Samuhik chudai ki kahani यह कहानी भाई-बहन के ग्रुप सेक्स की है, जिसमें बहुत सारे लोग शामिल हैं। मैं कहानी के साथ-साथ सबका परिचय देता रहूँगा। सबसे पहले अपनी बड़ी बहन का परिचय दे दूँ। दोस्तों, मेरी दीदी का नाम स्वीटी है। वो मुंबई के एक कॉलेज में पढ़ाई कर रही है। मेरे पापा और मम्मी हमारी कंपनी संभालते हैं, इसलिए वो ज्यादातर बाहर ही रहते हैं। घर पर बस मैं और मेरी बहन ही रहते हैं। मेरी बहन बहुत सुंदर है, उसका फिगर एकदम कमाल का है—३६-२८-३८। भगवान ने मेरी दीदी को हर चीज परफेक्ट दी है: उसके बूब्स, कमर, गांड, जांघें, चेहरा, बाल, हाइट, आवाज—सब कुछ टॉप क्लास। उसका जिस्म ऐसा है कि देखने वाला इंसान क्या, जानवर तक का लंड खड़ा हो जाए। बस एक कमी है—उसका नखरा बहुत ज्यादा है। इसी वजह से दीदी का कोई बॉयफ्रेंड नहीं है, और ज्यादा दोस्त भी नहीं।
इस कहानी का एक और किरदार है, जो मेरी ही बिल्डिंग में रहता है। उससे मेरी अच्छी दोस्ती हो गई। नाम है राज। वो २२ साल का है, मैं २० का, और हम दोनों कॉलेज स्टूडेंट्स हैं। एक बार मैं और राज बाहर खड़े थे, तभी एक हॉट और सेक्सी लड़की आई। मैंने राज से कहा, “यार, देख क्या मस्त आइटम जा रही है!” राज ने देखा और मुंह फेर लिया। लेकिन मैं तो उसे घूरता रहा, बोला, “यार, इसके क्या मस्त फिगर है? बूब्स, गांड—सब कमाल! इसके साथ सेक्स करने में कितना मजा आएगा!” तभी वो हमारी बिल्डिंग में घुस गई। मैं खुश हो गया, राज से पूछा, “यार, क्या ये हमारी बिल्डिंग में रहती है?” वो चुप रहा। थोड़ी देर बाद बोला, “चल, कहीं घूमकर आते हैं।” हम घूमने चले गए।
अगले दिन रविवार था। राज ने मुझे अपने घर बुलाया। मैं गया, दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खुला तो वही सेक्सी लड़की सामने खड़ी थी। मैं चकित हो गया, उसे घूरता रहा। फिर बोला, “मुझे राज से मिलना है।” उसने कहा, “अंदर आ जाओ, राज रूम में है। मैं बुलाती हूं, या तुम खुद चले जाओ।” मैंने थैंक्स बोला और राज के रूम में गया। अंदर जाते ही पूछा, “ये यहां कैसे?” राज बोला, “ये मेरी दीदी है।” मैं डर गया, बोला, “यार, माफ कर दे। कल जो मैंने कहा, उसके लिए सॉरी।” राज के चेहरे पर स्माइल आई, बोला, “नहीं यार, माफी क्यों मांग रहा है? मेरी दीदी है ही इतनी सेक्सी कि कोई भी ऐसा बोलेगा।” पहले तो मैं समझा नहीं, फिर समझ गया कि ये भी अपनी बहन से वैसा ही प्यार करता है जैसा मैं। मैंने कहा, “हां यार, तेरी बहन जबरदस्त माल है। जिसके साथ एक बार सो जाए, उसकी किस्मत बदल जाएगी।” राज बोला, “हां, और तेरी बहन कोई कम नहीं। वो तो सबकी पहली पसंद है। मैंने यहां के लड़कों को तेरी बहन के बारे में बातें करते सुना है।” मैंने पूछा, “क्या सुना?” वो बोला, “यही कि तेरी बहन मस्त माल है। उसके सामने सारी हीरोइनें फेल। जब बात करते हैं, तो अपना लंड रगड़ते हैं।”
उसकी बातें सुनकर मुझे अजीब लगा, लेकिन बुरा नहीं। बल्कि खुशी हो रही थी। मैं बोला, “हां यार, मेरी दीदी बहुत सेक्सी और सुंदर है।” हम दोनों एक-दूसरे की बहनों के बारे में बातें करते रहे। लंड खड़े हो गए, मजा आ रहा था। ऐसे ही मेरे ६ और दोस्त बन गए, जो अपनी सेक्सी बहनों को चोदना चाहते थे। हम मिलते, एक-दूसरे की बहनों के नाम की मुठ मारते, उनके बारे में पूछते। मजा आता था। फिर हम और खुल गए। बहनों की ब्रा-पैंटी लाकर रगड़ते, पहनते, गंदे शब्द बोलते। ऐसा एक महीना चला। फिर एक दोस्त बोला, “काश सोचने की जगह सच में हमारी बहनें हमसे चुदवातीं।” मैं बोला, “दोस्तों, अपनी बहनों को पटा नहीं सकते, घरवालों का डर है। लेकिन एक-दूसरे की बहनों को पटा सकते हैं। सोचो, बाहर किसी से चुदवाएंगी तो बेहतर हमारे दोस्त से चुदवाएं। हमें पता रहेगा।”
सबको विचार पसंद आया। हम राजी हो गए। मैंने राज की बहन चुनी, राहुल ने मेरी दीदी। ऐसे सबने चुन लिया। मैंने राहुल से कहा, “अभी मेरे घर चल, दीदी से मिलवा दूं।” हम गए। दीदी ने हैलो बोला, हाथ मिलाया, थोड़ी बात की। फिर बोली, “सॉरी, मुझे जाना है।” दीदी के भाव बहुत हैं, सुंदर जो है। मैंने राहुल से कहा, “यार, मेरी दीदी का जिस्म चाहिए तो मेहनत करनी पड़ेगी।” तभी राज का कॉल आया, बोला, “घर आ, दीदी से मिलवा दूं।” मैं गया, बात की, घर आ गया।
फिर राज बोला, “मेरी दीदी सुबह ८ बजे कॉलेज जाती है। बाइक पर छोड़ दे।” मेरा लंड टाइट हो गया। मैं बोला, “ठीक है।” राहुल को बोला, “मेरी बहन ९ बजे जाती है, लिफ्ट दे दे।” अगले दिन मैं ७:३० पर तैयार। वो ८ बजे आई। मैंने हाय बोला, बैठने को कहा। पहले मना किया, फिर मान गई। रोज लिफ्ट देने लगा। हम अच्छे दोस्त हो गए। एक हफ्ते में खुलकर बातें। फिर फिल्म का बोला, मान गई। कॉलेज बंक कर गई।
फिल्म में आखिरी सीट। रोमांटिक सीन पर कंधे पर हाथ रखा। उसने देखा, सेक्सी स्माइल दी। हिम्मत बढ़ी। कंधा सहलाया, गर्दन, फिर बूब्स। वो कसमसाई, लेकिन चुप रही। मैं बूब्स दबाने लगा। हम स्मूच करने लगे। फिल्म छोड़ बाहर आए। घर ले जाकर चोदा। ऐसे हम सब एक-दूसरे की बहनों को चोदने लगे। भाइयों को बताते, मजा आता। लेकिन मेरी बहन को कोई नहीं पटा पा रहा था। दुख था।
हमने प्लान बनाया। एक दोस्त के मम्मी-पापा बाहर गए। बोला, “बहन अकेली है।” मैं बोला, “टेंशन मत ले, वो खुद कॉल करेगी।” ऐसा हुआ। मैं गया, चिपक गए। नंगे किए। दोस्त को मैसेज किया। वो चाबी से अंदर आया, छुपकर देखा। मैंने देखा, स्माइल दी। उसकी बहन को चिपका लिया।
उसने मेरा लंड चूसा। मैंने लिटाया, चूत चाटी। इशारा किया। वो आया, गुस्से से चिल्लाया, “ये क्या हो रहा है?” बहन डर गई। मैं नाटक किया, सॉरी बोला। वो धमकी देने लगा। मैं नंगा सॉरी बोलता रहा। बहन मेरे पीछे छुपी। दोस्त बोला, “मम्मी-पापा को बताऊंगा।” मैं बोला, “फायदा नहीं। ठंडे दिमाग से सोच। चुप रहो, फायदा होगा।” वो बोला, “कैसे?” मैं बोला, “हमारे साथ मजा ले। ये जरूरत है।” वो बोला, “नहीं, ये मेरी बहन है।” मैं बोला, “हां, लेकिन लड़की भी। हम नहीं करेंगे तो कोई बाहर वाला करेगा। बेहतर हम करें।” उसका हाथ पकड़ बहन के बूब्स पर रखा। बहन समझ नहीं पा रही थी। मना किया तो भाई बताएगा। मेरी तरफ देखी। मैंने आंख मारी, “चलने दो।” वो शर्म से सर झुका ली। भाई बूब्स से खेलने लगा। कपड़े उतारे, लंड पकड़ाया, “आज से दो लंड की मालकिन।” बहन हिलाने लगी। मैंने अपना लंड दिया, “शरमाने से क्या फायदा? खुल जाओ।” हमने मजा लिया। बहन खुल गई। ऐसे सब अपनी बहनों को चोदने लगे, सिवाय मेरे।
फिर निर्णय लिया: सब मिलकर एक-दूसरे की बहनों से ग्रुप सेक्स। समस्या: बहनों को तैयार कैसे करें? दोस्त के बर्थडे का बहाना, गोवा जाने का। सब बहनें मान गईं, मेरी दीदी ने मना किया। गोवा में मेरा फार्महाउस है। बहनों को फ्लाइट से भेजा, हम कार से। आखिरी वक्त दीदी मान गई। कार में आगे बैठी, दोस्त पीछे। थोड़ी दूर जाकर मैं पीछे गया। दीदी से बोला, “नींद आ रही हो तो पीछे आ जाओ।” मान गई। बीच में बैठी। मैं एक तरफ, दोस्त दूसरी। चार लोग तीन की जगह, चिपके। दीदी सर मेरे कंधे पर रख सो गई।
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मेरा हाथ ऐसे कि बूब्स हथेली में। धीरे सहलाया। दोस्त देख रहे, लंड टाइट। मेरा भी। रास्ते भर बूब्स से खेला, दीदी सोती रही। गोवा पहुंचे। फार्महाउस में लड़कियां बातें करने लगीं। हम प्लान बनाने लगे। दीदी नहाने गई। मैंने कहा, “सबको सच बता दो, ग्रुप सेक्स को मान लो।” सब माने। वो बैड फैमिली फक स्टोरी से व्याकुल हो गईं। दीदी को पता नहीं।
रात दीदी सोने के बाद ग्रुप सेक्स। सब अपनी बहनों के साथ रूम में। मैं-दीदी एक बेड। हिम्मत नहीं। दोस्त इशारा किया। मैं बाहर गया। बड़े रूम में सब लगे हुए। पहली बार देखा। रात भर मजा किया। देर रात कपड़े पहन दीदी के पास लेट गया। अगले दिन देर से उठे। खाना खाया, रात का इंतजार। रात हुई, खाना खाया, दीदी सोने का इंतजार। हम बेड पर। दोस्त बुलाने आया। मैं उठा, दीदी जाग गई, “कहां जा रहे हो?” “नींद नहीं आ रही।” “क्यों?” “पता नहीं।” दीदी उठी, छाती पर सर रखा, “बताओ समस्या क्या है?”
दीदी का बूब्स हाथ से दब रहा, दूसरा पेट से। मैं चुप। दीदी कसकर चिपकी, पैर लंड पर रखा। मजा आने लगा। दीदी बोली, “कल रात सब मालूम है, तुमने क्या किया।” मैं डर गया। लेकिन दीदी स्माइल दे रही। “बताओ, वरना प्लान खत्म कर दूंगी।” मैंने सब बता दिया। दीदी गरम हो गई, स्मूच करने लगी, चिपक गई। दोस्त दरवाजे से देख रहे। ५ मिनट स्मूच, मैं बूब्स दबाने लगा।
धीरे-धीरे दीदी को नंगा किया। दीदी लंड देख खुश, “हमेशा ऐसे लंड से चुदवाने सोची थी।” जोर से चिपकी, बूब्स छाती से दबे। लंड चूत पर रगड़ा। दीदी पागलों की तरह चूमने लगी। लगा एक-दूसरे में घुस जाएंगे। तभी दोस्त नंगे आ गए। दीदी शर्मा गई। मैं बोला, “शरमाने की जरूरत नहीं, ये दोस्त हैं। अपनी बहनों को चोदते हैं।” दीदी शर्मा रही। मैंने चिपका लिया, दोस्तों को बाहर भेजा, “बाहर जाओ, दीदी को लेकर आता हूं।”
दीदी को समझाया, “सबके साथ मजा आएगा। जबरदस्ती नहीं। एक बार ट्राई करो। नंगे सेक्स में मजा आएगा।” बहुत समझाने पर मान गई। गोद में उठाकर ले आया। वहां सब नंगे चिपके। दीदी के जिस्म को देख चोद रहे। दीदी शर्मा रही। मैं बोला, “एक-एक करके आओ, दीदी का परिचय करवाता हूं।” एक दोस्त आगे आया। हम सोफे पर। उसका लंड दीदी के मुंह के सामने।
दीदी शर्मा गई। परिचय करवाया। दीदी हैलो बोली। मैं बोला, “ऐसे नहीं, लंड पकड़कर किस करो।” दीदी शर्मा गई, “नहीं होगा।” “ट्राई करो।” हाथ पकड़ लंड पर रखा। दीदी पकड़ी, लेकिन किस मना। “ठीक, लेकिन सबका लंड पकड़ हैलो बोलो।”
दीदी मानी। एक-एक का परिचय। लंड पकड़ हैलो बोला। दोस्त बूब्स दबाकर हैलो बोला। फिर बहनों से परिचय। स्मूच किया, बूब्स दबाए। दीदी खुल गई, नहीं शर्मा रही। मैंने दीदी को स्मूच किया, बूब्स चूसने लगा। दीदी गरम, सर पकड़ बूब्स पर दबाने लगी। धीरे-धीरे जिस्म चाटा। पैरों के बीच आया। चूत सहलाई, सूंघी। क्या खुशबू! मन किया खा जाऊं। किस किया, चाटा। दीदी मचली, “उफ्फ्फ… आह्ह्ह्ह… एयेएहहहह… मेरी जान, मेरे प्यारे भाई… हां चूसो मेरी चूत को… आहहहह…” मैं गरम, जीभ छेद में घुसाई, गोल घुमाई। दीदी गांड उछाली, “आआआह्ह्ह… और जोर से… उफ्फ्फ…” सिसकारियां निकाली।
२० मिनट चूत चाटी। दीदी बाल पकड़ खींची, चिपक गई, स्मूच। मैंने लंड चूसने को कहा। दीदी सोची, फिर प्यार से पकड़ा, सहलाई। मुझे नीचे किया, किस करते लंड तक पहुंची। किस किया, चूसने लगी। २५ मिनट चूसी। मैंने ऊपर खींचा, स्मूच। लंड चूत पर रगड़ा। दीदी जोश में गांड उछाली। गरम होकर बोली, “प्लीज भैया, अब डाल दो मेरी चूत में… अपनी दीदी को इतना मत तड़पाओ… आग्रह करती हूं… लड़की से औरत बनना चाहती हूं… जिस्म की भूख ठंडी कर दो… तुम अच्छे हो…” मैंने लंड डाला। सुपाड़ा घुसा, दीदी चिल्लाई, “आआआह्ह्ह… दर्द हो रहा… उफ्फ्फ…” “दीदी, वर्जिन हो। शुरू में दर्द, फिर मजा।”
दीदी होंठ चूसने लगी। लंड और अंदर, चूसती गई। तीन झटके, आखिरी में पूरा घुसा। दीदी चिल्लाई, “आआआआह्ह्ह… मर गई… उफ्फ्फ… निकालो…” आवाज मुंह में दबी। मचली, नाखून से खरोंचने लगी। मैं बूब्स चूसा, दबाया। दर्द कम हुआ। दीदी गांड घुमाने लगी। मैं धीरे अंदर-बाहर किया। दीदी मजा लेने लगी, साथ दिया। “आह्ह्ह… और जोर से… हां भैया… चोदो अपनी दीदी को… उफ्फ्फ…” मैंने पोजिशन बदली: डॉगी, मिशनरी, राइडिंग। दीदी साथ दी, मजा लिया। “फट्ट… फट्ट… आह्ह्ह… हां… चूत फाड़ दो… लंड कितना मोटा… उफ्फ्फ…” आखिर वीर्य चूत में भरा। थककर लेट गया। दीदी बाल सहलाई। दोस्तों ने घेरा, बधाई दी, “आज औरत बन गई।”
दीदी खुश, संतुष्ट। खुद की बहन चोदने में सबसे मजा। कोई टेंशन नहीं, बस चुदाई का भूत। दीदी की सील तोड़ी। अहसास शब्दों में नहीं बता सकता। मोटा लंड प्यासी वर्जिन चूत में। कैसी लगी कहानी? कमेंट करके बताओ, क्या तुम भी ऐसी चुदाई की कल्पना करते हो?
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