Hot Neighbor Sex Story हाय दोस्तों, मेरा नाम कपिल है। आज मैं आपको अपनी एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे जीवन का एक अनोखा और गर्म अनुभव है। ये बात उस समय की है, जब मैं 18 साल का था और बेंगलुरु में अपने बड़े भाई के पास रहने गया था। मैं 12वीं कक्षा में पढ़ता था, और मेरे भाई सुबह काम पर चले जाते थे, जबकि मैं स्कूल जाता था। मेरा स्कूल दोपहर तक छूट जाता था, और मैं करीब 2 बजे तक घर लौट आता था। भाई शाम को 5 बजे के आसपास लौटते थे, जिसके चलते मैं दिन में ज्यादातर समय घर पर अकेला रहता था।
मेरा घर एक फ्लैट में था, और सामने वाले फ्लैट में एक नई पड़ोसन आई थी। उसका नाम शालिनी था, और वो कोई 26-27 साल की होगी। उसकी खूबसूरती देखते ही बनती थी। गोरा रंग, भरा हुआ बदन, गोल-गोल चूचियाँ जो उसकी टाइट कुरती में साफ दिखती थीं, और कूल्हे जो सलवार में ऐसे हिलते थे मानो किसी को ललकार रहे हों। उसका चेहरा एकदम नाजुक, आँखें बड़ी-बड़ी और होंठ गुलाबी। उसका पति इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का बिजनेस करता था, जिसके चलते वो देर रात 12 बजे के बाद ही घर लौटता था।
एक दिन मैं स्कूल से लौटा और खाना खाकर बैठा ही था कि डोरबेल बजी। मैंने दरवाजा खोला तो सामने शालिनी खड़ी थी। उसने लाल रंग की सलवार-कुरता पहना था, जो उसके गोरे बदन पर और भी चमक रहा था। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “हाय, मैं सामने वाले फ्लैट में नई-नई आई हूँ। बस, पड़ोसियों से मिलने का मन था।” मैंने उसे अंदर बुलाया। वो सोफे पर बैठी और हमारी बातें शुरू हो गईं। उसने बताया कि उसका पति देर से घर आता है, और दिन में वो अकेली बोर हो जाती है। मैंने भी अपनी पढ़ाई और दिल्ली के परिवार के बारे में कुछ बताया। बातों-बातों में समय निकल गया, और करीब साढ़े चार बज गए। उसने कहा, “अच्छा, तुम्हारा भाई अब आने वाला होगा। मैं चलती हूँ, राजा।” उसने मुझे ‘राजा’ कहकर पुकारा और हल्की सी मुस्कान के साथ चली गई।
अगले दिन वो फिर आई। इस बार उसने नीली साड़ी पहनी थी, जिसमें उसकी कमर और नाभि साफ दिख रही थी। हमारी बातें अब रोज होने लगीं। वो मेरे स्कूल जाने से पहले मुझे देखती, और मेरे भाई के जाने के बाद मेरे घर चली आती। धीरे-धीरे हमारी दोस्ती गहरी हो गई। उसने बताया कि उसका पति उसे समय नहीं देता, और वो मेरे साथ बात करके अच्छा महसूस करती है। मैं भी उसकी बातों में खो जाता था। उसकी आवाज में एक अजीब सी कशिश थी, जो मुझे उसकी ओर खींचती थी।
एक दिन मेरा स्कूल जाने का मन नहीं हुआ। मैंने सोचा कि आज छुट्टी कर लेता हूँ। सुबह भाई काम पर चले गए, और मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था। तभी डोरबेल बजी। मैंने दरवाजा खोला तो शालिनी सामने थी। उसने गुलाबी कुरता और सफेद सलवार पहनी थी, जिसमें उसकी चूचियाँ और भी उभरी हुई लग रही थी। उसने पूछा, “क्या बात है, राजा? आज स्कूल क्यों नहीं गए?” मैंने कहा, “बस, तबीयत थोड़ी खराब है, सोचा आज आराम कर लूँ।” वो चिंता भरे लहजे में बोली, “अरे, तब तो मुझे तुम्हारा ख्याल रखना पड़ेगा।” वो मेरे पास बिस्तर पर बैठ गई। मैंने आँखें बंद कर लीं और सोने का नाटक करने लगा।
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि कोई मेरी पैंट के ऊपर हाथ फेर रहा है। मैंने आँखें खोलीं तो देखा कि शालिनी मेरे लंड के ऊपर धीरे-धीरे हाथ चला रही थी। मैं हैरान रह गया, लेकिन मaza भी आ रहा था। मैंने सोने का नाटक जारी रखा। उसने मेरी चुप्पी को हरी झंडी समझा और धीरे से मेरी ज़िप खोली। मेरा लंड, जो उस समय ज्यादा बड़ा तो नहीं था, लेकिन जवानी की गर्मी में खड़ा होकर तन गया था। उसने मेरे लंड को बाहर निकाला और हल्के-हल्के सहलाने लगी। उसका नरम हाथ मेरे लंड पर ऐसा जादू कर रहा था कि मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था। उसने मेरे टोपे को उंगलियों से दबाया, फिर उसे रगड़ने लगी। मेरा लंड अब पूरी तरह से दांडा बन चुका था।
शालिनी ने मेरे लंड को देखकर एक शरारती मुस्कान दी और बोली, “राजा, ये तो बड़ा मस्त है।” उसने धीरे से मेरे लंड को चूमा, और फिर उसे अपने मुँह में ले लिया। उसका गर्म मुँह मेरे लंड पर ऐसा लगा जैसे मैं किसी और दुनिया में पहुँच गया हूँ। वो अपने होंठों और जीभ से मेरे लंड को चूसने लगी, और मैं बस आहें भर रहा था। “आआह… शालिनी… ये क्या कर रही हो…” मैंने धीरे से कहा, लेकिन वो नहीं रुकी। उसकी जीभ मेरे टोपे पर गोल-गोल घूम रही थी, और वो मेरे लंड को पूरा मुँह में लेकर आगे-पीछे कर रही थी। थोड़ी देर बाद मेरे लंड से पानी निकल गया। मैं घबरा गया, सोचा कि पेशाब निकल गया, लेकिन बाद में पता चला कि ये तो वीर्य था। शालिनी ने मेरे लंड को चूसना जारी रखा, और मेरा सारा वीर्य उसके मुँह से बाहर टपक रहा था। उसने मेरे लंड को जीभ से साफ किया और मेरी ज़िप बंद कर दी। फिर वो मुस्कुराते हुए अपने घर चली गई।
शाम को वो फिर आई। इस बार उसने काली साड़ी पहनी थी, जो इतनी पतली थी कि उसकी ब्रा और चूचियों की शेप साफ दिख रही थी। वो मेरे पास बैठी और शर्माते हुए बोली, “राजा, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?” मैंने कहा, “नहीं, शालिनी।” उसने मेरी आँखों में देखते हुए कहा, “तो आज से मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूँ।” ये कहकर उसने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया। उसकी चूचियाँ मेरी छाती से दब रही थीं, और मैं उनके नरमपन को महसूस कर रहा था। उसने मेरे गाल पर एक चुम्बन दिया, फिर मेरे होंठों पर। उसकी जीभ मेरे मुँह में घुसी और मेरी जीभ से खेलने लगी। मैं भी उसे चूमने लगा। उसका एक हाथ मेरे लंड पर था, जो फिर से खड़ा हो गया था। उसने मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरा लंड बाहर निकाल लिया। “राजा, तेरा लंड तो बड़ा प्यारा है,” उसने शरारत भरे लहजे में कहा।
उसने मेरी पैंट और शर्ट उतार दी। मैं अब उसके सामने पूरी तरह नंगा था। मुझे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी, लेकिन उसने मेरे हाथ को अपनी चूचियों पर रखा और कहा, “इसे दबा, राजा।” मैंने उसकी चूचियों को दबाना शुरू किया। वो इतनी नरम थीं कि मेरे हाथों में समा ही नहीं रही थीं। उसने अपनी कुरती उतारी, और नीचे उसने काली ब्रा पहनी थी। उसने ब्रा भी उतार दी, और उसकी गोल-गोल चूचियाँ मेरे सामने थीं। काले रंग के निप्पल्स तने हुए थे। उसने कहा, “इन्हें चूस, राजा।” मैंने बारी-बारी से उसके दोनों निप्पल्स को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आआह… राजा… और जोर से…” वो सिसकारियाँ भर रही थी। उसका एक हाथ मेरे लंड को मसल रहा था।
फिर उसने अपनी सलवार उतारी। उसने नीचे कुछ नहीं पहना था। उसकी चूत पर घने बाल थे, जो उसे और भी सेक्सी बना रहे थे। उसने अपनी टाँगें खोलीं और कहा, “इसे चाट, राजा।” मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसका स्वाद नमकीन और गर्म था। वो सिसकारियाँ ले रही थी, “ओह्ह… राजा… मज़ा आ रहा है… और चाट…” उसने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाया। मैं उसकी चूत को चाट रहा था, और वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। फिर उसने कहा, “राजा, इसमें उंगली डाल।” मैंने उसकी चूत में उंगली डाली और अंदर-बाहर करने लगा। उसकी चूत गीली हो चुकी थी। थोड़ी देर बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैंने कहा, “शालिनी, तुमने तो मेरे मुँह में पेशाब कर दिया!” उसने हँसते हुए कहा, “अरे, ये पेशाब नहीं, मेरी गर्मी है जो निकली है।”
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फिर वो बिस्तर पर लेट गई और मुझे खड़ा होने को कहा। उसने अपनी टाँगें उठाईं और मेरे लंड को अपनी चूत पर सेट किया। “राजा, अब धीरे से अंदर डाल,” उसने कहा। मैंने धीरे से अपना लंड उसकी चूत में डाला। उसकी चूत इतनी गर्म थी कि मेरा लंड जैसे पिघल रहा था। “आआह… शालिनी… ये तो बहुत गर्म है…” मैंने कहा। उसने कहा, “हाँ, राजा, चूत ऐसी ही होती है। अब धीरे-धीरे धक्के मार।” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “पच… पच…” धक्कों की आवाज कमरे में गूँज रही थी। वो सिसकारियाँ ले रही थी, “ओह्ह… राजा… और तेज… आआह…” मैंने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी।
थोड़ी देर बाद मैं थक गया। मैंने कहा, “शालिनी, मैं थक गया हूँ।” उसने मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गई। उसने मेरे लंड को अपनी चूत में लिया और ऊपर-नीचे होने लगी। “आआह… राजा… तेरा लंड कितना मस्त है…” वो जोर-जोर से उछल रही थी, और उसकी चूचियाँ मेरे सामने हिल रही थीं। मैंने उसके निप्पल्स को पकड़कर मसलना शुरू किया। वो और जोर से सिसकारने लगी, “ओह्ह… राजा… और जोर से… आआह…” उसकी चूत से पानी टपक रहा था, और मेरे लंड को और गीला कर रहा था।
करीब आधे घंटे तक वो ऐसे ही मेरे ऊपर उछलती रही। फिर वो थक गई और बिस्तर पर लेट गई। उसने अपनी टाँगें मेरे कंधों पर रखीं और कहा, “राजा, अब तू फिर से धक्के मार।” मैंने फिर से धक्के मारने शुरू किए। “पच… पच… पच…” धक्कों की आवाज और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थी। “आआह… राजा… और तेज… चोद मुझे…” वो चिल्ला रही थी। मैंने पूरी ताकत से धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही थी।
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है। मैंने कहा, “शालिनी, मुझे पेशाब आ रहा है।” उसने तुरंत मेरा लंड अपनी चूत से निकाला और अपने मुँह के पास ले गई। उसने मेरे लंड को मुठ मारना शुरू किया, और जैसे ही मैं छूटा, मेरे वीर्य की पहली पिचकारी उसके गाल पर गिरी। बाकी का वीर्य उसने अपने मुँह में लिया और मेरे लंड को जीभ से साफ किया। फिर वो मेरे बगल में लेट गई। हम दोनों थक चुके थे। मैंने देखा कि 5 बजने वाले थे। मैंने कहा, “शालिनी, भाई के आने का समय हो गया है। तुम जाओ।” उसने अपने कपड़े पहने और चली गई।
रात को मैं उसी के बारे में सोचता रहा। अगले दिन भाई ने मुझे जबरदस्ती स्कूल भेज दिया। स्कूल से लौटने के बाद शालिनी फिर आई, और हमने फिर से चुदाई की। ये सिलसिला करीब दो साल तक चला। इस दौरान मैंने 12वीं पास कर ली, और भाई ने मुझे दिल्ली वापस भेज दिया। अब मैं दिल्ली में हूँ और यहाँ कोई लड़की ढूँढ रहा हूँ। शालिनी के साथ मैंने पहली बार चूत चाटी थी, और एक बार जब मैं उसकी चूत चाट रहा था, तो उसने अचानक पेशाब कर दिया। मुझे उसका नमकीन पानी बहुत अच्छा लगा, और उसे भी मज़ा आया। इसके बाद वो जब भी चुदाई के लिए आती, मुझे उसकी गांड चाटने और उसका पेशाब पिलाने को कहती थी।
तो दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपके साथ भी ऐसा कोई अनुभव हुआ है? कमेंट में जरूर बताएँ।