Cuckold dad threesome sex story – Father daughter doctor threesome sex story: उस रात के बाद पापा मेरे सामने घुटनों पर थे। मैंने बस एक बार कहा था, “मुझे दो लंड चाहिए,” और वो तैयार हो गए।
कहानी का पिछला भाग: गुस्से में पापा ने बेटी की गांड फाड़ी
अगले दिन शाम को मैंने डॉक्टर को मैसेज किया, “कल रात 9 बजे, मेरे घर आना। अकेले।” उसने तुरंत रिप्लाई किया, “आ रहा हूँ जान… तैयार रहना।”
शाम सात बजे से मैं तैयार होने लगी। लाल ट्रांसपेरेंट बेबी-डॉल पहना, अंदर कुछ नहीं। चूचे और चूत साफ दिख रहे थे। पापा ने देखा तो लंड खड़ा हो गया, पर मैंने मना कर दिया, “आज नहीं पेशेंस रखिए पापा… आज आपकी बेटी का कन्यादान है।”
डॉक्टर ठीक नौ बजे आया। दरवाजा मैंने खोला। वो मुझे देखकर हक्का-बक्का। मैंने उसे अंदर खींचा और लिविंग रूम में ले गई।
पापा सोफे पर बैठे थे, सिर्फ बॉक्सर में। डॉक्टर ने पापा को देखा तो घबरा गया, “ये… ये कौन?”
मैंने मुस्कुराकर पापा के पास बैठ गई, उनके लंड पर हाथ फेरते हुए बोली, “मेरे मालिक… और आज तुम्हारे भी मालिक।”
डॉक्टर की समझ में कुछ नहीं आया। पापा ने शांत आवाज में कहा, “बैठो डॉक्टर साहब… आज मेरी बेटी का कन्यादान करना है।”
डॉक्टर की आँखें फट गईं, “बेटी???”
मैंने हँसते हुए पापा का बॉक्सर नीचे खींचा और उनका 8 इंची फौलादी लंड बाहर निकाल लिया। डॉक्टर का मुँह खुला का खुला रह गया।
पापा ने कहा, “हाँ बेटी… आज तू जो चाहेगी वही होगा।”
मैं डॉक्टर के पास गई, उसकी पैंट खोली और लंड बाहर निकाला। फिर पापा के सामने घुटनों पर बैठ गई और दोनों लंड एक साथ मुँह में लेने की कोशिश करने लगी।
डॉक्टर अभी भी शॉक्ड था, पर उसका लंड मेरे मुँह में कड़क हो रहा था। मैंने दोनों को एक-एक करके चूसा, “सुड़ुप… सुड़ुप… च्ल्लप…”
फिर खड़ी हुई, बेबी-डॉल उतारा और नंगी होकर सोफे पर लेट गई। टाँगें फैलाईं और बोली, “पापा… कन्यादान कीजिए।”
पापा उठे, डॉक्टर का लंड हाथ में लिया, उसकी तरफ देखा और बोले, “आज से ये मेरी बेटी की चूत का दूसरा मालिक है।”
फिर मेरी चूत पर थूक लगाई, डॉक्टर का लंड सुपारा चूत पर रगड़ा और धीरे-धीरे अंदर धकेल दिया।
डॉक्टर की आँखें बंद हो गईं, “आह्ह्ह… स्वीटी…”
पापा ने उसकी कमर पकड़कर एक जोरदार धक्का लगवाया, पूरा लंड अंदर चला गया। डॉक्टर सिसक उठा।
मैंने पापा को देखकर मुस्कुराई, “थैंक यू पापा… अब आप भी आ जाइए।”
पापा मेरे मुँह के पास आए। मैंने उनका लंड गले तक ले लिया। अब मैं एक साथ दो लंड ले रही थी, एक चूत में, एक मुँह में।
डॉक्टर पीछे से धकापेल कर रहा था, पापा मेरा मुँह। कमरा सिर्फ च्ट्टाक… च्ट्टाक… और सुड़ुप… सुड़ुप की आवाजों से भर गया।
फिर मैं घोड़ी बन गई। डॉक्टर ने गांड में, पापा ने चूत में। दोनों एक साथ अंदर-बाहर। मैं चीख रही थी, “आह्ह्ह पापा… आह्ह्ह डॉक्टर… फाड़ दो मुझे… ओह्ह्ह्ह…”
दोनों लंड एक साथ मेरे अंदर टकरा रहे थे। मैंने कभी ऐसा मजा नहीं लिया था।
डॉक्टर पहले झड़ा, मेरी गांड में। फिर पापा ने चूत में। मैं तीन बार झड़ चुकी थी।
फिर मैं दोनों के बीच लेट गई। एक का लंड मुँह में, दूसरा चूत में। रात भर चुदाई चली। कभी डॉक्टर ऊपर, कभी पापा। कभी दोनों एक साथ।
सुबह तक हम तीनों नंगे लिपटे सोए।
पापा ने डॉक्टर से कहा, “अब से तू जब चाहे आ सकता है… मेरी बेटी अब हमारी साझा रखैल है।”
डॉक्टर खुश होकर चला गया।
अब मेरे पास दो मालिक हैं। एक जो मुझे जन्म दिया, दूसरा जिसने मेरी चूत में कॉपर-टी डाली।
प्यारे पाठकों, अब मेरी चूत और गांड दोनों हमेशा भरी रहती है। अगली बार बताऊँगी कैसे हम तीनों ने होटल में पूरी रात गंद मचाया।
आपकी रखैल स्वीटी पुरोहित