मेरा नाम वरुण है। मैं 30 साल का हूँ, एक एथलेटिक बॉडी वाला, बेहद सेक्सी और आकर्षक नौजवान। मेरी शादी को चार साल हो चुके हैं। मेरी बीवी, राधिका, बहुत सुंदर है, उसका स्वभाव इतना प्यारा है कि हर कोई उसकी तारीफ करता है। उससे मुझे एक प्यारी-सी बेटी भी है, जिसका नाम अनन्या है। मैं अपनी बीवी से बहुत प्यार करता हूँ, लेकिन एक बात जो मुझे हमेशा खटकती है, वो है सेक्स। मैं अपनी बीवी के साथ बेड पर पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो पाता। उसने कई बार कोशिश की, नए-नए तरीके अपनाए, लेकिन मेरी वो प्यास, वो आग जो मेरे अंदर जलती है, वो कभी बुझ नहीं पाई।
मैं एक शरीफ खानदान से हूँ। हमारे घर में इज्जत और मर्यादा का बड़ा ध्यान रखा जाता है। इसीलिए मैं अपनी इस प्यास को कहीं और बुझाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। दूसरा कारण ये भी है कि मुझे कोई ऐसी लड़की नहीं मिली, जो मेरे साथ सीक्रेट लेवल पर, बिना किसी डर के, वो सब कर सके जो मैं चाहता हूँ। लेकिन ये प्यास, ये कामवासना, मेरे अंदर बहुत पहले से जाग चुकी थी। तब से, जब मैं अपनी दो साल बड़ी बहन, शालिनी, को चोरी-छिपे देखा करता था। उस वक्त मैं सिर्फ 17-18 साल का था, लेकिन वो आग आज तक मेरे अंदर सुलग रही है।
बात उस समय की है, जब मैं स्कूल में पढ़ता था। मेरे अंदर सेक्स की भूख इतनी तेज थी कि मैं हर वक्त उसी के बारे में सोचता रहता। स्कूल में मैं अपनी टीचर्स को चोरी से देखता। उनकी साड़ी के किनारे से झाँकती कमर, उनके ब्लाउज में छिपी छातियाँ, या उनकी चाल—हर चीज मुझे पागल कर देती। मैं घर आकर बाथरूम में नहाते वक्त या टॉयलेट में जाकर मुठ मार लिया करता था। लेकिन अपनी बहन, शालिनी, को मैंने कभी उस नजर से नहीं देखा था। वो मेरे लिए बस मेरी बड़ी बहन थी, जो हमेशा मुझे डाँटती, मेरी पढ़ाई का ध्यान रखती, और घर में माँ-पापा की तरह मेरी देखभाल करती।
हमारा घर दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय मोहल्ले में था। पुराना-सा मकान, जिसमें एक हॉल, दो कमरे, एक स्टोर, और एक छोटा-सा बाथरूम था। मेरे पापा सरकारी नौकरी करते थे, और माँ घर संभालती थीं। शालिनी उस वक्त कॉलेज में थी, और मैं बारहवीं में। हमारा घर छोटा था, लेकिन प्यार से भरा हुआ। फिर भी, उस छोटे से घर में कुछ ऐसी घटनाएँ हुईं, जिन्होंने मेरी जिंदगी बदल दी।
एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा पढ़ाई कर रहा था। गर्मी का मौसम था, और पंखा तेजी से चल रहा था। मेरे बगल वाले कमरे में शालिनी अपनी सहेली, नेहा, के साथ बैठी बातें कर रही थी। नेहा थोड़ी चुलबुली और बिंदास टाइप की लड़की थी, जो हमेशा मजेदार और थोड़ी नॉटी बातें करती थी। मैंने पहले तो उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब मैंने सुना कि वो किसी लड़के की बात कर रही हैं, तो मेरे कान खड़े हो गए। नेहा हँसते हुए कह रही थी, “शालिनी, वो लड़का तुझे कॉलेज जाते वक्त ऐसे घूरता है, जैसे तुझे खा जाएगा! तूने देखा, उसकी नजरें तेरे ऊपर से हटती ही नहीं!” शालिनी थोड़ा शरमाते हुए बोली, “हट, नेहा! तू भी ना, कुछ भी बोलती है। मुझे तो डर लगता है उससे।”
मैंने चुपके से अपनी किताब बंद की और उनकी बातें सुनने लगा। नेहा ने फिर कहा, “अरे, डरने की क्या बात है? वो तो तुझ पर लाइन मार रहा है। तूने कभी उसकी बॉडी देखी? एकदम जिम वाला लड़का है।” शालिनी ने हँसते हुए उसे चुप कराने की कोशिश की, लेकिन नेहा की बातें मेरे दिमाग में चक्कर काटने लगीं। मैंने पहली बार सोचा कि शालिनी को भी लोग इस नजर से देखते हैं। वो मेरी बहन थी, लेकिन उस वक्त मेरे दिमाग में एक अजीब-सा ख्याल आया।
उस दिन मैंने चोरी से शालिनी के कमरे की तरफ देखने की कोशिश की। उसका कमरा बंद था, लेकिन दरवाजे में एक छोटा-सा की-होल था। मैंने हिम्मत करके उसमें झाँका। जो मैंने देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए। नेहा ने एक टाइट स्कर्ट पहनी थी, और वो बेड पर बैठी थी। उसकी स्कर्ट थोड़ी ऊपर खिसक गई थी, जिससे उसकी प्रिंटेड पैंटी साफ दिख रही थी। मैंने पहली बार किसी लड़की की जाँघें इतने करीब से देखी थीं। मेरी साँसें तेज हो गईं। लेकिन मेरा ध्यान फिर शालिनी पर गया। उसने पंजाबी सूट पहना था, लेकिन उसने ब्रा नहीं पहनी थी। उसके सूट के नीचे उसकी छातियाँ साफ उभर रही थीं, और वो हिलते हुए इतनी सेक्सी लग रही थीं कि मैं बस देखता रह गया।
शालिनी थोड़ा शरमा रही थी, और उसने नेहा की बातों को टालते हुए उसे जल्दी घर जाने को कहा। नेहा हँसते हुए चली गई, लेकिन उस दिन के बाद मेरे मन में शालिनी के लिए कुछ बदल गया। मैं उसे वैसे नहीं देख पाता था जैसे पहले देखता था। मेरे अंदर एक अजीब-सी बेचैनी जाग गई थी। मैं हर वक्त उसे चोरी-छिपे देखने की कोशिश करता। उसकी हर हरकत, उसका हँसना, उसका चलना—सब कुछ मुझे अपनी ओर खींचता। मैं डरता भी था, क्योंकि वो मेरी बहन थी, लेकिन मेरी कामवासना मेरे डर से बड़ी होती जा रही थी।
कुछ दिन बाद, एक और घटना ने मेरे अंदर की आग को और भड़का दिया। हमारे घर में एक स्टोर रूम था, जिसका एक दरवाजा मेरे कमरे में खुलता था और दूसरा लॉबी में। उस दिन शालिनी कपड़े धो रही थी। गर्मी की वजह से उसने सिर्फ एक पतली-सी व्हाइट अंडरशर्ट और सलवार-कुर्ता पहना था। वो ब्रा नहीं पहनती थी, और उसकी अंडरशर्ट इतनी पतली थी कि उसकी छातियाँ हिलते हुए साफ दिख रही थीं। मैं अपने कमरे में बैठा था, लेकिन मेरा ध्यान बार-बार उसकी तरफ जा रहा था। मैंने बहाना बनाया कि मुझे कुछ सामान लेना है, और स्टोर रूम की तरफ जाने के लिए उसके सामने से गुजरा।
वो कपड़े धोते हुए झुकी हुई थी, और उसकी छातियाँ हर बार हिल रही थीं। मैं बस उन्हें घूर रहा था। जब उसने कपड़े निचोड़ने शुरू किए, तो पानी की छींटों से उसका कुर्ता गीला हो गया। उसका गीला कुर्ता उसकी छातियों से चिपक गया, और उसकी गुलाबी निपल्स साफ दिखने लगीं। मेरी धड़कनें इतनी तेज हो गईं कि मुझे लगा मेरा दिल बाहर निकल आएगा। शालिनी को शायद अपनी हालत का अहसास हुआ, क्योंकि उसने जल्दी से अपने सीने पर हाथ रखा और स्टोर रूम में चली गई।
मैंने मौका देखते ही अपने कमरे में जाकर की-होल से झाँकना शुरू किया। जो मैंने देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए। शालिनी ने अपना गीला कुर्ता उतार दिया था, और वो सिर्फ अपनी अंडरशर्ट में थी। उसकी अंडरशर्ट भी गीली थी, और उसकी गोल-गोल, भरी हुई छातियाँ साफ दिख रही थीं। उसने अपनी अंडरशर्ट भी उतार दी, और अब वो पूरी तरह टॉपलेस थी। रोशनी में उसकी गोरी छातियाँ चमक रही थीं, और उसके गुलाबी निपल्स इतने परफेक्ट थे कि मैं बस देखता रह गया। मेरा लंड इतना टाइट हो गया कि मेरे पजामे में दर्द होने लगा।
मैंने बिना सोचे अपने पजामे में हाथ डाला और मुठ मारना शुरू कर दिया। शालिनी की छ atियाँ, उसका गोरा बदन, और उसकी हर हरकत मेरे दिमाग में घूम रही थी। वो उस वक्त दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की लग रही थी। मैं इतना उत्तेजित था कि मेरी साँसें रुक रही थीं। कुछ ही मिनटों में मेरा वीर्य निकल गया, और वो इतना गाढ़ा और गर्म था कि मेरा रुमाल पूरी तरह गीला हो गया। मैंने जल्दी से साफ किया, लेकिन मेरा पूरा शरीर काँप रहा था।
उसके बाद मुझे थोड़ी शर्मिंदगी और गिल्ट महसूस हुआ। मैंने सोचा, ये क्या कर रहा हूँ? वो मेरी बहन है। लेकिन जब मैंने फिर से शालिनी को देखा, तो मेरी सारी शर्म गायब हो गई। मेरी कामवासना फिर से जाग उठी। मैं अब उसे पूरी तरह नंगा देखना चाहता था। मैं हर वक्त मौके ढूँढने लगा।
कुछ हफ्ते बाद, मुझे वो मौका मिल गया, जिसने मेरी जिंदगी बदल दी। हमारे घर का बाथरूम छोटा-सा था, और उसका दरवाजा पुराना होने की वजह से नीचे एक छोटा-सा गैप था। एक सुबह, जब माँ-पापा मंदिर गए थे, और घर में सिर्फ मैं और शालिनी थे, मैंने देखा कि वो बाथरूम में नहाने जा रही है। उसने एक पतली-सी टॉवल लपेटी थी, जो उसके कंधों से लेकर जाँघों तक थी। मेरे दिमाग में तुरंत ख्याल आया कि ये मौका है।
मैं चुपके से बाथरूम के पास गया और नीचे झुककर उस गैप से झाँकने लगा। जो:
जो मैंने देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए। शालिनी ने अपनी टॉवल उतार दी थी, और वो पूरी तरह नंगी थी। उसका गोरा बदन पानी की बूंदों से चमक रहा था। उसकी गोल-गोल छातियाँ, पतली कमर, और भरी हुई जाँघें इतनी परफेक्ट थीं कि मैं बस देखता रह गया। वो अपने शरीर पर साबुन मल रही थी, और उसकी उंगलियाँ धीरे-धीरे उसकी छातियों, पेट, और जाँघों पर घूम रही थीं। जब उसने अपनी चूत पर साबुन लगाया, तो मेरे शरीर में जैसे बिजली दौड़ गई। उसकी चूत पूरी तरह साफ थी, और वो इतनी गुलाबी और मुलायम लग रही थी कि मैं पागल हो गया।
मैंने अपने पजामे में हाथ डाला और लंड को सहलाने लगा। मेरा लंड इतना सख्त था कि मुझे दर्द हो रहा था। शालिनी ने अपने निपल्स को धीरे-धीरे मसला, और उसकी साँसें तेज हो गईं। वो अपनी चूत पर उंगलियाँ फिरा रही थी, और उसकी आँखें बंद थीं। मुझे लगा कि वो भी उत्तेजित है। उसने अपनी एक उंगली धीरे-धीरे अपनी चूत में डाली, और एक हल्की-सी सिसकारी निकली। मैंने अपने लंड को इतनी तेजी से रगड़ा कि मुझे लगा मैं बेहोश हो जाऊँगा।
वो धीरे-धीरे अपनी चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगी, और उसकी सिसकारियाँ तेज हो गईं। उसका दूसरा हाथ उसकी छातियों को मसल रहा था, और वो अपने निपल्स को खींच रही थी। मैंने अपने लंड को इतनी जोर से रगड़ा कि मेरा वीर्य निकल गया। वो इतना ज्यादा था कि मेरा पजामा गीला हो गया। मैंने जल्दी से उसे साफ किया, लेकिन मेरा शरीर अभी भी काँप रहा था।
शालिनी ने नहाना खत्म किया और टॉवल लपेटकर बाहर आ गई। मैं अपने कमरे में भागा और बिस्तर पर लेट गया। मेरा दिमाग सुन्न था। मैंने जो देखा, वो मेरे दिमाग से निकल नहीं रहा था। उस दिन के बाद, मैं हर मौके पर शालिनी को देखने की कोशिश करने लगा। मैं जानता था कि ये गलत है, लेकिन मेरी कामवासना मेरे कंट्रोल से बाहर थी।
कुछ महीनों बाद, शालिनी की शादी तय हो गई। वो अपने ससुराल चली गई, और मैं अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गया। लेकिन वो पल, वो नजारा, मेरे दिमाग में हमेशा के लिए बस गया। आज भी, जब मैं अपनी बीवी के साथ होता हूँ, मेरे दिमाग में शालिनी का वो नंगा बदन घूमता है। मैंने अपनी प्यास कभी पूरी नहीं की, लेकिन वो आग अभी भी मेरे अंदर जल रही है।
ये मेरी सच्ची कहानी है, जो मैं किसी से शेयर नहीं कर सकता। लेकिन अपने दिल की बात को बाहर निकालने के लिए मैंने इसे लिखा। मेरे लिए ये सिर्फ एक कहानी नहीं, मेरी जिंदगी का एक हिस्सा है।
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