भिखारी बाबा का लंड बहुत बड़ा था

पार्टी से लौटते वक्त मैं अपनी लाल चमचमाती मारुति ऑल्टो को थोड़ा तेज़ ही चला रही थी। रात के साढ़े तीन बजने वाले थे, और मेरा घर रेलवे फाटक के उस पार था। ऊपर से, माल गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो चुकी थी, और फाटक बंद था। अब कम से कम आधा घंटा, शायद उससे भी ज्यादा, इंतज़ार करना पड़ता। मैं मन ही मन सोच रही थी कि घर पहुंचकर उस ब्लैक डॉग व्हिस्की की बोतल को खत्म कर दूंगी, जो कार के डैशबोर्ड में पड़ी थी। पार्टी में मेरी प्यास अधूरी रह गई थी, और बदन में एक अजीब सी बेचैनी थी।

ये पार्टी “फ्रेंडशिप क्लब” की थी, जहां लोग सिर्फ मस्ती और “बोल्ड” रिश्तों के लिए आते हैं। वहां कई मर्दों ने मेरे साथ डांस किया, लेकिन सबका मकसद एक ही था—मुझे छूना, मेरे जिस्म को महसूस करना। मैंने जानबूझकर उस रात एक काला हॉल्टर टॉप पहना था, जो आगे से तो मेरे बदन को ढक रहा था, पर पीठ पूरी नंगी थी। ब्रा तो मैंने पहनी ही नहीं थी, और मेरे बड़े-बड़े मम्मे हर कदम पर उछल रहे थे। शायद यही वजह थी कि इतने लोग मेरे पीछे पागल हो रहे थे। वो मेरी नंगी पीठ पर हाथ फेरना चाहते थे, मेरे मम्मों को अपने सीने से चिपकाकर महसूस करना चाहते थे।

मेरे खुले हुए लंबे बाल मेरी पीठ पर लहरा रहे थे, और कुछ लोग तो दुआ कर रहे थे कि मैं बाल बांध लूं ताकि उनकी उंगलियां मेरी नंगी पीठ तक पहुंच सकें। मेरी गोरी चमड़ी और काले हॉल्टर में मैं किसी जादूगरनी सी लग रही थी। तभी एक शख्स, डॉक्टर दत्ता, मेरे दीवाने हो गए। वो कोई चालीस-पैंतालीस साल के रहे होंगे, मगर चेहरा और स्टाइल ऐसा कि बीस साल बड़े लगते।

डांस फ्लोर पर एक शख्स के साथ थिरकने के बाद मैं बार काउंटर की तरफ बढ़ी। तभी डॉक्टर साहब मेरे पास आए और बोले, “माफ कीजिएगा मिस, क्या आप मेरे साथ एक ड्रिंक लेना पसंद करेंगी?” उनकी आवाज़ में एक अजीब सी ठसक थी, जैसे वो मुझ पर रौब डालना चाहते हों।

“ज़रूर, और आपकी तारीफ?” मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। मैं वहां मस्ती के लिए ही आई थी। एक उम्रदराज़ मर्द अगर मेरे साथ पीना चाहे तो भला क्या हर्ज़? इस अय्याशी की महफिल में मुफ्त की शराब तो मिल रही थी।

“मेरा नाम डॉक्टर दत्ता है, मैं स्त्री रोग विशेषज्ञ हूं,” उन्होंने बड़े गर्व से कहा।

“डॉक्टर साहब, मेरा नाम जोया है। मैं एक औरत हूं, लेकिन मुझे कोई रोग नहीं है… हा हा हा!” मैंने हंसते हुए जवाब दिया।

“हा हा हा!” वो भी हंस पड़े।

थोड़ी ही देर में मैं उनके साथ घुलमिल गई। दो-तीन पेग के बाद वो बोले, “अगर आप बुरा न मानें तो मैं आप जैसी खूबसूरत लड़की के साथ डांस करना चाहूंगा। बस एक विनती है…”

“बोलिए,” मैंने शरारत भरी नज़रों से कहा।

“आप अपने बालों को जुड़े में बांध लीजिएगा।”

“क्यों? मेरे खुले बाल अच्छे नहीं लग रहे?” मैंने बनावटी नाराज़गी दिखाई।

“नहीं, ऐसी बात नहीं… आप खुले बालों में बहुत सुंदर लग रही हैं। बस मैं चाहता हूं कि डांस करते वक्त आप और सेक्सी दिखें। आपकी नंगी पीठ… डांस में और मज़ा आएगा। वैसे, आपने ब्रा तो नहीं पहनी ना?” उनकी आंखों में चमक थी।

“क्यों?” मैंने शरारत से पूछा।

वो थोड़ा झेंप गए, “जी, बस ऐसे ही पूछ लिया…”

“नहीं, ब्रा नहीं पहनी,” मैंने हंसते हुए कहा।

“बढ़िया!” वो खुश हो गए।

मैं हंस पड़ी, “डॉक्टर साहब, मैं समझ गई। आप मेरे मम्मों पर हाथ फेरना चाहते हैं, हां?”

वो भी हंसने लगे, क्योंकि मैंने उनके दिल की बात पकड़ ली थी।

“ठीक है, मैं भी यहां मस्ती के लिए आई हूं। मुझे कोई ऐतराज़ नहीं। बस ज़ोर से दबाना मत, दर्द होता है,” मैंने शरारत भरे अंदाज़ में कहा।

मैंने अपनी ड्रिंक का एक बड़ा घूंट लिया, बालों को समेटकर एक ढीला सा जुड़ा बनाया, और उनका हाथ पकड़कर बोली, “चलो डॉक्टर साहब, डांस करते हैं।” वो अपनी ड्रिंक आधी छोड़कर मेरे कूल्हों पर हाथ रखते हुए डांस फ्लोर की तरफ बढ़े।

डांस फ्लोर पर हम एक-दूसरे से सटकर थिरक रहे थे। उनकी उंगलियां मेरी नंगी पीठ पर रेंग रही थीं, और मैंने जानबूझकर अपने मम्मे उनके सीने से चिपका रखे थे। वो मौका मिलते ही मेरे कूल्हों को हल्के-हल्के दबा रहे थे। मुझे कोई ऐतराज़ नहीं था। मैं वहां तफरी के लिए ही आई थी।

इसे भी पढ़ें   कमसिन लड़की की कुंवारी चुत

अचानक मुझे अपनी जांघों के बीच एक अजीब सा दबाव महसूस हुआ। मैं समझ गई कि डॉक्टर साहब का लंड खड़ा हो गया था। वो मेरे कान के पास फुसफुसाए, “मिस, क्या आप मेरे साथ थोड़ा वक्त अकेले में बिताना पसंद करेंगी?”

“ज़रूर, पर मैं सिर्फ एक क्विक बैंग के मूड में हूं,” मैंने बिंदास जवाब दिया।

“काश हर लड़की आप जैसी समझदार होती,” वो खुशी से उछल पड़े।

एक और ड्रिंक लेने के बाद हम स्विमिंग पूल की तरफ बढ़े। वहां पहुंचते ही डॉक्टर साहब जैसे जंगली हो गए। वो मुझे पागलों की तरह चूमने और चाटने लगे। मेरी पैंटी उतारते वक्त उन्होंने उसे फाड़ दिया। चार सौ की पैंटी थी, यार! मैंने गुस्से में कहा, “डॉक्टर साहब, रुकिए! मैं स्कर्ट ऊपर करती हूं, आप अपनी पैंट तो उतारिए?”

वो मेरे होंठ चूसते हुए अपनी बेल्ट खोलने लगे। फिर मैं उनकी बांहों में थी। “आपके पास कंडोम तो है ना?” मैंने पूछा।

“चुप हरामजादी, तू तो रंडी की तरह चुदने आई है। कंडोम का क्या लेना-देना?” वो गुस्से में बोले।

मैं उन्हें एकटक देखती रही। मन तो किया कि मना कर दूं, पर मैं इतनी गर्म हो चुकी थी कि चुप रही। उन्होंने मेरी स्कर्ट ऊपर की, मेरे बदन का निचला हिस्सा नंगा कर दिया। वो अपना लंड मेरी चूत में घुसाने ही वाले थे कि उनका फोन बजा।

फोन से एक औरत की गुस्से भरी आवाज़ आई। शायद उनकी बीवी थी। फोन रखते ही वो बोले, “माफ करना जोया, मुझे जाना होगा।” मैंने देखा, उनका लंड ढीला पड़ चुका था।

मुझे गुस्सा आया। “हरामजादे, लड़की को नंगा करके बोलता है जाना होगा? तेरा खड़ा नहीं होता क्या?” मैंने चिल्लाकर कहा।

“माफ करो, मेरी बीवी का फोन था। और वो जो आदमी इधर आ रहा है, वो होटल का मैनेजर है, मेरा साला। अगर उसने मुझे इस हाल में देख लिया तो…” वो घबराए हुए बोले।

मैंने गुस्से में उनके गाल पर दो तमाचे जड़ दिए। “मादरचोद, अब बता, किसी और से चुदने के लिए मैं पैसे खर्च करूं?”

वो भी गुस्सा हो गए। मेरे बाल पकड़कर बोले, “सुन कुतिया, मौका होता तो तुझे चोदकर कीमा बना देता। अभी मुझे जाना होगा।”

बस, फिर मैंने तीन पेग और ठोककर पार्टी से निकलने का फैसला किया। गाड़ी चलाते हुए मैं डॉक्टर साहब को कोस रही थी। मगर मेरी किस्मत ने फिर धोखा दिया। रेलवे फाटक बंद था, और अब आधा घंटा इंतज़ार करना था। मैंने मायूसी में एक सिगरेट सुलगाई, सीट पीछे की, और आंखें मूंदकर लेट गई।

तभी किसी की आवाज़ आई, “ए लड़की, मुझे भी एक बीड़ी पीला ना।”

मैंने देखा, एक बूढ़ा भिखारी मेरी गाड़ी की खिड़की के पास खड़ा था। उसकी उम्र साठ के आसपास रही होगी, गंदा मैला कुचैला लुंगी-कुर्ता, और चेहरा झुर्रियों से भरा। “ये बीड़ी नहीं, सिगरेट है। पिएंगे?” मैंने पूछा।

“हां, दे ना,” उसने कहा।

मैंने अपना जूठा सिगरेट, जिसका मैंने बस दो कश लिया था, उसे दे दिया।

“इतनी रात को यहां क्या कर रही है?” उसने पूछा।

“फाटक खुलने का इंतज़ार,” मैंने जवाब दिया।

“ठीक है,” वो कुछ बेताब सा बोला। “तू दारू पीकर आई है?”

शायद मेरे मुंह से व्हिस्की की महक आ रही थी। मुझे मस्ती सूझी। “हां बाबा, क्या करूं, एक आदमी ने पिलाई। पर किसी से कहना मत।”

“ठीक है। तेरे पास कुछ पैसे हैं?” उसने पूछा।

“पैसे?” मैंने पर्स में देखने का नाटक किया, और एक दस का नोट मुट्ठी में छिपा लिया। आसपास कोई नहीं था, सिर्फ माल गाड़ियों की आवाज़ और स्ट्रीट लाइट की रोशनी। मैंने सोचा, थोड़ी मस्ती और कर लूं। “माफ करना बाबा, मेरे पास तो पैसे नहीं।”

“अपने ब्लाउज़ में देख, मुझे पता है, तेरे जैसी लड़कियां ब्लाउज़ में पैसे रखती हैं,” उसने मेरे हॉल्टर को ब्लाउज़ कहते हुए बोला।

“मेरे जैसी लड़कियां? मतलब?” मैंने हैरानी जताई।

इसे भी पढ़ें   बड़े बड़े चूचो वाली मैडम और स्टूडेंट्

“बड़े-बड़े मम्मे वाली,” उसने बेशर्मी से कहा।

“हाय दैया!” मैंने शरमाने का नाटक किया। फिर मैंने अपने हॉल्टर का स्ट्रैप खोला, और अपने मम्मे उसके सामने नंगे कर दिए। मेरा जुड़ा खुल गया, और बालों से एक मम्मा ढक गया। मैंने अनजान बनते हुए कहा, “बाबा, आपने ठीक कहा था। लो, दस का नोट मिल गया।”

उसने नोट लिया, मगर उसकी आंखें मेरे मम्मों पर टिकी थीं। “हाय दैया, मैं तो नशे में भूल गई थी कि मैंने ब्रा नहीं पहनी। आपने मुझे नंगा देख लिया,” मैंने फिर शरमाने का नाटक किया।

“नहीं, मैंने तुझे नंगा नहीं देखा,” उसने कहा।

“क्या मतलब?”

“बताता हूं। पहले ये बता, एक और सिगरेट है?”

“हां, है।”

“और दारू?”

“हां, पर पानी नहीं है।”

“पानी मेरी कुटिया में है। चल, वहां चल। फाटक खुलने में अभी आधा घंटा है। मेरे साथ दारू पी, लेकिन जब तू सारे कपड़े उतारेगी, तभी मैं मानूंगा कि मैंने तुझे नंगा देखा।”

“अगर मैं आपकी कुटिया में नंगी हो गई, तो क्या आप मुझे चोद देंगे?” मैंने बिंदास पूछा।

“हां, मैं तुझे चोदने के लिए ही ले जा रहा हूं। तेरा बदन और बाल देखकर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया है। तुझे कोई ऐतराज़ तो नहीं?”

मैंने उसे ऊपर से नीचे देखा। उसका बदन गंदा था, और बदबू मार रहा था। मैं सोच में पड़ गई। अब तक जितने मर्दों से मैंने चुदवाया, वो सब हाई-क्लास थे। ये भिखारी तो… फिर मुझे याद आया कि मेरे पास निरोध का पैकेट है, जिसमें आठ कंडोम बाकी थे।

“क्या सोच रही है, लड़की?” वो उतावला हो रहा था।

“कुछ नहीं। ठीक है, मैं आपके साथ चलूंगी। आपके सामने नंगी होकर दारू भी पीऊंगी। मेरे पास दो प्लास्टिक ग्लास हैं। पर आप चोदते वक्त कंडोम इस्तेमाल करेंगे, और मैं पीठ करके घुटनों पर झुक जाऊंगी। आप मुझे पीछे से चोद देना।”

“मैं तुझे नीचे लिटाकर चोदना चाहता था, पर तू कहती है तो ठीक है,” उसने कहा।

“वादा कीजिए, जैसा मैंने कहा, वैसे ही चोदेंगे।”

“हां, बिल्कुल!”

मैंने गाड़ी साइड में पार्क की, एक प्लास्टिक बैग में चाबी, व्हिस्की की बोतल, सिगरेट, माचिस, दो ग्लास, और कंडोम का पैकेट लिया, और भिखारी के साथ चल दी। मुझे डर था कि कोई देख न ले, पर आसपास कोई नहीं था। उसकी कुटिया पास ही थी—एक टूटी-फूटी झोपड़ी, बिना दरवाज़े, सिर्फ एक मैला सा बोरा लटका हुआ।

अंदर घुसते ही उसने कहा, “चल लड़की, अब नंगी हो जा।”

मैंने हॉल्टर उतार दिया। ब्रा तो थी नहीं, और पैंटी डॉक्टर साहब ने फाड़ दी थी। मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी थी। उसने मेरा हॉल्टर छीनकर फेंक दिया।

“आप अपनी लुंगी नहीं उतारेंगे?” मैंने पूछा।

“उतार दूंगा तो मैं भी नंगा हो जाऊंगा,” उसने हंसते हुए कहा।

“आप मुझे चोदने वाले हैं, तो नंगे नहीं होंगे?”

“हां, पर तुझे डराना नहीं चाहता था।” उसने अपनी लुंगी उतारी, और जो मैंने देखा, उससे मेरी आंखें फटी रह गईं।

उसके जांघों के बीच जघन के बालों का जंगल था, और उसमें से एक काला, लंबा, मोटा लंड—करीब आठ इंच का, डेढ़ इंच मोटा, लोहे की रॉड जैसा सीधा। मैंने ऐसा लंड पहले कभी नहीं देखा था। मेरा मन ललचाया, पर उसकी बदबू मुझे परेशान कर रही थी।

“पसंद आया?” उसने मुस्कुराते हुए पूछा।

मैं सोच में पड़ गई। भाग जाऊं या इस लंड का मज़ा लूं? तभी उसने अपनी रूखी उंगलियों से मेरी चूत को छुआ। “तेरी चूत में बाल क्यों नहीं?”

“मैं इसे साफ रखती हूं, बाबा।”

“क्यों?”

“लोगों को अच्छा लगता है। वो अपना लंड इसमें घुसाते हैं, धक्के मारते हैं, फिर उनका गर्म माल निकलता है। मुझे मज़ा आता है,” मैंने भोलेपन से कहा।

“कब से कर रही है ये सब?”

“छोटी थी, तब मेरी आंटी ने करवाया था।”

वो मेरी चूत को सहलाता रहा। उसकी रूखी उंगलियों से मुझे नशा चढ़ रहा था। “बाबा, आप… चोदेंगे ना?” मैंने नशे में पूछा।

“हां, बिल्कुल! इसीलिए तो तुझे लाया हूं,” वो उत्साहित हो गया।

मैंने उसे रोका, “रुकिए, पहले दारू पीते हैं।”

“हां, बिल्कुल!”

मैं उकड़ूं बैठ गई, बोतल निकाली, और उसके लिए ज्यादा व्हिस्की डाली। उसने सुराही से पानी लिया, लोटे में डाला, और मेरे पास आया। हमने ग्लास उठाए, “चियर्स!” मैंने कहा। उसने मेरी चूत पर फिर से उंगली फेरी। मेरे बदन में सिहरन दौड़ गई।

इसे भी पढ़ें   मेरे परिवार की सेक्स कहानी - Open Minded Sasural

वो आधा ग्लास एक सांस में पी गया। मैंने भी एक घूंट लिया, पर मुझे उल्टी सी आई। मैंने सिगरेट जलाई, और उसे दी। उसने मेरे मम्मे सहलाने शुरू किए। “पी क्यों नहीं रही?” उसने पूछा।

मैंने कंडोम का पैकेट उसकी तरफ फेंका, और एक और घूंट लिया। तभी मेरा सिर चकराया, और मैं फर्श पर लुढ़क गई।

जब होश आया, मैं चारों खाने चित्त पड़ी थी। भिखारी मेरे ऊपर चढ़ा था। मेरी टांगें फैली थीं, और वो मेरे बीच लेटा था। वो मेरे मम्मों को चूस रहा था, मेरे चेहरे को चाट रहा था। मैंने उसे धक्का देने की कोशिश की, पर मेरा बदन जवाब दे गया था।

उसने कंडोम पहना, और अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया। मैं दर्द से चीखी, पर उसने मेरा मुंह दबा दिया। उसका लंड इतना बड़ा था कि मुझे लगा मेरी चूत फट जाएगी। वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। शुरू में दर्द हुआ, पर फिर मज़ा आने लगा। मैंने दो बार पानी छोड़ा, पर वो रुका नहीं। आखिरकार उसका भी माल निकला, और वो मेरे ऊपर ढेर हो गया।

मैं फिर बेहोश हो गई। कुत्ते के भौंकने से होश आया। मैं नंगी पड़ी थी, और भिखारी मेरे ऊपर नशे में धुत्त था। उसका लंड अभी भी मेरी चूत में था। मैंने उसे धक्का देकर हटाया। मेरी चूत से खून के छींटे दिख रहे थे। कंडोम मेरी चूत में अटका था। मैंने उसे खींचकर फेंका।

मैंने हॉल्टर पहना, बैग उठाया, और कुत्ते को डराकर भागी। बाहर सूरज चढ़ आया था। मैंने गाड़ी स्टार्ट की, पर फाटक अभी भी बंद था। मैंने खुद को शीशे में देखा—हॉल्टर पर धूल, चेहरा चिपचिपा। लोग मुझे घूर रहे थे, पर मैंने परवाह नहीं की।

फाटक खुलते ही मैंने गाड़ी भगाई। मैं सोच रही थी कि अच्छा हुआ उसने कंडोम इस्तेमाल किया, वरना पता नहीं क्या होता। मैं एक हाई-क्लास कॉल गर्ल हूं। सालों पहले मेरे चाचा मुझे गांव से उठाकर शबाना आंटी को बेच गए थे। तब से मैं उनके लिए काम करती हूं। मेरा काम है पार्टियों में जाना, अमीर मर्दों को फंसाना, और मस्ती के साथ पैसे कमाना।

आज पहली बार मैं खाली हाथ शबाना आंटी के पास लौट रही थी। उनके घर पहुंचते-पहुंचते साढ़े नौ बज गए। उन्होंने मुझे देखते ही शुरू कर दिया, “जोया, कहां थी? फोन क्यों नहीं उठाया? तुझे देखकर लगता है गटर में गिर गई!”

मैं फूट-फूटकर रोने लगी। मैंने सब बताया—कैसे मैंने भिखारी को बेवकूफ समझा, और उसने मुझे नशीला पानी पिलाकर चोद दिया। शबाना आंटी ने सुना, और पूछा, “उसने कंडोम इस्तेमाल किया था ना?”

“हां, मैंने खुद निकालकर फेंका,” मैंने कहा।

“ऊपरवाले का शुक्र है। आज के बाद ऐसी गलती मत करना, वरना खाल खींच लूंगी,” उन्होंने डांटा।

मैं नहाकर सो गई। शाम को उठी, तो शबाना आंटी के साथ छत पर रेड वाइन पीने बैठी। उन्होंने मुस्कुराकर पूछा, “सच में उसका लंड इतना बड़ा था?”

“हां, कसम से!”

“ठीक है। मैं सोच रही हूं, अगर ऐसे भिखारी को साफ-सुथरा करके हाई-क्लास औरतों के लिए तैयार करूं, तो बिज़नेस में फायदा होगा,” उन्होंने कहा।

मैं हक्की-बक्की रह गई। उन्होंने मुझे गले लगाया और बोलीं, “चिंता मत कर। तू अपना काम पहले की तरह कर। बस ऐसी गलती दोबारा मत करना।”

हम देर रात तक शराब पीते रहे। मेरी जवानी और जिंदगी अभी बाकी है। उस रात मैं बच गई, पर मैंने कसम खाई कि ऐसी गलती दोबारा नहीं करूंगी।

Related Posts

Report this post

1 thought on “भिखारी बाबा का लंड बहुत बड़ा था”

Leave a Comment