कहानी का पिछला भाग: छोटे भाई से चुदवायी कुंवारी चूत – भाग 3
मम्मी ने मेरे निप्पल्स को मेरी टाइट टी-शर्ट में साफ-साफ देख लिया था। वो गुस्से में बोलीं, “आलिया, तू अब ब्रा पहना कर। अब तू छोटी बच्ची थोड़े ही है कि मुझे तुझे हर बात बतानी पड़े।” मैंने शरमाते हुए कहा, “जी मम्मी।”
मम्मी ने फिर ताने मारते हुए कहा, “तू अपने छोटे भाई के साथ रहती है, तुझे शर्म नहीं आती क्या? ऐसे खुला रहने में?” मैंने बहाना बनाया, “मम्मी, अभी तो बबलू घर पर नहीं है, इसलिए मैंने ब्रा उतार दी थी।” मम्मी ने सख्ती से कहा, “घर पर नहीं है तो क्या हुआ? तुझे ब्रा पहनने में क्या दिक्कत है? घर में कोई भी आता-जाता है, ये अब अच्छी बात नहीं है, आलिया।”
मैंने कहा, “मम्मी, खाना खाकर ब्रा पहन लूँगी।” खाना खत्म करके मैं अपने कमरे में जाने लगी, तभी मम्मी ने फिर से आवाज दी, “आलिया, ब्रा पहनकर मेरे कमरे में आ।” मैंने जल्दी से ब्रा पहनी और मम्मी के कमरे में चली गई। वहाँ मम्मी ने कहा, “चल, मार्केट चलकर आते हैं।”
हम दोनों मार्केट गए और शाम 5 बजे घर लौटे। अब बबलू के आने का टाइम हो चुका था। मैं अपने कमरे में गई और बेड पर बैठकर मोबाइल में गेम खेलने लगी। तभी डोरबेल बजी। मम्मी ने दरवाजा खोला, वो बबलू था। वो सीधा मेरे कमरे में आया और बोला, “दीदी, आज बहुत सारा होमवर्क मिला है। क्या आप मेरी हेल्प करोगी?”
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मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, लेकिन तुझे मेरा एक काम करना होगा।” उसने कहा, “दीदी, मैं होमवर्क करने के बाद आपका काम भी कर दूँगा।” मैंने शरारत से पूछा, “अगर तूने मना कर दिया तो?” वो बोला, “नहीं दीदी, मैं मना नहीं करूँगा। प्लीज, मेरी हेल्प कर दो।” मैंने कहा, “हाँ, बता, क्या करना है?”
बबलू ने मुझे सारा होमवर्क समझाया कि क्या-क्या और कैसे करना है। हम दोनों मिलकर उसके होमवर्क में जुट गए। अभी कुछ काम बाकी था कि खाने का टाइम हो गया। हमने खाना खाया और फिर बाकी का होमवर्क पूरा करने में जुट गए। रात के 10 बज गए, तब जाकर उसका सारा होमवर्क पूरा हुआ।
बबलू ने कहा, “थैंक्स दीदी।” मैंने हँसते हुए कहा, “थैंक्स नहीं, अब तुझे मेरा काम करना है।” वो बोला, “हाँ दीदी, बताओ, क्या काम करना है?” मैंने बनावटी थकान भरे लहजे में कहा, “यार बबलू, मेरी बॉडी बहुत दर्द कर रही है। तू प्लीज आज मेरी बॉडी की मसाज कर दे ना।”
वो शरमाते हुए बोला, “दीदी, मैं तो…” मैंने उसे बीच में काटते हुए कहा, “तूने ही तो कहा था कि मेरा काम करेगा। अब तू मना नहीं कर सकता।” वो हिचकिचाते हुए बोला, “ठीक है दीदी।”
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ ब्रा और पैंटी में उसके सामने खड़ी हो गई। मैंने कहा, “जा, तेल की बोतल ले आ और मेरी मसाज कर।” वो तेल की बोतल लेने चला गया और थोड़ी देर में लौट आया। उसने पूछा, “दीदी, कहाँ लगाना है तेल?” मैंने कहा, “पहले पैरों से शुरू कर, फिर पूरी बॉडी पर लगाना है।”
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वो मेरे पैरों पर तेल लगाने लगा। उसके हाथों का स्पर्श मेरे पूरे बदन में करंट की तरह दौड़ रहा था। मैंने कहा, “बबलू, थोड़ा और ऊपर, मेरी पैंटी के पास भी लगा दे ना।” उसने मेरी जाँघों पर तेल लगाना शुरू किया। उसके हाथ कभी-कभी मेरी पैंटी को छू रहे थे। मैंने कहा, “बबलू, पैंटी की वजह से शायद तुझे प्रॉब्लम हो रही है।”
वो बोला, “नहीं दीदी।” मैंने कहा, “रुक, मैं इसे भी उतार देती हूँ।” ये कहकर मैंने झट से अपनी पैंटी उतारकर फेंक दी। अब मेरी चूत उसके सामने पूरी नंगी थी। वो अपनी नजरें बचाने की कोशिश कर रहा था। मैंने बेफिक्री से कहा, “नो प्रॉब्लम बबलू, सब चलता है। तू इस पर भी हाथ लगा सकता है।”
वो घबराकर बोला, “नहीं दीदी, मैं नहीं।” मैंने उसका हाथ जबरदस्ती पकड़ा और अपनी चूत पर रख दिया। मैंने उसके हाथ से अपनी चूत रगड़वानी शुरू की। वो धीरे-धीरे वैसे ही करने लगा। मैंने कहा, “बबलू, उस छेद में अपनी एक उंगली से तेल लगा ना, प्लीज।”
उसने वैसा ही किया। जैसे ही उसकी उंगली मेरी चूत के छेद पर लगी, मेरे मुँह से “आह्ह…” निकल गया। वो डर गया और उसने उंगली बाहर निकालते हुए पूछा, “दीदी, क्या हुआ?” मैंने कहा, “कुछ नहीं, तू कंटिन्यू कर।” वो फिर से मेरी चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगा। मैं अब झड़ने वाली थी। मैंने कहा, “बबलू, तेज-तेज कर, बहुत अच्छा लग रहा है। प्लीज और तेज कर ना।”
मैं जोर-जोर से सिसकारियाँ लेने लगी, “आह्ह… उह्ह…” और मेरा पानी निकल गया। मेरी चूत पूरी गीली हो गई थी। बबलू ने हैरानी से पूछा, “दीदी, ये क्या था?” मैंने उसे कुछ नहीं बताया और कहा, “कुछ नहीं, तू बस ऊपर तेल लगाकर मालिश कर दे, मेरे भाई।”
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उसने मेरे पेट पर तेल लगाना शुरू किया और रगड़ने लगा। मैंने कहा, “बबलू, मेरी ब्रा भी उतार दे, और मेरे बूब्स पर भी तेल लगाकर अच्छे से मालिश कर।” उसने ब्रा खोलने से मना कर दिया। मैंने खुद ही अपनी ब्रा उतार दी। मेरे 34 साइज के बूब्स उछलकर उसके सामने आ गए। अब मैं उसके सामने पूरी नंगी थी।
मैंने कहा, “बबलू, मुझे तेल की बोतल दे।” उसने बोतल दी, तो मैंने ढेर सारा तेल अपने बूब्स पर डाला और कहा, “अब मालिश कर।” वो सिर झुकाकर बोला, “दीदी, नहीं, ये गलत है। मैं मसाज नहीं करना चाहता।” मैंने सख्ती से कहा, “तूने कहा था ना कि मेरा काम करेगा? अब अगर तूने नहीं किया, तो मैं मम्मी को बता दूँगी कि तू मुझे रोज चोदता है।”
वो चौंक गया, “क्या?” मैंने कहा, “हाँ, मैं मम्मी को यही बोलूँगी।” वो डर गया और बोला, “ठीक है दीदी, मैं करता हूँ। प्लीज मम्मी को कुछ मत बोलना।” उसने मेरे बूब्स पर मालिश शुरू की। उसके हाथ मेरे बूब्स पर पड़ते ही मेरे निप्पल्स खड़े और सख्त हो गए। मैंने कहा, “बबलू, मेरे दोनों निप्पल्स पर भी थोड़ा और तेल लगा दे।”
उसने मेरे निप्पल्स पर तेल लगाया और धीरे-धीरे मसलने लगा। मेरे मुँह से फिर सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह्ह… बबलू…” मैंने पूछा, “तुझे भी अपनी मसाज करवानी है?” उसने मना कर दिया, लेकिन जब मैंने थोड़ा जोर दिया, तो वो मान गया। मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए। अब हम दोनों कमरे में पूरी तरह नंगे थे।
मैंने उसकी बॉडी पर तेल लगाया और मसाज शुरू की। मेरे हाथों की गर्मी से उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा। वो अपने हाथों से उसे छुपाने की कोशिश कर रहा था। मैंने उसके हाथ हटाए और कहा, “बबलू, हाथ साइड कर। मुझे तेरी नुन्नी की मसाज करनी है। देख, मुझे नंगा देखकर ये कैसे सलामी दे रहा है।”
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वो बोला, “नहीं दीदी, सिर्फ बॉडी की मालिश कर दो।” लेकिन मैंने जबरदस्ती उसका हाथ हटाया। उसका लंड पूरी तरह खड़ा था, करीब 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा। मैंने कहा, “अरे बबलू, तेरी नुन्नी तो अब लंड बन चुका है। देख, मुझे नंगा देखकर ये कैसे सलामी दे रहा है।”
वो शरमा गया। मैंने उसका लंड अपने हाथ में लिया और तेल लगाकर मालिश शुरू कर दी। उसका लंड और सख्त हो गया। वो अब किसी मर्द के लंड जैसा लग रहा था। मुझे उसकी मालिश करने में बहुत मजा आ रहा था। मैंने कहा, “बबलू, क्या मैं तेरे लंड को किस कर सकती हूँ?”
वो बोला, “क्यों दीदी?” मैंने कहा, “क्योंकि मेरा बहुत मन कर रहा है।” उसने कहा, “अगर आपको कोई प्रॉब्लम नहीं है तो…” उसकी बात पूरी होने से पहले ही मैंने उसके लंड पर किस करना शुरू कर दिया। मैंने धीरे-धीरे उसके लंड को अपने मुँह में लिया और पागलों की तरह चूसने लगी। मेरी जीभ उसके लंड के टॉप पर गोल-गोल घूम रही थी। “आह्ह…” उसके मुँह से सिसकारी निकली।
मैं रुकी नहीं। मैंने और जोश के साथ उसके लंड को चूसा, उसे पूरा मुँह में लेकर अंदर-बाहर करने लगी। बबलू बोला, “नहीं दीदी, ये गलत है, प्लीज ऐसा मत करो।” लेकिन मैं कहाँ मानने वाली थी? मैंने करीब 10 मिनट तक उसका लंड चूसा। तभी वो अचानक सख्त हो गया। शायद वो झड़ने वाला था। उसने कहा, “दीदी, मेरी नुन्नी से कुछ निकलने वाला है।”
मैंने उसकी बात अनसुनी की और और तेजी से चूसने लगी। तभी मेरे मुँह में उसके लंड से एक जोरदार पिचकारी मारी। वो उसका गर्म, गाढ़ा माल था। मैं रुकी नहीं और पागलों की तरह चूसती रही। उसका माल इतना ज्यादा था कि मेरे मुँह से बाहर निकलने लगा। लेकिन मैंने सारा माल गटक लिया। फिर मैंने उसके लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस-चूसकर साफ कर दिया। उसका माल आम के रस जैसा स्वादिष्ट था। मुझे पीने में बहुत मजा आया।
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वो थककर बेड पर लेट गया, उसकी आँखें बंद थीं। मैं उसके ऊपर लेट गई और धीरे से उसके कान में बोली, “बबलू, कैसा लगा?” वो बोला, “दीदी, मैं बहुत सॉरी हूँ।” मैंने पूछा, “सॉरी क्यों?” उसने कहा, “मैंने आपके मुँह में सुसु किया ना, इसलिए।” मैंने हँसते हुए उसके गाल पर एक चुम्मी दी और कहा, “मेरे भाई, वो सुसु नहीं था, कुछ और था।”
वो हैरानी से बोला, “अगर वो सुसु नहीं था, तो क्या था?” मैंने कहा, “अरे, वो जूस था। मुझे पीकर बहुत मजा आया।” उसने पूछा, “दीदी, वो जूस कैसे हुआ? और वो कहाँ से आया?” मैंने हँसते हुए कहा, “अरे, वो हर एक के जिस्म में होता है। बस उसे निकालने के लिए मेहनत करनी पड़ती है।”
वो बोला, “मैं भी अपना जूस पीना चाहता हूँ।” मैंने कहा, “बबलू, अपना जूस नहीं पीते। अगर लड़का है, तो वो लड़की का जूस पिएगा, और अगर लड़की है, तो वो लड़के का जूस पिएगी।” मैंने उसे स्माइल दी और पूछा, “क्या तुझे भी जूस पीना है?” वो बोला, “हाँ, पीना है।” मैंने पूछा, “किसका पीना है?” उसने कहा, “किसी का भी।” मैंने शरारत से कहा, “मेरा पिएगा?”
वो बोला, “हाँ, आपका पिऊँगा। लेकिन निकलता कहाँ से है?” मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी चूत पर रख दिया।
दोस्तो, आगे क्या हुआ और कैसे हुआ? ये सब जानने के लिए मेरी इस कहानी के अगले भाग का इंतजार करें। प्लीज, अपने कमेंट्स में बताएँ कि आपको ये कहानी कैसी लगी।
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