मेरा नाम संजय है और मैं मुंबई से हूँ। मेरी उम्र 27 साल है, मेरी हाइट 6 फुट है और मैं दिखने में सुंदर हूँ। मैं एक कंपनी में जॉब करता हूँ। ये कहानी आज से 2 साल पहले की है, जब मैं एक कंपनी में काम करता था। वहाँ मेरे कई दोस्त थे, लड़के भी और लड़कियाँ भी। मेरे दो अच्छे दोस्तों की शादी होने वाली थी, एक लड़की जिसका नाम नैन्सी था और एक लड़का जिसका नाम अनिल था। नैन्सी से मेरी बहुत अच्छी दोस्ती थी। कुछ समय पहले हम इतने करीब आ गए थे कि हमारे बीच किसिंग तक बात पहुँच गई थी, लेकिन तभी मैंने कंपनी बदल ली। इसके बाद मेरी और नैन्सी की मुलाकात कम हो गई, बस कभी-कभी फोन पर बात हो जाती थी।
एक दिन नैन्सी का कॉल आया। उसने बताया कि वो और अनिल शादी कर रहे हैं और मुझे उनकी शादी में बुलाया। दूसरी तरफ अनिल ने भी मुझे अपनी शादी के बारे में बताया और इन्वाइट किया। शादी के दिन नैन्सी ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जो उस पर गजब ढा रही थी। नैन्सी की हाइट 5 फुट 4 इंच थी, उसका रंग गोरा, गाल फूले हुए, बड़ी-बड़ी आँखें, पतले होंठ और लंबे बाल थे। उसके बूब्स 36, कमर 26 और कूल्हे 36 के थे। ये सब मुझे तब पता चला था जब हमारी दोस्ती गहरी थी। वो इतनी सेक्सी थी कि मैं उसे तभी चोदना चाहता था, लेकिन किसी वजह से ऐसा हो न सका। अब जब उसकी शादी हो रही थी, तो मुझे अफसोस हो रहा था कि आज अनिल उसकी इस खूबसूरत बॉडी का मजा लेगा और उसकी चूत को जमकर चोदेगा। उसने जो ब्लाउज पहना था, उसका गला इतना गहरा था कि उसके बूब्स का उभार और दोनों बूब्स के बीच की लाइन साफ दिख रही थी।
शादी हो गई। हम कुछ दोस्तों ने अनिल और नैन्सी को बधाई दी और अपने-अपने घर जाने की तैयारी करने लगे। तभी अनिल ने कहा, “अरे, अभी तुम लोग घर नहीं जाओगे। आज मेरे पास पार्टी करने का आखिरी मौका है।” हम पाँच दोस्त थे और अनिल के घर चले गए। आज अनिल की सुहागरात थी, लेकिन उसका घर छोटा था, इसलिए उसके सारे रिश्तेदार उसके दूसरे घर में रुके थे, जहाँ उसके मम्मी-पापा, उसकी बहन रचना, जो 19 साल की थी और कॉलेज में पढ़ती थी, और उसका छोटा भाई रहता था।
हम अनिल के घर पहुँचे। अनिल और नैन्सी ऊपर चले गए, और हम पाँच दोस्त नीचे बैठकर गप्पे मारने लगे। अनिल ने हमें एक वाइन की बोतल दी थी, जिसे हमने खोलकर एक-एक पेग लिया। तभी अनिल कपड़े बदलकर नीचे आ गया और बोला, “सालों, तुमने मेरे बिना ही पार्टी शुरू कर दी?” मैंने मजाक में कहा, “हमें तो लगा तू अब सुबह ही मिलेगा। इतनी जल्दी तेरा काम हो गया?” ये सुनकर हम सब हँसने लगे। अनिल भी हमारे साथ बैठा और बोला, “अबे, अभी तो मैंने सिर्फ चाय पी है, डिनर तो बाकी है। इसके लिए थोड़ा मूड बनाना पड़ेगा।”
हमने मजाक-मस्ती के साथ पूरी बोतल खत्म कर दी। तभी हमारे एक दोस्त ने कहा, “क्या अनिल, हम छह लोग और बोतल सिर्फ एक? ये गलत बात है।” शराब का नशा सबको चढ़ने लगा था, लेकिन अनिल को शायद ज्यादा चढ़ गया था। वो जोश में आकर तुरंत एक और बोतल ले आया और बोला, “सालों, आज जमकर पियो। मेरे पास स्टॉक में और भी है, जितनी चाहो उतनी पियो।” फिर उसने कहा कि वो सिर्फ दो पेग और लेगा, फिर चला जाएगा। हमने नए पेग बनाए और पी गए। तभी तीन दोस्तों ने कहा, “यार, अब हम चलते हैं। हमें दूर जाना है। तुम लोग पार्टी जारी रखो।” वो चले गए। अब वहाँ सिर्फ मैं, अनिल और एक दूसरा दोस्त बचे थे। मेरा और अनिल का फ्लैट पास में ही था, तो हमें जल्दी नहीं थी। रात के 12 बज रहे थे।
अनिल ने एक-एक और पेग बनाया, इस बार डबल साइज का। अनिल को बहुत नशा हो गया था। वो पेग लेने से मना करने लगा, लेकिन हमने उसे जबरदस्ती पिला दिया और कहा, “ये खत्म कर और जाकर अपनी डार्लिंग के साथ मजा ले।” अनिल ने हँसते हुए कहा, “हाँ यार, मेरी डार्लिंग मेरा इंतजार कर रही होगी। मैं तो उसे कितने दिनों से बोल रहा था कि जो काम शादी के बाद करना है, वो अभी कर लें। लेकिन वो मना करती थी कि शादी के बाद सेक्स का अलग मजा है। आज मैं उसकी सारी अकड़ निकाल दूँगा।” शराब के नशे में लोग बहक जाते हैं, और अनिल भी कुछ ऐसा ही बोल रहा था। हमने पेग खत्म किए, सिगरेट जलाई और थोड़ी देर बातें करते रहे।
थोड़ी देर बाद मैं बाथरूम गया। जब 10 मिनट बाद बाहर आया, तो देखा कि दूसरा दोस्त जा चुका था और अनिल सो गया था। उसने शायद ज्यादा पी ली थी। मुझे भी नशा था, लेकिन मैं होश में था। मैंने अनिल को जगाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं जागा। मैंने सोचा कि ऊपर जाकर नैन्सी को बता दूँ कि अनिल नीचे सो गया है और मैं घर जा रहा हूँ, ताकि वो नीचे आकर दरवाजा बंद कर ले। मैं ऊपर गया। नैन्सी के बेडरूम का दरवाजा लॉक नहीं था, बस सटा हुआ था। मैंने हल्का धक्का दिया और दरहान खुल गया।
अंदर बेड पर गुलाब के फूल बिखरे थे। कमरा फूलों से सजा था। नैन्सी ने सफेद-गुलाबी रंग की नाइटी पहनी थी। मैं बेड के पास गया। उसकी नाइटी घुटनों से ऊपर उठी हुई थी। उसके गोरे पैर चमक रहे थे, और मोटी-मोटी जाँघें दिख रही थीं। नाइटी इतनी पतली और पारदर्शी थी कि उसका गोरा बदन साफ दिख रहा था। मेरी नजर उसके बूब्स पर गई, जो दूध जैसे सफेद और आधे बाहर थे। मेरा मन का शैतान जाग गया। मैंने सोचा, अनिल की जगह मैं ही सुहागरात मना लूँ।
मैं बेड पर उसके पास बैठ गया और उसकी नाइटी को और ऊपर सरकाकर उसकी कमर तक कर दिया। उसकी गुलाबी पैंटी में चूत का उभार और बीच की लाइन साफ दिख रही थी। मैंने उसकी जाँघों को सहलाना शुरू किया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत पर गया, वो जाग गई। पहले उसे लगा कि अनिल है, तो उसने कुछ नहीं कहा। फिर उसे एहसास हुआ कि मैं हूँ। वो झट से उठकर बैठ गई और कपड़े ठीक करते हुए बोली, “संजय, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? अनिल कहाँ है?” मैंने कहा, “अनिल नीचे पीकर सो गया है। मैं घर जा रहा था, उसे जगाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं जागा। इसलिए तुम्हें बताने आया। लेकिन तुम्हारे इस खूबसूरत जिस्म को देखकर रुक गया।”
मैंने उसे अपनी बाहों में कसकर पकड़ लिया और बोला, “नैन्सी डार्लिंग, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। मुझे नहीं पता था कि तुम इतनी सेक्सी हो। तुम्हारा पहला प्यार तो मैं हूँ, तो तुम्हारे इस जिस्म पर पहला हक मेरा बनता है।” मैं उसे किस करने लगा। वो छूटने की कोशिश करने लगी, लेकिन मेरी पकड़ से नहीं छूट पाई। उसने कहा, “संजय, तुम होश में नहीं हो। ये गलत है। मैं अब अनिल की पत्नी हूँ, और अनिल तुम्हारा दोस्त है। तुम उसके साथ धोखा नहीं कर सकते।” मैंने कहा, “मैं तुमसे शादी थोड़े कर रहा हूँ, न ही अनिल की पत्नी चुरा रहा हूँ। मैं तो बस तुमसे प्यार करना चाहता हूँ।”
नैन्सी ने मुझे समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन न वो मुझे समझा पाई, न खुद को छुड़ा पाई। फिर उसने कहा, “संजय, तुम पागल हो गए हो। मुझे छोड़ दो, नहीं तो मैं चिल्लाऊँगी।” मैंने कहा, “अरे मेरी जान, क्यों अपनी शादीशुदा लाइफ बर्बाद करने पर तुली हो? अगर अनिल ऊपर आएगा, तो मैं उसे हमारे पुराने रिश्ते की सारी बातें और कुछ फोटोज दिखा दूँगा। फिर क्या होगा? तुम्हारी लाइफ बर्बाद हो जाएगी।” वो रोने जैसा चेहरा बनाकर बोली, “प्लीज संजय, ऐसा मत करो।”
मैंने उसकी एक न सुनी। मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसके होंठों को चूसने लगा। मेरे हाथ उसके बूब्स को जोर-जोर से मसल रहे थे। वो अब भी “नहीं-नहीं” बोल रही थी। मैंने डाँटते हुए कहा, “जो मैं कर रहा हूँ, उसे करने दे। नहीं तो मैं अभी अनिल को सब बता दूँगा।” अब नैन्सी के पास कोई चारा नहीं था। वो शांत हो गई। मैंने कहा, “देख, अनिल तो आज तुझे चोदने से रहा। तो मान ले कि मैं ही अनिल हूँ। अपनी सुहागरात मना ले। थोड़ी देर बाद मैं चला जाऊँगा, और कल तू अनिल के साथ फिर से सुहागरात मना लेना। किसी को कुछ नहीं पता चलेगा।”
मजबूरी में ही सही, वो राजी हो गई। मुझे क्या, मुझे तो बस उसकी चूत चोदनी थी। मैं भूखे शेर की तरह उस पर टूट पड़ा। उसकी मेहंदी से रंगे हाथों में लाल चूड़ियाँ चमक रही थीं। मैं उसके बूब्स को बेरहमी से मसल रहा था। उसके होंठों, गालों और गले को चूमते हुए मैं अपने दाँत भी चुभा रहा था। वो कसमसा रही थी, “आह… ऊह… संजय, प्लीज धीरे…” लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने उसकी नाइटी उतारकर फेंक दी और ब्रा भी खोलकर अलग कर दी। उसके दूध जैसे सफेद, बड़े-बड़े बूब्स मेरी आँखों के सामने थे। मैंने एक बूब को मुँह में लिया और दूसरे को हाथों से मसलने लगा। उसके निप्पल को उंगलियों से जोर-जोर से दबा रहा था। वो सिसक रही थी, “आआह… संजय… धीरे… ऊह…”
15 मिनट तक मैं उसके बूब्स के साथ खेलता रहा। फिर मैं नीचे आया। उसके सपाट पेट और गहरी नाभि में अपनी जीभ फेरने लगा। अब वो भी गर्म हो रही थी। उसकी सिसकियाँ तेज हो गईं, “आह… ऊह… संजय…” वो मेरे बालों को सहला रही थी। मैं उठा और झट से अपने सारे कपड़े उतारकर नंगा हो गया। उसकी सिर्फ पिंक पैंटी बची थी, जिसके नीचे उसकी फूली हुई चूत छिपी थी। मैंने उसकी पैंटी उतारकर फेंक दी। उसकी चूत एकदम चिकनी थी, शायद उसने आज ही बाल साफ किए थे, क्योंकि उसे पता था कि आज उसकी चूत चुदेगी।
मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर चिपका दिया और कुत्ते की तरह चाटने लगा। वो जोर-जोर से सिसक रही थी, “आआह… ऊह… संजय… ओह…” उसने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा लिया। मेरे हाथ उसकी मांसल जाँघों पर फिसल रहे थे, और मेरी जीभ उसकी चूत के सुराख को खोज रही थी। 10 मिनट तक चाटने के बाद वो झड़ गई। उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, और उसका शरीर काँपने लगा। वो बोली, “आह… संजय… तुमने मुझे पागल कर दिया… ओह…” मैंने उसकी चूत छोड़कर उसकी जाँघों और पैरों को चूमना शुरू किया। उसके गोरे, चिकने पैरों को चूमते हुए वो और सिसक रही थी, “आह… ऊह… फक मी, संजय… ओह…”
मैंने उसे पेट के बल लिटाया और उसकी पीठ, कमर और गांड को चूमने लगा। उसकी गांड कोमल, चिकनी और बड़ी थी। मैंने उसके कूल्हों को काटा और मसला। वो बेड पर मछली की तरह तड़प रही थी, “आआह… संजय… ओह… तुम बहुत जंगली हो…” मैंने उसे फिर सीधा किया और अपने लंड को उसके बूब्स के बीच रखकर दबा दिया। मैंने लंड को आगे-पीछे करना शुरू किया। उसने खुद ही अपने बूब्स को मेरे लंड पर जोर से दबाया। मेरा लंड उसके मुँह तक पहुँच रहा था, और वो उसे चूस रही थी, “उम्म… आह…”
5-7 मिनट बाद मैंने लंड को उसके बूब्स से निकाला और उसके मुँह में अंदर-बाहर करने लगा। नशे में मैं ज्यादा जोर से लंड उसके गले तक डाल रहा था। वो बेचैन हो रही थी, उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे। वो मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मैं रुका नहीं। 5 मिनट तक उसके मुँह की चुदाई करने के बाद मैंने लंड निकाला। वो जोर-जोर से साँस लेने लगी और बोली, “संजय, तुम पागल हो गए हो! तेरा लंड इतना मोटा और लंबा है, मेरी साँस रुक रही थी।”
मैंने उसके चेहरे को सहलाते हुए कहा, “डार्लिंग, इसे जंगली चुदाई कहते हैं।” मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और उसके बीच में बैठ गया। मैंने उसकी कमर के नीचे तकिया रखा। नैन्सी बोली, “प्लीज संजय, धीरे-धीरे चोदना। तेरा लंड बहुत खतरनाक है।” मैंने उसके बूब्स दबाते हुए कहा, “टेंशन मत ले, मैं आराम से करूँगा।” उसने बेड के किनारे से जेल का डब्बा दिया और बोली, “ये अनिल लाया था। इसे मेरी चूत और तेरे लंड पर लगा दे।” मैंने ढेर सारा जेल अपने लंड और उसकी चूत पर लगाया। उसकी चूत का मुँह चिपका हुआ था। मैंने उसकी फाँकों को अलग किया। उसका छेद बहुत पतला था। मैंने उंगली डाली तो वो उछल गई और बोली, “धीरे कर, दर्द हो रहा है।”
मैंने कहा, “ये तो उंगली है, जान। डर मत।” 2 मिनट तक उंगली अंदर-बाहर करने के बाद मैंने अपने लंड को उसके छेद पर टिकाया। उसके पैरों को उसके पेट की तरफ मोड़कर मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके कंधों को जोर से पकड़ लिया। मैंने लंड पर जोर लगाया। लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुसने लगा। वो कराहने लगी, “आआह… ऊई… रुक… मैं मर गई… बहुत दर्द हो रहा है…” मैंने उसकी एक न सुनी। मैं उसके होंठ, गाल और गले को चूमता रहा और लंड को पेलता रहा। जेल की वजह से लंड उसकी टाइट चूत में फिसल रहा था। 6 इंच लंड अंदर घुस चुका था। वो दर्द से छटपटा रही थी।
मैं थोड़ी देर रुका और उसके बूब्स को सहलाने लगा। 5 मिनट बाद मैंने उसकी कमर पकड़ी और लंड को अंदर-बाहर करने लगा। 3-4 मिनट बाद उसका दर्द कम हुआ। मैंने लंड पूरा बाहर खींचा और एक जोरदार झटका मारा। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया और उसकी चूत की दीवार से टकराया। “घप” की आवाज आई, और नैन्सी की चीख निकली, “आआह… माँ… मार डाला साले… धीरे नहीं पेल सकता? तेरी माँ की…”
मैंने कहा, “बस जान, अब पूरा लंड तेरी चूत में है। अब दर्द नहीं होगा।” उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे। मैं रुका और उसकी चूत को सहलाने लगा। फिर धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगा। उसे भी मजा आने लगा। मैंने लंड निकाला तो उसकी चूत से खून निकल रहा था, जो तकिए पर गिर रहा था। मैंने पानी से उसकी चूत और अपने लंड पर लगा खून साफ किया। फिर जेल लगाकर लंड उसकी चूत में डाल दिया और झटके देने लगा। उसे हल्का दर्द हो रहा था, लेकिन मजा भी आ रहा था। वो बोली, “आह… संजय… ओह… चोद… और जोर से…”
10 मिनट बाद वो अपनी गांड हिलाकर मेरा साथ देने लगी। मैंने भी स्पीड बढ़ा दी। वो फिर गर्म हो गई और सिसकने लगी, “चोद साले… दम लगाकर चोद… तूने मेरी चूत फाड़ दी… हरामी, और जोर से…” मुझे उसकी बातें सुनकर जोश चढ़ रहा था। मैं जोरदार झटके दे रहा था। जब मेरा लंड उसकी चूत की दीवार से टकराता, तो वो उछल जाती और गालियाँ देने लगती, “साले, लंड के साथ तू भी घुस जा मेरी चूत में…” मैं भी जवाब देता, “साली, तुझे तो मैं पहले चोदना चाहता था। आज तेरे पति के बेड पर तुझे चोदने का मजा ही अलग है। रंडी, पहले नखरे कर रही थी, अब ले मेरे लंड का मजा।”
कमरे में गालियाँ और “फक-फक… सट-सट” की आवाजें गूँज रही थीं। 20 मिनट तक ऐसा चला। इस बीच वो एक बार और झड़ गई। वो मुझे रोकने लगी, “आह… बस… रुक…” उसका शरीर काँप रहा था। लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने उसके हाथ पेट पर दबाए और उसे और जोर से चोदा। वो पेशाब करने लगी। उसकी गर्म धार मेरे लंड पर बरस रही थी। उसकी चूत मेरे लंड पर झटके मार रही थी। 5 मिनट तक ऐसा चला। वो रुक-रुककर पेशाब करती रही, और उसकी चूत पानी छोड़ रही थी। बेड और तकिया गीला हो गया। लेकिन मेरा लंड झड़ने को तैयार नहीं था।
नैन्सी बेजान-सी बेड पर पड़ी थी। मैंने उसे बेड से उतारा, पेट के बल लिटाया और उसकी टाँगें जमीन पर रखकर घोड़ी बनाया। मेरे झटकों से उसके कूल्हे हिल रहे थे। वो अब भी बेजान-सी थी, लेकिन मैंने उसे चोदना जारी रखा। 10 मिनट बाद मैं झड़ गया और सारा पानी उसकी चूत में डाल दिया। मैं उसकी पीठ पर लेट गया। 5 मिनट बाद मैं उठा और कपड़े पहनने लगा। नैन्सी भी उठकर बेड पर बैठ गई। मैंने उसकी तरफ देखकर स्माइल की, तो उसने भी स्माइल दी।
मैंने कहा, “अब मैं जा रहा हूँ।” हमें ये सब करते 3 घंटे हो गए थे, और रात के 3 बज रहे थे। नैन्सी ने बेड की हालत देखी और बोली, “देख, तुमने बेड और मेरी क्या हालत कर दी। आधी रात चुदने में निकल गई, और बाकी रात ये साफ करने में निकलेगी।” वो बेड से उतरी तो लड़खड़ा गई। मैंने उसे थाम लिया। वो बोली, “तेरे लंड की चुदाई की वजह से मुझसे खड़ा भी नहीं हो रहा।” मैंने कहा, “मैं मदद कर देता हूँ।”
मैंने गद्दा पलटकर बिछाया। नैन्सी लंगड़ाते हुए नई चादर लाई, और हमने बेड ठीक किया। गंदी चादर और तकिया उसने वॉशिंग मशीन में डाल दिया। मैंने कहा, “नहा ले, आराम मिलेगा।” वो बाथरूम चली गई। मैं नीचे आया। अनिल अब भी बेहोश पड़ा था। उसे पता ही नहीं था कि उसकी नई नवेली पत्नी की सुहागरात हो चुकी है।
मैंने सिगरेट उठाई और जलाते हुए ऊपर नैन्सी के कमरे में गया। वो शॉवर ले रही थी। बाथरूम का दरवाजा खुला था। फर्श पर लाल पानी पड़ा था। 2 मिनट बाद वो बाहर आई, ब्रा-पैंटी और नाइटी पहनी। वो बोली, “अब तुम जाओ। मैं ठीक हूँ।” लेकिन वो लंगड़ा रही थी। मैंने उसे फिर किस किया और उसके बूब्स दबाते हुए कहा, “जब मन करे, मुझे बुला लेना।” उसने कहा, “नहीं, आज के बाद कभी नहीं। तुमने मेरी जान निकाल दी। मेरी चूत जल रही है।” मैंने उसके कूल्हों पर थपकी मारते हुए कहा, “कोई बात नहीं, सुबह तक ठीक हो जाएगी।” मैं नीचे आया, नैन्सी भी पीछे-पीछे आई। मैंने उसे बाय किया, और उसने दरवाजा बंद किया। मैंने बाइक स्टार्ट की और अपने फ्लैट चला गया।
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