भाभी, तुम्हारी चूत तो पानी छोड़ रही है। मेरा लंड डाल दूँ?

मेरा नाम रणधीर सिंह है, उम्र 24 साल। मैं एक स्कूल टीचर हूँ, गाँव का रहने वाला, पर शहर में नौकरी करता हूँ। मेरा कद 5 फीट 10 इंच, गठीला बदन, गेहुँआ रंग, और 7 इंच का लंड, जो गाँव की हसीनाओं को बेकरार कर देता है। गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने गाँव गया। मेरे घर में दो चचेरे भाई हैं। बड़े भैया, रमेश, 32 साल के, लंबे-चौड़े, खेती-बाड़ी में डूबे रहते हैं। उनकी पत्नी, शांति भाभी, 28 साल की, फिगर 36-30-38, गोरा रंग, भरे हुए बूब्स, पतली कमर, और 38 इंच की भारी गांड, जो उनकी साड़ी में लहराती है। छोटे भैया, सुरेश, 29 साल के, दुबले-पतले। उनकी पत्नी, राधा भाभी, 26 साल की, फिगर 34-28-36, गेहुँआ रंग, चंचल स्वभाव। उनका 5 साल का बेटा है। ये कहानी मेरी और शांति भाभी की है।

गाँव पहुँचते ही घर में खाना-पीना हुआ। दिन भर मैं शांति और राधा भाभी से बातें करता रहा। शांति भाभी की नीली साड़ी में लिपटा बदन, उनकी हँसी, और उनकी चाल मेरे मन में बस गए। उनकी पतली कमर, भारी गांड, और 36 इंच के बूब्स मेरी आँखों के सामने नाच रहे थे। जब वो चलती थीं, तो साड़ी का पल्लू हल्का खिसकता, और उनके बूब्स की उभार मेरे लंड को तड़पा देती थी। शाम को मैं घूमने निकला, पर मन में उनकी गांड की छवि थी। जैसे-तैसे घर लौटा, मन बेकरार।

रात को खाना खाकर मैं आँगन में खाट पर लेट गया। एक खाट पर राधा भाभी और उनका बेटा, दूसरी पर शांति भाभी, तीसरी पर मैं। गाँव में लोग जल्दी सो जाते हैं, लेकिन मुझे शहर की आदत थी, नींद नहीं आ रही थी। छोटे भैया बाहर सो रहे थे, बड़े भैया खलिहान में। मैं अकेला लेटा, शांति भाभी की कल्पना में खोया, अपने लंड को सहलाने लगा। चाँद की रोशनी में सब साफ दिख रहा था। मैं राधा भाभी का चेहरा देखना चाहता था, पर वो चादर ओढ़कर सो रही थीं।

मायूस होकर मैं दूसरी तरफ करवट लेकर लेट गया। मेरे चेहरे की तरफ कामचलाऊ बाथरूम था—दो लकड़ी की पट्टियाँ, बिना दीवार। मोबाइल में टाइम देखा, 11:21। मैंने मोबाइल तकिए के नीचे रखा।

तभी चूड़ियों की खनक सुनाई दी। मैंने आँखें हल्की खुली रखीं। शांति भाभी आईं, मुझे सोता समझकर बेफिक्र। सात फीट दूर बाथरूम में खड़ी हुईं। उनकी नीली साड़ी ऊपर उठी, गोरी, चिकनी जाँघें चमकीं। वो नीचे बैठकर पेशाब करने लगीं। “स्स्स्स…” की आवाज़ ने मेरा 7 इंच का लंड पजामे में तनकर दुखने दिया। उनकी 38 इंच की गांड चमक गई। वो साड़ी ठीक कर चली गईं। मैं लंड पकड़े रह गया, नींद उड़ चुकी थी।

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मेरा दिमाग शांति भाभी में अटक गया। उनकी जाँघें, गांड, पेशाब की आवाज़ मेरे मन में गूँज रही थी। नींद नहीं आई। मोबाइल चेक किया, 2:10। फिर चूड़ियों की आहट। शांति भाभी फिर पेशाब करने बैठीं। “स्स्स्स…” की आवाज़ ने मुझे बेकरार कर दिया। मैं चुपके से उठा, पीछे जाकर उन्हें बाहों में भर लिया। वो हड़बड़ाकर उठीं, “कौन है?”

मुझे देखकर बोलीं, “रणधीर, ये क्या बदतमीजी है?” उनकी आवाज़ में डर था। मैंने कहा, “हाँ, भाभी।” वो गुस्से में, “छोड़ो!” मैंने उनका हाथ पकड़ा, घास-फूस के कच्चे कमरे की तरफ ले गया। वो बोलीं, “कहाँ ले जा रहे हो, रणधीर?”

मैंने उन्हें कमरे में खड़ा किया, उनके हाथ दीवार पर टिकाए। वो मेरे बीच में थीं। मैंने कहा, “भाभी, तुम्हारी गांड और बूब्स मुझे पागल कर रहे हैं।” वो बोलीं, “ये क्या बकवास है?” मैंने कहा, “भाभी, तुम्हारी चूत और गांड चाहिए।” वो बोलीं, “पागल हो गए हो? छोड़ो!” वो जाने लगीं, साड़ी का पल्लू खिसका, 36 इंच के बूब्स उभरे। मैंने उन्हें चिपकाया, “भाभी, मेरा लंड तुम्हारी चूत के लिए तड़प रहा है।”

वो घबराईं, “कोई देख लेगा! रमेश मार डालेगा!” मैंने कहा, “कोई नहीं देखेगा।” वो बोलीं, “नहीं, गलत है!” मैंने उनकी साड़ी कमर तक उठाई, उनकी चूत में दो उंगलियाँ डालीं। वो मेरा हाथ हटाने लगीं, लेकिन मैंने उनके 36 इंच के बूब्स को ब्लाउज़ के ऊपर से दबाया। मैं जोर-जोर से बूब्स दबाने लगा, उंगलियाँ चूत में अंदर-बाहर करता रहा। उनकी चूत गीली हो चुकी थी।

वो बोलीं, “रणधीर, छोड़ो! गलत है!” लेकिन मेरी उंगलियों ने जादू किया। वो “आआह्ह्ह… ऊऊह्ह्ह…” करने लगीं। मैंने कहा, “भाभी, तुम्हारी चूत तो पानी छोड़ रही है। मेरा लंड डाल दूँ?” वो हाँफते हुए बोलीं, “हाँ, डाल दे, पर जल्दी कर!”

मैंने पजामा और अंडरवियर नीचे खिसकाया, 7 इंच का तना लंड निकाला। शांति भाभी ने लंड पकड़ा, “वाह, रणधीर, तेरा लंड तो मस्त है!” मैंने उनकी साड़ी कमर तक उठाई, लंड चूत पर लगाया, हल्का धक्का मारा। चूत गीली थी, लंड “सट्ट…” करके अंदर गया। वो “आआह्ह्ह… धीरे, रणधीर!” बोलीं। मैंने खड़े-खड़े चुदाई शुरू की। “सट्ट… सट्ट…” की आवाज़ गूँजी।

मैंने उनके 36 इंच के बूब्स को ब्लाउज़ के ऊपर से मसला, “भाभी, भैया ने तुम्हारी चूत को खूब चोदा है।” वो बोलीं, “हाँ, रमेश रोज रात को मेरी चूत चोदता है। मेरी चूत को चोद-चोदकर ढीली कर दी। वो कुछ दिन से खेत में हैं, वरना अब तक चार बार चोद चुका होता।” उनकी बातें सुनकर मेरा जोश दोगुना हो गया।

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मैंने धक्के तेज किए। वो “आआह्ह्ह… और जोर से चोद, रणधीर… ऊऊह्ह्ह… मेरी चूत मार!” चिल्लाईं। मैं उनके बूब्स को ब्लाउज़ के बटन खोलकर बाहर निकाला। उनके 36 इंच के बूब्स चाँद की रोशनी में चमक रहे थे। मैंने उनके निप्पल चूसे, “चट… चट…” की आवाज़ के साथ। वो “सीईईई… हाँ, चूस मेरे बूब्स… आआह्ह्ह…” कराहने लगीं। मैंने एक हाथ से उनकी चूत को सहलाया, दूसरे से बूब्स दबाए, और लंड से धक्के मारता रहा।

वो बार-बार “ऊऊह्ह्ह… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे…” चिल्लाईं। उनकी साड़ी कमर पर लटक रही थी, ब्लाउज़ खुला हुआ। मैंने उनकी चूत में गहरे धक्के मारे। “सट्ट… सट्ट…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। लेकिन उनकी चूत ढीली थी, लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मुझे और टाइटपन चाहिए था।

मैंने लंड बाहर निकाला, “भाभी, पलट जाओ। तुम्हारी 38 इंच की गांड में मेरा लंड डालना है।” वो हँसीं, “तू अपने भैया पर गया है, रणधीर। वो भी मेरी गांड मारता है।” वो पलट गईं, खिड़की की दीवार पर हाथ रखकर झुकीं। उनकी साड़ी कमर पर थी। मैंने उनकी गांड को थपथपाया, कूल्हों को दबाया, सहलाया। उनकी 38 इंच की गांड गोल और चिकनी थी। मैंने लंड उनकी गांड पर लगाया, धीरे-धीरे आधा लंड अंदर डाला। वो “आय्य्य… रे बाप रे… ऊऊह्ह्ह…” चिल्लाईं। मैंने और जोर लगाया, पूरा 7 इंच का लंड अंदर डाल दिया। “चप… चप…” की आवाज़ शुरू हुई।

मैंने कहा, “भाभी, तुम्हारी गांड तो टाइट है। मजा आ रहा है।” वो बोलीं, “हाँ, रणधीर, मेरी गांड मार! चूत चुदवानी है तो गांड भी मरवानी पड़ती है।” मैं उनके 36 इंच के बूब्स को पीछे से दबाने लगा, एक हाथ से उनकी चूत को सहलाया, और लंड से उनकी गांड में धक्के मारे। वो “आआह्ह्ह… सीईईई… और जोर से… मेरी गांड फाड़ दे… ऊऊह्ह्ह…” चिल्लाईं। मैंने उनके कूल्हों को थपथपाया, “भाभी, तुम्हारी गांड चोदकर जन्नत मिल रही है।” वो “हाँ, चोद… मेरी गांड मार… आआह्ह्ह…” कराहती रहीं।

मैंने धक्के तेज किए। उनकी गांड टाइट थी, मेरा लंड हर धक्के में और सख्त हो रहा था। मैंने उनके बूब्स को जोर-जोर से मसला, निप्पल खींचे। वो “सीईईई… हाँ, रणधीर… और जोर से… मेरी गांड चोद…” चिल्लाईं। मैंने उनकी साड़ी को और ऊपर किया, उनकी कमर पकड़ी, और गहरे धक्के मारे। “चप… चप…” की आवाज़ तेज हो गई। वो बार-बार “आआह्ह्ह… ऊऊह्ह्ह… मेरी गांड… हाँ…” कराहती रहीं। मैंने उनके कूल्हों को थपथपाया, “भाभी, तुम्हारी गांड तो लंड की दीवानी है।” वो बोलीं, “हाँ, चोद मुझे… तेरे भैया की तरह मार मेरी गांड!”

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कई मिनट तक मैंने उनकी गांड चोदी। वो “आआह्ह्ह… सीईईई… और जोर से…” कराहती रहीं। मैंने उनके बूब्स को ब्लाउज़ से पूरी तरह बाहर निकाला, निप्पल चूसे, और धक्के मारता रहा। उनकी साड़ी कमर पर लटक रही थी, ब्लाउज़ खुला हुआ। आखिरकार मेरा लंड ढीला पड़ा, और मैंने पूरा वीर्य उनकी गांड में भर दिया। वो “आआह्ह्ह…” करती हुई हाँफने लगीं।

मैंने उन्हें पीछे से जकड़ लिया। कुछ पल बाद लंड बाहर निकला। वो साड़ी ठीक कर पीछे हटीं। मैंने कहा, “भाभी, तुम्हारी गांड मारकर मजा आ गया। कल फिर मरवाओगी?” वो हँसीं, “हाँ, रणधीर, तेरा लंड तो कमाल है।” वो अपनी खाट पर चली गईं। मैं लेट गया, उनकी गांड और चूत की यादें घंटों मन में रहीं। सुबह वो खुश दिखीं। उस रात के बाद मैंने उन्हें कई बार चोदा, और वो मजा लेकर चुदवाती रहीं।

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