “तूने तो मेरे बूब्स को चूस-चूसकर लाल कर दिया।” मैंने उसे चूमना शुरू किया और एक हाथ से उसकी पैंट की जिप खोलने लगी। उसका लंड पूरी तरह खड़ा था।

मैंने कहा, “तेरा लंड तो पूरी तरह खड़ा हो चुका है।” वो बोला, “क्या मैं इसे मुँह में ले लूँ?” मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ, ले लो।” जैसे ही मैंने मुँह खोला, तभी मम्मी की आवाज आई। मैं डर गई और जल्दी-जल्दी कपड़े पहनने लगी। बबलू अभी भी वैसे ही खड़ा था। मैंने कहा, “बबलू, जल्दी जिप बंद कर, मम्मी आ रही हैं।”

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उसने जिप बंद की और मम्मी के साथ नीचे चला गया। मैं जल्दबाजी में अपनी ब्रा के हुक लगाना भूल गई थी। मैं वैसे ही नीचे चली गई। मम्मी खाना किचन से ला रही थीं। उन्होंने मुझे मदद के लिए बुलाया। मैं उनकी मदद करने लगी। हम सब खाना खाने बैठ गए। खाना खत्म होने के बाद मैं बर्तन किचन में रखने लगी।

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बबलू ऊपर अपने कमरे में चला गया। तभी मम्मी ने मुझे बुलाया और गुस्से में बोलीं, “ये सब क्या चल रहा है, आलिया?” ये कहकर उन्होंने मेरे मुँह पर एक जोरदार थप्पड़ मारा। मैं रोते हुए बोली, “क्या हुआ मम्मी?” उन्होंने फिर गुस्से में कहा, “तू अब छोटी बच्ची है जो मुझे बार-बार तुझे बोलना पड़ रहा है?”

उन्होंने एक और थप्पड़ मारा। मैं रोते हुए बोली, “मम्मी, क्या हुआ? मेरी क्या गलती है?” मम्मी बोलीं, “कभी तू बिना ब्रा के होती है, कभी ब्रा पहनकर उसके हुक भी नहीं लगाती। तेरे छोटे भाई पर इसका क्या असर होगा, तूने कभी सोचा?” मैंने कहा, “मम्मी, वो खुल गए होंगे। मैं अभी लगा देती हूँ।”

मम्मी बोलीं, “रुक, मैं लगा देती हूँ।” उन्होंने मेरी शर्ट के अंदर हाथ डालकर मेरे ब्रा के हुक लगाए। फिर मुझे घुमाकर एक और थप्पड़ मारा और बोलीं, “अगर मैंने तुझे आगे से ऐसा देखा, तो तेरी जान ले लूँगी।” ये कहकर मम्मी गुस्से में अपने कमरे में चली गईं।

मैं रोते हुए अपने कमरे में गई और दरवाजा लॉक कर लिया। बबलू वहाँ था। उसने पूछा, “दीदी, आप क्यों रो रही हो?” मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची और बोली, “मम्मी ने मुझे तीन बार मारा।” मैं जोर-जोर से रोने लगी।

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बबलू ने पूछा, “मम्मी ने आपको मारा, लेकिन क्यों?” मैंने कहा, “ये सब तेरी वजह से हुआ। अगर मैं तुझे दूध पीने नहीं देती, तो मुझे मार नहीं पड़ती।” वो बोला, “लेकिन मम्मी ने आपको मारा क्यों?” मैंने कहा, “जल्दबाजी में मैं ब्रा के हुक लगाना भूल गई थी। मम्मी ने ये देख लिया और मुझे मार दिया। देख, मेरे गाल कैसे लाल हो गए।”

उसने मेरे गाल पर हाथ फेरा और बोला, “दीदी, सॉरी। मेरी वजह से आपको मार पड़ी। मैं बहुत सॉरी हूँ।” मैंने गुस्से में कहा, “अब सॉरी बोलने से क्या होगा? मार तो मुझे ही खानी पड़ी।” वो फिर बोला, “सॉरी दीदी।”

वो मुझे चूमने लगा। मैंने कहा, “छोड़ मुझे, मेरा मूड बहुत खराब है। तू सो जा।” वो मेरे पास आया और बोला, “तो आपको खुश करने के लिए मुझे क्या करना होगा?” मैंने कहा, “तू मुझे अकेला छोड़ दे।” लेकिन वो मुझे मनाने की कोशिश करने लगा।

दोस्तो, आगे जानिए कि मैं अपने भाई से कैसे मानी और उसे मुझे मनाने के लिए क्या-क्या करना पड़ा। मेरी इस मस्ती भरी कहानी के साथ बने रहिए। जल्दी ही अगले भाग में मिलते हैं!

कहानी का अगला भाग: छोटे भाई से चुदवायी कुंवारी चूत – भाग 6

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