बहकती बहू-11

Sasur Bahu Anal Sex – कहानी का पिछला भाग: – बहकती बहू-10

मधु के ससुर ने चार-पाँच फुहारें मारीं और हाँफते हुए अपनी प्यारी बहू पर पसर गए। मधु को उनका भारी शरीर फूल-सा हल्का लग रहा था। उनके बालों भरे सीने की गुदगुदी उसे उत्तेजित कर रही थी। तीन महीने बाद ऑर्गेज्म का सुख मिलने से मधु ने ससुर को बाँहों में जकड़ लिया, पैरों से उनकी कमर लपेट रखी थी। दोनों अपनी साँसें कंट्रोल कर रहे थे। मधु छत की ओर देखकर सोचने लगी कि जो हुआ, वो तो होना ही था, लेकिन जिस तरह हुआ, वैसा उसने नहीं सोचा था। उसने सोचा था कि पापा धीरे-धीरे, कई किश्तों में यहाँ तक पहुँचेंगे—पहले बहाने से टच करेंगे, फिर गाण्ड पर हाथ फेरेंगे, कभी मौके पर बूब्स दबाएँगे, और आखिर में रिक्वेस्ट करेंगे, “बहू, प्लीज़ कर लेने दो।” लेकिन पापा ने तो सीधे पटककर गेम कर दिया। मधु को समझ आया कि लड़का-लड़की को पटाने की कोशिश अलग है, लेकिन अगर लड़की लाइन दे, तो मर्द का डर खत्म हो जाता है। पापा ने एक बार भी नहीं पूछा और सीधे चढ़ बैठे। उसने एक और सबक सीखा—चाहे औरत डॉक्टर, इंजीनियर, कलेक्टर या नेता बन जाए, बिस्तर में उसे मर्द के नीचे टाँगें उठाकर ही आना पड़ता है। दोनों पंद्रह मिनट तक चिपके रहे। ससुर का लंड ढीला पड़ गया था, लेकिन उन्होंने बाहर नहीं निकाला।

पापा: बहू, तुम खुश तो हो ना?
मधु चुप रही, तो ससुर ने फिर पूछा।
पापा: बहू, खुश तो हो ना?
मधु: (बिना नज़र मिलाए) आप बहुत गंदे हो। कोई ऐसे जबरदस्ती करता है?
पापा: जबरदस्ती कहाँ की, बहू? कई दिनों से तुम्हारी आँखों में प्यास देख रहे थे। जिस तरह तुम एक्सपोज़ और सिड्यूस कर रही थी, हमारा बहकना तो तय था।
मधु: हम कम उम्र, नादान हैं, लेकिन आप सयाने हैं, आप क्यों बहके?
पापा: बहू, दो कारण हैं। पहला, तुम बहुत सुंदर हो, और तुमने जिस तरह अपने जिस्म का जलवा दिखाया, वो कयामत था। कोई छक्का भी तुम्हें देखकर कोशिश करता, फिर हम तो मर्द हैं। खासकर तुम्हारी चिकनी जाँघें हमारी जान निकाल देती हैं। सोच रहे हैं, इनकी सुंदरता बनाए रखने के लिए रोज़ जॉनसन बेबी ऑयल से मालिश करें।
मधु: (शरमाते हुए) हाँ-हाँ, बड़े चालाक हो। मालिश के बहाने क्या करेंगे? दूसरा कारण बताओ।
पापा: हमें डर था कि अगर हम रिस्पॉन्स नहीं देंगे, तो तुम बाहर कहीं बहक जाओगी। बाहर बहकती, तो घर की बदनामी का डर था।
मधु: आपने कैसे सोचा कि हम बाहर बहक सकते हैं? हमारे लिए घर की इज्ज़त सब कुछ है।
पापा: बहू, तुम पर शक नहीं, लेकिन ये उम्र खतरनाक होती है। इस उम्र में सिर्फ एक चीज़ दिखती है। वैसे, एक सवाल—कॉलोनी में इतने हैंडसम लड़के हैं, फिर तुमने हमें क्यों चुना?
मधु: पहला कारण आपका ही—घर की इज्ज़त। दूसरा, जब हमारी डोली इस घर में आई, तबसे माना कि हमारा तन-मन-धन इस घर का है। घर की दौलत बाहर क्यों लुटाएँ? और आप तन्हा जिंदगी काट रहे थे। पापा, हमने कुछ गलत तो नहीं किया?
पापा: नहीं, बहू। तुमने इज्ज़त बचाई और सबको खुशियाँ दीं। आज हम दुनिया के सबसे किस्मतवाले हैं। दिल करता है, सारी जिंदगी तुम्हारे ऊपर पड़े रहें।
मधु: धत! कोई और काम नहीं? घर का काम कौन करेगा?
पापा: अच्छा, बताओ, तुम खुश तो हो ना?
मधु: (शरमाते हुए) हमें नहीं मालूम। बस इतना जानते हैं कि आपके प्यार ने उनकी कमी पूरी कर दी।
पापा: और जब मोहन आएगा, तब हमारा क्या होगा?
मधु: आप चिंता मत करो। हम आपको हमेशा खुशियाँ देंगे। चाँदनी रात उनके लिए, सुनहरी धूप आपके लिए। हमें दोनों का प्यार चाहिए, ढेर सारा। बोलिए, देंगे ना?
पापा: बहू, इतना प्यार देंगे कि दो साल तक मोहन की याद नहीं आएगी। और जब वो आएगा, तो बाप-बेटे मिलकर तुम्हें प्यार के समंदर में डुबो देंगे। तुम्हारी किस्मत में दोनों का प्यार लिखा है। बोलो, लोगी ना?
मधु: छिः! बेशरम, गंदी-गंदी बात करते हो।

मधु: बस, काम्या, ये थी हमारी पापा के साथ पहली सुहागरात, जो दिन-दहाड़े मनाई गई।
काम्या: और फिर कब हुआ?
मधु: उसके बाद क्या? उस दिन से हम एक बेड शेयर करते हैं। पापा मेरे कमरे में सोते हैं। कभी उनका मन करता है, तो मुझे नंगी गोद में उठाकर अपने रूम में ले जाते हैं और निपटा देते हैं। कहते हैं, इस कमरे में प्यार करने से तुम्हारी सास खुश होगी कि बहू मेरे पति की सेवा कर रही है।
काम्या: मधु, तू गज़ब की चतुर नार निकली।
मधु: क्या करूँ, यार? भूख लगती है, तो दिमाग तेज़ चलता है।
काम्या: हाँ, तेरे ससुर तो और तेज़ निकले। सिरदर्द के साथ बदन का दर्द भी ठीक कर लिया।
मधु: उनकी बात छोड़। वो कुछ ज़्यादा ही एक्सपेरिमेंटल हैं।
काम्या: एक्सपेरिमेंटल मतलब?
मधु: मतलब, बेडरूम, हॉल, किचन, बाथरूम, आँगन—कोई जगह नहीं जहाँ उन्होंने मेरा बाजा नहीं बजाया। अगाड़ी-पिछाड़ी सब बजा डाला।
काम्या: अगाड़ी-पिछाड़ी मतलब?
मधु: अरे, मर्दों को एक जगह से मन नहीं भरता। जब आगे से भर जाता है, तो पिछला दरवाज़ा खोल देते हैं। गाण्ड माँगने लगते हैं। मना करो, तो मुँह बनाते हैं। फिर देना पड़ता है, अपनी जान को नाराज़ तो नहीं कर सकते।
काम्या: हे भगवान! तू वहाँ भी डलवाती है? बहुत दर्द होता होगा ना?
मधु: अब नहीं होता। शुरू में हुआ था, जब मोहन ने बैक डोर एंट्री की थी।
काम्या: मतलब मोहन ने शुरू किया?
मधु: हाँ, यार। फर्स्ट नाइट गोवा में हुई थी। तीन दिन बाद वो पीछे डिमांड करने लगा। बहुत मना किया, तो नाराज़ हो गया। आखिर हाँ बोल दिया। उन्होंने वैसलीन निकाल ली, पूरी तैयारी थी। चौथी रात को मेरी पड़ोसन की धज्जियाँ उड़ गईं। रात में दो राउंड पीछे, एक राउंड आगे। तबसे गाड़ी दोनों गैरेज में खड़ी होती है। और पड़ोसन को मर्द लोग हमेशा कुतिया बनाकर पेलते हैं।
काम्या: वाह, मधु, तू तो सबसे आगे निकल गई। डबल मज़ा ले रही है।
मधु: तू जल क्यों रही है? तू ट्रिपल मज़ा ले। वैसे, एक बात भूल गई।
काम्या: कौन-सी बात? अब क्या बचा?
मधु: आजकल मैं पीने भी लगी हूँ।
काम्या: (सोचकर कि मधु वीर्य की बात कर रही है) कौन-सी नई बात? तू तो शादी से पहले भी पीती थी।
मधु: कमीनी, क्यों बदनाम कर रही है? मैंने कब पिया?
काम्या: तू ही तो बताती थी कि तेरा बॉयफ्रेंड तुझे चुसवाने के बाद पानी पिलाता था।
मधु: पगली, मैं वाइन की बात कर रही हूँ।
काम्या: क्या? तू शराब पीने लगी?
मधु: हाँ, पापा कभी-कभी पिलाते हैं। स्वाद में कड़वी होती है, लेकिन सुरूर चढ़ता है, तो चुदाई का मज़ा आ जाता है। लगता है, सारी जिंदगी टाँग फैलाकर चुदवाते रहो।

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दोनों सहेलियों की बात एक घंटे चली। फोन रखने पर काम्या ने देखा कि उसकी लेगिंग उतरी थी और दो उंगलियाँ चूत में थीं। पहली बार अनजाने में उसने उंगली डाली थी। मधु की कहानी सुनकर उसे लगा कि मधु के ससुर ने पहली छुअन में चोद डाला, जबकि बाबूजी इतना आगे बढ़कर भी सब्र करते हैं। अगर बाबूजी कभी प्यार के क्षणों में आगे बढ़े, तो उसे रोकने का न नैतिक साहस है, न इच्छाशक्ति। जिस दिन बाबूजी का सब्र टूटेगा, उसी दिन उसकी पैंटी भी उतरेगी।

शाम को तीनों चाय पी रहे थे। शांति ने संस्कार चैनल लगा रखा था। काम्या ने लो-वेस्ट साड़ी पहनी थी, लेकिन उसका मूड चैनल में नहीं था। उसने मदनलाल की ओर देखा। नज़रें मिलीं, तो वो शरमा गई। मधु की कहानी याद आई—कैसे ससुर ने जबरदस्ती चोद डाला, कैसे मधु ने बाप-बेटे दोनों का प्यार माँगा, कैसे ससुर ने पूरे घर में चोदा। अगाड़ी-पिछाड़ी की बात याद आते ही काम्या गर्म हो गई, जाँघें रगड़ने लगी। मधु का डायलॉग—“मर्द लोग पड़ोसन को कुतिया बनाकर चोदते हैं”—याद आने पर उसकी पैंटी गीली हो गई। उसने सोचा, “बाबूजी का इतना लंबा-मोटा लंड अगर पड़ोसन में गया, तो जान निकाल देंगे।” बाबूजी उसकी गाण्ड के दीवाने हैं। “हे भगवान, इतना बड़ा लंड पीछे लेना मेरे बस का नहीं।” मधु की बातों से उसका चेहरा लाल हो गया, मम्मे ऊपर-नीचे होने लगे।

मदनलाल बहू की हरकतें देख रहा था। उसे आश्चर्य हो रहा था। पहले काम्या ऐसी शरमाती थी, जब उनके बीच आँख-मिचौली चल रही थी, लेकिन अब तो संबंध बन चुके थे। आज बहू इतने मूड में क्यों थी? उसे लगा, शायद सुनील का फोन आया हो, लेकिन सुनील का फोन तो अक्सर आता है, फिर इतनी उत्तेजना क्यों? शांति के पड़ोस जाने पर मदनलाल बहू के पास सोफे पर गया। काम्या उठने लगी, लेकिन उसने उसे गोद में बिठा लिया। बाबूलाल काम्या की गाण्ड से टकराया। काम्या का शरीर काँप उठा।

मदनलाल: (पेट सहलाते हुए) क्या बात है, बहू? बहुत मुस्करा रही हो।
काम्या: कुछ नहीं, बाबूजी, बस ऐसे ही।
मदनलाल: नहीं, ज़रूर कोई बात है। हमसे छुपाओ मत।
काम्या: कोई बात नहीं। मधु का फोन आया था, उसकी बात याद आ रही थी।

मदनलाल चौंका। उसे याद था कि मधु शादी से पहले अपने बॉयफ्रेंड को ब्लो करती थी।

मदनलाल: मधु क्या कर रही थी, जो तुम इतना शरमा रही हो?
काम्या: उसके हसबैंड अमेरिका चले गए, दो साल के लिए।
मदनलाल: तो फिर क्या हुआ?
काम्या: (शरमाते हुए) वो बता रही थी कि… कुछ नहीं।
मदनलाल: नहीं, ज़रूर कुछ खास कहा, तभी तुम शरमा रही हो। तुम्हें हमारी कसम।
काम्या: बाबूजी, कसम क्यों देते हो?
मदनलाल: क्योंकि तुम जिससे प्यार करती हो, उससे छुपाती हो।
काम्या: वो कह रही थी कि मोहन के जाने के दो महीने बाद उसके ससुर से कॉन्टैक्ट हो गया।
मदनलाल: (जानबूझकर) कॉन्टैक्ट मतलब?

मदनलाल ने काम्या के मम्मों को पकड़ लिया। वो जानता था कि ये उसकी कमज़ोरी हैं। काम्या गर्म हो गई।

काम्या: जी, वो और उसके ससुर एक साथ सोते हैं, और उनके बीच वो वाले संबंध बन गए।
मदनलाल: कौन-से वाले?
काम्या: औरत-मर्द वाले, बिस्तर वाले।
मदनलाल: वाह, कितना लकी है उसका ससुर! लेकिन ये हुआ कैसे?

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काम्या ने मधु की कहानी संक्षेप में बताई। ज्यों-ज्यों वो बताती गई, मदनलाल का बाबूलाल तनने लगा, जिसे काम्या अपनी गाण्ड पर महसूस कर रही थी। मदनलाल ने साड़ी ऊपर उठाकर उसकी जाँघों और चूत से खेलना शुरू किया। काम्या के तन-बदन में आग लग गई। मदनलाल से बर्दाश्त नहीं हुआ। उसने काम्या को सोफे पर बिठाया, लुंगी से कोबरा निकाला और उसके होंठों के सामने लहराया।

मदनलाल: लो, इसको शांत करो।
काम्या: बाबूजी, अभी यहाँ? ये कोई समय है?
मदनलाल: तुमने ऐसी खबर सुनाकर इसको परेशान किया, अब तुम ही ठंडा करो।

मदनलाल ने काम्या का सिर खींचा। लंड होंठों से टकराया। मर्दाना गंध ने काम्या को मदहोश कर दिया। उसने सुपाड़ा मुँह में लिया और चूसने लगी। मदनलाल सिसकारियाँ ले रहा था, जो काम्या के लिए इनाम थी। वो और ज़ोर से चूसने लगी। दो मिनट में मदनलाल उबाल मारने लगा। उसने काम्या के हलक में ढेर सारा रस उड़ेल दिया, जिसे काम्या ने चाव से पी लिया।

काम्या किचन में गई, पानी पिया और काम में लग गई। मदनलाल सोफे पर सोचने लगा कि काम्या ने मधु की बात क्यों बताई? कहीं वो इनडायरेक्टली कह रही थी कि तुम भी वो सब कर सकते हो? वो किचन में गया। काम्या झुकी थी, उसके तरबूजे उभर रहे थे। लेकिन मदनलाल का कोबरा अभी हरकत करने की हालत में नहीं था। उसने काम्या को पीछे से पकड़ा और मम्मों को मसलने लगा।

काम्या: (इठलाते हुए) छोड़िए, बाबूजी। इतनी देर दबाए, मन नहीं भरा? दर्द दे रहा है।
मदनलाल: बहू, इनसे कभी मन नहीं भरता। ये हमारे जीने का कारण हैं। (गाण्ड सहलाते हुए) और दूसरा कारण ये।
काम्या: अभी तो आपका काम कर दिया, फिर यहाँ क्यों परेशान करने आए?
मदनलाल: बात करने आए थे। मधु ने ठीक किया। शादी से पहले वो किसी से लगी थी, अगर अब बाहर बहकती, तो बदनामी होती। अच्छा हुआ, उसने ससुर को सिड्यूस किया।
काम्या: बाबूजी, उसने सिड्यूस नहीं किया। उसके ससुर ने जबरदस्ती की। मधु की खूबसूरती और फिगर देखकर वो कंट्रोल नहीं कर पाए।
मदनलाल: कोई अपनी बहू से जबरदस्ती नहीं कर सकता, जब तक मौन सहमति न हो। मधु से हज़ार गुना सेक्सी तुम हो, क्या हमने तुमसे जबरदस्ती की?
काम्या: क्यों, करने का इरादा है? आपसे तो बचकर रहना पड़ेगा, कहीं बदमाशी न कर दें।
मदनलाल: यही प्रॉब्लम है, बहू। बदमाशी आती नहीं, शराफत जाती नहीं। हम तभी पा सकते हैं, जब तुम मधु की तरह कहो कि हमें तुम्हारा ढेर सारा प्यार चाहिए। बोलो, लोगी ना?

मदनलाल ने साड़ी कमर तक उठाई और नितंब मसलने लगा। काम्या के बदन में आग भड़कने लगी। “बाबूजी कह रहे हैं कि मैं उनसे कहूँ, मुझे प्यार करो। क्या कोई औरत ऐसा बोल सकती है?”

मदनलाल: बोलो ना, बनोगी हमारी मधु? हम तुम्हें प्यार के समंदर में डुबाना चाहते हैं।
काम्या: मधु के पापा अकेले हैं। आप तो मम्मी को समंदर में डुबोइए।

मदनलाल ने हाथ पैंटी के अंदर सरकाया और चूतड़ से खेलने लगा। काम्या काम छोड़कर मज़ा लेने लगी। उसने बाबूजी का लंड पकड़ लिया, जो सोया था।

मदनलाल: बहू, अभी थका है। रात में खेल लेना।
काम्या: हम इस बच्चू की थकावट दूर कर देते हैं।

काम्या ने लंड निकाला और मुँह में लिया। वो जीभ से चुभलाने लगी। दोनों सेक्स में खोने लगे, तभी गेट खुलने की आवाज़ आई। दोनों अलग हो गए।

शांति के आने से पहले मदनलाल छत पर चला गया। वो आज की घटनाओं पर विचार करने लगा। बहू की हरकतों से साफ था कि अगर वो बिना पूछे चोद दे, तो कोई परेशानी नहीं। काम्या जबरदस्ती को बदमाशी कह रही थी। इसका मतलब, अगर वो चढ़ जाए, तो वो इसे शरारत समझकर मज़ा लेगी। मधु की कहानी सुनाकर काम्या ने अपनी इच्छा ज़ाहिर की थी। किचन में उसने खुद लंड पकड़ा और चूसा। इसका मतलब, वो लंड के लिए पागल हो रही थी। सुनील के पिद्दी लंड से खेलने वाली काम्या अब अफगानी लंड की दीवानी थी। मदनलाल ने ठान लिया कि पहली चुदाई तभी होगी, जब काम्या कहेगी, “बाबूजी, मुझे चोदो, आपका मूसल अंदर चाहिए।” उसे इंतज़ार की चिंता नहीं थी। उसका रोज़ वीर्य स्खलन हो रहा था। अब काम था काम्या को तड़पाना। वो पहले ही तड़प रही थी। उसे किचन का दृश्य याद आया, जब काम्या ने खुद लंड मुँह में लिया। लोहा गरम हो रहा था, बस चोट मारने की देर थी।

मदनलाल ने अगला प्लान बनाया। उस रात वो काम्या के कमरे में नहीं गया। काम्या इंतज़ार करती रही, सोच रही थी कि मधु की कहानी के बाद बाबूजी आज उसका उद्घाटन कर देंगे। लेकिन मदनलाल नहीं आया।

दूसरी रात वो काम्या के रूम में गया। कुछ देर में दोनों के कपड़े उतर गए। काम्या सिर्फ पैंटी में थी, मदनलाल नंगा। दोनों एक-दूसरे के बदन से खेलने लगे। काम्या ने खुद बाबूजी का हथियार पकड़ा और चलाने लगी। मदनलाल बूब्स चूसता रहा, फिर लंड गले तक उतार दिया। काम्या लपर-लपर चूसने लगी। आज वो ज़्यादा मूड में थी, शायद सोच रही थी कि बाबूजी चढ़ाई कर देंगे। लेकिन मदनलाल का प्लान था उसे वासना की इंतहा तक तड़पाना। उसने अचानक लंड निकाला। काम्या सोचने लगी कि शायद बाबूजी चूत में डालेंगे। डर और कामुकता से उसने आँखें बंद कर लीं। लेकिन मदनलाल ने उसे पलटकर पट लिटाया और ऊपर लेट गया। लंड गाण्ड की दरार में फँसा था। उसने पीठ और गर्दन पर चूमना-चाटना शुरू किया, लव बाइट्स दीं। काम्या को पीठ से इतना सुख मिलेगा, ये नहीं पता था। वो सोचने लगी कि क्या बाबूजी पड़ोसन निपटाने जा रहे हैं? मदनलाल ने काफ़ी देर पीठ पर कमाल दिखाया। जब लंड का धैर्य जवाब देने लगा, उसने पैंटी की इलास्टिक हटाई और मूसल गाण्ड की दरार में घुसाकर रगड़ने लगा। काम्या पानी छोड़ने लगी, उसे यकीन हो गया कि बाबूजी पड़ोसन का तिया-पाँच करेंगे। डर से उसने मुठियाँ भींच लीं। मदनलाल ने मलाई गाण्ड में उड़ेल दी, जो चूत की ओर बहने लगी। दस मिनट तक वो काम्या पर लेटा रहा, फिर अपने कमरे में चला गया।

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अगले दिन भी यही हुआ। लंड चुसवाने के बाद मदनलाल ने काम्या के बदन से खेला। आज काम्या चित लेटी थी। मदनलाल बूब्स पी रहा था और लंड चूत पर रगड़ रहा था। उसने पैंटी खिसकाकर लंड मुहाने पर रखा। पाँच महीने बाद चूत पर इतने भयंकर लंड का स्पर्श हुआ। काम्या की चूत पानी छोड़ने लगी। मदनलाल ने लंड पूरी चूत में रगड़ा। काम्या का बुरा हाल था। उसने चादर पकड़ ली, एड़ियाँ रगड़ने लगी। सुपाड़ा मुहाने में फिट हुआ। काम्या सोचने लगी, “अब बाबूजी डाल देंगे।” लेकिन मदनलाल सिर्फ हल्का दबाव बना रहा था। काम्या मन ही मन प्रार्थना करने लगी, “बाबूजी, डाल दीजिए। हम कौन-सा रोक रहे हैं? औरतें तो ना कहती हैं, लेकिन असली मर्द मनमानी करते हैं। आप क्यों तड़पा रहे हैं? आपको मालूम है, हम आपसे प्यार करते हैं और चुदना चाहते हैं।” मदनलाल उसकी तड़प पढ़ रहा था। यही तो वो चाहता था। जब उसे लगा कि पानी छूट सकता है, उसने टोपा ऊपर करके क्लिट पर दही उड़ेल दिया। दही चूत में फैल गया, और वो चला गया।

अब मदनलाल रोज़ यही करता—लंड चुसवाता, लेकिन माल पैंटी के अंदर गिराता, जैसे जता रहा हो कि अब इसका नंबर है। काम्या की पैंटी बैटलग्राउंड बन गई थी। ससुर चाहता था कि बहू चुदने को बोले, और बहू चाहती थी कि बाबूजी उसकी माँगें। काम्या को अपनी खूबसूरती पर भरोसा था कि बाबूजी ज़्यादा टिक नहीं पाएँगे। उसे सुनील से भी कभी चुदने को नहीं बोलना पड़ा था।

कुछ दिन यही चलता रहा। दोनों झुकने को तैयार नहीं थे, लेकिन काम्या नहीं जानती थी कि ससुर का काम चल रहा है, नुकसान उसका हो रहा है। एक दिन सुबह तीनों बैठे थे। काम्या बार-बार कामुक नज़रों से बाबूजी को देख रही थी। चार दिन से वो पीरियड्स में थी, इसलिए बाबूजी पास नहीं आए। आज उसकी प्यासी नज़रों से मदनलाल समझ गया कि ग्रीन लाइट है। वो भी चार दिन से मलाई स्टोर कर रहा था। मदनलाल चुदाई में धर्म-जात-रंग नहीं देखता था। उसका नियम था, “चिलम, चूना और चूत, इनमें नहीं है छूत।” उसकी थ्योरी थी, “साँप और चूत जहाँ दिखे, तुरंत मारो।” लेकिन वो धार्मिक भी था, पीरियड्स में औरत को अपवित्र मानता था। ग्रीन लाइट मिलते ही वो खुश हो गया कि आज लंड का दर्द दूर होगा।

दोनों रात के ख्यालों में डूबे थे कि दरवाज़े की घंटी बजी। काम्या की सहेली रीमा अपने जेठ के साथ थी। रीमा ने बताया कि उसका बैंक क्लर्क एग्ज़ाम यहाँ है, और काम्या की मम्मी ने कहा कि होटल की बजाय उनके घर रुके। आज रात रुककर, कल पेपर देकर शाम को चली जाएगी। रीमा काम्या के मायके में पड़ोस की बहू थी, उससे पाँच-छह साल बड़ी। उसकी शादी काम्या से दो साल पहले हुई थी। मोहल्ले में आने के बाद दोनों की दोस्ती हुई। रीमा ने काम्या को शादी के बाद की घटनाओं के लिए तैयार किया था। उसका पति पुणे में MNC में काम करता था, लेकिन वो साथ नहीं जा पाई थी। रीमा बेहद खूबसूरत थी, बस्टी फिगर वाली, बूब्स औसत से बड़े थे।

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