हाय दोस्तों। मेरा नाम सिमरन है और मेरी उम्र 24 साल है। मैं एक हाउसवाइफ हूं, लेकिन मेरे जिस्म की आग ऐसी है कि हर मर्द की नजर मुझ पर ठहर जाए। मेरा रंग दूध सा गोरा है, पतला शरीर लेकिन फिगर ऐसा कि किसी का भी लंड खड़ा हो जाए—पतली कमर, भरे हुए चूतड़, और बड़े-बड़े रसीले स्तन जो 36-26-34 के फिगर में हर किसी को ललचा दें। मेरी हाइट 5 फीट 5 इंच है, छोटे बाल जो मेरे चेहरे पर लहराते हैं, और लोग कहते हैं कि मैं किसी कामुक सपने सी लगती हूं। अब अपने पति की बात करूं—उनका नाम विनोद है, हैंडसम और हट्टा-कट्टा। हम दोनों एक-दूसरे के लिए पागल हैं, वो मेरे जिस्म की हर नस को खुश करने का तरीका जानते हैं। डेढ़ साल बाद भी हमारी चुदाई में वो आग बरकरार है, जैसे पहली रात की प्यास अभी बुझी ही न हो।
मैं शर्मीली हूं, लेकिन मेरे जिस्म में छुपी आग का अंदाजा विनोद को बखूबी है। मेरा पहला सेक्स सुहागरात को हुआ था, जब उसने मेरी चूत को पहली बार अपने लंड से भरा था। हमारी सेक्स लाइफ किसी जंगली खेल से कम नहीं। विनोद को चुदाई में खुलकर बात करना पसंद है, वो हर बार कुछ नया ट्राई करते हैं—कभी मेरे मुँह में लंड ठूंसते हैं, कभी मेरी गांड को चाटते हैं। हम रोज 3 बार, कभी-कभी उससे भी ज्यादा, एक-दूसरे को निचोड़ते हैं। घर में सिर्फ हम दोनों हैं, तो मौका मिलते ही वो मेरे ऊपर भूखे शेर की तरह टूट पड़ते हैं। मैं उनके 6 इंच के मोटे लंड से चुदते हुए सातवें आसमान पर होती हूं। किसी और मर्द का ख्याल मेरे दिमाग में कभी नहीं आया, लेकिन
विनोद को चुदाई में नयापन चाहिए। वो मेरे साथ चोदते वक्त अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड्स का नाम लेते हैं, “सिमी, देखो कैसे इसे चोदा था,” और फिर मेरी चूत में धक्के मारते हैं। मुझे बुरा नहीं लगता, उनकी बातें मेरे जिस्म में और आग लगा देती हैं। वो मुझे कैम पर नंगी होने को कहते हैं, मैं मना कर देती हूं, लेकिन उनके कहने पर मैंने इंटरनेट पर ढेर सारे लंड देखे हैं—मोटे, लंबे, काले, गोरे। मेरे लिए वो सब सिर्फ विनोद की खुशी का खेल है। हमने साथ में ढेर सारी कामुक कहानियां पढ़ी हैं—वाइफ शेयरिंग, थ्रीसम, फोरसम, ग्रुप सेक्स, स्वैपिंग। वो मुझे उकसाते हैं, “सिमी, सोचो कितना मजा आएगा जब दो लंड तेरी चूत और गांड में एक साथ होंगे।” मैं हंसकर टाल देती हूं, “ये सब कहानियों में अच्छा है, असल में मैं सिर्फ तुम्हारे लंड की दीवानी हूं।” लेकिन फिर एक ऐसी घटना हुई जिसने मेरे जिस्म की प्यास को एक नए मर्द के लंड तक पहुंचा दिया।
अब कहानी शुरू करती हूं। हमारे बगल वाले घर में मिस्टर सिंह रहते हैं—43 साल के, 6 फीट लंबे, चौड़ा सीना, मजबूत जिस्म। उनकी बीवी मर चुकी है, दो बच्चे हैं। वो इतने स्मार्ट हैं कि उनकी एक नजर भी किसी औरत की चूत गीली कर दे। उनके बच्चे हमारे घर आते रहते हैं, उनका स्वभाव अच्छा है, लेकिन मैंने उन्हें कभी नहीं बुलाया। विनोद और मैंने कई बार देखा कि वो मुझे घूरते हैं—मेरे भरे हुए स्तन, मेरी कमर, मेरी टांगों को जैसे नजरों से चोदते हों। विनोद हंसते हुए कहते, “सिमी, ये तो तेरे जिस्म का भूखा लगता है, कहीं मौका मत दे देना।” मुझे हंसी आती थी, लेकिन उस दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी चूत ने मिस्टर सिंह के लंड का स्वाद चख ही लिया।
वो रविवार का दिन था। मैंने घर का काम निपटाया और 12 बजे फ्री हो गई। मेरी चूत में हल्की सी गुदगुदी हो रही थी, नींद भी आ रही थी। विनोद ने कहा, “मैं दोस्त के पास जा रहा हूं, कुछ लाना हो तो बता।” मैंने आइसक्रीम मांगी, सोच रही थी कि बाद में उससे अपनी चूत चटवाऊंगी। वो गया, मैंने गेट लॉक किया और अपने रूम में आकर बिस्तर पर उल्टी लेट गई। पजामा और टी-शर्ट में मेरा जिस्म किसी माल की तरह लग रहा था—मेरे चूतड़ उभरे हुए, स्तन बिस्तर से दबे हुए। 5 मिनट में नींद लग गई, लेकिन कानों में मिस्टर सिंह की आवाज गूंज रही थी—वो अपने बेटे को पुकार रहे थे। मुझे नहीं पता था कि वो हमारी छत से नीचे उतर रहे हैं। अचानक वो मेरे रूम में आ गए। मैं चौंककर उठी, मेरे रसीले होंठ खुले हुए थे, “भाई साहब, आप यहां?” वो बोले, “सॉरी, अपने बेटे को ढूंढ रहा था।” उनकी नजर मेरे उभरे स्तनों पर अटक गई थी। मैंने कहा, “वो तो यहां नहीं आया।”
वो मुड़ने ही वाले थे कि विनोद गेट पर आ गया और दरवाजा खटखटाने लगा। मेरी चूत में डर की सनसनी दौड़ गई—अगर उसने मिस्टर सिंह को देख लिया तो क्या सोचेगा? मैंने जल्दी से कहा, “भाई साहब, बाहर मत जाइए, गेट लॉक है। विनोद गलत समझेगा, प्लीज यहीं छुप जाइए, वो 2 मिनट में चला जाएगा।” वो बोले, “मैं समझा दूंगा।” मैंने कहा, “नहीं, आप उसे नहीं जानते।” वो मान गए। मैंने गेट खोला, विनोद अंदर आया और सीधा उसी रूम की तरफ बढ़ने लगा। मेरी सांस अटक गई। मैंने पूछा, “क्या हुआ, गए नहीं?” वो बोला, “अभी नहीं, 1 घंटे बाद जाऊंगा। दोस्त मुझे यहीं से पिक करेंगे। सोचा अपनी मस्त बीवी के साथ आइसक्रीम खा लूं।” मैं डर से कांप रही थी, लेकिन विनोद ने टीवी ऑन किया और मुझे बुलाया, “आ जाओ जान, आइसक्रीम खाते हैं।” मुझे थोड़ी राहत हुई कि मिस्टर सिंह कहीं छुप गए होंगे।
कांपते पैरों से मैं बिस्तर पर बैठ गई। विनोद मेरे पास आया, “आइसक्रीम खाओ।” मैंने कहा, “अभी नहीं।” वो मेरे करीब सरक आया, उसकी गर्म सांसें मेरे गले पर पड़ रही थीं, “नहीं, हम अभी खाएंगे, नए ढंग से।” उसने आइसक्रीम मेरे पैरों पर गिराई और चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी टांगों पर रेंग रही थी, मेरी चूत गीली होने लगी। मैंने कहा, “विनोद, तंग मत करो।” वो मेरे ऊपर झुक आया, मुझे चूमते हुए बोला, “क्यों, अभी मूड नहीं है?” मुझे टेंशन थी कि मिस्टर सिंह कहीं हैं, और विनोद को कुछ पता नहीं। मैंने कहा, “नहीं है मूड।” वो हंसा, “फिर तो और मजा आएगा,” और मेरे ऊपर चढ़कर मुझे पागलों की तरह चूमने लगा। उसकी जीभ मेरे होंठों को चूस रही थी, उसका लंड मेरे पजामे के ऊपर से मेरी चूत को रगड़ रहा था। मैं चुपके से मिस्टर सिंह को ढूंढ रही थी। बिस्तर के नीचे झांका—वहां नहीं थे। फिर विनोद मेरी गर्दन चूम रहा था, तभी मैंने साइड में देखा—हमारे रूम में लकड़ी की अलमारी थी, बड़ी, खाली-सी। मुझे लगा, भाई साहब वहीं हैं।
मैंने सोचा, अगर विनोद ने यहीं चुदाई शुरू कर दी तो मिस्टर सिंह को मेरी नंगी चूत का तमाशा मुफ्त में मिलेगा। मैंने कहा, “चलो दूसरे रूम में चलते हैं।” वो उठा, “क्यों, यहां क्या है? वैसे भी तो यहीं चुदवाती हो। आज क्या हुआ है, मेरा साथ क्यों नहीं दे रही?” मुझे लगा, अगर उसका साथ नहीं दिया तो उसे शक हो जाएगा। मैंने सब भगवान पर छोड़ दिया और उसे गले लगाकर चूमने लगी। वो बोला, “वाह, मेरी बीवी!” उसने मेरे होंठों पर आइसक्रीम लगाई और चाटने लगा। उसकी जीभ मेरे मुँह में घुस रही थी, मेरा जिस्म गर्म होने लगा। फिर उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए—उसका 6 इंच का लंड तना हुआ था, मेरे मुँह में पानी आ गया। उसने मेरी टी-शर्ट खींचकर उतारी, मेरे रसीले स्तन उछल पड़े। उसने आइसक्रीम मेरे निप्पलों पर लगाई और चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निप्पलों को मसल रही थी, मैं सिसकारियां ले रही थी। मैं बीच-बीच में अलमारी की तरफ देखती—मुझे पता था मिस्टर सिंह मेरे नंगे जिस्म को तरस रही नजरों से निहार रहे होंगे।
विनोद ने मेरा पजामा और पैंटी भी उतार दी। मैं पूरी नंगी थी—मेरी गोरी चूत चमक रही थी, मेरे चूतड़ हवा में लहरा रहे थे। उसने आइसक्रीम मेरी जांघों पर लगाई और चाटने लगा, फिर मेरी चूत पर ठंडी आइसक्रीम डालकर अपनी गर्म जीभ से चूसने लगा। मेरी चूत से रस टपकने लगा। मैं सोच रही थी—मिस्टर सिंह मेरी चुदाई को 6 फीट की दूरी से देख रहे होंगे, उनका लंड उनकी पैंट में तड़प रहा होगा। विनोद की वाइफ शेयरिंग वाली बातें याद आने लगीं। अब मुझे मजा आने लगा कि कोई गैर मर्द मेरे नंगे जिस्म को चोदती नजरों से देख रहा है। मैंने अपने स्तन दबाए, विनोद मेरी चूत और गांड को चाट रहा था। 2 मिनट में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, मैं झड़ गई। विनोद ने मेरा सारा रस चाट लिया, “आज क्या बात है सिमी, इतनी जल्दी पानी छोड़ दिया?” मैंने बात घुमाई, “जान, ये आइसक्रीम वाला आइडिया गजब था।”
वो लेट गया, उसका लंड मेरे सामने तना हुआ था। “चूसो इसे,” उसने कहा। मैंने सोच लिया कि आज मिस्टर सिंह को लाइव चुदाई का पूरा मजा दूंगी। मैं उसके लंड पर झुकी, उसे मुँह में लिया और चूसने लगी। मेरा मुँह अलमारी की तरफ था ताकि मिस्टर सिंह को मेरे होंठों का खेल साफ दिखे। मैं कभी लंड चूसती, कभी उसके टट्टों को मुँह में लेकर चाटती। विनोद दर्द से उछल पड़ता, “सिमी, आज तो तू मुझे मार डालेगी!” थोड़ी देर बाद मैं अपने बाल बांधने के लिए बिस्तर पर खड़ी हुई—मेरा पूरा नंगा जिस्म मिस्टर सिंह के सामने था, मेरे स्तन हवा में लहरा रहे थे, मेरी चूत चमक रही थी। फिर मैं नीचे उतरी और घोड़ी बनकर विनोद का लंड चाटने लगी ताकि मिस्टर सिंह को मेरी गीली चूत और उभरी गांड का नजारा मिले। मैं पूरे मजे में थी।
फिर मैं ऊपर आई और विनोद के लंड को अपनी चूत पर सेट किया। एक झटके में वो अंदर—मेरी चूत में आग लग गई। मैं उसके लंड पर उछलने लगी, मेरे स्तन हवा में नाच रहे थे। विनोद के चेहरे से लग रहा था कि उसे मजा आ रहा है, और मुझे भी। शायद मिस्टर सिंह का लंड भी पैंट में फटने को तैयार होगा। मैं अपने होंठ काटती, अपने स्तन दबाती। 15 मिनट तक मैं लगातार उछलती रही, थक गई, फिर भी झड़ गई। विनोद के ऊपर गिर पड़ी, लेकिन उसका लंड अभी भी खड़ा था। उसने मेरी टांगें उठाईं, मेरी कमर के नीचे तकिया रखा और जोरदार धक्के मारने लगा। मेरे मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं—आह्ह्ह, उह्ह्ह। वो चोदते हुए बोला, “सिमी, मान जा, थ्रीसम, फोरसम, ग्रुप सेक्स में मजा है। मैं तुझे किसी और से चुदते देखना चाहता हूं।” मुझे टेंशन हुई—कोई और चोदे न चोदे, मिस्टर सिंह तो बाहर निकलते ही मुझे ठोक देंगे।
फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गांड में एक झटके से लंड पेल दिया। तेज धक्कों से मेरी गांड लाल हो गई। मैं भी अपनी गांड पीछे फेंक रही थी, मजा दोगुना हो रहा था। वो कभी मेरी गांड चाटता, कभी चूत, कभी चूत में लंड डालता, कभी गांड में। “मान जा सिमी, एक लंड से क्या मजा? एक तेरी गांड में, दूसरा चूत में, तीसरा मुँह में—कितना रसीला होगा!” मैं मिस्टर सिंह के लंड को कल्पना करने लगी, मेरा पानी तीसरी बार झड़ गया। तभी विनोद के दोस्तों का कॉल आया, “10 मिनट में पहुंच रहे हैं, तैयार रहना।” विनोद ने मुझे सीधा किया, मेरी चूत में लंड डाला और तेज धक्के मारे। 25 धक्कों बाद उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। मैंने भी महसूस किया—आज की चुदाई सबसे गजब थी। मैंने उसका लंड चाटकर साफ किया। वो उठा, कपड़े पहने, “दोस्त बाहर आ गए, रात को मिलते हैं। गेट लॉक कर लेना।” और चला गया।
मैंने राहत की सांस ली, नंगी ही बिस्तर पर पड़ी रही। नशा धीरे-धीरे उतर रहा था। अचानक याद आया—मिस्टर सिंह! मैं झट से उठी, पजामा और टी-शर्ट पहनी, गेट लॉक किया और पानी का गिलास लेकर रूम में आई। “भाई साहब, बाहर आइए।” मिस्टर सिंह अलमारी से निकले—पसीने से तर, उनकी आंखों में वासना चमक रही थी। उनकी पैंट में तना हुआ लंड साफ दिख रहा था। मैं उनसे नजर नहीं मिला पाई। पानी देते हुए बोली, “सॉरी भाई साहब, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मुझे क्या पता था विनोद नहीं जाएगा।” वो चुपचाप पानी पीते हुए बिस्तर पर बैठ गए—मेरी ब्रा और पैंटी वहीं पड़ी थी। मैंने फिर कहा, “सॉरी।” वो बोले, “इट्स ओके।” वो उठकर जाने लगे, मैंने सोचा जान बची, लेकिन वो वापस आए, “सिमी, तुम बहुत सुंदर हो। तुम्हारा पति बहुत लकी है। आज मैंने तुम्हें जिस हालत में देखा, कोई और होता तो ये मौका न छोड़ता।”
मैंने कहा, “हां भाई साहब, आप बहुत लॉयल हैं।” वो मेरे पास आए, उनकी सांसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं, “देखो सिमी, तुम्हारे रूप ने मुझे पागल कर दिया। मेरी बीवी को मरे 8 साल हो गए, मैंने कभी बाहर सेक्स नहीं किया। लेकिन आज तुमने मेरे शैतान को जगा दिया।” मैं डर गई। वो बोले, “मैं जबरदस्ती नहीं करूंगा। अगर तुम चाहो तो एक बार मेरे साथ सेक्स कर लो, फिर कभी नहीं कहूंगा।” उनकी आंखों में पानी था, वो लंड की प्यास में तड़प रहे थे। मैंने कहा, “नहीं भाई साहब, ये गलत है। मैं विनोद से बहुत प्यार करती हूं।” वो बोले, “विनोद भी तो यही चाहता है—थ्रीसम, फोरसम। फिर क्या दिक्कत है?” मैंने कहा, “हां, लेकिन उसकी मर्जी से ही ऐसा हो सकता है।” वो उदास हो गए, “चलो ठीक है। क्या मेरे बारे में विनोद से बात करोगी?” मैंने हां कह दी।
फिर वो बोले, “सिमी, मैंने तुम्हें पूरा नंगा देख लिया, अब तुम मेरा लंड देख लो।” इससे पहले कि मैं कुछ बोलूं, उन्होंने अपनी पैंट से 8 इंच का मोटा, लंबा लंड निकाल लिया। मैं उसे देखकर दंग रह गई—विनोद का लंड इससे छोटा था। वो बोले, “कैसा लगा? तुम्हारे पति से बड़ा है न?” मैंने हल्की सी स्माइल दी। फिर वो बोले, “एक काम कर दो। सेक्स का फैसला तो विनोद से पूछोगी, लेकिन आज मेरा पानी अपने हाथ से निकाल दो।” मैंने सोचा, ठीक है—अगर विनोद मना कर देगा तो ये मुझे तंग नहीं करेगा। “सिर्फ हाथ से, आप मुझे टच नहीं करेंगे।” वो मान गए।
वो बिस्तर पर बैठे, मैं नीचे उनके सामने बैठ गई। डरते-डरते मैंने उनका लंड पकड़ा—मोटा, गर्म, जैसे कोई लोहे की छड़ हो। पहले अजीब लगा, फिर मजा आने लगा। मैं एक हाथ से हिलाती, दूसरे से टट्टे सहलाती। लेकिन लंड पानी नहीं छोड़ रहा था। मैं थक गई। मैंने उन्हें लेटने को कहा और उनके बगल में उल्टी लेट गई। उनका लंड मेरे मुँह के पास था। हिलाते-हिलाते मैं सोचने लगी—अगर विनोद मान जाए तो ये लंड मेरी चूत और गांड में होगा। मेरे जिस्म में फिर वासना जागी। पता नहीं कब मेरी टांग उनकी छाती पर चढ़ गई, वो मेरे अंगूठे को चूस रहे थे। मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने सोचा, जल्दी इसका पानी निकालूं।
मैंने लंड की चमड़ी पीछे खींची और सुपारे को मुँह में ले लिया। इतना बड़ा सुपारा था कि मेरा मुँह भर गया। उनकी सिसकारियां निकलने लगीं—आह्ह्ह। मेरी गर्म जीभ से वो 2 मिनट भी नहीं झेल पाए और सारा माल मेरे मुँह में छोड़ दिया। मैं इतनी मस्त थी कि सारा पानी पी गई और लंड चूसती रही। वो उठे, मेरे बाल सहलाने लगे, मेरी गांड, मेरी जांघें दबाने लगे। मेरा नशा बढ़ रहा था। लंड अभी भी खड़ा था। मैंने उसे मुँह से निकाला और सीधी लेट गई, तड़प रही थी। उन्होंने मेरे स्तन दबाए, मेरी टी-शर्ट ऊपर की, मेरे निप्पल को मुँह में लेकर खींचा। मैं सिसक उठी—आह्ह्ह। दूसरा निप्पल भी चूसा, मैं मदहोश हो गई।
फिर उन्होंने मेरी टी-शर्ट उतार दी, मेरे बगल और स्तनों को चूमने लगे। उनका लंड मेरा पजामा फाड़ने को तैयार था। मैं फिर उनके सामने नंगी थी। वो बोले, “सिमी, तुम कयामत हो।” फिर अपना मुँह मेरी चूत पर ले गए। मेरी टांगें खोलकर मेरी गीली चूत को देखने लगे—विनोद का माल अभी भी अंदर था। उन्होंने बिना सोचे मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया। उनकी सख्त जीभ मेरी चूत में घुस रही थी, मैं उछल रही थी। कभी वो मेरी गांड का छेद चाटते, कभी चूत में उंगली डालकर चूसते। मैं सातवें आसमान पर थी। फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया, पीछे से मेरी गांड और चूत को चाटा। हम 69 में आ गए—मैं उनके ऊपर थी, उनका लंड बेरहमी से चूस रही थी। मेरा पानी निकल गया, वो सारा रस पी गए।
पिछले डेढ़ घंटे से मैं चुद रही थी, 4 बार झड़ चुकी थी। वो बोले, “अभी बस कहां?” मुझे सीधा किया, मेरे ऊपर चढ़े। उनका लंड मेरी चूत पर सेट हुआ। चूत सूख चुकी थी, मुझे दर्द होने वाला था। उन्होंने लंड रगड़ा और धीरे-धीरे अंदर डाला। पूरा 8 इंच अंदर—मेरी चूत फटने को थी। 3 मिनट में चूत गीली हुई, मजा आने लगा। उनका मोटा लंड मेरी चूत को भर रहा था। मैं उनका साथ देने लगी। हमने एक जबरदस्त किस की—वो मेरी जीभ चूस रहे थे। कभी मेरे गाल काटते, कभी स्तन। मैं उनके बालों में हाथ फेर रही थी। मैं फिर झड़ने वाली थी। “तेज, तेज,” मैं चीखी। वो तेज हो गए। मेरे मुँह से निकला—आह्ह्ह, तेज्ज्ज, उह्ह्ह। आखिरी धक्के ने मेरी चूत फाड़ दी। हम दोनों एक साथ झड़े—मेरी चूत उनके गर्म माल से भर गई।
उन्होंने मुझे चूमा, “थैंक्स सिमी, तुमने मुझे वो दिया जिसके लिए मैं तरस रहा था।” मैंने कहा, “भाई साहब, अब जाइए।” वो बोले, “ठीक है, लेकिन मेरा लंड साफ कर दो।” मैंने उनके लंड को चाटकर चमकाया। वो खुश होकर गए। मैं संतुष्ट थी, लेकिन मन में गिल्ट था कि मैंने विनोद को धोखा दिया। मैंने सोचा, उसे सब सच बता दूंगी।
उस रात विनोद 10 बजे आया, नशे में था। उसने मुझे चोदा, मेरे स्तनों पर निशान देखे। “ये किसने डाले?” मैं डर गई, लेकिन कहा, “दोपहर को तुमने।” वो चोदता रहा, मुझे कुछ महसूस नहीं हुआ। दो दिन बाद मैंने फैसला किया—उसे सब बताऊंगी। मैंने ये कहानी लिखी और विनोद को दी, “पढ़ो, अच्छी लगे तो पोस्ट कर देना।” वो पढ़ रहा था, मैं तकिए में रो रही थी। आगे क्या हुआ, अगली कहानी में बताऊंगी। बाय। मुझे मेल करना मत भूलना—simranvinod@ymail.com। अपनी राय कमेंट्स में जरूर दें।