हाय दोस्तो, मेरा नाम ममली है, लेकिन घर में सब मुझे सुश्री बुलाते हैं। आप भी मुझे सुश्री ही बुलाना। मैं 22 साल की जवान, गोरी, और रसीली लड़की हूँ। मेरा फिगर 34-28-36 है, मेरे भरे हुए मम्मे और उभरी हुई गांड किसी का भी लंड तड़पा दें। मेरे घने काले बाल, गुलाबी होंठ, और चिकनी चमड़ी मेरी खूबसूरती को और गंदा बनाते हैं। मेरे घर में मैं, मेरे मम्मी-पापा, और मेरा छोटा भाई रहते हैं। ये कहानी मेरी और मेरे पापा की उस रात की है, जब मैंने अपनी चूत की भूख को उनके मोटे, तगड़े लंड से शांत किया।
मैं पहले भी अपनी चुदाई की कहानी लिख चुकी हूँ, जिसमें मेरे भाई ने मेरी चूत को रगड़-रगड़कर चोदा था। उस कहानी के बाद मुझे ढेर सारी मेल्स आईं। कुछ लोग मेरे दोस्त बने, और एक दोस्त तो इतना करीबी हो गया कि हम रात-दिन गंदी बातें करते थे। एक दिन उसने मुझे चैलेंज दिया, “सुश्री, तू तो कहती है कि तू किसी को भी सेड्यूस कर सकती है। क्या तू अपने पापा को सेड्यूस करके उनकी चुदाई कर सकती है?”
पहले तो मुझे ये सुनकर थोड़ा अजीब लगा, लेकिन फिर मेरे दिमाग में शैतानी ख्याल भड़क उठा। मैंने सोचा, “क्यों ना इस चैलेंज को गंदे मज़े के लिए ले लिया जाए?” और बस, उसी दिन से मैंने पापा को अपनी जवानी के जाल में फँसाने की ठान ली।
पापा 45 साल के हैं, लेकिन उनका कसरती बदन, चौड़ा सीना, और भारी आवाज किसी जवान मर्द को टक्कर देती है। उनकी आँखों में वो हवस थी, जो मैंने कई बार नोटिस की थी। जब मैं टाइट टॉप या शॉर्ट्स पहनती, तो उनकी नजरें मेरे मम्मों और गांड पर अटक जाती थीं। मैं समझ गई थी कि पापा के अंदर आग सुलग रही है, बस उसे भड़काने की जरूरत है।
मैंने घर में बिना ब्रा के ढीली टी-शर्ट पहनना शुरू किया। कभी झाड़ू लगाते वक्त उनके सामने जानबूझकर झुकती, ताकि मेरे रसीले मम्मे उनकी आँखों के सामने लटकें। कभी रसोई में काम करते वक्त अपनी गांड को इस तरह हिलाती कि उनकी नजरें मेरी कमर से हटें ही नहीं। पापा पहले तो अनजान बने रहते, लेकिन मैं देख सकती थी कि उनकी साँसें तेज हो रही थीं। उनकी आँखों में वो गंदी चमक थी, जो मैं और भड़काना चाहती थी।
एक दिन मौका मिल ही गया। पापा को उनके बिजनेस के सिलसिले में बैंकॉक जाना था। गर्मियों का मौसम था, और उनके ऑफिस ने टूर के लिए दो टिकट दिए थे। पापा ने मुझसे पूछा, “सुश्री, क्या तू मेरे साथ बैंकॉक चलना चाहेगी?”
मेरे तो जैसे सपने सच हो गए। मैंने तुरंत हाँ कर दी। सोचा, ये तो गंदा मौका है—विदेश की सैर भी हो जाएगी, और पापा का मोटा लंड मेरी चूत को तृप्त कर देगा। दो हफ्ते बाद टूर था, और मैंने अपने सबसे सेक्सी कपड़े पैक कर लिए—टाइट टॉप्स, शॉर्ट्स, और पारदर्शी नाइटी।
हमारी फ्लाइट भुवनेश्वर से दिल्ली थी, और दिल्ली में एक दिन रुकना था। अगले दिन सुबह दिल्ली से बैंकॉक के लिए उड़ान थी। हम दिल्ली पहुँचे, तो पता चला कि होटल में सिर्फ़ एक छोटा सा कमरा मिला है। कमरे में एक तंग बेड, एक छोटा सा बाथरूम, और हल्की रोशनी। एक दिन की बात थी, तो हमने सोचा कि एडजस्ट कर लेंगे।
होटल पहुँचने के बाद मैं फ्रेश होने बाथरूम गई। मैंने सिर्फ़ एक तौलिया लपेटा हुआ था, और तभी पापा ने दरवाजा खटखटाया। “सुश्री, मुझे जल्दी नहाना है। कुछ जरूरी काम से बाहर जाना है,” उन्होंने कहा।
मैंने तौलिये में ही दरवाजा खोला और बोली, “पापा, मुझे अभी टॉयलेट करना है। थोड़ा टाइम लगेगा।”
पापा ने कहा, “कोई बात नहीं, तू टॉयलेट कर ले। मैं यहीं नहा लेता हूँ। टाइम नहीं है।”
मुझे थोड़ा अजीब लगा, लेकिन मेरे दिमाग में गंदी शरारत भड़क उठी। मैंने सोचा, ये तो और गंदा मज़ा होने वाला है। मैंने कहा, “ठीक है, पापा।”
पापा ने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ़ अंडरवियर में शॉवर के नीचे खड़े हो गए। मैंने भी अपना तौलिया उतार दिया और पूरी नंगी होकर टॉयलेट करने बैठ गई। मेरे गोरे मम्मे, गुलाबी निप्पल, और चूत की हल्की झाँटें खुली हवा में थीं। पापा की नजरें मेरे नंगे बदन पर पड़ीं, और मैंने देखा कि वो हल्का सा मुस्कुराए। “सुश्री, तू तो बहुत खूबसूरत हो गई है, बेटी,” उन्होंने कहा, और साबुन लगाते हुए नहाने लगे।
मैंने गौर किया कि उनके अंडरवियर में उनका लंड खड़ा हो रहा था। वो साबुन से अपने सीने को रगड़ रहे थे, लेकिन उनकी आँखें बार-बार मेरी चूत और मम्मों पर जा रही थीं। मैंने मौका देखकर कहा, “पापा, मुझे तौलिया दे दीजिए।”
पापा बोले, “नहीं, ये गीला हो जाएगा।” और फिर, मेरे सामने ही उन्होंने अपना अंडरवियर उतार दिया। उनका 8 इंच लंबा, 3 इंच मोटा लंड पूरा खड़ा था, और उसका सुपारा गुलाबी और चमकदार था। मैं तो बस उसे देखती रह गई। मेरी चूत गीली होने लगी, और मैंने अपनी टाँगें थोड़ी और फैला दीं ताकि पापा मेरी गुलाबी चूत को और अच्छे से देख सकें।
पापा ने अपने लंड को साबुन से रगड़ना शुरू किया, और उनकी आँखें मेरे मम्मों पर टिकी थीं। “सुश्री, तू सचमुच बड़ी हो गई है,” उन्होंने कहा।
मैंने शरारत से कहा, “पापा, आपका लंड तो बहुत तगड़ा है।”
पापा हँस पड़े और बोले, “बेटी, ये तो अभी शुरूआत है।”
नहाने के बाद पापा ने तौलिया लिया और बाहर चले गए। मैंने भी नहाकर तैयार हो लिया। मैंने एक टाइट टॉप और शॉर्ट्स पहने, जिसमें मेरे मम्मे और गांड उभरकर दिख रहे थे। मैंने सोचा, अब रात को कुछ गंदा करना होगा। पापा को अपनी चूत का नशा चढ़ाना होगा।
शाम को पापा लौटे, और हम दिल्ली घूमने निकल गए। रात 9 बजे तक हम होटल वापस आए। खाना खाकर हम सोने की तैयारी करने लगे। कमरे में सिर्फ़ एक बेड था, और अब सवाल ये था कि हम दोनों कैसे सोएँगे। मैंने कहा, “पापा, मैं नीचे सो जाती हूँ। आप बेड पर सो जाइए।”
पापा बोले, “नहीं, बेटी। हम दोनों एडजस्ट कर लेंगे।”
हम एक ही चादर में लेट गए। AC चालू था, और कमरे में हल्की ठंडक थी। पापा ने अचानक कहा, “सुश्री, आज बाथरूम में जो हुआ, तुझे बुरा तो नहीं लगा?”
मैंने बनावटी मासूमियत से कहा, “नहीं, पापा। इसमें बुरा क्या है? लेकिन एक बात पूछूँ?”
पापा बोले, “हाँ, पूछ।”
मैंने शरारत से कहा, “पापा, आपका सुसु… मतलब लंड… खड़ा क्यों हो गया था?”
पापा हँस पड़े और बोले, “बेटी, अब ये भी नहीं पता तुझे? तू नंगी थी ना, इसलिए।”
मैंने और छेड़ा, “अच्छा, पापा। अगर मैं अभी नंगी हो जाऊँ, तो फिर से खड़ा हो जाएगा?”
पापा ने मेरी तरफ देखा, उनकी आँखों में गंदी चमक थी। “तू नंगी क्यों होगी?” उन्होंने पूछा।
मैंने कहा, “बस, जानना चाहती हूँ कि वो खड़ा क्यों होता है।”
पापा ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने पजामे के ऊपर रख दिया। “देख, अभी भी खड़ा है,” उन्होंने कहा।
मैंने उनका लंड पकड़ लिया। वो पत्थर की तरह सख्त था। मैंने धीरे-धीरे उसे मसलना शुरू किया। “पापा, ये तो बहुत मोटा और गर्म है,” मैंने शरारत से कहा।
पापा की साँसें तेज होने लगीं। “तू ये क्या कर रही है, सुश्री? बहुत अच्छा लग रहा है,” उन्होंने कहा, और मेरे मम्मों को मेरी टी-शर्ट के ऊपर से दबाने लगे।
मैंने कहा, “पापा, मेरे मम्मे तो देखो। कितने रसीले हैं।” और मैंने अपनी टी-शर्ट और ब्रा उतार दी। मेरे गोरे, भरे हुए मम्मे उनके सामने नंगे थे। पापा की आँखें चमक उठीं। वो मेरे निप्पलों को उंगलियों से सहलाने लगे, और फिर एक मम्मे को अपने मुँह में ले लिया।
मैं सिसकारियाँ लेने लगी। “आह, पापा… कितना मज़ा आ रहा है… और चूसो,” मैंने कहा।
पापा ने मेरे निप्पल को हल्के से दाँतों से काटा, और मेरी चूत में करंट सा दौड़ गया। मैंने उनका पजामा उतार दिया और उनके लंड को हाथ में लिया। वो 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था, और उसका सुपारा गुलाबी और चमकदार था। मैंने उसे सहलाना शुरू किया, और फिर धीरे-धीरे अपने मुँह में ले लिया।
पापा के मुँह से सिसकारी निकली। “सुश्री, तू ये क्या कर रही है… आह, रंडी की तरह चूस,” उन्होंने कहा। मैंने उनके लंड को चूसना शुरू किया। उसका नमकीन स्वाद मेरी जीभ पर फैल रहा था। मैंने अपनी जीभ से उनके सुपारे को चाटा, और फिर पूरा लंड अपने गले तक उतार लिया। मेरे होंठ उनके लंड पर लिपस्टिक के निशान छोड़ रहे थे।
पापा ने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह को और तेजी से चोदने लगे। “सुश्री, तू तो जन्मजात रंडी है,” उन्होंने कहा। मैं उनके लंड को और जोर-जोर से चूस रही थी, और मेरी चूत गीली हो चुकी थी।
15 मिनट तक मैंने उनका लंड चूसा। जब उनका निकलने वाला था, उन्होंने मेरे मुँह में ही अपना गर्म-गर्म माल छोड़ दिया। मैंने उसे पूरा निगल लिया। उसका स्वाद मेरे गले में उतर गया, और मैं और गर्म हो गई।
पापा ने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे बाकी कपड़े उतार दिए। अब मैं उनके सामने पूरी नंगी थी। मेरी चूत की हल्की झाँटें गीली हो चुकी थीं। पापा ने मेरी टाँगें फैलाईं और मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया।
उनकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी। “आह, पापा… मेरी चूत को चूस लो… और अंदर तक चाटो,” मैं चिल्ला रही थी। पापा ने अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं और उन्हें अंदर-बाहर करने लगे। मेरी चूत का पानी उनकी उंगलियों पर चमक रहा था।
10 मिनट तक चाटने के बाद मैं झड़ गई। मेरा सारा पानी पापा ने चाट लिया। “सुश्री, तेरी चूत का रस तो अमृत है,” उन्होंने कहा।
पापा ने मेरी गांड पर एक जोरदार थप्पड़ मारा और बोले, “अब तुझे चोद-चोदकर तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा।”
मैंने शरारत से कहा, “पापा, मेरी चूत तो तुम्हारे लंड की भूखी है। पेल दो इसे।”
पापा ने मुझे घोड़ी बनाया और अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा। उसकी गर्मी से मेरी चूत और तड़प उठी। फिर उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा, और उनका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं दर्द से चीख पड़ी, “आह, पापा… तुम्हारा लंड तो मेरी चूत फाड़ देगा!”
पापा ने मेरे बाल पकड़े और मेरी चूत को पेलना शुरू किया। उनका लंड मेरी चूत की गहराइयों को चीर रहा था। मैं अपनी गांड को हिलाकर उनका साथ दे रही थी। “आह, पापा… और जोर से… मेरी चूत को रगड़ दो,” मैं चिल्ला रही थी।
पापा ने मेरे मम्मों को पकड़ लिया और उन्हें जोर-जोर से मसलने लगे। मेरे निप्पल उनके हाथों में कठोर हो गए। कमरे में मेरी सिसकारियाँ और उनके धक्कों की आवाज गूँज रही थी। “सुश्री, तू तो रंडी से भी गंदी है,” पापा ने कहा, और मेरी गांड पर एक और थप्पड़ मारा।
20 मिनट तक पापा मुझे घोड़ी बनाकर चोदते रहे। फिर उन्होंने मुझे सीधा लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। अब उनका लंड मेरी चूत में और गहराई तक जा रहा था। मैं आनंद से पागल हो रही थी। “आह, पापा… तुम्हारा लंड मेरी बच्चेदानी को छू रहा है,” मैं चिल्ला रही थी।
पापा ने मेरे होंठों को चूम लिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूस रहे थे, और उनका लंड मेरी चूत को पेल रहा था। मैं दूसरी बार झड़ गई, और मेरी चूत का पानी उनके लंड को गीला कर रहा था।
लेकिन पापा का गंदा खेल अभी बाकी था। उन्होंने मुझे फिर से घोड़ी बनाया और मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया। “चूस, सुश्री। इसे फिर से खड़ा कर,” उन्होंने कहा। मैंने उनके लंड को चूसना शुरू किया, और वो मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह को चोदने लगे।
15 मिनट बाद उनका लंड फिर से खड़ा हो गया। पापा ने मुझे बेड पर पटका और मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया। वो इतनी जोर से चोद रहे थे कि बेड हिल रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “आह, पापा… मेरी चूत फट जाएगी… और पेलो!”
पापा ने मेरी गांड पर थप्पड़ मारते हुए कहा, “सुश्री, तू तो मेरी रंडी बन गई है। अब तुझे और गंदा मज़ा देता हूँ।”
उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मेरे मुँह के पास लाए। “अब तू मेरी हर चीज लेगी,” उन्होंने कहा। और फिर, मेरे मुँह में अपना गर्म माल निकालने के बाद, उन्होंने मेरे चेहरे पर हल्का सा मूत छिड़का। मैंने फंतासी के मज़े में इसे चाट लिया, और मेरी चूत फिर से गीली हो गई। “पापा, तुम तो बहुत गंदे हो,” मैंने शरारत से कहा।
पापा हँस पड़े और बोले, “सुश्री, तू भी तो मेरी गंदी रंडी है।”
पापा ने मुझे फिर से दीवार के सहारे खड़ा किया और मेरी एक टाँग उठाकर मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया। मैं दीवार से टिकी हुई थी, और पापा मेरी चूत को जोर-जोर से चोद रहे थे। मेरे मम्मे हवा में उछल रहे थे, और मैं चिल्ला रही थी, “आह, पापा… मेरी चूत को फाड़ दो… और गंदा करो!”
पापा ने मेरी चूत में फिर से अपना माल निकाला। मेरा पूरा बदन उनके माल और मेरे पानी से गीला था। मैं थककर बेड पर गिर पड़ी। पापा ने मुझे अपनी बाँहों में लिया और मेरे माथे पर चूम लिया। “सुश्री, तूने मुझे जन्नत दिखा दी,” उन्होंने कहा।
मैंने शरारत से कहा, “पापा, अभी तो बैंकॉक का टूर बाकी है। वहाँ और गंदा मज़ा करेंगे।”
पापा हँस पड़े और बोले, “तू तो मेरी जान ले लेगी।”
अगले दिन हम बैंकॉक के लिए रवाना हुए। टूर के दौरान हमने होटल में कई बार चुदाई की। पापा अब मेरे लिए सिर्फ़ पापा नहीं, बल्कि मेरे गंदे चोदू यार बन गए थे।
दोस्तो, ये थी मेरी और पापा की गंदी, रसीली चुदाई की फंतासी कहानी। आपको कैसी लगी, जरूर बताना।