बहकती बहू-14

कहानी का पिछला भाग: बहकती बहू-13

मदनलाल ऊपर टहलने लगा। उसका दिल धड़क रहा था। उसे यकीन था, काम्या हाँ बोलेगी। इतने दिन की नजदीकी के बाद ना की कोई गुंजाइश नहीं थी। फिर भी थोड़ा नर्वस था। आखिर फैसला काम्या का था। वो दबाव नहीं डाल सकता। परेशान होकर बुदबुदाया, “जब माल पी सकती है, तो गर्भ में भी लेगी। पीने में औरतें नखरे करती हैं, पर अक्सर कहती हैं, अंदर ही गिराना।” उसे मोहिनी याद आई। उसका पति भोला भी सुनील जैसा कमजोर था। मोहिनी शादी के बाद भी मदनलाल से चुदवाती थी, कहती, “जीजू, बीज अंदर गिराना, बच्चा चाहिए।” वो दावा करती, दोनों बच्चे मदनलाल के हैं, पर उसे भरोसा नहीं था। मोहिनी के कई संबंध थे—भोला के दोस्त, मोहल्ले के कॉलेज स्टूडेंट्स। मदनलाल सोचने लगा, भगवान सेक्सी औरतों को कमजोर मर्द क्यों देता है? ये सब पिछले जन्म का फल है। उसने पुण्य किया होगा, जो उसे मोहिनी और काम्या मिलीं।

काम्या बिस्तर पर थी। सोचने को कुछ नहीं था। वो तो कब से बाबूजी के सावन की प्रतीक्षा में थी। मदनलाल को तड़पाने के लिए सोचने का नाटक किया। जिस दिन बाथरूम से निकलते बाबूजी का हथियार देखा, उसी दिन दिल हार बैठी। लंड पाना उसका मिशन बन गया। रीमा और मधु कांड ने उसे पक्का कर दिया। मदनलाल के जाने के बाद उसने गाउन उतारा, चादर लपेटकर लेट गई। सुखद कल्पना में डूबी—बाबूजी की बंदूक से फायरिंग होगी, शायद पहली बार में माँ बन जाएगी। इतना बारूद, इतना बड़ा! जो होगा, लेना है, चाहे जान निकले। वो देख रही थी—टाँगें उठी हैं, बाबूजी बाजा बजा रहे हैं।

मदनलाल ऊपर कल्पना में खोया था। काम्या उसकी होने वाली थी। एक तीर से दो शिकार—काम्या की जवानी और बुढ़ापे में बाप बनने का मौका। बच्चा उसके जैसा होगा या काम्या जैसा? शेख चिल्ली जैसे सपनों में खोया, पंद्रह मिनट की बजाय आधा घंटा हो गया। मोबाइल की घंटी ने ध्यान भंग किया। काम्या का फोन था।

मदनलाल: हाँ, जान, बोलो।
काम्या: बाबूजी, ऊपर सो गए? आधा घंटा हो गया।
मदनलाल: सोच रहे थे, तुम तसल्ली से सोच लो।
काम्या: अच्छी तरह सोच लिया।
मदनलाल: तो फैसला क्या है?
काम्या: आप बताइए, हमने क्या फैसला किया होगा?
मदनलाल: हमें भरोसा है, तुम हमारी मानोगी।
काम्या: ऐसा भरोसा क्यों?
मदनलाल: हम तुमसे प्यार करते हैं, और जानते हैं, तुम भी हमसे प्यार करती हो। बोलो, क्या फैसला किया?
काम्या: जब आपको प्यार पर भरोसा है, तो पूछते क्यों हो?
मदनलाल: एक बार तुम्हारे मुँह से सुनना चाहते हैं।
काम्या: ये हमारा भी घर है। भलाई चाहेंगे। अगली पीढ़ी देना हमारा फर्ज है। आप जो चाहते हैं, वही होगा। हर फैसले में साथ हूँ।
मदनलाल: तुमने बोझ हटा दिया। शांति कह रही थी, बच्चा हो जाए, तो बहू आराम कर ले। तुमने उपकार किया।
काम्या: उपकार क्या? कर्तव्य है। कई औरतें बाहरवालों से बच्चा पैदा कर धोखा देती हैं। हम खुशकिस्मत हैं, ऐसा नहीं करना। सुनील और आप में अंतर नहीं। आपका बीज, वंश एक ही। डीएनए इस घर का। सही है ना?
मदनलाल: बिल्कुल सही। अब क्या करना?
काम्या: फोन पर तो नहीं होगा। नीचे आना पड़ेगा।
मदनलाल: नीचे भी आना है, ऊपर भी रहना है।
काम्या: ये क्या? कन्फ्यूज क्यों कर रहे हो?
मदनलाल: नीचे आना है, पर तुम्हारे ऊपर रहना है।
काम्या: धत, बदमाश! ऐसी बात करते हैं? जाओ, बात नहीं करते।

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मदनलाल खुशी-खुशी नीचे उतरा। काम्या का खुला चुदाई का निमंत्रण—“जो करना है, नीचे आना पड़ेगा”—उसके जज्बात भड़का गया। “हे भगवान, ये बहू बुढ़ापे में क्या हाल करेगी? जवान औरत की वासना शांत कर पाएँगे? ज्वालामुखी बन चुकी है। रात में एक-दो बार ठीक, पर चार-पाँच बार माँगे, तो भागना पड़ेगा!” काम्या क्लिट रगड़ रही थी। यकीन था, बाबूजी बेपर्दा देखकर चढ़ाई करेंगे। गीली हो गई। डर भी था—इतना बड़ा, कहीं प्रॉब्लम हो गई, तो माँजी को क्या बताएगी? फिर बोली, “डर के आगे जीत है।”

मदनलाल कमरे में आया। काम्या चुपचाप लेटी थी, छत देख रही थी। चेहरे पर डर था, जिसे मदनलाल ने गलत समझा।

मदनलाल: बहू, उदास क्यों? इच्छा नहीं, तो कोई मजबूरी नहीं।
काम्या: इच्छा की बात नहीं। कुछ सोच रहे थे।
मदनलाल: जानू, क्या सोच रही हो?
काम्या: जो होने वाला है, उसी के बारे में।
मदनलाल: लगता है, दिल से स्वीकार नहीं कर पा रही।
काम्या: इतने दिनों से जो चल रहा है, फिर भी ऐसा बोल रहे हैं? आपने जो बोला, कभी मना नहीं किया। सब कुछ देने को तैयार हूँ।
मदनलाल: तो हिचक क्यों? क्या सोचने पर मजबूर कर रहा है?
काम्या: सच है, आपको चाहने लगे। मधु, रीमा की तरह अकेलापन मुश्किल था। आप आए, दिल दे बैठे। आप भी तन्हा थे। सोचा, साथ से रस आएगा। कभी नहीं सोचा, पति के अलावा किसी और से माँ बनना पड़ेगा। इसलिए ध्यान भटक गया। पर निश्चिंत रहें, मैं आपकी हूँ। हर पल साथ दूँगी।
मदनलाल: सत्य कह रही हो। हमारा साथ रस लाएगा। रस ही जीवन, परमात्मा है। शास्त्र कहते हैं, “रसो वै स:”। पर तनाव संतान के लिए हानिकारक है। गर्भवती को प्रसन्न रहना चाहिए। तुम्हारा तनाव दूर करना हमारा कर्तव्य है।
काम्या: चिंता न करें, टेंशन नहीं। पर टेंशन दूर कैसे करेंगे?
मदनलाल: अभी बताते हैं। उठो। चादर एक झटके में खींच दी।

चादर हटी, तो मदनलाल की आँखें फटी रह गईं। काम्या की कमसिन काया बेपर्दा थी। मक्खन-सा गोरा, संगमरमर-सा चिकना बदन। न कपड़ा, न रेशा। अल्हड़ जवानी देख मदनलाल बौरा गया। लगा, अभी रेप कर बैठेगा। सुंदर चेहरा, मुलायम बदन, दो संतरे, लचकती कमर, मांसल जाँघें। बुदबुदाया, “कमर के नीचे कयामत!” काम्या की जवानी में खो गया। जोश का संचार हुआ। काम्या गर्व महसूस करने लगी। उसकी सुंदरता का दीवाना बन गया था मदनलाल।

काम्या: क्या हुआ, बाबूजी? कहाँ खो गए?

मदनलाल ने सुना नहीं। भावातीत ध्यान में था। जाँघों का ट्रायंगल, फूली बुर की झिर्री उसका पॉइंट ऑफ कॉन्सेंट्रेशन थी। काम्या को उसकी भूख कामोन्मादित कर रही थी। वो जान गई, आज बाबूजी नहीं छोड़ेंगे। मदनलाल झिर्री पर त्राटक कर रहा था। काम्या ने उसकी दुर्दशा का मजा लिया, फिर खाँसकर बोली,

काम्या: बाबूजी, कहाँ खो गए? हाथ हनी ट्रैप पर रखा।

मदनलाल की चेतना लौटी। अनुभवी ससुर था, नई चूत देखना नया नहीं था, पर काम्या की चूत हॉल ऑफ फेम थी। उसने संयम लिया, भावनात्मक अत्याचार के लिए तैयार हुआ।

मदनलाल: हाँ, तुम्हारी परेशानी दूर करना चाहते हैं। गर्भ में बच्चा हो, तो आशंकाएँ नहीं होनी चाहिए। पर तुम्हें हमारे पास आना होगा। लेटी रही, तो परेशानी बढ़ा देंगे। नज़र गोल्डन ट्रायंगल पर।

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काम्या अर्थ समझ शरमा गई। वो तो परेशानी के लिए पलक-पावड़े बिछाए थी। धीरे-धीरे उठी, पलंग के किनारे आई। नंगी होने की शर्म थी। नजरें झुकीं। मदनलाल ने खींचकर सीने से टकराया। चुचियाँ पिचक गईं।

काम्या: आउ! बाबूजी, क्या कर रहे हो? मर गई। इतना जोर से दबा दिया। सच में परेशानी बढ़ा रहे हो।
मदनलाल: तो अब कम कर देते हैं। होंठों पर होंठ रखे।

हाथ नितंबों पर। दोनों वासना में डूबे। मदनलाल नितंब चतुराई से सहला रहा था। काम्या ने हथियार थाम लिया, चलाने लगी। लिप लॉक के बाद बोली,

काम्या: बाबूजी, आप कुछ करने वाले थे।
मदनलाल: हाँ, बोलो, क्या करना है?
काम्या: आपने कहा था, आप ही करो।
मदनलाल: समझ नहीं आ रहा। आजकल तो एक ही चीज करते हैं।
काम्या: क्या चीज?
मदनलाल: तुम्हें प्यार करना। बोलो, करें?
काम्या: कुछ भी बोलते हैं। टेंशन दूर करने की बात थी।
मदनलाल: अच्छा। आँखें बंद करो। जब तक न बोलें, खोलना मत। तुम्हें हमारी कसम।

काम्या आँखें बंद कर खड़ी हो गई। नंगी, खजुराहो की मूर्ति-सी। मदनलाल ड्रेसिंग टेबल पर गया, दराज में मूँछ सेट करने वाली कैंची मिली। कैंची की नोक उंगली में घोंपी, खून टपका। विजयी मुस्कान। “उंगली कटाकर शहीद बनना।” खून की बूँदें काम्या की माँग में टपकाईं। काम्या को गर्माहट महसूस हुई, घबड़ाकर आँखें खोलीं।

काम्या: बाबूजी, ये क्या किया? खून कैसे?
मदनलाल: तुमने कहा, पति के अलावा किसी और से माँ बनने की सोची नहीं। हमने खून से माँग भरी। आज से तुम्हारी पत्नी स्वीकार करते हैं। बनोगी न हमारे बच्चे की माँ?

काम्या की आँखें भर आईं। घरघराती आवाज में बोली,

काम्या: बाबूजी, इतना प्यार करते हैं? सोचा नहीं, आप पत्नी का दर्जा देंगे।
मदनलाल: काम्या, तुम मेरी दिल की रानी हो। साँस-साँस में बसी हो। एक पल भी दूर नहीं रखना चाहता। गोद में लिए रहना चाहता हूँ।
काम्या: आज धन्य हो गई। दो प्यार करने वाले पति। आपके बच्चे की माँ बनकर सपना पूरा होगा।

काम्या पैर छूने झुकी, मदनलाल ने सीने से भींच लिया।

मदनलाल: तुम्हारी जगह दिल में है। प्यार आए, तो सीने से लग जाया करो। नितंब मर्दन शुरू।

काम्या की चुचियाँ सीने में दबीं। वो पीठ सहलाने लगी।

काम्या: हमेशा प्यार करते रहेंगे न?
मदनलाल: बाबूजी बोलना बंद करो। अकेले में कुछ और बोलो। अब मैं तुम्हारा हब्बी हूँ।
काम्या: तो क्या बोलें?
मदनलाल: जो मर्जी, बस बाबूजी नहीं।
काम्या: अब से जानू बोलेंगे। ओके?
मदनलाल: हम तुम्हें हनी बोलेंगे। हनी, आई लव यू।
काम्या: आई लव यू टू! हमेशा चिपके रहना चाहते हैं। कोई दूरी बर्दाश्त नहीं।
मदनलाल: हम भी यही चाहते हैं। पर एक प्रॉब्लम है। हाथ मूसल पर रखवाया। ये आठ इंच की दूरी बनाता है।
काम्या: इसका इलाज? मूसल स्ट्रोक करते हुए।
मदनलाल: तुम्हें करना पड़ेगा।
काम्या: बताइए, क्या इलाज?
मदनलाल: इसे अंदर लो, दूरी खत्म होगी।
काम्या: धत, चालाक! अपना काम मेरे माथे डाल रहे हो।
मदनलाल: प्रकृति का नियम है। जगह तो देनी होगी।
काम्या: जगह देने को तैयार हूँ, पर अंदर आपको करना पड़ेगा। ये गुंडा काबू में नहीं आएगा। देखो, कितना मोटा। मूसल निचोड़ा।

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मदनलाल की आह निकली। काम्या की हिचक खत्म हो चुकी थी।

काम्या: जानू, जो करना है, कर लो।
मदनलाल: क्या करें? मजाक में।
काम्या: आपको नहीं मालूम, पति पत्नी के साथ क्या करता है?
मदनलाल: बताओ, तुम्हारे साथ क्या करना है?
काम्या: आपको सब मालूम है। जानबूझकर बन रहे हो।
मदनलाल: मालूम है, पर तुम्हारे मुँह से सुनना है।
काम्या: हे राम, कितने बेशर्म! गंदी बात बोलने को मजबूर कर रहे हो।
मदनलाल: प्रेम सबसे सुंदर, पवित्र चीज है। बोलो।
काम्या: पत्नी बना लिया, तो सुहागरात नहीं मनाओगे? लजाते हुए।

मदनलाल ने कहा, “सुहागरात के लिए तड़प रहे हैं, पर एक फंतासी है। कल मनाएँगे।”

काम्या: ऐसी क्या फंतासी? मौका छोड़ रहे हो?
मदनलाल: तुम सज-धजकर, नई दुल्हन की तरह इंतजार करना। फिल्मों जैसा।
काम्या: ठीक है, जानू। कल सोलह शृंगार करके प्रतीक्षा करूँगी। खुश?
मदनलाल: बिल्कुल। दूध का गिलास मत भूलना।
काम्या: धत! दूध की क्या जरूरत? ये खतरनाक जान निकालेगा। मूसल मसला।
मदनलाल: दिखता खतरनाक है, पर प्यारा है। दूध शगुन है।

मदनलाल लूँगी पहनकर जाने लगा। काम्या ने हाथ पकड़ा।

काम्या: माँग भरने की पहली रात। खाली जाना अपशकुन होगा।
मदनलाल: अपशकुन रोकने के लिए क्या करें?
काम्या: काम तो कल करेंगे। खाली जाना अच्छा नहीं।
मदनलाल: तो लिप सर्विस कर दो। इसे तुम्हारे होंठ पसंद हैं।
काम्या: इस बदमाश को उल्टे-सीधे काम अच्छे लगते हैं।
मदनलाल: सीरप पी लो, कल एनर्जी देगा। तुम्हें भी जूस पसंद है न?
काम्या: छी, कोई जूस पसंद नहीं। आज आखिरी बार पी रहे हैं। सुहागरात के बाद, जब तक गर्भवती नहीं होती, माल अंदर चाहिए।
मदनलाल: जो आदेश, मालकिन।

काम्या ने मदनलाल को बिस्तर पर लिटाया। आज वो निष्क्रिय था। पहले सिर पकड़कर मुँह में डालना पड़ता था, पर आज काम्या पत्नी के रोल में थी। पूरी नंगी, बिना शर्म। बिल्ली की तरह मूसल पर टूटी। मुँह नीचे तक ले गई, होंठ वैक्यूम क्लीनर की तरह। अंडों का बुरा हाल कर दिया। मदनलाल की कमर कमान की तरह उठ रही थी। सिसकारियों से कमरा गूँजा। काम्या ने सिसफायर किया, हाथ से मसलने लगी। मदनलाल ने बात शुरू की, ताकि ध्यान भटके, देर तक टिके।

मदनलाल: जानू, ये पसंद है न?
काम्या: जी नहीं, डरावना लगता है।
मदनलाल: तो मधु, रीमा, पिंकी इसे मुँह में क्यों रखती हैं?
काम्या: उनकी वो जाने।
मदनलाल: तुम क्यों चूस रही हो?
काम्या: आपकी इच्छा पूरी कर रहे हैं। इस गुंडे से कौन बात करेगा? मूसल मसला।
मदनलाल: अच्छा लगता है?
काम्या: डिस्टर्ब मत करो। इसने तारीफ लायक काम नहीं किया। जब करेगा, तब पूछना। बस बड़ा दिखता है, नजर चली जाती है।

काम्या ने मूसल होंठों में लिया, तब तक नहीं छोड़ा, जब तक समर्पण नहीं हुआ।

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