दोनों जवान बेटों ने की मेरी जमकर चुदाई

Mom Son Threesome Incest Sex Story – हेलो दोस्तों, कैसे हैं आप सब? ये मेरी कहानी का दूसरा हिस्सा है, जिसमें मैं, अंजलि, आपको बताने जा रही हूँ कि कैसे मेरे दोनों जवान बेटों, मनीष और राघव, ने मुझे अपनी हवस का शिकार बनाया और मेरी चूत और गांड की ऐसी चुदाई की कि मैं आज भी याद करके गीली हो जाती हूँ। पिछली कहानी में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपने पति की गैरमौजूदगी में तड़पते हुए अपने बेटों को सिड्यूस किया, लेकिन असल में वो मुझे ही फँसा रहे थे।

कहानी का पिछला भाग: बेटों को गर्म किया

अब आगे…

अगले दिन मैं स्कूल से जल्दी घर लौट आई। घर पहुँचकर मैंने सबसे पहले अपने बाथरूम में जाकर अपनी चूत के बाल साफ किए। मैंने रेजर से धीरे-धीरे हर बाल को हटाया, अपनी चूत को एकदम चिकनी और मुलायम बना लिया, जैसे कोई जवान लड़की अपनी पहली चुदाई के लिए तैयार होती है। मेरी चूत अब चमक रही थी, और मैंने आईने में देखा तो खुद पर फिदा हो गई। मेरे मन में पक्का इरादा था कि आज मैं किसी भी हाल में अपने दोनों बेटों से चुद ही लूँगी। मेरी चूत उनके 9 इंच के मोटे लंडों के लिए तरस रही थी, और मैं सोच रही थी कि आज वो मेरी चूत को फाड़कर रख देंगे।

मेरे दोनों बेटे उस दिन कॉलेज से जल्दी घर आ गए। मैं अपने कमरे में बेड पर लेटी थी, वही पिंक वाली लो-कट नाइटी पहने हुए, जो मेरे बड़े-बड़े बूब्स के क्लीवेज को साफ दिखाती थी और मेरी पैंटी की झलक भी देती थी। मेरी चूत पहले से ही गीली थी, और मैं लेटे-लेटे अपनी उँगली से उसे सहला रही थी। जब वो मेरे कमरे में आए और मुझे बेड पर लेटा देखा, तो चिंता से पूछा, “मम्मी, आप ठीक तो हैं ना?” उनकी आवाज में एक अजीब सी उत्सुकता थी, जैसे वो जानते हों कि क्या होने वाला है।

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मैंने हल्का सा कराहते हुए कहा, “हाँ बेटा, बस ठीक ही हूँ। लेकिन मेरी कमर और टाँगों में बहुत दर्द हो रहा है। मनीष बेटा, तुम मेरी कमर दबा दो, और राघव, तुम मेरी टाँगें दबा दो।” मैं जान-बूझकर ऐसी पोजिशन में लेटी थी कि मेरी नाइटी ऊपर सरक गई थी, और मेरी जाँघें दिख रही थीं।

मनीष बोला, “मम्मी, ठीक है, लेकिन हम दोनों अभी आते हैं, कपड़े चेंज करके।” वो दोनों बाहर गए, और मैं उनके आने का इंतजार करने लगी। मैं बेड पर उल्टा लेट गई, ताकि मेरी गांड का उभार नाइटी में से साफ नजर आए। मेरी गांड गोल और भरी हुई है, और मैं जानती थी कि वो दोनों इसे देखकर गर्म हो जाएँगे। कुछ ही देर में वो लोअर और टी-शर्ट में वापस आए। मनीष ने मेरी कमर दबाना शुरू किया, उसकी उंगलियाँ मेरी कमर पर फिसल रही थीं, और राघव मेरी टाँगों को सहलाने लगा। जैसे ही उनके हाथों का स्पर्श मेरे जिस्म को मिला, मेरी चूत में अजीब सी खुजली शुरू हो गई। “आह्ह… उम्म…” मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई। मनीष की उंगलियाँ अब मेरी कमर से नीचे सरककर मेरे चूतड़ों पर आ गईं, और वो उन्हें हल्के-हल्के दबाने लगा। उसका हर दबाव मेरी चूत को और गीला कर रहा था।

राघव की उंगलियाँ मेरी टाँगों पर ऊपर-नीचे घूम रही थीं, और वो धीरे-धीरे मेरी जाँघों के अंदरूनी हिस्से को छूने लगा। मुझे सचमुच बहुत मजा आ रहा था, मेरी चूत से पानी रिसने लगा था। कुछ देर बाद राघव ने भी मेरे चूतड़ों पर हाथ रख दिया, और अब दोनों मेरे चूतड़ों को प्यार से दबा रहे थे। उनकी उंगलियाँ मेरी गांड के बीच में फिसल रही थीं, और मैं अपनी गांड हल्की-हल्की उठाकर उन्हें इशारा दे रही थी। मैं कुछ नहीं बोली, बस उनके स्पर्श का मजा ले रही थी। तभी मैं एकदम सीधी होकर लेट गई। वो दोनों एकदम डर गए, जैसे पकड़े गए हों। मैं हँसते हुए बोली, “क्या हुआ, डर क्यों गए? मैं तो बस ये कहना चाहती थी कि जो तुम दोनों कर रहे हो, उसमें मुझे बहुत मजा आ रहा है।”

ये कहकर मैं उनके सामने सीधी लेट गई। अब वो मेरी टाँगों को सहलाने लगे, उनकी उंगलियाँ मेरी जाँघों पर ऊपर चढ़ रही थीं, और मेरी चूत के पास पहुँच रही थीं। अचानक मनीष ने मेरे बूब्स पर अपना हाथ रख दिया, और हल्के से दबाया। मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ गया। मैंने शरारत भरे लहजे में पूछा, “बेटा, क्या चाहिए?”

मनीष और राघव एक साथ बोले, “मम्मी, हमें आपका दूध पीना है।” उनकी आँखों में हवस साफ झलक रही थी।

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मैंने मस्ती में जवाब दिया, “बेटा, फिर तुम दोनों क्या देख रहे हो? भला एक माँ अपने बेटों को दूध पीने से कब मना करती है? लो, पी लो।”

मेरे मुँह से ये सुनते ही दोनों ने मुझे खड़ा किया। मनीष ने मेरी नाइटी के स्ट्रैप्स नीचे खींचे और नाइटी उतार दी। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। राघव ने मेरी ब्रा के हुक खोले और उसे खींचकर फेंक दिया। मेरे 38 साइज के बड़े-बड़े बूब्स आजाद हो गए, उनके निप्पल्स सख्त हो चुके थे। दोनों उन पर भूखे भेड़ियों की तरह टूट पड़े। “आह्ह… उम्म…” मैं सिसकारियाँ लेने लगी। मनीष मेरे दाएँ बूब को चूस रहा था, उसका निप्पल अपने मुँह में लेकर खींच रहा था, और दाँतों से हल्के से काट रहा था। “आह्ह… मनीष… ऐसे ही… उम्म…” राघव बाएँ बूब को दबाते हुए चाट रहा था, उसकी जीभ मेरे निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी। दोनों मेरे बूब्स को बारी-बारी से चूस रहे थे, और मेरी चूत में कुछ हलचल सी होने लगी। मेरी चूत गीली होकर पैंटी में चिपक रही थी। “आह्ह… मेरे बेटों… चूसो… और जोर से… अपनी माँ के बूब्स को चाटो… स्स्स…” मैं उनके सिर को अपने बूब्स पर दबा रही थी।

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मैंने उनसे कहा, “अपने कपड़े उतारो।” दोनों ने फटाफट अपनी टी-शर्ट और लोअर उतार दिए। अब वो सिर्फ अंडरवियर में थे, और उनके लंड अंडरवियर में तंबू बना रहे थे। मनीष ने मेरी पैंटी पकड़ी और नीचे खींचकर उतार दी। अब हम तीनों पूरी तरह नंगे थे। मैंने उनके अंडरवियर के ऊपर से उनके लंड पकड़ लिए और ऊपर-नीचे करने लगी। उनके लंड मेरे पति के लंड से कहीं ज्यादा बड़े और मोटे थे, मेरे हाथों में उनका सख्तपन महसूस हो रहा था। “आह्ह… कितने मोटे हैं ये… मेरी चूत तो फट जाएगी…” मैं मस्ती में बोल रही थी।

राघव बोला, “मम्मी, मुझे आपकी चूत चाटनी है।” उसकी आवाज में हवस थी।

मनीष ने कहा, “मम्मी, मुझे आपसे अपना लंड चुसवाना है।”

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मैंने मस्ती में जवाब दिया, “मेरे प्यारे बच्चों, जो तुम्हें करना है, वो कर लो।”

ये सुनते ही राघव मेरी टाँगों के बीच में आ गया। उसने मेरी जाँघें फैलाईं और अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। “आह्ह… उम्म…” उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को सहला रही थी, और वो धीरे-धीरे चाट रहा था। ऊपर से मनीष ने अपना 9 इंच का लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया। “गुुु… गुुु…” मेरे मुँह से आवाजें निकल रही थीं। मैं उसका लंड चूस रही थी, उसका टोपा अपनी जीभ से चाट रही थी, और उसका प्री-कम मेरे मुँह में आ रहा था। नीचे राघव मेरी चूत को चाट-चाटकर गीला कर रहा था, उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर घुस रही थी। “आह्ह… राघव… ऐसे ही चाट… उम्म… और अंदर डालो जीभ…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। दोनों मेरे बूब्स को भी दबा रहे थे, और मैं उनके लंडों को हाथ से हिला रही थी।

मैंने मनीष का लंड मुँह से निकाला और उसे हाथ में लेकर जोर-जोर से हिलाने लगी। मस्ती में मैं बोलने लगी, “आह्ह… मेरे बच्चों… आह्ह… खूब चूसो अपनी माँ को… मनीष, मेरे बूब्स चूस… आह्ह… राघव, ऐसे ही चाट मेरी चूत… स्स्स… आह्ह… तुम दोनों की जीभ कितनी गर्म है… उम्म…”

मनीष मेरे बूब्स चूसने लगा, उसके दाँत मेरे निप्पल पर लग रहे थे। राघव ऊपर आकर मेरे दूसरे बूब को चाटने लगा, और मनीष नीचे गया। मनीष ने मेरी चूत को देखकर बोला, “मम्मी, क्या हम दोनों इसी में से बाहर आए थे?” उसकी आँखें मेरी चूत पर टिकी थीं।

मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ मेरे बच्चों, तुम दोनों इसी में से निकले थे।”

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ये सुनते ही मनीष जैसे पागल हो गया। उसने अपनी पूरी जीभ मेरी चूत में डाल दी और जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगा। “आह्ह… उफ्फ…” मेरी चूत में मानो आग लग गई थी। उसकी जीभ मेरी चूत की दीवारों को छू रही थी, और मेरी चूत से पानी बह रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह… बेटा… ऐसे ही चाट… और जोर से… बहुत मजा आ रहा है… उम्म… तुम्हारी जीभ मेरी चूत को पागल कर रही है…”

तभी दोनों एक साथ बोले, “मम्मी जी, असली मजा तो तब आएगा जब हम दोनों आपको चोदेंगे।”

मैंने मस्ती में कहा, “आह्ह… सच में बेटा? तो फिर अच्छे से अपनी माँ का दूध पीयो, इसमें बहुत ताकत होती है।”

मनीष बोला, “हाँ जी मम्मी, आज आपको इसी दूध की ताकत दिखानी है।”

आज मेरे दोनों बेटे कमाल कर रहे थे। मेरे पति ने भी कभी इतने प्यार और जोश से मेरी चूत नहीं चाटी थी। दोनों मुझे पागलों की तरह चूस रहे थे, उनकी जीभें मेरे जिस्म पर हर जगह घूम रही थीं। मैं जन्नत में पहुँच चुकी थी, मेरा जिस्म काँप रहा था। मेरी चूत अब लंड के लिए तड़प रही थी। मैं अपनी गांड उठा-उठाकर अपनी चूत चटवा रही थी, और उन्हें चुदने का इशारा कर रही थी। “आह्ह… अब चोदो ना… मेरी चूत को लंड चाहिए… तुम्हारे मोटे लंड… उम्म…” मैं बोल रही थी। मेरे सामने दो जवान लंड थे, और मेरी चूत पूरी तरह गीली थी।

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मनीष ने पूछा, “मम्मी, आपकी चूत चिपचिपी क्यों हो रही है?”

मैंने हँसते हुए कहा, “मेरे बेटे, वो चिपचिपी नहीं, तुम्हारे लंड को देखकर उसका मुँह में पानी आ रहा है। अब वो तुम्हारे लंड लेने के लिए पागल हो रही है। अब इसे चोदो बस।”

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राघव बोला, “नहीं मम्मी, अभी मुझे आपकी चूत और चाटनी है। इसमें बहुत मजा आता है।” इतने में मनीष ने अपनी जीभ फिर से मेरी चूत में डाल दी। “आह्ह… उफ्फ…” मेरे मुँह से मस्ती भरी सिसकारियाँ निकलने लगीं। मैं बोली, “आह्ह… तुम दोनों बहुत बदमाश हो… तुम दोनों अपने पापा पर गए हो।”

दोनों एक साथ बोले, “वो कैसे मम्मी?”

मैंने कहा, “वो भी बस मुझे अपना लंड चुसवाते हैं और मेरी चूत को खूब चाटते हैं। और इस चक्कर में मुझे और मेरी चूत को बहुत तड़पाते हैं। बच्चों, प्लीज अब तुम मुझे चोद दो। और नहीं तड़पा जाता। चूत चाटने की बात, मैं तो हमेशा घर पर ही हूँ। जब चाहे जितनी मर्जी मेरी चूत चाट और चूस सकते हो। लेकिन अब मुझे चोद दो बस।”

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दोनों एक साथ बोले, “चलो मम्मी, जैसा आप कहो।”

ये कहते ही वो दोनों खड़े हो गए। मैं उनके लंड देख रही थी, जो मेरी चूत को घूर रहे थे। मैंने उनके लंड हाथ में लिए और बोली, “ये तो तुम्हारे पापा से भी ज्यादा बड़े और मोटे हैं। आज तो मजा ही आ जाएगा।” मैंने उनके लंडों को सहलाया, उनके टोपों पर उंगली फेरी, और वे और सख्त हो गए।

मनीष बोला, “चलो मम्मी, अब आप घोड़ी बन जाओ। राघव आपकी चूत मारेगा, और मैं पीछे से आपकी गांड मारूँगा।”

मैंने डरते हुए कहा, “नहीं-नहीं बेटा, ऐसे नहीं। ऐसे तो तुम दोनों मेरी जान निकाल दोगे।” मेरी गांड पहले कभी नहीं चुदाई थी, और उनके मोटे लंड सोचकर मैं काँप गई।

मनीष बोला, “मम्मी, मुझे सब पता है। अब आप टाइम वेस्ट ना करो प्लीज।”

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मैंने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराकर बोली, “ये सब तुम्हें कैसे पता?”

मनीष ने कहा, “मम्मी प्लीज, ये सब बातें बाद में। अभी मेरा मूड बना हुआ है, उसे खराब मत करो। प्लीज घोड़ी बन जाओ।”

मैं चुपचाप घोड़ी बन गई, अपनी गांड ऊपर उठाकर। राघव ने अपनी कमर के नीचे दो तकिए रखे और उस पर लेट गया। उसका लंड सीधा खड़ा था, 9 इंच लंबा और 4 इंच मोटा, जैसे कोई लोहे का रॉड। मैं अपनी चूत उसके लंड पर सेट करने वाली थी कि उसने मुझे रोक दिया और अपने लंड पर तेल लगाने लगा। मैंने कहा, “ये क्या कर रहे हो? तेल की कोई जरूरत नहीं।” मेरी चूत पहले से ही गीली थी।

राघव बोला, “नहीं मम्मी, आपको कुछ नहीं पता। मैं और भाई एक साथ आपकी चूत और गांड मारेंगे, इसलिए ये सब करना पड़ेगा।”

मनीष ने भी अपने लंड पर तेल लगा लिया और उसका लंड मेरी गांड के छेद पर सेट कर लिया। उसका गर्म टोपा मेरी गांड को छू रहा था, और मैं काँप रही थी। राघव ने कहा, “भाई, मेरे तीन गिनने पर एक साथ मम्मी की चूत और गांड में हमारे लंड होने चाहिए।”

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मनीष बोला, “ओके।”

जैसे ही राघव ने गिनती शुरू की, “एक… दो…” मैंने अपनी साँस रोक ली। जैसे ही उसने “तीन” कहा, मेरी चूत में राघव का लंड घुसा, और गांड में मनीष का। “आह्ह… उई… माँ… फट गई…” मेरे मुँह से जोरदार चीख निकली। चूत में तो दर्द कम था, क्योंकि वो गीली थी, लेकिन गांड में इतना दर्द हुआ कि मेरी आँखों में आँसू आ गए। उनके मोटे लंड मेरी चूत और गांड को फैला रहे थे, जैसे कोई हथौड़ा मार रहा हो।

राघव बोला, “मनीष, देख मैं तेरी माँ की चूत मार रहा हूँ।” वह धीरे-धीरे धक्के मार रहा था।

मनीष बोला, “तू भी देख, मैं तेरी माँ की गांड मार रहा हूँ।” उसका लंड मेरी गांड में अंदर-बाहर हो रहा था।

उनकी ये अजीब बातें सुनकर मैं हैरान थी। मैं बोली, “ये तुम दोनों क्या बातें कर रहे हो?” मेरी आवाज काँप रही थी।

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मनीष ने कहा, “मम्मी, आप अभी सिर्फ मजा लो। ये सारी बातें हम आपको बाद में बता देंगे।”

अब दोनों अपने-अपने लंड मेरी चूत और गांड में बारी-बारी से अंदर-बाहर कर रहे थे। “थप… थप… थप…” उनकी चुदाई की आवाज कमरे में गूँज रही थी। शुरू में दर्द था, लेकिन धीरे-धीरे मजा आने लगा। राघव का लंड मेरी चूत की गहराई छू रहा था, और मनीष का मेरी गांड को फैला रहा था। “आह्ह… उफ्फ… मेरे बेटों… और जोर से… चोदो अपनी माँ को…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। वे दोनों मेरे बूब्स भी दबा रहे थे, और मैं अपनी गांड हिला-हिलाकर उनके धक्कों का जवाब दे रही थी।

कमरे में मेरी सिसकारियाँ गूँज रही थीं, “आह्ह… उई… स्स्स… उफ्फ… तुम्हारे लंड कितने मोटे हैं… मेरी चूत फट रही है… उम्म… और गहराई में डालो…” मैं मस्ती में चूर थी। “आह्ह… मेरे बच्चों… ऐसे ही चोदो… तुम दोनों अपने पापा से भी अच्छा चोदते हो… आह्ह… और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत और गांड को…” मैं मस्ती में बोल रही थी। वे दोनों अब स्पीड बढ़ा रहे थे, उनके धक्के जोरदार हो गए थे। राघव मेरी चूत में अपना लंड पूरा डालकर घुमा रहा था, और मनीष मेरी गांड को थप्पड़ मारते हुए चोद रहा था। “पच… पच…” मेरी चूत से पानी की आवाज आ रही थी।

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करीब 25-30 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद पहले राघव ने 5-7 जोरदार धक्कों के साथ अपनी चूत में अपना पानी छोड़ दिया। “आह्ह… मम्मी… लो… मेरी चूत भर दो…” उसका गर्म पानी मेरी चूत को भर रहा था, और मैं ऑर्गेज्म पर पहुँच गई, मेरा जिस्म काँप रहा था। दो मिनट बाद मनीष ने भी अपनी गांड में अपना सारा पानी छोड़ दिया। “उफ्फ… मम्मी… ये लो… मेरी गांड में भर दो…” उसका गर्म माल मेरी गांड में बह रहा था। हम तीनों एक-दूसरे के ऊपर लेट गए, पसीने से तर-बतर, साँसें तेज चल रही थीं।

15-20 मिनट आराम करने के बाद दोनों बोले, “हाँ जी मम्मी, अब बताओ, पापा से ज्यादा मजा आया या कम?”

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मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ मेरे बच्चों, तुम दोनों ने मुझे अपने पापा से भी कहीं ज्यादा मजा दिया है। अब बताओ, आखिर बात क्या है?”

मनीष ने कहा, “मम्मी, बात ये है कि आप सोचती हैं कि आपने हमें आपकी चूत मारने के लिए तैयार किया है। लेकिन सच ये है कि हमने आपकी चूत मारने के लिए आपको तैयार किया है।”

मैं उसकी बात सुनकर हैरान रह गई और बोली, “क्या? कैसे?”

मनीष ने बताया, “मम्मी, बात ये है कि 4 महीने पहले जब पापा आए थे, मैं एक रात पानी पीने उठा। आपके कमरे से कुछ आवाजें आ रही थीं। मैंने देखा तो पापा आपकी चूत चाट रहे थे, और आप उनका लंड चूस रही थीं। पापा ने आपसे कहा था कि ये आपका फेवरेट स्टाइल है। फिर आप घोड़ी बनकर पापा से चुद रही थीं। अगले दिन मैंने ये सब राघव को बताया। फिर 3 दिन तक हम दोनों रोज आपको ऐसा करते देखते रहे। उस वक्त हमारे मन में आपको चोदने का कोई ख्याल नहीं था। लेकिन जब हमने इंटरनेट पर ऐसी कहानियाँ पढ़ीं, तो हमारे मन में आपको चोदने का विचार आने लगा।

फिर कुछ दिन बाद पापा फिर आए और रात को आपको चोदने लगे, लेकिन तभी उनका फोन आ गया और वो आपको तड़पता छोड़कर चले गए। एक दिन आप स्टडी रूम में अपनी आईडी लॉगआउट करना भूल गईं। मैं और राघव ने आपकी सारी चैट पढ़ ली। हमें पता था कि आप चुदना चाहती हैं। हमने जान-बूझकर आपके सामने स्टडी रूम में ब्लू फिल्म लगाकर अपने लंड दिखाए, ताकि आपकी चूत में खुजली हो। और जब रमेश ने अब्दुल बनकर आपसे बात की, तो उसे पता चल गया कि आप चुदना चाहती हैं। उसने आपको उस साइट का लिंक दिया, जिसमें हर तरह की सेक्स कहानियाँ थीं। उन्हें पढ़कर आप और गर्म हो गईं, और आज आप हमारे सामने नंगी चुद रही हैं।”

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उनकी बात सुनकर मैं हैरान थी, लेकिन मुझे इस बात की खुशी भी थी कि मेरे दोनों बेटों ने मुझे पाने और मेरी प्यास बुझाने के लिए इतना कुछ किया। मैंने उन्हें अपनी बाहों में भर लिया और कहा, “मेरे बच्चों, अब तुम सिर्फ 2-3 दिन ही अपनी माँ से दूर रहोगे। वरना जब तुम्हारे पापा नहीं होंगे, तुम मेरे साथ ही सोओगे।”

राघव बोला, “ठीक है मम्मी, ये तो बहुत अच्छी बात है। चलो, अब एक बार और दे दो। अब मैं आपकी गांड मारूँगा, और भाई आपकी चूत मारेगा।”

मैंने मस्ती में कहा, “आ जाओ मेरे प्यारे बच्चों, चोद अपनी माँ को। उसकी चूत और गांड का भोसड़ा बना दो।”

मुझे अपना फीडबैक देने के लिए कृपया कहानी को ‘लाइक’ जरूर करें, ताकि कहानियों का ये दौर आपके लिए यूं ही चलता रहे।

आज हालत ये है कि जब तक मेरे दोनों बेटे मुझे दो-दो बार चोद न लें, उन्हें नींद नहीं आती। अब तो मेरे पीरियड्स के 3 दिन ही मैं उनसे बच पाती हूँ। लेकिन उन दिनों में भी मेरे बच्चे अपना लंड मुझे चुसवाकर दो-दो बार अपना पानी पिलाकर सोते हैं। मुझे ये सब बहुत अच्छा लगता है, और अब मुझे अपने पति का इंतजार नहीं करना पड़ता।

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