थोड़ा ही घुसाउंगा बोला पर पूरा पेल दिया भाई ने

मेरा नाम पुष्पा है और आज मैं आपको अपनी ज़िंदगी की एक सच्ची, रसीली कहानी सुनाने जा रही हूँ। ये कहानी मेरे सगे भाई की नहीं, बल्कि मेरे ममेरे भाई किशन की है, जिसने उस रात मेरी चूत में अपना मोटा लंड इतने ज़ोर से पेला कि मैं दर्द से तड़प उठी। लेकिन हाँ, थोड़ी देर बाद मुझे ऐसा मज़ा आया कि मैं खो सी गई। आज मैं आपको उस रात का पूरा वाकया विस्तार से बताऊँगी, कि कैसे सब कुछ हुआ, कैसे मेरी चूत ने किशन के लंड का स्वागत किया और कैसे हम दोनों रात भर एक-दूसरे में डूबे रहे।

मैं 21 साल की हूँ, कानपुर में पढ़ाई करती हूँ और हॉस्टल में रहती हूँ। मेरा ममेरा भाई किशन 24 साल का है और कानपुर देहात में रहता है। वो पढ़ाई में ज़्यादा तेज़ नहीं था, इसलिए जल्दी ही पिताजी के काम में लग गया। मैं थोड़ी मॉडर्न लड़की हूँ, हमेशा टाइट जींस और छोटे टॉप्स पहनती हूँ, जो मेरी नाभि से ऊपर रहते हैं। मेरा गोरा रंग, सधना कट बाल, और 34B साइज़ की चूचियाँ सबको दीवाना बना देती हैं। जब मैं चलती हूँ, तो मेरे चूतड़ों का हिलना लड़कों की नज़रों को चैन नहीं लेने देता। किशन जब भी मुझे देखता, उसकी आँखों में एक अलग सी चमक आ जाती थी, पर मैंने कभी उसका गलत मतलब नहीं लिया।

बात एक महीने पुरानी है। किशन कानपुर आया था, क्योंकि मेरे घर से हर महीने कोई ना कोई सामान देने आता है। उस रात हम दोनों हॉस्टल के मेरे कमरे में थे। रात के करीब 12 बज रहे थे। मैंने स्कर्ट और स्लीवलेस टॉप पहना था। किशन ऊपर चारपाई पर सोया था और मैं नीचे बिछावन पर। हम दोनों अपने-अपने मोबाइल में व्यस्त थे। मैं कुछ गर्मागर्म कहानियाँ पढ़ रही थी, और किशन कोई गेम खेल रहा था। तभी अचानक मेरे पेट में तेज़ दर्द शुरू हुआ। दर्द इतना बढ़ गया कि मेरी आँखों में आँसू आ गए। किशन ने देखा तो घबरा गया। वो तुरंत बाहर गया मेडिकल स्टोर से दवा लाने, पर इतनी रात को कोई दुकान खुली नहीं थी।

वो खाली हाथ लौट आया और बोला, “पुष्पा, अगर तू कहे तो मैं सरसों का तेल गर्म करके तेरे पेट पर मालिश कर दूँ। माँ भी यही करती थी जब पेट में दर्द होता था।” मुझे कोई और रास्ता नहीं सूझा, तो मैंने हामी भर दी। उसने जल्दी से तेल गर्म किया और मेरे पास आ गया। मैंने अपनी स्कर्ट थोड़ी ऊपर की और टॉप को नाभि तक उठा दिया। किशन ने गर्म तेल मेरे पेट पर डाला और धीरे-धीरे मालिश शुरू की। उसका हाथ मेरे नरम पेट पर फिसल रहा था, और उसकी उंगलियाँ मेरी त्वचा को सहला रही थीं। करीब 10 मिनट बाद मेरा दर्द कम हो गया, और मुझे हल्की-हल्की नींद आने लगी।

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लेकिन अब दर्द की जगह कुछ और ही होने लगा। किशन का हाथ मेरे पेट से ऊपर की ओर बढ़ने लगा। उसने मेरे टॉप को और ऊपर सरका दिया, और मेरी ब्रा के नीचे की त्वचा को छूने लगा। मेरे बदन में सिहरन दौड़ने लगी। मैंने नींद का बहाना बनाए रखा, लेकिन मेरी साँसें तेज़ होने लगीं। अचानक मेरा हाथ गलती से किशन के पैंट से टकराया, और मुझे कुछ सख्त सा लगा। मैं समझ गई कि उसका लंड खड़ा हो चुका था। मेरे मन में उलझन थी—ये मेरा भाई है, पर उसका स्पर्श मुझे उत्तेजित कर रहा था।

किशन ने मेरे पैरों की मालिश शुरू की। उसने मेरी स्कर्ट को जाँघों तक उठा दिया और मेरी नरम जाँघों को सहलाने लगा। मैंने हल्की आँख खोलकर देखा तो वो अपना लंड बाहर निकाल चुका था और उसे हाथ से हिला रहा था। उसका लंड लंबा और मोटा था, और उसे देखकर मेरी चूत में गीलापन बढ़ने लगा। मैं समझ गई कि अब कुछ होने वाला है। उसने मेरी पैंटी को धीरे से खींचकर उतार दिया और उसे सूँघने लगा। मैं हैरान थी, पर मेरे बदन में आग सी लग रही थी। उसने मेरी पैंटी को अपने लंड पर रगड़ा और आहें भरने लगा। फिर उसने मेरी स्कर्ट को और ऊपर किया और मेरी चिकनी, गीली चूत को देखकर उसके मुँह से निकला, “हाय… क्या मस्त चूत है तेरी, पुष्पा!”

उसने मेरे पैरों को और चौड़ा किया और अपना लंड मेरी चूत के पास लाकर हिलाने लगा। मैं नींद का नाटक कर रही थी, पर मेरे बदन में चुदाई की आग भड़क रही थी। तभी उसने मेरी चूत पर अपना लंड रखा और हल्का सा धक्का मारा। मैं चौंककर “जाग” गई और बोली, “किशन, ये क्या कर रहा है?” उसकी आँखों में वासना भरी थी। उसने कहा, “पुष्पा, आज मुझे मत रोक। मुझे तुझे चोदना है।” मैंने मना किया, “नहीं, ये गलत है। हम भाई-बहन हैं।” उसने तुरंत जवाब दिया, “अरे, भाई-बहन का रिश्ता तो ठीक है, पर तेरी चूत को तो कोई और चोद सकता है, मैं क्यों नहीं? तूने ट्यूशन वाले सर से चुदवाया, मामा जी से भी चूत मरवाई। मुझे सब पता है।”

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मैं सन्न रह गई। उसने मेरी सारी रंगरेलियाँ पकड़ ली थीं। मैंने हार मानते हुए कहा, “ठीक है, लेकिन आज मेरा माहवारी चल रहा है। थोड़ा-थोड़ा रक्त निकल रहा है। आज छोड़ दे, कल कर लेना।” उसने कहा, “बस थोड़ा सा तो घुसाऊँगा, पुष्पा।” मैंने अंदर से जल रही थी, पर बाहर से मना करती रही। आखिरकार मैंने कहा, “ठीक है, लेकिन बस थोड़ा सा।” उसने मेरे पैरों को हवा में उठाया, मेरी चूत पर अपना मोटा लंड रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। मेरी चीख निकल गई। उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर घुस गया। मैंने गुस्से में कहा, “मैंने कहा था थोड़ा सा, तूने पूरा क्यों पेल दिया?” उसने हँसते हुए कहा, “अरे, शेर के सामने बकरी हो और शेर सिर्फ़ सूँघकर छोड़ दे? ऐसा थोड़े होता है!”

उसने धक्के मारने शुरू किए। उसका लंड मेरी चूत में बार-बार अंदर-बाहर हो रहा था, और मेरी चूत गीली होने के बावजूद थोड़ा दर्द कर रही थी। लेकिन धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदल गया। मैंने अपनी गांड उठाकर नीचे से धक्के देने शुरू किए। कमरे में फच-फच की आवाज़ गूँज रही थी। मैं आहें भर रही थी, “आह… उफ्फ… किशन, और ज़ोर से… और ज़ोर से!” मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और वो उन्हें ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था। उसने मेरी ब्रा उतार दी और मेरे निप्पल्स को चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निप्पल्स पर घूम रही थी, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “उफ्फ… हाय… चूस ले मेरी चूचियाँ!”

कभी मैं ऊपर होकर उसका लंड अपनी चूत में ले रही थी, तो कभी वो मुझे नीचे लिटाकर पेल रहा था। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी साँसें उखड़ रही थीं। मेरी माहवारी की वजह से चूत थोड़ी गीली और गरम थी, जिससे मज़ा दोगुना हो रहा था। किशन ने मेरे होंठों को चूमना शुरू किया, उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं भी उसके होंठों को काट रही थी। हम दोनों पसीने से तर थे, पर रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। उसने मेरी गांड को ज़ोर से दबाया और बोला, “पुष्पा, तेरी चूत तो जन्नत है!” मैंने हँसते हुए कहा, “तो तू भी तो लंड का बादशाह है!”

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रात भर हमने कई बार चुदाई की। हर बार झड़ने के बाद हम थोड़ा रुकते, एक-दूसरे को चूमते, और फिर शुरू हो जाते। किशन ने मेरी चूचियाँ दबाईं, मेरी चूत चाटी, और मैंने भी उसका लंड मुँह में लेकर चूसा। उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था, और मैं उसका रस चखना चाह रही थी। सुबह जब मैं उठी, तो मेरी चूत सूज चुकी थी। मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। लेकिन रात का मज़ा इतना गज़ब था कि मैं हर पल को याद करके सिहर उठती थी। किशन ने मुझे देखकर मुस्कुराया और बोला, “पुष्पा, ये तो बस शुरुआत थी। अगली बार और मज़ा आएगा।” मैंने शरमाते हुए कहा, “देखते हैं, भाई!”

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