Bhaiya ki saali ki chudai दोस्तो, मैं धनुष चौधरी, एक बार फिर अपनी एक नई कहानी लेकर हाजिर हूँ। मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ, उम्र 28 साल, लंबाई 5 फुट 8 इंच, रंग गोरा, और बॉडी फिट, जिम जाने की वजह से कसी हुई। चेहरा स्मार्ट है, ऐसा लोग कहते हैं, और मेरे लंड का साइज, जैसा मैंने पहले भी बताया, मैंने कभी नापा नहीं, पर एक एवरेज इंडियन लंड जितना है। और हाँ, ये साइज किसी भी भाभी या लड़की को बिस्तर पर पूरी तरह संतुष्ट करने के लिए काफी है। मुझे भाभियों की मोटी-मटकती गांड, उनके भरे-पूरे जिस्म और उनके बड़े-बड़े चूचों में कुछ ज्यादा ही इंटरेस्ट रहता है। वो सब देखकर मेरा लंड तुरंत सलामी देने लगता है। bhabhi ki behan ki chudai
पिछली बार मैंने आपको बताया था कि कैसे मेरी सगी भाभी ने मुझे पटा कर अपनी चुदाई करवाई थी। उस कहानी में मैंने अपनी भाभी की कामवासना को शांत किया था। पर इस बार कहानी मेरी भाभी की छोटी बहन मोनिका की है, जिसे चोदने में मेरी भाभी ने मेरी पूरी मदद की। भाभी के साथ मेरी चुदाई को कुछ महीने ही हुए थे कि कुछ घरेलू कारणों से हमें वो सब बंद करना पड़ा। दो महीने हो गए थे, मेरी चूत चोदे हुए। लंड तो जैसे तड़प रहा था। मैंने भाभी से एक दिन झल्लाते हुए कहा, “भाभी, आप तो भैया के साथ अपनी चुदाई का मजा ले रही हो, पर मेरा क्या? दो महीने से बस हाथ से ही काम चला रहा हूँ। कुछ जुगाड करो मेरे लिए।”
भाभी ने हँसते हुए कहा, “अरे धनुष, ठहर जा, कुछ करती हूँ। थोड़ा टाइम दे।” उनकी आँखों में एक शरारत थी, जैसे वो पहले से ही कुछ सोच रही थीं।
एक दिन मैं भाभी के घर कुछ सामान लेने गया। वहाँ उनकी छोटी बहन मोनिका को देखा। मोनिका, उम्र करीब 26 साल, रंग गेहुंआ, फिगर 34-32-34, एकदम मस्त माल। उसने उस दिन एक टाइट कुरता पहना था, जिसका गला इतना डीप था कि उसकी ब्रा और चूचों की गहरी घाटी साफ दिख रही थी। नीचे उसने लोअर पहना था, जो उसकी मोटी जांघों और गांड को और उभार रहा था। उसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। वो कोई चुदक्कड़ टाइप की लड़की लग रही थी, जिसके कपड़े चीख-चीख कर बता रहे थे कि वो हर मर्द को अपनी चूत का न्योता दे रही है।
मोनिका ने मुझे देखते ही हल्की सी स्माइल दी और बोली, “हेलो!” मैंने भी हल्के से “हेलो” बोला और भाभी से बात करने लगा। पर वो मुझे पूरे टाइम घूर रही थी, जैसे मेरे जिस्म को नाप रही हो। मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपना काम करके वापस आ गया। पर उसकी वो नजरें मेरे दिमाग में घूमती रहीं।
अगले दिन उसकी फेसबुक रिक्वेस्ट आई। मैंने तुरंत एक्सेप्ट कर लिया। थोड़ी देर बाद उसका मैसेज आया, “हाय!” फिर हमारी बात शुरू हुई। हाय-हेलो से शुरू होकर बात थोड़ी पर्सनल होने लगी। मुझे बाद में पता चला कि वो पहले ही भाभी से मेरे बारे में सब पूछ चुकी थी—मेरी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं, मैं सेक्स के लिए मानूंगा या नहीं। आग तो दोनों तरफ लग चुकी थी।
मैंने भाभी से पूछा, “भाभी, मोनिका को सेट कर लूं?” भाभी ने हँसते हुए कहा, “देख धनुष, मोनिका का अपने पति से झगड़ा हो गया है। वो उसे छोड़कर यहाँ आई है और अब वापस नहीं जाएगी। वो अकेली है और किसी ऐसे मर्द की तलाश में है जो उसका टाइम पास करे और बिस्तर पर उसे अच्छे से चोद कर खुश रखे।” मैंने मजाक में कहा, “नेकी और पूछ-पूछ! बस फिर, तुम टेंशन मत लो, उसका भी काम हो जाएगा और मेरा भी।”
अगले दिन मोनिका का मैसेज आया, “आज भाभी के घर नहीं आए?” मैंने पूछा, “क्यों, कोई काम था?” वो बोली, “नहीं, बस तुमसे मिलना था।” मैंने मजाक में कहा, “ऐसा क्या काम आ गया जो मुझसे मिलना है?” उसने सीधे-सीधे बोल दिया, “मुझे तुम पसंद हो।” ये सुनकर तो मैं सन्न रह गया। दूसरी बार कोई लड़की मुझे इतने खुलेपन से ऑफर दे रही थी।
मैंने कहा, “मुझे भी तुम पसंद हो, पर भाभी की वजह से कुछ कह नहीं पाया। सोचा, वो गलत न समझ लें।” वो बोली, “अरे, भाभी से मैंने पहले ही बात कर ली है। वो कुछ नहीं कहेंगी।” फिर उसने कहा, “वीडियो कॉल करूं?” मैंने मना कर दिया, “नहीं, मैं अभी घर पर हूँ। भाभी के घर आता हूँ, वहीं बात करेंगे।” वो बोली, “ठीक है, आ जाओ। मैं घर पर ही हूँ।”
मैं तुरंत भाभी के घर पहुंचा। वहाँ मोनिका अकेली थी। मैंने पूछा, “भाभी कहाँ हैं?” वो बोली, “दीदी अपने काम से गई हैं।” फिर उसने मुझसे सीधे पूछा, “तो, मेरे और तुम्हारे रिश्ते के बारे में क्या सोचा?” मैंने कहा, “मुझे कोई दिक्कत नहीं। बस एक बात साफ कर दूं, मुझे शादी-वादी जैसे शब्द पसंद नहीं। मैं आजाद बंदा हूँ। बाकी तुम जब बोलोगी, जो बोलोगी, मैं करूंगा।” वो हँसी और बोली, “मैं भी शादी से तंग आ चुकी हूँ। तभी तो अपने पति को छोड़ दिया।”
फिर हमारी बातें चलती रहीं। बातों-बातों में मैंने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया। उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने हिम्मत करके उसे किस कर लिया। उसके होंठ रसीले थे, और वो भी मुझे जोर-जोर से किस करने लगी। जैसे ही मैंने उसका कुरता ऊपर उठाने की कोशिश की, उसने मुझे रोक दिया। मैंने पूछा, “क्या हुआ?” वो बोली, “घर में कोई भी कभी भी आ सकता है। और बच्चों का भी ट्यूशन से आने का टाइम हो गया है।” मैंने कहा, “तो फिर क्या करें?” उसने शरारती अंदाज में कहा, “रात को अपने घर से बहाना मार के आ जाना। बोल देना दोस्त के घर रुकूंगा। मैं बच्चों को जल्दी सुला दूंगी और भाभी को उनके चाचा के घर भेज दूंगी। भैया की आज नाइट ड्यूटी है।”
मैंने हँसते हुए कहा, “ठीक है, फिर रात में जम के चुदाई करेंगे।” “चुदाई” शब्द सुनकर उसकी आँखों में चमक सी आ गई। मैंने उसे एक और किस की और घर लौट गया।
घर पहुंचकर मैंने मम्मी-पापा से कहा, “रात को मेरे दोस्त के घरवाले बाहर जा रहे हैं, तो मैं उनके घर रुकूंगा।” अपने दोस्त को पहले ही फोन करके सब समझा दिया था कि अगर कोई कॉल आए तो बहाना मार देना। अब मैं बेसब्री से रात का इंतजार करने लगा। दो महीने बाद आज चूत मिलने वाली थी, वो भी मोनिका जैसी माल की।
रात 10 बजे मोनिका का फोन आया, “कितनी देर में आ रहे हो?” मैंने कहा, “15 मिनट में पहुंच जाऊंगा।” मैं तुरंत निकल पड़ा। भाभी के घर पहुंचा तो देखा घर की लाइट्स ऑफ थीं। मोनिका ने बच्चों को बेडरूम में सुला दिया था और हमारा बिस्तर नीचे जमीन पर बिछाया था ताकि कोई आवाज न हो। वो एक पतली सी नाइटी में थी, जिसके नीचे उसकी ब्रा और पैंटी साफ दिख रही थी। उसकी नाइटी इतनी टाइट थी कि उसके चूचे और गांड जैसे बाहर निकलने को बेताब थे।
मैं अंदर बैठा। वो मेरे लिए दूध का गिलास लाई और बोली, “ये पी लो, आज रात तुझे बहुत मेहनत करनी है।” मैंने दूध का गिलास लिया, उसे एक जोरदार किस की, आधा दूध पिया और बाकी उसे पिला दिया। फिर मैं उसे बिस्तर पर ले गया।
मैंने उसे बाहों में लिया और धीरे-धीरे उसके होंठों को चूमना शुरू किया। उसके होंठ इतने मुलायम थे कि मैं खो सा गया। मैंने उसकी नाइटी के ऊपर से ही उसके चूचों को दबाना शुरू किया। वो “आह्ह” करके सिसकारियां लेने लगी। मैंने धीरे-धीरे उसकी नाइटी उतारी। अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। उसकी ब्रा काली थी, जो उसके गोरे चूचों को और उभार रही थी। मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को चूसना शुरू किया। वो “उम्म्म… आह्ह…” की आवाजें निकाल रही थी।
मैंने उसकी ब्रा खोल दी। उसके 34 साइज के चूचे मेरे सामने थे, गोल, भरे हुए, और निप्पल्स गुलाबी। मैंने एक चूचे को मुँह में लिया और चूसने लगा, दूसरा चूचा मेरे हाथ में था। मैं उसे जोर-जोर से दबा रहा था। वो बेचैन हो रही थी, “आह्ह… धनुष… और जोर से… चूसो ना…” मैंने उसके दोनों चूचों को बारी-बारी चाटा, चूसा, और काटा। वो सिसकारियां ले रही थी, “उम्म… हाय… कितना अच्छा लग रहा है…”
फिर मैंने उसकी पैंटी की तरफ ध्यान दिया। उसकी पैंटी पहले ही गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी पैंटी उतारी। उसकी चूत एकदम साफ थी, जैसे अभी-अभी शेव की हो। मैंने उसकी चूत को चाटने की कोशिश की, पर उसने मुझे रोका, “नहीं, मुझे ये सब पसंद नहीं। बस चोद दो मुझे।” मैंने उसकी बात मानी और अपना लंड बाहर निकाला। मेरा लंड 6 इंच का, मोटा और सख्त, पहले से ही तना हुआ था। मैंने उसकी चूत पर लंड रगड़ना शुरू किया। वो तड़पने लगी, “आह्ह… धनुष… अब डाल भी दो… कितना तड़पाओगे?”
मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया और उसकी चूत में धीरे से डालना शुरू किया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि लंड आधा ही गया और वो दर्द से “आह्ह…” चिल्लाने को हुई। मैंने तुरंत उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसकी आवाज दबा दी। मैंने धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे करना शुरू किया। उसकी चूत गीली थी, पर टाइट होने की वजह से लंड को अंदर-बाहर करने में थोड़ी मेहनत लग रही थी। वो सिसकारियां ले रही थी, “आह्ह… उफ्फ… धीरे… थोड़ा धीरे…”
थोड़ी देर बाद मैंने एक जोरदार धक्का मारा और पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया। वो “आह्ह्ह…” करके चिल्लाई, पर मैंने उसका मुँह बंद रखा। अब मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ उसकी चूत और गीली हो रही थी। “चप… चप…” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। वो “आह्ह… उफ्फ… और जोर से… चोदो ना…” बोल रही थी। मैंने स्पीड बढ़ा दी। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। 5 मिनट की चुदाई में ही उसका पानी छूट गया। वो “आह्ह… हाय… मैं झड़ रही हूँ…” बोलते हुए कांपने लगी।
मैंने धक्के मारना जारी रखा। 2 मिनट बाद मैं भी झड़ने वाला था। मैंने पूछा, “कहाँ निकालूँ?” वो बोली, “अंदर ही छोड़ दो… मेरा ऑपरेशन हो चुका है।” मैंने 4-5 धक्के और मारे और उसकी चूत में ही झड़ गया। “आह्ह…” करके मैंने सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया। हम दोनों हांफते हुए बिस्तर पर लेट गए।
10 मिनट बाद मैंने फिर से उसके चूचों को चूसना शुरू किया। वो फिर से गर्म हो गई। उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू किया। मेरा लंड फिर से तन गया। इस बार मैंने उसे घोड़ी बनाया। उसकी मोटी गांड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गांड पर एक चपट मारी, वो “आह्ह…” करके हँसी। मैंने उसकी चूत में लंड डाला और धक्के मारने शुरू किए। “पच… पच…” की आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं। वो “आह्ह… उफ्फ… और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत…” चिल्ला रही थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और पूरी ताकत से धक्के मारने शुरू किए। वो 3 बार झड़ चुकी थी, और हर बार वो “आह्ह… हाय… मैं गई…” बोलकर कांप रही थी।
25 मिनट की इस चुदाई में मैंने उसे हर पोजीशन में चोदा—घोड़ी, मिशनरी, और फिर उसे मेरे ऊपर बिठाकर। आखिर में मैं फिर से उसकी चूत में झड़ गया। वो हांफते हुए बोली, “धनुष… तुमने तो मुझे जन्नत दिखा दी…” हम दोनों थककर लेट गए।
सुबह 8 बजे उसने मुझे उठाया। मैंने उसे एक और बार चोदा, इस बार जल्दी-जल्दी, क्योंकि भाभी और बच्चे कभी भी आ सकते थे। फिर मैं अपने घर लौट गया।
इसके बाद हमारा चुदाई का सिलसिला 5-6 महीने तक चला। कभी भाभी के घर, कभी होटल में, हमने हर जगह चुदाई की। पर फिर मोनिका को कोई और पसंद आ गया। उसने उससे शादी कर ली और गाजियाबाद चली गई। उसने मेरा नंबर ब्लॉक कर दिया। पिछले 4 महीने से उससे कोई बात नहीं हुई। अब मैं फिर से अकेला हूँ, और हाथ से ही काम चला रहा हूँ।
तो दोस्तो, आपको मेरी ये चुदाई की कहानी कैसी लगी? जरूर बताइएगा!