Bhai Bahan threesome sex story – safe sex gangbang sex story: मेरा नाम रवीना है। कॉलेज में कदम रखते ही मेरी सारी शर्म और हया एक-एक कर उड़ती चली गई। मीनाक्षी और उसकी सहेलियों की हर बात मेरे कानों में घंटी की तरह बजती रहती थी, “कल मैंने अपने भाई का लंड पूरा गले तक लिया”, “मैं तो पापा का रोज चूसती हूँ”, “मैं तो सगे भाई और जीजू दोनों से चुदवाती हूँ”। इन बातों को सुनते ही मेरी चूत में सिहरन दौड़ जाती, पैंटी भीग जाती, रात को बिस्तर पर लेटे-लेटे मैं उंगलियां चूत पर रगड़ती और कल्पना करती कि कोई अपना सगा मेरी चूचियां मसल रहा है, उसकी गर्म सांस मेरी गर्दन पर लग रही है, उसका मोटा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है। शर्म से चेहरा लाल हो जाता, पर उंगलियां रुकती नहीं थीं। बस एक ही ख्याल रहता था, कब कोई मोटा लंड मेरी चूत को सचमुच फाड़ेगा।
मौका खुद चलकर आया। मम्मी-पापा बाहर गए थे। चाचा का लड़का राजीव आया। उसकी नजरें मेरे ऊपर से हटती ही नहीं थीं। मेरे दिल की धड़कनें इतनी तेज थीं कि लगता था वो सुन लेगा। मैंने मन ही मन फैसला कर लिया, आज इसी से अपनी चूत फड़वा लूंगी। मैंने मुस्कुरा कर कहा, “बैठो भैया, मैं नहा कर आती हूँ।”
बाथरूम में घुसते ही दरवाजा बंद किया। आईने में खुद को देखा, चूचियां टाइट टॉप में उभरी हुईं, निप्पल सख्त। चूत के घने बालों पर कैंची चलाई, हर कट के साथ क्लिट पर हल्की-हल्की झनझनाहट उठती, जैसे कोई जीभ छू रही हो। चूत पहले से ही गीली थी, उसकी मादक, मिट्टी सी गंध हवा में फैल गई। मैंने एक उंगली से फांकों को अलग किया, धीरे-धीरे रगड़ा, फिर दो उंगलियां अंदर सरका दीं। दीवार से टेक लगा कर जोर-जोर से ठोकने लगी। सांसें तेज, आह.. इह्ह.. ओह्ह.. जांघें कांपने लगीं। सोच रही थी कि राजीव का लंड इससे भी मोटा होगा, मेरी चूत को फाड़ देगा। गर्म रस उंगलियों पर लिपट गया, मैंने चाट कर चखा, मीठा-नमकीन। फिर भी आग नहीं बुझी।
नहाकर बाहर आई तो राजीव मोबाइल में पोर्न देख रहा था। दो मर्द एक औरत को चोद रहे थे। मेरी चूत फिर से टपकने लगी, जांघों पर चिपकती हुई। मैं उसके पीछे खड़ी हो गई, गर्म सांस उसकी गर्दन पर फूंकी और फुसफुसाई, “अकेला-अकेला चूत चोदने का वीडियो देख रहा है हरामी? मुझे भी दिखा ना, तेरी बहन की चूत गीली हो रही है ये देखकर।”
वो चौंक कर मुड़ा। मैंने उसकी आंखों में वही भूख देखी। उसने फोन साइड किया और अपना लंड बाहर निकाल लिया, मां कसम, आठ इंच का काला, मोटा, नसें फूली हुईं, सुपारा लाल-गुलाबी। मेरी सांस अटक गई। उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। मैंने सहलाया, गर्म था, धड़क रहा था। प्री-कम की चिपचिपी बूंदें मेरी उंगलियों पर लगीं।
राजीव ने मेरे बाल पकड़े, सिर नीचे दबाया। मैं घुटनों पर गिर गई। उसका लंड मेरे होंठों से सटा। मैंने जीभ से पहले सुपारे को घुमाया, चाटा, नमकीन-मीठा। फिर मुंह खोला। धीरे-धीरे अंदर लिया, लेकिन वो इतना मोटा था कि गले को ठोकता चला गया। ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. गों.. गोग.. लार मुंह से टपकने लगी, आंखें पानी से भर गईं। पर अंदर से सोच रही थी, ये लंड मेरी चूत में जाएगा तो क्या हाल होगा, लेकिन अभी मुंह की रंडी बनूंगी। राजीव की कमर हिली, “चूस रे रंडी बहना… पूरा अंदर ले…” गर्म वीर्य मुंह में उड़ेल दिया। गाढ़ा, गर्म। मैंने एक घूंट में निगल लिया, जीभ से लंड चाट-चाट कर साफ किया।
फिर उसने मुझे बेड पर पटका, कपड़े फाड़ दिए। मेरी चूत देखकर बोला, “बहन की चूत कितनी रसीली है रे!” और मुंह लगा दिया। उसकी गर्म जीभ फांकों पर नाचने लगी। आह्ह.. ह्ह.. ऊउइइइ.. मैं कमर उचकाने लगी। वो क्लिट को चूस रहा था जैसे भूखा शेर। पांच मिनट में मैं फिर झड़ गई। उसने सारा रस पी लिया और चूत चट कर साफ कर दी।
अब मैं तड़प रही थी। उसका लंड फिर से तना हुआ था। उसने मेरी टांगें कंधों पर रखीं, लंड को चूत पर रगड़ा। मैं बोली, “डाल ना भैया… फाड़ दे अपनी बहन की चूत…” वो हंसा और एक झटके में पूरा घुसा दिया। मैं चीखी, “आआह्ह.. मादरचोद.. धीरे डाल ना… उफ्फ.. फट गई मेरी चूत!” राजीव बोला, “ले रंडी बहना… बहन की चूत… बहन की चूत… कितनी टाइट है रे… ले मेरा पूरा लंड, चिल्ला रे कुतिया!” और जोर-जोर से पेलने लगा। दर्द मजे में बदल गया। मैं भी गांड उछालने लगी। आह इह्ह ओह्ह.. ह्हीईई.. कमरा चुदाई की चाप-चाप और मेरी चीखों से गूंज रहा था।
वो थक गया तो बोला, “अब ऊपर आ।” मैं उसकी गोद में बैठ गई। लंड सेट किया और कमर पकड़ कर नीचे खींचा। मैं ऊपर-नीचे होने लगी। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़-रगड़ कर पागल कर रहा था। दस मिनट में मैं फिर झड़ी, और उसके तुरंत बाद राजीव ने मेरी चूत में अपना गर्म माल उड़ेल दिया।
हम नंगे लिपटे थे। मम्मी का फोन आया, आज नहीं आएंगे। मैं मुस्कुराई।
राजीव बोला, “बाजार होकर आता हूँ।” आधे घंटे बाद लौटा तो समीर को साथ लाया। मैंने उसे देखते ही झटका लगा। सारा जोश ठंडा पड़ गया। चेहरा लाल, हाथ-पैर कांपने लगे। मैं पीछे हटी और फुसफुसाई, “ये क्या राजीव… तूने इसे क्यों बुलाया? मैं… मैं तैयार नहीं… प्लीज इसे भेज दे।” राजीव ने मुझे दीवार से सटा लिया, मेरी कमर पकड़ कर बोला, “आराम से मेरी जान… डर मत। मैंने कंडोम भी लाया है, सब सेफ रहेगा। बस एक बार ट्राई कर… तूने कभी दो लंड एक साथ नहीं लिया ना? आज पता चलेगा असली मजा क्या होता है।”
मैंने सिर हिलाया, आंखें नीचे की हुईं, “नहीं… मुझे शर्म आ रही है… अगर किसी को पता चल गया तो? मैं तेरी बहन हूं… समीर क्या सोचेगा?” राजीव ने मेरी गर्दन चूमी, चूत पर हाथ फेरते हुए बोला, “समीर भरोसे का है बाबू। मैंने उसकी बहन चोदी है, वो मेरी चोद चुका है। और देख, मैं तेरे साथ हूं ना। अगर तुझे बुरा लगे तो रुक जाएंगे। लेकिन एक बार तो मान जा मेरी रंडी बहना…” उसने मुझे बेडरूम में ले जाकर मसाज शुरू की। मेरी पीठ सहलाने लगा, धीरे-धीरे चूचियां दबाने लगा। मेरी सांसें फिर तेज हो गईं। मैंने आखिरी बार हिचकते हुए कहा, “ठीक है… लेकिन कंडोम जरूर लगाना… और अगर दर्द हुआ तो रुक जाना…” राजीव ने मुस्कुरा कर समीर को बुलाया।
दोनों ने मुझे बेड पर लिटाया। मैं अभी भी नर्वस थी, हाथ से चूत ढकने की कोशिश कर रही थी। राजीव ने मेरे हाथ हटाए और बोला, “देख समीर, कितनी रसीली चूत है मेरी बहन की।” समीर ने पहली बार मुंह खोला, “वाह राजीव… तेरी बहन तो माल है।”
फिर शुरू हुआ घंटों का गंदा, बेशर्म थ्रीसम। दोनों ने मेरी टांगें चौड़ी कर दीं। मेरी चूत हवा में खुली, गीली और लाल। राजीव बाईं फांक पर जीभ फेरने लगा, समीर दाईं पर। दोनों की गर्म सांसें और जीभ मेरी क्लिट पर टकरातीं, कभी एक अंदर घुस जाता। लार और मेरा रस मिलकर बह रहा था। मैं सिहर-सिहर कर चिल्ला रही थी, “आह्ह… ऊउइइइ… दोनों एक साथ… मेरी चूत फट जाएगी… आह्ह्ह्ह…” दस-पंद्रह मिनट तक चटवाया। मैं दो बार झड़ गई, कमर उछाल-उछाल कर।
फिर दोनों खड़े हो गए। दोनों ने कंडोम चढ़ाया। मैं घुटनों पर बैठी। पहले राजीव का 8 इंची लंड मुंह में लिया, ग्ग्ग्ग… गों… गोग… फिर समीर का रिंग वाला। रिंग ठंडी थी, जीभ से घुमाने पर अलग मजा। मैं बारी-बारी से चूसती रही, कभी एक मुंह में, दूसरा हाथ से हिलाती। दोनों मेरे बाल पकड़ कर मुंह चोद रहे थे। लार टपक रही थी, आंखें लाल।
राजीव नीचे लेट गया। मैं उसके ऊपर चढ़ी, उसका कंडोम वाला लंड चूत में लिया। समीर ऊपर से मेरे मुंह में लंड ठूंस दिया। दोनों एक साथ हिलने लगे। मैं बीच में सैंडविच बनी हुई थी। नीचे चूत में 8 इंची लंड पेल रहा था, ऊपर मुंह में रिंग वाला। मेरी चीखें दब रही थीं, ग्ग्ग्ग… गों… गोग… आह्ह्ह… ऊउइइइ…
फिर मैं घोड़ी बनी। राजीव ने पीछे से चूत में लंड घुसाया, जोर-जोर से ठोका। दस मिनट बाद निकाला। समीर ने तुरंत अपना रिंग वाला लंड घुसाया। रिंग हर धक्के में क्लिट को रगड़ रही थी। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह… रिंग… रिंग रगड़ रही है… और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत… दोनों मिलकर!” दोनों बारी-बारी से चोदते रहे, कंडोम चेंज करते रहे।
मैं समीर के ऊपर चढ़ी, उसका रिंग वाला लंड चूत में लेकर ऊपर-नीचे होने लगी। राजीव मेरे मुंह में लंड दे दिया। मैं एक साथ राइड कर रही थी और मुंह चूस रही थी। मेरी चूचियां उछल रही थीं, पसीना बह रहा था।
अंत में दोनों ने कंडोम उतारे। मेरी चूचियों के बीच दोनों लंड रखकर टिट फक करने लगे। मैं दोनों लंड एक साथ चूसती रही। फिर दोनों ने मेरे मुंह, चेहरे, चूचियों पर गाढ़ा माल उड़ेल दिया। मैंने जितना मुंह में आया, निगल लिया। बाकी चेहरे पर मल लिया।
पूरी रात यही चलता रहा। हर राउंड में नया कंडोम। कभी मैं ऊपर, कभी नीचे, कभी घोड़ी। मेरी चूत सूज गई थी, पर मजा इतना कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी। मैं पंद्रह-बीस बार झड़ी होगी। सुबह तक तीनों थक कर सो गए, मेरी चूत से रस और पसीना मिलकर बेड गीला कर रहा था। सुबह उठते ही फिर शुरू हो गए।