भाभी ने लंड में तेल लगा के चुदवाया

ये कहानी मेरी और मेरी भाभी रिया की चुदाई की एक ऐसी दास्तान है, जो मेरे दिल-दिमाग में हमेशा ताजा रहती है। रिया भाभी, जो मेरे फुफेरे भाई मोहित की नई-नवेली बीवी थी, वो ऐसी खूबसूरत थी कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए। उनकी सुंदरता सिर्फ चेहरा-मोहरा नहीं, बल्कि दिल से भी थी। वो हंसी, वो बातें, वो अंदाज—सब कुछ ऐसा कि जिंदगी का सबसे गजब का सेक्स अनुभव बन गया। आज भी जब उस रात की बात याद आती है, मेरा लंड अपने आप तन जाता है, और मन करता है कि फिर से वही पल जी लूं।

मेरा नाम रोहन है, और उस वक्त मेरी उम्र 19 साल थी। मैं 5’11” का, गोरा, स्लिम-ट्रिम बदन वाला लड़का था, जो कॉलेज में पढ़ता था और अपनी जिंदगी में मस्ती की तलाश में रहता था। मेरा फुफेरा भाई मोहित आर्मी में जॉब करता था। उसकी शादी कुछ महीने पहले ही हुई थी, लेकिन मैं एक एग्जाम की वजह से उसकी शादी में नहीं जा पाया। मोहित हमेशा फोन पर कहता, “रोहन, अब तो जा के अपनी भाभी से मिल ले। बबली नहीं, रिया है वो—एकदम जन्नत की हूर!” मैंने सुना था कि रिया भाभी बहुत सुंदर हैं, और गाँव में लोग उनकी तारीफ करते नहीं थकते। बस, मन में ठान लिया कि अब तो मिलना बनता है।

मोहित का गाँव पटना से 15 किलोमीटर दूर था। एक दिन मैंने अपनी बाइक उठाई और निकल पड़ा। दोपहर के करीब 3 बजे मैं उनके गाँव पहुंचा। मोहित का घर बड़ा सा था, पुराने स्टाइल का, लेकिन देखने में शानदार। घर में सिर्फ मेरी बुआ, फूफाजी, उनकी छोटी बेटी, और रिया भाभी रहते थे। बुआ मुझे देखते ही खुश हो गईं और बोलीं, “अरे रोहन, आ गया मेरा लाल! चल, भाभी से मिल ले।” वो मुझे रिया भाभी के कमरे में ले गईं।

जैसे ही मैंने रिया भाभी को देखा, मेरे होश उड़ गए। वो थी ही ऐसी—5’5” की लंबाई, दूध सा गोरा रंग, घने काले बाल जो कमर तक लहराते थे। उन्होंने पर्पल सलवार-सूट पहना था, जो उनके बदन पर ऐसा चिपका था कि हर कर्व साफ दिख रहा था। उनकी चूचियां, शायद 34 साइज की, इतनी मस्त थीं कि नजर हटाना मुश्किल था। पतली सी कमर, और नीचे गोल-मटोल गांड—हाय, वो तो बस कयामत थी। मैं तो बस देखता रह गया। मन में सोचा, “मोहित ने तो कमाल कर दिया, ये तो स्वर्ग की अप्सरा है!” रिया भाभी ने मुस्कुरा के मेरा स्वागत किया, और उनकी वो स्माइल—लगता था जैसे आसमान में तारे चमक उठे हों।

हमारी थोड़ी फॉर्मल बात हुई। भाभी ने कहा, “रोहन, तुम यहीं बैठो, मैं चाय बनाकर लाती हूँ।” वो रसोई में चली गईं, और मैं उनकी मटकती गांड को देखता रहा। बुआ ने कहा, “तुम दोनों देवर-भाभी बात करो, मैं जरा बाहर देखकर आती हूँ।” बस, अब मैं और रिया भाभी अकेले थे। वो चाय लेकर आईं और मेरे सामने पलंग पर बैठ गईं। मैंने उन्हें फिर से गौर से देखा। दोस्तों, सच कहूं, मैंने अपनी जिंदगी में ऐसी माल कभी नहीं देखी थी। मेरा लंड तो पैंट में ही तन गया, और मैं बस यही सोच रहा था कि काश इसे चोदने का मौका मिल जाए।

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रिया भाभी मेरी नजरों को भांप गईं और थोड़ा शरमा के बोलीं, “क्या देख रहे हो, देवर जी?” मैंने हिम्मत करके कहा, “भाभी, आप तो इतनी सुंदर हैं, जैसे स्वर्ग से उतरी हों।” वो हंस पड़ीं और बोलीं, “थैंक यू, देवर जी। वैसे तुम भी तो कमाल के हो। मोहित ने बताया था, पर आज देखा तो सच में तुम हमारे खानदान के सबसे स्मार्ट लड़के हो।” उनकी बात सुनकर मेरा सीना चौड़ा हो गया। हमारी बातें शुरू हुईं, और 1-2 घंटे में हमारी अच्छी दोस्ती हो गई। मोहित का फोन आया, और उसने रिया से कहा, “मेरा भाई सबसे प्यारा है, इसका खास ख्याल रखना।” रिया ने हंसते हुए कहा, “टेंशन मत लो, मैं तुम्हारे भाई को पूरी खुशी दूंगी।” उनकी बात में कुछ ऐसा था कि मेरा लंड फिर से खनक गया।

रात के 9 बज गए। बुआ और फूफाजी खाना खाकर सोने चले गए। जाते-जाते बुआ ने रिया से कहा, “इसके बदन पर तेल लगा देना, बेचारा सफर करके थक गया होगा।” रिया ने हंसकर हां में सिर हिलाया। मैंने भी खाना खा लिया और भाभी को निहारते हुए सोच रहा था कि काश कोई चमत्कार हो जाए। मोहित की छोटी बहन ने कहा, “भैया, आपका बेड भाभी के बगल वाले कमरे में बिछा दिया है।” मैं उस कमरे में गया और थकान की वजह से जल्दी सो गया।

रात करीब 11:30 बजे मुझे किसी के आने की आहट हुई। मैं चौंककर उठा। अचानक टॉर्च की रोशनी पड़ी। मैं रजाई में सिर्फ निक्कर और बनियान में था, और अंदर कुछ नहीं पहना था। मेरा 8.5 इंच का लंड, जो भाभी के ख्यालों में मुठ मारने के बाद भी तना हुआ था, निक्कर में साफ दिख रहा था। लाइट जली, और मैंने देखा—रिया भाभी! वो लाल रंग की साड़ी ओढ़े मेरे कमरे में खड़ी थीं। मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई।

वो बोलीं, “देवर जी, तेल लगाने आई हूँ। मांजी ने कहा था, नहीं तो कल डांटेंगी।” मैंने कहा, “भाभी, अब सो जाइए, मैं बुआ को बोल दूंगा कि आपने तेल लगा दिया।” लेकिन वो पलंग पर बैठ गईं और बोलीं, “नहीं, मैं लगाकर ही जाऊंगी।” उन्होंने रजाई हटाई, और मेरा तना हुआ लंड निक्कर में साफ दिखा। वो उसे देखकर मुस्कुराईं और धीरे-धीरे मेरे पैरों पर तेल लगाने लगीं। उनकी नजर बार-बार मेरे लंड पर जा रही थी। मेरे लिए अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था।

10 मिनट तेल लगाने के बाद भाभी उठीं और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। बोलीं, “बाहर से ठंडी हवा आ रही थी।” मैं बस उनके चेहरे को देख रहा था, और मन में सोच रहा था कि आज शायद मेरा सपना सच हो जाएगा। वो फिर मेरे घुटनों के ऊपर तेल लगाने लगीं। तभी उनका हाथ मेरे लंड से टकराया। उन्होंने उसे पकड़ लिया और बोलीं, “देवर जी, इसमें भी तेल लगा दूं?” मैंने हंसते हुए कहा, “तेल लगाने से क्या होगा, भाभी?” वो शरारती अंदाज में बोलीं, “मजा आएगा ना! तुम्हारे भैया तो रोज लगवाते थे।” मैंने कहा, “तो भैया फिर क्या करते थे?” वो शरमा गईं, लेकिन मैंने उनका हाथ पकड़कर अपने निक्कर के अंदर डाल दिया।

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वो बोलीं, “रुकिए, पहले मालिश कर दूं।” फिर एक झटके में उन्होंने मेरा निक्कर खींच दिया। अब मैं नीचे पूरा नंगा था, और मेरा 8.5 इंच का लंड तनकर तंबू बन रहा था। रिया भाभी ने सरसों का तेल लिया और मेरे लंड पर धीरे-धीरे लगाने लगीं। उनकी उंगलियां मेरे लंड के सुपारे पर फिसल रही थीं, और वो बार-बार मेरी आंखों में देखकर मुस्कुरा रही थीं। मुझसे अब रहा नहीं गया। मैंने उन्हें बेड पर पटक दिया और उनके ऊपर चढ़ गया।

रिया भाभी ने मुझे कसकर पकड़ लिया और बोलीं, “देवर जी, मेरी प्यास बुझा दो। मोहित तो महीनों से गए हैं, और मैं तड़प रही हूँ।” मैंने उनकी साड़ी को पैरों से ऊपर उठाया। नीचे वो पूरी नंगी थीं। उनकी चिकनी, गुलाबी बुर को देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने अपना चेहरा उनकी बुर के पास ले जाकर सूंघा—हाय, क्या खुशबू थी! मैंने जीभ निकालकर उनकी बुर को चाटना शुरू किया। उनकी चूत इतनी रसीली थी कि मैं पागल हो गया। रिया भाभी ने मेरे सिर को अपनी जांघों के बीच दबा लिया और सिसकारियां भरने लगीं, “हाय… देवर जी… ऐसे ही… चाटो… उफ्फ!” वो बेड पर उछल रही थीं, और उनकी चूचियां साड़ी के ऊपर से हिल रही थीं।

मैंने उनकी साड़ी पूरी तरह उतार दी। उनकी चूचियां अब मेरे सामने थीं—गोरी, गोल, और सख्त, जैसे दो बड़े संतरे। मैंने एक चूची को मुंह में लिया और चूसने लगा, जबकि दूसरी को जोर-जोर से दबा रहा था। रिया भाभी की सिसकारियां और तेज हो गईं, “हाय… रोहन… और जोर से… मेरी चूचियां मसल दो!” मैंने उनकी बुर में दो उंगलियां डालीं, और वो गीली हो चुकी थी। वो चिल्लाईं, “बस अब और मत तड़पाओ… फाड़ दो मेरी बुर… डाल दो अपना लंड!”

मैंने उन्हें घोड़ी बनाया। उनकी गोल गांड मेरे सामने थी, और मैंने पीछे से अपना लंड उनकी बुर में सटाया। धीरे-धीरे मैंने लंड अंदर डाला। उनकी बुर इतनी टाइट थी कि मेरा लंड पूरा अंदर जाने में वक्त लगा। रिया भाभी चिल्लाईं, “हाय… कितना मोटा लंड है तेरा… फाड़ देगा मेरी बुर को!” मैंने उनकी कमर पकड़ी और जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। उनकी चूचियां हवा में उछल रही थीं, और मैंने उन्हें कसकर पकड़ लिया। वो भी अपनी गांड पीछे-आगे करके मेरा साथ दे रही थीं, “हाय… चोदो मुझे… और जोर से… मेरी बुर को फाड़ दो!”

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हमारी चुदाई पूरे जोश में थी। कमरे में सिर्फ हमारी सिसकारियां और बेड के चरमराने की आवाज गूंज रही थी। करीब 40 मिनट तक मैंने उन्हें घोड़ी बनाकर चोदा। फिर वो बोलीं, “अब रुक जाओ… मैं थक गई।” लेकिन मैं कहां रुकने वाला था? मैंने उन्हें सीधा किया और उनके ऊपर चढ़ गया। उनका चेहरा लाल हो रहा था, और पसीने की बूंदें उनकी चूचियों पर चमक रही थीं। मैंने अपना लंड फिर से उनकी बुर में डाला और सामने से चोदना शुरू किया। इस बार मैंने उनकी टांगें अपने कंधों पर रखीं, ताकि लंड और गहरा जाए। वो चिल्ला रही थीं, “हाय… रोहन… तेरा लंड मेरी बच्चेदानी तक जा रहा है… और जोर से… चोद मुझे!”

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इस बार हमारी चुदाई 80 मिनट तक चली। मैंने उनकी बुर में इतने जोरदार धक्के मारे कि वो बार-बार झड़ रही थीं। आखिरकार, मैं भी झड़ गया। मेरा गर्म माल उनकी बुर में भर गया, और हम दोनों पस्त होकर बेड पर गिर गए। मैं उनके ऊपर ही लेट गया, मेरा लंड अभी भी उनकी बुर में था। रिया भाभी ने मेरे गाल पर चूमा और बोलीं, “देवर जी, तुमने तो मेरी सारी प्यास बुझा दी।”

लगभग एक घंटे बाद उनकी नींद खुली। घड़ी में सुबह के 5 बज रहे थे। वो जल्दी से उठीं, अपनी साड़ी ठीक की, और धीरे से दरवाजा खोलकर अपने कमरे में चली गईं। मैं भी थककर सो गया। अगले 5 दिन मैं बुआ के घर रहा, और हर रात हम चुदाई के मौके ढूंढते। कभी बाथरूम में, कभी रसोई में, कभी छत पर—रिया भाभी की प्यास और मेरी हवस का कोई ठिकाना नहीं था।

बाद में बुआ ने कहा कि रिया को उसके मायके छोड़ दो। मैंने उसे पटना में अपने घर ले जाकर फिर चोदा। उन 5 दिनों में हमने हर वो पोजीशन आजमाई, जो हम सोच सकते थे। रिया की चूचियां, उनकी गांड, उनकी बुर—सब मेरे लिए जन्नत बन गए। बाद में रिया ने एक बेटी को जन्म दिया, और वो मोहित के साथ रहने लगी। लेकिन हर साल छुट्टियों में वो मेरे पास आती, और हम फिर से वही हसीन रातें जीते।

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