भाभी बनी देवर की रंडी

मेरा नाम अर्जुन है, उम्र 20 साल, और मैं अहमदाबाद में रहता हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 6 इंच है, गोरा रंग, और मेरा लंड 8 इंच का मोटा और तगड़ा है, जिसे देखकर लड़कियाँ, भाभियाँ और आंटियाँ पागल हो जाती हैं। मेरी भाभी रेखा, 27 साल की, एकदम माल, सेक्सी और हॉट औरत हैं। उनके बड़े-बड़े 36D साइज़ के मम्मे और मोटे-मोटे चूतड़, जो चलते वक्त लहराते हैं, मुझे हर पल बेकरार कर देते हैं। उनकी कमर पतली और नाभि इतनी सेक्सी कि बस देखते ही मन करता है उसे चूम लूँ। मेरा भैया, 28 साल का, एक मल्टीनेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। उसकी शादी रेखा भाभी से 8 महीने पहले हुई थी। भैया को अक्सर काम के सिलसिले में विदेश जाना पड़ता है, और मैं अपने कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ भैया-भाभी के साथ उनके घर में रहता हूँ।

शुरुआती महीनों में भैया और भाभी ने अपनी शादीशुदा ज़िंदगी को खूब एंजॉय किया। लेकिन जब भैया को लंबे-लंबे टूर पर जाना शुरू हुआ, तो भाभी उदास रहने लगीं। चार महीने के लिए भैया फिर से विदेश चले गए, और घर में सिर्फ़ मैं और भाभी रह गए। भाभी की उदासी देखकर मुझे बुरा लगता था। मैं उनसे खूब बातें करता, उन्हें हँसाने की कोशिश करता, पर उनकी उदासी कम नहीं हो रही थी। दिन ऐसे ही गुज़रते रहे।

धीरे-धीरे मैंने भाभी के व्यवहार में बदलाव देखा। हम अब अच्छे दोस्त बन गए थे। हम साथ में शॉपिंग करने जाते, मूवी देखने जाते, और मस्ती करते। जो लोग हमें नहीं जानते थे, वो हमें पति-पत्नी समझते। मेरे मन में भाभी के लिए गंदे-गंदे ख्याल आते थे। उनकी सेक्सी फिगर, टाइट ब्लाउज़ में उभरे हुए मम्मे, और साड़ी में दिखने वाली उनकी गहरी नाभि मुझे पागल कर देती थी। लेकिन मैं सोचता था कि वो मेरे भैया की बीवी हैं, तो अपने मन को काबू में रखता। रात को जब हम दोनों अकेले होते, मेरा लंड भाभी को चोदने के ख्याल से खड़ा हो जाता। मैं बाथरूम में जाकर अपने लंड को हिलाकर अपनी आग शांत करता।

भाभी मुझसे मज़ाक में पूछतीं, “अर्जुन, तेरी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं?” मैं कहता, “नहीं भाभी, कोई नहीं है।” वो हँसकर कहतीं, “झूठ मत बोल, तेरे जैसा हट्टा-कट्टा, गोरा-चिट्टा लड़का, और कोई गर्लफ्रेंड नहीं? ऐसा हो ही नहीं सकता!” वो मुझसे ऐसी फ्लर्टी बातें करने लगी थीं। मुझे लगने लगा कि भाभी के मन में मेरे लिए कुछ चल रहा है। वो बात करते वक्त जानबूझकर मुझे छूतीं, मेरे करीब आतीं, और अपनी साड़ी का पल्लू बार-बार गिरातीं ताकि उनके मम्मों की गहरी लाइन दिखे। मैं बमुश्किल अपने आपको कंट्रोल करता। भाभी की हरकतों से लगता था कि वो सेक्स की भूखी हो रही थीं।

भाभी ज़्यादातर साड़ी में रहती थीं। उनकी साड़ी में उनके गोल-मटोल चूतड़ और टाइट ब्लाउज़ में उभरे मम्मे देखकर मेरा लंड हमेशा तन जाता। वो जानबूझकर झाड़ू लगाते वक्त मेरे सामने झुकतीं, ताकि उनकी क्लीवेज दिखे। एक बार तो उन्होंने साड़ी का पल्लू इतना नीचे कर लिया कि उनके मम्मों का आधा हिस्सा दिखने लगा। मैं पागल हो रहा था, लेकिन डरता था कि कहीं कुछ गलत न हो जाए।

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एक रात मैं अपने कमरे में भाभी के बारे में सोचकर अपना लंड हिला रहा था। मेरा दरवाज़ा बंद था, पर लॉक नहीं किया था। अचानक भाभी बिना खटखटाए अंदर आ गईं। मैं लंड हिलाते हुए पकड़ा गया। मैं इतना शरमा गया कि कुछ बोल ही नहीं पाया। भाभी ने कुछ सेकंड मेरे तने हुए लंड को घूरा और फिर चुपचाप चली गईं। मैं रातभर सोचता रहा कि अब क्या होगा।

अगली सुबह मैं कॉलेज जाने की तैयारी कर रहा था। भाभी ने मुझे चाय और स्नैक्स दिए। मैं शर्मिंदगी की वजह से उनकी तरफ़ देख भी नहीं पा रहा था। लेकिन भाभी ने मुझे शरारती स्माइल दी और कुछ बोलीं नहीं। मैं जल्दी से कॉलेज निकल गया।

दोपहर को जब मैं 1 बजे घर लौटा, भाभी ने दरवाज़ा खोला। उन्होंने गुलाबी रंग की पारदर्शी शिफॉन साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज़ पहना था। उनकी साड़ी में से उनका सेक्सी बदन साफ़ दिख रहा था। उनके मम्मे ब्लाउज़ में कसकर भरे हुए थे, और उनकी नाभि साड़ी के नीचे चमक रही थी। वो इतनी हॉट लग रही थीं कि मेरा लंड पैंट में ही तन गया। भाभी ने मेरा बैग लिया, दरवाज़ा बंद किया, और मेरे सामने खड़े होकर बोलीं, “प्यारे देवरजी, कल रात तुम क्या कर रहे थे?”

मैं शर्माते हुए बोला, “भाभी, मैं… मैं आपके बारे में सोचकर अपना लंड हिला रहा था।”

ये सुनते ही भाभी जैसे पागल हो गईं। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उन्होंने मुझे धक्का दिया, और मैं सोफे पर गिर गया। वो मेरी छाती पर कूदकर बैठ गईं और बोलीं, “अर्जुन, तू कितना भोला है! अपनी भाभी को चोदना चाहता है, पर हिम्मत नहीं जुटा पाया। मैं तो तेरे लिए पागल हो रही हूँ। तूने मुझे इतना तड़पाया है। मुझे तेरे प्यार की, तेरे लंड की सख्त ज़रूरत है।”

उन्होंने मेरे होंठों पर अपने गर्म, रसीले होंठ रख दिए और ज़ोर से चूमने लगीं। मैं भी उनके होंठ चूसने लगा। हम दोनों 15 मिनट तक एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उनकी जीभ को चूस रहा था। मेरा लंड अब पूरी तरह तन चुका था, और मेरी पैंट में साफ़ दिख रहा था। भाभी ने मेरे गाल, मेरी छाती, मेरे पेट को चूमना शुरू किया। मैंने भी उनके गाल चूसने शुरू किए, उनके गोरे गाल लाल हो गए।

भाभी ने मेरी शर्ट उतार दी, और मैंने उनकी साड़ी खींचकर नीचे कर दी। अब वो सिर्फ़ ब्लाउज़ और पेटीकोट में थीं। मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था, और मेरा लंड उसमें साफ़ उभर रहा था। भाभी ने मेरे लंड को देखा और बोलीं, “अर्जुन, जब से तेरा ये मोटा लंड देखा, मैं इसके लिए पागल हो रही हूँ। अब मुझे और मत तड़पाओ।”

उन्होंने मेरा अंडरवियर उतार दिया। मेरा 8 इंच का लंड अब उनके सामने तना हुआ था। भाभी ने उसे अपने नरम हाथों में लिया और हिलाने लगीं। वो बोलीं, “ये तो तेरे भैया के लंड से कहीं ज़्यादा बड़ा और मोटा है। तू सच में लड़कियों का सपना है।”

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वो मेरे लंड को सहलाने लगीं, कभी धीरे-धीरे, कभी ज़ोर से। फिर उन्होंने अपना मुँह खोला और मेरा लंड अपने गर्म मुँह में ले लिया। उनका मुँह इतना गर्म था कि मुझे लगा मैं स्वर्ग में हूँ। वो मेरे लंड को चूस रही थीं, उनकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी। मैं “आआह… भाभी… उउउ… और चूसो…” कहकर सिसकारियाँ ले रहा था। भाभी ने मेरा पूरा लंड अपने गले तक लिया। मैं ज़्यादा देर नहीं टिक पाया और 5 मिनट बाद बोला, “भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ!”

उन्होंने कहा, “मेरे मुँह में ही छोड़ दे, सारा पी जाऊँगी।”

मैंने ज़ोर से अपना वीर्य उनके मुँह में छोड़ दिया। भाभी ने सारा वीर्य निगल लिया और मेरे लंड को चाटकर साफ़ कर दिया। मैं थककर सोफे पर लेट गया। भाभी ने मेरे लंड को फिर से सहलाना शुरू किया, लेकिन वो अभी नरम था।

हम दोनों बाथरूम में गए। वहाँ भाभी ने अपनी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया। अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थीं। उनकी ब्रा में उनके मम्मे कसकर भरे हुए थे, और उनकी पैंटी में उनकी चूत का उभार साफ़ दिख रहा था। भाभी ने कहा, “तेरे भैया का लंड छोटा है, और वो मुझे वो मज़ा नहीं दे पाते जो तू दे सकता है। अब से तू मुझे अपनी बीवी समझ, और जब चाहे चोद दे। ये भाभी तेरी रंडी है।”

उनकी बात सुनकर मेरा लंड फिर से तनने लगा। मैंने भाभी को शॉवर के नीचे खींच लिया और उन्हें चूमना शुरू किया। मैंने उनकी ब्रा उतार दी। उनके 36D साइज़ के मम्मे मेरे सामने थे, गोल, भरे हुए, और उनके भूरे निप्पल तने हुए थे। मैंने कहा, “भाभी, अपने देवर को दूध पिलाओ।”

वो हँसकर बोलीं, “ये मम्मे और सारा बदन तेरा है, जितना चूसना है चूस ले।”

मैं उनके मम्मों पर टूट पड़ा। मैंने उनके एक मम्मे को मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। भाभी सिसकारियाँ ले रही थीं, “आआह… अर्जुन… और ज़ोर से… चूस… उउउ… आआआ… ईईई…” मैंने उनके निप्पल को दाँतों से हल्के से काटा, और वो चीख पड़ीं, “उउउ… हाय… मर गई… और करो…” मैंने उनके दूसरे मम्मे को दबाया, चूसा, और चाटा। उनके मम्मे लाल हो गए। मैंने उनके पेट को चूमा, उनकी नाभि में जीभ डालकर चाटा। भाभी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।

20 मिनट तक मैंने उनके मम्मे चूसे। मेरा लंड अब फिर से तन चुका था। भाभी ने अपनी पैंटी उतार दी। उनकी चूत गीली थी, और उसका रस टपक रहा था। मैंने उनकी चूत को छुआ, वो इतनी गर्म थी कि मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने भाभी को सोफे पर लिटाया और उनकी टाँगें फैलाईं। उनकी चूत गुलाबी और चिकनी थी। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और हल्के से रगड़ा। भाभी सिसकारी, “आआह… अर्जुन… डाल दे… और मत तड़पाओ…”

मैंने अपना मोटा लंड उनकी चूत में धीरे-धीरे डाला। उनकी चूत टाइट थी, और मेरा लंड पूरा अंदर नहीं जा रहा था। मैंने थोड़ा ज़ोर लगाया, और भाभी चीख पड़ीं, “आआआ… हाय… दर्द हो रहा है… धीरे…” लेकिन वो मुझे और कसकर पकड़ रही थीं। मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। हर धक्के के साथ भाभी की सिसकारियाँ बढ़ रही थीं, “उउउ… आआआ… और ज़ोर से… चोद मुझे… आआह…”

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मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई। हर धक्के के साथ उनकी चूत से ‘पच-पच’ की आवाज़ आ रही थी। भाभी चिल्ला रही थीं, “हाय… अर्जुन… फाड़ दे मेरी चूत… आआआ… ईईई… उउउ…” मैंने उनके मम्मे दबाए और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे। उनकी चूत का रस मेरे लंड को और चिकना कर रहा था। 20 मिनट तक मैंने उन्हें चोदा। आखिर में मैंने कहा, “भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ।”

उन्होंने कहा, “मेरी चूत में ही छोड़ दे।”

मैंने ज़ोर से धक्का मारा और अपनी सारी मलाई उनकी चूत में छोड़ दी। उसी वक्त भाभी भी झड़ गईं। उनकी चूत से उनका रस बह रहा था। हम दोनों हाँफ रहे थे, पसीने से तर-बतर।

हम दोनों बाथरूम में गए और शॉवर के नीचे एक-दूसरे को चूमने लगे। मैंने भाभी की चूत को फिर से सहलाया, और वो मेरे लंड से खेलने लगीं। शॉवर में हमने एक-दूसरे को साबुन लगाया, और मैंने उनके मम्मों को फिर से दबाया। भाभी बोलीं, “अर्जुन, तूने मुझे वो मज़ा दिया जो तेरे भैया कभी नहीं दे पाए।”

उस रात हम दोनों एक ही बेड पर सोए, बिल्कुल पति-पत्नी की तरह। भाभी मेरे सीने पर सर रखकर लेटी थीं। सुबह 5:30 बजे भाभी फिर से मेरे लंड से खेलने लगीं। मैं नींद में था, लेकिन उनका हाथ मेरे लंड पर महसूस होते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने आँखें खोलीं और भाभी को चूमना शुरू किया। हमने फिर से चुदाई की। भाभी मेरे ऊपर चढ़ गईं और मेरे लंड को अपनी चूत में लिया। वो ज़ोर-ज़ोर से उछल रही थीं, “आआआ… अर्जुन… और ज़ोर से… उउउ… हाय…” मैंने उनके चूतड़ पकड़े और नीचे से धक्के मारे। ‘पच-पच’ की आवाज़ फिर से गूँज रही थी।

उस दिन हमने 4-5 बार चुदाई की। मैं और भाभी दोनों थक गए थे। अगले दिन मैं कॉलेज नहीं जा पाया।

लेकिन अच्छी चीज़ें ज़्यादा देर नहीं टिकतीं। पिछले महीने भैया का ट्रांसफर हो गया, और वो भाभी को लेकर चले गए। अब मैं अहमदाबाद में अकेला हूँ। लेकिन भाभी ने जो कहा था, वो सच हो गया। मेरे कॉलेज में एक लड़की से मेरी दोस्ती हुई, और मैंने उसे प्रपोज़ किया। उसे भी मैं 3-4 बार चोद चुका हूँ। उसकी कहानी मैं अगली बार बताऊँगा।

आपको मेरी और भाभी की ये चुदाई की कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी चुदाई का मज़ा लिया है? कमेंट में ज़रूर बताएँ।

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