उसका लंड मेरी बच्चेदानी तक जा रहा था

Dost ki wife ke sath resort sex story

मेरा नाम पुष्पा है। मैं 28 साल की हूँ, और मेरी शादी को दो साल हो चुके हैं। मैं गुड़गांव में रहती हूँ, जो दिल्ली के ठीक बगल में है। मेरे पति राकेश का होटल और रिसॉर्ट का बिजनेस है। उनका एक रिसॉर्ट गुड़गांव में है, दूसरा उत्तराखंड में। मैं भी उनकी कंपनी में काम करती हूँ, मगर हफ्ते में एक बार कहीं घूमने जरूर जाती हूँ ताकि मन ताजा रहे। राकेश 35 साल के हैं, स्मार्ट और बिजनेस में माहिर। उनका एक दोस्त है, सतीश, 32 साल का, सांवला, लंबा, और जिम में तराशा हुआ बदन। सतीश की शादी अभी नहीं हुई, लेकिन नवंबर में होने वाली है। राकेश और सतीश कॉलेज के दिनों से गहरे दोस्त हैं, एक-दूसरे के बिना अधूरे से हैं। सतीश का स्वभाव मुझे बहुत भाता है। वो औरतों की इज्जत करता है, केयरिंग है, और ऐसा मर्द हर औरत को पसंद आता है। सच कहूँ, तो राकेश के बाद अगर कोई मुझे अच्छा लगता है, वो सतीश है।

ये शुक्रवार की बात है। दिन में हम तीनों—मैं, राकेश, और सतीश—ने प्लान बनाया कि रात को गुड़गांव के रिसॉर्ट में पार्टी करेंगे। राकेश ने रिसॉर्ट के मैनेजर को पहले ही फोन कर दिया, “हम आ रहे हैं। मैडम भी हैं, सतीश भैया भी। अच्छा मटन बनवाना, पार्टी का पूरा इंतजाम करना, और दो कमरे अच्छे से साफ करवाना।” मैनेजर ने तुरंत हामी भरी, “ठीक है, सर। सब इंतजाम बेस्ट रहेगा।” शाम 6 बजे हम गुड़गांव से रिसॉर्ट के लिए निकले। रास्ते में सतीश की मजाकिया बातों से मैं बार-बार हँस रही थी। राकेश गाड़ी चला रहे थे और सतीश की बातों पर हँस-हँसकर साथ दे रहे थे।

रात 8:30 बजे हम रिसॉर्ट पहुँचे। रिसॉर्ट का माहौल गजब था—हल्की रोशनी, ठंडी हवा, और चारों तरफ हरियाली। हमने पहले पूल में टाइम बिताने का सोचा। मैंने अपना काला, टाइट स्विमसूट पहना, जो मेरे 36D चूचों और कर्वी कमर को पूरी तरह उभार रहा था। राकेश को मेरे कपड़ों से कभी दिक्कत नहीं रही। वो खुले विचारों वाले हैं, और मुझे जैसा रहना है, वैसा रहने की छूट देते हैं। पूल में हमने करीब दो घंटे बिताए। पानी में तैरते हुए, हँसते-बोलते हुए, और दो-दो पेग व्हिस्की गटक ली। सतीश की नजरें बार-बार मेरे बदन पर अटक रही थीं। मेरा स्विमसूट इतना सेक्सी था कि उसका घूरना बनता था। मैं भी जानबूझकर कभी पानी में उछलती, कभी अपनी कमर मटकाती, क्योंकि हर औरत चाहती है कि उसे देखा जाए। राकेश को मेरी ये हरकतें पसंद थीं। वो हँसकर बोले, “पुष्पा, तू तो आज सबको पागल कर देगी!”

पूल से निकलकर हम अपने कमरों में गए। मैंने एक रेशमी, हल्का सा नाइट गाउन पहना, जो मेरे बदन से चिपक रहा था। गाउन का गहरा गला मेरे चूचों को और उभार रहा था, और अंदर मैंने ब्रा नहीं पहनी थी। हम तीनों का खाना रूम में आ गया—मटन, रोटी, और कुछ सलाद। खाने के दौरान व्हिस्की की एक बोतल और खुली। हम हँसते-बोलते रहे, बातें जिंदगी, बिजनेस, और कॉलेज की यादों तक गईं। राकेश और सतीश पुरानी बातें शेयर करने लगे, और मैं उनकी बातें सुनकर हँस रही थी। तभी राकेश के फोन पर एक मैसेज आया। उत्तराखंड के रिसॉर्ट से मैनेजर का कॉल था। उसने बताया कि अगले दिन सुबह 10 बजे कुछ बड़े लोग शूटिंग के लिए आ रहे हैं, शायद नेटफ्लिक्स के लिए कोई शो। मोटा पैसा मिलने वाला था, और राकेश का वहाँ होना जरूरी था।

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राकेश ने तुरंत फैसला लिया, “मुझे अभी जाना होगा। ये बड़ा बिजनेस है, मिस नहीं कर सकता।” उन्होंने ड्राइवर को फोन किया, और रात 12 बजे वो उत्तराखंड के लिए निकल गए। बिजनेस के लिए वो रात-दिन नहीं देखते। अब रिसॉर्ट में सिर्फ मैं और सतीश रह गए। हमने एक-एक पेग और लिया। सतीश ने सिगरेट निकाली, मुझे ऑफर की, और हम दोनों सिगरेट सुलगाकर बातें करने लगे। नशा धीरे-धीरे चढ़ रहा था। रात का एक बज चुका था, और माहौल गर्म हो चला था।

नशे में दिल खुल जाता है। मैंने सतीश से अपने दिल की बात कही। मैंने बताया कि राकेश के साथ मेरी एक शिकायत है। वो सेक्स में सिर्फ अपना मजा देखते हैं। दो मिनट में खलास हो जाते हैं, और मेरी चाहत का ख्याल नहीं रखते। मैंने कहा, “सतीश, राकेश को बस अपनी खुशी की फिक्र है। मेरी चूत की भूख का वो ध्यान ही नहीं रखते।” सतीश ने गंभीरता से सुना, और फिर हँसते हुए बोला, “भाभी, ये तो गलत बात है। चुदाई में तो दोनों को मजा आना चाहिए। मेरी तो शादी हुई नहीं, लेकिन मेरी गर्लफ्रेंड कहती है कि मैं घोड़ा हूँ। मेरा लंड जल्दी खलास नहीं होता। मैं घंटों पेल सकता हूँ।” उसकी बात सुनकर मेरे बदन में सिहरन दौड़ गई। उसने आगे कहा, “भाभी, आज रात मौका है। राकेश भैया भी नहीं हैं। क्यों ना हम दोनों एक-दूसरे की चूत और लंड की प्यास बुझाएँ? मैं चाहता हूँ कि कम से कम दो घंटे की चुदाई हो।”

उसकी बातों ने मेरे अंदर की आग को और भड़का दिया। मूड बन चुका था, और मौका भी था। मैंने बिना सोचे अपना नाइट गाउन उतार फेंका। अंदर मैंने कुछ नहीं पहना था। मेरे 36D के चूचे बाहर आ गए, और सतीश की आँखें चमक उठीं। वो मेरे पास आया, अपना शर्ट और पैंट उतार फेंका। उसका बदन जिम में तराशा हुआ था, चौड़ी छाती, और सख्त मसल्स। मैंने उसकी छाती पर हाथ फेरा और हल्का सा चुम्बन दे दिया। सतीश ने मेरे दोनों चूचों को अपने मजबूत हाथों में पकड़ लिया और जोर-जोर से मसलने लगा। “पुष्पा, तेरे ये चूचे कितने रसीले हैं,” उसने कहा, और मेरी साँसें तेज हो गईं।

हमारे होंठ एक-दूसरे से मिल गए। उसने मेरे होंठों को चूसना शुरू किया, और मैं उसके होंठों को। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मेरी जीभ उसके मुँह में। लिपलॉक इतना गहरा था कि हम दोनों एक-दूसरे में खो गए। मेरे बदन में आग लग रही थी। सतीश ने मेरे गले पर, कंधों पर, और फिर चूचों पर चुम्बन शुरू किए। वो मेरे निप्पल्स को चूस रहा था, हल्के से काट रहा था, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह्ह… सतीश… और जोर से… मेरे चूचों को मसल दे…” उसका स्पर्श इतना गर्म था कि मेरी चूत गीली हो चुकी थी। वो मेरे चूचों को मसलता रहा, और फिर धीरे-धीरे नीचे की तरफ बढ़ा। उसने मेरी पैंटी उतारी, और मेरी चूत को देखकर बोला, “भाभी, तेरी चूत तो पूरी फुद्दी बन चुकी है।”

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सतीश ने टेबल से व्हिस्की की बोतल उठाई और मेरी चूत पर थोड़ी सी व्हिस्की डाल दी। ठंडी व्हिस्की मेरी गर्म चूत पर पड़ते ही मैं सिहर उठी। फिर उसने अपनी जीभ से मेरी चूत चाटना शुरू किया। उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “आह्ह्ह… ओह्ह्ह… सतीश… उफ्फ्फ… मेरी चूत चाट दे…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी, मेरे हाथ उसके बालों में थे, और मैं उसे और जोर से अपनी चूत पर दबा रही थी। उसने मेरी चूत को चाट-चाटकर और गीला कर दिया। मैं इतनी कामुक हो चुकी थी कि मेरी चूत से पानी टपक रहा था।

फिर मैंने उसका लंड अपने हाथ में लिया। उसका लंड 7 इंच लंबा और मोटा था, मेरे पति के 5 इंच के लंड से कहीं बड़ा। मैंने उसे मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उसका लंड मेरे मुँह में कड़ा हो रहा था। मैंने अपनी जीभ से उसके लंड के सुपारे को चाटा, और वो सिसकारियाँ लेने लगा, “पुष्पा… आह्ह… तू तो रंडी जैसी चूस रही है…” मैंने उसका लंड गले तक लिया, और वो मेरे बाल पकड़कर मेरा मुँह चोदने लगा। उसका लंड मेरे मुँह में अंदर-बाहर हो रहा था, और मैं हर पल का मजा ले रही थी।

सतीश ने मुझे बेड पर लिटाया। उसने अपना लंड मेरे चूचों के बीच रखा और उन्हें रगड़ने लगा। उसका गर्म लंड मेरे चूचों पर रगड़ खा रहा था, और मेरे बदन में करंट सा दौड़ रहा था। मैंने अपने पैर फैलाए, और सतीश ने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रखा। उसने धीरे से रगड़ा, और फिर पूछा, “पुष्पा, तुझे मोटा लंड लेना पसंद है ना?” मैंने हाँ में सिर हिलाया, और बोली, “हाँ, सतीश… मुझे तेरे मोटे लंड से चुदना है…” उसने एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह्ह्ह… उफ्फ्फ… सतीश…” उसका मोटा लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया। मैं दर्द और मजा दोनों में चीख रही थी।

“पुष्पा, तुझे गाली खाना पसंद है?” उसने धक्के मारते हुए पूछा। मैंने हाँ में सिर हिलाया, और बोली, “हाँ… मुझे गंदी बातें सुनना अच्छा लगता है…” उसने हँसते हुए कहा, “तो ले, रंडी… तेरी चूत को आज मैं फाड़ दूँगा…” वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा, और मैं चिल्ला रही थी, “चोद मुझे… सतीश… मेरी चूत को बर्बाद कर दे… आह्ह्ह… ओह्ह्ह…” उसका लंड मेरी बच्चेदानी तक जा रहा था, और हर धक्के के साथ मेरा पूरा बदन हिल रहा था। मेरे चूचे हवा में उछल रहे थे, और वो उन्हें मसल रहा था। “तेरे ये चूचे कितने मस्त हैं, साली… इन्हें चूस-चूसकर लाल कर दूँगा,” उसने कहा, और मेरी चूत से पानी निकलने लगा। हर धक्के के साथ ‘पच-पच’ की आवाज कमरे में गूँज रही थी।

उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। “ले, कुतिया… तेरी फुद्दी को आज मैं चोद-चोदकर सूजा दूँगा,” उसने गाली देते हुए कहा। मैं चीख रही थी, “आह्ह्ह… सतीश… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे…” वो मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मार रहा था, और हर थप्पड़ के साथ मेरी स vinha4>सिसकारियाँ और तेज हो रही थीं। “तुझे ये गाली सुनकर मजा आ रहा है ना, रंडी?” उसने फिर पूछा, और मैंने चीखकर कहा, “हाँ… मुझे गंदी बातें सुनकर चूत गीली हो जाती है…” उसका लंड मेरी चूत में गहराई तक जा रहा था, और मैं हर धक्के के साथ जन्नत में थी।

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करीब एक घंटे तक उसने मुझे अलग-अलग पोजीशन में चोदा—कभी घोड़ी बनाकर, कभी मुझे ऊपर बिठाकर, कभी साइड से। मेरी चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी। मैं दो बार झड़ चुकी थी, लेकिन सतीश का लंड अभी भी कड़ा था। “सतीश… तू तो सचमुच घोड़ा है… मेरी चूत को तूने बर्बाद कर दिया,” मैं हाँफते हुए बोली। आखिरकार, वो मेरे ऊपर आया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “पुष्पा… मैं झड़ने वाला हूँ… ले, साली… मेरे माल से अपनी चूत भर ले…” उसने कहा, और फिर उसका गर्म माल मेरी चूत में छूट गया। मैं भी उसी वक्त तीसरी बार झड़ गई। हम दोनों हाँफ रहे थे, पसीने से तरबतर।

रात के 3 बजे तक हमने चुदाई की। फिर थककर मैं उसके बगल में सो गई। सुबह 6 बजे सतीश ने मुझे फिर से जगाया। उसका लंड फिर से खड़ा था। “पुष्पा, एक बार और चूत मार लूँ?” उसने पूछा। मैंने हँसकर हाँ कहा, और वो फिर से मेरी चूत में घुस गया। “ले, रंडी… सुबह-सुबह तेरी फुद्दी को चोदकर ताजा कर दूँ,” उसने गाली देते हुए कहा। इस बार उसने मेरी गांड पर भी हाथ फेरा, लेकिन मैंने मना कर दिया, “सतीश, गांड नहीं… चूत ही चोद…” वो हँसा और मेरी चूत को फिर से चोदने लगा। सुबह की चुदाई छोटी लेकिन तगड़ी थी।

शनिवार को दिन में भी हमने दो-तीन बार चुदाई की। हर बार सतीश मुझे नई पोजीशन में चोदता, और मैं हर पल का मजा ले रही थी। “तुझे गाली सुनकर कितना मजा आता है, साली,” उसने दिन में चोदते हुए कहा, और मैंने सिसकारियाँ लेते हुए जवाब दिया, “हाँ… तेरी गालियाँ मेरी चूत को और गीला कर देती हैं…” राकेश का फोन आया कि वो रविवार सुबह आएँगे, तो हमने रात को फिर से व्हिस्की पी और एक-दूसरे को खुश किया। सतीश ने मुझे रात में फिर से चोदा, और इस बार उसने मेरे चूचों पर अपना माल छोड़ा। “ले, तेरे चूचों को मेरे माल से नहला दूँ,” उसने कहा, और मैंने उसका लंड चाटकर साफ किया। हम दोनों हँसते हुए सो गए।

अब मैं चाहती हूँ कि ऐसे ही मौके मिलते रहें। ये रात मेरी जिंदगी की सबसे हसीन रात थी। मैं जल्द ही अपनी अगली कहानी लिखूँगी। आप लोगों को मेरी ये सच्ची चुदाई की कहानी कैसी लगी? कृपया कमेंट करके बताएँ।

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