Chacha Bhatiji Sex Story दोस्तो, आप सब कैसे हो? मैं आज आपको अपनी और मेरी भतीजी मायरा के बीच हुई एक ऐसी घटना की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे दिल और जिस्म को हमेशा के लिए बदल गई। ये कहानी थोड़ी गर्म, थोड़ी नाजुक और बहुत सारी हवस से भरी है।
मेरा नाम अरमान है। मैं 32 साल का हूँ, शादीशुदा हूँ। मेरी बीवी, रीना, 28 साल की है, और हमारी एक बेटी है, जो अब 18 साल की हो चुकी है, क्योंकि वो कॉलेज में है। मेरी हाइट 5 फीट 8 इंच है, और मेरा लंड 6 इंच का है, जो मेरी बीवी को हमेशा खुश रखता है। लेकिन ये कहानी मेरी बीवी की नहीं, मेरी भतीजी मायरा की है।
मेरे बड़े भाई, राकेश, 39 साल के हैं और एक बिजनेसमैन हैं। उनकी पत्नी, यानी मेरी भाभी, सुनीता, 36 साल की हैं। उनका एक बेटा है, 19 साल का, जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। और उनकी बेटी, मायरा, 20 साल की, मेरी भतीजी। मायरा का रंग इतना गोरा है कि चांद भी शरमा जाए। उसकी हाइट 5 फीट 6 इंच है, और उसका फिगर 32-26-34 है। उसके बूब्स मध्यम आकार के, 32 इंच के, कसे हुए और गोल हैं। उसकी गांड इतनी टाइट और उभरी हुई है कि कोई भी मर्द एक बार देख ले तो उसकी हवस जाग जाए।
मायरा दिल्ली यूनिवर्सिटी में बीएससी के पहले साल में थी। भाई ने उसका एडमिशन करवाया और फिर अपने बिजनेस टूर पर निकल गए। भाभी ने मुझसे कहा कि मायरा के लिए दिल्ली में एक किराए का रूम ढूंढ दूं, ताकि उसकी पढ़ाई में कोई दिक्कत न हो। मैंने हामी भरी, क्योंकि मायरा की सेफ्टी मेरे लिए जरूरी थी।
अगले दिन मैं और मायरा रोडवेज बस से दिल्ली पहुंचे। हमने एक मकान देखा, जिसमें मकान मालिक, उनकी पत्नी और उनकी तीन बेटियां रहती थीं। कोई बेटा नहीं था, तो मुझे लगा ये जगह मायरा के लिए सुरक्षित होगी। मकान का निचला फ्लोर किराए के लिए था—एक रूम, एक छोटा सा किचन और एक बाथरूम। मायरा के लिए ये परफेक्ट था।
रूम सेट करने में हमें रात के 8:30 बज गए। बाहर अंधेरा हो चुका था, और मायरा ने कहा, “चाचा, आप आज यहीं रुक जाओ। इतनी रात में कहाँ जाओगे? और मुझे भी अकेले डर लग रहा है। ये मेरा पहला दिन है नई जगह।” उसकी आवाज में एक अजीब सी मासूमियत थी, लेकिन उसकी आँखों में कुछ और ही चमक थी।
मैंने कहा, “ठीक है, मायरा। मैं रुक जाता हूँ।” मैंने घर फोन करके बता दिया कि मैं मायरा के साथ रुक रहा हूँ और एक-दो दिन बाद लौटूंगा। फिर हम दोनों थोड़ा आराम करने के बाद शॉपिंग के लिए निकले। मायरा ने अपने लिए दो पैंटी, दो ब्रा और एक तौलिया खरीदा। उसने एक लाल रंग की साटन पैंटी और काली ब्रा चुनी, जो देखकर मेरे दिमाग में कुछ हलचल सी हुई। लेकिन मैंने अपने मन को काबू में रखा।
वापस रूम पर आने के बाद मायरा ने खाना बनाया। हमने खाना खाया और फिर बेड पर लेट गए। मायरा ने नीचे एक टाइट निक्कर पहनी थी, जो उसकी जांघों को और उभर रही थी, और ऊपर एक ढीली टी-शर्ट, जो उसके बूब्स के आकार को हल्का-हल्का दिखा रही थी। मैंने अपना पजामा और बनियान पहना हुआ था। नई जगह होने की वजह से न मुझे नींद आ रही थी, न मायरा को।
रात के करीब 10 बजे मायरा ने कहा, “चाचा, कुछ बोरिंग सा लग रहा है। कोई मूवी चलाओ न। मोबाइल पर देख लेते हैं।” उसकी आवाज में एक अजीब सी बेचैनी थी। मैंने कहा, “ठीक है, चलो कुछ देखते हैं।” मैंने एक साउथ की डब मूवी लगाई, जो एक्शन और रोमांस से भरी थी। मूवी देखते-देखते रात के 12:30 बज गए। मूवी खत्म हुई तो मायरा ने कहा, “चाचा, एक और मूवी लगाओ। नींद नहीं आ रही।”
मैंने एक हिंदी मूवी लगाई, जिसमें कुछ हॉट सीन थे। मूवी चलते-चलते करीब एक घंटा बीत गया। रूम में हल्की सी रोशनी थी, और मेरा ध्यान मायरा की तरफ गया। वो अपनी निक्कर के ऊपर से अपनी चूत को धीरे-धीरे द°
बा रही थी। उसका हाथ धीमे-धीमे ऊपर-नीचे हो रहा था, और उसकी साँसें तेज हो रही थीं। मुझे उसकी हरकत साफ दिख रही थी, और मेरे जिस्म में एक करंट सा दौड़ गया।
मैंने कहा, “मायरा, थोड़ी ठंड सी लग रही है। चादर ओढ़ लें?” वो बोली, “हाँ, चाचा। ठीक है।”
हमने चादर ओढ़ ली, जो हमारी कमर तक थी। थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मायरा का पैर मेरे पैर को छू रहा है। वो धीरे-धीरे अपने पैर से मेरे पैर को टटोल रही थी, जैसे जानबूझकर। मूवी के सेक्सी सीन ने शायद उसे गर्म कर दिया था। मेरे मन में भी अब हवस जागने लगी थी। पहले तो मैंने मायरा को कभी इस नजर से नहीं देखा था, लेकिन आज, इस छोटे से रूम में, उसके साथ अकेले बेड पर लेटे हुए, मेरा मन डोलने लगा।
मैंने करवट ली और अपना एक पैर उसके पैर पर रख दिया। उसने कुछ नहीं कहा, बस चुप रही। मेरी हिम्मत बढ़ी। मैंने मोबाइल उसके हाथ में थमा दिया और अपना एक हाथ उसकी कमर पर रख दिया। वो फिर भी चुप रही। मेरी हवस अब बेकाबू होने लगी थी। धीरे-धीरे मैंने उसकी नाभि को सहलाना शुरू किया। मेरी उंगलियां उसकी टी-शर्ट के नीचे चली गईं, और मैं उसकी मुलायम त्वचा को छूने लगा। उसकी साँसें और तेज हो गईं, लेकिन उसने मुझे रोका नहीं।
मैंने धीरे-धीरे उसकी टी-शर्ट को ऊपर किया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स को सहलाने लगा। उसके बूब्स इतने कसे हुए थे कि मेरे हाथों में पूरी तरह समा रहे थे। मैंने उसकी टी-शर्ट के बटन खोलने शुरू किए। उसने हल्का सा विरोध किया, “चाचा, ये क्या कर रहे हो?” लेकिन उसकी आवाज में वो गुस्सा नहीं था, बल्कि एक अजीब सी शरम और उत्तेजना थी।
मैंने कहा, “मायरा, तू बहुत खूबसूरत है। मैं तुझे बहुत चाहता हूँ।” वो शरमाते हुए बोली, “चाचा, मैं भी आपको बहुत पसंद करती हूँ। लेकिन ये गलत तो नहीं?”
मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और कहा, “कुछ गलत नहीं है, मायरा। ये हमारा पल है।” मैंने उसके होंठों पर एक हल्का सा चुम्बन लिया। उसके होंठ इतने नरम थे कि मैं खुद को रोक नहीं पाया। मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और उसके बूब्स को आजाद कर दिया। वे इतने गोल और टाइट थे कि मेरी हवस और बढ़ गई। मैंने उसके निप्पल को अपने मुँह में लिया और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया।
मायरा सिसकारियां लेने लगी, “आह्ह… चाचा… उफ्फ… ये क्या कर रहे हो… आह्ह…” उसकी आवाज में दर्द और मजा दोनों थे। मैंने उसकी निक्कर को धीरे-धीरे नीचे खींचा। उसकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत को सहलाया, और वो और जोर से सिसकारी, “उई… चाचा… आह्ह… ये तो बहुत अच्छा लग रहा है…”
मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत का स्वाद नमकीन और नशीला था। मेरी जीभ उसके क्लिट को छू रही थी, और वो अपने कूल्हों को उछाल रही थी। “आह्ह… स्स्स… चाचा… उफ्फ… और करो… आह्ह…” उसकी सिसकारियां रूम में गूंज रही थीं। मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत के अंदर तक डाला, और उसका पानी मेरे मुँह में आने लगा। मैंने उसका सारा रस पी लिया और उसकी चूत को चाट-चाटकर साफ कर दिया।
मायरा अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। उसने मेरी चड्डी में हाथ डाला और मेरे लंड को पकड़ लिया। जैसे ही उसका नरम हाथ मेरे लंड पर पड़ा, मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया। वो डरते हुए बोली, “चाचा, ये इतना बड़ा है? मैं इसे कैसे लूँगी?”
मैंने हँसते हुए कहा, “घबरा मत, मेरी जान। ये तुझे जन्नत का मजा देगा।” मैंने उसकी चूत को फिर से सहलाना शुरू किया और कहा, “ये चूत बड़े से बड़े लंड को अपने अंदर समा लेती है।”
मैंने उसकी पैंटी पूरी तरह उतार दी और उसे बेड पर लिटाया। मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड बार-बार फिसल रहा था। मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया रखा और अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया। फिर मैंने धीरे से धक्का मारा। मेरा लंड का टोपा उसकी चूत में घुसा, और वो जोर से चिल्लाई, “उई… अम्मी… मर गई… चाचा, निकालो… आह्ह…”
वो दर्द से रोने लगी। मैंने उसके बूब्स को सहलाना शुरू किया और उसे चूमते हुए कहा, “बस थोड़ा सा दर्द है, मेरी जान। फिर मजा आएगा।” थोड़ी देर बाद मैंने फिर से धक्का मारा। इस बार मेरा लंड उसकी चूत की सील तोड़ता हुआ आध28 आधा अंदर घुस गया। उसकी चूत से खून निकलने लगा, और वो जोर-जोर से रोने लगी, “उई… माँ… मार डाला… चाचा, बस करो… आह्ह…”
मैं उसके ऊपर लेटा रहा और उसके बूब्स को सहलाता रहा। थोड़ी देर बाद मैंने एक और जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया, और वो दर्द से बेहोश सी हो गई। मैंने टेबल से पानी लिया और उसके चेहरे पर छिड़का। उसे होश आया, लेकिन वो दर्द से कराह रही थी, “आह्ह… चाचा… ये बहुत दर्द कर रहा है… उई…”
मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत में अंदर-बाहर करना शुरू किया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड भी दर्द महसूस कर रहा था। लेकिन थोड़ी देर बाद मायरा को भी मजा आने लगा। वो अपने कूल्हों को उछालने लगी और मेरे लंड का साथ देने लगी। “आह्ह… चाचा… अब अच्छा लग रहा है… उफ्फ… और जोर से… स्स्स…” उसकी सिसकारियां अब मजे की थीं।
मैंने उसकी चूत को 15 मिनट तक जमकर चोदा। उसकी चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी, और मैं भी चरम पर था। मैंने 6-7 तेज धक्के मारे, और मेरा पानी उसकी चूत में छूट गया। “आह्ह… मायरा… तू तो जन्नत है…” मैंने कहा, और वो मेरे सीने से लिपट गई। हम दोनों थककर एक-दूसरे के ऊपर लेट गए।
रात के 3 बजे मेरी आँख खुली। बेड पर खून के धब्बे थे। मैंने मायरा को जगाया और कहा, “मायरा, अपनी चूत साफ कर ले।” वो लंगड़ाते हुए बाथरूम गई और अपनी चूत साफ की। मैंने भी अपने लंड को साफ किया। मायरा को चलने में दिक्कत हो रही थी। मैंने उसे बाथरूम से उठाकर बेड पर लिटाया।
मैंने फिर से उसके बूब्स को सहलाना शुरू किया। वो गर्म होने लगी और बोली, “चाचा, आपने मेरी चूत तो फाड़ दी। अब क्या बाकी बचा है?”
मैंने कहा, “मायरा, अभी तो मैंने तुझे पूरा मजा देना है।” मेरा लंड फिर से कड़क हो गया था। मायरा ने उसे पकड़ लिया और चूसने लगी। “उम्म… चाचा… ये तो बहुत गर्म है…” वो मेरे लंड को चूसते हुए मजे ले रही थी।
मैंने उसकी गांड पर तेल लगाया और अपने लंड पर भी। मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा। वो घोड़ी बन गई। मैंने उसके गांड के छेद पर लंड रखा और एक तेज धक्का मारा। मेरा लंड उसकी गांड को चीरता हुआ आधा घुस गया। वो चिल्लाई, “उई… माँ… मर गई… चाचा, ये क्या कर दिया… आह्ह…”
उसकी गांड से खून निकलने लगा। मैंने उसके बूब्स को सहलाया और एक और जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस गया। वो रो रही थी, “उई… चाचा… मेरी गांड फट गई… आह्ह…” लेकिन थोड़ी देर बाद उसे मजा आने लगा। वो पीछे की ओर धक्के मारने लगी। मैंने उसकी गांड को 10 मिनट तक चोदा, और मेरा पानी उसकी गांड में छूट गया।
अगली सुबह हम 11 बजे उठे। मायरा को चलने में दिक्कत हो रही थी। मैंने सारा काम किया, लेकिन दिन भर उसके बूब्स और चूत को चूसता रहा। चार दिन तक मैंने उसकी जमकर चुदाई की। पांचवें दिन मैं घर लौट आया।
एक महीने बाद मायरा का फोन आया, “चाचा, आप जल्दी आ जाओ। मैं आपको बहुत मिस कर रही हूँ।” मैं समझ गया कि उसकी चूत मेरे लंड की प्यासी है। मैं फिर से गया, और हमने फिर से जमकर चुदाई की। अब मायरा मेरे लंड की आदी हो चुकी थी।
दोस्तो, आपको मेरी और मायरा की ये कहानी कैसी लगी? अपनी राय जरूर बताएं।