मेरा नाम दीपा है। मेरी शादी को 12 साल हो चुके हैं, लेकिन मेरी जिंदगी में अब तक एक कमी है—मां बनने की। जितनी बार कोशिश की, हर बार निराशा ही हाथ लगी। डॉक्टर, वैद्य, और यहां तक कि मंदिरों में भी माथा टेका, लेकिन भगवान ने अब तक कोई सुनवाई नहीं की।
मेरे पति का नाम मोहन है। वह अच्छे इंसान हैं, लेकिन एक बात कहूंगी कि बिस्तर में वह मेरी इच्छाओं को कभी पूरी तरह से समझ नहीं पाए। उनकी कमजोरी ने हमारे रिश्ते में एक अजीब सी खाई बना दी थी। मैंने कभी उनसे शिकायत नहीं की, लेकिन जब मेरी छोटी बहन मां बनी और मैं अब तक खाली हाथ थी, तब से मन में एक अजीब सी बेचैनी रहने लगी।
लोहड़ी के दिन मैंने पहली बार अपनी इस तकलीफ को किसी से साझा किया—सनी से। सनी मेरे पति की दुकान पर काम करता था, और मैं उसे छोटे भाई की तरह मानती थी। लेकिन उस दिन, जब मैंने अपनी फीलिंग्स उसके सामने रखीं, तो शायद मैंने पहली बार उसे मर्द के रूप में देखा।
उसके बाद से हम दोनों की बातचीत बढ़ने लगी। कभी-कभी बस उसकी आवाज सुनकर ही मुझे सुकून मिलता था। वेलेंटाइन डे के दिन जब उसने मुझे विश किया, तब मैंने पहली बार महसूस किया कि यह रिश्ता अब एक अलग मोड़ पर आ चुका है। सनी के बोलने का तरीका, उसका मुस्कुराना, और उसका ध्यान रखना—सब कुछ मुझे अच्छा लगने लगा था।
उस दिन सनी मेरे घर आया था, जब मोहन किसी जरूरी काम से बाहर गए हुए थे। मैं अकेली थी और सनी को देखकर जाने क्यों दिल में हलचल सी होने लगी। दरवाजे पर जब मैंने उसे देखा, तो मुस्कुराकर कहा – “आज मेरी याद आ ही गई?”
सनी ने बताया कि उसे गाड़ी की चाबी चाहिए। मैंने अंदर जाकर चाबी ढूंढने का नाटक किया। सच तो यह था कि मैं चाहती थी कि वो थोड़ा और रुके, लेकिन चाबी मिल ही नहीं रही थी। मैंने उसे खुद भैया को कॉल करने के लिए कहा और नहाने चली गई।
नहाते हुए भी दिमाग में बस वही था। सनी के साथ बातों का सिलसिला, उसकी नजरों में जो एक अलग सा सम्मान था, वो सब मुझे उसके करीब ला रहा था। जब मैं बाथरूम से बाहर आई, तो सिर्फ तौलिया लपेटे हुए थी। उसके सामने इस हालत में आने में मुझे न जाने क्यों कोई झिझक नहीं थी।
सनी की नजरें मुझ पर थीं। उसकी आँखों में जो भूख थी, वो मैं साफ देख सकती थी। मैंने उसे अपने साथ कमरे में बुलाया। उसकी आँखों से नजर हटाए बिना मैंने कहा – “तुम मुझे चाहिए हो।”
उसने चौंककर कहा – “भाभी, आप कैसी बातें कर रही हैं?”
मुझे लगा जैसे वह मेरी भावनाओं को नहीं समझ पा रहा था। शायद उसे लगा कि मैं मजाक कर रही हूं। मैं तौलिये में खड़ी रही और उसके आगे अपने हाथ जोड़ दिए। “सनी, मैं बहुत थक चुकी हूं। मोहन मुझे कभी संतुष्ट नहीं कर पाते। तुम अगर नहीं चाहते तो अभी जा सकते हो।”
मेरी आवाज कांप रही थी। सनी ने मेरी आंखों में देखा और हल्के से मुस्कुरा दिया। उसने मेरी कमर पर हाथ रखा और धीरे से कहा – “भाभी, मैं आपको वो सब दूंगा जो भैया नहीं दे सके।”
मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई थी। जब सनी ने मेरे मम्मों पर हाथ रखा और धीरे से दबाया, तो मेरे होंठों से आह निकल गई। मैंने उसे बेड की तरफ धक्का दिया और खुद उसके ऊपर बैठ गई।
उसका लंड मेरे पेट पर महसूस हो रहा था। वह पूरी तरह से तैयार था। मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए। इस बार सनी भी पूरी तरह बहक चुका था। उसने मुझे बेड पर गिरा दिया और मेरे तौलिए को हल्के से खींचकर नीचे गिरा दिया।
सनी की नजरें मेरे पूरे नंगे बदन पर घूम रही थीं। उसके हाथ जब मेरे मम्मों पर पहुंचे तो एक बिजली सी दौड़ गई। उसने हल्के-हल्के मेरे निप्पल चूसने शुरू किए, और मेरी सांसें तेज होने लगीं। मैं उसके बालों में उंगलियां फिराने लगी, जैसे उसे और करीब खींचना चाहती थी।
सनी के होंठ मेरे पेट से नीचे जाने लगे, और मैं बेचैनी से उसकी हर छुअन का इंतजार कर रही थी। जब उसने मेरी पैंटी हटानी चाही तो मैंने हल्का सा विरोध जताया – “सनी, आराम से… पहले कभी किसी ने इस तरह नहीं किया।”
उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दिया – “भाभी, आज मैं आपको पूरी तरह औरत बना दूंगा।”
उसके हाथों ने मेरी पैंटी को नीचे खींच दिया। उसकी उंगलियां मेरी चूत के पास पहुंची तो मेरे शरीर में एक सिहरन दौड़ गई। उसकी उंगलियां जब मेरी चूत को छू रही थीं, तब मेरे होंठों से धीमी-धीमी सिसकारियां निकल रही थीं।
“भाभी, तुम बहुत टाइट हो…” सनी ने कहा।
“क्योंकि किसी ने मुझे इस तरह कभी नहीं लिया…” मेरी आवाज में लज्जा और उत्तेजना दोनों घुली हुई थी।
उसने मेरी टांगों को धीरे से फैलाया और अपना लंड मेरी चूत के पास रखा। जब उसने हल्के से धक्का दिया तो मेरे होंठों से हल्की चीख निकल गई। “सनी, आराम से… बहुत दर्द हो रहा है…”
उसने मेरी मांग को समझते हुए धीमे-धीमे धक्के लगाने शुरू किए। मेरा दर्द धीरे-धीरे सुकून में बदलने लगा। सनी ने मेरी टांगें अपने कंधों पर रखीं और अब उसकी पूरी ताकत मेरे अंदर थी। मैं अपने मम्मे मसलते हुए उसके साथ हर धक्के में डूबती जा रही थी।
हम दोनों के शरीर पसीने से लथपथ हो चुके थे। मैंने उसकी पीठ पर नाखून गड़ा दिए और धीरे-धीरे उसकी गति तेज होती चली गई। अचानक, मैंने महसूस किया कि मेरे अंदर एक अजीब सा एहसास पनप रहा है। मेरी चूत फड़कने लगी और मैं ज़ोर से चीखी – “सनी… ओह्ह… हां… ऐसे ही… मत रुकना!”
सनी ने मुझे कसकर पकड़ लिया और एक जोरदार धक्के के साथ उसके लंड ने मेरे अंदर ही सारा पानी छोड़ दिया। हम दोनों थके हुए बिस्तर पर निढाल गिर पड़े।
मैंने उसकी छाती पर सिर रखा और धीमे स्वर में कहा – “सनी, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं भैया को धोखा दूंगी, लेकिन तुमने मुझे वो सुख दिया जो मुझे 12 साल में नहीं मिला।”
सनी ने मेरे माथे को चूमा और कहा – “भाभी, अब आप कभी अकेली नहीं होंगी। जब भी आपको जरूरत होगी, मैं आपके पास रहूंगा।”
उस रात हम दोनों ने कई बार एक-दूसरे को जिया। जब मैं उसके लंड को चूस रही थी, तब भी मुझे अपनी चूत पर उसकी छुअन की चाहत थी।
उस दोपहर के बाद मैं और सनी दोनों बिस्तर पर लेटे हुए थे। सनी मेरे मम्मों को हल्के-हल्के सहला रहा था, और मैं उसकी छुअन का आनंद ले रही थी। लेकिन मेरे मन में एक डर भी था – कहीं मोहन समय से पहले घर न आ जाएं।
“सनी, अब उठो… भैया किसी भी वक्त आ सकते हैं,” मैंने उसके बालों में उंगलियां फेरते हुए कहा।
सनी ने मुस्कुराते हुए मेरे निप्पल पर हल्का सा चूमा और उठने लगा। मैं भी जल्दी से बिस्तर से उठी और बाथरूम में जाकर खुद को साफ करने लगी। जब मैं बाहर आई, सनी तैयार होकर जाने के लिए खड़ा था।
“भाभी, जब भी मौका मिलेगा… मैं वापस आऊंगा,” सनी ने दरवाजे से निकलते हुए कहा।
मैंने मुस्कुरा कर सिर हिलाया और उसे अलविदा कहा।
उस रात जब मोहन घर लौटे, मैंने उनके सामने ऐसे बर्ताव किया जैसे कुछ हुआ ही न हो। लेकिन मेरे मन में सनी की छुअन की यादें बार-बार लौट रही थीं। उस रात जब मोहन ने मुझसे प्यार करने की कोशिश की, तो मुझे पहली बार उनके स्पर्श में कोई रुचि नहीं थी। उनके छोटे और कमजोर लंड से अब कोई संतुष्टि नहीं मिल सकती थी।
दिन बीतते गए…
सनी और मैं लगातार एक-दूसरे से बात कर रहे थे, लेकिन मोहन का घर में रहना एक दीवार की तरह था। हम दोनों मौके की तलाश में थे।
फिर एक दिन मौका आ ही गया। मोहन के मामा के घर परिवार में एक शादी थी, और वे तीन दिन के लिए बाहर जाने वाले थे।
जाते वक्त उन्होंने कहा – “दीपा, तुम्हें भी चलना चाहिए, लेकिन मां को घर पर छोड़ कर जाना मुश्किल है।”
मैंने सिर हिलाते हुए कहा – “आप जाइए, मैं मांजी का ध्यान रख लूंगी।”
उनके जाने के कुछ ही घंटों बाद सनी मेरे घर आ पहुंचा। जब मैंने दरवाजा खोला, तो वह बिना कुछ कहे अंदर आ गया। उसकी आंखों में वही भूख थी जो मैंने पहली बार देखी थी।
सनी ने मुझे कसकर गले लगाया और हम दोनों वहीं लिविंग रूम में ही एक-दूसरे को चूमने लगे। उसने मेरे होंठ चूसते हुए धीरे-धीरे मेरी साड़ी खिसकानी शुरू कर दी। मैंने भी उसे कसकर पकड़ लिया और हम दोनों एक बार फिर एक-दूसरे की बांहों में समा गए।
इस बार मैं पूरी तरह से तैयार थी। मैंने सनी का हाथ पकड़कर उसे बेडरूम तक खींचा।
जैसे ही हम बेड पर पहुंचे, सनी ने धीरे-धीरे मेरी ब्लाउज की हुक खोलनी शुरू कर दी। मेरी सांसें तेज हो रही थीं। जब उसने मेरी ब्रा हटाई, तो उसने हल्के से कहा – “भाभी, आज मैं आपको पूरा भर दूंगा।”
“सनी, मुझे आज मां बनना है… तुम्हारे बच्चे की मां,” मैंने उसकी आंखों में देखते हुए कहा।
सनी ने मेरी कमर पकड़कर मुझे बेड पर लिटा दिया और धीरे-धीरे मेरे पेट पर किस करने लगा। मैं उसकी छुअन में खो चुकी थी। उसकी उंगलियां मेरी चूत तक पहुंच चुकी थीं, और मैं पहले ही पूरी तरह भीग चुकी थी।
उसने बिना देर किए अपना लंड निकालकर मेरी चूत के पास रखा।
“भाभी, इस बार तुम्हारी चूत मेरी मुझसे पूरी तरह भर जाएगी,” सनी ने कहा।
जैसे ही उसने अंदर धक्का दिया, मेरी आंखें बंद हो गईं। इस बार का दर्द भी सुकून देने वाला था। मैं उसके हर धक्के के साथ बिस्तर में और ज्यादा धंसती जा रही थी।
सनी का लंड मेरी चूत के अंदर तेजी से हिल रहा था। मेरी टांगें कांप रही थीं, और मैं बिस्तर पर उसकी हर छुअन के लिए तड़प रही थी।
“ओह सनी… आज मत रुकना… मुझे तुम्हारा सब कुछ चाहिए,” मैंने सिसकारी लेते हुए कहा।
सनी ने मुझे पलट कर पीछे से पकड़ लिया और जोर से धक्के लगाने लगा।
“भाभी, आज तुम्हारी चूत का हर कोना भर दूंगा… जब तक तुम मां नहीं बन जाती, मैं तुम्हें रोज चोदूंगा।”
हम दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे। जब सनी झड़ने वाला था, मैंने उसके लंड को कसकर पकड़ा और उसे अपने अंदर ही झड़ने दिया।
हम दोनों बेड पर लेटे हुए थे। सनी ने मुझे पीछे से पकड़ रखा था।
“भाभी, अगर तुम सच में मां बन गईं तो क्या भैया को पता नहीं चलेगा?” उसने धीरे से पूछा।
“नहीं, मोहन कभी कुछ नहीं समझेंगे। वो मानेंगे कि आखिरकार उनका ही बच्चा है… लेकिन हम दोनों जानते होंगे कि असली बाप कौन है,” मैंने उसकी आंखों में देखते हुए कहा।
हमने उस रात कई बार प्यार किया। उस बार मैं खुद चाहती थी कि सनी मेरे अंदर अपना बीज बोए।
कुछ हफ्तों बाद…
जब मेरा पीरियड मिस हुआ, तो मैं जान गई थी कि सनी का बीज मुझमें फलने-फूलने लगा था। जब मैंने सनी को यह बात बताई, तो उसने मुझे कसकर गले लगा लिया।
नौ महीने बाद…
मेरे जुड़वां बेटे हुए। मोहन उन्हें देखकर खुशी से फूले नहीं समा रहे थे, लेकिन मैं और सनी जानते थे कि वे बच्चे सनी के हैं।
डिलीवरी के बाद, मैं कुछ महीनों तक सनी से नहीं मिल पाई। मोहन के साथ रहना पड़ता था, लेकिन मेरा मन कहीं और था। बच्चे जब मेरी गोद में होते थे, तो मैं सनी के चेहरे को उनमें देखती थी। जुड़वां बच्चों के नैन-नक्श मोहन से बिल्कुल अलग थे – ये बात घर में किसी ने महसूस नहीं की, लेकिन मैं और सनी दोनों जानते थे कि ये बच्चे उसी के हैं।
डिलीवरी के तीन महीने बाद एक दिन सनी अचानक दुकान से सीधे घर आ गया। मोहन बाहर काम पर गए थे और घर में सिर्फ मैं थी। बच्चे झूले में सो रहे थे।
सनी ने आते ही दरवाजा बंद किया और मुझे पीछे से पकड़ लिया। उसकी गर्म सांसें मेरी गर्दन पर लगीं, और मेरे बदन में एक बार फिर वही तड़प उठने लगी।
“भाभी, बच्चे के बाद तुम और भी हॉट हो गई हो,” सनी ने धीरे से कहा, उसके हाथ मेरी कमर पर फिसल रहे थे।
“तुम्हारी वजह से ही तो बनी हूं, सनी… तुमने मुझे 12 साल बाद कुंवारी लड़की से औरत बनाया और फिर मां भी,” मैंने धीरे से उसकी ओर देखा।
सनी ने मेरी साड़ी ऊपर खिसकाई और नीचे से मेरे गांड पर जोर से थप्पड़ मारा। “भाभी, आज तुम्हारी गांड लूंगा… तुम्हारी चूत ने तो बच्चे पैदा कर लिए, अब इसे खाली नहीं छोड़ सकता।”
मैंने उसकी आंखों में देखा और मुस्कुराते हुए कहा – “तुम्हें जो करना है करो, सनी। तुम्हारी भाभी तुम्हारी है… मोहन को तो आज तक ये सब करना आता ही नहीं।”
मैंने बेड के किनारे हाथ रखे और अपने पेटीकोट को नीचे गिरा दिया। सनी ने अपनी जींस उतारी और उसका लंड मेरे गांड के पास रख दिया।
“भाभी, तुम्हारी गांड आज मेरी है… जब तक तुम्हारे पति की नपुंसकता याद ना आ जाए, तब तक छोड़ूंगा नहीं,” सनी ने मेरी कमर पकड़ते हुए जोर का धक्का दिया।
मेरे होंठों से दर्द और सुकून की मिली-जुली सिसकारी निकली – “ओह… हां, सनी… जोर से… मोहन कभी ऐसा कर ही नहीं पाएगा।”
सनी लगातार मेरे गांड में धक्के लगाता रहा, और मैं बिस्तर पर सिर टिकाए उस पल का पूरा आनंद ले रही थी। मेरे मम्मे झूले की तरह हिल रहे थे, और सनी ने झुककर उन्हें दोनों हाथों से जोर से मसलना शुरू किया।
“भाभी, भैया के लंड से कभी बच्चे नहीं होते… वो बेचारा क्या ही कर सकता है? सारा काम तो मुझे ही करना पड़ेगा,” सनी ने हंसते हुए कहा।
“हां सनी… मोहन जैसे मरियल आदमी के बस की बात नहीं थी… तुमने जो किया, वो मोहन कभी नहीं कर सकते थे,” मैंने हांफते हुए कहा।
जब हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर लेटे, मैंने सनी के सीने पर सिर रखा और उसकी छाती पर उंगलियां फिराने लगी।
“सनी, सच कहूं… जब भी मोहन मुझे छूते हैं तो बस हंसी आती है। उनके लंड में ना ताकत है और ना जान… तुमने मुझे पहली बार औरत का असली सुख दिया है। तुमने मेरी वो प्यास बुझाई जो मोहन कभी नहीं बुझा सकते थे,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
सनी ने मेरी ओर देखते हुए मजाकिया अंदाज में कहा – “भाभी, क्या कभी भैया को ये बताने का मन नहीं करता कि बच्चे उनके नहीं, बल्कि मेरे हैं?”
मैंने उसकी आंखों में देखा और धीरे से कहा – “नहीं, सनी… मोहन को धोखे में रखना ही सबसे बड़ा मजा है। उन्हें लगता है कि वे बाप बन गए हैं… लेकिन असलियत हम दोनों जानते हैं। इस घर का असली मर्द सिर्फ तुम हो।”
सनी ने मेरे मम्मों को जोर से दबाते हुए कहा – “भाभी, मैं जब तक जिंदा हूं तुम्हें ऐसे ही चोदता रहूंगा। और हां, अगला बच्चा भी मेरा ही होगा।”
उस रात हम दोनों ने फिर कई बार प्यार किया। जब मोहन घर लौटे, तो मैं उनके सामने वैसे ही पेश आई जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
अब जब भी मोहन मेरे साथ रात बिताने की कोशिश करते हैं, मैं बहाना बनाकर टाल देती हूं – “आज तबीयत ठीक नहीं है,” या “बच्चे को सुलाना है।”
लेकिन असल में, मैं मोहन के स्पर्श से ऊब चुकी हूं। सनी अब मेरे शरीर की हर जरूरत पूरी कर रहा है। और जब भी मोहन को लगता है कि उसने मुझे संतुष्ट किया है, मैं सनी के लंड का इंतजार कर रही होती हूं।