बहन को 4 दिन में 40 बार चोदा

मेरा नाम कंचन है। मैं मोदीनगर की रहने वाली हूँ, पर अब फरीदाबाद में रहती हूँ। मेरी उम्र 23 साल है, और मेरी शादी को तीन साल हो चुके हैं। हमारा परिवार मध्यम वर्ग का है, पर मेरे पति के पास करोड़ों की संपत्ति है। लेकिन उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, वो मंदबुद्धि हैं। शादी के बाद से ही मुझे बच्चा नहीं हुआ। दो साल तक मैंने हर तरह का इलाज करवाया, पर कोई फायदा नहीं हुआ। मेरे सास-ससुर और रिश्तेदारों का मानना था कि कमी मुझमें है, पर मुझे सच पता था। मेरे पति का लंड कभी खड़ा ही नहीं होता। जब भी मैं जोश में आती, उनका लंड निढाल हो जाता। सुहागरात से ही मुझे एहसास हो गया था कि मेरा पति नामर्द है। मेरे माँ-बाप ने धन-दौलत देखकर मेरी शादी कर दी थी, पर भगवान ना करे किसी लड़की के साथ ऐसा हो।

मैं दिन-रात उदास रहने लगी। मेरी सहेलियाँ, जिनकी शादी मेरे साथ हुई थी, उनकी गोद में बच्चे खेल रहे थे, और मैं खाली हाथ थी। बच्चे से ज्यादा मुझे अपनी इज्जत की चिंता थी। मेरे सास-ससुर मुझे ताने मारते थे। उनका कहना था कि मेरे पति में कोई कमी नहीं, सारी गलती मुझमें है। उन्होंने तो मेरे पति की दूसरी शादी की बात भी शुरू कर दी थी। एक दिन सास ने साफ-साफ कह दिया, “कंचन, अगर तू एक साल के अंदर बच्चा पैदा नहीं करेगी, तो हम अपने बेटे की शादी मनोहर बाबू की बेटी से कर देंगे।” मैं सुनकर सन्न रह गई। मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैं जानती थी कि दोष मेरे पति में है, पर घरवाले मेरी बात मानने को तैयार नहीं थे। उस रात मैंने ठान लिया कि मैं हर हाल में माँ बनूँगी।

कई रातें सोच-विचार में गुजरीं। मैंने समझ लिया कि बिना सेक्स के माँ बनना नामुमकिन है। लेकिन मुझे होशियारी से काम लेना था, ताकि किसी को शक ना हो। मैंने चालाकी शुरू की। पहले मैंने सास-ससुर की खूब सेवा की, उनकी हर बात मानी। अपने पति को भी मैंने प्यार से रिझाना शुरू किया। मैं रात को उनके सामने नंगी होकर जाती, उनके लंड को सहलाती, उनके सीने पर चढ़कर खुद सेक्स करने की कोशिश करती। अगर उनका लंड ठंडा भी रहता, तो मैं जोश में चिल्लाती, “हाय, आज तो बहुत मजा आया! तुमने मुझे खूब चोदा!” लेकिन सच तो ये था कि उनका लंड मेरी चूत में एक इंच से ज्यादा कभी नहीं गया। मैं जानती थी कि ये सब दिखावा है, पर मुझे अपनी इज्जत और ससुराल बचानी थी।

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एक दिन मेरे सास-ससुर और पति को आगरा जाना पड़ा। मेरे पति का दवाइयों का कारोबार है, और आगरा में कोई जरूरी काम था। वो तीनों चार दिन के लिए जा रहे थे। मैंने मौका देखकर सास से कहा, “मैं अकेले कैसे रहूँगी? चार दिन के लिए अपने छोटे भाई सुनील को बुला लेती हूँ।” सास-ससुर मेरी बात से सहमत हो गए। उन्होंने खुद सुनील से फोन पर बात की और उसे बुला लिया। अगली सुबह तीनों आगरा चले गए, और दोपहर बारह बजे तक सुनील घर आ गया।

सुनील मुझसे दो साल छोटा है, 21 साल का जवान लड़का। उसका बदन गठीला है, और चेहरा ऐसा कि लड़कियाँ उस पर मरती हैं। दिन में मैंने सुनील के साथ बैठकर सारी बातें शेयर कीं। मैंने उसे बताया कि मेरे पति नामर्द हैं, सास-ससुर मुझे ताने मारते हैं, और अब वो दूसरी शादी की बात कर रहे हैं। मैं रोने लगी, और सुनील के कंधे पर सिर रखकर फूट-फूटकर रोई। उसने मुझे चुप कराया और कहा, “दीदी, मैं तुम्हारे साथ हूँ। तुझे जो चाहिए, मैं देने को तैयार हूँ।” उसकी बातों से मुझे हिम्मत मिली। हमने दिनभर बातें कीं, और शाम हो गई। रात को खाना खाने के बाद मैंने सुनील के लिए दूसरे कमरे में बिस्तर लगाया। वो टीवी देखने लगा।

रात करीब दस बजे मैं तैयार होकर सुनील के कमरे में गई। मैंने बाल खोल रखे थे, होंठों पर गहरी लाल लिपस्टिक लगाई थी, और बदन पर महंगा डियोड्रेंट छिड़का था। मैंने लाल रंग का पारदर्शी गाउन पहना था, जिसके नीचे मैंने ब्रा-पैंटी पहले ही उतार दी थी। कमरे में घुसते ही मैंने दरवाजा बंद किया। सुनील मुझे देखकर चुपचाप निहारने लगा। मैंने गाउन का रिबन खोला, और उसे पीछे से खींचकर उतार दिया। मेरा मखमली बदन, बड़ी-बड़ी सुडौल चूचियाँ, और बिना बालों वाली चूत, जो मैंने अभी-अभी शेव की थी, उसके सामने थी। सुनील हक्का-बक्का रह गया। वो हकलाते हुए बोला, “दीदी… ये… तुम… क्या… कर रही हो?”

मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “सुनील, तूने वादा किया था कि मेरे साथ देगा। अगर तुझे अपनी बहन की इज्जत प्यारी है, तो मुझे माँ बना दे। मैं बच्चा चाहती हूँ, पर मेरा पति मुझे ये सुख नहीं दे सकता। मैंने सोच लिया है कि मैं अपने सगे भाई के बच्चे की माँ बनूँगी। अगर तू चाहता है कि तेरी बहन की जिंदगी बचे, तो मेरी गोद भर दे।” मेरी आँखों में आँसू थे, और आवाज में सच्चाई। मैंने सुनील के करीब जाकर अपने कोमल होंठ उसके होंठों पर रख दिए। पहले तो वो हिचकिचाया, पर दो मिनट बाद वो पिघल गया। उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया, और मुझे वो सुख देने लगा जिसका मैं तीन साल से इंतजार कर रही थी।

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सुनील ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे पूरे बदन को चूमना शुरू किया। मेरे गले, मेरी चूचियों, मेरी कमर, हर जगह उसके होंठ घूम रहे थे। उसने मेरी चूचियों को मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और मैं सिहर रही थी। उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी और उसे चाटने लगा। मेरी चूत से गर्म-गर्म पानी निकल रहा था, और मैं जोश में चिल्ला रही थी, “हाय सुनील, चाट ले मेरी चूत! इसे खा जा!” उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मैं पहली बार मर्द का असली सुख महसूस कर रही थी। मेरा रोम-रोम वासना से भर गया था। मैं चुदने के लिए तड़प रही थी।

मैंने सुनील का लंड पकड़ा। उसका लंड 7 इंच लंबा और मोटा था, बिल्कुल पत्थर जैसा सख्त। मैंने उसे मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मैं उसका लंड गले तक ले जा रही थी, और सुनील सिसकारियाँ भर रहा था, “दीदी, हाय, कितना मजा दे रही हो!” मैंने उसका लंड चूस-चूसकर लाल कर दिया। फिर मैंने कहा, “सुनील, अब बर्दाश्त नहीं होता। चोद दे मुझे! मेरी चूत को फाड़ दे!” सुनील ने मुझे बिस्तर पर लिटाया, मेरी टाँगें फैलाईं, और अपना लंड मेरी चूत पर रखा। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं दर्द और मजा दोनों से चिल्ला उठी, “हाय, सुनील! मार डाला! चोद, और जोर से चोद!”

सुनील ने मुझे जोर-जोर से चोदना शुरू किया। हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और मैं चिल्ला रही थी, “हाय, मेरी चूत फट गई! चोद, भाई, अपनी बहन को चोद!” उसका लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था, और मैं जन्नत में थी। करीब 15 मिनट तक उसने मुझे अलग-अलग पोजीशन में चोदा। कभी मैं ऊपर, कभी वो ऊपर। आखिर में उसने अपना गर्म-गर्म माल मेरी चूत में छोड़ दिया। मैं संतुष्ट होकर हाँफ रही थी। उस रात हमने तीन बार चुदाई की। हर बार सुनील ने मेरी चूत को नए अंदाज में चोदा, और मैं हर बार जोश में चिल्लाती रही।

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अगले दिन सुनील बाजार से सेक्स की गोलियाँ ले आया। उसने कहा, “दीदी, इन चार दिनों में मैं तुम्हारी चूत का खेत बना दूँगा। तू माँ बनकर ही रहेगी।” उसकी बातों से मेरी वासना और बढ़ गई। अगले चार दिन हमने दिन-रात चुदाई की। सुनील ने मुझे हर कमरे में चोदा—बेडरूम में, बाथरूम में, किचन में। एक बार उसने मुझे सोफे पर लिटाकर मेरी गाँड भी मारी। उसका लंड मेरी गाँड में घुसा, तो मैं दर्द से चिल्ला उठी, “हाय, सुनील, मेरी गाँड फट गई!” पर थोड़ी देर बाद मुझे मजा आने लगा, और मैंने कहा, “चोद, मेरी गाँड भी चोद!” चार दिनों में सुनील ने मुझे 40 बार चोदा, और 10 बार मेरी गाँड मारी। हर बार वो अपना माल मेरी चूत में छोड़ता, और मैं माँ बनने की दुआ माँगती।

चार दिन बाद सास-ससुर और पति वापस आए। सास ने कहा, “कंचन, हम तुम्हारे पति को एक तांत्रिक के पास ले गए थे। उसने एक अमरूद दिया है। आज रात इसे खाकर तुम दोनों साथ सोना। बच्चा हो जाएगा।” मैंने वैसा ही किया। उस रात मैंने पति के साथ सोने का नाटक किया, पर मेरे दिमाग में सुनील की चुदाई थी। अगले महीने मेरा पीरियड नहीं आया। डॉक्टर ने कन्फर्म किया कि मैं प्रेग्नेंट हूँ। पिछले महीने मैंने एक बेटे को जन्म दिया। वो बच्चा सुनील का है, पर सास-ससुर को लगता है कि ये तांत्रिक का चमत्कार है। मैंने अपनी इज्जत बचा ली, और अब मैं एक माँ हूँ। सुनील आज भी मेरे दिल में बस्ता है, और जब भी मौका मिलता है, हम अपनी वासना की आग को फिर से सुलगा देते हैं।

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3 thoughts on “बहन को 4 दिन में 40 बार चोदा”

  1. Mujhe meri bahan ki gand Marni hai bahut he badi gaand hai yaar ek sath 3.4 land aaram se le legi ..wo panty bhi nhi pahan Pati badi gand ki wajah se uska salwar hamesha gaand me hee ghusa rhta hai ..mai dekh dekh ke pagal ho jata hu..mujhe to bus lalchati rahti hai ek baar to gand me 10.11 inch ka Khira Daal ke market le gyi mujhe sath me raste pesab karne gyi to main dekh rha tha sadak kinare nikal rahi thi fir mujhe khilaya bhi…lekin yaar chodne nhi deti hai help Karo koi kaise gaand Maru uski sabko dikhaunga kaisi hai uski chut aur gand

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