नकली बुरचोदी भाभी बनी लंड के मजे के लिए

मेरा नाम रेहाना है। मैं 26 साल की एक मस्त बुरचोदी लड़की हूँ। मुंबई के एक पॉश इलाके में, समंदर के किनारे बने एक हाई-राइज फ्लैट में रहती हूँ। दिन में मैं एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती हूँ, लेकिन रातें मेरी अपनी होती हैं, जब मैं अपनी वासना की आग को ठंडा करने के लिए कुछ भी कर गुजरती हूँ।

मेरा जिस्म ऐसा है कि मर्दों की सांसें थम जाएं। गोरा रंग, पतली कमर, मोटी मोटी जांघें, बड़े बड़े रस भरे बूब्स, और ऊपर से मेरी कजरारी आँखें, जो किसी को भी घायल कर दें। मेरी गांड थोड़ी उभरी हुई है, और जब मैं चलती हूँ, तो मेरे बूब्स आगे से लहराते हैं और पीछे से मेरी मस्तानी गांड मटकती है। रास्ते में चलते हुए मैं हर उस मर्द की नजर पर गौर करती हूँ, जो मुझे देखकर अपना लंड सहलाने लगता है। मुझे फट से समझ आ जाता है कि आज ये भोसड़ीवाला मेरे नाम का सड़का मारेगा।

मैं कपड़े भी वैसे ही पहनती हूँ कि कोई मुझे बिना देखे निकल न पाए। पहले मैं टाइट जीन्स और क्रॉप टॉप्स में घूमती थी, लेकिन अब साड़ी मेरा फेवरेट है। साड़ी में मेरी चूचियां और गांड का उभार ऐसा लगता है जैसे किसी ने मूर्ति तराश दी हो। मैं जब साड़ी का पल्लू थोड़ा सरकाती हूँ, तो मेरी गहरी नाभि और बूब्स की लकीरें मर्दों को पागल कर देती हैं। मन ही मन मैं अपनी चूत, चूचियों और गांड पर गर्व करती हूँ। हाँ, मेरी चूत बाहर से तो दिखती नहीं, लेकिन उसका जलवा मैंने कई लंडों को दिखाया है।

लंड पकड़ने की आदत मुझे छोटी उम्र से ही लग गई थी। 19 साल की थी जब पहली बार मैंने चुदाई का मजा लिया। उस दिन के बाद मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक लंड से दूसरा, फिर तीसरा, बस चुदवाती गई। हर बार चुदाई का माल—कंडोम, लुब्रिकेंट, क्रीम—मैं अपने पर्स में रखती हूँ। पता नहीं कब, कहाँ, किस मस्त लंड से मुलाकात हो जाए? अब तो मेरी लंड की भूख इतनी बढ़ गई है कि दिन-रात मेरे दिमाग में बस लंड ही घूमता है। सोते-जागते, ऑफिस में, लिफ्ट में, हर जगह मुझे लंड की तलब लगती है।

लंड पाने के लिए मैंने एक जबरदस्त जुगत भिड़ाई। मैंने सोचा, अगर मैं नई नवेली दुल्हन बनकर निकलूं, तो मर्द मेरी तरफ ज्यादा खिंचेंगे। आजकल मर्दों को दूसरों की बीवियां चोदने में ज्यादा मजा आता है। खासकर 30-40 के मर्द, जिनके लंड को नई चूत की तलब रहती है। मुंबई जैसे शहर में तो वाइफ स्वैपिंग का धंधा जोरों पर है। हर गली में क्लब बने हैं, ग्रुप बने हैं, जहाँ बीवियों की अदला-बदली होती है। लोग जानते हैं कि चुदी हुई चूत चोदने में ज्यादा मजा है, क्योंकि वो खुलकर चुदवाती है, लंड को प्यार से लपकती है।

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तो मैंने ठान लिया कि मैं बनूंगी एक नकली भाभी। किसी की बीवी बन जाऊं, तो सारी दुनिया का देवर बन जाऊं। भाभी को देवर से चुदवाने का मजा ही अलग है, और देवर को भी भाभी की बुर चोदने में जन्नत मिलती है। बस, अगले दिन से मैं तैयार हो गई। माथे पर चमकती बिंदिया, गले में मंगलसूत्र, हाथों में लाल चूड़ियां, और बदन पर टाइट ब्लाउज के साथ सिल्क की साड़ी। ब्लाउज इतना टाइट कि मेरी चूचियां बाहर निकलने को बेताब, और साड़ी इतनी नीचे बंधी कि मेरी नाभि और कमर का उभार साफ दिखे। मैं सचमुच एक नई नवेली दुल्हन लग रही थी, जिसे देखकर हर मर्द का लंड खड़ा हो जाए।

पहले ही दिन जब मैं घर से निकली, तो मोहल्ले की नजरें मुझ पर टिक गईं। लोग मुझे घूर-घूरकर देखने लगे। मेरी मटकती गांड और हिलती चूचियों ने सबका ध्यान खींच लिया। मैंने और मस्ती से चाल चलना शुरू कर दिया, जैसे कह रही हो—देखो भोसड़ी वालो, ये है असली माल।

मेरे पड़ोस में एक लड़का रहता था, रीतेश। जवान, हट्टा-कट्टा, गोरा-चिट्टा, और बड़ा हैंडसम। वो रोज मुझे आते-जाते देखता, और उसकी नजरें मेरी चूचियों और गांड पर अटक जातीं। एक दिन मेरा दिल भी उस पर आ गया। मैंने सोचा, क्यों न इसकी टेस्टिंग कर ली जाए? उस दिन मैंने हाई हील्स पहनीं और शाम को घर लौटते वक्त उसके सामने जानबूझकर लड़खड़ा गई। मैं थोड़ा गिर पड़ी, और मेरा पल्लू सरक गया, जिससे मेरी गहरी क्लीवेज साफ दिखने लगी।

रीतेश फट से दौड़ा और मुझे पकड़ लिया। उसने पूछा, “मेम, ज्यादा चोट तो नहीं आई?”
मैंने हल्के से मुस्कराकर कहा, “नहीं, कोई खास चोट नहीं आई। थैंक यू… मैं चली जाऊंगी।”
लेकिन मैंने उसकी आँखों में वो भूख देख ली थी। मैं चली गई, पर जानबूझकर अपनी गांड मटकाते हुए।

उसके बाद रीतेश मुझे रोज सुबह-शाम देखने लगा। एक दिन मैं फिर लड़खड़ाई, इस बार थोड़ा ज्यादा। वो मुझे लिफ्ट तक छोड़ने आया। मैंने कहा, “अब इतनी दूर आए हो, तो घर भी आ जाओ न?”
वो शायद यही चाहता था। वो मेरे साथ अंदर आ गया।

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मैंने उसे सोफे पर बिठाया और बोली, “दो मिनट रुको, मैं कपड़े चेंज करके आती हूँ।” मैं अंदर गई, साड़ी, ब्लाउज, ब्रा, पैंटी सब उतार दिया। सिर्फ पेटीकोट पहना, जो मेरी चूचियों तक खींचा हुआ था, और ऊपर से एक पतली शाल लपेट ली। मेरी चूचियां शाल के पीछे से साफ झलक रही थीं। मैं वापस आकर उसके सामने बैठ गई।

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रीतेश ने पूछा, “आप अकेली ही रहती हैं?”
मैंने कहा, “नहीं, तुम लोग तो हो न?”
वो हंस पड़ा।
फिर मैंने बताया, “मेरे शौहर नागपुर में हैं। वो आते-जाते रहते हैं, और मैं भी वहाँ जाती हूँ।”
उसने कहा, “मैं यहाँ अकेला रहता हूँ। मेरा नाम रीतेश है।”

मैं अंदर गई और व्हिस्की का सेट ले आई। बोली, “मेरा साथ दोगे, रीतेश?”
उसने कहा, “हाँ, जरूर दूंगा मेम!”
मैंने थोड़ा गुस्से से कहा, “यार, मैं मेम नहीं, तेरी भाभी हूँ। मुझे भाभी कहो न?”
वो बोला, “हाँ, ये तो बहुत अच्छा हुआ। मेरा मन था भाभी कहने का… पर हिम्मत नहीं हो रही थी।”
मैंने कहा, “तुम मर्द हो यार… तेरी हिम्मत नहीं होगी, तो फिर किसकी होगी? मैं तेरी जगह होती, तो अब तक लिपट जाती अपनी भाभी से। भाभी के आगे देवर को हिम्मत दिखानी पड़ती है।”

हम दोनों ने शराब पीना शुरू किया। मैं जानबूझकर अपनी शाल सरकाती, ताकि मेरी चूचियां उसे दिखें। उसकी आँखें मेरे बूब्स पर टिकी थीं। उसने कहा, “आप बहुत खूबसूरत हैं, भाभी जी।”
मैंने कहा, “आप नहीं यार, तुम कहो। जैसे मैं कहती हूँ, रीतेश भोसड़ी के… तुम मुझे बड़े अच्छे लग रहे हो। बिंदास बोलो, खुलकर बोलो। मर्द हो न तुम?”
वो बोला, “हाँ हाँ भाभी, इसमें कोई शक नहीं… मर्द हूँ।”
मैंने चढ़ते नशे में कहा, “मर्द हो, तो कहाँ है तेरा मर्द? कहाँ छुपा बैठा है, भोसड़ी का? तेरा मर्द बाहर निकालो!”

मैं उठी और उसकी पैंट की तरफ बढ़ी। उसकी चड्डी के अंदर हाथ डाला और उसका लंड बाहर निकाला। मैंने कहा, “ये है बहनचोद, तेरा मर्द! इसी से पहचान होती है कि तू मर्द है या नहीं। इसे कहते हैं ‘लंड’!”

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उसका लंड मेरे हाथ में आते ही तनकर खड़ा हो गया। मोटा, सख्त, और गरम। मैंने अपनी शाल फेंक दी, और मेरी नंगी चूचियां उसके सामने आ गईं। उसका लंड और टनटना गया। मैंने कहा, “वाह, बड़ा जबरदस्त है तेरा लंड, रीतेश!”
उसने मेरी चूचियां दबाईं और बोला, “तेरी चूचियां भी बहुत बड़ी बड़ी हैं, भाभी!”
मैंने कहा, “भाभी की चूचियां बड़ी बड़ी ही होती हैं, भोसड़ी के!”

उसने मेरे पेटीकोट में हाथ डाला और मेरी चूत सहलाने लगा। मैं मजे से उसका लंड चाटने लगी। उसका लंड इतना मोटा था कि मेरे मुँह में मुश्किल से समा रहा था। मैंने उसकी गोटियां चाटीं, लंड का सुपारा चूसा, और फिर पूरा लंड गले तक लिया। वो मेरी चूत में उंगली डालकर चोदने लगा।

मैंने उसे बिस्तर पर खींचा, चित लिटाया, और उसका लंड चूसते हुए अपनी चूत उसके मुँह पर रख दी। वो मेरी बुर चाटने लगा, जैसे कोई भूखा शेर चाट रहा हो। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और मैं सिसकारियां भर रही थी। “हाय रीतेश, चाट भोसड़ी के, मेरी चूत फाड़ दे!”

मैं इतनी गर्म हो चुकी थी कि अब लंड चाहिए था। मैंने कहा, “अब बस, चोद दे मुझे!” उसने मुझे पटक दिया, मेरे ऊपर चढ़ा, और एक झटके में अपना मोटा लंड मेरी चूत में पेल दिया। मैं चीख पड़ी, “हाय मर गई, भोसड़ी का कितना मोटा है तेरा लंड!”

वो धकाधक चोदने लगा। मेरी चूचियां हर धक्के के साथ उछल रही थीं। उसने मेरी टांगें चौड़ी कीं और गहरे गहरे धक्के मारे। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और उसका लंड अंदर-बाहर फिसल रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “चोद भोसड़ी के, मेरी चूत फाड़ दे, रीतेश! हाय, कितना मजा आ रहा है!”

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उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी गांड में लंड रगड़ा। मैंने कहा, “गांड में नहीं, चूत में पेल, भोसड़ी का!” उसने फिर चूत में लंड डाला और जोर-जोर से चोदने लगा। मेरी गांड हर धक्के के साथ थरथरा रही थी। उसने मेरी कमर पकड़ी और इतनी जोर से चोदा कि मैं दो बार झड़ गई। आखिर में उसने अपना माल मेरी चूचियों पर छोड़ दिया।

हम दोनों हांफ रहे थे। मैंने कहा, “मजा आ गया, रीतेश। तेरा लंड तो कमाल का है।” वो बोला, “भाभी, तेरी चूत भी जन्नत है।”

इसके बाद मेरा हौसला और बढ़ गया। मैंने सोचा, अब तो हर मर्द का लंड आजमाना है। मेरे पड़ोस में खुराना अंकल रहते थे। 50 के आसपास, स्मार्ट, हैंडसम, और थोड़े रईस टाइप। वो मुझे हमेशा घूरते थे। उनकी नजरें मेरी चूचियों और गांड पर टिकती थीं। मैं समझ गई थी कि इनका लंड मेरे लिए तड़प रहा है।

एक रविवार सुबह किसी ने बेल बजाई। मैं नहाकर निकली थी। सिर्फ पेटीकोट पहना था, जो मेरी चूचियों तक खींचा हुआ था। मेरे घुटने और जांघें नंगी थीं। मैंने सोचा, देखूँ तो कौन है। दरवाजा खोला, तो खुराना अंकल खड़े थे। मैंने उन्हें बड़े प्यार से अंदर बुलाया और सोफे पर बिठाया।

मैंने पूछा, “कहिए अंकल, कोई खास बात है क्या?”
वो बोले, “नहीं, कोई खास बात नहीं। बस मेरा मन तुमसे मिलने का हुआ, तो चला आया।”
मैंने कहा, “अच्छा किया आपने… मैं कपड़े बदलकर आती हूँ।”
वो बोले, “आप तो ऐसे ही अच्छी लग रही हैं। बैठी रहिए, कुछ करने की जरूरत नहीं है, मेम!”

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लेकिन मैं अंदर गई और एक टाइट गाउन पहनकर आई, जो मेरी चूचियों और गांड को और उभार रहा था। मैंने देखा, उनकी नजरें मेरे बूब्स पर टिकी थीं। मैंने पूछा, “आप क्या, अकेले ही रहते हैं?”
वो बोले, “हाँ, मैं अकेला ही रहता हूँ। मेरा बेटा दिल्ली में है। मेरी बीवी दुनिया में नहीं है।”
मैंने कहा, “ओह, बड़े अफसोस की बात है। तो आप अकेले ही रहते हैं?”
वो बोले, “हाँ, अकेला ही रहता हूँ, मेम!”
मैंने कहा, “मेम मत कहिए। मेरा नाम रेहाना है। मुझे मेरे नाम से बुलाइए।”

फिर मैंने पूछा, “बताइए, क्या लेंगे… ठंडा या गर्म?”
वो बोले, “मुझे दोनों ही पसंद हैं, रेहाना। जो तुम्हारी इच्छा हो, वो दे दो।”
उनके जवाब में एक चमक थी। मैं समझ गई कि ये भोसड़ीवाला मेरी चूत के लिए तड़प रहा है। मैंने सोचा, आज इनका लंड पकड़कर देख ही लेती हूँ।

मैंने हिम्मत की और बोली, “तो क्या मैं व्हिस्की ले आऊं, अंकल?”
वो खुश होकर बोले, “अरे हाँ, अगर ऐसा हो जाए, तो बहुत अच्छा! मैं तो व्हिस्की पर ही जिंदगी गुजार रहा हूँ।”

मैं व्हिस्की का सेट लेकर आई, एक पैग उन्हें दिया, एक खुद लिया। हमने चियर्स किया और पीने लगे। मैंने सोचा, अब इनके लंड तक पहुंचना है। मैंने पूछा, “अंकल, जब आपकी बीवी नहीं है, तो क्या करते हो?”
वो मुस्कराकर बोले, “कुछ नहीं करता… बस मन मसोसकर रह जाता हूँ। तड़पता रहता हूँ, फिर शराब पीकर सो जाता हूँ।”

मैंने और कुरेदा, “कुछ तो करते ही होंगे, अंकल? ये बहनचोद जिंदगी ऐसे ही नहीं कटती।”
वो बोले, “सच बताऊं? बुरा तो नहीं मानोगी?”
मैंने कहा, “हाँ हाँ, सच बताओ! मैं तो बुरचोदी बिल्कुल बुरा नहीं मानती। अब बताओ, क्या करते हो?”
वो बेबाकी से बोले, “मुट्ठ मारता हूँ और क्या? सड़का मारता हूँ अपने लंड का।”

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मैंने कहा, “आज से तू सड़का नहीं मरेगा, भोसड़ी के! आज से मैं मारूंगी तेरे लंड का सड़का!”
मेरे मुँह से ये सुनते ही उनकी आँखें चमक उठीं। मैंने अपना हाथ बढ़ाया और उनकी पैंट के ऊपर से उनके लंड पर रख दिया। वो गरम और सख्त था।

उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींच लिया। मेरी चूचियां उनकी छाती से चिपक गईं। मैं मस्त हो गई और उनके कपड़े खोलने लगी। उनका हाथ मेरी चूचियों पर चलने लगा। मेरा गाउन का फीता खुल गया, और मेरे बूब्स उनके सामने नंगे हो गए। मैंने भी उनकी पैंट और चड्डी उतार दी।

उनका लंड मेरे हाथ में आया, तो मैंने कहा, “वॉव, क्या मस्त और जबरदस्त लौड़ा है तेरा, बहनचोद? कितना मोटा है, भोसड़ी का!” मैं जानबूझकर गालियां दे रही थी, ताकि उनका जोश बढ़े।

वो पूरा नंगा हो गया, और मैं भी मादरचोद पूरी नंगी। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गई। मेरी चूत उसके मुँह पर थी, और उसका लंड मेरे मुँह में। मैं उसका लंड चाटने लगी, जैसे कोई लॉलीपॉप हो। वो मेरी बुर चाटने लगा, अपनी जीभ अंदर तक डालकर।

मैंने पूछा, “सच बताओ, अंकल, तूने कितनी लड़कियों की बुर चाटी है इस साल?”
वो बोले, “लड़कियों की नहीं, दूसरों की बीवियों की बुर चाटी है। पिछले एक साल में 4 बीवियों की बुर चाटी। आज मैं तेरी बुर चाटने आया था, और मेरी इच्छा पूरी हो गई।”

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मैंने कहा, “लेकिन मेरी इच्छा अभी पूरी नहीं हुई, भोसड़ी के खुराना! जब तक तेरा लंड मेरी बुर नहीं चोदेगा, मेरी चूत नहीं फाड़ेगा, तब तक मेरी भूख नहीं मिटेगी!”

ये सुनकर उसने मुझे पटका, मेरा पेटीकोट फाड़ दिया, और अपना मोटा लंड मेरी चूत में पेल दिया। मैं चीख पड़ी, “हाय मर गई, कितना मोटा है तेरा लौड़ा!” वो भकाभक चोदने लगा। उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। मेरी चूचियां उछल रही थीं, और मैं सिसकारियां भर रही थी, “चोद, भोसड़ी के, मेरी चूत फाड़ दे! हाय, कितना मजा आ रहा है!”

उसने मुझे घोड़ी बनाया, मेरी गांड ऊपर उठाई, और पीछे से लंड पेल दिया। मेरी चूत गीली थी, और उसका लंड चपचप की आवाज के साथ अंदर-बाहर हो रहा था। उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे और बोला, “क्या मस्त गांड है तेरी, रेहाना! इसे भी चोदूं?”
मैंने कहा, “पहले चूत फाड़, फिर गांड की बारी आएगी, मादरचोद!”

वो और जोश में आ गया। उसने मुझे सोफे पर बिठाया, मेरी टांगें अपने कंधों पर रखीं, और इतनी जोर से चोदा कि मैं तीन बार झड़ गई। आखिर में उसने अपना माल मेरी चूचियों पर छोड़ दिया। मैंने उसका लंड चाटकर साफ किया और बोली, “मजा आ गया, अंकल। तेरा लौड़ा तो जवान लड़कों से भी जबरदस्त है।”

इसके बाद मैंने कई मर्दों से चुदवाया। हर कोई मुझे पराई बीवी समझकर चोदने लगा। फिर मेरी मुलाकात विशाल से हुई। 25 साल का, गोरा, हट्टा-कट्टा, और बड़ा स्मार्ट। उसका लंड इतना मस्त था कि मैंने उससे कई बार चुदवाया।

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एक दिन विशाल ने कहा, “यार रेहाना, मैं तुझे अपनी बीवी बनाकर एक वाइफ स्वैपिंग क्लब में ले जाना चाहता हूँ। चलोगी?”
मैंने कहा, “हाँ, बिल्कुल चलूंगी।”
वो बोला, “कल शनिवार है। क्लब खुलेगा, तो शाम को चलेंगे।”

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अगले दिन हम क्लब पहुंचे। नीचे एक बड़ा हॉल था, जहाँ एक जवान लड़की, पूरी नंगी, कुर्सी पर बैठी थी। उसने विशाल से पूछा, “देख, यहाँ अंदर सब लोग तेरी बीवी चोदेंगे, तो तुझे बुरा तो नहीं लगेगा?”
विशाल बोला, “नहीं, बिल्कुल बुरा नहीं लगेगा। बल्कि मुझे अच्छा लगेगा।”

फिर उसने मुझसे पूछा, “रेहाना, अंदर तेरा हसबैंड सबकी बीवियां चोदेगा, तो तुझे बुरा तो नहीं लगेगा?”
मैंने कहा, “बिल्कुल नहीं। मैं अपने हसबैंड को पराई बीवियां चोदते देखूंगी, जानूंगी कि मेरा चोदू कैसे चोदता है!”

वो बोली, “विशाल, तुम अपनी बीवी को छूना भी नहीं। और रेहाना, तुम विशाल से दूर रहना। अगर एक-दूसरे को छुआ, तो आउट हो जाओगे। अब कपड़े उतारो और नंगे अंदर जाओ।”

अंदर का नजारा देखकर मेरी आँखें फटी रह गईं। चारों तरफ लंड, चूत, चूचियां, और गांड। मेरे लिए तो जैसे लंड की लॉटरी खुल गई। मैंने एक-एक करके लंड पकड़ना शुरू किया। कोई का चूसा, कोई का चाटा, कोई का गोटियों के साथ खेला। लोग मेरी चूचियां दबा रहे थे, मेरी चूत सहला रहे थे, मेरी गांड पर थप्पड़ मार रहे थे।

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एक मोटे लंड वाले ने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया और मेरी चूत में लंड पेल दिया। मैं चिल्लाई, “हाय, कितना मोटा है, भोसड़ी का!” उसने मेरी टांगें उठाईं और दीवार के सहारे चोदने लगा। दूसरा लड़का मेरे मुँह में अपना लंड डालकर चुदाई करने लगा। मैं एक साथ दो लंड ले रही थी, और मजा जन्नत से भी ज्यादा था।

फिर एक ने मुझे टेबल पर लिटाया और मेरी गांड में लंड डाल दिया। मैंने कहा, “आहिस्ता, भोसड़ी के, मेरी गांड फट जाएगी!” लेकिन उसने धकाधक चोदना शुरू कर दिया। मेरी चूत और गांड दोनों एक साथ चुद रही थीं। मैं इतना चुदवाया कि रंडी भी शरमा जाए।

वाइफ स्वैपिंग का मजा मुझे पहली बार पता चला। मैंने इतने लंड लिए कि मेरी चूत और गांड दोनों ढीली हो गईं।

कुछ दिन बाद मेरी खाला की बेटी रमैया अपने शौहर के साथ आई। मुझे देखकर बोली, “अरे रेहाना, तूने तो शादी कर ली?”
मैंने कहा, “हाँ यार, कर तो ली है।”
वो बोली, “अच्छा, तो ये बता कि जीजा जी का लौड़ा कैसा है?”
मैंने कहा, “बिल्कुल वैसा ही, जैसा तेरे शौहर का लौड़ा है।”

रमैया हंसकर बोली, “हाय दईया, तू तो बड़ी चालाक है, कुतिया! मेरे शौहर का लौड़ा देखकर ही मानेगी?”
मैंने कहा, “हाँ, तू अपने चोदू का लौड़ा मुझे दिखा दे, मैं अपने चोदू का लौड़ा तुझे दिला दूँगी।”
वो बोली, “मैं आज रात को देखूंगी जीजा जी का लंड।”
मैंने कहा, “हाँ पगली, आज रात को देख ले मेरे शौहर का लंड।”

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रात को मैंने विशाल को बुला लिया। रमैया उससे मिलकर खुश हो गई। मैं उसके शौहर से पहले ही मिल चुकी थी। हम चारों ने पहले शराब पी, फिर मैंने विशाल का लंड रमैया को पकड़ा दिया, और उसने अपने शौहर का लंड मुझे।

विशाल ने मेरे सामने रमैया की बुर चोदी। उसने रमैया को सोफे पर लिटाया, उसकी टांगें चौड़ी कीं, और अपना मोटा लंड उसकी चूत में पेल दिया। रमैया चिल्ला रही थी, “हाय विशाल, तेरा लंड तो मेरी चूत फाड़ देगा!” विशाल ने उसे घोड़ी बनाकर भी चोदा, और उसकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए चोदता रहा।

उधर, रमैया के शौहर ने मुझे टेबल पर लिटाया और मेरी चूत में लंड डाला। उसका लंड इतना लंबा था कि मेरी बच्चेदानी तक जा रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “चोद, भोसड़ी के, मेरी चूत फाड़ दे!” उसने मुझे कुर्सी पर बिठाकर भी चोदा, और मेरी चूचियां चूसते हुए मेरा पानी निकाल दिया।

हम दोनों बहनों ने रात भर एक-दूसरे के चोदू से खूब चुदवाया।

अगले दिन नाश्ते की टेबल पर जीजू बोले, “रेहाना, तुम बहुत खूबसूरत हो। तुम्हारी जैसी साली मिली, मजा आ गया।”
मैंने मुस्कराते हुए कहा, “भोसड़ी के जीजू, मैं बुरचोदी हूँ। विशाल मेरा नकली शौहर है। मैं अपनी बुर चुदवाने के लिए भाभी बनी घूम रही हूँ। मेरी शादी भी नहीं हुई।”

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विशाल बोला, “पर कुछ भी हो, रमैया भाभी, तुम चुदवाने में बड़ी मस्त हो!”
रमैया बोली, “तेरी भाभी की माँ का भोसड़ा! मैं भी बुरचोदी नकली भाभी हूँ। ये मेरा बॉयफ्रेंड है, हसबैंड नहीं। चूत में लंड पेलवाने के लिए भाभी बनी मजा ले रही हूँ। खूब जमकर चुदवा रही हूँ।”

मैंने हंसकर कहा, “देखा मादरचोदो, लंड के लिए आजकल की बुरचोदी लड़कियों को क्या-क्या नहीं करना पड़ता?”

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