चार बच्चों की प्यासी माँ

हेलो दोस्तों, मेरा नाम मून है। मैं कराची का रहने वाला हूँ और कुवैत में जॉब करता हूँ। आज मैं आपको अपनी जिंदगी की एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे लिए कभी न भूलने वाली बन गई। ये बात उस वक्त की है, जब मैं दो साल बाद छुट्टी लेकर पाकिस्तान वापस आया था। मेरी उम्र 28 साल थी, कद 5 फीट 10 इंच, रंग गोरा, और शरीर फिट, क्योंकि मैं जिम जाता हूँ। ये कहानी मेरी और एक ऐसी औरत की है, जिसने मेरी जिंदगी में आग लगा दी।

हमारे मोहल्ले में मेरा एक पुराना दोस्त रहता था, जिसकी मोबाइल शॉप थी। मैं खाली वक्त में उसकी दुकान पर बैठा करता था। एक दिन वहाँ एक आंटी आईं, जिनकी उम्र करीब 40 साल थी। उनका नाम शबाना था, लेकिन मैं उन्हें बस आंटी कहता था। शबाना आंटी का रंग गोरा था, मध्यम कद, और उनका फिगर इतना आकर्षक था कि कोई भी देखकर फिदा हो जाए। उनके बूब्स 36 साइज के थे, हल्की सी झूलन के साथ, और उनकी गांड इतनी मस्त थी कि चलते वक्त लहराती थी। उनके चार बच्चे थे—दो बेटे और दो बेटियाँ, जो मुझसे उम्र में बड़े थे और जॉब करते थे। शबाना आंटी विधवा थीं; उनके शौहर की मौत कुछ साल पहले हो चुकी थी।

पहली बार जब मैंने आंटी को देखा, मेरे दिल में कुछ हलचल सी हुई। वो दुकान पर बैलेंस डलवाने आई थीं। मैंने उन्हें देखा, और उन्होंने भी मुझे एक नजर डाली। उनकी आँखों में कुछ ऐसा था, जैसे वो मुझे परख रही हों। मैं उन्हें पहले से जानता था, क्योंकि वो मेरे एक पुराने दोस्त की अम्मी थीं, लेकिन वो मुझे नहीं पहचानती थीं। मैं बस उन्हें देखता रहा, और वो भी बार-बार मेरी तरफ देख रही थीं। उनके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान थी, जो मुझे बेकरार कर रही थी।

अगली बार वो घर का सामान लेने बाजार आईं। मैं उस वक्त सड़क पर खड़ा था। हमारे नजरें फिर मिलीं, और इस बार वो कुछ ज्यादा देर तक मुझे देखती रहीं। मेरे दिल में आग सी लग गई। मैं बस यही सोच रहा था कि कैसे इनसे बात हो, कैसे इन्हें हासिल करूँ। आंटी की हर अदा मुझे पागल कर रही थी।

कुछ दिन बाद वो फिर दुकान पर आईं। इस बार मैंने हिम्मत जुटाई और उनकी आँखों में देखा। वो भी मुझे देख रही थीं। हमारी नजरें मिलीं, और ऐसा लगा जैसे कोई करंट सा दौड़ गया। मेरे दोस्त ने उनका बैलेंस डलवाया, और वो जाने लगीं। जाते-जाते उन्होंने मुझे एक इशारा किया—एक ऐसी नजर, जो मेरे दिल को चीर गई। मैं बेकाबू हो गया। मैं दुकान से बाहर निकला और थोड़ी दूरी से उनके पीछे-पीछे चलने लगा। वो अपने घर की तरफ जा रही थीं। घर के पास पहुँचकर उन्होंने पीछे मुड़कर देखा और एक कागज फेंका, जिसमें उनका नंबर लिखा था। मैंने वो कागज उठाया और खुशी से पागल हो गया।

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दस मिनट बाद मैंने हिम्मत करके उन्हें कॉल किया। शबाना आंटी ने फोन उठाया। उनकी आवाज में एक अजीब सी गर्मी थी। “हेलो,” उन्होंने कहा। मैंने जवाब दिया, “आंटी, मैं आप पर फिदा हूँ। आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं।” वो हल्के से हँसीं और बोलीं, “तू भी मुझे अच्छा लगता है।” उनकी बातों से साफ था कि वो भी प्यासी थीं, शायद मेरी तरह। हमारी थोड़ी बात हुई, और फिर मैंने कॉल काट दी। रात को दो बजे मैंने फिर कॉल किया। आंटी मेरी कॉल का इंतजार कर रही थीं। मैंने कहा, “आंटी, मैं आपको हासिल करना चाहता हूँ। अभी मिलना चाहता हूँ।” पहले तो वो हिचकिचाईं, लेकिन मेरे बार-बार कहने पर बोलीं, “ठीक है, लेकिन अभी मेरे बच्चे घर पर हैं। मैं मौका देखकर बताऊँगी।”

अगले दिन हमारे इलाके में रात 8 से 10 बजे तक लाइट जाने वाली थी। आंटी ने मुझे कॉल किया और कहा, “रात को जब लाइट जाए, तब आ जाना।” मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैं दिनभर बेचैन रहा, बस रात का इंतजार करता रहा।

रात को 8 बजे लाइट चली गई। 8:30 बजे आंटी का कॉल आया। “आ जा,” उन्होंने कहा। मैंने जल्दी से कपड़े बदले और उनके घर के पिछले दरवाजे पर पहुँच गया। मैंने कॉल किया, और आंटी ने दरवाजा खोला। मैं घबराया हुआ था, डर था कि कहीं कोई देख न ले। आंटी ने मेरी हालत देखकर हँसते हुए कहा, “क्या हुआ? डर रहा है?” मैंने कहा, “आंटी, कहीं कोई आ न जाए।” वो बोलीं, “कोई नहीं आएगा। इस वक्त सब बाहर होते हैं। तू आराम से बैठ।”

आंटी ने मेरे लिए जूस बनाया हुआ था। मैंने जूस पिया, तो थोड़ा सुकून मिला। फिर मैंने उन्हें देखा। वो काले रंग की सलवार-कमीज में थीं, जिसमें उनका फिगर और भी मस्त लग रहा था। मैं उनके पास गया, उन्हें अपनी बाहों में लिया और उनके होंठों पर किस करने लगा। उनके होंठ रसीले थे, जैसे कोई जन्नत का फल। मैं पागलों की तरह उन्हें चूम रहा था। आंटी भी गर्म हो गई थीं। उन्होंने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और मेरे सीने को सहलाने लगीं। मैंने उनकी कमीज के ऊपर से उनके बूब्स दबाए। वो सिसकियाँ लेने लगीं, “आह्ह… मून… धीरे…”

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मैंने उनकी कमीज उतारी। उनकी ब्रा में उनके बूब्स ऐसे लग रहे थे, जैसे कोई खजाना। मैंने उनकी ब्रा उतारी, और उनके गुलाबी निपल्स को देखकर पागल हो गया। मैंने उनके निपल्स को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह… उह्ह… और जोर से चूस…” आंटी मेरे सिर को अपने बूब्स पर दबा रही थीं। उनके बूब्स में एक अलग ही नशा था। मैं आधे घंटे तक उनके बूब्स चूसता रहा। वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थीं। उनकी सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… ह्म्म… मून… तू तो कमाल है…”

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फिर आंटी ने मुझे बेड पर धक्का दिया और मेरी पैंट उतार दी। मेरा 7 इंच का लंड तना हुआ था। उसे देखकर वो पागल हो गईं। “ये तो मेरे शौहर से भी बड़ा है,” उन्होंने कहा और मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। वो इसे कुल्फी की तरह चूस रही थीं, कभी पूरा अंदर, कभी बाहर। उनकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर गोल-गोल घूम रही थी। मैं सातवें आसमान पर था। “आंटी… आह्ह… कितना मजा दे रही हो…” मैंने कहा।

फिर आंटी ने अपनी शलवार उतारी और अपनी चूत मेरे मुँह के पास लाई। मैंने उनकी टाँगें खोलीं और उनकी चूत चाटने लगा। उनकी चूत का रस इतना लाजवाब था कि मैं बस चाटता रहा। मैं अपनी जीभ उनकी चूत के अंदर-बाहर करता, और वो मेरे लंड को और जोर से चूस रही थीं। “उह्ह… मून… चाट… और चाट… मेरी चूत को खा जा…” वो सिसक रही थीं। बीस मिनट तक हम एक-दूसरे को चाटते रहे। अचानक आंटी की चूत से पानी निकलने लगा। उन्होंने सारा पानी मेरे मुँह पर छोड़ दिया और एक लंबी “आह्ह्ह…” के साथ बेड पर लेट गईं।

“तू तो बड़ा मस्त चोदता है,” उन्होंने हाँफते हुए कहा। “मैंने जिंदगी में इतना मजा कभी नहीं लिया।” मैंने कहा, “आंटी, आप डिस्चार्ज हो गईं, लेकिन मैं अभी बाकी हूँ।” वो हँसीं और बोलीं, “चल, मेरी चूत को और चोद। मेरी प्यास बुझा दे।”

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मैं बेड पर लेट गया, और आंटी मेरे ऊपर आ गईं। उन्होंने मेरा लंड अपनी चूत पर सेट किया और एक झटके में अंदर ले लिया। उनकी चीख निकल गई, “आह्ह… कितना बड़ा है तेरा…” मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ अंदर गया। उनकी चूत गर्म और गीली थी। वो मेरे लंड पर उछल रही थीं, और उनकी सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… उह्ह… चोद… और जोर से…” मैं उनके बूब्स दबा रहा था, उनके निपल्स चूस रहा था। फिर मैंने उन्हें लिटाया, उनकी टाँगें खोलीं और एक जोरदार झटका मारा। मेरा लंड उनकी चूत की गहराई में उतर गया। “आह्ह… मून… फाड़ दे मेरी चूत…” वो चिल्ला रही थीं।

मैं जोर-जोर से झटके मार रहा था। उनकी चूत में बाढ़ आ गई थी। उनके बूब्स मेरे हर झटके के साथ उछल रहे थे। मैं उनके बूब्स को मुँह में लेकर चूस रहा था, और वो नीचे से उछल-उछलकर मेरा साथ दे रही थीं। “आह्ह… ह्म्म… चोद… मेरी चूत को ठंडा कर दे…” वो बार-बार कह रही थीं। मैं और तेज हो गया। अचानक वो फिर डिस्चार्ज हो गईं। उनकी चूत से पानी की धार निकली, और मेरा लंड उसमें नहा गया।

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मैं अब डिस्चार्ज होने वाला था। मैंने कहा, “आंटी, मैं झड़ने वाला हूँ।” वो बोलीं, “मेरे मुँह में झड़ जा।” मैंने अपना लंड उनकी चूत से निकाला, और वो उसे मुँह में लेकर चूसने लगीं। उनकी जीभ मेरे लंड पर जादू कर रही थी। मैंने उनके मुँह में ही झड़ दिया। उन्होंने मेरा सारा माल पी लिया और मेरे लंड को चाट-चाटकर साफ कर दिया। “तूने तो मेरी प्यास बुझा दी,” वो हँसते हुए बोलीं।

हमने अपने कपड़े पहने। रात के 10 बजने वाले थे। मैंने उन्हें फिर से अपनी बाहों में लिया और एक लंबा किस किया। आंटी ने कहा, “जब भी मौका मिलेगा, मैं तुझे बुलाऊँगी। अब मैं तेरी हूँ।” मैंने कहा, “ठीक है, आंटी।” फिर मैं उनके घर से निकल गया। बाद में मैंने आंटी को कई बार चोदा, और एक दिन उन्होंने मुझे अपनी एक सहेली से भी मिलवाया।

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