हाय, मैं विक्की, जयपुर से। अभी मैं एक नामी कंपनी में मैनेजर हूँ। मेरी उम्र 25 साल है, और मैं 5 फीट 10 इंच का हूँ, गोरा रंग, मध्यम कद-काठी, और जिम में समय बिताने की वजह से शरीर भी ठीक-ठाक है। ये कहानी तब की है जब मैं 20 साल का था, कॉलेज में पढ़ता था, और अपने कजिन भैया, उनकी पत्नी यानी मेरी भाभी, और उनके माता-पिता के साथ रहता था। मेरे भैया, जिनकी उम्र 30 साल थी, गारमेंट का बिजनेस करते थे और अक्सर टूर पर रहते थे। उनके माता-पिता बहुत धार्मिक थे, हमेशा तीर्थयात्रा या पूजा-पाठ में व्यस्त रहते थे। मेरी भाभी, राधिका, 27 साल की थीं, गोरी, 5 फीट 5 इंच लंबी, लंबे काले बाल, और एकदम भरा हुआ बदन, जिसका फिगर 38-28-36 होगा। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो बातों में और हँसी में झलकती थी। वो मुझे बहुत प्यार करती थीं, क्योंकि घर में भैया की गैरमौजूदगी में मैं ही उनका सहारा था। वो मुझे ‘लाला’ कहकर बुलाती थीं, और उनकी आवाज में एक अजीब सी गर्मी थी, जो मुझे हमेशा थोड़ा बेचैन कर देती थी।
उन दिनों की बात है जब भैया को शादी के बाद पहली बार बिजनेस टूर पर जाना था। उनके माता-पिता हरिद्वार तीर्थयात्रा पर गए थे, जो एक महीने की थी। भैया ने मुझसे कहा कि मैं घर पर रहूँ, पढ़ाई करूँ, क्योंकि मेरे एग्जाम नजदीक थे, और भाभी को भी अकेलापन न लगे। अगले दिन सुबह हम दोनों भैया को बस स्टैंड छोड़ने गए। भाभी उस दिन बहुत खुश दिख रही थीं, उनकी साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, और मैं उनकी गहरी नाभि और ब्लाउज में कसे हुए मम्मों को चोरी-छिपे देख रहा था। घर लौटते ही भाभी ने मुझे अपने कमरे में बुलाया। उनका कमरा बड़ा था, एक डबल बेड, साइड में एक ड्रेसिंग टेबल, और दीवार पर एक बड़ा सा शीशा। उन्होंने कहा, “लाला, जब तक भैया नहीं हैं, तुम मेरे कमरे में सोया करो। अपनी किताबें यहाँ ले आओ, पढ़ाई भी यहीं कर लेना।”
मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था। मैंने तुरंत अपनी स्टडी टेबल और किताबें उनके कमरे में शिफ्ट कर दीं। रात को खाना खाने के बाद, भाभी ने मुझे फल दिए। फल देते वक्त उन्होंने मेरा हाथ ऐसे दबाया जैसे कोई सीक्रेट सिग्नल दे रही हों। उनकी मुस्कान में कुछ शरारत थी, जो मेरे दिल की धड़कन बढ़ा गई। मैंने शर्माते हुए नजरें झुका लीं।
उस रात गर्मी बहुत थी। मैंने शर्ट और बनियान उतार दी, सिर्फ ट्राउजर में स्टडी टेबल पर बैठा था। सामने शीशे में भाभी की परछाई दिख रही थी। वो बेड पर थीं, और धीरे-धीरे अपनी साड़ी उतार रही थीं। उन्होंने सोचा मैं पढ़ाई में व्यस्त हूँ, लेकिन मैं शीशे में उनकी हर हरकत देख रहा था। साड़ी उतरते ही उनका गोरा बदन चमकने लगा। फिर उन्होंने ब्लाउज के बटन खोले और उसे उतार फेंका। उनकी सफेद लेस वाली ब्रा में उनके भारी-भरकम मम्मे आधे बाहर झाँक रहे थे, जैसे ब्रा उन्हें संभाल ही न पाए। मैंने नजरें किताब पर टिका दीं, लेकिन मन उधर ही था। वो बेड पर लेट गईं, और एक पतला सा दुपट्टा अपनी छाती पर डाल लिया, जो उनके मम्मों को ढकने में नाकाम था। उनके गहरे भूरे रंग के निप्पल्स हल्के से दिख रहे थे। मैंने खुद को पढ़ाई में झोंकने की कोशिश की, लेकिन मेरा लंड अब धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था।
रात के करीब 12 बजे, जब मैं किताब बंद करके लाइट ऑफ करने जा रहा था, तभी भाभी की धीमी, कंपकंपाती आवाज आई, “लाला, यहाँ आओ।” मैं उनके पास गया। उन्होंने दुपट्टे से अपनी छाती ढक रखी थी। मैंने पूछा, “क्या है, भाभी?” वो बोलीं, “लाला, मेरे साथ सो जाओ ना। थोड़ी देर बात करेंगे, फिर तुम अपने बिस्तर पर चले जाना।” मैं थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन फिर मान गया। मैं तो रोज सिर्फ अंडरवियर में सोता था, लेकिन ट्राउजर की वजह से बेचैनी हो रही थी। भाभी ने मेरी हालत भाँप ली और बोलीं, “कोई बात नहीं, लाला। ट्राउजर उतार दो, जैसे रोज सोते हो वैसे ही मेरे पास सो जाओ। शरमाओ मत, आओ ना।”
मैंने लाइट ऑफ की, नाइट लैंप ऑन किया, और ट्राउजर उतारकर उनके बगल में लेट गया। अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था, और भाभी की आधी नंगी बॉडी मेरे बगल में थी। उनकी ब्रा से उनके मम्मे आधे बाहर थे, और नाइट लैंप की रोशनी में उनका गोरा बदन और चमक रहा था। वो बोलीं, “इतने महीनों से मैं अकेले कभी सोई नहीं, अब आदत नहीं है।” मैंने जवाब दिया, “और मैं कभी किसी के साथ ऐसे सोया नहीं।” वो हँसीं और बोलीं, “अनुभव ले लेना चाहिए, काम आएगा।” फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और धीरे से अपनी छाती पर रख दिया। मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैं चुप रहा, लेकिन मेरा हाथ वहीँ रहा।
वो बोलीं, “लाला, यहाँ कुछ खुजली हो रही है, जरा सहलाओ ना।” मैंने उनकी ब्रा के ऊपर से उनके मम्मों को सहलाना शुरू किया। उनकी साँसें तेज हो गईं। फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर ब्रा के अंदर डाल दिया। मेरी हथेली ने उनके निप्पल को छुआ, जो अब सख्त हो चुका था। मैंने उनके नंगे मम्मों को जोर-जोर से मसलना शुरू किया। ब्रा के अंदर मेरा हाथ फँस रहा था। अचानक वो पीठ मेरी तरफ करके बोलीं, “लाला, इस अंगिया की हुक खोल दो।” मेरे हाथ काँप रहे थे, लेकिन मैंने हुक खोल दी। उन्होंने ब्रा उतारकर फर्श पर फेंक दी। फिर मेरे हाथों को अपनी नंगी छाती पर रखकर बोलीं, “थोड़ा और दबाओ ना।”
मैंने उनके गोल, भारी, और सख्त मम्मों को मसलना शुरू किया। उनके निप्पल्स एक इंच लंबे, गहरे भूरे रंग के थे। मैंने पहली बार किसी औरत के नंगे मम्मों को छुआ था। मेरा 7.5 इंच का लंड अब अंडरवियर में तनकर बाहर निकलने को बेताब था। मैं उनके मम्मों को मसल रहा था, और मेरा लंड उनकी जांघ से टकरा रहा था। वो बोलीं, “लाला, ये मेरी जांघ को क्या चुभ रहा है?” मैंने हिम्मत करके कहा, “ये मेरा हथियार है। तुमने भैया का तो देखा होगा ना?” वो हँसीं और बोलीं, “हाथ लगाकर देखूँ?” मैं कुछ बोल पाता, इससे पहले उन्होंने मेरा लंड अंडरवियर के ऊपर से पकड़ लिया। फिर धीरे से अंडरवियर के अंदर हाथ डालकर मेरा लंड बाहर निकाल लिया। वो मेरे लंड को देखकर चौंक गईं और बोलीं, “लाला! इतना बड़ा लंड कहाँ छुपा रखा था? मैंने तो सोचा भी नहीं था कि छोटे भाई का लौड़ा बड़े भाई के लौड़े से इतना बड़ा हो सकता है।”
वो मेरे लंड को जोर-जोर से सहलाने लगीं। फिर उन्होंने अपना पेटीकोट कमर तक उठाया और मेरा लंड अपनी जांघों के बीच रगड़ने लगीं। मैं उनके मम्मों को दबा रहा था, और वो मेरे लंड को अपनी चूत के पास ले गईं। मैंने महसूस किया कि उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी। मेरे लंड का सुपाड़ा उनकी झांटों में घूम रहा था। वो मेरे चेहरे के पास आईं और बोलीं, “इनको चूसो, मुँह में लो।” मैंने उनके बाएँ मम्मे को मुँह में लिया और जोर से चूसने लगा। “आआह्ह… लाला, और जोर से…” वो सिसकारी। मैंने उनके दाएँ मम्मे को भी चूसा, और दोनों को बारी-बारी से मसलता रहा। वो मेरे लंड को और तेजी से रगड़ रही थीं। मैंने कहा, “भाभी, मुझे कुछ हो रहा है… मैं अपने आप में नहीं हूँ।” वो बोलीं, “क्या, तुमने कभी किसी लड़की को चोदा नहीं?” मैंने कहा, “नहीं।” वो हँसीं और बोलीं, “इतना तगड़ा लौड़ा लेकर भी कुछ नहीं किया? शादी तक ऐसे ही रहना चाहते हो?” फिर वो मेरे चेहरे के पास आईं और फुसफुसाईं, “अपनी भाभी को चोदोगे?” मैंने घबराते हुए कहा, “क… क्यों नहीं…”
वो मुस्कुराईं और बोलीं, “ठीक है, अपनी चड्डी उतार दो।” मैं बेड से उतरा और अंडरवियर उतारकर पूरी तरह नंगा हो गया। मेरा लंड तनकर खड़ा था। भाभी ने मेरे लंड को घूरा, फिर अपने पेटीकोट का नाड़ा खींचा और उसे उतार फेंका। अब वो भी पूरी नंगी थीं। उनकी चूत पर हल्की-हल्की झांटें थीं, और उनकी चूत का गुलाबी रंग नाइट लैंप में चमक रहा था। वो बोलीं, “लाला, मेरे ऊपर चढ़ो।” मैं उनके ऊपर आ गया। उन्होंने मेरे कंधों को पकड़ा और मुझे गले लगाया। मेरा लंड उनकी चूत के पास टकरा रहा था, और उनके मम्मे मेरी छाती से दब रहे थे। हमने पहली बार होंठों को छुआ, फिर गहरे चुंबन में डूब गए। मैं उनके चेहरे पर अपने होंठ और गाल रगड़ने लगा।
वो मेरे सिर को नीचे की ओर धकेलने लगीं। मैं उनके मम्मों तक आया और उनके निप्पल्स को फिर से चूसने लगा। वो सिसकार रही थीं, “आआह्ह… लाला, और चूसो…” फिर उन्होंने मेरा हाथ अपनी चूत पर रखा और बोलीं, “यहाँ रगड़ो।” मैंने उनकी चूत को सहलाना शुरू किया। उनकी चूत गीली थी, और मेरी उंगलियाँ उनके क्लिट को छू रही थीं। वो बोलीं, “लाला, उंगली अंदर डालो।” मैंने अपनी तर्जनी उनकी चूत में डाली। उनकी चूत की गर्मी और नमी मेरी उंगली को निगल रही थी। वो जोर से सिसकारी, “उउउह्ह… लाला, और अंदर…” मैंने उंगली को और गहराई तक रगड़ा, और उनकी चूत का दाना छूने पर वो और जोर से सिसक उठीं।
कुछ देर बाद मैंने उंगली निकाली और फिर उनके ऊपर चढ़ गया। उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और उसका सुपाड़ा अपनी चूत के मुँह पर रखा। “लाला, अब अपना लौड़ा मेरी बुर में घुसाओ… धीरे से… प्यार से… नहीं तो दर्द होगा।” मैंने पहली बार कोशिश की, लेकिन मेरा लंड उनकी टाइट चूत में फिसल रहा था। वो थोड़ा दर्द से कराहीं, लेकिन उनकी चूत पहले से गीली थी, तो उन्होंने मेरा लंड पकड़कर सही जगह पर लगाया। मैंने धीरे से धक्का मारा, और मेरा सुपाड़ा उनकी चूत में घुस गया। वो चीखीं, “आआह्ह… उई माँ…” मैंने रुककर उनके मम्मों को दबाया। फिर एक और धक्के में मेरा पूरा 7.5 इंच का लंड उनकी चूत में समा गया। वो बोलीं, “लाला, थोड़ा रुको… आआह्ह… तुम्हारा लौड़ा बहुत बड़ा है।”
मैं रुका, और उनकी चूत की दीवारें मेरे लंड को जकड़ रही थीं। मैंने उनके मम्मों को फिर से मसलना शुरू किया। वो धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाने लगीं और बोलीं, “लाला, शुरू करो… मुझे चोदो…” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “चटाक… चटाक…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। वो सिसकार रही थीं, “उउउह्ह… लाला, और जोर से… आआह्ह… चोदो मुझे…” मैंने रफ्तार बढ़ा दी। उनकी चूत की गर्मी और टाइटनेस मुझे पागल कर रही थी। वो भी अपनी गांड उठा-उठाकर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थीं। कमरे में उनकी सिसकारियाँ, “आआह्ह… उई माँ… मार गई रे… लाला, चोदो… और जोर से…” और मेरी हल्की कराहें, “हम्म… हम्म… ले भाभी, मेरा लौड़ा ले…” गूँज रही थीं।
मैं उनके मम्मों को दबाते हुए, उनके निप्पल्स को चूसते हुए उन्हें चोद रहा था। उनकी चूत का रस मेरे लंड को और चिकना कर रहा था। अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ। मैंने कहा, “भाभी, मेरा निकलने वाला है…” वो बोलीं, “लाला, मेरी चूत में ही झड़ जाओ…” मैंने और जोर से धक्के मारे, और फिर मेरे लंड ने उनकी चूत में गरम-गरम माल छोड़ दिया। वो भी उसी वक्त झड़ गईं, और उनकी चूत ने मेरे लंड को और जोर से जकड़ लिया। “आआह्ह… लाला… उउउह्ह…” वो चीखीं और मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
हम दोनों थककर चूर हो गए थे। वो मेरे कान में फुसफुसाईं, “लाला, तुमने तो कमाल कर दिया।” मैंने कहा, “कमाल तो आपने किया, भाभी। आपके बिना मैं ये सब कहाँ कर पाता।” हम एक-दूसरे के बगल में लेट गए। वो मेरे लंड और अंडों को सहला रही थीं, और मैं उनकी चूत में उंगली डालकर उसे रगड़ रहा था। जल्दी ही हम फिर गर्म हो गए। मैंने उन्हें फिर से चोदा, इस बार और जोर-जोर से। उस रात हमने तीन बार चुदाई की, और सुबह 6 बजे अलार्म बजा तो हम थककर लेटे हुए थे। भाभी ने मुझे एक गहरा चुम्बन दिया और मेरे होंठों को हल्का सा काट लिया। फिर बोलीं, “लाला, टेबल पर बैठ जाओ, मैं दरवाजा खोलती हूँ।”
मैं कॉलेज नहीं गया। नाश्ते के बाद पढ़ाई करता रहा। दोपहर को भाभी चोली और लहँगा पहनकर मेरे कमरे में आईं। वो मेरे पास बैठीं और मेरी किताब छीनकर बोलीं, “लाला, इतनी पढ़ाई मत करो, सेहत पर असर पड़ेगा।” फिर वो शरारती अंदाज में हँसीं। मैंने उन्हें अपनी ओर खींचा और उनके होंठों को चूम लिया। वो भी मेरे होंठों को चूसने लगीं। मैंने कहा, “भाभी, तुम कितनी अच्छी हो। मुझे अपनी बुर दी, चोदना सिखाया। भैया भी तुम्हें ऐसे ही चोदते हैं?” वो बोलीं, “चोदते तो हैं, लेकिन वो तुम जितने ताकतवर नहीं। उनका लौड़ा तुमसे छोटा और पतला है। जल्दी झड़ जाते हैं, और मैं रात भर प्यासी रहती हूँ।”
मैंने उनकी चोली का नाड़ा खोला और उनका बायाँ मम्मा बाहर निकालकर दबाने लगा। मेरा दूसरा हाथ उनकी गांड पर गया, और मैंने उनका लहँगा उठाकर उनकी नंगी गांड को मसलना शुरू किया। वो बोलीं, “लाला, तुम्हारा लौड़ा बहुत जोरदार है। रात को जब मैंने इसे देखा, तो डर लग रहा था कि ये मेरी बुर फाड़ देगा।” वो मेरे ट्राउजर में हाथ डालकर मेरे लंड को सहलाने लगीं। फिर उन्होंने मेरा ट्राउजर उतारा और मेरे तने हुए लंड को देखकर बोलीं, “इसे चूसूँ?” मैंने चौंककर कहा, “भाभी, ये क्या कर रही हो?” वो बोलीं, “चूसने के लिए, और क्या। तुम आराम से बैठो और मजे लो।”
वो मेरे सामने घुटनों पर बैठ गईं और मेरा लंड मुँह में ले लिया। उनकी गर्म जीभ मेरे सुपाड़े को चाट रही थी। मैं सातवें आसमान पर था। “आआह्ह… भाभी…” मैं सिसकार रहा था। वो मेरे लंड को आइसकैंडी की तरह चूस रही थीं। कुछ ही देर में मैंने कहा, “भाभी, मेरा निकलने वाला है…” लेकिन वो नहीं रुकीं। मैंने उनके मुँह में और चेहरे पर अपना माल छोड़ दिया। कुछ बूँदें उनके मम्मों पर भी गिरीं। वो हँसीं और बोलीं, “मजा आया, लाला?” मैंने कहा, “बहुत मजा आया, भाभी। अब तुम्हारी बारी।”
वो बोलीं, “अब तुम मेरी बुर चाटो।” उन्होंने अपना लहँगा उठाया और अपनी चूत मेरे चेहरे के पास ले आईं। मैंने उनकी चूत के होंठों को चूमा, और वो सिसकारी, “आआह्ह… लाला, जीभ अंदर डालो…” मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू किया, और मेरी जीभ उनकी चूत की दीवारों को रगड़ रही थी। वो चीख रही थीं, “और तेज… लाला… मेरी बुर को चोदो अपनी जीभ से…” मैंने उनकी चूत को जीभ से चोदना शुरू किया। कुछ देर बाद वो झड़ गईं, और उनकी चूत का रस मेरे मुँह में बहने लगा।
मेरा लंड फिर से तन गया। मैं उन्हें चोदने के लिए तैयार था, लेकिन वो बोलीं, “लाला, अब मेरी गांड में डालो।” मैंने कहा, “गांड में? लेकिन…” वो बोलीं, “हाँ, लाला। गांड में चोदना आसान नहीं, लेकिन मैं सिखाऊँगी।” वो उठीं और एक क्रीम की बोतल ले आईं। उन्होंने मेरे लंड पर ढेर सारी क्रीम लगाई, फिर अपनी गांड के छेद पर भी क्रीम लगाने को कहा। मैंने उनकी गांड पर क्रीम लगाई और ऊपर से चढ़ गया। मैंने लंड उनके छेद पर रखा और धक्का मारा, लेकिन वो अंदर नहीं गया। वो बोलीं, “लाला, और जोर लगाओ।” मैंने फिर कोशिश की, और इस बार मेरा आधा लंड उनकी गांड में घुस गया। वो चीखीं, “उई माँ… दुखता है…” लेकिन मैंने और जोर लगाया, और मेरा पूरा लंड उनकी गांड में समा गया। “चटाक… चटाक…” की आवाज गूँज रही थी। वो सिसकार रही थीं, “आआह्ह… लाला, और चोदो…” मैंने उनकी गांड को जोर-जोर से चोदा।
जब तक भैया टूर पर थे, हमने हर तरह से चुदाई की। डॉगी स्टाइल, 69, खड़े-खड़े, बाथरूम में, किचन में, हर जगह। मेरे एग्जाम के बाद मुझे शहर में नौकरी मिल गई। घर छोड़ते वक्त मैं भाभी को याद करके रोया। लेकिन जब भी भैया शहर आते, भाभी उनके साथ आतीं और मेरे साथ रहतीं। हम मौका मिलते ही चुदाई करते। वो मेरी पहली गुरु थीं, जिन्होंने मुझे चुदाई का हर रंग सिखाया।
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