अनोखी चीज देवर के साथ

हैलो दोस्तों, मेरा नाम सुषमा है। मैं मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर में रहती हूँ। मेरी उम्र 32 साल है, और मैं एक गृहिणी हूँ। मेरी शादी को 6 साल हो चुके हैं। मेरा फिगर 36-28-38 है, और मेरी त्वचा गोरी है, जिसे देखकर लोग अक्सर तारीफ करते हैं। मेरे पति, राजेश, 38 साल के हैं। वो एक सरकारी नौकरी में हैं, लेकिन उनकी सेक्स लाइफ में रुचि कभी नहीं रही। उनका लंड छोटा है, शायद 4 इंच का, और वो सेक्स के दौरान जल्दी थक जाते हैं। सुहागरात से ही मुझे उनके साथ मज़ा नहीं आया। वो बस अपनी ज़रूरत पूरी करते हैं और सो जाते हैं। मुझे कभी चरम सुख नहीं मिला। जब मेरी सहेलियाँ अपनी रातों की बातें करतीं, जैसे कि उनके पति ने उन्हें कैसे थका दिया, तो मैं उदास हो जाती। मेरी चूत की प्यास कभी बुझी ही नहीं।

मेरे घर में मेरा देवर, मानव, भी रहता है। मानव 24 साल का है, जवान, तंदुरुस्त, और कसरत का शौकीन। उसका बदन तराशा हुआ है, चौड़े कंधे, मज़बूत बाजू, और सीना ऐसा कि किसी को भी ललचा दे। उसकी लंबाई 6 फीट है, और उसका रंग हल्का सांवला है, जो उसे और आकर्षक बनाता है। मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन पिछले कुछ महीनों से मेरे मन में एक ख्याल बार-बार आ रहा था कि शायद मानव मेरी इस प्यास को बुझा सकता है। उसकी मर्दाना शख्सियत और वो मुस्कान मेरे दिल को छू जाती थी। मैंने सोच लिया कि उसे पटाने का प्लान बनाना होगा।

मैंने धीरे-धीरे मानव को ललचाने की कोशिश शुरू की। जब भी वो छत पर कसरत करने जाता, मैं कोई ना कोई बहाना बनाकर वहाँ पहुँच जाती। कभी कपड़े सुखाने का बहाना, तो कभी फोन पर बात करने का। उसका पसीने से भीगा बदन, टाइट बनियान में उभरी मांसपेशियाँ, और उसकी गहरी साँसें मुझे बेकरार कर देती थीं। मैं उसकी तरफ चोरी-छिपे देखती और अपने मन में उसकी ताकत का अंदाज़ा लगाती। एक दिन, जब मैं बाहर से घर लौटी, मैंने अपनी चाबी से दरवाज़ा खोला और सीधे अपने कमरे में चली गई। उस वक्त मानव अपने कमरे में सो रहा था। थोड़ी देर बाद कुछ आवाज़ हुई, तो मैं बाहर निकली। मानव के कमरे की तरफ गई, और जो देखा, उसने मेरी साँसें रोक दीं।

मानव का बाथरूम का दरवाज़ा खुला था, और वो टॉयलेट में खड़ा था। उसका लंड साफ दिख रहा था, और मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। वो कम से कम 7 इंच लंबा और मोटा था, ऐसा जो मेरे पति के लंड से कहीं ज़्यादा ताकतवर लग रहा था। मेरी चूत में एकदम से गीलापन महसूस हुआ, और मेरे मन में उससे चुदवाने की इच्छा और तीव्र हो गई। मैंने ठान लिया कि अब मानव को किसी भी तरह अपना बनाना है। मैंने घर में और ज़्यादा सेक्सी कपड़े पहनने शुरू किए। रात को डीप-नेक वाली नाइटी, जिसमें मेरे 36D के बूब्स हल्के-हल्के दिखें, और टाइट लेगिंग्स, जो मेरी गोल-मटोल गांड को उभारे। मैं जानबूझकर मानव के सामने झुकती, ताकि वो मेरे क्लीवेज को देखे। उसकी नज़रें मेरे बदन पर रुकने लगी थीं, और मुझे लग रहा था कि वो भी धीरे-धीरे मेरी तरफ खिंच रहा है।

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कुछ दिनों बाद मेरे पति को कोलकाता जाना पड़ा। ये मेरे लिए सुनहरा मौका था। घर में सिर्फ मैं और मानव थे। मैंने सोच लिया कि अब समय आ गया है। एक दिन मैंने मानव से कहा, “चलो, शॉपिंग मॉल चलते हैं। मुझे कुछ ज़रूरी सामान लेना है।” वो तैयार हो गया। मॉल में मैंने उसे अंडरगारमेंट्स की दुकान पर ले गई। वहाँ मैंने जानबूझकर सेक्सी ब्रा और पेंटी सेट्स उठाए। लाल रंग की लेस वाली ब्रा और काली थोंग पेंटी को देखते हुए मैंने उससे पूछा, “मानव, ये कैसी लग रही है? मेरे ऊपर अच्छी लगेगी ना?” वो थोड़ा शरमाया, लेकिन उसकी आँखों में एक चमक थी। मैंने कुछ और सामान लिया और हम घर लौट आए।

रात को डिनर के वक्त मैंने अपनी सबसे सेक्सी नाइटी पहनी। वो इतनी पतली थी कि मेरे बूब्स और निप्पल्स का आकार साफ दिख रहा था। मैंने जानबूझकर ब्रा नहीं पहनी थी। मानव की नज़रें बार-बार मेरे बदन पर टिक रही थीं। खाना खाते वक्त मैंने उससे मज़ाक में कहा, “क्या बात है, मानव? आजकल तू मुझे कुछ ज़्यादा ही देख रहा है।” वो हड़बड़ा गया और बोला, “नहीं भाभी, वो बस ऐसे ही।” मैंने हँसते हुए कहा, “अच्छा जी, मुझे तो लगता है तुझे मेरी नाइटी बहुत पसंद आई है।” उसका चेहरा लाल हो गया, और मुझे लगा कि अब समय है आखिरी दाँव खेलने का।

अगले दिन मैंने नहाने से पहले अपने अंडरगारमेंट्स और तौलिया जानबूझकर बाहर छोड़ दिया। नहाने के बाद मैंने बाथरूम से आवाज़ लगाई, “मानव, ज़रा मेरी ब्रा और पेंटी पकड़ा दे ना, बाहर टेबल पर रखे हैं।” वो थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन मेरे कपड़े लेकर बाथरूम के दरवाज़े तक आया। मैंने दरवाज़ा हल्का सा खोला, सिर्फ इतना कि मेरे गीले बदन की झलक उसे दिखे। उसने ब्रा और पेंटी मुझे दी, और उसकी आँखों में एक अजीब सी बेचैनी थी। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “शुक्रिया, मानव। तू तो बहुत अच्छा देवर है।” उसने हल्की सी मुस्कान दी, लेकिन मैं समझ गई कि वो अब मेरे जाल में फँस चुका है।

उसी रात मैंने अपने कमरे का दरवाज़ा जानबूझकर खुला छोड़ दिया। मैं एक पतली सी नाइटी में बिस्तर पर लेटी थी, जो मेरे बदन को मुश्किल से ढक रही थी। रात को करीब 1 बजे मुझे कुछ आहट सुनाई दी। मैंने आँखें हल्की सी खोलीं और देखा कि मानव मेरे कमरे के दरवाज़े पर खड़ा है। वो मुझे चोरी-छिपे देख रहा था। मैंने सोने का बहाना बनाए रखा, लेकिन मेरी चूत में गीलापन बढ़ता जा रहा था। थोड़ी देर बाद वो चला गया। अगले दिन डिनर के बाद मैंने उससे मज़ाक में पूछा, “क्या बात है, मानव? कल रात तुझे नींद नहीं आई? मेरे कमरे के बाहर क्या कर रहा था?” वो शरमा गया और बोला, “नहीं भाभी, वो बस पानी लेने आया था।” मैंने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, “सच बताओ, मानव। तुझे क्या चाहिए?” वो चुप रहा। मैंने धीरे से उसका हाथ पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठों के पास ले गई। एक हल्का सा चुम्बन उसकी साँसों को और तेज़ कर गया।

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वो अचानक बोल पड़ा, “भाभी, मुझे आप चाहिए। मैं आपको चोदना चाहता हूँ।” मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। मैंने कहा, “पागल लड़के, मैं तो कब से इस पल का इंतज़ार कर रही हूँ। अब देर मत कर।” उसने मुझे अपनी मज़बूत बाहों में भर लिया और पागलों की तरह मेरे होंठों को चूमने लगा। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उसका साथ दे रही थी। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। उसने मेरी नाइटी को धीरे-धीरे ऊपर उठाया, और मैंने उसे उतारने में उसकी मदद की। अब मैं सिर्फ लाल रंग की ब्रा और पेंटी में थी। उसकी नज़रें मेरे बूब्स पर टिकी थीं। उसने मेरी ब्रा के हुक खोले, और मेरे भारी बूब्स आज़ाद हो गए। मेरे निप्पल्स सख्त हो चुके थे। उसने मेरे एक बूब को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। “आआहह… मानव,” मैं सिसकार उठी। उसकी जीभ मेरे निप्पल्स पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं तड़प रही थी।

उसने मेरी पेंटी को धीरे से नीचे सरकाया। मेरी चूत पूरी तरह गीली थी, और उसकी उंगलियाँ मेरी चूत के होंठों पर फिसलने लगीं। “भाभी, तुम कितनी गीली हो,” उसने कहा, और उसकी आवाज़ में एक कामुकता थी। उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाली, और मैं ज़ोर से सिसकारी, “उउउहह… मानव, और करो।” उसने अपनी उंगलियों को तेज़ी से अंदर-बाहर करना शुरू किया, और मेरी चूत का पानी उसके हाथ पर बहने लगा। मैंने उसे रोका और कहा, “मानव, अब मुझे और मत तड़पाओ। मुझे तुम्हारा लंड चाहिए।” उसने अपनी पैंट उतारी, और उसका 7 इंच का मोटा लंड मेरे सामने था। मैंने उसे अपने हाथ में लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगी। वो सख्त और गर्म था। मैंने उसे अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। “आआहह… भाभी, ये क्या कर रही हो?” वो सिसकार रहा था। मैंने उसका लंड गहराई तक लिया, और मेरी जीभ उसके सुपारे पर घूम रही थी। उसका स्वाद मुझे पागल कर रहा था।

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“भाभी, अब नहीं रुक सकता,” उसने कहा और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। उसने मेरी टाँगें चौड़ी कीं और अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। “उउउहह… मानव, आआहह…” मैं चीख पड़ी। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और मैं तड़प रही थी। मेरी चूत का पानी निकलने लगा, और वो उसे चाट रहा था। “भाभी, तुम्हारा पानी कितना टेस्टी है,” उसने कहा। मैंने कहा, “मानव, अब बस करो। मुझे चोदो, प्लीज़।” उसने अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर रखा और हल्का सा धक्का दिया। “आआहह…” मुझे हल्का सा दर्द हुआ, लेकिन वो मज़ा दे रहा था। उसने धीरे-धीरे अपना पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया। “उउउहह… मानव, कितना बड़ा है तेरा लंड,” मैं सिसकारी। उसने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए। “चट्ट… चट्ट…” उसका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और कमरे में हमारी सिसकारियों की आवाज़ गूँज रही थी।

“आआहह… मानव, ज़ोर से चोदो… अपनी भाभी को रगड़ दो,” मैं चीख रही थी। वो और तेज़ हो गया। मेरी चूत में आग लग रही थी, और मैं सातवें आसमान पर थी। “उउउहह… मानव, मैं झड़ने वाली हूँ…” मैंने कहा, और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसने मुझे और ज़ोर से चोदा, और मैं दो बार और झड़ गई। “भाभी, तुम्हारी चूत कितनी टाइट है,” वो बोला। मैंने कहा, “मानव, अब अपनी पिचकारी मेरे अंदर छोड़ दो। मुझे अपनी बना लो।” उसने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे, और “आआहह…” कहते हुए उसने मेरी चूत में अपनी गरम पिचकारी छोड़ दी। मैं तृप्त हो चुकी थी।

ये सिलसिला कई दिनों तक चला। मैंने बाद में एक बच्चे को जन्म दिया, जो मानव की निशानी था। अब मानव की शादी हो चुकी है, और मेरी चूत फिर से प्यासी है। क्या आपकी कोई ऐसी कहानी है? कमेंट में ज़रूर बताएँ।

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